बिहारी ।। महाकवि बिहारी ।। सतसई ।। Bihari Mahakavi Bihari Satsayi

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  • เผยแพร่เมื่อ 24 ก.พ. 2024
  • बिहारी ।। महाकवि बिहारी ।। सतसई ।। Bihari Mahakavi Bihari Satsayi
    सतसई के रचयिता
    सतसई किसकी रचना है
    सतसई किस काल में लिखी गयी
    सतसई का पहला दोहा
    रीतिकाल
    सतसैया
    'मुक्तक' काव्य
    satsayi ke rachyita
    satsayi kiski rachna hai
    satsayi kis kal me likhi gayi
    Satsaiya
    Satsayi ka pahla doha
    Ritikal
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    #hindi_ki_duniya_se
    ‎@hindikiduniyase
    ABOUT THIS VIDEO-
    इस वीडियो में आपको महाकवि बिहारी और उनकी रचना सतसई के बारे में पूरी जानकारी मिलेगी। सतसई रीतिकाल की रचना है। बिहारी ने इसकी रचना ब्रजभाषा में की है।
    बिहारी सतसई का पहला दोहा है-
    "मेरी भव-बाधा हरौ, राधा नागरि सोय।
    जा तन की झाँई परे स्याम हरित दुति होय।।"
    सतसई के बारे में प्रसिद्ध है-
    "सतसैया कै दोहरे, अरु नावकु कै तीरु।
    देखत तौ छोटैं लगैं, घाव करैं गंभीरु ॥"
    बिहारी के इस दोहे ने जयसिंह पर जादू किया-
    "नहिं पराग नहिं मधुर मधु, नहिं विकास यहि काल।
    अली कली ही सौं बंध्यो, आगे कौन हवाल॥"
    बिहारी की शादी मथुरा में हुई और इनकी युवावस्था ससुराल मथुरा में ही व्यतीत हुई।
    ये सारी बातें निम्न दोहे से प्रकट है -
    "जन्म ग्वालियर जानियेखंड बुंदेले बाल।
    तरुनाई आई सुघर मथुरा बसि ससुराल॥"
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    बिहारी किस राजा के दरबारी कवि थे
    बिहारी के गुरु का नाम
    बिहारी किस सम्प्रदाय में दीक्षित थे
    बिहारी के साहित्यिक गुरु का नाम
    "मेरी भव-बाधा हरौ, राधा नागरि सोय।
    जा तन की झाँई परे स्याम हरित दुति होय।।"
    सतसई का पहला दोहा
    Satsayi ka pahla doha Satsayi me dohon ki sankhya Satsayi satsyi stsyi bihari beehari biharee Satsaiya
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    देखने के लिये धन्यवाद🙏

ความคิดเห็น • 7

  • @nehaparse6490
    @nehaparse6490 13 วันที่ผ่านมา +1

    Keshavdas

  • @PawanMilanJ2
    @PawanMilanJ2 3 หลายเดือนก่อน +1

    बहुत खूब लिखा गया है

  • @jugrajmeena9421
    @jugrajmeena9421 2 หลายเดือนก่อน +1

    Bohat acha samjaya he

  • @riyasharma-bp2cd
    @riyasharma-bp2cd 4 หลายเดือนก่อน +1

    Keshav dash

    • @hindikiduniyase
      @hindikiduniyase  4 หลายเดือนก่อน

      एकदम सही जवाब