ईश्वर है या नहीं ? - तार्किक विश्लेषण ! यदि है तो कैसा है ? । स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक जी ॥
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- เผยแพร่เมื่อ 24 เม.ย. 2023
- आप देख रहें हैं आर्य समाज मंदिर मेन बाज़ार पठानकोट में दिनांक 25 अप्रैल को यज्ञोपरांत प्रातः 8:00 से 8:45 बजे तक ‘ पूज्य स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक ’ जी द्वारा “ ईश्वर ” विषयक प्रदत्त प्रवचन का रिकार्डेड प्रसारण ।
प्रवचन के मुख्य विषय :
• ईश्वर के विषय में समाज में इतनी भ्रान्ति क्यों है ?
• ईश्वर है या नहीं ?
• तार्किक एवं वैज्ञानिक पद्धति से ईश्वर की सत्ता को कैसे सिद्ध किया जा सकता है ?
• ईश्वर का वेदों में कैसा स्वरूप बताया है ?
• ईश्वर के गलत स्वरूप को मानने वाले लोगों को कैसे समझाया जा सकता है ?
• ईश्वरीय आनन्द और प्रकृति के सुख में श्रेष्ठ क्या है ?
मुख्य वक्ता : पूज्य स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक जी
( निदेशक, दर्शनयोग महाविद्यालय रोजड़, गुजरात )
कार्यक्रम संयोजक : सार्थक विद्यार्थी
#aryasamaj #अध्यात्म #ईश्वर #स्वामी_विवेकानन्द_परिव्राजक #darshan_yog #god #vedic_god
स्वामी जी को शत् शत् नमन🙏🙏
ॐ जी नमस्ते चरण स्पर्श
Satnam Saheb bandagi aapke charno mein koti koti Naman guruji 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
"ओ३म् भूर्भुवःस्वः। तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि।धियो यो नः प्रचोदयात् ।"
🙏🧘♂️
आपके उपकार को नमन
ओ३म् । नमस्ते स्वामी जी, यूं तो अनेक विद्वान एवं आचार्य हैं आर्य समाज में परन्तु आपके प्रवचन व विश्लेषण करने की शैली अत्यंत सहज एवं सरल है।🙏👌 ओ३म्।
नमस्ते स्वामी जी
ओउम् नमस्ते जी आचार्य महोदय
Grub g
@@YogeshKumar-nf1kq - " Grub" means "Food"... why did you write "GRUB"
🙏🙏🙏🌼🌼🌼
Vedome rushimunioki vandana hai devoke liye
स्वामी जी नमस्ते 🙏🙏🙏
🚩🙏🌹
11:46 😃😃😃👌
🙏🏻
🙏
🙏🏿🌹🙏🏿महान् ऋषि वाच्य वालव्रह्मचारी तपोनीष्ठ ईश्वर उपासक महान् तार्किक सर्व शास्त्र विशारद दिब्यगुण संपन्न महान् संन्यासी परम पूज्य स्वामी जी महाराज कों हृदय से हजारों वार शत-शत कोटि सादर नमन् । महानुभवों कों ढेर सारी शुभकामनाएं। ढेर सारी अभिवादन अभिनन्दन । चरणों को वार- वार प्रणाम। वंन्दनीय पूजनीय को वार - वार नमन् । धन्यवाद् , नमस्ते 🙏🏿🌹🙏🏿
🙏🏿🌹🙏🏿महान् ऋषि वाच्य [वालव्रह्मचारी❌ ==> बाल ब्रह्मचारी] [ तपोनीष्ठ❌ ==> तपोनिष्ठ ] ईश्वर उपासक महान् तार्किक सर्व शास्त्र विशारद [दिब्यगुण❌ ==> " दिव्य गुण" ] संपन्न महान् संन्यासी परम पूज्य स्वामी जी महाराज [ कों ❌==> को ] हृदय से हजारों [ वार ❌===> बार ] शत-शत कोटि सादर नमन् । [ महानुभवों ❌==> महानुभावों ] [ कों ❌==> को ] ढेर सारी शुभकामनाएं। ढेर सारी अभिवादन अभिनन्दन । चरणों को [ वार- वार ❌==> बार- बार ] प्रणाम। [ वंन्दनीय ❌==> वन्दनीय ] पूजनीय को [वार - वार ❌==> बार- बार] नमन् । धन्यवाद् , नमस्ते 🙏🏿🌹🙏🏿
1. 'व' को 'ब' न लिखें .
2. कों में बिंदी न लगाएं .
3. [ वंन्दनीय ❌==> वन्दनीय ]
Namaste Swamiji 🙏
पानी में मीन प्यासी मीहे सुन सुन आवे हासी अत्म ग्यान विन नर भटकत क्या मथुरा क्याकाशी मिरगा नाभि वसत कस्तूरी वनवन फिरत उदासी!
ये कैसे माने वेद ईश्वर ने दिये हैं
वेद का शाब्दिक अर्थ ज्ञान है सृष्टि के आदि में चार ऋषि हुए थे उनको समाधि की अवस्था मे ईश्वर द्वारा वेद अर्थात ज्ञान दिया गया था
वेद के मार्ग पर चलकरईश्वर के निकट पहुंचा जा सकता है
"ईश्वर के निकट" .???....... "ईश्वर के निकट" तब ही जाया जा सकता है, जब ईश्वर दूर हो, अलग हो, लेकिन जब ईश्वर सब जगह मौजूद है, तब ईश्वर के पास जाने की बात करना ठीक नहीं है.
Arya samaj bacho ka samaj h
🚩🙏
Allah ya iswar ki kalpana ek pakhand ke alawa kuch bhi nahi hai. Pakhand inshan me dhurtata bhar deta hai
सबको सादर नमस्ते जी।
तो क्या ईश्वर का पुरा डाटा किताबों में है ??
आपके अंतर्मन में ही आपके जन्म जन्मांतर का लेखा जमा है।
ब्रह्मा विष्णु महेश ये कोन है।
" कोन " ??????????? == CONE " ...
ईश्वर नहीं है नहीं है नहीं है
प्रमाण?
भागवत में चार प्रकार के प्रलय है आत्यंतिक महा प्रलय में ईश्वर जीव प्रकृति नहीं रहते मैंने अनादि कैसे कह सकते हैं
वेद पहले या भागवत 🙏
Kya proof hai. Ved kisane likha. Kya vah kalam chalaya. Murkh bana rahe hai
यानि ईश्वर को जबरन मानों नहीं तो आप मारोगे ।
ईश्वर जी व और प्रकृति इन तीनों से मिलकर संसार की उत्पत्ति हुई है। ईश्वर निराकार है और जीव उसका अंश है। और जो साकार रूप में दिख रहा है यह प्रकृति का स्वरूप है। जो बनता और मिटता है इसे छर ब्रह्मांड कहते हैं जिसे कुरान ला मकान कहां है।
भागवत में चार पर ले का वर्णन है। चौथी पर ले अत्यंतिक महा प्रलय है। जिसमें पूरा छर ब्रह्मांड ला मकान लय हो जाता है। तो परमात्मा कहां रहा? इसलिए पूर्ण ब्रह्म सच्चिदानंद इससे अलग है।
दूसरा है पूर्णब्रह्म परमात्मा सच्चिदानंद स्वरूप वेद कहते हैं वह परमात्मा जड़ जगत पांच तत्व 3 * 25 प्रकृति साकार निराकार सबसे न्यारा है। जिसको आज तक कोई जा नहीं सका उसी का आधार कलयुग में प्रकट हुआ है। इसलिए कलयुग चारों युगों में श्रेष्ठ है। श्री राम जी उसी आधार के प्रति कह रहे हैं।
कलयुग केवल नाम अधारा सुमर सुमर नर उतरीं पारा।। कलयुग में अखंड परमधाम का ज्ञान आया है जो निराकार साकार से न्यारा है अष्टांग योग नवधा भक्ति से न्यारा है। उसे ही जानो उसे ही मानो और उसे ही ग्रहण करो उसकी जगह दूसरे को नहीं ऐसा बार बार वेद कहते हैं। लेकिन जीव की सोच वहां तक नहीं जा सकती क्योंकि जीव की उत्पत्ति निराकार से हुई है। तो वह निराकार से आगे कैसे जा सकती है। रामायण कहती है ईश्वर अंश जीव अविनाशी।। जीव निराकार ईश्वर का अंश है।
उस अखंड परमधाम को केवल आत्मा ही ग्रहण करेगी क्योंकि आत्मा परमात्मा का अंग है जिसके लिए रामायण कहती है
सोहंग मसि ईति ब्रह्म अखडां दीपसिखा सोई परचम प्रचंडा।। रामायण।।
आत्मा और परमात्मा संसार से सर्वदा अलग है और अखंड एकरस अद्वैत शाश्वत है। लेकिन रामायण के पढ़ने वाले ही रामायण को नहीं जानते यह रहस्य जागृत बुद्धि से खुल रहा है जो कलयुग में विजियाभिननद अर्थात सब पर विजय पाने वाले बुध निष्कलंक द्वारा प्रगट हुई है। उसे ही जानकर कलयुग में जन्म लेना सफल होगा। नहीं तो रात दिन का पछतावा मिलेगा।
फिर पछताए क्या होत है जब चिड़िया चुग गई खेत।।
लेकिन पूर्णब्रह्म इतने मेहरबान हैं दुनिया के लिए वह पश्चाताप इतना भयंकर होगा कि दुनिया भस्म ही हो जाएगी। लेकिन पूर्ण ब्रह्म सच्चिदानंद उसको फिर से जिंदा कर के अखंड में पहुंचा देंगे। अर्थात अखंड मोक्ष। इसलिए कलयुग चारों युगों में श्रेष्ठ है। अगर आपके अंदर आत्मा है तो जरूर संपर्क करें जीव का यह काम नहीं है।
वहूत ही मार्मिक बात कही है
20000 साल हुए हैं आदमी को सभ्य हुए,, आप कह रहे हो करोड़ों सालों से वेद पढ़ा जा रहा है,,,
मतलब आपके पूर्वज बंदर थे 😂😂😂
अच्छा तो ये किसने बताया कि 20000 साल हुए , फिर चेक करो 5/10 हजार हुआ होगा😂😂
बंदरों के औलाद
9.5 लाख साल पहले रामायण थी भाई ।
Gyan adhura h aur jo h wo bhi agyanio wala gyan h aapka.. Prabhu bhala kare aapka.. Sikho aur tark karna h to aise video na dekho
"ओ३म् भूर्भुवःस्वः। तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि।धियो यो नः प्रचोदयात् ।"
Matlab ????
🙏
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