एलपीजी सिलेंडर से गैस के रिसाव के कारण आग लगने की दुर्घटना पर दो लाख रुपए का मुआवजा दिलाया।

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  • เผยแพร่เมื่อ 22 ก.ย. 2024
  • उड़ीसा उच्च न्यायालय ने हाल ही में एक बीमा कंपनी को वर्ष 2021 में एलपीजी गैस सिलेंडर में हुए आकस्मिक विस्फोट में घातक रूप से घायल हुए एक व्यक्ति को 2 लाख रूपये की अनुग्रह राशि का भुगतान करने का आदेश दिया है। गैस कंपनी और बीमाकर्ता की जिम्मेदारी तय करते हुए न्यायमूर्ति संजीव कुमार पाणिग्रही की एकल पीठ ने कहा - "इस न्यायालय का विचार है कि इस तरह के मामले में तेल/एलपीजी कंपनियां, जहां एलपीजी सिलेंडर विस्फोट में मानवीय क्षति असाध्य है, एक कट्टर मुकदमेबाज की तरह व्यवहार करती हैं, इस तथ्य की अनदेखी करते हुए कि मामला प्रतिकूल मुकदमेबाजी के दायरे में नहीं आता है। कोई कल्पना कर सकता है कि कैसे घनी लपटें आसपास के वातावरण को अपनी चपेट में ले लेती हैं और इंसान बस राख में बदल जाते हैं या कभी-कभी मौत से बच जाते हैं और विकृतियों का शिकार हो जाते हैं।"
    याचिकाकर्ता संतोष कुमार साहू नामक व्यक्ति के घर में दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम कर रहा था। 27 सितंबर 2021 को एलपीजी सिलेंडर से गैस के रिसाव के कारण आग लगने की दुर्घटना हुई। याचिकाकर्ता और उक्त संतोष कुमार साहू दोनों ने आग बुझाने की कोशिश की और इस प्रक्रिया में गंभीर रूप से घायल हो गए।
    अंततः उनकी हालत बिगड़ने पर उन्हें एससीबी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया। 07 अक्टूबर 2021 को, संतोष कुमार साहू ने अपनी चोटों के कारण दम तोड़ दिया, लेकिन याचिकाकर्ता का अस्पताल में इलाज हुआ और 22 अक्टूबर 2021 को उसे छुट्टी दे दी गई।
    इसके बाद, याचिकाकर्ता ने गैस एजेंसी को दो लाख रुपये की बीमा राशि/अनुग्रह मुआवजे का दावा करते हुए एक आवेदन प्रस्तुत किया, जिसे भुगतान की प्रक्रिया के लिए बीमा कंपनी को भेजा जाना था।
    गैस एजेंसी द्वारा संसाधित और अनुशंसित किए जाने के बावजूद, बीमा कंपनी ने कोई कार्रवाई नहीं की और याचिकाकर्ता के दावे को दबा दिया। इसलिए, व्यथित होकर, याचिकाकर्ता ने बीमा कंपनी को बीमित राशि के भुगतान के लिए निर्देश देने की प्रार्थना करते हुए यह रिट याचिका दायर करके उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।
    न्यायालय की टिप्पणियाँ
    न्यायालय ने खेद व्यक्त किया कि दिनांक 22.03.2024 के आदेश के अनुसार स्पष्ट निर्देश के बावजूद, बीमा कंपनी ने कोई ध्यान नहीं दिया। बीमा कंपनी की निष्क्रियता के कारण अनावश्यक रूप से लंबे समय तक देरी को देखते हुए, न्यायालय ने निर्णय में एकपक्षीय कार्यवाही करने का निर्णय लिया।
    न्यायमूर्ति पाणिग्रही इस बात से आश्चर्यचकित थे कि इस तरह के मामलों में, जहाँ लोगों की जान चली गई/प्रभावित हुई, एलपीजी कंपनी ने अभी भी एक कट्टर मुकद्दमेबाज की तरह व्यवहार किया, इस रुख की अनदेखी करते हुए कि ऐसा मामला प्रतिकूल मुकदमेबाजी के दायरे में नहीं आता है।
    न्यायालय ने कहा, "इस घटना की भयावह परिस्थितियों को देखते हुए, यह स्पष्ट है कि याचिकाकर्ता को न केवल गंभीर शारीरिक चोटें आईं, बल्कि उसे काफी भावनात्मक आघात भी सहना पड़ा। इसके अलावा, याचिकाकर्ता को घटना के दौरान लगी चोटों के कारण काफी चिकित्सा व्यय और दीर्घकालिक परिणामों का सामना करना पड़ा है।" तदनुसार, याचिकाकर्ता पर शारीरिक, भावनात्मक और वित्तीय बोझ को ध्यान में रखते हुए, पीठ ने बीमा कंपनी को याचिकाकर्ता को लगी चोटों के लिए दो महीने की अवधि के भीतर दो लाख रुपये की अनुग्रह राशि का भुगतान करने का निर्देश देना उचित समझा।
    केस का शीर्षक: सुशांत बेहरा बनाम महाप्रबंधक, आईसीआईसीआई लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड और अन्य।
    केस संख्या: डब्ल्यू.पी.(सी) संख्या 39989/2023
    निर्णय की तिथि: 16 अगस्त, 2024

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