LAWMAN Times
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बैंक ने बिना कारण बताए ऋण आवेदन किया निरस्त, हर्जाना देने के निर्देश
इलाहाबाद निवासी सरिता डिमरी के होम लोन आवेदन को विना कारण वताए निरस्त करने पर बैंक आफ बड़ौदा को हर्जाना भरना पड़ेगा। राज्य उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति अशोक कुमार ने दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद फैसला सुनाया कि इस संबंध में जिला आयोग का आदेश सही है। इस आदेश के आधार पर बैंक को इकरारनामा पर खर्च रकम के साथ आठ साल का आठ फीसदी सालाना की दर से व्याज भरना होगा।
इलाहाबाद निवासी सरिता डिमरी निजी स्कूल में शिक्षिका हैं। पिता रिटायर शिक्षक हैं और भाई जयपुर में नौकरी करता है। वर्ष 2017 में सरिता ने इलाहावाद में 48 लाख रुपये में एक निजी मकान खरीदने का सौदा किया। वेतन कम होने की वजह से इतना लोन देने से बैंक ने इनकार कर दिया। इस पर सरिता ने अपने भाई के साथ संयुक्त लोन का आवेदन किया, जिसे बैंक ने स्वीकार कर लिया।
बैंक ने रजिस्टर्ड इकरारनामा की मांग की। इस पर वादी ने कहा कि पहले बैंक प्रापर्टी का निरीक्षण कर ले कि लोन मिलेगा या नहीं। बैंक ने निरीक्षण के बाद हामी भर दी। तब सरिता डिमरी ने रजिस्टर्ड
इकरारनामा किया। इस पर 1.38 लाख रुपये खर्च हो गए। इकरारनामे के बाद बैंक ने बिना कारण वताए लोन आवेदन को निरस्त कर दिया। लाखों रुपये डूबने पर सरिता डिमरी ने जिला आयोग में शरण ली। जहां आयोग ने बैंक को 1.23 लाख रुपये रकम जमा करने की तारीख से वादी को देने के आदेश दिए। साथ ही 7 हजार रुपये वाद व्यय के देने के भी आदेश दिए।
इस आदेश के विरुद्ध सरिता डिमरी ने राज्य उपभोक्ता आयोग में अपील की थी। वहां दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद अध्यक्ष न्यायमूर्ति अशोक कुमार ने जिला आयोग के आदेश को बरकरार रखा।
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भा. वि. परिषद नव उदय शाखा चंदौसी ने अध्यापकों को युग निर्माता गौरव सम्मान पुरस्कार से सम्मानित किया
มุมมอง 8514 วันที่ผ่านมา
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एलपीजी सिलेंडर से गैस के रिसाव के कारण आग लगने की दुर्घटना पर दो लाख रुपए का मुआवजा दिलाया।
มุมมอง 1214 วันที่ผ่านมา
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कासगंज एटा न्यायालय में कार्यरत एड.मोहिनी तोमर की हत्या पर अधिवक्ताओं में आक्रोश #चन्दौसीबार #सम्भल
มุมมอง 34614 วันที่ผ่านมา
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धारा 482 सीआरपीसी के तहत हाईकोर्ट को चार्जशीट दाखिल होने के बाद भी एफआईआर को रद्द करने का अधिकार है।
มุมมอง 5821 วันที่ผ่านมา
बुधवार (28 अगस्त) को सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया कि अगर कोर्ट को लगता है कि कार्यवाही जारी रखना कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा तो धारा 482 सीआरपीसी के तहत हाईकोर्ट को चार्जशीट दाखिल होने के बाद भी एफआईआर को रद्द करने का अधिकार है। "कानून में यह बात अच्छी तरह से स्थापित है कि धारा 482 सीआरपीसी के तहत हाईकोर्ट को एफआईआर को रद्द करने का अधिकार है, भले ही धारा 173(2) के तहत चार्जशीट दाखिल हो गई ह...
बच्चे की कस्टडी प्राकृतिक पिता को ही मिलनी चाहिए न कि कुछ समय देखभाल करने वाले रिश्तेदार को - SC
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बिना सुनवाई अनुबंधित कर्मचारी को बर्खास्त करना नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन है
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अधिवक्ताओं ने किया विरोध प्रदर्शन
มุมมอง 26921 วันที่ผ่านมา
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सह-हिस्सेदार को अपने हिस्से की संपत्ति किसी तीसरे पक्ष को स्थानांतरित करने से नहीं रोका जा सकता है।
มุมมอง 4921 วันที่ผ่านมา
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने माना था कि मुकदमे वाली संपत्ति में सह-हिस्सेदार को अपने अविभाजित हिस्से को किसी तीसरे पक्ष के पक्ष में स्थानांतरित करने से नहीं रोका जा सकता है। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि यदि याचिकाकर्ताओं को कोई सार्थक राहत चाहिए, तो उन्हें मुकदमे वाली संपत्ति के विभाजन के लिए डिक्री की मांग करनी होगी, जो उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता, 2006 की धारा 116 के तहत राजस्व न्यायालय द्वारा विशे...
Extrajudicial confession is, by its very nature, a weak piece of evidence-Allahabad High Court
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Justice Ashwani Kumar Mishra and Justice Dr Gautam Chowdhary observed this while acquitting a convict in connection with a 2010 murder, noting that the trial court had not carefully scrutinised the evidence of extra-judicial confession as well as the testimony of a child witness. As per the prosecution's case, the informant (husband of the deceased) filed a written report on October 5, 2010, st...
धारा 479 BNSS के प्रावधान 1जुलाई 2024 से पूर्व के अपराधों के कैदियों पर भी लागू होंगे -सुप्रीम कोर्ट
มุมมอง 10828 วันที่ผ่านมา
एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में, सुप्रीम कोर्ट ने (23 अगस्त को) कहा कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 479 - दंड प्रक्रिया संहिता की जगह - देश भर के विचाराधीन कैदियों पर पूर्वव्यापी रूप से लागू होगी। इसका मतलब है कि यह प्रावधान 1 जुलाई, 2024 से पहले दर्ज किए गए मामलों में सभी विचाराधीन कैदियों पर लागू होगा। धारा 479 BNSS के अनुसार, विचाराधीन कैदियों को जमानत पर रिहा किया जा सकता है यदि व...
चेक बाउंस के मामलों में न्यायालय को मैत्रीपूर्ण ऋणों को स्वीकार करना चाहिए- दिल्ली उच्च न्यायालय
มุมมอง 42หลายเดือนก่อน
नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स (एनआई) एक्ट के तहत चेक बाउंस के मामले की सुनवाई करते हुए, दिल्ली उच्च न्यायालय ने हाल ही में कहा कि अदालतों के लिए यह स्वीकार करना विवेकपूर्ण होगा कि मौजूदा दस्तावेज़ों के बिना भी पार्टियों के बीच अनुकूल नकद ऋण प्रदान किए जाते हैं, जिसमें अक्सर आरोपी बरी हो जाते हैं क्योंकि शिकायतकर्ता ऋण के अस्तित्व को साबित करने में असमर्थ होता है। न्यायमूर्ति अनीश दयाल की एकल न्यायाध...
पीड़िता को इस्लाम कबूलने के लिए मजबूर कर निकाह कराया: इला. HC ने मौलाना को जमानत देने से किया इंकार
มุมมอง 56หลายเดือนก่อน
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने धर्म परिवर्तन के आरोपी मौलाना को जमानत देने से इनकार कर दिया, जबकि उसने कहा कि पीड़िता को कथित तौर पर 'इस्लाम' स्वीकार करने के लिए मजबूर किया गया था और निकाह किया गया था। न्यायालय ने कहा कि मौलाना धर्म परिवर्तन करने के कारण उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम, 2021 के प्रावधानों के तहत समान रूप से उत्तरदायी है। न्यायालय उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर...
चिकित्सक द्वारा देखभाल की कमी या निर्णय में त्रुटि स्वचालित रूप से लापरवाही साबित नहीं होती है
มุมมอง 13หลายเดือนก่อน
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केरल उच्च न्यायालय ने धारा 377 के तहत अपराध के लिए एक पति के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही रद्द की
มุมมอง 30หลายเดือนก่อน
केरल उच्च न्यायालय ने हाल ही में आईपीसी की धारा 377 के तहत अपराध के लिए एक महिला द्वारा अपने पति के खिलाफ शुरू की गई आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया। कोर्ट ने कहा कि 2013 में धारा 375 में बलात्कार की परिभाषा में संशोधन के बाद, पुरुष आरोपी द्वारा महिला पीड़ित के साथ किया गया जबरन मु मैथुन बलात्कार का अपराध है। हालाँकि, चूँकि एक पत्नी अपने पति पर बलात्कार के अपराध के लिए मुकदमा नहीं चला सकती है...
जिरह हो जाने के एक लम्बे समय बाद साक्षी को तलब नहीं किया जा सकता- कर्नाटक उच्च न्यायालय
มุมมอง 41หลายเดือนก่อน
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बालक से दुराचार करने वाले को जमानत नहीं दी जा सकती- उच्च न्यायालय इलाहाबाद
มุมมอง 81หลายเดือนก่อน
बालक से दुराचार करने वाले को जमानत नहीं दी जा सकती- उच्च न्यायालय इलाहाबाद
इलाहाबाद HC के एफआईआर दर्ज करने से पहले पुलिस को कानूनी राय लेने संबंधी निर्देशों पर SC ने रोक लगाई
มุมมอง 81หลายเดือนก่อน
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सर्वोच्च न्यायालय ने भारतीय न्याय संहिता की धारा 149 को चुनौती देने वाली जनहित याचिका खारिज की
มุมมอง 56หลายเดือนก่อน
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दूसरी एस. एल.पी. दायर नहीं की जा सकती
มุมมอง 16หลายเดือนก่อน
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परिसीमा अवधि निर्णय और डिक्री की तारीख से शुरू होती है, न कि डिक्री तैयार होने पर- कलकत्ता हाईकोर्ट
มุมมอง 28หลายเดือนก่อน
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CJI recommended 9 Judges name for Permanent Judges of Allahabad High Court.
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नगर निगम के अधिकारियों के खिलाफ मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की सख्त टिप्पणी
มุมมอง 187 หลายเดือนก่อน
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ความคิดเห็น

  • @DeepakKumar-fz4ks
    @DeepakKumar-fz4ks 17 วันที่ผ่านมา

    Adhivakta ekta jinda bad

  • @SunitaSharma-fq3lt
    @SunitaSharma-fq3lt หลายเดือนก่อน

    Useful information

  • @g2vvidhik
    @g2vvidhik 7 หลายเดือนก่อน

    👌👌

  • @g2vvidhik
    @g2vvidhik 8 หลายเดือนก่อน

    Jai hind

  • @AnkurAgrawalChandausi
    @AnkurAgrawalChandausi 8 หลายเดือนก่อน

    बहुत जानकारी युक्त वीडियो

  • @g2vvidhik
    @g2vvidhik 9 หลายเดือนก่อน

    शत शत नमन