अगर ताराचंद जी सही बोल रहे है तो इन्होंने ऐसी कोई पुस्तक का नाम तो नहीं बताया जिसमे कुमावत के कारीगर होने का जिक्र हो ? मैं ताराचंदजी को चैलेंज करता हूं कि एक ऐसे किले की फोटो भेज दो जिस पर किले पर कारीगर के रूप में कुमावत शब्द का जिक्र हो , रही बात जिन गोत्र का आप जिक्र कर रहे हो वो बाकी बहुत से समाज में मिल जायेगी
कुमावत समाज के लोग क्षत्रिय राजपूत थे जेसलमेर स्थिति लोद्रवा मैं गुरु गरवा जी महाराज के आदेश पर वि.सं. 1316 में बाल विधवा पुनर्विवाह प्रथा शुरू की एवं कुमावत,, मारु कुमावत राजपूत समाज की स्थापना की सभी से निवेदन है कि समाज के साथ राजनीतिक खेल न खेले
ये गलत बता रहा h 😂 कुमावत समाज का नाम कुमावत आया ही 200 साल पहले h 😂 कुमावत वो लोग h जो राजपूत/ क्षेत्रीय समाज से अलग हुए जो को हर गोत्र की राव भाट की वंशावली और कुलदेवी वही मानते h इस का सबूत h पर कुमावत समाज को कुम्हार बना देना वो शब्द की गलती h q की वनसावली में कुमार या मारू कुमार या मेवाड़ी कुमार शब्द h ना की 4कुम्हार और कुम्हार और कुमार शब्द में काफी अंतर h कुछ मेवाड़ साइड में राजकुमार और सिलावट शब्द भी वनसावली में h पर राजस्थान में हर जिले में कुमावत समाज रहता h कही खुद को कुम्हार भी बताता h सिर्फ कुमार शब्द के कारण न की मट्टी के बर्तन बनाने के कारण। अब m बताता हु कुमार/ मारू कुमार/ राजकुमार/ शिलावाट/ कुमावत कोन h ? बे सक हर जाति किसी न किसी व्यवसाय से जुडी h इसी तरह कुमावत समाज भी शिल्पकला, स्थापत्य कला से जुड़ा हुआ था जो कि मेवाड़ में मंडन और शेखावाटी में अलग अलग गोत्र के कुमावत पेंटर के नाम से पता चलता h और 1300 ईसा से क्षेत्रीय समाज से अलग हुआ था तो क्षेत्रीय कर्म से और जन्म से भी क्षेत्रीय h केसे? वो ऐसे की वंशावली देखे तो बहुत से कुमावत झुंझार हुए h सर कटने के बाद भी लड़े h अलग अलग युद्धों में इस से साबित हहोता b कुमावत समाज भी युद्धों में सेना रूप में सक्रिय था और कही मंदिर और समाधि भी बनी h जैसे बीकानेर सुधरना में देदा जी मंगलव का मंदिर ओर जैसलमेर में घड़सी जी मंगलराओ का और अलग अलग गौत्र जैसे नोखवाल में कालो जी और धन्ना जी नोखवाल झुंझार हुए बोरावट गोत्र में कुंवर सिंग बोरावट गौ मुस्लिम से छुड़ाते हुऐ झुंजार हुए और गेधर गोत्र, टाक गोत्र, महार गोत्र, .... etc में भी बहुत से झंझार हुए बाकी लामबदारी भी कुमावतो ने की h जो की क्षत्रिय लगाने का कारण h जेसे बहादुर सिंग करगवाल गोत्र का अबोहर पंजाब डांगरखेड गांव के आसपास की लामबदारी और महाराजा गंगा सिंग के पुत्र के साथ उन की हवेली पर तस्वीर भी h और उन का परिवार आज भी थाट से रहता h ऐसे ही रामा जी ढूंढारा 12 गांव के ठिकानेदार रहे और जयपुर रियासत में जैलदार रहे वो भी ढूंढा रा गोत्र के कुमावत ही h उन का परिसर भी कुमावत समाज से जुड़ा h बाकी और बहुत h जैसे सर प्रताप सिंग जोधपुर के टाइम घोडेला गौत्र के उदय राम सिंग घोडेला को तलवार और सोने के कड़े से समानित करना ....
ये ताराचंद जी के पास कोई प्रामाणिक इतिहास नहीं है , किसी भी हवेली पर कारीगर को कुमावत नाम नहीं लिखा हुआ है, जिन गोत्र की ये बात कर रहे है वो बहुत से समाज में हुबूहू है
ताराचंद जी द्वारा बताई गई इतिहास को में हजार पर्सेंट दावे के साथ खंडन करता हूं इसके कोई तथ्य प्रमाण नहीं! ओबीसी लेने के लिए इतिहास को दबाया जा रहा है पिछले लगभग 20 सालों से
@@gyandarpanहुकूम 1994में कुम्हार ( प्रजापति) को बाकी ओबीसी जातियों की तरह ओबीसी वर्ग के कॉलम 30 में दर्ज किया था , लेकिन कुमावत क्षत्रियों को 1999 तक ओबीसी में आरक्षण नहीं था , तब जयपुर की कुमावत महासभा जिसमें ताराचंदजी के पूर्वजों ने समाज को आरक्षण का लाभ दिलाने के लिए इन कुमावत क्षत्रिय समाज को राजनीतिवश कुम्हार समाज की उपजाति बताकर ओबीसी के कॉलम 30(a) में कुम्हार/प्रजापति और 30(b) में कुमावत एड करवा दिया और उसी दिन से इन क्षत्रियों की पहचान खत्म होती जा रही है और इस समाज की पहचान शिल्पकला से कर रहे है , आप ओबीसी आयोग की pdf pdo , पूरी जानकारी मिल जाएगी
@@gyandarpan OBC मिला नहीं हे महोदय पर इन ताराचंद जैसे कई राजनीतिक लोगो ने अपने आप को कुम्हार दिखा दिखा के असली कुम्हारों का हक़ छीना हे । कुमावत ना ही कुम्हार हे नाहीं शिल्पी । ये सब ओबीसी के चक्कर में राजनीतिकरण किया गया हे पिछले ५० सालों में और समाज के भोले भाले लोगो के मज़ाक़ बनाया गया ह पिछड़ो में शामिल करके । इनके पास कोई तथ्य नहीं हे की उनके पूर्वज ने ऐसे कोई काम किए हे लेकिन हमारे पूर्वजों के कई लड़ैया लड़ी हे और कई वीर-वीरांगनाएँ झुँझार और सत्ती हुए उसके प्रमाण आपको मारवाड़ राजस्थान के हरेक जिले और परिवार के राव-भात की पोथियों में मिल जाएँगे । और रही बात आदिकाल में भवन निर्माण की तो जंग रोज़ रोज़ तो नहीं होती थी , शायद २-५ साल या १० साल में होती थी , तब सेना में रहे क्षत्रिय योद्धाओं शौर्य का वो हर काम करते थे जिसमे पुरूषार्त और मेहनत का परिचय दिया जाता था । खेर बाक़ी तो सब मन-घड़त बातें हे जिसको जो समाज आया उसने अपने आपको वो जाती के धागे में परो लिया लेकिन सच्चाई कभी नहीं बदलेगी ।
@@gyandarpanआदरणीय रतन सिंह जी हुक्म मैं मां भादरिया राय भाटी सरदारों की कुलदेवी को नमन करते हुए आपसे अर्ज करना चाहूंगा हुकम यह तारिया वही धोबी है हुक्म जिसने भगवान श्री राम को भडकाया था कि माता सीता तो 9 महीने लंका में रह कर आई है ऐसा अनाब्ब सनाब बक कर उस रात माता सीता को वनवास दिलवाया था और भगवान श्री राम की पवित्र नगरी पूरी अयोध्या का माहौल खराब किया था यह वही धोबी है नीच कहीं का हुक्म यह एक टाइम का 10 किलो मांस तीतर बटेर तिलोर खरगोश कोबरा नाग इत्यादि खाता है हुकुम चाहे इसके घर पर इसका फ्रीज चेक करवा लो यह पूरी उम्र जेल में रहना चाहिए और अब इसने कलयुग में तारिया के रूप में जन्म लिया है और एक क्षत्रिय जाति को कारीगर शिल्पकार बताकर बहका रहा है हुक्म
और हुकुम आपने एक सवाल क्यों नहीं किया इन ताराचंद से कि जब आप लोग खानदानी शिल्पकार कारीगर हो तो आप का समाज कुमावत क्षत्रिय क्यों लग रहा है और उसे दिन ओम बिरला ने आपको क्षत्रिय क्यों कहा स्टेज पर या फिर हम यह माने की क्षत्रिय कारीगर शिल्पकार भी हो होता है पूरा मामला क्लियर तो करो क्षत्रिय भी यह लोग राजाओं के समय से हैं आज कल से नहीं उसके अनेक प्रमाण है😂 और कुम्हार प्रजापत जाति से इन का कोई जातीय संबंध कभी नहीं रहा है
कहा से लाते हो एसे इतिहास के एक साइड तो तुम लोग कुम्हार प्रजापति से अलग बताकर खुद को राजपूत से उत्पन जाती मानते हो एक ओर उनके साथ मिल कर आदिकलिन्न जाती होने का गर्व करते हो डूब मरो किया इतिहास बताओगे तुम लोग तुम्हारे ही लोग प्रजापति कह रहे ह ओर तुम्हारे ही लोग उनसे अलग मानते हो ओर कुछ लोग अलग ही कहानी बता रहे ह बुरा जरूर लगेगा तुम को लेकिन सत्य होता है वह कड़वा होता ह
एक अकेला ताराचंद बोलता है कि में शिल्पी हूं और इनका पूरा समाज बोलता है की हम क्षत्रिय कुमावत राजपूत है। तो जरा सोचिए अकेला ताराचंद सही है की बाकी का पूरा समाज। हुक्म इस ताराचंद को राजनीति कर के आरक्षण चाहिए
ताराचंद झूट बोल रहा है कुमावत नाम कुछ साल पहले ही पर्चलन मे आया है ये नाम पहले नही था और रही बात शिल्पकार की तो कुमावत शिल्पकार जाती नही है ये आदमी राजनीतिक फायदा ले रह ह अपना हमने अपने पूर्वजों से कभी नही सुना की कोई कुमावत नाम की जाती h or उसने किले बनाए हैं हा इसके पूर्वजों ने जरूर मकान बनाए होंगे
Ye tarachand galat bol rha hai , kumawat kshtriya bolte aye hai hmare purvaj hme , or kshtriya kewal rajput hi hai , tarachand ji ka kumawat ko sthaptya kala se jodna inka swayam ka rajnaitik fayda hai taki inko sthaptya kala board se aarthik fayda mil sake , ye to esa insan hai jo khud ke personal artik fayde ke liye ek kshtrya kaum ko shilpkala me uljha rha gai
कुमावत निर्माण कार्य करते थे तो सूथार कया करते थे हुक्म यह भी बताओ हमारे यहा तो कुमाहर ईट, मटकी, तवा ,कूलर यह ही बनाते थे बाकी जितने निर्माण कार्य है वो वश सूतार खाती समाज के लोग करते थे
प्राचीन भारतीय साहित्य में सूत्रधार मंच निर्माण कार्य किया करते थे,आज भी गांवों में सूतराड़ो का काम लकड़ी के औजारों, फर्नीचर को बनाने का ही।कभी कभार पक्के मकान निर्माण कार्य भी करते हैं। खाती /काटी शब्द काष्ठकार का अपभ्रंश रूप है,पर ये अपने को काटी के स्थान पर सूतराड़ कहलाना अधिक पसंद करते है।अब तो जांगिड भी लगाना शुरू किया शहरीकरण से।
Ye khanada gotra to sutar me bhi hai , or btahmano me bhi hai , ye sab politics ke chakkar me samaj ko shilpi bta rhe hai , baki hmara samaj hi nhi manta ki hum shilpkar hai , ye khud ke fayde ke liye fb or google par farji shilpkala ka chutiyapa dalta hai
Ye tarachand ji ke chakkar me mat ao , koi kumawat kshtriya inko nhi manta or ye khud hi neta bne hue baithe hai , inhone interview me sari farji bate kahi hai , hum rajputo ko shilpi btaker hmare kshtriyatv ka apman kiya hai , ye kahi bhi pahuch jate hai kya , hmare kumawat kshtriya sangthan se interview kerwaoge to apko satyata malum chlegi ki ek rajput samuday ko shilpkala board se bajat or nokri ke fayde ki raniti me kaise shilpkar btaya ja rha hai
100% इतिहास गलत कह रहा है इनका दिमाग सटक गया ताराचंद अगर यही इतिहास है जो उनका मीडिया पर कवर करने वाले भी राजपूत मेरे ख्याल से रतन सिंह नाम अरे हुकुम आप एक राजपूत होते हुए हैं यह बताओ कि राजपूतों के महल हवेलिया जब बनाए थे तब आप इन लोगों को क्या मानते बहुत ही बड़ी दुर्भाग्य की बात है एक राजपूत होकर भी ऐसे मान गड़त में इतिहास को कैसे शूट करते बहुत ही बड़ा शर्मा की
Well done bhut hi acha har smaj ka bharat ke nirman mai yogdan hai apni apni jgh dusre ko bap ko apna banane ki jgh apne bapo ke karmo ko dhoondhna chalu kre ye gauchar to kam se kam 36kom ke samne beshrm to nhi khlate
इतिहास के प्रति आपकी लग्न और सूक्ष्म दृष्टिकोण बहुत ही शानदार हैं।ताराचंद जी। हर विचार का तीन चरणों में गुजरता है। उपहास -विरोध -ग्रहण। आप बस काम करिए और साक्ष्य के साथ। समय आपकी गवाही देगा।
Tarachand ji ko kumawat surname ka tyag kerna chahiye or surname chejara/ karigar/ shilpkar kerna chahiye , nhi to hum sare kshtriya ikkatte hoker inke khilaf avshayak nirnay lenge or inhe dandit kiya jayega
कुमावत शिल्पिका उनका जन्म कहां से कोई भी जाति होती है कैसी ही जाती उसे जाति का जीवन काल से ही पुराना इतिहास होता यह ताराचंद अंधेरे में देसी घी को इंडिका तेल बता वह क्या कमाल इन लोगों की बुद्धि कैसे हो जाती है
Kisi samaj par ungli uthana aasan h, apne bap dadao se pucho jin gharo me tum rahate ho unko kisne banaya h firf Or sirf kumawat aaj ke time me to har samaj is kaam me aa gaya, jake pucho bhilwada, jalor, jesalmer, jodhpur, karoli, jaha pathar ki khane h aaj bhi, pathar ki ghadaai Or chinai srf kumawat hi karte the karte h Oro se hoti hi nahi ye hi saty h babu logo....... Aaj pathar masino se kat raha h lekin pathar ki bai, darwaje, jharoke, jaliya, banane ki fectriya kumawato ki h vijit kar lena.... Kaladera rico, manda rico, jhotwada, kisangarh renwal bahut sari h, bhilwada, katni, bhim, yaha tak ki maharastra, benglor, gujrat, kisi ke bare me dekho socho samjho fir likho
अगर ताराचंद जी सही बोल रहे है तो इन्होंने ऐसी कोई पुस्तक का नाम तो नहीं बताया जिसमे कुमावत के कारीगर होने का जिक्र हो ?
मैं ताराचंदजी को चैलेंज करता हूं कि एक ऐसे किले की फोटो भेज दो जिस पर किले पर कारीगर के रूप में कुमावत शब्द का जिक्र हो , रही बात जिन गोत्र का आप जिक्र कर रहे हो वो बाकी बहुत से समाज में मिल जायेगी
सही कहा है आपने
कुमावत समाज के लोग क्षत्रिय राजपूत थे जेसलमेर स्थिति लोद्रवा मैं
गुरु गरवा जी महाराज के आदेश पर वि.सं. 1316 में बाल विधवा पुनर्विवाह प्रथा शुरू की एवं कुमावत,, मारु कुमावत राजपूत समाज की स्थापना की
सभी से निवेदन है कि समाज के साथ राजनीतिक खेल न खेले
😂😂😂tumlog karigar kumbhar hoo
ये गलत बता रहा h 😂
कुमावत समाज का नाम कुमावत आया ही 200 साल पहले h 😂
कुमावत वो लोग h जो राजपूत/ क्षेत्रीय समाज से अलग हुए जो को हर गोत्र की राव भाट की वंशावली और कुलदेवी वही मानते h इस का सबूत h
पर कुमावत समाज को कुम्हार बना देना वो शब्द की गलती h q की वनसावली में कुमार या मारू कुमार या मेवाड़ी कुमार शब्द h ना की 4कुम्हार
और कुम्हार और कुमार शब्द में काफी अंतर h
कुछ मेवाड़ साइड में राजकुमार और सिलावट शब्द भी वनसावली में h
पर राजस्थान में हर जिले में कुमावत समाज रहता h कही खुद को कुम्हार भी बताता h सिर्फ कुमार शब्द के कारण न की मट्टी के बर्तन बनाने के कारण।
अब m बताता हु कुमार/ मारू कुमार/ राजकुमार/ शिलावाट/ कुमावत कोन h ?
बे सक हर जाति किसी न किसी व्यवसाय से जुडी h इसी तरह कुमावत समाज भी शिल्पकला, स्थापत्य कला से जुड़ा हुआ था जो कि मेवाड़ में मंडन और शेखावाटी में अलग अलग गोत्र के कुमावत पेंटर के नाम से पता चलता h
और 1300 ईसा से क्षेत्रीय समाज से अलग हुआ था
तो क्षेत्रीय कर्म से और जन्म से भी क्षेत्रीय h केसे?
वो ऐसे की वंशावली देखे तो बहुत से कुमावत झुंझार हुए h सर कटने के बाद भी लड़े h अलग अलग युद्धों में इस से साबित हहोता b कुमावत समाज भी युद्धों में सेना रूप में सक्रिय था
और कही मंदिर और समाधि भी बनी h
जैसे बीकानेर सुधरना में देदा जी मंगलव का मंदिर
ओर जैसलमेर में घड़सी जी मंगलराओ का
और अलग अलग गौत्र जैसे नोखवाल में कालो जी और धन्ना जी नोखवाल झुंझार हुए
बोरावट गोत्र में कुंवर सिंग बोरावट गौ मुस्लिम से छुड़ाते हुऐ झुंजार हुए
और गेधर गोत्र, टाक गोत्र, महार गोत्र, .... etc में भी बहुत से झंझार हुए
बाकी लामबदारी भी कुमावतो ने की h जो की क्षत्रिय लगाने का कारण h
जेसे बहादुर सिंग करगवाल गोत्र का अबोहर पंजाब डांगरखेड गांव के आसपास की लामबदारी और महाराजा गंगा सिंग के पुत्र के साथ उन की हवेली पर तस्वीर भी h और उन का परिवार आज भी थाट से रहता h
ऐसे ही रामा जी ढूंढारा 12 गांव के ठिकानेदार रहे और जयपुर रियासत में जैलदार रहे वो भी ढूंढा रा गोत्र के कुमावत ही h उन का परिसर भी कुमावत समाज से जुड़ा h
बाकी और बहुत h
जैसे सर प्रताप सिंग जोधपुर के टाइम घोडेला गौत्र के उदय राम सिंग घोडेला को तलवार और सोने के कड़े से समानित करना
....
ये ताराचंद जी के पास कोई प्रामाणिक इतिहास नहीं है , किसी भी हवेली पर कारीगर को कुमावत नाम नहीं लिखा हुआ है, जिन गोत्र की ये बात कर रहे है वो बहुत से समाज में हुबूहू है
Bahut bahut dhanyawad tarachand ji
SILAWAT SAMAJ KE BAARE ME BHI BATIYE
Bahut badhiya video
Namaste hum maharastra se hai hamara gotra babirval hai hamare kuldevat ka pata nahi chal raha hai toh plz aap bata shakte ho kya ???
ताराचंद जी द्वारा बताई गई इतिहास को में हजार पर्सेंट दावे के साथ खंडन करता हूं इसके कोई तथ्य प्रमाण नहीं! ओबीसी लेने के लिए इतिहास को दबाया जा रहा है पिछले लगभग 20 सालों से
OBC में तो पहले से ही है | लेने की जरुरत ही कहाँ है ?
@@gyandarpanहुकूम 1994में कुम्हार ( प्रजापति) को बाकी ओबीसी जातियों की तरह ओबीसी वर्ग के कॉलम 30 में दर्ज किया था , लेकिन कुमावत क्षत्रियों को 1999 तक ओबीसी में आरक्षण नहीं था , तब जयपुर की कुमावत महासभा जिसमें ताराचंदजी के पूर्वजों ने समाज को आरक्षण का लाभ दिलाने के लिए इन कुमावत क्षत्रिय समाज को राजनीतिवश कुम्हार समाज की उपजाति बताकर ओबीसी के कॉलम 30(a) में कुम्हार/प्रजापति और 30(b) में कुमावत एड करवा दिया और उसी दिन से इन क्षत्रियों की पहचान खत्म होती जा रही है और इस समाज की पहचान शिल्पकला से कर रहे है , आप ओबीसी आयोग की pdf pdo , पूरी जानकारी मिल जाएगी
@@gyandarpan OBC मिला नहीं हे महोदय पर इन ताराचंद जैसे कई राजनीतिक लोगो ने अपने आप को कुम्हार दिखा दिखा के असली कुम्हारों का हक़ छीना हे । कुमावत ना ही कुम्हार हे नाहीं शिल्पी । ये सब ओबीसी के चक्कर में राजनीतिकरण किया गया हे पिछले ५० सालों में और समाज के भोले भाले लोगो के मज़ाक़ बनाया गया ह पिछड़ो में शामिल करके । इनके पास कोई तथ्य नहीं हे की उनके पूर्वज ने ऐसे कोई काम किए हे लेकिन हमारे पूर्वजों के कई लड़ैया लड़ी हे और कई वीर-वीरांगनाएँ झुँझार और सत्ती हुए उसके प्रमाण आपको मारवाड़ राजस्थान के हरेक जिले और परिवार के राव-भात की पोथियों में मिल जाएँगे । और रही बात आदिकाल में भवन निर्माण की तो जंग रोज़ रोज़ तो नहीं होती थी , शायद २-५ साल या १० साल में होती थी , तब सेना में रहे क्षत्रिय योद्धाओं शौर्य का वो हर काम करते थे जिसमे पुरूषार्त और मेहनत का परिचय दिया जाता था । खेर बाक़ी तो सब मन-घड़त बातें हे जिसको जो समाज आया उसने अपने आपको वो जाती के धागे में परो लिया लेकिन सच्चाई कभी नहीं बदलेगी ।
@@gyandarpanआदरणीय रतन सिंह जी हुक्म मैं मां भादरिया राय भाटी सरदारों की कुलदेवी को नमन करते हुए आपसे अर्ज करना चाहूंगा हुकम यह तारिया वही धोबी है हुक्म जिसने भगवान श्री राम को भडकाया था कि माता सीता तो 9 महीने लंका में रह कर आई है ऐसा अनाब्ब सनाब बक कर उस रात माता सीता को वनवास दिलवाया था और भगवान श्री राम की पवित्र नगरी पूरी अयोध्या का माहौल खराब किया था यह वही धोबी है नीच कहीं का हुक्म यह एक टाइम का 10 किलो मांस तीतर बटेर तिलोर खरगोश कोबरा नाग इत्यादि खाता है हुकुम चाहे इसके घर पर इसका फ्रीज चेक करवा लो यह पूरी उम्र जेल में रहना चाहिए और अब इसने कलयुग में तारिया के रूप में जन्म लिया है और एक क्षत्रिय जाति को कारीगर शिल्पकार बताकर बहका रहा है हुक्म
और हुकुम आपने एक सवाल क्यों नहीं किया इन ताराचंद से कि जब आप लोग खानदानी शिल्पकार कारीगर हो तो आप का समाज कुमावत क्षत्रिय क्यों लग रहा है और उसे दिन ओम बिरला ने आपको क्षत्रिय क्यों कहा स्टेज पर या फिर हम यह माने की क्षत्रिय कारीगर शिल्पकार भी हो होता है पूरा मामला क्लियर तो करो क्षत्रिय भी यह लोग राजाओं के समय से हैं आज कल से नहीं उसके अनेक प्रमाण है😂 और कुम्हार प्रजापत जाति से इन का कोई जातीय संबंध कभी नहीं रहा है
Good
ताराचंद आपने तीन सौ पचास पेज की रिसर्च करली है उसको एक किताब की शक्ल में प्रकाशित करवा कर सभी को उपलब्ध करवाए प्लीज सर जी
कहा से लाते हो एसे इतिहास के एक साइड तो तुम लोग कुम्हार प्रजापति से अलग बताकर खुद को राजपूत से उत्पन जाती मानते हो एक ओर उनके साथ मिल कर आदिकलिन्न जाती होने का गर्व करते हो डूब मरो किया इतिहास बताओगे तुम लोग तुम्हारे ही लोग प्रजापति कह रहे ह ओर तुम्हारे ही लोग उनसे अलग मानते हो ओर कुछ लोग अलग ही कहानी बता रहे ह बुरा जरूर लगेगा तुम को लेकिन सत्य होता है वह कड़वा होता ह
तुम जेसलमेर जाके देखो
एक अकेला ताराचंद बोलता है कि में शिल्पी हूं और इनका पूरा समाज बोलता है की हम क्षत्रिय कुमावत राजपूत है। तो जरा सोचिए अकेला ताराचंद सही है की बाकी का पूरा समाज। हुक्म इस ताराचंद को राजनीति कर के आरक्षण चाहिए
👌💐🙏
ताराचंद झूट बोल रहा है कुमावत नाम कुछ साल पहले ही पर्चलन मे आया है ये नाम पहले नही था और रही बात शिल्पकार की तो कुमावत शिल्पकार जाती नही है ये आदमी राजनीतिक फायदा ले रह ह अपना हमने अपने पूर्वजों से कभी नही सुना की कोई कुमावत नाम की जाती h or उसने किले बनाए हैं हा इसके पूर्वजों ने जरूर मकान बनाए होंगे
ek ko kumhar bolne me dikkat aa rhi h 😂
Ye tarachand galat bol rha hai , kumawat kshtriya bolte aye hai hmare purvaj hme , or kshtriya kewal rajput hi hai , tarachand ji ka kumawat ko sthaptya kala se jodna inka swayam ka rajnaitik fayda hai taki inko sthaptya kala board se aarthik fayda mil sake , ye to esa insan hai jo khud ke personal artik fayde ke liye ek kshtrya kaum ko shilpkala me uljha rha gai
कुमावत समाज ठि.चितौड गढ
कुमावत शिक्षा के क्षेत्र में दुनिया की पिछड़ी जाति है
कुमावत निर्माण कार्य करते थे तो सूथार कया करते थे हुक्म यह भी बताओ हमारे यहा तो कुमाहर ईट, मटकी, तवा ,कूलर यह ही बनाते थे बाकी जितने निर्माण कार्य है वो वश सूतार खाती समाज के लोग करते थे
सुथार लकड़ी का काम करते हैं | कुम्हारों में दो है एक मिटटी का काम करने वाले और दूसरे पत्थरों का काम करने वाले जिन्हें हमारे यहाँ चेजारा कहते हैं |
@@gyandarpan OK hkm
संस्कृत सूत्रधार के अपभ्रंश रूप सूतराड़ (मारवाड़ में)/सुथार &सुतार (हिंदी में) है।
प्राचीन भारतीय साहित्य में सूत्रधार मंच निर्माण कार्य किया करते थे,आज भी गांवों में सूतराड़ो का काम लकड़ी के औजारों, फर्नीचर को बनाने का ही।कभी कभार पक्के मकान निर्माण कार्य भी करते हैं। खाती /काटी शब्द काष्ठकार का अपभ्रंश रूप है,पर ये अपने को काटी के स्थान पर सूतराड़ कहलाना अधिक पसंद करते है।अब तो जांगिड भी लगाना शुरू किया शहरीकरण से।
@@gyandarpan sir Mandan ,Natho,Pamo etc Archetect of VijayStambh of Chittorgarh called ourSelf as SutrDhaar (Sutrar/Suthar).
Kumawat samaj ki documentry b bnani chahiye ❤ Kumawat डॉक्यूमेंट्री
Ye khanada gotra to sutar me bhi hai , or btahmano me bhi hai , ye sab politics ke chakkar me samaj ko shilpi bta rhe hai , baki hmara samaj hi nhi manta ki hum shilpkar hai , ye khud ke fayde ke liye fb or google par farji shilpkala ka chutiyapa dalta hai
राजपूत समाज को सहयोग करना चाहिए ताराचंद जी का। ठिकानों के गढ़ों का निर्माण किसने किया ये ठिकानेदारों को पता होता है।
किस्या भी किला पर कुमावता को नाम कोनी, ओ ताराचंद फालतु की बाता बता रियो है और ओ इक्का समाज को ही कोणी
कुमावत नाम से ये लोग राजनीति कर रहे है आरक्षण कि हुक्म।
तने के Leno है
गड गागरोन पै वीडियो बनाओ सा
Ye tarachand ji ke chakkar me mat ao , koi kumawat kshtriya inko nhi manta or ye khud hi neta bne hue baithe hai , inhone interview me sari farji bate kahi hai , hum rajputo ko shilpi btaker hmare kshtriyatv ka apman kiya hai , ye kahi bhi pahuch jate hai kya , hmare kumawat kshtriya sangthan se interview kerwaoge to apko satyata malum chlegi ki ek rajput samuday ko shilpkala board se bajat or nokri ke fayde ki raniti me kaise shilpkar btaya ja rha hai
100% इतिहास गलत कह रहा है इनका दिमाग सटक गया ताराचंद अगर यही इतिहास है जो उनका मीडिया पर कवर करने वाले भी राजपूत मेरे ख्याल से रतन सिंह नाम अरे हुकुम आप एक राजपूत होते हुए हैं यह बताओ कि राजपूतों के महल हवेलिया जब बनाए थे तब आप इन लोगों को क्या मानते बहुत ही बड़ी दुर्भाग्य की बात है एक राजपूत होकर भी ऐसे मान गड़त में इतिहास को कैसे शूट करते बहुत ही बड़ा शर्मा की
Tene ज्यादा pto ह के 😊
@@sahilkumarre1610हा इनको पता ह कभी मिलना इनसे की रियल टी में इतिहास किया ह
Well done bhut hi acha har smaj ka bharat ke nirman mai yogdan hai apni apni jgh dusre ko bap ko apna banane ki jgh apne bapo ke karmo ko dhoondhna chalu kre ye gauchar to kam se kam 36kom ke samne beshrm to nhi khlate
Kumawat samaj par short film banani chahiye
ताराचंद जी
इतिहास के प्रति आपकी लग्न और सूक्ष्म दृष्टिकोण बहुत ही शानदार हैं।ताराचंद जी। हर विचार का तीन चरणों में गुजरता है। उपहास -विरोध -ग्रहण।
आप बस काम करिए और साक्ष्य के साथ। समय आपकी गवाही देगा।
Prajapat and kumawat same hai aaj vivah aur sab mil ke rah rahe hai ,
Tarachand ji ko kumawat surname ka tyag kerna chahiye or surname chejara/ karigar/ shilpkar kerna chahiye , nhi to hum sare kshtriya ikkatte hoker inke khilaf avshayak nirnay lenge or inhe dandit kiya jayega
कुमावत शिल्पिका उनका जन्म कहां से कोई भी जाति होती है कैसी ही जाती उसे जाति का जीवन काल से ही पुराना इतिहास होता यह ताराचंद अंधेरे में देसी घी को इंडिका तेल बता वह क्या कमाल इन लोगों की बुद्धि कैसे हो जाती है
Kisi samaj par ungli uthana aasan h, apne bap dadao se pucho jin gharo me tum rahate ho unko kisne banaya h firf Or sirf kumawat aaj ke time me to har samaj is kaam me aa gaya, jake pucho bhilwada, jalor, jesalmer, jodhpur, karoli, jaha pathar ki khane h aaj bhi, pathar ki ghadaai Or chinai srf kumawat hi karte the karte h Oro se hoti hi nahi ye hi saty h babu logo....... Aaj pathar masino se kat raha h lekin pathar ki bai, darwaje, jharoke, jaliya, banane ki fectriya kumawato ki h vijit kar lena.... Kaladera rico, manda rico, jhotwada, kisangarh renwal bahut sari h, bhilwada, katni, bhim, yaha tak ki maharastra, benglor, gujrat, kisi ke bare me dekho socho samjho fir likho
Great
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बहुत ही अच्छी जानकारी दी गई सा 🙏🙏
Bhai yeh Galat Itihas h 😂
Lagta hai apke pass sahi jankari hai...pls share kijiye