🅷🅴🅻🅿 🆄🆂 - इसी प्रकार वीडियो के निरंतर निर्माण हेतु अनेक प्रसाधनों की आवश्यकता होती है। जिस हेतु आप चाहें तो निम्न प्रकल्प से हमारी टीम का सहयोग भी कर सकते हैं। 💰 🅢🅤🅟🅔🅡 🅣🅗🅐🅝🅚🅢 - आप हमें Super Thanks दे सकते हैं। वीडियो के नाम के नीचे जहाँ वीडियो को शेयर करने का विकल्प होता है, उसके आसपास ही Super Thanks का भी बटन होता है। उसे क्लिक करें। 🤝 🅙🅞🅘🅝 🅞🅤🅡 🅒🅗🅐🅝🅝🅔🅛 - th-cam.com/channels/cPqB5sXShlzaXkDMq3MCiw.htmljoin Know more about joining us - aacharyashri.in/yt-members/ 💸 🅓🅞🅝🅐🅣🅔 🅤🅢 - aacharyashri.in/donate/
यदि आपका यज्ञोपवीत उचित समय में एवं आपके ही वेद के गुरु द्वारा गायत्रीदीक्षासंपन्न हुआ एवं आप नित्य संध्या करते हैं, तब कर सकते हैं। अन्यथा कृष्णाय नमः ठीक रहेगा।
क्या उन्हें संस्कृत भाषा का ज्ञान है? क्योंकि हम सब शास्त्रार्थ संस्कृत में ही करते हैं। दूसरी बात, वो मानने वाला नहीं। सांंप के आगे बीन काम आती है और भैंस के आगे डंडा। whatsapp.com/channel/0029Va6ABay77qVOD9UEDN11
उसके लिये तो Sanatan Samiksha ही काफी है। th-cam.com/users/liveXDB5gpD5Wbw?si=LFd5okc-qZGwCaLd हमारे साथ शास्त्रार्थ करने हेतु उसे संस्कृत सीखनी पड़ेगी। हमारे परंपरागत शास्त्रार्थ संस्कृत भाषा में होते हैं।
वही उत्तर दे , जिसे प्रामाणिक शास्त्रीय संदर्भ ज्ञात हों , अपने मन की बात मत करना । प्रश्न : अगर कोई स्त्री पुरुष Masturbate ( हस्तमैथुन आदि से केवल वीर्यपात ) करले लेकिन कभी भी किसी भी अन्य पुरुष स्त्री को छुआ तक नहीं ( मतलब कभी भी संभोग नहीं किया ) , तब क्या उनका कौमार्य भंग ( Non Virgin ) माना जाएगा ? क्या Masturbate ( हस्तमैथुन आदि ) करने से उसकी Virginity Loose कर देती है ? इसमें धर्म शास्त्रों का क्या मत है ।।
प्रणाम आचार्य जी! कृपया मार्कण्डेय स्मृति के गायत्री वर्ण निर्णयःपर व्याख्यान दें। किस शास्त्र में पाठकाले वरेण्यं स्यात् जपकाले वरेण्यियम वचन प्राप्त होता है? मैने ब्रह्म पुराण में ढूंढा, किंतु नहीं पा सका। कृपया इस विषय अपना शास्त्र संदर्भ युक्त वक्तव्य दें। जय भगवती !
Maharaj ji aapne ek khabar suna hai.. Mamta kulkarni mahamandaleshwar bama diya gya.. Yeh akahda to mann marzi vhala rahe.. Kisi ko bhi sadhu bana dete hai jaise koi chocolate ho. Inko akdha nhi kotha hona chahie.. Kaise dharam hai jo kuch marzi kar rahe... Ish se dharm ka patan hi hoga. Bidhi ko thod kar aapni ego ki chala kar hindu hone ka dhang kar rahe.
शास्त्रों में स्थित यत्रतत्र "इज्याध्ययनदानानि......." आदि उक्तियों में यह तो सिद्ध ही है। मनुस्मृति में भी यथावत्, भाग २ में श्लोकप्रमाण सहित वर्णन किया गया। आपका प्रश्न यदि यह है कि अध्यापन से धनार्जन कैसे, तो बता दें कि यहाँ शास्त्रों का तात्पर्य गुरुदक्षिणा से है। शुल्क एवं दक्षिणा में अंतर यह है कि शुल्क किसी भी कार्य के पूर्व में दिया जाता है या बद्ध हो जाता है अर्थात् निश्चित् होता है कि आप यदि शिक्षक हैं तो आपको प्रतिमास 30,000 मिलेगा। दक्षिणा अंतिम में दी जाती है। न तो निश्चित् ही होती है। न तो आपको उसमें आपत्ति ही करना है जैसेकि शुल्क में न्यूनता पर सेवक आपत्ति कर सकता है। गुरुकुल में शिक्षा देने के पश्चात् जो गुरुदक्षिणा मिले, वही ब्राह्मणों की मुख्य आजीविका है।
जब उसमें सनातन सिद्धान्त से भिन्न कुछ नहीं तो क्यों न मानें? तुमने माई का दूध पिया है तो उसे वेदविरुद्ध प्रमाणित कर दो। हम मानना छोड़ देंगे। दांत निपोरने से क्या होगा रे बकलोल? जहाँ तक नास्तिकों की बात है, वे मूर्ख होते हैं। ईश्वरीय सत्ता को किसी भी स्थिति में नहीं मानते न तो यह भी प्रमाणित ही कर पाते हैं कि ईश्वर नहीं है। नास्तिक तो आदि से ही विद्यमान हैं। कोई नए नहीं। वे भाषा भी धर्म की (संस्कृत, अंग्रेजी, हिन्दी, तमिल आदि सबके विकास में धर्म का बड़ा योगदान है) बोलेंगे। मातापिता के पैर भी छूएंगे, नमस्कार हेतु हाथ भी जोड़ेंगे, कपड़े भी पहनेंगे। किन्तु इन संस्कृति प्रदत्त नियमों को मानते हुए संस्कृति के मूल धर्म को ही नहीं मानेंगे। इन धूर्त नास्तिकों को तो नं गे घूमना चाहिये। वस्त्रविधि आदि सबकुछ धर्म की देन होती है। धर्म से हीन व्यक्ति जन्तुवत् ही होता है। मनुष्य तो कहलाएगा नहीं क्योंकि मनुष्य तो मनु की संताने हैं। नास्तिक चाहे अंग्रेजी में Human कहे जाएं किन्तु हिन्दी आदि भाषाओं में न तो मनुष्य और मानव, न तो आदमी कहलाने योग्य हैं। वे जानवर हैं। समझे रे चपटगंजू 😁 तेरा स्तर क्या है! शौचालय में शौच न किया कर। वह भी सभ्यता की देन है।
Aajka Brahman kal ka Chandal tha , aajka Chandal Kal ka Brahman tha .. Sab Prakriti ki maya hai , paap punya ke karan sab upar niche hote rehte hai . Ataev Jati ka Abhiman na kare , Bina kisi Ahankar ke apne swadharm ka palan kare aur Bhagwat praapti kare . Jati ka Abhiman ek maya matra hai , Moorkh log hi Jati ka dambh palte hai woh Shudra adi jatiyon ko Nicha mante hai . Buddhiman Vaikti sab me Bhagwat darshan karta hai aur sabke kalyan ke bareme sochta hai , aur jati ko maya matra manta hai aur keval apne swadharm pe dhan deta hai .
जाति का अभिमान नहीं करना चाहिये। तदपि वर्णव्यवस्था में पूर्वजन्म की कर्मगत पात्रता के अनुरूप प्राप्त योनि के कारण श्रेष्ठता की कल्पना है जिसे नकारा नहीं जा सकता। किन्तु उसका उद्देश्य हेयार्थक नहीं अपितु अश्रेष्ठ वर्णों द्वारा श्रेष्ठों का अनुकरण हो और वे भी श्रेष्ठता को प्राप्त हों, ये है। इससे ब्राह्मणों की सम्यक्तया परीक्षा भी होती है। हरि॥
आचार्य जी ब्राह्मण को देश छोडके या फिर समुद्र पार नहीं कर शकते. मेरा प्रश्न ये है कि जो ब्राह्मण इंटरनॅशनल कंपनी मे काम करता है या फिर अपने कंपनी के काम हेतू परदेश जाता है तो क्या उसे पाप लगता है और अगर लगता है तो प्रायश्चित क्या है 🙏
वस्तुत, नौकरी करने वाले ब्राह्मण पतित कोटि के ही होते हैं। ऐसे में, समुद्र यात्रा का क्या ही चिन्तन करे वह? जबकि वह नाममात्र का ब्राह्मण है। whatsapp.com/channel/0029Va6ABay77qVOD9UEDN11
जय श्रीमन्नारायण 🚩🚩🚩 गुणद्वय से हीन ब्राह्मण को कुछ भी प्राप्त नहीं होता तथा गुणद्वय (तप, विद्या) से संपन्न ब्राह्मण की महिमा मनुस्मृति में गायी गई है प्रणाम। श्री कौशलेंद्र कृष्ण जी आपसे से एक जिज्ञासा है कि जो आप तिलक धारण करते हैं वो कौन से संप्रदाय का है?
वैसे यहाँ प्रश्न का उत्तर आचार होगा। तदपि आपने उत्तर दिया, अर्थात् आपने वीडियो को पूरा देखा। यही महत्वपूर्ण है। और हाँ, गुणत्रय की चर्चा हुई। योनि भी गुण ही है। whatsapp.com/channel/0029Va6ABay77qVOD9UEDN11
🅷🅴🅻🅿 🆄🆂 - इसी प्रकार वीडियो के निरंतर निर्माण हेतु अनेक प्रसाधनों की आवश्यकता होती है। जिस हेतु आप चाहें तो निम्न प्रकल्प से हमारी टीम का सहयोग भी कर सकते हैं।
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गुरुजी कया हम ओम कृष्णाय नमः मंत्र का जप कर सकते है।
यदि आपका यज्ञोपवीत उचित समय में एवं आपके ही वेद के गुरु द्वारा गायत्रीदीक्षासंपन्न हुआ एवं आप नित्य संध्या करते हैं, तब कर सकते हैं। अन्यथा कृष्णाय नमः ठीक रहेगा।
Bhramar ke ghyan se hi Bharat desh 700 varso Tak gulam raha
कभी वाराहमिहिर, भास्कराचार्य, आर्यभट्ट, सायण, चरक आदि का नाम सुना है??
Suna h to is se kya pta chalta
@@Kaushalendrakrishna गुरुजी कया हम ओम कृष्णाय नमः मंत्र का जप कर सकते है।
Aap please science journey sj se debate kre ❤
क्या उन्हें संस्कृत भाषा का ज्ञान है? क्योंकि हम सब शास्त्रार्थ संस्कृत में ही करते हैं। दूसरी बात, वो मानने वाला नहीं। सांंप के आगे बीन काम आती है और भैंस के आगे डंडा। whatsapp.com/channel/0029Va6ABay77qVOD9UEDN11
Kabhi nhi krega 😂😂😂😂😂
ओम कृष्णाय नमः
कोई प्रामाणिक गुरुकुल बताएं प्रभु जहां शास्त्रों का प्रामाणिक रीति से अध्ययन करने के लिए छोटे ब्राह्मणों को भेजा जा सके l
All world's Brahman ke khilaf hai 😢😢😢
Science journey se debate kro us se bada Brahman india me nhi hai 😂😂😂😂😂😂😂
उसके लिये तो Sanatan Samiksha ही काफी है। th-cam.com/users/liveXDB5gpD5Wbw?si=LFd5okc-qZGwCaLd हमारे साथ शास्त्रार्थ करने हेतु उसे संस्कृत सीखनी पड़ेगी। हमारे परंपरागत शास्त्रार्थ संस्कृत भाषा में होते हैं।
Mahraj kya karan hai ki ladki apne se chote age ke ladke ke sath vivah nahi kar sakti batane ki kripa kare
अग्रजों की प्राकृति व्याख्या के कारण।
वही उत्तर दे , जिसे प्रामाणिक शास्त्रीय संदर्भ ज्ञात हों , अपने मन की बात मत करना ।
प्रश्न : अगर कोई स्त्री पुरुष Masturbate ( हस्तमैथुन आदि से केवल वीर्यपात ) करले लेकिन कभी भी किसी भी अन्य पुरुष स्त्री को छुआ तक नहीं ( मतलब कभी भी संभोग नहीं किया ) , तब क्या उनका कौमार्य भंग ( Non Virgin ) माना जाएगा ? क्या Masturbate ( हस्तमैथुन आदि ) करने से उसकी Virginity Loose कर देती है ?
इसमें धर्म शास्त्रों का क्या मत है ।।
गुरुजी ब्रह्मज्ञान से
प्रणाम आचार्य जी! कृपया मार्कण्डेय स्मृति के गायत्री वर्ण निर्णयःपर व्याख्यान दें। किस शास्त्र में पाठकाले वरेण्यं स्यात् जपकाले वरेण्यियम वचन प्राप्त होता है? मैने ब्रह्म पुराण में ढूंढा, किंतु नहीं पा सका। कृपया इस विषय अपना शास्त्र संदर्भ युक्त वक्तव्य दें। जय भगवती !
नारायण 🌺🙏
हरि whatsapp.com/channel/0029Va6ABay77qVOD9UEDN11
Maharaj ji aapne ek khabar suna hai..
Mamta kulkarni mahamandaleshwar bama diya gya..
Yeh akahda to mann marzi vhala rahe..
Kisi ko bhi sadhu bana dete hai jaise koi chocolate ho.
Inko akdha nhi kotha hona chahie..
Kaise dharam hai jo kuch marzi kar rahe...
Ish se dharm ka patan hi hoga.
Bidhi ko thod kar aapni ego ki chala kar hindu hone ka dhang kar rahe.
हरि
🙏🙏🙏
हरि॥ whatsapp.com/channel/0029Va6ABay77qVOD9UEDN11
@Kaushalendrakrishna हम पहले से जुड़े हुए हैं
कोई बात नहीं। यह स्वचालित रूप से कई कमेंट्स में जुड़ जाता है। whatsapp.com/channel/0029Va6ABay77qVOD9UEDN11
Adhyapan se aajivika kaise prapt hoga ? Padha ke paise (fees) lenge kya ? Fir toh vidya bechne jaisi baat ho gai !
शास्त्रों में स्थित यत्रतत्र "इज्याध्ययनदानानि......." आदि उक्तियों में यह तो सिद्ध ही है। मनुस्मृति में भी यथावत्, भाग २ में श्लोकप्रमाण सहित वर्णन किया गया। आपका प्रश्न यदि यह है कि अध्यापन से धनार्जन कैसे, तो बता दें कि यहाँ शास्त्रों का तात्पर्य गुरुदक्षिणा से है। शुल्क एवं दक्षिणा में अंतर यह है कि शुल्क किसी भी कार्य के पूर्व में दिया जाता है या बद्ध हो जाता है अर्थात् निश्चित् होता है कि आप यदि शिक्षक हैं तो आपको प्रतिमास 30,000 मिलेगा। दक्षिणा अंतिम में दी जाती है। न तो निश्चित् ही होती है। न तो आपको उसमें आपत्ति ही करना है जैसेकि शुल्क में न्यूनता पर सेवक आपत्ति कर सकता है। गुरुकुल में शिक्षा देने के पश्चात् जो गुरुदक्षिणा मिले, वही ब्राह्मणों की मुख्य आजीविका है।
Chahe kuch bhi ho jaaye Brahman apni nautanki kabhi band nhi krega 😂😂😂 manusmriti ko maanega hi maanega
जब उसमें सनातन सिद्धान्त से भिन्न कुछ नहीं तो क्यों न मानें? तुमने माई का दूध पिया है तो उसे वेदविरुद्ध प्रमाणित कर दो। हम मानना छोड़ देंगे। दांत निपोरने से क्या होगा रे बकलोल? जहाँ तक नास्तिकों की बात है, वे मूर्ख होते हैं। ईश्वरीय सत्ता को किसी भी स्थिति में नहीं मानते न तो यह भी प्रमाणित ही कर पाते हैं कि ईश्वर नहीं है। नास्तिक तो आदि से ही विद्यमान हैं। कोई नए नहीं। वे भाषा भी धर्म की (संस्कृत, अंग्रेजी, हिन्दी, तमिल आदि सबके विकास में धर्म का बड़ा योगदान है) बोलेंगे। मातापिता के पैर भी छूएंगे, नमस्कार हेतु हाथ भी जोड़ेंगे, कपड़े भी पहनेंगे। किन्तु इन संस्कृति प्रदत्त नियमों को मानते हुए संस्कृति के मूल धर्म को ही नहीं मानेंगे। इन धूर्त नास्तिकों को तो नं गे घूमना चाहिये। वस्त्रविधि आदि सबकुछ धर्म की देन होती है। धर्म से हीन व्यक्ति जन्तुवत् ही होता है। मनुष्य तो कहलाएगा नहीं क्योंकि मनुष्य तो मनु की संताने हैं। नास्तिक चाहे अंग्रेजी में Human कहे जाएं किन्तु हिन्दी आदि भाषाओं में न तो मनुष्य और मानव, न तो आदमी कहलाने योग्य हैं। वे जानवर हैं। समझे रे चपटगंजू 😁 तेरा स्तर क्या है! शौचालय में शौच न किया कर। वह भी सभ्यता की देन है।
अगर उसके मालिक ने परदेश जाणे बोलता है तो क्या उस ब्राह्मण लडके को परदेश गमन का पाप लगता है. तो उसका प्रायश्चित क्या है आचार्य🙏
प्रायश्चित्त कारकों पर निर्भर करेगा न!
Aajka Brahman kal ka Chandal tha , aajka Chandal Kal ka Brahman tha .. Sab Prakriti ki maya hai , paap punya ke karan sab upar niche hote rehte hai . Ataev Jati ka Abhiman na kare , Bina kisi Ahankar ke apne swadharm ka palan kare aur Bhagwat praapti kare .
Jati ka Abhiman ek maya matra hai , Moorkh log hi Jati ka dambh palte hai woh Shudra adi jatiyon ko Nicha mante hai . Buddhiman Vaikti sab me Bhagwat darshan karta hai aur sabke kalyan ke bareme sochta hai , aur jati ko maya matra manta hai aur keval apne swadharm pe dhan deta hai .
जाति का अभिमान नहीं करना चाहिये। तदपि वर्णव्यवस्था में पूर्वजन्म की कर्मगत पात्रता के अनुरूप प्राप्त योनि के कारण श्रेष्ठता की कल्पना है जिसे नकारा नहीं जा सकता। किन्तु उसका उद्देश्य हेयार्थक नहीं अपितु अश्रेष्ठ वर्णों द्वारा श्रेष्ठों का अनुकरण हो और वे भी श्रेष्ठता को प्राप्त हों, ये है। इससे ब्राह्मणों की सम्यक्तया परीक्षा भी होती है। हरि॥
हा जैसे तुम आरक्षण के लिए शुद्र बन गये हो फर्जी सर्टिफिकेट है ना तुम्हारे पास 😂😂
@@dr.gyansharma6458 koi Shudra nahi ban sakta , Shudra janm se hota hai . Aur konse Farzi certificate ke bareme bol rahe ho bhai ?
@@Aneek_Debnath_017 toh fir chaaro varn ke log janam se hote hai
Or frzi certificate ka toh pata chal jayega jab sarkar cast census karegi tab
@@Aneek_Debnath_017 jis prakar koi shudra nahi ban sakta hai ushi prakar brahman, kshtriya, or vaishy bhi janam se hote h koi ban nahi sakta hai
🌺🌺🌺🙏🙏🙏
आचार्य जी ब्राह्मण को देश छोडके या फिर समुद्र पार नहीं कर शकते. मेरा प्रश्न ये है कि जो ब्राह्मण इंटरनॅशनल कंपनी मे काम करता है या फिर अपने कंपनी के काम हेतू परदेश जाता है तो क्या उसे पाप लगता है और अगर लगता है तो प्रायश्चित क्या है 🙏
वस्तुत, नौकरी करने वाले ब्राह्मण पतित कोटि के ही होते हैं। ऐसे में, समुद्र यात्रा का क्या ही चिन्तन करे वह? जबकि वह नाममात्र का ब्राह्मण है। whatsapp.com/channel/0029Va6ABay77qVOD9UEDN11
Jati Vidya aur Tap
आपका आभार
हरि whatsapp.com/channel/0029Va6ABay77qVOD9UEDN11
Science journey se debate karo
जिससे हमें क्या लाभ होगा?? क्या वह मानेंगे? क्या उन्हें संस्कृत का ज्ञान है? क्योंकि हमारी परंपरा में शास्त्रार्थ संस्कृत में ही होता है।
जय श्रीमन्नारायण 🚩🚩🚩
गुणद्वय से हीन ब्राह्मण को कुछ भी प्राप्त नहीं होता तथा गुणद्वय (तप, विद्या) से संपन्न ब्राह्मण की महिमा मनुस्मृति में गायी गई है प्रणाम।
श्री कौशलेंद्र कृष्ण जी आपसे से एक जिज्ञासा है कि जो आप तिलक धारण करते हैं वो कौन से संप्रदाय का है?
वैसे यहाँ प्रश्न का उत्तर आचार होगा। तदपि आपने उत्तर दिया, अर्थात् आपने वीडियो को पूरा देखा। यही महत्वपूर्ण है। और हाँ, गुणत्रय की चर्चा हुई। योनि भी गुण ही है। whatsapp.com/channel/0029Va6ABay77qVOD9UEDN11
@@Kaushalendrakrishna आपका धन्यवाद मुझे ठीक करने के लिए, आपसे यह निवेदन है कि जो मैंने जिज्ञासा आपके समक्ष की थी उसका समाधान कृपया करें।