26 ब्रह्मसत्यं जगन्मिथ्या? अहं ब्रह्मास्मि? मुक्ति से लौटी शुद्ध आत्मा गलत कर्म क्यों करती है?
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- เผยแพร่เมื่อ 17 พ.ค. 2024
- Aarsh Nyas - is organization driven by vedic scholars, which has sole purpose of making ved , upanishad and darshan understanding in easy and scientific way.
विश्व के सभी मनुष्य दुःख को दूर कर सुख को प्राप्त करना चाहते हैं, दुःख का कारण अज्ञान है, सभी ज्ञान का मुख्य स्रोत वेद है. महर्षि मनु ने "सर्वज्ञानमयो हि स:" कह कर वेद को ही समस्त ज्ञान का मूल माना है, "वेदोsखिलो धर्ममूलम्" मनुस्मृति २-६ में वेद को धर्म का मूल उलेखित किया है, "धर्मं जिज्ञासमानानाम् प्रमाणम् परमं श्रुति: " अर्थात् जो धर्म का ज्ञान प्राप्त करना चाहते हैं उनके लिए परम प्रमाण वेद है.
इन आर्ष ग्रंथों के सरलतम रूप में प्रचार प्रसार एवं इससे सम्बंधित कार्य में कार्यरत ब्रह्मचारी, संन्यासी आर्यवीरों के सहयोग हेतु आर्ष न्यास का गठन दिनांक 16 अगस्त 2011 को स्वामी Vishvang जी, आचार्य सत्यजित् जी, श्री सुभाष स्वामी, श्री आदित्य स्वामी एवं श्री रामगोपाल गर्ग के द्वारा अजमेर में किया गया.
आर्ष न्यास आध्यात्मिक एवं व्यावहारिक विषयों को जिज्ञासा समाधान, उपनिषद् भाष्य, पुस्तक एवं कथा के माध्यम से प्रस्तुत करने में अग्रणी है।
अद्वैतवाद से संबंधित मान्यताओं / धारणाओं का असत्य, वैदिक दृष्टि से उजागर करने के लिए, श्रद्धेय मुनि जी को धन्यवाद देने के लिए हमारे पास शब्द नहीं है। उनका अति अति आभार एवं उन्हें सादर नमन।
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अति उत्तम प्रस्तुति की गई है। आप को सादर प्रणाम।🎉🎉
ओ ३ म् 🎉🎉🎉
Main kitna bhagyashali hu ki mujhy aise prwachan sunne samjhne Mai Aanand ataa hai.
सादर प्रणाम।।
🙏🙏🙏🙏🙏
Om om om
प्रणाम मुनि जी
नमस्ते मुनि जी
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Namaste muni ji