In America ,8 couples out of 10 are going for live in relationship that means no children..thats a great relief for Earth..no cost on marriage no cost on children education ..live ur life ur style ...say yes to Vasectomy 😉
@@raja.ghindustani6133 are apko ye baat kyu LG gyi 1 percent musalmaan Aaj 30 percent aise hi bd Gye family planning karte karte h naaa 😂😂 Khair koi bhi Dharam ya majhab ho abaadi par to lgaam lgni hi chahiye🙏🙏
आप की बात से मैं पूरी तरह सहमत हूं आपने बिल्कुल सही और सटीक बात कह दी मेरी उम्र 70 साल की है। आज भी बच्चों के कारण मैं अपनी जिंदगी नहीं जी पाई हूं। काश शादी से पहले यह सारी बातें पता होनी चाहिएं। पर अगर कोई यह कह दे तोपरिवार और समाज में इससे भी बुरा मानते हैं और करने वालों को बुरा भला कहते हैं
I wish I could have seen this video before i had a child. Every one please listen to what he has to say...no one will ever tell you what he is saying.....thank you Sir
जो भी प्यारी आँखें मेरी कमेंट पढ़ रही हो भगवान उनको खुश रखेजो भी प्यारी आँखें मेरी कमेंट पढ़ रही हो भगवान उनको खुश रखे🥰🥰th-cam.com/users/Drawingbookforlearning
I think u r unmarried eventhough ur observation n deep knowledge help u to understand this common problem.exactly it happens with everyone .Hats off to u man.
I feel so lucky sir that I finally find someone with whom I can connect completely.. u r soo amazing sir and u give the practical and realistic solutions related to our daily life issues... In this topic I want to say particularly that m completely agree with this.. even I also have the same aspect.. I wish more ppl can realise this and make a better world for their own and others too..
One should not have a child until fulfillment of self needs and goals. Having a baby is not a problem but management of child future and support is very important. Nicely explained.
भारत की लोकसंख्या 150 करोड़ के पहुंचने के आसार है यह वीडियो अंजन का काम करेगा जो गलत धारणाओं मे फंसा रहे हैं. धन्यावाद सर आपका अभिप्राय काबिल ए तारीफ है. पर कितने प्रतिशत लोग इसे समझेंगे यह अभ्यास का विषय है! 😎 धन्यवाद! 👍🌟💐🎉🎊
हर कोई बच्चे पैदा करना चाहता है 🤔🤔🤔 ग़ज़ब का मज़ाक है। हर कोई वही करना चाहता है जो बचपन से आजतक अपने चारों तरफ लोगों को करते हुए देखता है जिसमें यह गतिविधि भी शामिल है। मगर तुर्रा ये कि कहते हैं की हम करना चाहते है। ज्ञानी मानवो आपके ज्ञान का क्या कहना...🙏🙏🙏😊
I m ur big fan ...ur right suggestion helps me how not to stuck in social trape...u motivate me where to invest time money n energy ....no body tell us how to live how to breath...u told me Breath is our real currency
Bahut हसा मैं. This is my exact thinking. Maa se share karna Hoga. Coz she doesn't listen to me. But koi padha likha insaan bataade to may it help. Thanks Zorba Sir.
@@guptafilms7452 isis मैं जितने लोग इंडिया से गये सारे पढ़े लिखे लोग ही थे,,जानते थे कि हम कहाँ जा रहे है,only one रीज़न धार्मिक कट्टरता,,ये पढ़ाई लिखा वाली बातें केवल हम हिन्दु ही कर सकते है, 20 करोड़ vs 100 करोड कहने वाले नही,
नमस्ते भाई जी, बहन जी ज्ञान होना आवश्यक है - यह सबको पता है। ज्ञान क्या है? - यह पता नहीं है। मध्यस्थ-दर्शन के अनुसन्धान से निकला ज्ञान मूलतः तीन स्वरूप में है। सह-अस्तित्व दर्शन ज्ञान, जीवन ज्ञान, और मानवीयता पूर्ण आचरण ज्ञान। इस ज्ञान के अनुरूप सोच-विचार, सोच-विचार के अनुरूप योजना और कार्य-योजना, कार्य-योजना के अनुरूप फल-परिणाम, फल-परिणाम यदि ज्ञान-अनुरूप होता है तो समाधान है - नहीं तो समस्या है। इस तरह संज्ञानीयता पूर्वक जीने की विधि आ गयी। ज्ञान को समझाने के लिए "शिक्षा विधि" के अलावा और कोई रास्ता नहीं है। उपदेश विधि से ज्ञान को समझाया नहीं जा सकता। शिक्षा और व्यवस्था की आवश्यकता की पूर्ती होने के आशय में व्यापक की चर्चा है, पारगामीयता की चर्चा है, पारगामीयता के प्रयोजन की चर्चा है। पारगामीयता का प्रयोजन है - जड़ प्रकृति में ऊर्जा-सम्पन्नता, और चैतन्य-प्रकृति में ज्ञान-सम्पन्नता। जड़ प्रकृति में ऊर्जा-सम्पन्नता प्रमाणित है - कार्य-ऊर्जा के रूप में। मानव में ज्ञान-सम्पन्नता प्रमाणित होना अभी शेष है। जड़-परमाणु स्वयं-स्फूर्त क्रियाशील है - बिना किसी बाहरी हस्तक्षेप के! उसी तरह चैतन्य-परमाणु (जीवन) को भी स्वयं-स्फूर्त क्रियाशील होना है। जीवन परमाणु के स्वयं-स्फूर्त काम करने के लिए मानव ही जिम्मेदार है, और कोई जिम्मेदार नहीं है। मानव से अधिक और प्रगटन नहीं है, अभी तक तो इतना ही देखा गया है। मानव समाधान पूर्वक जीना चाहता है - और संज्ञानीयता पूर्वक ही समाधान पूर्वक जीना बनता है। मानव न्याय पूर्वक जीना चाहता है - और संज्ञानीयता पूर्वक ही न्याय पूर्वक जीना बनता है। मानव सत्य पूर्वक जीना चाहता है - और संज्ञानीयता पूर्वक ही सत्य पूर्वक जीना बनता है। संज्ञानीयता पूर्वक ही हर मनुष्य न्याय, समाधान (धर्म), और सत्य को फलवती बनाता है। न्याय, धर्म, और सत्य मनुष्य की कल्पनाशीलता के तृप्ति-बिंदु का प्रगटन है। कल्पनाशीलता चैतन्य-इकाई के व्यापक में भीगे रहने का फलन है। व्यापक-वस्तु ही ज्ञान स्वरूप में मनुष्य को प्राप्त है। ज्ञान अलग से कोई चीज नहीं है। ज्ञान को जलाया नहीं जा सकता, न तोडा जा सकता है, न बर्बाद किया जा सकता है। ज्ञान अपने में अछूता रहता है। ज्ञान को परिवर्तित नहीं किया जा सकता। ज्ञान-संपन्न हुआ जा सकता है। क्रिया रूप में ज्ञान व्यक्त होता है। जीवों में जीव-शरीरों के अनुसार जीव-चेतना स्वरूप में ज्ञान व्यक्त होता है। जीव-शरीरों को जीवंत बनाता जीवन जीव-चेतना को ही व्यक्त कर सकता है। जीव-चेतना में शरीर को जीवन मान करके वंश-अनुशंगीय विधि से जीना होता है। मानव-शरीर ज्ञान के अनुरूप बना है। सारी पंचायत वही है! वंश-अनुशंगीय विधि से मानव जी कर सुखी हो नहीं सकता। जीवन को पहचान कर संस्कार-अनुशंगीय विधि से जी कर ही मानव सुखी हो सकता है। शरीर-संरचना समान है - चाहे काले हों, भूरे हों, गोरे हों। अब हमको तय करना है - शरीर स्वरूप में जीना है, या जीवन स्वरूप में जीना है। इस धरती पर पहली बार जीवन का अध्ययन सामने आया है। यही मौलिक अनुसन्धान है। इससे मनुष्य-जाति के जागृत होने की सम्भावना उदय हो गयी है। परिस्थितियां भी मनुष्य को जागृत होने के लिए बाध्य कर रही हैं। सम्भावना उदय होना और परिस्थितियां बाध्य करना - ये दोनों होने से घटना होता है। संभावना यदि उदय नहीं होता तो परिस्थितियों के आगे मनुष्य हताश हो सकता है, निराश हो सकता है। मैंने जब शुरू किया था तो धरती की यह परिस्थिति हो गयी है, यह अज्ञात था। साथ ही सम्भावना भी शून्य था। आज परिस्थिति ज्ञात है - धरती बीमार हो गयी है। अध्ययन पूर्वक जागृत होने की सम्भावना भी उदय हो गयी है। श्रद्धेय बाबा श्री नागराज मध्यस्थ दर्शन, सह अस्तित्व वाद धन्यवाद भाई जी, बहन जी
I am married , have one kid and very much happy with this marriage . Life need all color same as rainbow . We can't deal only black and white . We need everything to live the life according to your age .so plz don't misunderstood sir , he is not saying don't marry , his actual meaning is don't stuck in any trape of society , use your common sense and understanding .
Very good.perfect subject.I was expecting ur video on this.before watching,i am writing becoz of extreme excitement.U r guidence is very useful for everyone.now i will watch.
Maza aa gaya im married koi baccha nai treatmnt ki soch raha lakin ab legta ki ayse he thik hoon kya fayda ab apni life enjoy karunga society to bolte he rehte hai
अगर बच्चे पैदा करने हैं तो जाओ कनाडा में, अमरीका में, जापान में, dakshini कोरिया में, और वहां जा कर बच्चे पैदा करो वहां की नागरिकता लेने के बाद। यहां पर जहां आबादी 144 करोड़ है तो बच्चे न पैदा करो। आप उनकी वेलनेस की guarantee नहीं दे सकते।
नमस्ते भाई जी, बहन जी ज्ञान होना आवश्यक है - यह सबको पता है। ज्ञान क्या है? - यह पता नहीं है। मध्यस्थ-दर्शन के अनुसन्धान से निकला ज्ञान मूलतः तीन स्वरूप में है। सह-अस्तित्व दर्शन ज्ञान, जीवन ज्ञान, और मानवीयता पूर्ण आचरण ज्ञान। इस ज्ञान के अनुरूप सोच-विचार, सोच-विचार के अनुरूप योजना और कार्य-योजना, कार्य-योजना के अनुरूप फल-परिणाम, फल-परिणाम यदि ज्ञान-अनुरूप होता है तो समाधान है - नहीं तो समस्या है। इस तरह संज्ञानीयता पूर्वक जीने की विधि आ गयी। ज्ञान को समझाने के लिए "शिक्षा विधि" के अलावा और कोई रास्ता नहीं है। उपदेश विधि से ज्ञान को समझाया नहीं जा सकता। शिक्षा और व्यवस्था की आवश्यकता की पूर्ती होने के आशय में व्यापक की चर्चा है, पारगामीयता की चर्चा है, पारगामीयता के प्रयोजन की चर्चा है। पारगामीयता का प्रयोजन है - जड़ प्रकृति में ऊर्जा-सम्पन्नता, और चैतन्य-प्रकृति में ज्ञान-सम्पन्नता। जड़ प्रकृति में ऊर्जा-सम्पन्नता प्रमाणित है - कार्य-ऊर्जा के रूप में। मानव में ज्ञान-सम्पन्नता प्रमाणित होना अभी शेष है। जड़-परमाणु स्वयं-स्फूर्त क्रियाशील है - बिना किसी बाहरी हस्तक्षेप के! उसी तरह चैतन्य-परमाणु (जीवन) को भी स्वयं-स्फूर्त क्रियाशील होना है। जीवन परमाणु के स्वयं-स्फूर्त काम करने के लिए मानव ही जिम्मेदार है, और कोई जिम्मेदार नहीं है। मानव से अधिक और प्रगटन नहीं है, अभी तक तो इतना ही देखा गया है। मानव समाधान पूर्वक जीना चाहता है - और संज्ञानीयता पूर्वक ही समाधान पूर्वक जीना बनता है। मानव न्याय पूर्वक जीना चाहता है - और संज्ञानीयता पूर्वक ही न्याय पूर्वक जीना बनता है। मानव सत्य पूर्वक जीना चाहता है - और संज्ञानीयता पूर्वक ही सत्य पूर्वक जीना बनता है। संज्ञानीयता पूर्वक ही हर मनुष्य न्याय, समाधान (धर्म), और सत्य को फलवती बनाता है। न्याय, धर्म, और सत्य मनुष्य की कल्पनाशीलता के तृप्ति-बिंदु का प्रगटन है। कल्पनाशीलता चैतन्य-इकाई के व्यापक में भीगे रहने का फलन है। व्यापक-वस्तु ही ज्ञान स्वरूप में मनुष्य को प्राप्त है। ज्ञान अलग से कोई चीज नहीं है। ज्ञान को जलाया नहीं जा सकता, न तोडा जा सकता है, न बर्बाद किया जा सकता है। ज्ञान अपने में अछूता रहता है। ज्ञान को परिवर्तित नहीं किया जा सकता। ज्ञान-संपन्न हुआ जा सकता है। क्रिया रूप में ज्ञान व्यक्त होता है। जीवों में जीव-शरीरों के अनुसार जीव-चेतना स्वरूप में ज्ञान व्यक्त होता है। जीव-शरीरों को जीवंत बनाता जीवन जीव-चेतना को ही व्यक्त कर सकता है। जीव-चेतना में शरीर को जीवन मान करके वंश-अनुशंगीय विधि से जीना होता है। मानव-शरीर ज्ञान के अनुरूप बना है। सारी पंचायत वही है! वंश-अनुशंगीय विधि से मानव जी कर सुखी हो नहीं सकता। जीवन को पहचान कर संस्कार-अनुशंगीय विधि से जी कर ही मानव सुखी हो सकता है। शरीर-संरचना समान है - चाहे काले हों, भूरे हों, गोरे हों। अब हमको तय करना है - शरीर स्वरूप में जीना है, या जीवन स्वरूप में जीना है। इस धरती पर पहली बार जीवन का अध्ययन सामने आया है। यही मौलिक अनुसन्धान है। इससे मनुष्य-जाति के जागृत होने की सम्भावना उदय हो गयी है। परिस्थितियां भी मनुष्य को जागृत होने के लिए बाध्य कर रही हैं। सम्भावना उदय होना और परिस्थितियां बाध्य करना - ये दोनों होने से घटना होता है। संभावना यदि उदय नहीं होता तो परिस्थितियों के आगे मनुष्य हताश हो सकता है, निराश हो सकता है। मैंने जब शुरू किया था तो धरती की यह परिस्थिति हो गयी है, यह अज्ञात था। साथ ही सम्भावना भी शून्य था। आज परिस्थिति ज्ञात है - धरती बीमार हो गयी है। अध्ययन पूर्वक जागृत होने की सम्भावना भी उदय हो गयी है। श्रद्धेय बाबा श्री नागराज मध्यस्थ दर्शन, सह अस्तित्व वाद धन्यवाद भाई जी, बहन जी
Iss desh ki aabadi sirf 25-30 crore honi chahiye...tbhi grow kr payega....jbki sala kido ki tarah yha vha log hi log hai....140 crore kya ...majak bna rakha hai....this much population only leads to total destruction poverty and chaos
नमस्ते भाई जी, बहन जी ज्ञान होना आवश्यक है - यह सबको पता है। ज्ञान क्या है? - यह पता नहीं है। मध्यस्थ-दर्शन के अनुसन्धान से निकला ज्ञान मूलतः तीन स्वरूप में है। सह-अस्तित्व दर्शन ज्ञान, जीवन ज्ञान, और मानवीयता पूर्ण आचरण ज्ञान। इस ज्ञान के अनुरूप सोच-विचार, सोच-विचार के अनुरूप योजना और कार्य-योजना, कार्य-योजना के अनुरूप फल-परिणाम, फल-परिणाम यदि ज्ञान-अनुरूप होता है तो समाधान है - नहीं तो समस्या है। इस तरह संज्ञानीयता पूर्वक जीने की विधि आ गयी। ज्ञान को समझाने के लिए "शिक्षा विधि" के अलावा और कोई रास्ता नहीं है। उपदेश विधि से ज्ञान को समझाया नहीं जा सकता। शिक्षा और व्यवस्था की आवश्यकता की पूर्ती होने के आशय में व्यापक की चर्चा है, पारगामीयता की चर्चा है, पारगामीयता के प्रयोजन की चर्चा है। पारगामीयता का प्रयोजन है - जड़ प्रकृति में ऊर्जा-सम्पन्नता, और चैतन्य-प्रकृति में ज्ञान-सम्पन्नता। जड़ प्रकृति में ऊर्जा-सम्पन्नता प्रमाणित है - कार्य-ऊर्जा के रूप में। मानव में ज्ञान-सम्पन्नता प्रमाणित होना अभी शेष है। जड़-परमाणु स्वयं-स्फूर्त क्रियाशील है - बिना किसी बाहरी हस्तक्षेप के! उसी तरह चैतन्य-परमाणु (जीवन) को भी स्वयं-स्फूर्त क्रियाशील होना है। जीवन परमाणु के स्वयं-स्फूर्त काम करने के लिए मानव ही जिम्मेदार है, और कोई जिम्मेदार नहीं है। मानव से अधिक और प्रगटन नहीं है, अभी तक तो इतना ही देखा गया है। मानव समाधान पूर्वक जीना चाहता है - और संज्ञानीयता पूर्वक ही समाधान पूर्वक जीना बनता है। मानव न्याय पूर्वक जीना चाहता है - और संज्ञानीयता पूर्वक ही न्याय पूर्वक जीना बनता है। मानव सत्य पूर्वक जीना चाहता है - और संज्ञानीयता पूर्वक ही सत्य पूर्वक जीना बनता है। संज्ञानीयता पूर्वक ही हर मनुष्य न्याय, समाधान (धर्म), और सत्य को फलवती बनाता है। न्याय, धर्म, और सत्य मनुष्य की कल्पनाशीलता के तृप्ति-बिंदु का प्रगटन है। कल्पनाशीलता चैतन्य-इकाई के व्यापक में भीगे रहने का फलन है। व्यापक-वस्तु ही ज्ञान स्वरूप में मनुष्य को प्राप्त है। ज्ञान अलग से कोई चीज नहीं है। ज्ञान को जलाया नहीं जा सकता, न तोडा जा सकता है, न बर्बाद किया जा सकता है। ज्ञान अपने में अछूता रहता है। ज्ञान को परिवर्तित नहीं किया जा सकता। ज्ञान-संपन्न हुआ जा सकता है। क्रिया रूप में ज्ञान व्यक्त होता है। जीवों में जीव-शरीरों के अनुसार जीव-चेतना स्वरूप में ज्ञान व्यक्त होता है। जीव-शरीरों को जीवंत बनाता जीवन जीव-चेतना को ही व्यक्त कर सकता है। जीव-चेतना में शरीर को जीवन मान करके वंश-अनुशंगीय विधि से जीना होता है। मानव-शरीर ज्ञान के अनुरूप बना है। सारी पंचायत वही है! वंश-अनुशंगीय विधि से मानव जी कर सुखी हो नहीं सकता। जीवन को पहचान कर संस्कार-अनुशंगीय विधि से जी कर ही मानव सुखी हो सकता है। शरीर-संरचना समान है - चाहे काले हों, भूरे हों, गोरे हों। अब हमको तय करना है - शरीर स्वरूप में जीना है, या जीवन स्वरूप में जीना है। इस धरती पर पहली बार जीवन का अध्ययन सामने आया है। यही मौलिक अनुसन्धान है। इससे मनुष्य-जाति के जागृत होने की सम्भावना उदय हो गयी है। परिस्थितियां भी मनुष्य को जागृत होने के लिए बाध्य कर रही हैं। सम्भावना उदय होना और परिस्थितियां बाध्य करना - ये दोनों होने से घटना होता है। संभावना यदि उदय नहीं होता तो परिस्थितियों के आगे मनुष्य हताश हो सकता है, निराश हो सकता है। मैंने जब शुरू किया था तो धरती की यह परिस्थिति हो गयी है, यह अज्ञात था। साथ ही सम्भावना भी शून्य था। आज परिस्थिति ज्ञात है - धरती बीमार हो गयी है। अध्ययन पूर्वक जागृत होने की सम्भावना भी उदय हो गयी है। श्रद्धेय बाबा श्री नागराज मध्यस्थ दर्शन, सह अस्तित्व वाद धन्यवाद भाई जी, बहन जी
Sir aapki quality ko samjane wala hi samaj sakta hai. Great ho sir aap. Bahut achhe se samjate ho. Kripa hai aapki jo hum log aapki video se bahut aage jayege, thanks so much
Thanks for making this video, Ek bacche ko 12th standard tak study ka expense atleast 10 lakhs hai ( only study expenses), if he/she are good and further study cost another 10 15 lakhs rupees, So 1 kid will cost 20 25 lakhs rupees, If u have 2 kids multiple with 2 ... How a normal salary earning can afford to have 2 kids....
In San Francisco, a typical Indian child will cost 1 million$ in his lifetime going forward. Not kidding. And thats a lot of money from your savings even if you are a software engg here.
U r right brother. I also believe the same. But people who have children keep on asking to the one who don’t have that what about kids? Hence person who don’t have kids or don’t want kids end up being anti-social...educated ppl know what is life...it’s not about just getting married & having kids...
@urvi, I lived in India many years ago and came to US for work (not that it should matter too much). It is important to have your own hobbies. After dating a few times, I realized that marriage was not for me. If I ever date now I let my future partner know that I would not be interested in marriage, if it still works for them they stay else they don't and I am happy both ways. I started developing more hobbies and have kept myself busy all these years and have a great social life due to my hobbies. Ofcourse I live in San Francisco hence I get that benefit of not being judged, unlike India. I am 34 yrs old now. I really hope India has changed so If i move back I don't have to face the things you are telling. Also, I never meet/hangout with people who rub me the wrong way, if they do rub me wrong, I straight up say NO to them next time without citing a reason and let them keep second guessing. Please do not do things to make others happy. Those others are temporary whereas the things you do for them causes permanent damage in many cases. I actually know couples who never wanted a child but ended up having an autistic child later and struggle with it all the time. The child is struggling and so are the parents.
Sir your video really helps the people of india who produce childs without any logical thinking. The world's need to be rescued by over population then only the poverty will reduce. Thanks to you 🙏🙏
@@sidductive3171 kya karunga matlab?..spirituality me jaane ke liye pehle basic needs to poori honi chahiye na....ooske liye money ki jarurat padegi....itna to money ho ki basic needs poori ho jaaye.....
Harsh ..But true Sir..
Nice
Illogical/sick mindset,you are misguided by your thoughts.
yss illogical h ye sb.wrong advice h .ye koi tarika nahi video bnane ka.
@@shahnawazalam825 i think he is 100 percent true
@@neerajsharma6967 shi kha...vyakti ko zindagi jine k liye kuchh to sahara/motive chahiye..sbhi vyakti mahapurush to h nhi
Awesome sir 🙏🙏🙏🙏लाइफ में पहली बार ऐसा कोई मिला जिसने बोला बच्चे पैदा मत करो /मैं आपसे 💯% सहमत हूं 👍👍👍👍🇮🇳
sahi kaha
Sahi kaha
मैं तो हमेशा से बोलता हूं
I agree with u marriage krnwana sirf baby born ni hota
Acharya prashant ji b yhi bolte h
In America ,8 couples out of 10 are going for live in relationship that means no children..thats a great relief for Earth..no cost on marriage no cost on children education ..live ur life ur style ...say yes to Vasectomy 😉
They have kids without marriage too
@@FaizD9101 mil gyi hai usse bhi bacche nahi chahiye
@@radha_the_Artist you play great flute..can you teach me or you can refer me to your teacher.
@@varundhyani07bhai apki think bahut acchi hai
Waha he sab achcha hai koi taane nhi marta hoga
Super vedio, मेरी एक ही लड़की है कुछ लोग कहते है एक और बच्चा कर लो, पर मै एक से ही खुश हूं, वंश आगे बढ़ाकर कौन सा अमर बन जाऊंगा।
Good bro
Ye musalmaan kyu follow nhi karte
@@shiningstars6180 kisne kaha nhi krte?? Ye chhoti mansikta se bahar aye aaj desh me abaadi kiski zyada he?? Thodi to akal ki baat kre aap..
@@raja.ghindustani6133 are apko ye baat kyu LG gyi 1 percent musalmaan Aaj 30 percent aise hi bd Gye family planning karte karte h naaa 😂😂 Khair koi bhi Dharam ya majhab ho abaadi par to lgaam lgni hi chahiye🙏🙏
Very good decision
आप की बात से मैं पूरी तरह सहमत हूं आपने बिल्कुल सही और सटीक बात कह दी मेरी उम्र 70 साल की है। आज भी बच्चों के कारण मैं अपनी जिंदगी नहीं जी पाई हूं। काश शादी से पहले यह सारी बातें पता होनी चाहिएं। पर अगर कोई यह कह दे तोपरिवार और समाज में इससे भी बुरा मानते हैं और करने वालों को बुरा भला कहते हैं
Thank you share karne k liye..childfree best hai
@@Pankaj-4572PRq
I wish I could have seen this video before i had a child. Every one please listen to what he has to say...no one will ever tell you what he is saying.....thank you Sir
जो भी प्यारी आँखें मेरी कमेंट पढ़ रही हो भगवान उनको खुश रखेजो भी प्यारी आँखें मेरी कमेंट पढ़ रही हो भगवान उनको खुश रखे🥰🥰th-cam.com/users/Drawingbookforlearning
Don't worry one 1⃣ is best
One child is best option
@@subhashishpaul797That was thirty years ago. Now none
सर इस देश में लड़का और लड़की वाला भी तो पंगा है अगर 3 लड़की हो गई तो जब तक लड़का ना हो वे रुकेंगे नहीं इस पर भी कुछ बोले
Hahahahahahahha
Illitrate logon ki soch hai ye.
@@healthywithme739 na na ji pde likhe Indian b h y log
@@healthywithme739 literate logo ki bhi hai diidi
इसके ऊपर भी वीडियो हे सर का
I think u r unmarried eventhough ur observation n deep knowledge help u to understand this common problem.exactly it happens with everyone .Hats off to u man.
Miawon, Anjana ji
Vidio ko paise milate he to kuch bhi
Your thoughts Perfect in current situation to heal India. Otherwise nobody can save India from POPULATION EXPLOSION 💥 Thanks!
बहुत ही उच्चअस्तरीय ज्ञान दिया है,👌👌👌
Bhaiya dukh is bat ki hai aaj log sirf gyan lete hai.. kuchh krte nhi jaise... as an example our IAS IPS LEADERS also
@@Rajeev_Bauddh ... I appreciate ur confidence on opposing IAS PCS, They do nothing special ...
@@Rajeev_Bauddhji
I feel so lucky sir that I finally find someone with whom I can connect completely.. u r soo amazing sir and u give the practical and realistic solutions related to our daily life issues...
In this topic I want to say particularly that m completely agree with this.. even I also have the same aspect..
I wish more ppl can realise this and make a better world for their own and others too..
Daal roti khane ke paise nahi hai...10 aur paida kar diye...😄
😂😂😂😂😂bilkul sahi kha bhai
Ekdum sahi kaha bhai.. totally agree with you 👍
One should not have a child until fulfillment of self needs and goals.
Having a baby is not a problem but management of child future and support is very important. Nicely explained.
भारत की लोकसंख्या 150 करोड़ के पहुंचने के आसार है यह वीडियो अंजन का काम करेगा जो गलत धारणाओं मे फंसा रहे हैं. धन्यावाद सर आपका अभिप्राय काबिल ए तारीफ है. पर कितने प्रतिशत लोग इसे समझेंगे यह अभ्यास का विषय है! 😎
धन्यवाद! 👍🌟💐🎉🎊
Really sir
200 crore aaram se ho jayegi Bharat mai 😂😂
हर कोई बच्चे पैदा करना चाहता है 🤔🤔🤔 ग़ज़ब का मज़ाक है। हर कोई वही करना चाहता है जो बचपन से आजतक अपने चारों तरफ लोगों को करते हुए देखता है जिसमें यह गतिविधि भी शामिल है। मगर तुर्रा ये कि कहते हैं की हम करना चाहते है। ज्ञानी मानवो आपके ज्ञान का क्या कहना...🙏🙏🙏😊
"Raja maharajo ka vansh hai tumhara" 😂😂👌👌👌
😂😂😂😂
This line was epic
Bhikhario wali jindgi khud bhi jite hai aur dusre bhi paida krte hai....
🤣🤣
@@carwa9651 true
Phir bolte hai kismat ki baat hai...
I m ur big fan ...ur right suggestion helps me how not to stuck in social trape...u motivate me where to invest time money n energy ....no body tell us how to live how to breath...u told me Breath is our real currency
Bahut हसा मैं. This is my exact thinking. Maa se share karna Hoga.
Coz she doesn't listen to me. But koi padha likha insaan bataade to may it help. Thanks Zorba Sir.
Seede se aapki mata jee manti hein to thik nahi to unko unke haal par rehne do
Excellent advice. Thanks. Population of India is 140 crores. God knows what is the future.
भाई शादी करने की जरूरत ही क्या है और दुनिया में बहुत जगह फ्री भोजन भी मिलता है भंडारे चलते हैं काम करने की जरूरत भी नही
1000% राइट 🏳️🙏🤍
😂😂😂 मतलब सब यही सोचेंगे तो काम कौन करेगा
देश मे जनसंख्या नियंत्रण कानून आना बहुत जरूरी हो गया है,
Uneducated peoples को educated बनाओ जनसंख्या कम हो जायेगा
@@guptafilms7452 isis मैं जितने लोग इंडिया से गये सारे पढ़े लिखे लोग ही थे,,जानते थे कि हम कहाँ जा रहे है,only one रीज़न धार्मिक कट्टरता,,ये पढ़ाई लिखा वाली बातें केवल हम हिन्दु ही कर सकते है, 20 करोड़ vs 100 करोड कहने वाले नही,
@@nitesh703 सबका विचार अलग अलग है
दो बच्चा नीति का कानून बनना बहुत जरूरी है भाई, देश कानून और संविधान से चलेगा,न कि किसी कटटर विचार धारा से,
नमस्ते भाई जी, बहन जी
ज्ञान होना आवश्यक है - यह सबको पता है।
ज्ञान क्या है? - यह पता नहीं है।
मध्यस्थ-दर्शन के अनुसन्धान से निकला ज्ञान मूलतः तीन स्वरूप में है।
सह-अस्तित्व दर्शन ज्ञान, जीवन ज्ञान, और मानवीयता पूर्ण आचरण ज्ञान।
इस ज्ञान के अनुरूप सोच-विचार,
सोच-विचार के अनुरूप योजना
और कार्य-योजना,
कार्य-योजना के अनुरूप फल-परिणाम,
फल-परिणाम यदि ज्ञान-अनुरूप होता है
तो समाधान है - नहीं तो समस्या है।
इस तरह संज्ञानीयता पूर्वक जीने की विधि आ गयी।
ज्ञान को समझाने के लिए "शिक्षा विधि" के अलावा और कोई रास्ता नहीं है।
उपदेश विधि से ज्ञान को समझाया नहीं जा सकता।
शिक्षा और व्यवस्था की आवश्यकता की पूर्ती होने के आशय में
व्यापक की चर्चा है,
पारगामीयता की चर्चा है,
पारगामीयता के प्रयोजन की चर्चा है।
पारगामीयता का प्रयोजन है -
जड़ प्रकृति में ऊर्जा-सम्पन्नता,
और चैतन्य-प्रकृति में ज्ञान-सम्पन्नता।
जड़ प्रकृति में ऊर्जा-सम्पन्नता प्रमाणित है - कार्य-ऊर्जा के रूप में।
मानव में ज्ञान-सम्पन्नता प्रमाणित होना अभी शेष है।
जड़-परमाणु स्वयं-स्फूर्त क्रियाशील है - बिना किसी बाहरी हस्तक्षेप के!
उसी तरह चैतन्य-परमाणु (जीवन) को भी स्वयं-स्फूर्त क्रियाशील होना है।
जीवन परमाणु के स्वयं-स्फूर्त काम करने के लिए मानव ही जिम्मेदार है, और कोई जिम्मेदार नहीं है।
मानव से अधिक और प्रगटन नहीं है, अभी तक तो इतना ही देखा गया है।
मानव समाधान पूर्वक जीना चाहता है - और संज्ञानीयता पूर्वक ही समाधान पूर्वक जीना बनता है।
मानव न्याय पूर्वक जीना चाहता है - और संज्ञानीयता पूर्वक ही न्याय पूर्वक जीना बनता है।
मानव सत्य पूर्वक जीना चाहता है - और संज्ञानीयता पूर्वक ही सत्य पूर्वक जीना बनता है।
संज्ञानीयता पूर्वक ही हर मनुष्य न्याय, समाधान (धर्म), और सत्य को फलवती बनाता है।
न्याय, धर्म, और सत्य मनुष्य की कल्पनाशीलता के तृप्ति-बिंदु का प्रगटन है।
कल्पनाशीलता चैतन्य-इकाई के व्यापक में भीगे रहने का फलन है।
व्यापक-वस्तु ही ज्ञान स्वरूप में मनुष्य को प्राप्त है।
ज्ञान अलग से कोई चीज नहीं है।
ज्ञान को जलाया नहीं जा सकता,
न तोडा जा सकता है,
न बर्बाद किया जा सकता है।
ज्ञान अपने में अछूता रहता है।
ज्ञान को परिवर्तित नहीं किया जा सकता।
ज्ञान-संपन्न हुआ जा सकता है।
क्रिया रूप में ज्ञान व्यक्त होता है।
जीवों में जीव-शरीरों के अनुसार जीव-चेतना स्वरूप में ज्ञान व्यक्त होता है।
जीव-शरीरों को जीवंत बनाता जीवन जीव-चेतना को ही व्यक्त कर सकता है।
जीव-चेतना में शरीर को जीवन मान करके वंश-अनुशंगीय विधि से जीना होता है।
मानव-शरीर ज्ञान के अनुरूप बना है। सारी पंचायत वही है!
वंश-अनुशंगीय विधि से मानव जी कर सुखी हो नहीं सकता।
जीवन को पहचान कर संस्कार-अनुशंगीय विधि से जी कर ही मानव सुखी हो सकता है।
शरीर-संरचना समान है - चाहे काले हों, भूरे हों, गोरे हों।
अब हमको तय करना है - शरीर स्वरूप में जीना है, या जीवन स्वरूप में जीना है।
इस धरती पर पहली बार जीवन का अध्ययन सामने आया है।
यही मौलिक अनुसन्धान है।
इससे मनुष्य-जाति के जागृत होने की सम्भावना उदय हो गयी है।
परिस्थितियां भी मनुष्य को जागृत होने के लिए बाध्य कर रही हैं।
सम्भावना उदय होना और परिस्थितियां बाध्य करना -
ये दोनों होने से घटना होता है।
संभावना यदि उदय नहीं होता तो परिस्थितियों के आगे मनुष्य हताश हो सकता है, निराश हो सकता है।
मैंने जब शुरू किया था तो धरती की यह परिस्थिति हो गयी है, यह अज्ञात था।
साथ ही सम्भावना भी शून्य था।
आज परिस्थिति ज्ञात है -
धरती बीमार हो गयी है।
अध्ययन पूर्वक जागृत होने की सम्भावना भी उदय हो गयी है।
श्रद्धेय बाबा श्री नागराज
मध्यस्थ दर्शन, सह अस्तित्व वाद
धन्यवाद भाई जी, बहन जी
I am married , have one kid and very much happy with this marriage .
Life need all color same as rainbow . We can't deal only black and white .
We need everything to live the life according to your age .so plz don't misunderstood sir , he is not saying don't marry , his actual meaning is don't stuck in any trape of society , use your common sense and understanding .
But marriage is a society and legal trap.
Yes india me single child or childfree policy lani hogi
Exactly sir,Dharati katare me hai, population explosion pr koi nahi bolata .Thank you sir for explaining exact situation of our overcrowded County👍
Baat kadwi h, per sachhi h. Very good information Sir.
1000 of people India need as like you sir
True sirf you are creating awareness so that early age people can understand and somewhere craving of sex will be stopped. 🤩🤩
I totally agree with your point of view sir.very good information👍
Sir ek hi dil❤ h kitni bar jeetoge! Hats off of to u!! Sari pareshaniyo ki jad bata di aj apne🙏
पूनीत जी ऐसे तो कभी स्कूल में भी नहीं सिखाते वह बात आप बताते हो आपकी वीडियो देखकर कभी-कभी मैं धन्य हो जाता हूं बहुत ही फायदा होता है 👌💪
so true..it is very urgent topic.. absolutely agree with u sir
Deeper thinker impressive and tell your loved ones
Me and my father is great fan of yours. 👏👏👏
Me also
Applicable to me. Thats why we stopped at one child.
Once more Zen is Great.
Same
Completely agree with you sir you are very intelligent 🙏🙏🙏
Very good.perfect subject.I was expecting ur video on this.before watching,i am writing becoz of extreme excitement.U r guidence is very useful for everyone.now i will watch.
प्रकृतिको चुनौती दे दिया अपने ।पुरा जनसंख्याको नियन्त्रण कर्ने वाली वात हैं।🤪🤪🤪😅
All dislike done by people who have more than 1 child😂
💯% right 👍
ओ सरजी क्या example देते हो यार सेल्यूट
टू यू और बहोत फायदेमंद है ये विडीओज सभी बहोत हार्ड बहोत हार्ड 👌👍
सर दिल की बात कह दी Thank you sir good information 👍
Me to soch rha hu ki sadhi hi na kruga ..
It's so expensive 🙏🙏
🤣🤣🤣
😃😃😃😃😂😂👍
😃😃
Budaape ka or sex ka kya karoge ?
#Antinatalism #Childfree 🔥🙏
Out standing speech sir .....100% true.
Superb fantastic logic....in which i firmly believed before seeing your vedio
Sir. You are great. I really appreciate such practical Thinking. (There is no one like you)
Sir Apke kite Bache h😊😁right h sir great think ...
Maza aa gaya im married koi baccha nai treatmnt ki soch raha lakin ab legta ki ayse he thik hoon kya fayda ab apni life enjoy karunga society to bolte he rehte hai
अगर बच्चे पैदा करने हैं तो जाओ कनाडा में, अमरीका में, जापान में, dakshini कोरिया में, और वहां जा कर बच्चे पैदा करो वहां की नागरिकता लेने के बाद। यहां पर जहां आबादी 144 करोड़ है तो बच्चे न पैदा करो। आप उनकी वेलनेस की guarantee नहीं दे सकते।
yah sab middle class family ko samjhana bahut mushkil hai sir.. chhoti soch wale Insan kabhi samajh nahi sakte..ye .
Right yhi to problem hai
Bahut badhiya....aap jitna dikhte hain usse kahi kahi kahi zada observant hain
Sir apki thinking to exactly mere jesi hai... 👌👌👌
Thank you for speaking on such an important topic sir❤️..More power to you🙏
बिल्कुल सही बात है भाई, मैं आपकी बात से पूरी तरह से सहमत हूं
नमस्ते भाई जी, बहन जी
ज्ञान होना आवश्यक है - यह सबको पता है।
ज्ञान क्या है? - यह पता नहीं है।
मध्यस्थ-दर्शन के अनुसन्धान से निकला ज्ञान मूलतः तीन स्वरूप में है।
सह-अस्तित्व दर्शन ज्ञान, जीवन ज्ञान, और मानवीयता पूर्ण आचरण ज्ञान।
इस ज्ञान के अनुरूप सोच-विचार,
सोच-विचार के अनुरूप योजना
और कार्य-योजना,
कार्य-योजना के अनुरूप फल-परिणाम,
फल-परिणाम यदि ज्ञान-अनुरूप होता है
तो समाधान है - नहीं तो समस्या है।
इस तरह संज्ञानीयता पूर्वक जीने की विधि आ गयी।
ज्ञान को समझाने के लिए "शिक्षा विधि" के अलावा और कोई रास्ता नहीं है।
उपदेश विधि से ज्ञान को समझाया नहीं जा सकता।
शिक्षा और व्यवस्था की आवश्यकता की पूर्ती होने के आशय में
व्यापक की चर्चा है,
पारगामीयता की चर्चा है,
पारगामीयता के प्रयोजन की चर्चा है।
पारगामीयता का प्रयोजन है -
जड़ प्रकृति में ऊर्जा-सम्पन्नता,
और चैतन्य-प्रकृति में ज्ञान-सम्पन्नता।
जड़ प्रकृति में ऊर्जा-सम्पन्नता प्रमाणित है - कार्य-ऊर्जा के रूप में।
मानव में ज्ञान-सम्पन्नता प्रमाणित होना अभी शेष है।
जड़-परमाणु स्वयं-स्फूर्त क्रियाशील है - बिना किसी बाहरी हस्तक्षेप के!
उसी तरह चैतन्य-परमाणु (जीवन) को भी स्वयं-स्फूर्त क्रियाशील होना है।
जीवन परमाणु के स्वयं-स्फूर्त काम करने के लिए मानव ही जिम्मेदार है, और कोई जिम्मेदार नहीं है।
मानव से अधिक और प्रगटन नहीं है, अभी तक तो इतना ही देखा गया है।
मानव समाधान पूर्वक जीना चाहता है - और संज्ञानीयता पूर्वक ही समाधान पूर्वक जीना बनता है।
मानव न्याय पूर्वक जीना चाहता है - और संज्ञानीयता पूर्वक ही न्याय पूर्वक जीना बनता है।
मानव सत्य पूर्वक जीना चाहता है - और संज्ञानीयता पूर्वक ही सत्य पूर्वक जीना बनता है।
संज्ञानीयता पूर्वक ही हर मनुष्य न्याय, समाधान (धर्म), और सत्य को फलवती बनाता है।
न्याय, धर्म, और सत्य मनुष्य की कल्पनाशीलता के तृप्ति-बिंदु का प्रगटन है।
कल्पनाशीलता चैतन्य-इकाई के व्यापक में भीगे रहने का फलन है।
व्यापक-वस्तु ही ज्ञान स्वरूप में मनुष्य को प्राप्त है।
ज्ञान अलग से कोई चीज नहीं है।
ज्ञान को जलाया नहीं जा सकता,
न तोडा जा सकता है,
न बर्बाद किया जा सकता है।
ज्ञान अपने में अछूता रहता है।
ज्ञान को परिवर्तित नहीं किया जा सकता।
ज्ञान-संपन्न हुआ जा सकता है।
क्रिया रूप में ज्ञान व्यक्त होता है।
जीवों में जीव-शरीरों के अनुसार जीव-चेतना स्वरूप में ज्ञान व्यक्त होता है।
जीव-शरीरों को जीवंत बनाता जीवन जीव-चेतना को ही व्यक्त कर सकता है।
जीव-चेतना में शरीर को जीवन मान करके वंश-अनुशंगीय विधि से जीना होता है।
मानव-शरीर ज्ञान के अनुरूप बना है। सारी पंचायत वही है!
वंश-अनुशंगीय विधि से मानव जी कर सुखी हो नहीं सकता।
जीवन को पहचान कर संस्कार-अनुशंगीय विधि से जी कर ही मानव सुखी हो सकता है।
शरीर-संरचना समान है - चाहे काले हों, भूरे हों, गोरे हों।
अब हमको तय करना है - शरीर स्वरूप में जीना है, या जीवन स्वरूप में जीना है।
इस धरती पर पहली बार जीवन का अध्ययन सामने आया है।
यही मौलिक अनुसन्धान है।
इससे मनुष्य-जाति के जागृत होने की सम्भावना उदय हो गयी है।
परिस्थितियां भी मनुष्य को जागृत होने के लिए बाध्य कर रही हैं।
सम्भावना उदय होना और परिस्थितियां बाध्य करना -
ये दोनों होने से घटना होता है।
संभावना यदि उदय नहीं होता तो परिस्थितियों के आगे मनुष्य हताश हो सकता है, निराश हो सकता है।
मैंने जब शुरू किया था तो धरती की यह परिस्थिति हो गयी है, यह अज्ञात था।
साथ ही सम्भावना भी शून्य था।
आज परिस्थिति ज्ञात है -
धरती बीमार हो गयी है।
अध्ययन पूर्वक जागृत होने की सम्भावना भी उदय हो गयी है।
श्रद्धेय बाबा श्री नागराज
मध्यस्थ दर्शन, सह अस्तित्व वाद
धन्यवाद भाई जी, बहन जी
Absolutely right I agree
Good morning sir...🌹❤️ Love you ❤️ such a wonderful thought you shared 😊🙏🏻
Aap Bankok se kab aayi
Love you too shone
I hope covid19 have teached this lesson to every people in the world
😆😆😆ye bht bdi baat h sir m v bht sochta tha sir aise but finelly sadi krni pdi i hv 1 kid 🙏
I salute u sir.u explain everything in detail.ur thought process is amazing.thanx
सालों से यही चलता आ रहा है,, इसे बदला नहीं जा सकता,, उम्र भर अपनी घिसाई करते रहो,
Sir m aapki jo guided meditation ki video ki practice kr rha hu 2-3 din se aur mera mind bilkul shant ho gya h ab thnq ao much
Iss desh ki aabadi sirf 25-30 crore honi chahiye...tbhi grow kr payega....jbki sala kido ki tarah yha vha log hi log hai....140 crore kya ...majak bna rakha hai....this much population only leads to total destruction poverty and chaos
Thanks sir, I am very much happy with your all guide lines
नमस्ते भाई जी, बहन जी
ज्ञान होना आवश्यक है - यह सबको पता है।
ज्ञान क्या है? - यह पता नहीं है।
मध्यस्थ-दर्शन के अनुसन्धान से निकला ज्ञान मूलतः तीन स्वरूप में है।
सह-अस्तित्व दर्शन ज्ञान, जीवन ज्ञान, और मानवीयता पूर्ण आचरण ज्ञान।
इस ज्ञान के अनुरूप सोच-विचार,
सोच-विचार के अनुरूप योजना
और कार्य-योजना,
कार्य-योजना के अनुरूप फल-परिणाम,
फल-परिणाम यदि ज्ञान-अनुरूप होता है
तो समाधान है - नहीं तो समस्या है।
इस तरह संज्ञानीयता पूर्वक जीने की विधि आ गयी।
ज्ञान को समझाने के लिए "शिक्षा विधि" के अलावा और कोई रास्ता नहीं है।
उपदेश विधि से ज्ञान को समझाया नहीं जा सकता।
शिक्षा और व्यवस्था की आवश्यकता की पूर्ती होने के आशय में
व्यापक की चर्चा है,
पारगामीयता की चर्चा है,
पारगामीयता के प्रयोजन की चर्चा है।
पारगामीयता का प्रयोजन है -
जड़ प्रकृति में ऊर्जा-सम्पन्नता,
और चैतन्य-प्रकृति में ज्ञान-सम्पन्नता।
जड़ प्रकृति में ऊर्जा-सम्पन्नता प्रमाणित है - कार्य-ऊर्जा के रूप में।
मानव में ज्ञान-सम्पन्नता प्रमाणित होना अभी शेष है।
जड़-परमाणु स्वयं-स्फूर्त क्रियाशील है - बिना किसी बाहरी हस्तक्षेप के!
उसी तरह चैतन्य-परमाणु (जीवन) को भी स्वयं-स्फूर्त क्रियाशील होना है।
जीवन परमाणु के स्वयं-स्फूर्त काम करने के लिए मानव ही जिम्मेदार है, और कोई जिम्मेदार नहीं है।
मानव से अधिक और प्रगटन नहीं है, अभी तक तो इतना ही देखा गया है।
मानव समाधान पूर्वक जीना चाहता है - और संज्ञानीयता पूर्वक ही समाधान पूर्वक जीना बनता है।
मानव न्याय पूर्वक जीना चाहता है - और संज्ञानीयता पूर्वक ही न्याय पूर्वक जीना बनता है।
मानव सत्य पूर्वक जीना चाहता है - और संज्ञानीयता पूर्वक ही सत्य पूर्वक जीना बनता है।
संज्ञानीयता पूर्वक ही हर मनुष्य न्याय, समाधान (धर्म), और सत्य को फलवती बनाता है।
न्याय, धर्म, और सत्य मनुष्य की कल्पनाशीलता के तृप्ति-बिंदु का प्रगटन है।
कल्पनाशीलता चैतन्य-इकाई के व्यापक में भीगे रहने का फलन है।
व्यापक-वस्तु ही ज्ञान स्वरूप में मनुष्य को प्राप्त है।
ज्ञान अलग से कोई चीज नहीं है।
ज्ञान को जलाया नहीं जा सकता,
न तोडा जा सकता है,
न बर्बाद किया जा सकता है।
ज्ञान अपने में अछूता रहता है।
ज्ञान को परिवर्तित नहीं किया जा सकता।
ज्ञान-संपन्न हुआ जा सकता है।
क्रिया रूप में ज्ञान व्यक्त होता है।
जीवों में जीव-शरीरों के अनुसार जीव-चेतना स्वरूप में ज्ञान व्यक्त होता है।
जीव-शरीरों को जीवंत बनाता जीवन जीव-चेतना को ही व्यक्त कर सकता है।
जीव-चेतना में शरीर को जीवन मान करके वंश-अनुशंगीय विधि से जीना होता है।
मानव-शरीर ज्ञान के अनुरूप बना है। सारी पंचायत वही है!
वंश-अनुशंगीय विधि से मानव जी कर सुखी हो नहीं सकता।
जीवन को पहचान कर संस्कार-अनुशंगीय विधि से जी कर ही मानव सुखी हो सकता है।
शरीर-संरचना समान है - चाहे काले हों, भूरे हों, गोरे हों।
अब हमको तय करना है - शरीर स्वरूप में जीना है, या जीवन स्वरूप में जीना है।
इस धरती पर पहली बार जीवन का अध्ययन सामने आया है।
यही मौलिक अनुसन्धान है।
इससे मनुष्य-जाति के जागृत होने की सम्भावना उदय हो गयी है।
परिस्थितियां भी मनुष्य को जागृत होने के लिए बाध्य कर रही हैं।
सम्भावना उदय होना और परिस्थितियां बाध्य करना -
ये दोनों होने से घटना होता है।
संभावना यदि उदय नहीं होता तो परिस्थितियों के आगे मनुष्य हताश हो सकता है, निराश हो सकता है।
मैंने जब शुरू किया था तो धरती की यह परिस्थिति हो गयी है, यह अज्ञात था।
साथ ही सम्भावना भी शून्य था।
आज परिस्थिति ज्ञात है -
धरती बीमार हो गयी है।
अध्ययन पूर्वक जागृत होने की सम्भावना भी उदय हो गयी है।
श्रद्धेय बाबा श्री नागराज
मध्यस्थ दर्शन, सह अस्तित्व वाद
धन्यवाद भाई जी, बहन जी
Good morning Sir, I appreciate your honesty on vital topic. Thanks
Sir aapki quality ko samjane wala hi samaj sakta hai. Great ho sir aap. Bahut achhe se samjate ho. Kripa hai aapki jo hum log aapki video se bahut aage jayege, thanks so much
Thank you so much sir for this amazing video. 💫✨
0:08
Just watch his reaction man 😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂
बहुत ही शानदार सोच... ओशो philosophy
😂😂 हंस हंस के बुरा हाल ...
पर बढ़िया observation.. 👌
Thoughtful perspective...🤔🤔🤔
जिंदगीं से सिर्फ शादी बरबादी को हटा दो फिर देखों जिंदगी जननत बन जाऐंगीं
ओशो
Bahut sahi kaha sir❤
आपकी स्पीच दिल जीत लेती है सर thanks you so much.
I like your all video or topics 👍
Sar kabhi hame bhi invite kariye Apne seminar meeting mein please 🙏
Thanks for making this video,
Ek bacche ko 12th standard tak study ka expense atleast 10 lakhs hai ( only study expenses), if he/she are good and further study cost another 10 15 lakhs rupees,
So 1 kid will cost 20 25 lakhs rupees,
If u have 2 kids multiple with 2 ...
How a normal salary earning can afford to have 2 kids....
In San Francisco, a typical Indian child will cost 1 million$ in his lifetime going forward. Not kidding. And thats a lot of money from your savings even if you are a software engg here.
But he is also talking about earth.. Earth is severely over populated..
Not only about if you can afford..But main thing is earth cannot afford..
बहुत बढ़िया आपके अलावा शायद ही कोई और अच्छे से समझा सकता है
आचार्य प्रशांत जी इनसे भी अच्छे से समझाते हैं😂😂
मेरा मानना है कि जिस परिवार में संतानोत्पत्ति कम एवम् शिक्षा ज्यादा होगी,उस परिवार की उन्नति जरूर होगी।
Unati se kya korege jab SAB chin lenge thumhara muslim hai hum
Bilkul sahi kaha aapne sir
सपने देखने वालों के लिए रात छोटी पड़ जाती है।
और सपने पूरे करने वालों के लिए दिन छोटा पड़ जाता है।।
#juniorvikash
Love from Jammu and Kashmir, your all videos amazing 👌👌👌👌👌sir you share incredible knowledge 🙏🙏🙏
माय नाम आरुशी २२ ईयर ओल्ड ड्राइंग टीचर में बहुत हार्ड वर्क करती हूँ प्लीज सपोर्ट एंड सब्सक्राइब मेंth-cam.com/users/Drawingbookforlearning
Great thinking which think to everyone required today.
Bhai ek number shukriya bhai 🙏🏻👍🏻
U r right brother. I also believe the same. But people who have children keep on asking to the one who don’t have that what about kids? Hence person who don’t have kids or don’t want kids end up being anti-social...educated ppl know what is life...it’s not about just getting married & having kids...
True
@urvi, I lived in India many years ago and came to US for work (not that it should matter too much). It is important to have your own hobbies. After dating a few times, I realized that marriage was not for me. If I ever date now I let my future partner know that I would not be interested in marriage, if it still works for them they stay else they don't and I am happy both ways. I started developing more hobbies and have kept myself busy all these years and have a great social life due to my hobbies. Ofcourse I live in San Francisco hence I get that benefit of not being judged, unlike India. I am 34 yrs old now. I really hope India has changed so If i move back I don't have to face the things you are telling. Also, I never meet/hangout with people who rub me the wrong way, if they do rub me wrong, I straight up say NO to them next time without citing a reason and let them keep second guessing.
Please do not do things to make others happy. Those others are temporary whereas the things you do for them causes permanent damage in many cases. I actually know couples who never wanted a child but ended up having an autistic child later and struggle with it all the time. The child is struggling and so are the parents.
Great thought sir
Kash dus saal pehle ye gyan prapt hua hota... 😄😄😄
Outstanding sir.
Absolutely right sir 🙏
Great vidio
Point to be noted 👌😎
Superb sir....bahot badiya smjaya....
Bhaut sahi kha sir apne . India ki need h ye samaj.🙏
Very much obliged to your logic.....everyone need to underatand this before its too late....
Eye opening stats,,, thanks
Sir your video really helps the people of india who produce childs without any logical thinking. The world's need to be rescued by over population then only the poverty will reduce. Thanks to you 🙏🙏
Great message,i foolw u sir,u r real indian sir,no one talk about india growing population..
Kash ye video 2 years pahle dekhi hoti 😭😭😭😭
Bilkul Sahee kha apne sir
Thanks a lot Zorba Bhai.
I agree with you sir,@
बिल्कुल सही जानकारी दी आपने
Sir u are very correct
But Indian people don't understand the consequences .
Great Topic 👍
Soch k Bahar tha yaar ye toh, bhoat hi jyada achi soch
Bohut hi Gajab ki baat btayi aur gajab ka mudda udhaya.... Well said bhai.... 👍👍👍👍👍👌👌👌👌👌......Main yehi sochta hu...... Aur mera bhi yehi kehna ki aadmi ko pehle khudko stable krlena chahiye phir shaadi waadi, falana dhikana.......
Nai karna saadi mujhe ..... I want to earn money and live a spiritual life......
spiritual life jine ke liye money ka kya krega.
@@sidductive3171 kya karunga matlab?..spirituality me jaane ke liye pehle basic needs to poori honi chahiye na....ooske liye money ki jarurat padegi....itna to money ho ki basic needs poori ho jaaye.....
@@cinemamylove5712 abhi ho sprituality mein