'भारत दुर्दशा' नाटक (अंक -5)/Bharat Durdasha Natak (Ank -5)

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  • เผยแพร่เมื่อ 15 ม.ค. 2025
  • पाँचवें अंक में भारत दुर्दैव के हमले से बचने के लिए पढ़े-लिखे भारतीयों की बैठक का उल्लेख है। इसमें बंगाली, महाराष्ट्री, देशी, कवि, एडिटर आदि सजीव पात्र हैं। बंगाली, महाराष्ट्री एवं एडिटर की साहसिकता तथा हिन्दी-भाषी देशी सज्जन एवं कवि की कायरता का दृश्य खड़ाकर नाटककार ने बंगाली नवजागरण एवं मराठी नवजागरण की तुलना में हिन्दी नवजागरण के पिछडे़पन को उभारा है।
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