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साहित्यिक झरोखा
India
เข้าร่วมเมื่อ 19 ต.ค. 2016
इस चैनल पर चौ. देवी लाल विश्वविद्यालय व कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के अन्तर्गत आने वाले हिन्दी विषय का सम्पूर्ण पाठ्यक्रम उपलब्ध है।
'पद्मावती समय' पृथ्वीराज रासो/'Padmavati Samay'Prithviraj Raso
पद्मावती समय चंदवरदाई द्वारा रचित पृथ्वीराज रासो का 20वाँ समय है। पद्मावती समय में कवि ने श्रृंगार , वीर ,रौद्र , वीभत्स , भयानक रासों का सजीव चित्रण किया है। पृथ्वीराज रासो हिन्दी का प्रथम महाकाव्य है। चंदवरदाई को रामचंद्र शुक्ल ने प्रथम महाकवि माना है।
th-cam.com/video/kmfayEyuyHM/w-d-xo.htmlsi=XElM6hTVKUISJ6f7
t.me/DrSaharan2020
#hindi#sahitya
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#hindi#sahitya
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วีดีโอ
रेणु : समग्र मानवीय दृष्टिकोण/ निर्मल वर्मा
มุมมอง 1474 ชั่วโมงที่ผ่านมา
ये मार्मिक संस्मरण कहानीकार निर्मल वर्मा ने उन्हें याद करते हुए लिखा था. इसे रेणु की पुस्तक ‘ऋणजल धनजल’ में शामिल किया गया है। #hindi#sahitya
नयी कहानी: सफलता व सार्थकता,डॉ. नामवर सिंह/Nai Kahani Safalta va Sarthakta
มุมมอง 2584 ชั่วโมงที่ผ่านมา
डॉ. नामवर सिंह ने अपनी किताब 'कहानी नयी कहानी' में नई कहानी आंदोलन और नई कहानी से जुड़े कई विषयों पर चर्चा की है। #hindi#sahitya
नयी कहानी सफलता व सार्थकता/Nai Kahani Safalta v Sarthakta
มุมมอง 1.4K7 ชั่วโมงที่ผ่านมา
नई कहानी की शुरुआत 1956 में हुई थी. भैरव प्रसाद गुप्त के संपादन में नई कहानी नाम की पत्रिका का एक विशेषांक निकाला गया था. इस विशेषांक के आधार पर आगे आने वाली कहानियों को नई कहानी कहा जाने लगा. नई कहानी आंदोलन के प्रमु प्रवर्तक ये रहे: राजेंद्र यादव, मोहन राकेश, कमलेश्वर, मन्नू भंडारी, निर्मल वर्मा, उषा प्रियवंदा। नई कहानी की कहानियों में अपने समय के जीवन को समग्रता से दिखाने की कोशिश की गई. नई ...
'ग्राम' कहानी/ जयशंकर प्रसाद/Garam Kahani/Jai Shankar Prasad
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छायावाद काव्य के सशक्त हस्ताक्षर, नाट्य साहित्य के प्रबल प्रवर्तक, कहानी, उपन्यास, महाकाव्य के सर्जक का जन्म 30 जनवरी, 1889 ई. को वाराणसी, उत्तर प्रदेश में हुआ, इनके पिता देवी प्रसाद साहू वाराणसी के जाने-माने व्यापारी थे। पितामह शिव रत्न साहु वाराणसी के वैभवशाली व्यापारियों की श्रेणी में आते थे और सुँघनी-साहू के नाम से उनका घराना प्रसिद्ध था। संपन्न परिवार में पैदा हुए प्रसाद की पढ़ाई घर पर ही ...
'कथा एक कंस की' नाटक की भूमिका/'Katha Ek Kans Ki' Natak Ki Bhumika
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नाटक ‘कथा एक कंस की‘ आधुनिक हिंदी नाट्य यात्रा में एक मील का पत्थर है। रंग जगत् और साहित्य.जगत् दोनों द्वारा प्रशंसित, चर्चित, मंचित, पठित माना गया है। इससे नाटककार दया प्रकाश सिन्हा की रंगमंच के प्रति बहुआयामी प्रतिबद्धता तथा नाटक को जीवन का प्रतिरूप मानकर जीवन जीने की कथा का पता चलता है। उनके नाटकों में जीवन के दोनों रूपों का सुंदर प्रयोग देखने को मिलता है। ‘कथा एक कंस की‘ नाटक में कंस ही नही...
'निशा को धो देता राकेश'/महादेवी वर्मा/Nisha Ko Dho Deta Rakesh
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महादेवी जी की सृजन-प्रक्रिया विशुद्ध भावात्मक रही है। उनकी धारणाओं को युग के विभिन्न वाद परिवर्तित नहीं कर सके हैं। उन्होंने किसी एक दर्शन को केंद्र नहीं बनाया। जिसे जीवन अथवा समाज के लिए उपयुक्त समझा उसे आत्मसात कर लिया। महादेवी जी विशुद्ध रूप से भारतीय संस्कृति की पोषक होने के कारण उनकी समस्त काव्य कृतियों में उसका प्रभाव परिलक्षित होता है। वे छायावाद का मूल दर्शन सर्वात्मवाद को मानती है और प...
'पद्मावती समय' पृथ्वीराज रासो/(क्लास -3)/'Padmavati Samay' Prithviraj Raso
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पृथ्वीराज रासो रासक शैली में लिखा हुआ एक चरित्र काव्य है इसमें चौहान वंश के राजा पृथ्वीराज चौहान को नायक के रूप में चित्रित किया गया है। इसी काव्य के 20 वें सर्ग में समुद्र शिखर के शासक विजयपाल की पुत्री पद्मावती का दिल्ली के शासक पृथ्वीराज चौहान द्वारा हरण तथा विवाह का चित्रण किया गया है। इसमें इतिहास में कल्पना का सुंदर समायोजन है। th-cam.com/video/oVWS1Iw9i2w/w-d-xo.htmlsi=Nwzq9Qh7K5IahfbO t...
'आकाशदीप' कहानी की तात्विक समीक्षा/Aakashdeep Kahani kahani ki Samiksha/Jaishankar Prasad
มุมมอง 14019 ชั่วโมงที่ผ่านมา
’आकाशदीप’ कहानी माया ममता और स्नेह-सेवा की देवी चम्पा की मार्मिक व्यथा-कथा है। भाव-प्रवण छायावादी कवि प्रसाद की इस कहानी में चम्पा के पावन चरित्र का मनोहर चित्रण है। कथा का विकास तीव्र गति से हुआ है। कौतूहल और रोचकता से परिपूर्ण सहज भाव से गतिशील होती हुई यह कहानी अन्त में हमारे हृदय को बेध जाती है। th-cam.com/video/9UlXh3bmv30/w-d-xo.htmlsi=lMdoElhV-Z8SSQqP t.me/DrSaharan2020 #hindi#sahitya
'कथा एक कंस की' नाटक की भूमिका/दया प्रकाश सिन्हा/Katha Ek Kons Ki Natak
มุมมอง 5019 ชั่วโมงที่ผ่านมา
नाटककार दयाप्रकाश सिन्हा ने ‘कथा एक कंस की’ नाटक में कंस के मूल चरित्र से छेड़छाड़ किए बिना इसे समकालीन राजनीतिक स्थितियों से जोड़ने का सार्थक प्रयास किया है। नाटक में कंस के चरित्र के दो पहलू उभरकर आते हैं। एक ओर कंस एक क्रूर, आततायी निरंकुश शासक के रूप में दिखता है, वहीं दूसरी तरफ वह एक संगीत प्रेमी, भावुक, अकेलेपन का शिकार, उदास और निराशा में डूबे हुए संवेदनशील व्यक्ति के रूप में दिखाई देता है।...
'पद्मावती समय' पृथ्वीराज रासो ( क्लास -2)/Padmavati Samay /Prithviraj Raso
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पृथ्वीराजरासो रासक परम्परा का एक काव्य है। जैसा इसके नाम से ही प्रकट है, दिल्ली के अंतिम हिंदू सम्राट् पृथ्वीराज के जीवन की घटनाओं को लेकर लिखा गया हिंदी का एक ग्रंथ जो चंदवरदाई राव का लिखा माना जाता रहा है। पहले इस काव्य के एक ही रूप से हिंदी जगत् परिचित था, जो संयोग से रचना का सबसे अधिक विशाल रूप था, इसमें लगभग ग्यारह हजार रूपक आते थे। उसके बाद रचना का एक उससे छोटा रूप कुछ प्रतियों में मिला,...
आकाशदीप कहानी/जयशंकर प्रसाद/Aakashdeep Kahani/Jaishankar Prasad
มุมมอง 95วันที่ผ่านมา
इस कहानी में एक ऐसे वातावरण का सृजन किया गया है जिसमें इस कहानी को पढ़ने वाले पाठक को अपने समाज और राष्ट्र के प्रति अपना सर्वस्व त्याग करने की प्रेरणा मिलती है। साथ ही इस कहानी में प्रेम के महत्व को भी समझाया गया है कि बुद्धगुप्त जैसा डाकू भी प्रेम में पड़कर अपनी दस्युवृत्ति का त्याग कर एक अच्छा मानव बन सकता है। #hindi#sahitya
पृथ्वीराज रासो 'पद्मावती समय'/Padmavati Samay
มุมมอง 147วันที่ผ่านมา
पृथ्वीराज रासो हिन्दी भाषा में लिखा एक महाकाव्य है जिसमें सम्राट पृथ्वीराज चौहान के जीवन और चरित्र का वर्णन किया गया है। इसके रचयिता चंदबरदाई पृथ्वीराज के बचपन के मित्र और उनके राजकवि थे और उनकी युद्ध यात्राओं के समय वीर रस की कविताओं से सेना को प्रोत्साहित भी करते थे। #hindi#sahitya
जार्ज लुकाच/George Lukach
มุมมอง 311วันที่ผ่านมา
जॉर्ज लुकाच का लेखन बहुआयामी प्रतिभा का उत्तम निदर्शन उपस्थापित करता है। दर्शन और साहित्य दोनों पर उन्होंने समान अधिकार से कलम चलायी है। एक साहित्यकार के रूप में लुकाच ने मार्क्सवादी विचारधारा को अपनाया भी है और उसे एक नवीन व्याख्या से संवलित कर पुष्ट भी किया है। "मार्क्सवादी साहित्य-चिन्तन के अंतर्गत लूकाच का महत्त्व यथार्थवाद के प्रामाणिक व्याख्याता के रूप में है।"[३] उनका आलोचनात्मक लेखन सैद...
भारत दुर्दशा नाटक (अंक- 6) /Bharat Durdasha Natak
มุมมอง 39814 วันที่ผ่านมา
भारत दुर्दशा भारतेन्दु हरिश्चन्द्र द्वारा सन 1875 ई में रचित एक हिन्दी नाटक है। यह राष्ट्रीय चेतना का पहला हिन्दी नाटक है। इसमें भारतेन्दु ने प्रतीकों के माध्यम से भारत की तत्कालीन स्थिति का चित्रण किया है। वे भारतवासियों से भारत की दुर्दशा पर रोने और फिर इस दुर्दशा का अन्त करने का प्रयास करने का आह्वान करते हैं। भारतेन्दु का यह नाटक अपनी युगीन समस्याओं को उजागर करता है, उसका समाधान करता है। भा...
'भारत दुर्दशा' नाटक (अंक -5)/Bharat Durdasha Natak (Ank -5)
มุมมอง 31014 วันที่ผ่านมา
'भारत दुर्दशा' नाटक (अंक -5)/Bharat Durdasha Natak (Ank -5)
भारत दुर्दशा नाटक (अंक - 4)/Bharat Durdasha Natak
มุมมอง 42821 วันที่ผ่านมา
भारत दुर्दशा नाटक (अंक - 4)/Bharat Durdasha Natak
हिंदी साहित्य व पर्यावरण/ Hindi Sahitya vs Paryavaran
มุมมอง 37021 วันที่ผ่านมา
हिंदी साहित्य व पर्यावरण/ Hindi Sahitya vs Paryavaran
'पृथ्वीराज रासो' चंदबरदाई/Prithviraj Raso
มุมมอง 45921 วันที่ผ่านมา
'पृथ्वीराज रासो' चंदबरदाई/Prithviraj Raso
भारत दुर्दशा नाटक (अंक -3)/भारतेंदु हरिश्चंद्र/Bharat Durdasha Natak
มุมมอง 60221 วันที่ผ่านมา
भारत दुर्दशा नाटक (अंक -3)/भारतेंदु हरिश्चंद्र/Bharat Durdasha Natak
भारत दुर्दशा नाटक/Bharat Durdasha Natak
มุมมอง 58528 วันที่ผ่านมา
भारत दुर्दशा नाटक/Bharat Durdasha Natak
'भारत दुर्दशा' नाटक भारतेंदु हरिश्चंद्र/Bharat Durdasha Natak
มุมมอง 1.1K28 วันที่ผ่านมา
'भारत दुर्दशा' नाटक भारतेंदु हरिश्चंद्र/Bharat Durdasha Natak
'कायर' प्रेमचंद की कहानी/ 'Kayar' Premchand Ki Kahani
มุมมอง 10128 วันที่ผ่านมา
'कायर' प्रेमचंद की कहानी/ 'Kayar' Premchand Ki Kahani
'साहित्य का उद्देश्य' निबंध का सार / मुंशी प्रेमचंद/''Sahitya Ka Udeshya' Nibandh
มุมมอง 3.2Kหลายเดือนก่อน
'साहित्य का उद्देश्य' निबंध का सार / मुंशी प्रेमचंद/''Sahitya Ka Udeshya' Nibandh
'रासो' शब्द की व्युत्पत्ति व विशेषताएं/ Raso Sahitya
มุมมอง 403หลายเดือนก่อน
'रासो' शब्द की व्युत्पत्ति व विशेषताएं/ Raso Sahitya
'उपन्यास' निबंध का प्रतिपाद्य/उद्देश्य/'Upnyas' Nibandh Ka Udeshya
มุมมอง 105หลายเดือนก่อน
'उपन्यास' निबंध का प्रतिपाद्य/उद्देश्य/'Upnyas' Nibandh Ka Udeshya
'उपन्यास' निबंध का सार/ मुंशी प्रेमचंद/Upnyas Nibandh
มุมมอง 211หลายเดือนก่อน
'उपन्यास' निबंध का सार/ मुंशी प्रेमचंद/Upnyas Nibandh