समाजशास्त्र का परिचय || अध्याय 5 || समाजशास्त्र और इतिहास का संबंध || B.A. (Sociology) 1st Semester

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  • เผยแพร่เมื่อ 10 ก.พ. 2025
  • इस वीडियो में हम समाजशास्त्र स्नातक (1st semester) के विषय "समाजशास्त्र का परिचय" के अध्याय 5 - "समाजशास्त्र और इतिहास का संबंध" पे चर्चा करेंगे।
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    • समाजशास्त्र (स्नातक)
    समाजशास्त्र और इतिहास के बीच गहरा संबंध है। समाजशास्त्र समाज की संरचना, उसके कार्य और उसमें होने वाले बदलावों का अध्ययन करता है, जबकि इतिहास अतीत की घटनाओं, उनके कारणों और प्रभावों पर ध्यान देता है। समाज को समझने के लिए उसके अतीत को जानना जरूरी है, क्योंकि वर्तमान सामाजिक संरचनाएँ और परंपराएँ ऐतिहासिक घटनाओं से प्रभावित होती हैं। समाजशास्त्रियों ने अपने अध्ययन में इतिहास का उपयोग किया है, जिससे ऐतिहासिक समाजशास्त्र की एक नई शाखा विकसित हुई।
    इतिहास केवल घटनाओं और तिथियों का संग्रह नहीं है, बल्कि यह समाज, संस्कृति और राजनीतिक बदलावों की विकास यात्रा है। समाजशास्त्र समय और स्थान के संदर्भ में सामाजिक संरचनाओं को समझने में इतिहास की मदद लेता है। उदाहरण के लिए, औद्योगिक क्रांति के प्रभावों को समझने के लिए इतिहास का अध्ययन आवश्यक है। समाजशास्त्र यह देखता है कि इस क्रांति ने श्रमिक वर्ग, पारिवारिक संरचना और शहरीकरण को कैसे प्रभावित किया।
    इतिहास और समाजशास्त्र के अध्ययन के तरीके अलग हैं। इतिहासकार मुख्य रूप से अभिलेखों, पुरातात्विक साक्ष्यों और दस्तावेजों पर निर्भर होते हैं, जबकि समाजशास्त्री सामाजिक सर्वेक्षण, साक्षात्कार और सांख्यिकीय विश्लेषण जैसी विधियों का उपयोग करते हैं। इतिहासकार किसी घटना को उसके समय और स्थान के अनुसार देखते हैं, जबकि समाजशास्त्री उसमें छिपे सामाजिक पैटर्न को समझने का प्रयास करते हैं।
    प्रसिद्ध समाजशास्त्री जॉन एच. गोल्डथॉर्प ने कहा था कि इतिहासकार समय और स्थान तक सीमित रहते हैं, जबकि समाजशास्त्री व्यापक सामाजिक सिद्धांतों के आधार पर अपने अध्ययन को विस्तार देते हैं। इतिहास अतीत की घटनाओं का विवरण देता है, जबकि समाजशास्त्र वर्तमान सामाजिक संरचनाओं में इन घटनाओं के प्रभावों का विश्लेषण करता है। उदाहरण के लिए, फ्रांसीसी क्रांति के दौरान नागरिक स्वतंत्रता और समानता के विचारों ने समाज को कैसे बदला, इसे समाजशास्त्र समझने का प्रयास करता है।
    इतिहास और समाजशास्त्र के इस संबंध से ऐतिहासिक समाजशास्त्र की शाखा विकसित हुई, जो सामाजिक बदलावों के पीछे के कारणों की खोज करती है। ताल्कॉट पार्सन्स, नॉर्बर्ट एलियास, नील जे. स्मेलसर और जर्गन हैबरमास जैसे समाजशास्त्रियों ने ऐतिहासिक घटनाओं को सामाजिक संरचना से जोड़ने का प्रयास किया। ऐतिहासिक समाजशास्त्र केवल अतीत की घटनाओं का अध्ययन नहीं करता, बल्कि यह भी देखता है कि वे वर्तमान समाज को कैसे प्रभावित कर रही हैं।
    फ्रांस में एनाल्स स्कूल के इतिहासकारों लूसियन फेबव्रे और मार्क ब्लॉक ने इतिहास को सामाजिक और सांस्कृतिक संदर्भ में देखने की वकालत की। इसी तरह, समीर अमीन, जेम्स ब्लॉट और आंद्रे गुंडर फ्रैंक ने आधुनिकता के यूरोप-केंद्रित दृष्टिकोण को चुनौती दी और दिखाया कि आधुनिकता का विकास वैश्विक था।
    इतिहास और समाजशास्त्र की यह परस्पर निर्भरता सामाजिक विज्ञान को अधिक समृद्ध बनाती है। समाजशास्त्र को ऐतिहासिक संदर्भ में रखकर अध्ययन करने से सामाजिक संरचनाओं को बेहतर ढंग से समझा जा सकता है।

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