भारत का इतिहास -1 || अध्याय 16 || मौर्य साम्राज्य || B.A. (History) 1st Semester

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  • เผยแพร่เมื่อ 10 ก.พ. 2025
  • इस वीडियो में हम इतिहास स्नातक (1st semester) के विषय "भारत का इतिहास - 1" के अध्याय 16 - "मौर्य साम्राज्य" पे चर्चा करेंगे।
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    • इतिहास (स्नातक)
    मौर्य साम्राज्य भारतीय इतिहास का पहला अखिल-भारतीय साम्राज्य था, जिसने एक संगठित प्रशासन और विस्तृत शासन प्रणाली स्थापित की। इसकी नींव चंद्रगुप्त मौर्य ने 4 सौ 20 ईसा पूर्व से 4 सौ ईसा पूर्व के बीच रखी, जब उन्होंने नंद वंश को पराजित किया। उनके गुरु चाणक्य ने इस विजय में अहम भूमिका निभाई। बाद में, चंद्रगुप्त ने सेल्यूकस निकेटर के साथ संधि की और अफगानिस्तान के कुछ हिस्सों पर अधिकार प्राप्त किया। उनके बाद उनके पुत्र बिंदुसार ने शासन संभाला, जो अपनी सैन्य शक्ति के लिए प्रसिद्ध थे।
    लेकिन मौर्य साम्राज्य का सबसे महत्वपूर्ण शासक अशोक थे, जिन्होंने अपने शासनकाल में एक नई विचारधारा को बढ़ावा दिया। कलिंग युद्ध (2 सौ 60 ईसा पूर्व) के बाद हुए रक्तपात से वे अत्यधिक व्यथित हुए और बौद्ध धर्म की ओर मुड़ गए। उन्होंने ‘धम्म’ यानी नैतिकता, अहिंसा और धार्मिक सहिष्णुता को अपने शासन का मूल आधार बनाया। उनके अभिलेखों में शासन, प्रशासन और समाज सुधार से जुड़ी नीतियाँ मिलती हैं। अशोक ने अपने धम्म महामात्र नामक अधिकारियों को पूरे साम्राज्य में भेजा और बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए श्रीलंका, ग्रीस और मिस्र तक दूतावास भेजे।
    मौर्य प्रशासन सुव्यवस्थित और केंद्रीकृत था। राजा के पास सर्वोच्च शक्ति थी, लेकिन मंत्रिपरिषद और विभिन्न अधिकारी शासन संचालन में सहायता करते थे। प्रशासन को कई स्तरों में विभाजित किया गया था- केंद्रीय प्रशासन, प्रांतीय प्रशासन, जिला और ग्राम प्रशासन। नगरों का प्रशासन भी सुव्यवस्थित था, जिसमें विशेष समितियाँ उद्योग, व्यापार, कर-संग्रह और सुरक्षा का ध्यान रखती थीं।
    अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर आधारित थी, लेकिन व्यापार और वाणिज्य भी अत्यधिक विकसित थे। उत्तरापथ और दक्षिणापथ जैसे व्यापार मार्गों से वस्तुओं का आदान-प्रदान होता था। मौर्य काल में सिक्कों का प्रचलन बढ़ा और व्यापारिक गिल्डें प्रभावशाली बनीं।
    समाज में विभिन्न वर्ग थे- ब्राह्मण, श्रमण, कृषक, व्यापारी, कारीगर और सैनिक। जाति व्यवस्था मौजूद थी, लेकिन प्रशासन में सभी वर्गों की भागीदारी थी। अशोक ने सामाजिक सुधारों पर बल दिया और सार्वजनिक कल्याण के लिए सड़कें, कुएँ और चिकित्सालय बनवाए।
    मौर्य साम्राज्य का पतन अशोक के बाद शुरू हुआ। कमजोर उत्तराधिकारी, बढ़ते प्रांतीय विद्रोह और उत्तर-पश्चिमी आक्रमणों ने इसे कमजोर कर दिया। अंततः अंतिम मौर्य शासक बृहद्रथ की हत्या उनके सेनापति पुष्यमित्र शुंग ने कर दी और शुंग वंश की स्थापना हुई।
    हालाँकि मौर्य साम्राज्य समाप्त हो गया, लेकिन इसकी प्रशासनिक और सांस्कृतिक विरासत आने वाले राजवंशों के लिए प्रेरणा बनी। अशोक की धम्म नीति, चंद्रगुप्त का राजनीतिक कौशल और बिंदुसार की सैन्य शक्ति भारतीय इतिहास में हमेशा याद रखी जाएगी।

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