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बचपन में एक भजन गाती थी। इतनी किरपा सांवरे बनाए रखना, मरते दम तक सेवा में लगाए रखना।अब समझ आया कौन सांवरा और क्या उनकी सेवा का अर्थ। आचार्य जी के कहे अनुसार काम ही सांवरे की सेवा है।शत शत नमन गुरु जी।
स्त्री पुरुष से बहुत ही ऊपर की बात है कि हम एक चेतना है, जिस भी मनुष्य ने ये बात हमेशा याद रखी , उसके जीवन से बहुत सारी समस्या समाप्त हो जायेगी ।।। कोटि कोटि प्रणाम आचार्य जी 🙏 🙏 🙏 🙏 🙏 🙏 💐
आम जन मानस में पुरुष और स्त्री की शौचालय वाली परिभाषा चलती है- कि जिसका लिंग पुरुष का है वो पुरुष है और जिसका लिंग स्त्री का है वो स्त्री है। अध्यात्म में शौचालय वाली परिभाषा नहीं चलती। वहाँ थोड़ी ऊँची बात है। वहाँ देह को प्रकृति या स्त्री कहा गया है और देह स्थित चेतना को पुरुष कहा गया है। तो नारी नरक का द्वार है - इसका अर्थ हुआ कि अगर देह केंद्रित होकर जियोगे तो ये जीवन ही नर्क है। -आचार्य प्रशांत
प्रणाम आचार्य जी मैं अपने 22 साल की उम्र में भी सिर्फ देह को समझता था,इन दोनो चीजों में मेरा मन हमेशा विचलित रहता था। लेकिन आपके पावन वचनों से मेरी चेतना जाग गई।🙏🙏🙏
Guru jii mujhe lagta hai pure india me sirf 5% hi aaise log hai jo aapko sunte hai kyuki aapki baatein ko sunne ke liye high intelligence honi chahiye Jo sab me nhi hai 🙏
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🙏🙏🙏🙏, सत्य वचन, देह केन्द्रित व्यक्ति केवल देह के बारे में ही सोचता है, उसे चेतना दिखाई ही नहीं देती, बहुत ही सही, सुन्दर और स्पष्ट वक्तव्य, धन्यवाद आचार्य जी सही मार्ग दर्शन के लिए
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प्रणाम आचार्य जी 🙏 इतनी खूबसूरत व्याख्या करने के लिए धन्यवाद वरना आजकल तो तथाकथित विद्वान धर्म ग्रंथो और अध्यात्म की इतनी विकृत व्याख्या करते हैं कि उनको सुनके धर्म से ही विश्वास उठ जाए पर मैं बहुत भाग्यशाली हूं जो आपको सुनने का अवसर मिला 🙏
हमने मन को देहभाव से इस स्तर तक भर लिया है कि हम धार्मिक ग्रन्थों का अध्ययन भी शरीर को केन्द्रित करके करते हैं। और फिर श्लोकों का अर्थ भी शरीर से संबंधित ही निकालते हैं। चेतना से कुछ लेना देना नहीं हमें।
🥺कष्ट होता है बहुत आचार्य जी कि स्त्री पुरुष को.. पुरुष स्त्री को देह भाव मे ही एक दूसरे को देखते है प्रेम का नहीं वासना का संबंध रखते है एक दूसरे से 🥺🥺
किसी भी व्यक्ति में अनंत संभावना होती है आत्मिक ऊंचाई की ,स्वर्ग की सारी संभावना से हाथ धो बैठे और नर्क किसको कहते हैं! अध्यात्म को उम्र ,देह से नहीं संबंध है जो चीज वाकई महत्वपूर्ण है आपके लिए "चेतना" उससे संबंध है।🙏
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आचार्य जी के अनुयायियों की संख्या तेजी से बढ़ते देख कर बहुत बहुत बहुत अच्छा लगता है l सत्य के प्रति और सत्य से अवगत कराने वाले आचार्य जी के प्रति लोगों का रुझान बढ़ते देख कर बहुत अच्छा लगता है l नमन 🙏🙏❤️
नर है चेतना, नारी है शरीर। मतलब नर और नारी दोनों चेतना से पुरूष है, लेकिन शरीर से स्त्री। कुल मिलाकर हमें ये समझना है की हम दृष्टिकोण कैसा रखते है। 🙏🕉🚩 अगर हम चेतना से ओतप्रोत है, तो हम भी चेतना ही देखेंगे। और अगर देंह मात्र तक ही समझ रहे तो, फिर गुरू आदिशंकराचार्य बिल्कुल सटीक कह रहें। लेकिन ये बहुत ऊँचे तल की बात है। 🧡🧡🧡🧡🧡🧡🧡 हमें समझने के लिए आत्मज्ञान होना अतिआवश्यक है। और हम सब का सौभाग्य है की आचार्य प्रशांत वही बात कर रहे जो गुरू आदिशंकराचार्य कहना चाह रहे है।☀️🔆🌼 परन्तु हम महिलाओं को भी ये बात समझनी पड़ेगी देंह मात्र से कुछ ना होने वाला। इससे सिर्फ और सिर्फ पतन महिलाओं का होगा। 🙌🙌🙌🙌 आचार्य प्रशांत से बेहतर आत्मज्ञान, आत्मबोध, आत्मबल, आत्मविश्वास, समझाने में कोई हो ही नहीं सकता।🙌👌👏🙏 🕉🚩🕉🚩🕉🚩🕉🚩🕉🚩 आचार्य जी आपको ढेर सारा प्यार। 💛💛💛💛💛💛💛
जबरदस्त आचार्य जी क्या बात है बिल्कुल सही नारी को केबक अन्य दूसरे ब्यक्ति की तरह समझो ब उससे ब्यबहार भी करो नाकि उसका सरीर देखकर ब मेरा कहना है कि ( केबल स्पर्स से ही बचना है बचाना हे बाकी सब ठीक है ) जय श्री राम ( हरि ओम हरी )
इस मूढ़ अज्ञानी को क्षमा करें गुरुजी मैनें इस पूरे व्याख्यान को ध्यान से सुना. पूरा समझ नही आया मगर इतना ज़रूर समझ आया कि यूथ को अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करना बताया गया है क्योंकि कई युवा या युवती उम्र के जोश में पड़कर अपने विपरीत लिंग की ओर आकर्षित हो जाते हैं और प्रायः अपने लक्ष्य से भटक जाते हैं। आदिगुरु श्री शंकराचार्य ने एक वाक्य में अपनी बात समाप्त कर दी कि "नारी नरक का द्वार है" लेकिन यहाँ सिर्फ़ नारी को ही नही कहा गया है।आपने उसको अच्छे से एक्सप्लेन कर दिया।धन्यवाद गुरुजी. सप्रेम नमस्कार
_नारी नर्क का द्वार है उसके लिए जो नारी को सिर्फ बसाना की दृष्टि से देख रहे है...._ _उसके लिए जो नारी को सिर्फ एक वस्तु की तरह देख रहा है..._ *उसके लिए नहीं जो नारी को चेतना की दृष्टि से देख रहे है ...*
आचार्य जी को नमस्कार🙏🙏🙏 बहुत सुंदर बात की आपने यूहीं नहीं कोई किसीको सहमत कर सकता उसके लिए विचारों मे सचाई और सपष्टा होनी चाहिए। आज के समय मे हमे आप जैसे ज्ञानी महात्मा की ज़रूरत है🙏🙏🙏।
I am highly grateful to you guruji I used to think women are trapped in false customs no one is ready to accept. I pray God to make many women listen to your precious words and follow. Thank you, thank you very 🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼
🙏🙏आचार्य जी मैं इस बात को मानती हूँ औरत नर्क की द्वार हैं मैं भी एक औरत हूँ जिन औरत से हमारी दोस्ती हुई वो सब सादी सुदा थी दूसरे पतियों के पीछे पड़ी थीं जब मुझे पता चलता था मैं उनसे दूरी बना लेती हूँ।। 🙏🙏जय श्री राधे।।
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Mera bhi ek question hai aacharya Shankar se related aacharya ji
Kuchh Osho ke bare mein bataiye aapka vichar Janna chahte Hain
आचार्य श्री प्रणाम 🙏
आपका ज्ञान धुंधली अज्ञानता को साफ़ करता है
आज के समाज को बेहतर बनाने के लिए बहुत ही जरूरी है 🙏🙏🙏🙏
Superb
Prashant ji is a true feminist.
मनुष्य की उच्चतम संभावना क्या है?
चेतना को मांस बना देना ही नर्क है ,नर्क उस व्यक्ति में नहीं है जिसे नारी कहते हैं, नर्क तुम्हारी दृष्टि में है👌
Right
👌👌👌👌🙏🙏🙏
Right
Very good
Right
आचार्य शंकर द्वारा कही गई इतनी ऊंची बात को समझाने के लिए व्यक्ति भी उतना ही ऊंचा चाहिए जैसे स्वयं आचार्य प्रशांत ❤️❣️❤️❣️
🙏
Sahi kahe🙏
Right
😃😃👌👌
Shi h bhai
बिल्कुल स्पष्ट व्याख्यान जो स्त्री-पुरुष के भेद मिटाकर केवल चैतन्य बिंदू पर केंद्रित कर देता है। कोटि कोटि प्रणाम आचार्य जी
एकबार फिर स्त्री,पुरुष पर श्रेष्ठ और चेतना से भरा उत्तर सुनने को मिला🙏🙏
जो सिर्फ देह भाव में ही स्थित है वो ही नारी है (चाहे वो लिंग से नर हो या नारी हो) 🙏🙏🙏🙏🙏
बचपन में एक भजन गाती थी। इतनी किरपा सांवरे बनाए रखना, मरते दम तक सेवा में लगाए रखना।अब समझ आया कौन सांवरा और क्या उनकी सेवा का अर्थ। आचार्य जी के कहे अनुसार काम ही सांवरे की सेवा है।शत शत नमन गुरु जी।
Thanks
स्त्री पुरुष से बहुत ही ऊपर की बात है कि हम एक चेतना है, जिस भी मनुष्य ने ये बात हमेशा याद रखी , उसके जीवन से बहुत सारी समस्या समाप्त हो जायेगी ।।। कोटि कोटि प्रणाम आचार्य जी 🙏 🙏 🙏 🙏 🙏 🙏 💐
पुराने सामाजिक बंधनों से कहीं ज्यादा घातक है आज की आजादी... ये तो 100% सत्य है..
इतनी बड़ी भ्रांति तोड़ने के लिये कोटि कोटि नमन 🙏🙏 इसको ढाल बनाके बहुत लोग सनातन को बुरा बताते रहते हैं।
अध्यात्म ज्ञान के आधार पर कही गई बातों का विश्लेषण आज के बायोलॉजी ज्ञान के आधार पर किया जाए तो मति भ्रमित तो होगा ही। गुरु जी को शत शत नमन।
आम जन मानस में पुरुष और स्त्री की शौचालय वाली परिभाषा चलती है- कि जिसका लिंग पुरुष का है वो पुरुष है और जिसका लिंग स्त्री का है वो स्त्री है।
अध्यात्म में शौचालय वाली परिभाषा नहीं चलती।
वहाँ थोड़ी ऊँची बात है।
वहाँ देह को प्रकृति या स्त्री कहा गया है और देह स्थित चेतना को पुरुष कहा गया है।
तो नारी नरक का द्वार है - इसका अर्थ हुआ कि अगर देह केंद्रित होकर जियोगे तो ये जीवन ही नर्क है।
-आचार्य प्रशांत
यह प्रश्न बहुत महत्वपूर्ण है। मुझे पहले इसलिए ग्रंथ पसंद नही थे लेकिन आचार्य जी की बात बिलकुल सही है। धन्यवाद स्पष्टीकरण के लिए🙏👣🌸🌸
हे अदिपुरुष आपने मेरे जीवन को बदल दिया है
मैंने भगवान को तो नहीं देखा लेकिन आपमें भगवान को जरूर देखा है..... मरने से पहले एक बार आप से मिलना चाहता हूं
प्रणाम आचार्य जी मैं अपने 22 साल की उम्र में भी सिर्फ देह को समझता था,इन दोनो चीजों में मेरा मन हमेशा विचलित रहता था। लेकिन आपके पावन वचनों से मेरी चेतना जाग गई।🙏🙏🙏
असली योद्धा आप हो आचार्य जी जो हमें रोज़ाना आज़ादी का पाठ पढ़ाते हो, आचार्य जी आप साक्षात कृष्ण हैं। शत् शत् नमन आचार्य जी ❤️🙏🏼🕉
,🙏
🙏🙏💯
सत्त सत नमन🙏🙏🙏💐💐💐
🙏🙏🙏🙏
*"हर बार आचार्य जी से यूनिक और मौलिक उत्तर सुनने को मिलते हैं"* ☺️☺️
पुराने बंधनों से ज्यादा खतरनाक हैं, आज की आज़ादी।🙏🙏
Ha
Right
आपको सुनने के बाद..अहम को गहरा चोट लगता है और मनुष्य को अपनी कमियां नजर आने लगती है🙏🙏🙏
चेतना पुरुष है और शरीर प्रकृति जो चेतन है वो पुरुष है.. प्रणाम आचार्य जी... शरीर पुर है जो भीतर है वो पुरूष है..
बहुत ही deep thinking
👍👍👍👍
वर्षो से जिस प्रश्न का उत्तर नही मिल रहा था,आज अनायास ही आचार्य जी से मिल गया।बहुत ही गजब व्याख्यान।
Guru jii mujhe lagta hai pure india me sirf 5% hi aaise log hai jo aapko sunte hai kyuki aapki baatein ko sunne ke liye high intelligence honi chahiye
Jo sab me nhi hai 🙏
चैतन्य होना ही संपूर्णता का बोध है,अर्थात यही हमारी मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करता है🙏
These videos can change one's life .I am 16 years old and now got the right way where I can go behind my body and will get the spirituality.
Thanks a lot to you respectfully acharya prasantji
You should be a genius already to understand such unique things. Great!!! 👌
Me 18 😊
Wow that's really good to hear... Keep going in this way...
🙏🙏🙏🙏, सत्य वचन, देह केन्द्रित व्यक्ति केवल देह के बारे में ही सोचता है, उसे चेतना दिखाई ही नहीं देती, बहुत ही सही, सुन्दर और स्पष्ट वक्तव्य, धन्यवाद आचार्य जी सही मार्ग दर्शन के लिए
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सच्चा, सटीक मार्गदर्शन करने के लिए सहृदय धन्यवाद गुरु जी।।🙏❤️
किसी भी व्यक्ति मे अनंत संभावनाएं होती हैं आत्मीक ऊंचाई की ❤😊🙏
बहुत ही श्रेष्ठ व्याख्यान👌👌👌 गुरूजी एकदम जड़ तक ले जाते हैं और आपकी यह जमीनी निरक्षण की बात ही कुछ और होती है।
👍👍
""राम नाम सत्य है "--सत्य का मतलब आपने बताया हम झूठे लोगों को। करोड़ करोड़ धन्यावाद।
बहुत ही सुंदर तरीके से स्पष्ट किया आचार्य जी😊
मुझे तो विवाह करना ही नहीं है बस मुझे ज्ञान वैराग्य और भक्ति में रहना है।
राधे राधे🙏🙏🙏
Sahi kaha ❤😢😢❤
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आपकी बातें सुनने के बाद कोई प्रश्न नही रह जाता है आप वास्तव में चैतन्य है गुरु जी 🙏🙏
चेतना पुरुष हैं शरीर तो सभी स्त्री का ही हैं।
अपनी जिन्दगी में आपके जैसा इतना आत्मबोध कराते हुए कहीं नही देखा एक एक बातें बहुत ही कीमती धन्य हो गया आचार्य जी सादर प्रणाम
धन्यवाद ,नमस्कार
प्रणाम आचार्य जी 🙏 इतनी खूबसूरत व्याख्या करने के लिए धन्यवाद
वरना आजकल तो तथाकथित विद्वान धर्म ग्रंथो और अध्यात्म की इतनी विकृत व्याख्या करते हैं कि उनको सुनके धर्म से ही विश्वास उठ जाए
पर मैं बहुत भाग्यशाली हूं जो आपको सुनने का अवसर मिला 🙏
Ab tak ki sabse jayada pasand aayi hai mujhe aapki ye baate
ग्रंथों के इतने स्पष्ट और सटीक अर्थ पाकर मैं धन्य हुआ आचार्य जी।🙏🙏🙏🙏
हमने मन को देहभाव से इस स्तर तक भर लिया है कि हम धार्मिक ग्रन्थों का अध्ययन भी शरीर को केन्द्रित करके करते हैं। और फिर श्लोकों का अर्थ भी शरीर से संबंधित ही निकालते हैं। चेतना से कुछ लेना देना नहीं हमें।
अध्यात्म को बहुत ही वैझानिक तरीके से समजाते है आचार्य जी। ❤️🙏
बहुत मार्मिक प्रश्न था, बड़ी सावधानी से समझाया आपने आचार्य श्री।
कोटि कोटि धन्यवाद। 🙏🙏🙏🙏🙏
Jo mai kabhi nhi tha wo ab ho gya hun aap ki wjh se 🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🕉️🕉️
मन के बंद दरवाजे खोलने के लिए धन्यवाद ,🙏🙏🙏🙏
किसी भी व्यक्ति की अनंत सम्भावना होती है आत्मिक ऊंचाई कि और तुमने लिया क्या सिर्फ देह और नर्क किसको कहते हैं 🙏🙏
बहुत ही सुंदर व्याख्यान आचार्य जी । आपको बार बार सुनना ही समाधान है 🙏
🥺कष्ट होता है बहुत आचार्य जी कि स्त्री पुरुष को.. पुरुष स्त्री को देह भाव मे ही एक दूसरे को देखते है प्रेम का नहीं वासना का संबंध रखते है एक दूसरे से 🥺🥺
Right said
पुरुष और स्त्री स्वयं खुद को भी भोग और वासना की दृष्टि से देखते हैं तभी तो makeup materials facewash vagerah है पुरुषों और स्त्रियों के लिए
किसी भी व्यक्ति में अनंत संभावना होती है आत्मिक ऊंचाई की ,स्वर्ग की सारी संभावना से हाथ धो बैठे और नर्क किसको कहते हैं! अध्यात्म को उम्र ,देह से नहीं संबंध है जो चीज वाकई महत्वपूर्ण है आपके लिए "चेतना" उससे संबंध है।🙏
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आचार्य जी के वचनों में बड़ी सच्चाई है।
नमन वन्दन आचार्य जी 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
नारी =प्रकृति =माया
पुरुष =आत्मा तत्व (नर व स्त्री)
Jai ho Satye Sanatan Vedic Dharm ki 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
बिलकुल सही बात । आचार्य जी 🙏💟🤝
काफी बातें अब क्लियर होने लगा ।आप सभी को सही तरह से समझे वैसे बताते है ।धन्यवाद आचर्यजी 🙏🙏🙏
Kya sahi baat.....sahi baat ....sahi baat......
Naari ko ghar ki naukrani ki tarah rakha jaata he
शत शत नमन गुरुजी।
🙏❤️🕉️
बहुत अनुभव (गलतियों) के बाद आपसे पूर्ण तया सहमत हूँ
नारी को साक्षात मा जगदंबा का स्वरुप की द्रष्टि से मानो तो मुक्ति का द्वार है और भोग की द्रष्टि से देखो तो नर्क का कारण बनती है
इसका अर्थ ए है
Kabir sahab of our time. if you missed Kabir sahab ..Please DO NOT miss Acharya ji..
आचार्य जी के अनुयायियों की संख्या तेजी से बढ़ते देख कर बहुत बहुत बहुत अच्छा लगता है l सत्य के प्रति और सत्य से अवगत कराने वाले आचार्य जी के प्रति लोगों का रुझान बढ़ते देख कर बहुत अच्छा लगता है l नमन 🙏🙏❤️
नर है चेतना, नारी है शरीर। मतलब नर और नारी दोनों चेतना से पुरूष है, लेकिन शरीर से स्त्री। कुल मिलाकर हमें ये समझना है की हम दृष्टिकोण कैसा रखते है।
🙏🕉🚩
अगर हम चेतना से ओतप्रोत है, तो हम भी चेतना ही देखेंगे। और अगर देंह मात्र तक ही समझ रहे तो, फिर गुरू आदिशंकराचार्य बिल्कुल सटीक कह रहें। लेकिन ये बहुत ऊँचे तल की बात है।
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हमें समझने के लिए आत्मज्ञान होना अतिआवश्यक है। और हम सब का सौभाग्य है की आचार्य प्रशांत वही बात कर रहे जो गुरू आदिशंकराचार्य कहना चाह रहे है।☀️🔆🌼
परन्तु हम महिलाओं को भी ये बात समझनी पड़ेगी देंह मात्र से कुछ ना होने वाला। इससे सिर्फ और सिर्फ पतन महिलाओं का होगा। 🙌🙌🙌🙌
आचार्य प्रशांत से बेहतर आत्मज्ञान, आत्मबोध, आत्मबल, आत्मविश्वास, समझाने में कोई हो ही नहीं सकता।🙌👌👏🙏
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आचार्य जी आपको ढेर सारा प्यार।
💛💛💛💛💛💛💛
सही सही मार्ग दर्शन कराने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।
शत् शत् नमन आचार्य जी 🙏🙏❤️
Every hindu should listen this
power of spirituality❣️🥰🙏🌼
iron man of 21 century.....🤩🌱
बहुत ही अद्भुत प्रवचन है। मैंने ऐसी विचार दृष्टि पहले कभी नहीं देखी।
न जाने कितनी बार ये वीडियो देखा है हर बार जैसे कुछ नया मिल जाता है, टायटल देखकर बुरा लगा था लेकिन पता था आप के पास उत्तर उम्दा होगा।🙏🙏🙏❤😘
🙏🏼
कोटी कोटी धन्यवाद आचार्य जी 🕉🕉🙏🏻🙏🏻
खुप खुप शुभेच्छा दिल्या आहेत आणि अतिशय अप्रतिम आहे जयराम जय जय राम जय राम कृष्ण हरी
जो चैतन्य होकर के उपस्थित है वो सब नर है भले ही शरीर से स्त्री हो।
बहुत सुंदर उत्तर आचार्य जी
सब समझ पाए तो समाज सुधार हो जाए
Apke bate bhut weight full hote hai sir🙏🙏🙏🤗🤗😊
" अध्यात्म में शौचालय वाली परिभाषा नहीं चलती, वहां थोड़ी ऊंची बात चलती है।
🙏🙏
सादर नमन
Wahh aapne bahut aachhi bat kahi hai🙏👍
🙌✨साफ-सुथरा, स्पष्ट, सटीक, हमेशा की तरह🙏🙏
जबरदस्त आचार्य जी क्या बात है बिल्कुल सही नारी को केबक अन्य दूसरे ब्यक्ति की तरह समझो ब उससे ब्यबहार भी करो नाकि उसका सरीर देखकर ब मेरा कहना है कि ( केबल स्पर्स से ही बचना है बचाना हे बाकी सब ठीक है ) जय श्री राम ( हरि ओम हरी )
आचार्य जी उपरोक्त विषय पर आपका सत्संग अद्भुत है।🙏💖❤️🙏
इस मूढ़ अज्ञानी को क्षमा करें गुरुजी मैनें इस पूरे व्याख्यान को ध्यान से सुना. पूरा समझ नही आया मगर इतना ज़रूर समझ आया कि यूथ को अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करना बताया गया है क्योंकि कई युवा या युवती उम्र के जोश में पड़कर अपने विपरीत लिंग की ओर आकर्षित हो जाते हैं और प्रायः अपने लक्ष्य से भटक जाते हैं। आदिगुरु श्री शंकराचार्य ने एक वाक्य में अपनी बात समाप्त कर दी कि "नारी नरक का द्वार है" लेकिन यहाँ सिर्फ़ नारी को ही नही कहा गया है।आपने उसको अच्छे से एक्सप्लेन कर दिया।धन्यवाद गुरुजी. सप्रेम नमस्कार
चरण स्पर्श आचार्य जी❤🙏🙏🙏
बहुत बहुत धन्यवाद
प्रेमपूर्ण नमन 🌻🙏 #acharyaprashant ji 🙏🙏
Sadhu sadhuwad apko naman apko acharya Je pronam apko
_नारी नर्क का द्वार है उसके लिए जो नारी को सिर्फ बसाना की दृष्टि से देख रहे है...._ _उसके लिए जो नारी को सिर्फ एक वस्तु की तरह देख रहा है..._
*उसके लिए नहीं जो नारी को चेतना की दृष्टि से देख रहे है ...*
शत शत नमन आचार्य जी🙏🙏🙏
सर आप बहुत गहरी से समझाते हो👍🙏🙏
पुरुष की चेतना भी नर है
नारी की चेतना भी नर है
किसी स्त्री पुरुष का भेद लिंग के आधार पर नही होता आध्यात्म की भाषा मे
एक नम्बर का वीडियो है, जबरदस्त 👌👌👌
Chetana = swarg . (Stri/purush)
Dehkendrit jeevan = narak. (Stri/purush)
आचार्य जी को नमस्कार🙏🙏🙏
बहुत सुंदर बात की आपने
यूहीं नहीं कोई किसीको सहमत कर सकता
उसके लिए विचारों मे सचाई और सपष्टा होनी चाहिए।
आज के समय मे हमे आप जैसे ज्ञानी महात्मा की ज़रूरत है🙏🙏🙏।
IT'IS A VERY DEEP SESSION.🇮🇳🇮🇳.....
IF ANY HUMAN UNDERSTAND THIS..🙏.....100% THEIR LIFE WILL BE CHANGE...🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
I am highly grateful to you guruji I used to think women are trapped in false customs no one is ready to accept. I pray God to make many women listen to your precious words and follow.
Thank you, thank you very 🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼
Love u acharya ji ❤️ क्या सुंदर उत्कृष्ट विश्लेषण किया है😍🤗🤗
Bahut hi umda jbaab 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙌
Guruji m Natmastak hu aapke saamne 🙏🙏🙏🙏
Gurudev how i tell how blessed I'm to have you in my everyday life through this social site😌
चरण स्पर्श गुरुजी ❤️🙏🙏🙏
धन्य हैं आचार्य जी। आप इतने गहरायी से चेतना की परिभाषा बताये हैं। 🌹🙏🙏🚩🚩🌹
🙏🙏आचार्य जी मैं इस बात को मानती हूँ औरत नर्क की द्वार हैं मैं भी एक औरत हूँ जिन औरत से हमारी दोस्ती हुई वो सब सादी सुदा थी दूसरे पतियों के पीछे पड़ी थीं जब मुझे पता चलता था मैं उनसे दूरी बना लेती हूँ।। 🙏🙏जय श्री राधे।।
सही कहा आचार्य जी पुरुष भी नारी ही है
ज्ञान के सागर। आचार्य जी 🙏
निःशब्द।