धीरे धीरे रैमना धीरे सब कुछ होए माली सीचै सो घड़ा रितु आए फल होए अव मानव समाज पड़ा लिखा है ओर संत रामपाल जी महाराज के ग्यान को समझने लग रहा है ओर ये सच्चाई पूरे विश्व में जा रही है क्यों कि संत रामपाल जी महाराज शास्त्रों से प्रमाणित ज्ञान देते हैं ओर उस से मानव समाज को लाभ होता है जानने के लिए जरूर देखें साधना चैनल 7,40से 8,40pmसे
Bandichhod satguru bhagwan rampal ji maharaj ke charno main dass ka koti koti dandvat parnam PARAMPITA PARMESHWAR SAHIB KABIR DEV JI MAHARAJ KI JAI HO SAT SAHIB 🙏🙏🙏🙏🙏🌹🌹🌹🌹🌹
माला फेरत जुग भया, फिरा न मन का फेर, कर का मनका डार दे, मन का मनका फेर। अर्थ : कोई व्यक्ति लम्बे समय तक हाथ में लेकर मोती की माला तो घुमाता है, पर उसके मन का भाव नहीं बदलता, उसके मन की हलचल शांत नहीं होती. कबीर की ऐसे व्यक्ति को सलाह है कि हाथ की इस माला को फेरना छोड़ कर मन के मोतियों को बदलो या फेरो.
पूर्ण संत जगतगुरु रामपाल जी महाराज के चरणों में आकर पूर्ण मोक्ष पाएं आज विश्व में किसी भी गुरु के पास पूर्ण भक्ति नहीं है पूर्ण संत केवल संत रामपाल जी महाराज हैं उनकी शरण में आओ और अपना जीवन सफल बनाओ सत साहेब भक्त और नकली गुरुओं के आगे आकर भ्रमित ना हो सत साहेब
{सत साहेब} पूर्ण परमात्मा परम अक्षर ब्रह्म श्री सद्गुरु श्री कबीर साहेब जी के चरणों में बारंबार प्रणाम। ------- 1. गुण तीनों की भग्ती में, भूल पड़ियो संसार। कहे कबीर निज नाम बिना, कैसे उतरें पार।। -------- 2. जेता मीठा बोलता, तेतां संत न होय। खरी खरी जो कहत है, संत कहावे सोय। {सत साहेब} =================== 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 ===================
प्रेम नगर का अंत न पाया, ज्यों आया त्यों जावैगा॥ सुन मेरे साजन सुन मेरे मीता, या जीवन में क्या क्या बीता॥ सिर पाहन का बोझा लीता, आगे कौन छुड़ावैगा॥ परली पार मेरा मीता खड़िया, उस मिलने का ध्यान न धरिया॥ टूटी नाव, उपर जो बैठा, गाफिल गोता खावैगा॥
चौथा युग जब कलयुग आई। तब हम अपना अंश पठाई।। काल फंद छूटै नर लोई। सकल सृष्टि परवानिक (दक्षित) होई।। घर _घर देखो बोध (ज्ञान) बिचारा (चर्चा) सत्यनाम सब ठौर उतारा।। पाँच हजार पाँच सौ पाँचा। तब यह वचन होयगा साचा।। कलयुग बीत जाए जब एेता। सब जीव परम पुरूष पद चेता।।
गीता अध्याय 15, शलोक 1 में जानिए पूर्ण संत की क्या है पहचान। जो भी उल्टे लटके संसार रूपी वृक्ष के सभी विभाग बता देगा वो तत्वदर्शी संत होगा। संत रामपाल जी ही तत्वदर्शी संत हैं।
सतगुरू मेरे बाणियां जी,करते बणज व्यापार।
बिन डांड़ी बिन पालने, जिन तौल दिया संसार।।
बन्दीछोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी की जय हो।।🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
मात पिता मिल जाएंगे, लख चौरासी माय।
सतगुरु सेवा और बन्दगी, फेर मिलन की नायं।।
धीरे धीरे रैमना धीरे सब कुछ होए माली सीचै सो घड़ा रितु आए फल होए अव मानव समाज पड़ा लिखा है ओर संत रामपाल जी महाराज के ग्यान को समझने लग रहा है ओर ये सच्चाई पूरे विश्व में जा रही है क्यों कि संत रामपाल जी महाराज शास्त्रों से प्रमाणित ज्ञान देते हैं ओर उस से मानव समाज को लाभ होता है जानने के लिए जरूर देखें साधना चैनल 7,40से 8,40pmसे
बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज की जय हो कोटि कोटि प्रणाम गुरुजी
@@ajeetkushwah1568 sat saheb ji 🙏🙏 aap kha SE ho
जग सारा रोग यारे जिन सतगुरू बैद न जाणा जग सारा रोग यारे
आवा गवन की डोर. पडी है
ये तृष्णा बढ रही खाँसी ।
जग सारा रोग यारै।
सत गुरु रामपाल जी महाराज पूर्ण परमात्मा के स्वरूप है जागों परमात्मा को चाहने वालो
बिन उपदेश अचम्भ है, क्यों जि्वत है प्राण।
भक्ति बिना कहाँ ठौर है, ये नर नाही पाषाण।।
बंदी छोड़ कबीर परमेश्वर जी की जयबंदी छोड़ सदगुरू रामपाल जी महाराज की जय
कबीर, माटी चुन चुन महल बनाया, ये तेरा ये मेरा
ना घर तेरा ना घर मेरा, चिड़िया रैन बसेरा।
पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण फिरता दाने दाने नू सर्वे कला सत् गुरू साहेब की हरि आये हरियाणे नू।
बन्दीछोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज की जय हो।
रहिमन धागा प्रेम का,मत तोड़ौ छिटकायटुटे से फीर ना मीले,मिले गाँठ पड़ जाय
बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज के चरणों में कोटि-कोटि दंडवत प्रणा
सच्चाई धीरे-धीरे सामने आ रही है संत रामपाल जी महाराज पर सब मनगढ़त और फर्जी मुकदमे बनाए गए सभी मुकदमे फर्जी है संत रामपाल जी महाराज तत्वदर्शी संत
Mukesh Soni जय बन्दी छोड़ की
कबिर, सत्संग की आदी घडी, तप के वर्ष हजार !
फिर भी बराबर है नहीं, कहे कबिर विचार !!
कबीर, गुरु बड़े है गोविन्द से,मन में देख विचार।
हरि सुमरे रह गए,गुरु भजे होय पार।।
हाड़ चाम लहु ना मेरे कोई जाने सत्यनाम उपासी। तारन तरन अभय पद दाता, मैं हूँ कबीर अविनाशी।।
रहिमन धागा प्रेम का,मत तोड़ौ छिटकाय
टुटे से फीर ना मीले,मिले गाँठ पड़ जाय
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PARAMPITA PARMESHWAR SAHIB KABIR DEV JI MAHARAJ KI JAI HO
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गुरु आज्ञा मानै नहीं, चलै अटपटी चाल |
लोक वेद दोनों गये, आये सिर पर काल ॥
सत् साहेब जी
अगर विश्व में कोई शान्ती ला सकता है तो वो विश्व गुरु रामपालजी महाराज जी है, उनके वचन मे वो शक्ती है जो चाहे सो करदे जी
कबीर सोयी पीर है जो जाने पर पीर
जो पर पीर ना जाने सो काफिर बेपीर।
कबीर यह संसार समझता नाही कहंदा
शयाम दूपहरे ने गरीब दास यह वक्त जात है
रोवोगे गस पहरे नू
कबीर ईज गोड
जीव हमारी जाति ह मानव धर्म हमारा हिन्दू मूसलीम.सिकख.ईसाई.धम नही कोई नॉरा
बंदी छोड़ सद्गुरू रामपालजी महाराज जी की जय हो इनकी शरण में आने से ही मोक्ष प्राप्त होगा।
माला फेरत जुग भया, फिरा न मन का फेर,
कर का मनका डार दे, मन का मनका फेर।
अर्थ : कोई व्यक्ति लम्बे समय तक हाथ में लेकर मोती की माला तो घुमाता है, पर उसके मन का भाव नहीं बदलता, उसके मन की हलचल शांत नहीं होती. कबीर की ऐसे व्यक्ति को सलाह है कि हाथ की इस माला को फेरना छोड़ कर मन के मोतियों को बदलो या फेरो.
कबीर, नौ मण सूत उलझिया, ऋषि रहे झख मार, सद्गुरु ऐसा सुलझा दे, उलझे न दूजी बार
जिवना तो थोरा ही भला जो सत सुमिरन होये
लाख बरस का जिवना लैखे धरै न कोई
मानुष जिबन दुरलभहे मिलेनबारमबार जैसे तरबरसेपता टुगीरे बहुरन लगता डार,सत साहेब🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
गरीब बन्दी छोड़ दयाल जी,, तुम लग हमरी दौड़।
जैसे काग जहाज का,, सुझत और ना ठौर ।।
पूर्ण संत जगतगुरु रामपाल जी महाराज के चरणों में आकर पूर्ण मोक्ष पाएं आज विश्व में किसी भी गुरु के पास पूर्ण भक्ति नहीं है पूर्ण संत केवल संत रामपाल जी महाराज हैं उनकी शरण में आओ और अपना जीवन सफल बनाओ सत साहेब भक्त और नकली गुरुओं के आगे आकर भ्रमित ना हो सत साहेब
कबीर हरि के नाम बिन राजा रिषभ होय, माटी लदे कुम्हार के टुक ना डाले कोय।
Satguru rampal Ji Maharaj ki jai ho ye hmare ko es kalyug se par krne ke liye aaye h
हिन्दू तुर्क आदिक सबे जेते जीव जहान
सतनाम की साख गही पावे पद निर्वान
{सत साहेब}
पूर्ण परमात्मा परम अक्षर ब्रह्म श्री सद्गुरु श्री कबीर साहेब जी के चरणों में बारंबार प्रणाम।
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1. गुण तीनों की भग्ती में, भूल पड़ियो संसार।
कहे कबीर निज नाम बिना, कैसे उतरें पार।।
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2. जेता मीठा बोलता, तेतां संत न होय।
खरी खरी जो कहत है, संत कहावे सोय।
{सत साहेब}
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बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज की जय हो तत्वदर्शी संत गीता के अनुसार बताए गए संत रामपाल जी महाराज
बंदी छोड़ परमात्मा सतगुरू देव जी रामपाल जी महाराज जी की जय सत साहेब जी
राम नाम कड़वा लागे, मीठे लागे दाम। दुविधा में दोनों गाए, माया मिली न राम।। जय हो बंदी छोड की
सतगुरु कू सिजदा करूं, कर्म छुटाए कोटि।
जो ऐसे सतगुरु की निंदा करे, उसके यम तोड़ेंगे होंठ।।
bandi chhor sat guru rampal ji maharaj ki jai
धन धन सतगुरु सत कबीर भगत की पीड मिटाने वाले।
कबीर साधक के लक्षण कहूँ, रहै ज्यो पतिव्रता नारी।
कह कबीर परमात्मा को,लगे आत्मा प्यारी।।
कबीर धूमधाम में दिन गया ,सोवत हो गयी सांझ।
एक घड़ी हरि न भजा तेरी जननी जन भई बांझ ।।
प्रेम नगर का अंत न पाया, ज्यों आया त्यों जावैगा॥
सुन मेरे साजन सुन मेरे मीता, या जीवन में क्या क्या बीता॥
सिर पाहन का बोझा लीता, आगे कौन छुड़ावैगा॥
परली पार मेरा मीता खड़िया, उस मिलने का ध्यान न धरिया॥
टूटी नाव, उपर जो बैठा, गाफिल गोता खावैगा॥
साईं इतना दीजिए जा मे कुटुम समाय हम भी भूखे ना रहे अतिथि न भूखा जाए
कबीरा सुमिरन सार है और सकल जंजाल।
आदि अंत मति सोधिया दूजा देखा ख्याल।
जय हो बन्दी छोड़ कि जय हो सत साहेब जी भगतजी 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
satguru rampal ji mahraj ki jai ho
कबीर, पाँच सहंस अरु पांच सौ, जब कलियुग बित जाय।
महापुरुष फरमान तब, जग तारण को आय।।सत साहेब।।
कबीर सागर में प्रमाण है रामपाल जी ही पूर्ण परमात्मा है वे गुरु ग्रंथ साहिब में प्रमाण है कबीर साहिब ही परमात्मा है
संत रामपाल जी के ज्ञान द्वारा ही विश्व मे शांति होगी।
शास्त्रों से प्रमाणित संतसंग सुनकर सभी जीव लाभ उठाए ।
घीरे घीरे सब कुस होय पुरी दुनिया संत रामपालजी महाराजजी काज्ञान मानेगे
aapka satsang hi jeevan ka sabse bada sukh
गरीब~सतगुरु के लक्षण कहु, मधुरे बैन विनोद !
चार वेद छह सास्त्र, कहे अठारह बोध !!
रामपाल जी सतगुरु आये,पूर्णब्रह्म कबीर अवतार।
विश्वमैत्री पूर्णमोक्ष होगा समाज सुधार।।
कबीर ,आये सो जायेगे राजा रँक फकीर।
एक सिंहासन चढ चले,एक बन्धे जँजीर।।
और संत सब कूप है, केते झरिता नीर |
दादू अगम अपार है, दरिया सत्य कबीर ||
Satyanarayan Swami
राम नाम जपते रहो, जब तक घट में प्राण ।
कभी तो दीन दयाल की ,भनक पड़ेगी कान ।।
मात-पिता मिल जाएंगे, लख चौरासी माय।
सतगुरु सेवा और बन्दगी, फिर मिलेगी नाय।।
जय हो कुल मालीक की
सत साहेब
सतनाम हदय दरों कियो पाप को नाश
जैसे चिंगारी आग की पड़े पुराने घास ।।
satyaprakash thakur सतगुरुजी रामपाल जी महाराज की जय हो।
संत मिलन को चलिए,तज माया अभिमान।
ज्यों ज्यों कदम आगे रखे, वो ही यज्ञ समान।।
संत मिलन को चलिये तज माया अभिमान ज्यो ज्यो पग आगे धरे त्यों त्यों यज्ञ समान
कबीर, डूबै थे पर उभरे, गुरू के ज्ञान चमक। बेड़ा देखा जरजरा, उतर चले फड़क ।।
तीन देव की जो करते भगति उनकी कदे न होवे मुक्ति
सतगुरु मेरा सूरमा, लडै़ शब्दों कि चोट!
गोला मारे प्रेम का, तोडे़भ्रम का कोट !!
कबीर, बिन माँगे मोती मिलें , माँगे मिले न भिख ।
माँगन से मरना भला , यह सतगुरु की सीख ।।
संत रामपाल जी महाराज जी शास्त्रानुसार ज्ञान बताते हैं कृपया संत रामपाल जी महाराज की शरण में आकर अपना कल्याण करवाओ यह साक्षात भगवान के रूप है
जन्म साखी में प्रमाण है कबीर साहिब ने अपने शरीर से सभी आलम शरीरों को उत्पन्न किया है
कबीर,काल जो पीसे पीसना, जोरा है पनिहार।
ये दो असल मजूर हैं, सतगुरु के दरबार।।
sant Rampal ji maharaj has power to change human into dewta.
बन्दी छोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज की जय हो।
गरीब ,अजब नगर में ले गए, हमकाे सतगुरू आन |
झिलके बिम्ब अगाध गति, सूते चादर तान ||
Iai ho puran parmeshwar satguru dev kabir saheb ji ki jai ho🙏🏻❤️🙇🏻
Sant rampal ji maharaj is the one and only saint who tells bhakti according to the ved and shashtra to get supremegod
सात समुन्दर की मसी करूॅ, लेखनी करूॅ वनराय ।
धरती का कागज करू, तो भी गुरु गुण लिखिया न जाय ।।
मोती मुक्ता दर्शत नाही, यह जग है सब अंध रे ।
हीरे माणिक मोती बरसे, यह जग चुगता ढेल रे ।।
चारो युग मे संत पुकारे, कुक कहा हम हेल रे ।
हीरे माणिक मोती बरसे, यह जग चुगता ढेल रे ।
जो मम संत सत उपदेश दृढ़ावै (बतावै), वाके संग सभि राड़ बढ़ावै। या सब संत महंतन की करणी, धर्मदास मैं तो से वर्णी।।
सतगुरु के लक्षण कहु मधुरे बेन विनोद चार वेद षट शास्त्र जो कहे अठारह बोध
चरन कमल के ध्यान से , कोट बिघन टल जाहि ।
राजा हौवे लोक का , जहां परे हुम छांहि ।
सत साहेब जी
कबीर इस संसार को समझाऊ के बार
भेड पूछ कग पणडित पकडये भिदो नदी भहेगा
गुण तीनो की भक्ति में बल पड्यो संसार।
कहे निज नाम बिना कैसे उतरो पार।
पूर्ण तत्त्व ज्ञानदाता
* राम नाम कडुंआ लागे मीठा लागे दाम दुविधा में दोनों गये माया मिले न राम ।बन्दी छोड़ सतगुरू रामपाल महाराज जी की जय हो ।
पिछे लाग्या जाऊं था,मैं लौकवेद के साथ
रस्ते में सतगुरू मिल गए,दिपक दे दिया हाथ
धन गया जोबन गया आखिर गया शरीर ऐक नाम अमर हे भजले सत् कबीर
साँच बराबर तप नही, झूठ बराबर पाप ।
जाके हृदय साॅच है, ताके हृदय आप ।।
सतगुरु शरण मे आने से आई टले बला,
जो मस्तक में सूली हो वो कांटे में टल जा।
purn brhm kripa nidan sun kesho kartar garibdas muj din ki rakhiyo bahut sambhal
भली बुरी सबकी सुन लीजे गुजरान करो गरीबी में।
कह कबीर सुनो भाई साधु भगवान मिलेंगे सबूरी में।।
Sat saheb ji
जय बन्दीछोड सतगुरु रामपालजी महाराज की जय हो
बालू की भीत पवन का खंभा,कब लग खेर मनायेगा। आजा बंदे शरण राम की , फिर पाछे पछतायेगा!!
सत साहेब जी
भगती गरीबी लीजीऐ,तजीऐ अभीमाना । दो दिन जग मे जिवणा,आखिर मर जाणा ।।
Sat Guru Dev ki Jai Ho 🙏🏻🙏🏻🙇🙇
🙏सत साहेब🙏
अगर आपको जन्म मरण का रोग कटवाना है तो संत रामपाल जी महाराज की शरण में आ जाओ और अपना कल्याण करवा लो।
🙏सत साहिब जी🙏
औौ
चौथा युग जब कलयुग आई। तब हम अपना अंश पठाई।। काल फंद छूटै नर लोई। सकल सृष्टि परवानिक (दक्षित) होई।। घर _घर देखो बोध (ज्ञान) बिचारा (चर्चा) सत्यनाम सब ठौर उतारा।। पाँच हजार पाँच सौ पाँचा। तब यह वचन होयगा साचा।। कलयुग बीत जाए जब एेता। सब जीव परम पुरूष पद चेता।।
कबीर, परनारी को देखिये, बहन बेटी का भाव। कह कबीर काम नाश का, यही सहज उपाय।।बन्दीछोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज की जय हो।।
कबीर साहेब कहते हैं।
मैं रोवत हूँ, इस सृष्टि को, ये सृष्टि रोवे मोहे।
हमारे इस वयोग को समझ न सकता कोये।।
कबीर :-
इतना ज्ञान सुना दिया,जितना बालू रेत ।
कहै कबीर मैं क्या करूं, जीव न समझा एक ।।
दु:ख म सुमिरन सब करे सुख म करे न कोई , जे सुख में सुमिरन करे तो दु:ख काहे को होय
जीव हमारी जाति है मानव धर्म हमारा हिंदू मुस्लिम सीख ईसाई धर्म नहीं कोई नियारा
कबीर, दर्शन संत का, मुख पर बसे सुहाग !
दर्श उन्हीं को होत हैं, जिनके पूर्ण भाग !!
गीता अध्याय 15, शलोक 1 में जानिए पूर्ण संत की क्या है पहचान।
जो भी उल्टे लटके संसार रूपी वृक्ष के सभी विभाग बता देगा वो तत्वदर्शी संत होगा।
संत रामपाल जी ही तत्वदर्शी संत हैं।
स्वर्ग नरक बांचै नहीं, मोक्ष बंधन सैं दूर ।
बड़ी गरीबी जगत में, संत चरण रज धूर ।।