श्री भक्ति प्रकाश भाग ७०३(703)**परब्रह्म परमात्मा एवं मातेश्वरी एक ही है*
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- เผยแพร่เมื่อ 21 ก.ย. 2024
- Ram Bhakti @bhaktimeshakti2281
परम पूज्य डॉ विश्वामित्र जी महाराज जी के मुखारविंद से
((1287))
श्री भक्ति प्रकाश भाग ७०३(703)
परब्रह्म परमात्मा एवं मातेश्वरी एक ही है
श्री गीता सार श्री रामायण सार भाग ८
जबलपुर के एक मुसलमान ने अपनी पुत्री को दहेज में श्री रामायण जी देते हुए कहा बिटिया यदि तेरा जीवन सीता जी की तरह आदर्श हो सके मुझे बहुत प्रसन्नता होगी । यह मेरी तरफ से तुझे भेंट है । हमारे ग्रंथ साधकजनों केवल हिंदुओं के लिए नहीं है। याद रखो अपने आप को संकीर्ण नहीं बनाना । व्यापकता ही तो हमारा धरोहर है। जितनी व्यापकता आप में है औरों को अपनाने की, किसी को त्यागना सीखा ही नहीं है ।
यह हिंदू संस्कृति है ।
दोनों ग्रंथ केवल हिंदुओं के नहीं है, सबके हैं। यूं कहिएगा सारी मानवता के लिए हैं । आज एक मुसलमान पिता ने अपनी पुत्री को दहेज में यह भेंट दी है रामायण तो कोई आश्चर्य नहीं है । एक मुसलमान शायर ने मातेश्वरी सीता का चरित्र पढ़कर तो लिखा था,
मैं कहता हूं बेशक कल्पना ही सही, लेकिन सिर्फ कल्पना ही नहीं है, इसमें यथार्थता को भी देखिएगा, वह लिखता है कवि
सीते तेरा चरित्र तू इतनी पाक है उर्दू का शब्द तू इतनी पाक है कि तेरे अपने कपड़ों ने भी तेरे शरीर को कभी नहीं देखा । यह रामायण जी है । किसी एक की धरोहर नहीं है, सब की है सबकी मार्गदर्शक ।
आज संत भक्त पुत्र भरत वापिस आए हैं ।
मां कैकई ने जो अनर्थ करना था कर दिया। राम जी सीता जी सहित जंगल में चले गए हुए हैं । भरत जी का आगमन होता है । एक वैद्य, एक रोगी को, बड़ी कड़वी दवाई दे रहा है। बड़ी भर्त्सना करी है मां की । आप जानती हो आज के बाद कभी भरत ने कैकई को अपनी मां नहीं कहा । जो राम विरोधी है वह मेरी मां नहीं हो सकती । आज बड़ी कड़वी dose दी है भरत ने कैकई को । संभली है मेरे से भूल हो गई है, करवाई
गई है । परसों साधकजनों, कल परसों चर्चा करेंगे इस कर्तापन की, यह भगवान क्या हमें नाच नचाता है, पर हमारे माथे पर, किसी के माथे पर ऐसा कलंक लगा देता है, ऐसा कलंक लगाता है, कि युगो युगांतरो तक धुल नहीं सकता, ऐसी कैकई मां है । आज तक किसी मां ने अपनी पुत्री का नाम कैकई नहीं रखा । ऐसा कलंक कैकई के माथे पर लग गया हुआ है । आज संभली है । संभलकर भरत जी महाराज उन सबको चित्रकूट ले गए हैं । चित्रकूट जाकर माताओं कैकई का मुख ऊपर नहीं उठ रहा । हालांकि भगवान ने जितना सम्मान कैकई को दिया है,
भगवान करे जितना सम्मान कैकई को दिया है, उतना और किसी को, महर्षि वशिष्ठ को भी नहीं । बहुत सम्मान दिया है । सही भी है। यदि कैकई यह काम ना करती तो भगवान की लीला पूरी ना हो सकती । जो कैकई ने किया है और कोई महिला कर नहीं सकती, या यूं कहिएगा भगवान ने जो कुछ कैकई से करवाया है शायद और कोई महिला इतनी आसानी से कर ना सकती । मैं तो कैकई को वंदनीय मानता हूं । तुच्छ बुद्धि हूं ना । मेरे से कोई गलती हो तो माफ करना। मैं उस कैकई को बहुत वंदनीय मानता हूं । तूने बहुत बड़ा काम जो है वह किया है ।
आज उसकी नजर ऊपर नहीं उठ रही ।
सब से बातचीत हो गई है तो अकेले में कैकई प्रभु के पास कहा -लोग मुझे देखना पसंद नहीं करते । मेरी तरफ कोई देखता नहीं ।
यदि देखता भी है तो घृणा की दृष्टि से । कितनी सत्य बातें हैं जो कैकई प्रभु राम से कह रही है । अबल तो मेरी तरफ कोई देखता नहीं, कोई देखता है तो घृणा की दृष्टि से । राम मेरे से यह सहन नहीं होता । मैं कई बार धरती से प्रार्थना कर चुकी हूं मुझे स्थान दे, मैं तुझ में समा जाऊं, कई बार प्रार्थना कर चुकी हूं यमराज से, कि मुझे मृत्यु दे दे ।
दोनों नहीं मानते ।
कैकई कहती है मेरे राम दोनों नहीं मानते। यमराज मुझे नर्क में नहीं ले जाना चाहता। नर्क कहता है तेरे अपराध का दंड नर्क में नहीं है । सब का दंड है लेकिन जो राम से विमुख हो गया है उस पाप का उस अपराध का दंड नर्क के पास भी नहीं है | धरती भी मेरी बात नहीं मानती तू ही बता मैं कहां जाऊं ?
एक संत की डांट ने, एक भक्त की डांट ने बुद्धि कितनी निर्मल कर दी है । तू ही बता कैकई पूछती है तू ही बता मैं कहां जाऊं ? भगवान राम कहते हैं मां तू मेरे हृदय मे रह । जिस मां ने भरत जैसे भक्त को जन्म दिया है, वह नरक में जाए या धरती में समा जाए ऐसा असंभव है । ऐसा कभी नहीं हो सकता। मां तू सदा मेरे हृदय में रहेगी ।
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