*श्री भक्ति प्रकाश भाग ७०४(704)**परब्रह्म परमात्मा एवं मातेश्वरी एक ही है*
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- เผยแพร่เมื่อ 10 พ.ย. 2024
- Ram Bhakti @bhaktimeshakti2281
परम पूज्य डॉ विश्वामित्र जी महाराज जी के मुखारविंद से
((1288))
श्री भक्ति प्रकाश भाग ७०४(704)
परब्रह्म परमात्मा एवं मातेश्वरी एक ही है
श्री गीता सार श्री रामायण सार भाग ९
एक संत की डांट ने, एक भक्त की डांट ने बुद्धि कितनी निर्मल कर दी है । तू ही बता कैकई पूछती है तू ही बता मैं कहां जाऊं ? भगवान राम कहते हैं मां तू मेरे हृदय मे रह । जिस मां ने भरत जैसे भक्त को जन्म दिया है, वह नरक में जाए या धरती में समा जाए ऐसा असंभव है । ऐसा कभी नहीं हो सकता। मां तू सदा मेरे हृदय में रहेगी । माताओं जन्म देना है तो किसी भक्त पुत्र को जन्म देना । जननी बनना है तो किसी भक्त पुत्र को जन्म देना, जिसके लिए भगवान श्री ऐसा कह रहे हैं, ऐसी घोषणा कर रहे हैं । गंधारी जैसी नहीं बनना । मैं आपसे संबोधित हूं गंधारी जैसी नहीं बनना । पतिव्रता नारी तो है, लेकिन अपनी आंखों पर पट्टी बांधकर, मां के कर्तव्य को नहीं निभाया । है ना । धृतराष्ट्र पहले ही अंधे हैं, जिस बच्चे के मां-बाप दोनों ही अंधे होंगे, वह बच्चे दुर्योधन और दुशासन नहीं होंगे तो क्या होंगे ? अपनी आंखों पर पट्टी नहीं बांधनी । माता आपका कर्तव्य मात्र बच्चों को पैदा करना ही नहीं है, उन्हें सुसंस्कारित करना भी आप ही का कर्तव्य है, आप दोनों का ।
तब भरत जैसे पुत्र, शत्रुघ्न जैसे पुत्र, राम जैसे पुत्र, लक्ष्मण जैसे पुत्र बनेंगे ।
आगे चलते हैं साधकजनों हुआ क्या है, अभी आपने महारानी अहिल्या की बात सुनी। कहती हैं चतुर्अंश भी अपने जीवन में उतर आए तो कल्याण हो कर रहेगा । क्या भगवान ने जो लिखा है वह गलत है, जो भगवान ने कहा है वह गलत है, कि श्रवण मात्र से भी आपको पुण्य मिलेगा, आपका कल्याण होगा । नहीं, जो भगवान ने कहा है वह भी साधकजनों सत्य है, परम सत्य है, गलत नहीं है ।
आज एक बैल किसी गड्ढे में गिर गया है । वृद्ध है, बहुत वृद्ध है । निकल नहीं रहा ।
आते जाते लोग इकट्ठे भी हुए हुए हैं । सिंगो पर रस्सी बांधते हैं, कहीं और, हर ढंग अपनाते हैं उस बैल को बाहर निकालने के, लिए लेकिन वह बैल बाहर नहीं निकल पा रहा । अतएव हिम्मत हार कर हर कोई कहता है परमात्मा इसको किसी ढंग से मृत्यु दे । यह मर जाएं । इसके बाद जैसा भी होगा, वहीं पर इसको जो है दफना देंगे । वह बात भी स्वीकार नहीं हो रही । भूखा प्यासा वह गड्ढे में पड़ा हुआ है । आते जाते लोग उसे देखते हैं ।
आज एक वेश्या ने भी देखा है । वैश्या वहां आई । वैश्या, देवियों,वैश्या अर्थात अच्छे चरित्र की महिला नहीं, वह भी आई है ।उसने कुछ संकल्प किया है, और बैल की मृत्यु हो गई है । मृत्यु होने के बाद क्या हुआ है ? उस संकल्प के बल से यह बैल किसी ब्राह्मण के घर पुत्र बनकर पैदा हुआ है । ब्राह्मण पुत्र, छोटी आयु में ही पिता ने यज्ञोपवीत इत्यादि धारण करवा दिया, कर दिया । अच्छे संस्कार, 18 वर्ष की आयु हुई साधनारत रहा इतनी देर, यह ध्यानस्थ रहा इतनी देर । पिछला जन्म देखने की क्षमता आ गई । पिछला जन्म देखा तो मैं एक वैश्या के संकल्प से मानव योनि और वह भी ब्राह्मण के घर योनि उच्च जाति के यहां पुत्र पैदा हुआ । मन में जिज्ञासा उठी कि इस वैश्या के पास जाना चाहिए । अगर यह जिंदा है तो जाकर पूछना चाहिए इन्होंने कौन सा पुण्य ऐसा किया था, जिसके कारण एक बैल की मृत्यु और उसकी पशु योनि ही छूट गई और एक ब्राह्मण के घर उसका जन्म हुआ ।
आज यह बालक उस वैश्या को ढूंढता ढूंढता तो चला गया है । बूढ़ी हो गई हुई है । जाकर द्वार खटखटाया । एक ब्राह्मण बालक को अपने द्वार पर देखा, तो कहा तू ब्राह्मण है, शकल से दिखाई दे रहा है । जानते हो किस के घर आए हो । उसके घर जिसने अनेक नौजवानों की जिंदगियां बर्बाद कर दी हैं । क्या करने आए हो यहां पर । लौट जाओ ।
मां प्रणाम । ब्राह्मण बालक उस वृद्धा के पांव छूता है, मां प्रणाम ! मैं आप से कुछ पूछने के लिए आया हूं । कौन सा ऐसा पुण्य आपने किया है, जिसके कारण एक बैल को एक ब्राह्मण के घर जन्म मिला ।
मैंने कभी कोई पुण्य नहीं किया है ब्राह्मण देवता । मुझे माफ करो ।
नहीं मां आज से 19 साल पहले कुछ तुमने कुछ ऐसे किया था । याद कर । एक बैल गड्ढे में गिरा हुआ था कैसे तूने क्या संकल्प किया था, किस बल पर ऐसा संकल्प किया था कि ऐसा हो गया ।
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