#SupremeGodkabir #Kabir #SantRampalJiMaharaj ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 1 मंत्र 9 अभी इमं अध्न्या उत श्रीणन्ति धेनवः शिशुम्। सोममिन्द्राय पातवे।।9।। पूर्ण परमात्मा अमर पुरुष जब लीला करता हुआ बालक रूप धारण करके स्वयं प्रकट होता है उस समय कंवारी गाय अपने आप दूध देती है जिससे उस पूर्ण प्रभु की परवरिश होती है।
इस ज्ञान को वहीं पूर्णतः समझ पायेगा जिसका मन पर नियंत्रण है और ब्रह्मचर्य और अहिंसा का समर्थन है, जो राक्षस जानवरों को मार के खाते है वह इस से दूर ही रहे, गलत ना लिखे, ये सृष्टि ऐसे ही नहीं चल रही है, ये युग ऐसे ही नहीं बदलते 🌺🧘ॐ नमः शिवाय🧘🌺 🪷 जय श्रीमन नारायण 🪷 ❤️🔥 जय श्री कृष्ण ❤️🔥
पहली बार किसी ने साम्प्रदायिक विचारधारा से ऊपर उठकर वेदो का सटीक विश्लेषण करके सनातन धर्म का सही अर्थ समझाया है इसके लिए सबको इस चैनल का धन्यवाद करना चाहिए वरना आज यूट्यूब से लेके टीवी सीरियल तक सम्प्र्दायो की तुच्छ विचाराधारा को लेके लोगो को विष्णु शिव शक्ति सदाशिव महाविष्णु दुर्गा कृष्ण राम इन्ही मे उलझा रखा है और इन्ही रूपों मे से एक को उठाके अन्य रूपों की निंदा की जाती है क्युकी सनातन धर्म को इन्होने अब्राहमिक धर्मों जैसा ही समझ लिया है जहाँ कम्पनी बॉस और एम्प्लोयी की संकीर्न विचारधारा से ईश्वर को समझ रखा है.. जबकि सनातन का ईश्वर एक होते हुए भी बहुआयामी है इसीलिए इसको अनंत ब्रह्माडो का ज्ञान रखने वाले ऋषि तक नेति नेति कहके थक गए लेकिन समझ नहीं पाए 😎🙏🏻
❤❤(श्रीरामचरितमानस)❤❤ नेति नेति जेहि वेद निरूपा, निजानंद निरुपाधि निरूपा। शंभु, विरंचि, विष्णु भगवाना,उपजहि जासु अंश ते नाना।। अर्थात् श्रीरामचन्द्र जी ही वह पूर्ण ब्रह्म हैं जिन्हें वेद नेति नेति कहता है और जिनके अंश मात्र से अनेकों ब्रह्मा विष्णु और शिव जी की उत्पत्ति होती है।। ❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
@@avinashrai9952 शिव पुराण:- परम पुरुष काल ब्रह्म महा विक्राल अखंड सदाशिव सर्वोच्च अधिपति महा सदाशिव स्वयं विध्यमान सर्वश्रेष्ठ महा नाथ शाश्वत महा नटराज कालो के काल जय श्री महाकाल
परम पुरुष काल ब्रह्म महा विक्राल अखंड सदाशिव सर्वोच्च अधिपति महा सदाशिव स्वयं विध्यमान सर्वश्रेष्ठ महा नाथ शाश्वत महा नटराज कालो के काल जय महाकाल🙏🏻🙏🏻🙏🏻
❤❤(श्रीरामचरितमानस जी)❤❤ 1. सबकर परम प्रकाशक जोई, राम अनादि अवध पति सोई।। 2. नेति नेति जेहि वेद निरूपा, निजानंद निरुपाधि अनूपा।। शंभु, विरंचि, विष्णु भगवाना, उपजहि जासु अंश ते नाना।। अर्थात् जो सबके परम प्रकाशक हैं जो आदि से भी पहले हैं अनादि हैं।वह अवध के राजा श्री रामचन्द्र जी हैं। जिन्हें वेद भी नहीं जानता है।वेद जिन्हें नेति नेति कहकर पुकारता है। वह आनंदस्वरूप, उपाधि रहित और अनुपम हैं। जिनके एक अंश मात्र से अनेकों ब्रह्मा, विष्णु और शिव जी की उत्पत्ति होती है वह कोई और नहीं बल्कि परम पूर्णब्रह्म श्रीरामचंद्र जी ही हैं।। ❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
@@AtulDubeyAvi श्रीरामचरितमानस जी, शंकर राम रुप अनुरागे, नयन पंचदस अति प्रिय लागे।। अर्थात् शिव जी श्रीराम जी के रूप के अनुरागी हैं और अपने पांच मुखों में स्थित पंद्रह आंखों से श्री राम जी के स्वरूप का प्रेम पूर्वक दर्शन करते रहते हैं।।
भगवान के दो रूप ही होते हैं साकार और निराकार, साकार बार बार धरती अवतार धारण करके मनुष्य को ब्रह्मज्ञान देते हैं और मुक्ति मार्ग दिखा ते हैं जैसे विवेकानंद, मीरा, प्रहलाद, आदि भक्तों को मिला
हरे कृष्णा गुरुदेव ज्ञान तो बहुत है आपके पास पर यह बताइए कि मनुष्य के अंदर जो सात चक्र हैं कौन से चक्र पर कौन सी शक्ति और कौन सा ज्ञान प्राप्त होता है हर हर महादेव
@@hridyavani108 इन सात चक्र का ज्ञान इस धरती पर आज के डेट में किसी के पास नहीं है और ना ही इसका ज्ञान किसी धर्म ग्रंथ और वेद शास्त्र में लिखा है हर हर महादेव
@YogiAnandJiSahajDhyanYog योगी आनंद यह मेरे गुरुजी है इनमें मेरे चार चक्र को शक्तिपात से जागृत किया था अभी मैं पांचवी चक्र की ओर बड रहा हूं अगर उनकी सारी वीडियो देख लोगे तो मूलाधार तो आपको वैसे ही जाग्रत हो जाएगा
@@Deepaksingh56488 हिंदी समझते हो ना चक्र का ज्ञान देना तुम्हें है ना तुम्हारे गुरु का है चक्र के जागृत करना कोई आदमी को सोए हुए जगाने के बराबर नहीं है की गुरुदेव ने तुम्हारे चार चक्र जागृत कर दिया यमन ग्रंथ कहानी किसी और को सुनाना हमें नहीं क्योंकि मेरे गुरु स्वयं महादेव है अगर इतना ही ज्ञान है तुम्हारे गुरु के पास तो पूछ कर बताओ कि मनुष्य का जन्म फिर मनुष्य में कितने वर्षों के बाद होता है इसके बाद देखेंगे ज्ञान अध्ययन कितना है आप क्यों और आपके गुरु के पास हर हर महादेव
जो प्रभु निराकर है उसको ईश्वर, परमात्मा कहा जाता है वही ईश्वर की शक्ति मनुष्य का रूप धारण के धरा पर अवतरित होती है, ब्रह्म ज्ञान का सन्देश देती है, आज भी आह्वान करती है, दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान
ॐ शब्द की उत्तपति सदाशिव के पांच मुखों से हुई हैं, ॐ की शुरुवात हर मंत्र से पहले होती हैं, ये नाद हर एक मंत्र की शक्ति को बढ़ा देता हैं, ॐ नाद सनातन और सर्वथा शाश्वत हैं 🥰 ॐ नमः शिवाय 🙏🙏🙏
Om Nirakaar Omkareshwarai Bhagwan shambhu Narayan Ramakrishnai Kalki Mahakaaleshwarai hanumate Gurudevai namah Satyam Shivam Sundaram har har Mahadev Jai shree Ram Jai shree hanuman jai Gurudev Jai hind 🙏🙏❤️❤️🙏❤️❤️
Jaise jara soncho hum energy e liye jaise sun pe depend rhte h but we have known that in one atom infinity of unoverse space also time exist so kya ho yadi hum aisi chamta viksit krle ki ek hi atom se anant enegy prapt krne lge
Poorn brahm artaht poore brahmaand ki ki poorn energy aapke andar samahit hona hai jab obviouslu jab itni chamta hai to aap jo sonchoge vo brahmaand me ghatit hone lagaega
परमात्मा ना देवता है ना ईश्वर ना भगवान यह सब आकारी शक्तियों को कहा जाता है जो परमात्मा से ही सृस्टि के लिए प्रकट होके अंत मे उसी मे विलीन हो जाएंगी 😎 शिव कहो या सदाशिव या शंकर एक ही हैँ एक ब्रह्माण्ड के संहार करता शिव के रूप को ही शंकर कहा गया है और एक ब्रह्माडो के अंदर त्रिदेवो को प्रकट करने वाले शिव के रूप को ही शिव कहा है जो ज्योतिस्वरुप और अर्धनारेश्वर रूप मे ब्रह्मा को दर्शन दिए थे और शिव का वह रूप जो अनंत प्राकृतिक ब्रह्माडो से परे है उसे ही सदाशिव कहा गया है जो शिवलोक मे पंचमुखी कहा गया है सब एक ही सदाशिव हैँ इसी प्रकार एक ब्रह्माण्ड के पालनकर्ता विष्णु को क्षीर सागर नारायण कहा गया है जिस रूप से त्रिदेव उतपन्न होते हैँ उसे महाविष्णु या आदिनारायण कहा गया है और अनंत प्राकृतिक ब्रह्माडो से परे जो विष्णु हैँ उनको सत्य नारायण या परावासुदेव कहा गया है जो आदिवैकुंठ मे अस्ट भुज रूप मे हैँ इसी प्रकार देवी शक्ति, सूर्य और गणेश का भी विस्तार समझो..इसीलिए पंचब्रह्म और पंचदेव कहा गया है इनको जिस प्रकार एक ब्रह्माण्ड के कल्प महाप्रलय के बाद कभी शिव से कभी विष्णु से कभी ब्रह्मा से कभी शक्ति से कभी गणेश से कभी सूर्य से सब सृस्टि का विस्तार होता है उसी प्रकार महाकल्प के प्रलय के बाद कभी सदाशिव या आदिशिव से कभी सत्य नारायण या परावासुदेव से कभी आदशक्ति या दुर्गा से कभी महागणेश से कभी आदिसूर्य से अनंत ब्रह्माडो का सृजन होता है जिस कारण अलग अलग पुराणों मे अलग अलग सृस्टि विस्तार बताया गया है जिसे ना समझ पाने से सम्प्रदायवादी कुत्तो की तरह लड़ते हैँ 18 पुराण हैँ जिनमे से कुछ पुराण शिव को आदिदेव कहते हैँ कुछ नारायण या हरि को कुछ शक्ति या दुर्गा को सबका आदि कहते हैँ कुछ उपपुराण भी हैँ जो सूर्य और गणेश को आदिदेव कहते हैँ 😎 इनको परब्रह्म कहा गया है अलग अलग ग्रंथो मे परब्रह्म और परमब्रह्म मे भी लोग भर्मित हो जाते हैँ परब्रह्म केवल उन शक्तियों को या ईश्वरो को कहा गया है जो त्रिदेवो और अनगिनत ब्रह्माडो का निर्माण करते हैँ इन्ही को पंचमुखी सदाशिव, अस्टभुज महाविष्णु,आदिशक्ति,आदिगनेश आदिसूर्य नाम से कहा गया है इन्ही से हिरण्य गर्भ की उतपत्ति और उससे विराट पुरुष का जन्म होता है जो अनंत कोटी ब्रह्माडो का निर्माण करता है और हर ब्रह्माण्ड मे वैराज पुरुष के रूप मे प्रवेश कर त्रिगुणो को ब्रह्मा विष्णु शिव रूप प्रदान करता है प्रत्येक कल्प मे कभी महाविष्णु इस प्रकृति का विस्तार करते हैँ कभी सदाशिव कभी आदिशक्ति तो कभी आदिगणेश तो कभी आदिसूर्य इसीलिए इनको परब्रह्म कहा गया है और इन सबको भी प्रकट करने वाले अनंत अन्य शक्तियाँ और हैँ जिसका विस्तृत वर्णन पुराण समहिताओं और उपनिषद मे भी है 😎उस परमात्मा का कोई नाम नही वो अनामी है कोई रूप नही कोई परिवार नही कोई माता नही कोई पिता नही कोई पुत्र नही कोई पत्नी नही जबकि उससे उतपन्न जो भी देवता महादेवता और परादेवता हैँ सबके अपने अस्त्र और अपने परिवार होते हैँ 😎 ईश्वर भगवान मे ज्यादा अंतर नही अब चाहे देवो के देव कहो है तो देव ही या देव राज कहो वो भी है तो देव ही शिव कहो या सदाशिव कहो है तो शिव तत्व ही विष्णु कहो या महाविष्णु कहो है तो विष्णु तत्त्व ही परमात्मा इन सबका आदि है वो ना देव है ना महादेव है ना परादेव है वो सर्वव्यापी है भगवादगीता मे उसे क्षर पुरुष अर्थात निमित्त साकार रूप अर्थात त्रिदेव त्रिदेवीयां, वैराज पुरुष, विराट पुरुष त्रिगुनातीत साकार रूप अर्थात अस्टभुज आदिनारायण पंचमुखी सदाशिव अस्टभुज दुर्गा और इनसे परे अनंत अन्य साकार रूप जिन्हे कुछ ग्रंथो और तंत्रो मे परममहाशिव या परमसदाशिव, परमनारायण, परमआदिशक्ति भी कहा गया है उनसे भी और जो सनातन निर्गुन साकार रूप अक्षर पुरुष हैँ जिनको सृस्टियों का आदिकारण कहा गया है इनका रूप अनंत काल से वैसा ही है इसीलिए इनको अखंड कहा गया है कुछ ग्रंथ गोलोक के ईश्वर को अक्षर ब्रह्म का रूप कहते हैँ किन्तु इनका रूप इनका नाम इनका आदि अंत कोई नही जान सका इनको जानने के बाद कुछ जानना शेष नही रहता किन्तु परमब्रह्म परमात्मा इनसे भी उत्तम होने के कारण वेदो और गीता मे पुरुषोत्तम कहा गया है परमात्मा को वासुदेव कहने का अर्थ ये नही की वो कृष्ण या विष्णु को कहा गया बल्कि वासुदेव का अर्थ जो सभी देवो देवियों मे विद्यमान होके उनको शक्ति प्रदान करता है वो वासुदेव है वो अगोचर है अखंड है अनामी है अरुप है अगुण है वो निर्गुण और सगुन ओमकार ॐ राम श्याम शिव सदाशिव दुर्गा कृष्ण इन सभी परिभाषाओ से परे है उसको कोई नही जान सकता वो ना एक है ना अनेक वो तो सर्वाव्यापी अनंत है 😎
Tabhi to paratma ne sakar roop liya he n n prakar ke Kiyoki nirakar ko koi nhi Jaan sakta jese hava ko koi dekh nhi sakta sirf mehsus kar sakta he jese Agni ka koi suaroop nhi he lekin Agni me har chij bhashan hokr nirakar ho jati he ushi tarah paanika bhi koi aakaar nhi hota lekin har chij isme mil jaati he thik ishi prakar iswar jo ॐ है ऊँकार है wahi Parbhu Shri Ram he iswar ne khud ko iss sansar se avgat karane keliye sakar roop dharan kiya asal me Prabhu ki maya koi nhi samaj sakta n hi koi unhe kishi bhi prakar se Jaan sakta he Prabhu Shri Ram hi om he omkar he athart avinaashi param tatv purn parmatma he wohi mahavishnu he wo hi sadashiv he jo ki paratama ka sakar roop he Jai Shri Ram...
@@MST9911 han ye bat to satya hai ki Nirgun Nirakar Parambrahm ne aneko rupon ko prakat kiya sristi ke vistaar hetu aur sarvapratham Ram ka avtar isi Nirgun Brahm ne dharan kiya tha kyuki aneko Ram avtar ho chuke hain aur aneko Shaktiyo ke Ram avtar ho chuke hain anant kalpo se jinme se adhkitar Ram avtar Vishnu ji ne hi dharan kiye hain aur kai kalpo me Bhagvati Durga aur unke alag 2 swarup se bhi Ram avtar hue hain.Kyuki Brahamand ki raksha aur dharm sthapna ka karya inhi dono ka hai isliye inka Ram aur Krishna dono rupo me avtar hue hain kalp kalp me Lekin Kalp kalp me Ram avtar keval jeevo ko ram nam se jodke mukti pradan krne ke liye vibhinn shaktiyo dwara dharan kiye jate hain Kyuki Nirgun Nirakar ko Sagun sakar rup me dekhne ki iccha hetu jab ananto kalp purv Swayambhu manu aur Shatrupa ne 21 hazar warsho tak sansar ka sabse kathor tap kiya tab Parambrahm ki divya vani unhe sunai padi jisme unse var mangne ko kaha gya tab unnhone Parabrahm ko sakar rup me dekhne k hi var mang liya tab Parabrahm ne manu aur unki patni ke hriday ke bhavo anurup hi ek Rajpurush saman Rup me unko Darshan de diye Jis rup ka varnan bhi asambhav hai fir unko vachan bhi diya isi rup me aapke putra rup me main swayam avtarit ho jaunga samay aane pr tab yahi manu shatrupa dasrath aur kaushalya banke ayodhya me Nirgun Parmatma ko putra rup me paye jiska nam Ram hua aur isi karan Parmatma ko yeh Ram nam itna priya ho gya ki unnhone sabhi bhagvadnamo ki shakti is nam me rakh di isliye vishnu ke shiv ke aur sabhi ishvaro k hazar namo se bhi shaktishali ek ram nam ko kaha gya hai chahe jis devta ka bhi puran ho. inhi Ram ki samadhi shiv lagate hain .isliye jis parmatma ka koi naam nhi koi rup nhi koi aadi ant nahi wo bhakti k karan dravit hoke naam rup akaar me aake Ram kahlaya isliye ant samy keval Ram ka nam liya jata hai aur Ram ko Vishnu ke avtar ke alawa Purn Parambrahm purushottam avtar bhi kaha jata hai aur Ram ke alawa krishna ko bhi Purn Parambrahm avtar kaha jata hai kyuki Nirgun Parbrahm ke danadak van me vicharte samay unke aant madhurya rup se akarshit hoke dandak van ke muni risihi vedo ki sruitiyo ne jab Ram ka sanidhya manga tab unhone ek anya avatr me aane ka var diya aur Yehi se shree krishna ke rup me agla avatar dharan kiya isliye aatmgyani sant Nirgun parmatma ke Ram aur Krishna nam ki hi mahima gate hain. Kyuki inhi do avtaro me Purn Parambrahm sakaar hua tha. isiliye alag alag kalp me alag 2 devta inke Nam aur rup se avtar leke inke charit dohrate hain isliye usko leela ya khel kaha gya hai.. jab parvati ji ko shanka hui ki jo anami agochar nirgun niarakar hai wo akaar me kaise aa gya aur manav ki tarah kyu rota fir rha tab yahi shiv bhi parvati ji se kah rhe hain ki jaise jal aur ole me koi bhed nhi jal hi barf ban jata hai wase hi vastav me Nirgun parmatma anami hai anant hai lekin atoot akhand bhakti ke vash hoke wo bhi sakaar ban jata hai lekin vastav me wo hai to nirankar hi
Actually bhoutik duniya ek illusion hai only soul. Is real but when we come in higher sprituality science then soul is considered by parbrahm. That means everything is under control by God that means only God is truth and other is just an illusion
मेरे अनुसार ब्रह्म, परब्रह्म और पूर्णब्रह्म आदि, ये सब एक तरह के पर्यायवाची ही है। ब्रह्म ही परब्रह्म और वह ही पूर्णब्रह्म आदि है, जो अनंत है, इन वस्तुओ में कभी कोई तुलना नहीं की जा सकती है, वे समान ही होते है। साब एक ही है, उसे ब्रह्म कहा या परब्रह्म, असल में वह अंत चेतना से ही अभिप्राय है, असल में जहा ये सब कुछ हो रहा है, वह अनंत जगह, आकाश ही ब्रह्म है। (आकाश से मेरा अर्थ उस आकाश से नही है, जो हम देखते है, उससे मेरा अभिप्राय उस अनंत विस्तारित जगह से है, जहा सब कुछ है, या उसे कुछ और भी वेदों में कहा गया होगा वह मुझे ज्ञात नही।)
@@FormlessGuy" no god " because who was , is and will be there to say "GOD" , ONLY " SELF" . IMAGINE AND THINK YOUR INNER STATE DEEPLY 😳 🫨🫨🫨 THE ONLY AND ONE BUT INFINITE ENDLESS BOUNDLESS .
@@Brajen-e4w Advaita vedanta is not a atheistic philosophy that denies god but Adwait describes god differently they describes god as pure consciousness ( higher self )
@@FormlessGuy I don't know any vedanta, But there was is will be not any higher consciousness lower consciousness pure or dirty consciousness There was is and will be only and one "Supreme consciousness " which have no comparison comparable comparative 🫨🫨🫨 shocking 😳
गीता जी मे तो ये भी लीखा है अध्याय -3 श्लोक 5 = हे भगवान श्री कृष्ण अर्जुन से कहते है मैरे ओर तेरे बहुत से जन्म हो चूके है उन सबको तू नही जानता कींन्तु मे जानता हु श्लोक नं=6- मे अजन्मा और अवीनाशी स्वरूप होते हुवे भी तथा समस्त प्राणीयोका ईश्वर होते हुए भी अपनी प्रकुती को अधीन करके अपनी योगमाया से प्रकट होता हु रामपालजी महाराज 5वा श्लोक तो पढते है लेकीन 6वा श्लोक मे तो लीखा हे की कॄष्ण भगवान अजन्मे है तो रामपाल जी कृष्ण भगवान को नाशवान कैसे कह सकते है 🤔🤔🤔🤔🤔🤔 ये मे नही कह रहा गीताजी मे लीखा हे क्या कोई मूजे समजायेगा
ब्रह्मा पर ब्रह्मा पूरन ब्रह्म ऋषि महर्षि ब्रह्मा तक जानता है उससे आगे परब्रह्म को जानते नहीं और पूरन ब्रह्मा को जानते नहीं ब्रह्मा तक ऋषि महर्षि का ज्ञान है इससे आगे नहीं है कोई भगवान निराकार नहीं है सारे सरकार है निराकार कभी दुनिया बना सकता है निराकार अगर होगा तो हमारा कमीज बन सकता है दर्जी अगर सरकार होगा तो वही तो मेरा कमीज बनाएगा
@RupSaha-c9c ☺☺☺ bhagwaan hai hai really hai,,, mujhe etna dard// pain diye ki gusha ageya tha ,,,, ab mujhe pata chala ki mai twine flim journey mai huu,, thank you🙏🙏🙏 god
इसमें गलत जैसा कुछ नहीं कि वें अपने ईसाई धर्म के समर्थन में हैं मगर किसी दूसरे धर्म (सनातन धर्म ) को गलत ठहराना गलत हैं, मेरा उदेश्य किसी धर्म तथा उनसे जुड़े लोगो कि भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं हैं मै सभी धर्मो का सम्मान करता हूँ और मै स्वयं सनातनी हूँ | सनातन धर्म सबसे प्राचीन हैं और रही भगवत गीता कि बात तो सुनिए भगवद गीता, विचारों और सिद्धांतों का प्राचीन समय से हमारी समाज में प्रचलन रहा है। इसे एक प्राचीन वेदांतीय ग्रंथ माना जाता है जो महाभारत युद्ध के समय में अर्जुन और भगवान श्रीकृष्ण के बीच हुई उस रचना को जिसमें जीवन और कर्म के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा है, भगवान श्रीकृष्ण के मार्गदर्शन के रूप में प्रस्तुत किया गया है। इस दृष्टि से, भगवद गीता की खोज का मूल उद्देश्य जीवन के उद्देश्य, कर्मयोग, भक्तियोग, और ज्ञानयोग की प्रेरणा देना है।
Or yha log ram ji krishna ji or vishnu or siv ko hi poorn bhgvaan maante hain bo bs ansh hai poorn parmatma ke bo khud to nirakar hai,jiska koi roop nhi bs Jyoti hai
भाई पहले ब्रह्म किया है???? फिर बात आगे बढ़ाओ ये शरीर ही पूरा ब्रह्मांड है। मनुष्य शरीर से ही पूरा ब्रह्मांड व्याप्त है शरीर ही ब्रह्मांड का उत्पत्ति करता है।
वें अपने धर्म ईसाई धर्म के समर्थक हैं बात जरूरी ये हैं कि आप किस धर्म का समर्थन करते हैं मेरी नज़र में सभी धर्म समान हैं धर्म मनुष्य को एक सही मार्ग प्रदान करता हैं ईश्वर को अनुभव करने का अर्थात ईश्वर को जानने का |
बहुत ही सुन्दर नाम - कुलदीप | आप ऐसे ही अध्यात्म से जुड़े रहिये, आप इतनी कम उम्र मै अध्यात्म मै रूचि लेते हैं ये बहुत अच्छी बात हैं 👍 जय श्री कृष्ण ❤️🙏🙏🙏
Om sri param bramha parameswar ki jay ❤ 🕉 🙏
Jay ho 🥰🙏🙏🙏
नमः शिवाय धन्यवाद जय गुरुदेव जय गुरुदेव जय गुरुदेव दत्तात्रेय
💞🙏
#SupremeGodkabir #Kabir
#SantRampalJiMaharaj
ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 1 मंत्र 9
अभी इमं अध्न्या उत श्रीणन्ति धेनवः शिशुम्। सोममिन्द्राय पातवे।।9।।
पूर्ण परमात्मा अमर पुरुष जब लीला करता हुआ बालक रूप धारण करके स्वयं प्रकट होता है उस समय कंवारी गाय अपने आप दूध देती है जिससे उस पूर्ण प्रभु की परवरिश होती है।
Parabramh parmatma aksharatit Sri krishna ji Jo kshar aur akshar se parey anadi hai
Bhai me aap ke video dekhta hu aur muje kafi khooshi milti hai
Thank you brother ❤️
जय जय गुरु, महाराज गुरू ! जय, जय परब्रम्ह सद्गुरू ! ॐ तत् सत् श्री नारायण ! धन्यवाद !
❤️🙏🙏🙏
इस ज्ञान को वहीं पूर्णतः समझ पायेगा जिसका मन पर नियंत्रण है और ब्रह्मचर्य और अहिंसा का समर्थन है,
जो राक्षस जानवरों को मार के खाते है वह इस से दूर ही रहे, गलत ना लिखे, ये सृष्टि ऐसे ही नहीं चल रही है, ये युग ऐसे ही नहीं बदलते
🌺🧘ॐ नमः शिवाय🧘🌺
🪷 जय श्रीमन नारायण 🪷
❤️🔥 जय श्री कृष्ण ❤️🔥
💞👍
अतिपरीपूर्णब्रह्म
Ye kya hota hain
ॐ नमः शिवाय🌿🌿🌿🙏🙏
ॐ जय माता दी🌺🌺🙏🙏
❤️🙏🙏🙏
पहली बार किसी ने साम्प्रदायिक विचारधारा से ऊपर उठकर वेदो का सटीक विश्लेषण करके सनातन धर्म का सही अर्थ समझाया है इसके लिए सबको इस चैनल का धन्यवाद करना चाहिए वरना आज यूट्यूब से लेके टीवी सीरियल तक सम्प्र्दायो की तुच्छ विचाराधारा को लेके लोगो को विष्णु शिव शक्ति सदाशिव महाविष्णु दुर्गा कृष्ण राम इन्ही मे उलझा रखा है और इन्ही रूपों मे से एक को उठाके अन्य रूपों की निंदा की जाती है क्युकी सनातन धर्म को इन्होने अब्राहमिक धर्मों जैसा ही समझ लिया है जहाँ कम्पनी बॉस और एम्प्लोयी की संकीर्न विचारधारा से ईश्वर को समझ रखा है.. जबकि सनातन का ईश्वर एक होते हुए भी बहुआयामी है इसीलिए इसको अनंत ब्रह्माडो का ज्ञान रखने वाले ऋषि तक नेति नेति कहके थक गए लेकिन समझ नहीं पाए 😎🙏🏻
Thank you brother ❤️🌹🙏
Aap jaison ko apna achhai batana sampradayik lagega
❤❤(श्रीरामचरितमानस)❤❤
नेति नेति जेहि वेद निरूपा, निजानंद निरुपाधि निरूपा।
शंभु, विरंचि, विष्णु भगवाना,उपजहि जासु अंश ते नाना।।
अर्थात् श्रीरामचन्द्र जी ही वह पूर्ण ब्रह्म हैं जिन्हें वेद नेति नेति कहता है और जिनके अंश मात्र से अनेकों ब्रह्मा विष्णु और शिव जी की उत्पत्ति होती है।।
❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
@@avinashrai9952 शिव पुराण:-
परम पुरुष काल ब्रह्म
महा विक्राल अखंड सदाशिव
सर्वोच्च अधिपति महा सदाशिव
स्वयं विध्यमान सर्वश्रेष्ठ महा नाथ
शाश्वत महा नटराज
कालो के काल जय श्री महाकाल
आपने बिलकुल सही कहा भाई
परम पुरुष काल ब्रह्म
महा विक्राल अखंड सदाशिव
सर्वोच्च अधिपति महा सदाशिव
स्वयं विध्यमान सर्वश्रेष्ठ महा नाथ
शाश्वत महा नटराज
कालो के काल जय महाकाल🙏🏻🙏🏻🙏🏻
Yes, aap ne sahi kaha.. Jai Sri Mahaprabhu Jyotirlinga Swaroop Mahakal parambrahm Sadashiv ko sat sat naman 🙏🙏🌹🌷🌷
Jai shree Krishna
Jay shree krishna 💞❤️🙏
Jai Shree Krishna🙏
Jay shree krishna 💞🙏
❤❤(श्रीरामचरितमानस जी)❤❤
1. सबकर परम प्रकाशक जोई,
राम अनादि अवध पति सोई।।
2. नेति नेति जेहि वेद निरूपा,
निजानंद निरुपाधि अनूपा।।
शंभु, विरंचि, विष्णु भगवाना,
उपजहि जासु अंश ते नाना।।
अर्थात् जो सबके परम प्रकाशक हैं जो आदि से भी पहले हैं अनादि हैं।वह अवध के राजा श्री रामचन्द्र जी हैं। जिन्हें वेद भी नहीं जानता है।वेद जिन्हें नेति नेति कहकर पुकारता है। वह आनंदस्वरूप, उपाधि रहित और अनुपम हैं। जिनके एक अंश मात्र से अनेकों ब्रह्मा, विष्णु और शिव जी की उत्पत्ति होती है वह कोई और नहीं बल्कि परम पूर्णब्रह्म श्रीरामचंद्र जी ही हैं।।
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शिव गीता पढ़ो जब श्री राम जी महादेव का विश्व रूप देखा तो अचेत पड़ गए । शिव जी अजन्मा है उन्हे क्या कोई जन्म देगा भाई
और सदा शिव जी के बारे में पढ़ो उनके पांच मुख के बारे में पढ़ो वेद में शिवसंकल्प सूत्र पढ़ो वेद में श्री राम जी का कही नाम ही नही है ,
@@AtulDubeyAvi श्रीरामचरितमानस जी,
शंकर राम रुप अनुरागे,
नयन पंचदस अति प्रिय लागे।।
अर्थात् शिव जी श्रीराम जी के रूप के अनुरागी हैं और अपने पांच मुखों में स्थित पंद्रह आंखों से श्री राम जी के स्वरूप का प्रेम पूर्वक दर्शन करते रहते हैं।।
@@Vishalshorts-o8f कबीरदास जी कहते हैं,
कबीर कुत्ता राम का मोतिया मेरा नाउं,
गले राम की जेवड़ी जित खींचे तित जाऊं।।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Om Namah Shivay
Om Jai Shree SeetaRam Aum.
Hare Krishna ji ❤🙏
Krishna
Jay shree Krishna 💞 Radhe Radhe 🙏🙏🙏
जय माता दी सब जीवों की ओर से जारी
Jay mata di🥰❤️ 🙏🙏🙏
@@hridyavani108is Kabir god... Is there purna brahm..
महासदाशिव ही परमेश्वर है
Yes,,
@@Vishalshorts-o8f नकली संत रामपाल के शिष्य हो क्या
अच्छी जानकारी दी है -अलख, अनादि,नाम नहीं रूपा ! सुखी ब्रह्म अनुभव अनुपा!! (मैं आप द्वारा दी गई जानकारी से सहमत हूं)!!
💞🌹😇
कयां आफनै बरहम का अनूभव किया है,? सच बताऐ जी
सहमत हो या अनुमोदन करते है ?
सहमती का आधार कीया है ?|
Om Shanti Om Shanti ji 🙏🙏
Om shanti 💞🙏
भगवान के दो रूप ही होते हैं साकार और निराकार, साकार बार बार धरती अवतार धारण करके मनुष्य को ब्रह्मज्ञान देते हैं और मुक्ति मार्ग दिखा ते हैं जैसे विवेकानंद, मीरा, प्रहलाद, आदि भक्तों को मिला
❤️👍
हरे कृष्णा गुरुदेव ज्ञान तो बहुत है आपके पास पर यह बताइए कि मनुष्य के अंदर जो सात चक्र हैं कौन से चक्र पर कौन सी शक्ति और कौन सा ज्ञान प्राप्त होता है हर हर महादेव
कुंडलिनी योग और उसके सात चक्रो के जागृति पर क्या होता हैं क्या क्या शक्तिया प्राप्त होती हैं इस विषय पर video जल्द ही आएगा ❤️😇👍
@@hridyavani108 चलो देखते हैं कितनी जल्दी वीडियो भेज सकते हो
@@hridyavani108 इन सात चक्र का ज्ञान इस धरती पर आज के डेट में किसी के पास नहीं है और ना ही इसका ज्ञान किसी धर्म ग्रंथ और वेद शास्त्र में लिखा है हर हर महादेव
@YogiAnandJiSahajDhyanYog
योगी आनंद
यह मेरे गुरुजी है इनमें मेरे चार चक्र को शक्तिपात से जागृत किया था अभी मैं पांचवी चक्र की ओर बड रहा हूं
अगर उनकी सारी वीडियो देख लोगे तो मूलाधार तो आपको वैसे ही जाग्रत हो जाएगा
@@Deepaksingh56488 हिंदी समझते हो ना चक्र का ज्ञान देना तुम्हें है ना तुम्हारे गुरु का है चक्र के जागृत करना कोई आदमी को सोए हुए जगाने के बराबर नहीं है की गुरुदेव ने तुम्हारे चार चक्र जागृत कर दिया यमन ग्रंथ कहानी किसी और को सुनाना हमें नहीं क्योंकि मेरे गुरु स्वयं महादेव है अगर इतना ही ज्ञान है तुम्हारे गुरु के पास तो पूछ कर बताओ कि मनुष्य का जन्म फिर मनुष्य में कितने वर्षों के बाद होता है इसके बाद देखेंगे ज्ञान अध्ययन कितना है आप क्यों और आपके गुरु के पास हर हर महादेव
* ଏସବୁ ଶୁଖିଲା ବ୍ରହ୍ମ ଜ୍ଞାନ କେଉଁ କାମର ଅଟେ,,,,???
ଏବେ ବାଂଲାଦେଶ ରେ ଯେଉଁ ହିନ୍ଦୁ ଙ୍କ ଉପରେ ଅତ୍ୟାଚାର ଚାଲିଛି,,,ସେ ସବୁ କିପରି ସମାଧାନ ହେବ,,,ଏବେ ସେ କଥା କୁହ,,,ଭୋକିଲା କୁ ଖାଦ୍ୟ ଦରକାର,,ଜିଜ୍ଞାସୁ ଙ୍କୁ ତତ୍ତ୍ଵ ଆବଶ୍ୟକ,,!!
Suprb
Thanks💞
जो प्रभु निराकर है उसको ईश्वर, परमात्मा कहा जाता है वही ईश्वर की शक्ति मनुष्य का रूप धारण के धरा पर अवतरित होती है,
ब्रह्म ज्ञान का सन्देश देती है, आज भी आह्वान करती है, दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान
Har har mahadev 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
Har Har Mahadev ❤️🌹🚩
🎉🎉 Jai Ho Jai Ho.ad.
भगवान् स्वयं श्रीमननारायण ही परब्रह्म है 🚩
💖🙏
Om Jai Shree Sadh Guru Devay Namo Namah.
🙏
ॐ नमो नारायण 🌹❤️❤️❤️
Om namo narayana 🌹
Kya om hi purna prara brama hai 🌹🌹🙏🙏
ॐ शब्द की उत्तपति सदाशिव के पांच मुखों से हुई हैं, ॐ की शुरुवात हर मंत्र से पहले होती हैं, ये नाद हर एक मंत्र की शक्ति को बढ़ा देता हैं, ॐ नाद सनातन और सर्वथा शाश्वत हैं 🥰 ॐ नमः शिवाय 🙏🙏🙏
Om namah shivay
Om namah shivay 💞❤️
❤
Jay shree Krishna❤
Jay shree krishna 💞❤️🌹🙏🙏🙏
Very inreresting video. Thanks
💞😇
Shri Parmeshwar Parabrahm Narayan ki Jai
💞🙏
Sirf SHAKTI🙏🙏🙏🙏🙏
Om Nirakaar Omkareshwarai Bhagwan shambhu Narayan Ramakrishnai Kalki Mahakaaleshwarai hanumate Gurudevai namah Satyam Shivam Sundaram har har Mahadev Jai shree Ram Jai shree hanuman jai Gurudev Jai hind 🙏🙏❤️❤️🙏❤️❤️
🙌
💥💥💥🕉🙏🕉💥💥💥
PARA BRAHMAN - NIRGUNA SUPREME
PRAKRITI/ ISHWARA - SAGUNA BRAHMAN
BHAGAWAN - BEHOLDER OF "6 AISHWARYA" AND LORD OF 5 PRIME ELEMENTAL EXPRESSION
Angreji ke granth padh kr aaya hai kya
@@abhishek_kumarrr09PLZ READ 'SAMKHYA AND PATANJALI DARSHAN' BEFORE COMMENT
@@lifespectra nahi ab sab grantho me milavat kardi h kalyug ne ab bhagwan keval shradha aur karm aur 0 marg me hi h
Par Brahm
Purn Brahm
Me antar kaise hai ?
Jaise jara soncho hum energy e liye jaise sun pe depend rhte h but we have known that in one atom infinity of unoverse space also time exist so kya ho yadi hum aisi chamta viksit krle ki ek hi atom se anant enegy prapt krne lge
To idhar udhar jane ki jarurat nahi padegi with internal dimension
Poorn brahm artaht poore brahmaand ki ki poorn energy aapke andar samahit hona hai jab obviouslu jab itni chamta hai to aap jo sonchoge vo brahmaand me ghatit hone lagaega
Ab yah sab energy kaise prapt karte hai tab ya yog se and itna energy to generally prapt karna kathin durlabh h but if God wants then can give.
@@himalayrajak5044 energy भी एक ब्रह्म (illusion) है
@@abhishek_kumarrr09 kabhi kabhi samjhane ke liye kisi ka arth dusre vyaktavya me alag ho sakta h
बाहर कि ,ग्याण कोई ग्याण नहही ,है जो लोग बाहरकि जान लिया वो ,अग्याणी है light of mind hedge .
हाँ, आत्मज्ञान ही सर्वश्रेष्ठ ज्ञान हैं 🥰
@@hridyavani108आत्म ज्ञान से जागरुकता उत्पन्न होती है और जागरुकता से शिक्षा तथा शिक्षा से ज्ञान
परमात्मा ना देवता है ना ईश्वर ना भगवान यह सब आकारी शक्तियों को कहा जाता है जो परमात्मा से ही सृस्टि के लिए प्रकट होके अंत मे उसी मे विलीन हो जाएंगी 😎
शिव कहो या सदाशिव या शंकर एक ही हैँ एक ब्रह्माण्ड के संहार करता शिव के रूप को ही शंकर कहा गया है और एक ब्रह्माडो के अंदर त्रिदेवो को प्रकट करने वाले शिव के रूप को ही शिव कहा है जो ज्योतिस्वरुप और अर्धनारेश्वर रूप मे ब्रह्मा को दर्शन दिए थे और शिव का वह रूप जो अनंत प्राकृतिक ब्रह्माडो से परे है उसे ही सदाशिव कहा गया है जो शिवलोक मे पंचमुखी कहा गया है सब एक ही सदाशिव हैँ इसी प्रकार एक ब्रह्माण्ड के पालनकर्ता विष्णु को क्षीर सागर नारायण कहा गया है जिस रूप से त्रिदेव उतपन्न होते हैँ उसे महाविष्णु या आदिनारायण कहा गया है और अनंत प्राकृतिक ब्रह्माडो से परे जो विष्णु हैँ उनको सत्य नारायण या परावासुदेव कहा गया है जो आदिवैकुंठ मे अस्ट भुज रूप मे हैँ इसी प्रकार देवी शक्ति, सूर्य और गणेश का भी विस्तार समझो..इसीलिए पंचब्रह्म और पंचदेव कहा गया है इनको जिस प्रकार एक ब्रह्माण्ड के कल्प महाप्रलय के बाद कभी शिव से कभी विष्णु से कभी ब्रह्मा से कभी शक्ति से कभी गणेश से कभी सूर्य से सब सृस्टि का विस्तार होता है उसी प्रकार महाकल्प के प्रलय के बाद कभी सदाशिव या आदिशिव से कभी सत्य नारायण या परावासुदेव से कभी आदशक्ति या दुर्गा से कभी महागणेश से कभी आदिसूर्य से अनंत ब्रह्माडो का सृजन होता है जिस कारण अलग अलग पुराणों मे अलग अलग सृस्टि विस्तार बताया गया है जिसे ना समझ पाने से सम्प्रदायवादी कुत्तो की तरह लड़ते हैँ
18 पुराण हैँ जिनमे से कुछ पुराण शिव को आदिदेव कहते हैँ कुछ नारायण या हरि को कुछ शक्ति या दुर्गा को सबका आदि कहते हैँ कुछ उपपुराण भी हैँ जो सूर्य और गणेश को आदिदेव कहते हैँ 😎 इनको परब्रह्म कहा गया है अलग अलग ग्रंथो मे परब्रह्म और परमब्रह्म मे भी लोग भर्मित हो जाते हैँ
परब्रह्म केवल उन शक्तियों को या ईश्वरो को कहा गया है जो त्रिदेवो और अनगिनत ब्रह्माडो का निर्माण करते हैँ
इन्ही को पंचमुखी सदाशिव, अस्टभुज महाविष्णु,आदिशक्ति,आदिगनेश आदिसूर्य नाम से कहा गया है इन्ही से हिरण्य गर्भ की उतपत्ति और उससे विराट पुरुष का जन्म होता है जो अनंत कोटी ब्रह्माडो का निर्माण करता है और हर ब्रह्माण्ड मे वैराज पुरुष के रूप मे प्रवेश कर त्रिगुणो को ब्रह्मा विष्णु शिव रूप प्रदान करता है प्रत्येक कल्प मे कभी महाविष्णु इस प्रकृति का विस्तार करते हैँ कभी सदाशिव कभी आदिशक्ति तो कभी आदिगणेश तो कभी आदिसूर्य इसीलिए इनको परब्रह्म कहा गया है
और इन सबको भी प्रकट करने वाले अनंत अन्य शक्तियाँ और हैँ जिसका विस्तृत वर्णन पुराण समहिताओं और उपनिषद मे भी है 😎उस परमात्मा का कोई नाम नही वो अनामी है कोई रूप नही कोई परिवार नही कोई माता नही कोई पिता नही कोई पुत्र नही कोई पत्नी नही जबकि उससे उतपन्न जो भी देवता महादेवता और परादेवता हैँ सबके अपने अस्त्र और अपने परिवार होते हैँ 😎 ईश्वर भगवान मे ज्यादा अंतर नही अब चाहे देवो के देव कहो है तो देव ही या देव राज कहो वो भी है तो देव ही शिव कहो या सदाशिव कहो है तो शिव तत्व ही विष्णु कहो या महाविष्णु कहो है तो विष्णु तत्त्व ही
परमात्मा इन सबका आदि है वो ना देव है ना महादेव है ना परादेव है वो सर्वव्यापी है भगवादगीता मे उसे क्षर पुरुष अर्थात निमित्त साकार रूप अर्थात त्रिदेव त्रिदेवीयां, वैराज पुरुष, विराट पुरुष त्रिगुनातीत साकार रूप अर्थात अस्टभुज आदिनारायण पंचमुखी सदाशिव अस्टभुज दुर्गा और इनसे परे अनंत अन्य साकार रूप जिन्हे कुछ ग्रंथो और तंत्रो मे परममहाशिव या परमसदाशिव, परमनारायण, परमआदिशक्ति भी कहा गया है उनसे भी और जो सनातन निर्गुन साकार रूप अक्षर पुरुष हैँ जिनको सृस्टियों का आदिकारण कहा गया है इनका रूप अनंत काल से वैसा ही है इसीलिए इनको अखंड कहा गया है कुछ ग्रंथ गोलोक के ईश्वर को अक्षर ब्रह्म का रूप कहते हैँ किन्तु इनका रूप इनका नाम इनका आदि अंत कोई नही जान सका इनको जानने के बाद कुछ जानना शेष नही रहता किन्तु परमब्रह्म परमात्मा इनसे भी उत्तम होने के कारण वेदो और गीता मे पुरुषोत्तम कहा गया है परमात्मा को वासुदेव कहने का अर्थ ये नही की वो कृष्ण या विष्णु को कहा गया बल्कि वासुदेव का अर्थ जो सभी देवो देवियों मे विद्यमान होके उनको शक्ति प्रदान करता है वो वासुदेव है वो अगोचर है अखंड है अनामी है अरुप है अगुण है वो निर्गुण और सगुन ओमकार ॐ राम श्याम शिव सदाशिव दुर्गा कृष्ण इन सभी परिभाषाओ से परे है उसको कोई नही जान सकता वो ना एक है ना अनेक वो तो सर्वाव्यापी अनंत है 😎
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Tabhi to paratma ne sakar roop liya he n n prakar ke Kiyoki nirakar ko koi nhi Jaan sakta jese hava ko koi dekh nhi sakta sirf mehsus kar sakta he jese Agni ka koi suaroop nhi he lekin Agni me har chij bhashan hokr nirakar ho jati he ushi tarah paanika bhi koi aakaar nhi hota lekin har chij isme mil jaati he thik ishi prakar iswar jo ॐ है ऊँकार है wahi Parbhu Shri Ram he iswar ne khud ko iss sansar se avgat karane keliye sakar roop dharan kiya asal me Prabhu ki maya koi nhi samaj sakta n hi koi unhe kishi bhi prakar se Jaan sakta he Prabhu Shri Ram hi om he omkar he athart avinaashi param tatv purn parmatma he wohi mahavishnu he wo hi sadashiv he jo ki paratama ka sakar roop he Jai Shri Ram...
@@MST9911 han ye bat to satya hai ki Nirgun Nirakar Parambrahm ne aneko rupon ko prakat kiya sristi ke vistaar hetu aur sarvapratham Ram ka avtar isi Nirgun Brahm ne dharan kiya tha kyuki aneko Ram avtar ho chuke hain aur aneko Shaktiyo ke Ram avtar ho chuke hain anant kalpo se jinme se adhkitar Ram avtar Vishnu ji ne hi dharan kiye hain aur kai kalpo me Bhagvati Durga aur unke alag 2 swarup se bhi Ram avtar hue hain.Kyuki Brahamand ki raksha aur dharm sthapna ka karya inhi dono ka hai isliye inka Ram aur Krishna dono rupo me avtar hue hain kalp kalp me
Lekin Kalp kalp me Ram avtar keval jeevo ko ram nam se jodke mukti pradan krne ke liye vibhinn shaktiyo dwara dharan kiye jate hain Kyuki Nirgun Nirakar ko Sagun sakar rup me dekhne ki iccha hetu jab ananto kalp purv Swayambhu manu aur Shatrupa ne 21 hazar warsho tak sansar ka sabse kathor tap kiya tab Parambrahm ki divya vani unhe sunai padi jisme unse var mangne ko kaha gya tab unnhone Parabrahm ko sakar rup me dekhne k hi var mang liya tab Parabrahm ne manu aur unki patni ke hriday ke bhavo anurup hi ek Rajpurush saman Rup me unko Darshan de diye Jis rup ka varnan bhi asambhav hai fir unko vachan bhi diya isi rup me aapke putra rup me main swayam avtarit ho jaunga samay aane pr tab yahi manu shatrupa dasrath aur kaushalya banke ayodhya me Nirgun Parmatma ko putra rup me paye jiska nam Ram hua aur isi karan Parmatma ko yeh Ram nam itna priya ho gya ki unnhone sabhi bhagvadnamo ki shakti is nam me rakh di isliye vishnu ke shiv ke aur sabhi ishvaro k hazar namo se bhi shaktishali ek ram nam ko kaha gya hai chahe jis devta ka bhi puran ho. inhi Ram ki samadhi shiv lagate hain .isliye jis parmatma ka koi naam nhi koi rup nhi koi aadi ant nahi wo bhakti k karan dravit hoke naam rup akaar me aake Ram kahlaya isliye ant samy keval Ram ka nam liya jata hai aur Ram ko Vishnu ke avtar ke alawa Purn Parambrahm purushottam avtar bhi kaha jata hai aur Ram ke alawa krishna ko bhi Purn Parambrahm avtar kaha jata hai kyuki Nirgun Parbrahm ke danadak van me vicharte samay unke aant madhurya rup se akarshit hoke dandak van ke muni risihi vedo ki sruitiyo ne jab Ram ka sanidhya manga tab unhone ek anya avatr me aane ka var diya aur Yehi se shree krishna ke rup me agla avatar dharan kiya isliye aatmgyani sant Nirgun parmatma ke Ram aur Krishna nam ki hi mahima gate hain. Kyuki inhi do avtaro me Purn Parambrahm sakaar hua tha. isiliye alag alag kalp me alag 2 devta inke Nam aur rup se avtar leke inke charit dohrate hain isliye usko leela ya khel kaha gya hai.. jab parvati ji ko shanka hui ki jo anami agochar nirgun niarakar hai wo akaar me kaise aa gya aur manav ki tarah kyu rota fir rha tab yahi shiv bhi parvati ji se kah rhe hain ki jaise jal aur ole me koi bhed nhi jal hi barf ban jata hai wase hi vastav me Nirgun parmatma anami hai anant hai lekin atoot akhand bhakti ke vash hoke wo bhi sakaar ban jata hai lekin vastav me wo hai to nirankar hi
@@MST9911 iswar bhagwan dewi dewta alag hote h teeno m farak hota h
@@MST9911shiv iswar nahi h na sadashiv iswar h .
Iswar nirakar hi h
💖🌹💖
Actually bhoutik duniya ek illusion hai only soul. Is real but when we come in higher sprituality science then soul is considered by parbrahm. That means everything is under control by God that means only God is truth and other is just an illusion
💞👍
मेरे अनुसार ब्रह्म, परब्रह्म और पूर्णब्रह्म आदि, ये सब एक तरह के पर्यायवाची ही है।
ब्रह्म ही परब्रह्म और वह ही पूर्णब्रह्म आदि है, जो अनंत है, इन वस्तुओ में कभी कोई तुलना नहीं की जा सकती है, वे समान ही होते है।
साब एक ही है, उसे ब्रह्म कहा या परब्रह्म, असल में वह अंत चेतना से ही अभिप्राय है, असल में जहा ये सब कुछ हो रहा है, वह अनंत जगह, आकाश ही ब्रह्म है।
(आकाश से मेरा अर्थ उस आकाश से नही है, जो हम देखते है, उससे मेरा अभिप्राय उस अनंत विस्तारित जगह से है, जहा सब कुछ है, या उसे कुछ और भी वेदों में कहा गया होगा वह मुझे ज्ञात नही।)
❤️👍
ब्रह्म ही परब्रह्म है जो सदाशिव है और शिव , विष्णु , आदिशक्ति , गणेश और सूर्य ये पंचब्रह्म है । और पुर्णब्रह्म जैसे कुछ नही होता है ।
पूर्ण ब्रह्म परमात्मा को कहते हैं जो ब्रह्म से भी परे हैं जो सर्वोच्च सत्ता हैं 💞🌹🙏
Parabramh parmatma sakar aur nirakar se alag hai
परब्रम्ह कौन है? अगर परब्रम्हको जानना हो तो गजेन्द्र मोक्षका कथा अध्यन करलो सब ज्ञात होजाएगा।
ब्रह्म एक ही है न आधा है न पूरा वो एक ही है और एक ही रहेगा
ब्रह्म हैं तो एक ही, मगर उनको जानने वाले ऋषि और शास्त्रों ने उनके रूपों का भी वर्णन किया हैं मैंने उसी शास्त्र सम्मत बात कही हैं 💞🙏
ब्रामः, सुसम्, hai, bram, ko, na, भूख, लगti, hai, na, सास, lete, hai, par, bram, अनंत, ajar, अमर, satya, hai
💞👍
Param brahma is purna brahma both u can say not different param Brahma is krsna the Supreme personality of Godhead
❤️👍
No god only self😮😮😮
But self is god
@@FormlessGuy" no god " because who was , is and will be there to say "GOD" , ONLY " SELF" . IMAGINE AND THINK YOUR INNER STATE DEEPLY 😳 🫨🫨🫨 THE ONLY AND ONE BUT INFINITE ENDLESS BOUNDLESS .
@@Brajen-e4w God is not a object that can be seen god is subject he is seer - Ramana maharishi
@@Brajen-e4w Advaita vedanta is not a atheistic philosophy that denies god but Adwait describes god differently they describes god as pure consciousness ( higher self )
@@FormlessGuy I don't know any vedanta,
But there was is will be not any higher consciousness lower consciousness pure or dirty consciousness
There was is and will be only and one "Supreme consciousness " which have no comparison comparable comparative 🫨🫨🫨 shocking 😳
Chetan parmatma hi jagat roop me v jagat roop hoker sarvatra vyapak hai vo puram parmatma hi sab kuchh hai .
💞🙏
Nahi om eti kshar om pranau bramh hai
Ayodhya aa jao.
Bilkul 💞😇
🤣🤣🤣🤣🤣🤣🤣🤣
Sar porosh, akshar porosh, param aksar porosh...
Bram ,par barmm,. param aksar bhram....sab ak...hain....
...
💞👍
गीता जी मे तो ये भी लीखा है
अध्याय -3 श्लोक 5 = हे भगवान श्री कृष्ण अर्जुन से कहते है मैरे ओर तेरे बहुत से जन्म हो चूके है उन सबको तू नही जानता कींन्तु मे जानता हु
श्लोक नं=6- मे अजन्मा और अवीनाशी स्वरूप होते हुवे भी तथा समस्त प्राणीयोका ईश्वर होते हुए भी अपनी प्रकुती को अधीन करके अपनी योगमाया से प्रकट होता हु
रामपालजी महाराज 5वा श्लोक तो पढते है लेकीन 6वा श्लोक मे तो लीखा हे की कॄष्ण भगवान अजन्मे है तो रामपाल जी कृष्ण भगवान को नाशवान कैसे कह सकते है 🤔🤔🤔🤔🤔🤔 ये मे नही कह रहा गीताजी मे लीखा हे क्या कोई मूजे समजायेगा
ब्रह्मा पर ब्रह्मा पूरन ब्रह्म ऋषि महर्षि ब्रह्मा तक जानता है उससे आगे परब्रह्म को जानते नहीं और पूरन ब्रह्मा को जानते नहीं ब्रह्मा तक ऋषि महर्षि का ज्ञान है इससे आगे नहीं है कोई भगवान निराकार नहीं है सारे सरकार है निराकार कभी दुनिया बना सकता है निराकार अगर होगा तो हमारा कमीज बन सकता है दर्जी अगर सरकार होगा तो वही तो मेरा कमीज बनाएगा
पूर्ण ब्रह्म कबीर जी है. संत रामपाल जी महाराज जी के पास इसका ज्ञान है.
मैंने उन्ही के बारें में ही बताया हैं 🥰🙏🙏🙏
Kabir ji saint hai 🌹🌹🙏🙏
Saint Ram pal ji sacche maharaj
sadguru hai 🌹🌹🙏🙏
राम पाल ही भगवान है
@@shivanshdixit3781 यस राम पाल सॉफ्ट जहर है
Kono bhogoban nei🤣🤣🤣🤣🤣
😡
@RupSaha-c9c ☺☺☺ bhagwaan hai hai really hai,,, mujhe etna dard// pain diye ki gusha ageya tha ,,,, ab mujhe pata chala ki mai twine flim journey mai huu,, thank you🙏🙏🙏 god
Ramplal koi bhagwan nahi hai
नहीं , लेकिन वह कबीर को पूर्ण परमात्मा मानते हैं ❤️🙏
Bhai muje batavo ke yah sab sahi hai ya galat us chennal ke video dekho aar muje reply do
इसमें गलत जैसा कुछ नहीं कि वें अपने ईसाई धर्म के समर्थन में हैं मगर किसी दूसरे धर्म (सनातन धर्म ) को गलत ठहराना गलत हैं, मेरा उदेश्य किसी धर्म तथा उनसे जुड़े लोगो कि भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं हैं मै सभी धर्मो का सम्मान करता हूँ और मै स्वयं सनातनी हूँ | सनातन धर्म सबसे प्राचीन हैं और रही भगवत गीता कि बात तो सुनिए भगवद गीता, विचारों और सिद्धांतों का प्राचीन समय से हमारी समाज में प्रचलन रहा है। इसे एक प्राचीन वेदांतीय ग्रंथ माना जाता है जो महाभारत युद्ध के समय में अर्जुन और भगवान श्रीकृष्ण के बीच हुई उस रचना को जिसमें जीवन और कर्म के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा है, भगवान श्रीकृष्ण के मार्गदर्शन के रूप में प्रस्तुत किया गया है। इस दृष्टि से, भगवद गीता की खोज का मूल उद्देश्य जीवन के उद्देश्य, कर्मयोग, भक्तियोग, और ज्ञानयोग की प्रेरणा देना है।
Or yha log ram ji krishna ji or vishnu or siv ko hi poorn bhgvaan maante hain bo bs ansh hai poorn parmatma ke bo khud to nirakar hai,jiska koi roop nhi bs Jyoti hai
🙌
भाई पहले ब्रह्म किया है????
फिर बात आगे बढ़ाओ
ये शरीर ही पूरा ब्रह्मांड है।
मनुष्य शरीर से ही पूरा ब्रह्मांड व्याप्त है शरीर ही ब्रह्मांड का उत्पत्ति करता है।
इस video में बताया हैं ध्यान से देखिये 💞💖🙏
Bhai us chennal kw name hai prabhu ka anugrah
Ok i will check this channel.
वें अपने धर्म ईसाई धर्म के समर्थक हैं बात जरूरी ये हैं कि आप किस धर्म का समर्थन करते हैं मेरी नज़र में सभी धर्म समान हैं धर्म मनुष्य को एक सही मार्ग प्रदान करता हैं ईश्वर को अनुभव करने का अर्थात ईश्वर को जानने का |
Bhai mene aaj ak khrishn dharm ka video dekha usme aak paster bata rahe the ki geeta yah sab judh hai vo kah rahe the ki yah sab kalpanik hai
Channel name bataiye me dekhna chahta hu wo video 🤔
Mera name kuldip hai my age 19 year
बहुत ही सुन्दर नाम - कुलदीप |
आप ऐसे ही अध्यात्म से जुड़े रहिये, आप इतनी कम उम्र मै अध्यात्म मै रूचि लेते हैं ये बहुत अच्छी बात हैं 👍 जय श्री कृष्ण ❤️🙏🙏🙏
Bhai aap batao ki maan khana pap hai yah nahi
Maan matlab????
Ap ye voice me kuch add krte ya kese krte ❤
ॐ जाप से ही मोक्ष मिल सकता जन्म जन्मों से छुटकारा मिल जाएगा
💞🙌