Dhan Nirankar ji. 9 द्वारों में आकाश तत्व भी आता है . अर्थात ये आकाश को भी छोड़ कर जो बचता है, वही परमात्मा है. अवतार बानी में लिखा है " जो कुछ दिसदा ऐ, नज़री आनदा ऐ, ऐसे दा हे सगल पसार, अर्थात जड चेतन एक है.
Sabse nazdeek aur schcha Guru hmhari Aatma hi hai. Kyon ki jab bhi hum koi bhi Galat ya sahi kaam karte hai us samay Jaise hum chori kar rahe hai to man to kahta hai aisa karne mai kya kya galat hai. Lekin hamhari antar Aatma dhikarti hai. Matlab galt kaam se rokane wali Aatma ne sadguru wala kaam kiya hai. 😊😊😊😊😊
श्री हरि ॐ स्वस्ति श्री वासुदेव सर्वमिति। आपने अध्यात्म को बहुत ही सरल और सुंदर ढंग से समझाया है,एक ही निर्गुण आत्मा समय परिवेश या परिस्थितियों के अनुसार रजोगुण को धारण करने पर अहंकार, सतोगुण को धारण करने पर बुद्धि तथा तमोगुण को धारण करने पर चंचल मन कहलाते है। धन्यवाद🎉❤🎉 जय हिंद
आदरणीय राजेश जी, बेहतरीन प्रस्तुति. जिन विषयों को आपने लिया है उस पर साधकों को सबसे ज्यादा confusion रहता है. आपका यहां पर यह प्रयास साधकों के लिए लाभकारी सिद्ध होगा. Great ❤
सही बता रहे हो 21:09 आप ब्रह्म के अतिरिक्त कुछ नहीं है सर्व खल्विदं ब्रह्म, वासुदेवं सर्वं इदं, नेह नानास्ति किंचन, सीय राम मय सब जग जानी, सब कुछ परमात्मा है, अज्ञान अर्थात, अविद्या रूपी उपाधि के कारण अ
भाईयो और बहनों पहली बात के परमात्मा हीं नहीं हे तो आत्मा कैसी भाईयो और बहनों दूसरी बात के आत्मा ही नहीं नही है तो ये प्रेत कैसी भाईयो और बहनों तीसरी बात ये के प्रेत ही नहीं हे तो फिर वहम कैसा जब ये वहम ही हे तो फिर ये डर कैसा यानी के भाईयो और बहनों आप लोगो के पास वहम हे इस लिए डर है डर हे जिस दिन डर निकल गया उस दिन वहम निकल गया और जिस दिन वहम निकल गया उस दिन ये परमात्मा आत्मा प्रेत स्वर्ग नर्क का वहम फैलने वाले लोगो की सच्चाई जनजाओगे
नमस्कार सरजी आपने चित्र के द्वारा बहुत ही अच्छा समझाया हैं तो फिर यह जो में भाव हैं हमारा उसे खत्म करने के लिये इस भाव को परमात्मा तु ही ' तु में लीन कर दें? मेरा प्रणाम सविकार करे सर!🙏🙏
गुरु जी आप को प्रणाम गुरु जी आप आत्मा परात्मा की जानकारी अच्छा तरह से समझा रहे है मानचित्र द्वारा भाव के रूप मे लेकिन जन्म मृत्यु के रहस्य को समझने की जरूरत है जीव जंतु का प्रकृति ने चार रूपों में विभाजित किया हुआ है जिसका जो भी रूपों में दर्शाया गया है वह मिट नहीं सकता है वह दिख नही सकता है वह अनुभव से एहसास किया जा सकता है उत्त्पति समझे चार का विभाजित पहला , पिंड दूसरा , अंड तीसरा अस्थाई चौथा। झंड यानि कही से उत्पन्न हो जाना यह पूरे प्रकृति चार से दर्शाया गया है जैसे वेद चार कर्म चार ग्रंथ चार दिशा चार धर्म चार इन्सान चार भागो में जैसे हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई हर क्रिया चार से ही हो रहा है रहा जन्म मनुष्य जीवन मनुष्य रूप गेहूं जीवन गेहूं रूप जानवर जीवन जानवर रूप ऐसा कोई जीवन बदलाव नहीं होता है यही सब कर्म का फल चल रहा है इसे ध्यान पूर्वक समझना चाहिए आत्माधिक विषय गलत लगे तो छमा करे
माया शक्ति ब्रह्म को प्रभावित किये बिना ही जीव और जगत रूप में दिखा देती है, जीव और जगत ब्रह्म का ही विवर्त है अर्थात जीव और जगत ब्रह्म का ही अविकृत परिणाम है, जिसे वेदांत में विवर्त वाद कहा है, बल्लभाचार्य महाराज ने इस विवर्त वाद को अविकृत परिणाम वाद कहा है, शब्दों का अन्तर है बाकी सब कुछ ब्रह्म ही है, !
परमात्मा साकार हैं नर आकर सह शरीर हैं तेजोमय शरीर जो तीनो लोकों का धारण पोषण करता है जो सारी सृष्टि की रचना की वेदों में तीन भगवानों जिक्र किया गया है 1(क्षर पुरुष)(2) अक्षर पुरुष (3)परम अक्षर पुरुष इसका वास्तविक नाम कबीर साहेब जी प्रकट होते हैं चारों युगों में वेदों में वर्णित है 1 क्षर पुरुष इसका नाम ज्योति निरंजन काल इसके 21ब्रह्मांड हैं जो सतलोक से इनको निकला गया था आहा जनम मृत्यु से सबसे बड़ा रोग लगा हैं आहा का भगवान सबको मोह माया सबको भटका दिया जो वास्तविक परमात्मा मार्ग से जाने और भक्ति करने नहीं देता है आज वर्तमान समय मे संत रामपाल जी तत्वदर्शी हैं शास्त्रों का आध्यात्मिक आत्मज्ञान सिपिचुल ज्ञान बताते उनसे जुड़ने के लिए सर्च करें संत रामपाल महाराज सत्संग ❤❤
श्रीमान जी प्रणाम करते हुए और माफी मांगते हुए आपसे यह जानना चाहता हूं अपने आप को जान कर क्या कर लेंगे हम किसी और का जब हम सिर्फ इतना जानते हैं कि 1 दिन हम पैदा होते हैं बड़े होते हैं शादी करते हैं बच्चे होते हैं बच्चों की शादी करते हैं और फिर मर जाते हैं क्या यह जिंदगी है श्रीमान जी अगर आपके पास वाक्य ही कोई भगवान का आशीर्वाद है तो कृपया बताएं कि हम हैं क्या और यहां क्यों हैं और क्यों बार बार मार के जीना जीना मरना मरना जीना क्या तमाशा है यह😊
सादर प्रणाम जी. प्रश्न तो ये भी है कि जब परमात्मा ने मारना ही है तो पैदा क्यों किया, ना जाने ऐसे लाखो प्रश्न होते है. जीते मरते, सुख दुख ये सब तो जानवर भी भोगते है. अगर आप ध्यान दोगे तो परमात्मा की प्राप्ति इस जीवन का मकसद है. सारे प्रश्नो का उत्तर उसके बाद ही मिल पाएगा ।
सादर प्रणाम जी. परमात्मा सब जानता है जी. I am sorry अगर आपको मेरी बातें ठीक नहीं लगी लेकिन मैं scientific और logical बातें कर रहा हूं. Please see my all videos. बाकी आप समझदार है.
Dear अम्बरीष आप ऐसा तब कह सकते हैं जब आप उनसे अच्छा एक्सप्लेन कर सकें. मेरे अनुसार इनकी यह विस्तृत व्याख्या अत्यंत प्रशंसनीय तथा ज्ञानमय है फलस्वरूप में इनके चैनल को सब्सक्राइब कर रहा हूं.
Yadi aap Aatma jivatma aur Parmatma ke concept ko scintific tarike se samajhna chahte hai to Acharya Prashant ji ke video sune aur Geeta satro ko join kare.
Guru Ji ek baat samaj m Nhi aarahi h ,manushyo jo kam karti h wo Khut k marji Se karti h Ya karwati h .jotish shastra sunkar a Bichar mon M aayi.plz reply
सुप्रभात के बारे में बहुत अच्छा विचार! मेरा मतलब है आत्मा' तू परमात्मा उनका अपना दिमाग खराब अपना लेकिन निष्पाप अमरत्व आत्मा खुद कोन जो ईश्वर की पवित्रता अपना! जब धरती पर केन्द्रित जीवात्मा परिस्थिती खुद खुश तब तक आदर्श जीवात्मा संतुष्टि में खुद अनुशासन करता देखा जा सकता है वैसे जब धरती पर केन्द्रित सत्य जीवन वह मार्ग में खुद अनुशासन करता है वही ईश्वर खुद निसपaप खुद पागल जो khud ko update kiya hai aabtak jiwan Ko Aaj khud kon Jo sudh shubh sunder susajit santimay anukul gobar khana mutra Pina aachha mahsus karte hai waise sex Stories sabko bhata hai waise but nispaap duniya basana chahta hai Wah khud Kon hai waise "nath u ram god se'' khud kon aur samjho mahatma mahan Das karamchand gandi khud Kon hai? "Ahinsa parmo dharmo"! Mahatma Gandhi! '"Hinsa dharmo parmo "" Nathu Ram god se!
कामना इच्छा रूप धारण करने से परमात्मा ने आत्मा में अंश काम, तृष्णा, कर्म ,चंचलता ,ऊर्जा उत्पन्न हो गई हैं।आप स्थिर नहीं रह सकते हैं।ऊर्जा शक्ति रूप से शरीर धारण करता हैं।कर्म करता हैं।फल भोगता है।🎉🎉
Khud Parmatma hi,jisne ye sab rachna ki hai,wo hi bata sakta hai asliyat,baki to sab hazaron saloon se mathapachi karte aa rahe hai,nateeza zero. Guru Nanak kahte hai teri gat mat tu hi jane,ya wo jo tujhse bada ho. Hari om.
सादर प्रणाम जी. परम पिता परमात्मा हमारे अंग संग व्याप्त है. इसमें माथापच्ची नहीं है. अपने अहंकार और अपनी हस्ती का झूठा मान छोड़ कर इस क़ा सच्चा एहसास हो सकता है . बाकी आपकी मर्ज़ी है मानो या ना मानो.
प्रश्न- परमात्मा साकार है या निराकार उत्तर- दोनों नहीं, इन वाणीयों को देखो ध्यान से... कोई निर्गुण मे रीझ रहा, कोई सर्गुण ठहराय। अटपट चाल कबीर की, मोसे कही ना जाय।। निर्गुण सर्गुण द्वन्द पसारा। दोनों पड़ गये काल की धारा।। तुम से कहु मैं नाम बिचारी। ना वो ज्योति ना पुरुष ना नारी।। हम हैं शब्द शब्द हम माहीं। हमसे भिन्न और कुछ नाही।। शब्द ना बिनसे बिनसे देही। कहें कबीर हम शब्द सनेही।। अतः- वह परमात्मा निर्गुण सरगुण दोनों से न्यारा शब्द स्वरूपी राम है ,अखंड नाद इसलिए गुरुनानक जी कहते हैं- शब्द गुरू, सुरति धुनि चेला।।
सादर प्रणाम जी. आप पहले शांति से सारी videos देखो . जल्दी में आधी अधूरी videos देख कर आप समझ गलत रहे हो. सुख दुख में आत्मा नहीं, सूक्ष्म शरीर है. एक ही शक्ति है जो साकार और निराकार दोनों है.
To iska matlab main hi jeev hai jo parmatma se alag na hote hue bhi alag hai , aur usko parmatma may ek karna hai , ya alag rehna hai aur alag reh ke parmatma ki bhakti ka anand lena hai , ya ek ho ke parmatma se sab khatam kar dena hai mukt ho jana hai
( वेद नीति) वेद के अनुसार,त्रेता वाद अर्थात ईश्वर,आत्मा और प्रकृति तीनो अजन्मा और अनादि सनातन है, आत्मा परम आत्मा अर्थात ईश्वर का अंश नहीं है ,ईश्वर के गुण (जीव) आत्मा में भिन्न है, सत्यार्थ प्रकाश ग्रन्थ में दोनों की भिन्नता स्पष्ट देखी व पढ़ी जा सकती है,ईश्वर की परिभाषा, आर्य समाज के दूसरे नियम स्पष्ट है वा देखी जा सकती है,
आत्मा परमात्मा का अंश नहीं है श्री मद्भागवत गीता में कहा है कि मैं जब जब धर्म की ग्लानि होती है तब मैं किसी तन में अवतरित होता हूं कल्प के अन्त में सभी आत्माएं मेरे परमधाम में आती हैं मैं उनके गुणवत्ता के आधार पर फिर से रचना करता हूं वास्तव में वे मेरे में नहीं है ना मैं उनमें हूं। आत्मा जब परमधाम से इस भौतिक जगत में आती है तो वाया गर्भ से आती है परन्तु परमात्मा गर्भ से जन्म नहीं लेते । परमात्मा को सर्वव्यापक और कण कण में कहना बहुत बड़ी भूल है। आत्माएं अनेक हैं परन्तु परमात्मा एक है। आत्मा अच्छे बुरे कर्म करती है परन्तु परमात्मा अच्छे बुरे कर्म नहीं करते।
आत्मा कैसे परमात्मा का अंश हो सकता है। जबकि ईश्वर की सत्ता अलग है आत्मा अलग है। और प्रकृति अलग है। अगर आत्मा ईश्वर का अंश होगा तो । जितने बुरे काम मनुष्य करता है तो वह ईश्वर ही करा रहा होगा। हमारे वेदो के अनुसार । ईश्वर आत्मा प्रकृति ये अलग अलग सत्ता है। ध्यान रहे।।
@@jaishrimahakal1955 नही गलत बोल रहे है चारो वेदो में त्रैतवाद ही कहा गया है दर्शन शास्त्र, वेदांत ब्राम्हण ग्रंथ सब मे महाऋषियो ने ईश्वर आत्मा प्रकृति ये तीनो त्रैतवाद का ही उल्लेख किया है। तीनो अलग अलग है। आप जो बोल रहे है वह अदुवेत वाद यह पौराणिक है। यह अवैदिक है।
आदरणीय यह बताने का कष्ट करें कि यह दुनिया परमात्मा ने क्यों बनाई क्या इसके बिना परमात्मा काम नहीं चल रहा था और यह भी बताने का कष्ट करें कि यह दुनिया बनाने से पहले हम कहां थे
सादर प्रणाम जी. परमात्मा और दुनिया दो अलग चीजें नहीं हैं. जिस तरह बर्फ और पानी एक ही चीज है. Please see all the videos from starting. कोशिश की है कि सब answers मिल जाएँ.
मुझे एक बात बिल्कुल समझ में नहीं आती है कि परमात्मा ने मुझे जन्म क्यों दिया क्या मैंने भगवान से कहा था कि आप मुझे जन्म दो क्या मैंने कोई प्रार्थना पत्र दिया था भगवान को कि आप मुझे जन्म दो, बेशक आप यही कहोगे कि आपने पिछले जन्म में यह किया होगा और वह किया होगा तो आप मुझे यह बताओ कि इस जन्म की तो पूरी बात याद है नहीं और बात उस जन्म की। अरे भाई साहब लोग किन्हीं कारणों से जन्म हो ही गया तो प्लीज़ वैज्ञानिक बनो और खोज करो कि दुनिया कैसे बनी बजाय इसके कि अपना समय बर्बाद करो पुराने अन्धविश्वासो में।
श्रीमान जी कृपया मजाक में ना ले क्योंकि हम दोनों की उम्र बराबर ही है कृपया आप समझ सकते हैं कि परमात्मा क्या है कौन है किसको कहते हैं क्योंकि मेरा यह मानना है कि जो आपकी और मेरी तरह पैदा हुआ और एक दिन मर जाएगा वह भगवान नहीं हो सकता❤
धन निरंकार जी बहुत सुंदर रूप से समझाया महात्मा जी अज्ञानता के वस मैं के भाव से जीवात्मा कहलाई इस जीवात्मा की यात्रा में से तू (निरंकार) तक की ही है
धन निरंकार जी
Guru Ji ko Koti-Koti Naman 😊 very Good explanation
दिल से thank you जी
पूरे गुरू का सुन उपदेश, पार ब्रम्ह निकट पर देख। Dhan nirankarji
Dhan Nirankar ji. 9 द्वारों में आकाश तत्व भी आता है . अर्थात ये आकाश को भी छोड़ कर जो बचता है, वही परमात्मा है. अवतार बानी में लिखा है " जो कुछ दिसदा ऐ, नज़री आनदा ऐ, ऐसे दा हे सगल पसार, अर्थात जड चेतन एक है.
Sabse nazdeek aur schcha Guru hmhari Aatma hi hai. Kyon ki jab bhi hum koi bhi Galat ya sahi kaam karte hai us samay Jaise hum chori kar rahe hai to man to kahta hai aisa karne mai kya kya galat hai. Lekin hamhari antar Aatma dhikarti hai. Matlab galt kaam se rokane wali Aatma ne sadguru wala kaam kiya hai. 😊😊😊😊😊
श्री हरि ॐ स्वस्ति श्री वासुदेव सर्वमिति। आपने अध्यात्म को बहुत ही सरल और सुंदर ढंग से समझाया है,एक ही निर्गुण आत्मा समय परिवेश या परिस्थितियों के अनुसार रजोगुण को धारण करने पर अहंकार, सतोगुण को धारण करने पर बुद्धि तथा तमोगुण को धारण करने पर चंचल मन कहलाते है। धन्यवाद🎉❤🎉 जय हिंद
Very nice and explained what is God.We are nothing.Nirankari Mission is really show and explained
No body can explain who is HPD.
प्रस्तुति के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद🙏 धन्यवाद
Thank you ji
आभार.
बहुत अच्छी तरह समजाया...
Thank you ji
GOOD Facilitation
Ishwar aansh jiv avinashi,chetan Amal sahaj sukhrashi.
अलहम्दुलिल्लाह
अच्छा तरीका से समझा या जारा हा है
धन निरंकार जी
बहुत सुंदर तरीके से जानकारी प्रदान की
धन्यवाद शुक्रिया
आदरणीय राजेश जी,
बेहतरीन प्रस्तुति. जिन विषयों को आपने लिया है उस पर साधकों को सबसे ज्यादा confusion रहता है. आपका यहां पर यह प्रयास साधकों के लिए लाभकारी सिद्ध होगा.
Great ❤
दिल से धन्यवाद. अपना आशीर्वाद देते रहिए.
Bahut sundar tarahse Aapne Atma aur parmatmaka swarup bataya
Bahut bahut Dhanyawad Abhar pranam
सादर प्रणाम जी और दिल से धन्यवाद.
Very well explained, Sir. Thank you very much.
Thank you ji thank you
हरी ओम तत्सत।।
आभार सर जी, नमस्कार आपने बहुत ही अच्छी तरहसे परमात्मा ओर आत्मा का स्वरूप समझाया। आप ऐसे ओर विडियो बनाकर हमारा मार्गदर्शन करें, धन्यवाद।
दिल से धन्यवाद
Bahut bahut dhanyvad Swami ji
सादर नमस्कार and thank you जी
आपने जो ज्ञान दिया है वो अद्वैत का ज्ञान है
Jay ho 🎉bahut sundar gyan ❤
Thank you ji
ati shreshth chitramudran ,pasand aayaa . jay hind jai bhaarat .
सादर प्रणाम जी. Thank you ji . जय हिंद और जय भारत ।
Om Namah Shivay Jai Shree Radhe Krishna Radhe Radhe 🙏👋🌹💯🩸♥️🙏
सादर प्रणाम जी. Jai Shree Radhe Krishna Radhe Radhe
Nice explanation🙏
Thank Sir
Thanks a lot जी
I understand clearly sir. Thankyou sir ❤
Heartiest thanks जी
Wow v well explained, thanks 🙏 a ton!
दिल से thank you जी
Very nice sir kitni achhe dhang se aapne samjhaya. Kripya aur bhi marg darshan karein. Thanks
सादर प्रणाम जी. दिल से धन्यवाद
🙏🌏✨ आ त्मा का सच्चा ज्ञान ब्रह्मा कुमारीज दे रही है
Pranaam Sir
अति सुंदर वचन 🎉🎉🎉
Thank you ji
Bhot achay dhang se aatma ke baare main smjaya Gaya guru ji ki jai ho jai shri ram
जय श्री राम जी आपका दिल से धन्यवाद ।
Wahh
Thank you ji
Bahut aasan trike se bataya hai apne ..thankyou🙏
Thank you ji
Paramatma aur Atma ke bare me ye tatwa ko samjhane ka aapka prastuti bahut badhiya hai ji . .
Thank you ji
Very nice 👍🎉
Thank you 👍
I loved the way you explained🌹
Thanks a lot 😊
आपको कोटि कोटि प्रणाम
सादर प्रणाम जी और दिल से thank you.
Thanks for 1400 subscribers
nice video keep continue
Thanks a lot ji
જબ્બર જસ્ત સમજણ આપી છે મને આજે ભણવા બેઠો છું ખુબ જ આનંદ થયો આભાર સાહેબ
Sir ji.. namaste. Your explanation is highly appreciated.... it's very strong fundamental concepts.plz carry on .. Give US this spiritual knowledge..
आपका दिल से बहुत बहुत thank you ji
Very well explained 👏 👌
Thank you 🙂
Pranam Gurudev
सादर प्रणाम जी. Gurudev मत कहो please. आप जैसा ही इंसान हूं.
जय श्री राम आप को कोटि कोटि नमन ❤
सादर प्रणाम और जय श्री राम । दिल से धन्यवाद जी
सरगुन निर्गुण एक दूजा भरम विकार निर्गुण सरगुन एक हैं सरगुन संत विचार ❤
सही बता रहे हो 21:09 आप ब्रह्म के अतिरिक्त कुछ नहीं है सर्व खल्विदं ब्रह्म, वासुदेवं सर्वं इदं, नेह नानास्ति किंचन, सीय राम मय सब जग जानी, सब कुछ परमात्मा है, अज्ञान अर्थात, अविद्या रूपी उपाधि के कारण अ
Thank you ji
Lovly tboughts sir
Thank you ji
Nice. No doubts you are the follower of real master. Please may you answer who is your Trumaster.
Thank you जी. True Master is direct God.
Thanks 🙏🙏🙏
Thanks a lot ji
🙏
अपने को ही जानना असली ज्ञान है
नमस्कार जी. बिल्कुल सही
बाप का राज है न इसलिए अपने को ..... 😢
😊@@rajeshahuja4901
आप ने जान लिया
आप न जान लिया
Good
Thank you ji
भाईयो और बहनों पहली बात के परमात्मा हीं नहीं हे तो आत्मा कैसी
भाईयो और बहनों दूसरी बात के
आत्मा ही नहीं नही है तो ये प्रेत कैसी
भाईयो और बहनों तीसरी बात ये के
प्रेत ही नहीं हे तो फिर वहम कैसा
जब ये वहम ही हे तो फिर ये डर कैसा
यानी के भाईयो और बहनों आप लोगो के पास वहम हे इस लिए डर है डर हे जिस दिन डर निकल गया उस दिन वहम निकल गया और जिस दिन वहम निकल गया उस दिन ये परमात्मा आत्मा प्रेत स्वर्ग नर्क का वहम फैलने वाले लोगो की सच्चाई जनजाओगे
नमस्कार सरजी आपने चित्र के द्वारा बहुत ही अच्छा समझाया हैं तो फिर यह जो में भाव हैं हमारा उसे खत्म करने के लिये इस भाव को परमात्मा तु ही ' तु में लीन कर दें? मेरा प्रणाम सविकार करे सर!🙏🙏
सादर प्रणाम जी और दिल से thank you
Than Nirankar ji
Dhan Nirankar Ji
गुरु जी आप को प्रणाम गुरु जी आप आत्मा परात्मा की जानकारी अच्छा तरह से समझा रहे है मानचित्र द्वारा भाव के रूप मे लेकिन जन्म मृत्यु के रहस्य को समझने की जरूरत है जीव जंतु का प्रकृति ने चार रूपों में विभाजित किया हुआ है जिसका जो भी रूपों में दर्शाया गया है वह मिट नहीं सकता है वह दिख नही सकता है वह अनुभव से एहसास किया जा सकता है उत्त्पति समझे चार का विभाजित पहला , पिंड दूसरा , अंड तीसरा अस्थाई चौथा। झंड यानि कही से उत्पन्न हो जाना
यह पूरे प्रकृति चार से दर्शाया गया है जैसे वेद चार कर्म चार ग्रंथ चार दिशा चार धर्म चार इन्सान चार भागो में जैसे हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई हर क्रिया चार से ही हो रहा है रहा जन्म
मनुष्य जीवन मनुष्य रूप
गेहूं जीवन गेहूं रूप
जानवर जीवन जानवर रूप
ऐसा कोई जीवन बदलाव नहीं होता है यही सब कर्म का फल चल रहा है इसे ध्यान पूर्वक समझना चाहिए
आत्माधिक विषय
गलत लगे तो छमा करे
सादर प्रणाम गुरु जी. आपका दिल से धन्यवाद. आप इसी तरह मार्गदर्शन करते रहिए.
Kya jaanwaro ke krma bandhan hote hai??
नहीं. Please शांति से सारी videos देखो और समझो.
Why characteristics R different of each living beings?
Correct
शानदार
Very fine
Aseem aabhaar
असीम Thank you ji
राम कृष्ण हरी
एक्सीलेंट
सादर प्रणाम जी. Thanks a lot
🙏🙏🙏🙏🙏
sadho sadho sadho.
माया शक्ति ब्रह्म को प्रभावित किये बिना ही जीव और जगत रूप में दिखा देती है, जीव और जगत ब्रह्म का ही विवर्त है अर्थात जीव और जगत ब्रह्म का ही अविकृत परिणाम है, जिसे वेदांत में विवर्त वाद कहा है, बल्लभाचार्य महाराज ने इस विवर्त वाद को अविकृत परिणाम वाद कहा है, शब्दों का अन्तर है बाकी सब कुछ ब्रह्म ही है, !
सादर प्रणाम जी . माफ करना मुझे इतना ज्ञान नहीं है. मैं तो जो practical महसूस किया है, वही share कर रहा हूं.
तो जब इंसान दुख भोगता है तो फिर परमात्मा भी दुख भोगता है
परमात्मा साकार हैं नर आकर सह शरीर हैं तेजोमय शरीर जो तीनो लोकों का धारण पोषण करता है जो सारी सृष्टि की रचना की वेदों में तीन भगवानों जिक्र किया गया है 1(क्षर पुरुष)(2) अक्षर पुरुष (3)परम अक्षर पुरुष इसका वास्तविक नाम कबीर साहेब जी प्रकट होते हैं चारों युगों में वेदों में वर्णित है 1 क्षर पुरुष इसका नाम ज्योति निरंजन काल इसके 21ब्रह्मांड हैं जो सतलोक से इनको निकला गया था आहा जनम मृत्यु से सबसे बड़ा रोग लगा हैं आहा का भगवान सबको मोह माया सबको भटका दिया जो वास्तविक परमात्मा मार्ग से जाने और भक्ति करने नहीं देता है आज वर्तमान समय मे संत रामपाल जी तत्वदर्शी हैं शास्त्रों का आध्यात्मिक आत्मज्ञान सिपिचुल ज्ञान बताते उनसे जुड़ने के लिए सर्च करें संत रामपाल महाराज सत्संग ❤❤
वाहे गुरू जी आपके साक्षात दर्शन करना चाहता हू कैसे संभव है?
वाहे गुरु जी । फिलहाल तो you tube पर ही आपकी सेवा करने का ध्यान है . भगवान चाहेगा तो मिल भी लेंगे.
❤
श्रीमान जी प्रणाम करते हुए और माफी मांगते हुए आपसे यह जानना चाहता हूं अपने आप को जान कर क्या कर लेंगे हम किसी और का जब हम सिर्फ इतना जानते हैं कि 1 दिन हम पैदा होते हैं बड़े होते हैं शादी करते हैं बच्चे होते हैं बच्चों की शादी करते हैं और फिर मर जाते हैं क्या यह जिंदगी है श्रीमान जी अगर आपके पास वाक्य ही कोई भगवान का आशीर्वाद है तो कृपया बताएं कि हम हैं क्या और यहां क्यों हैं और क्यों बार बार मार के जीना जीना मरना मरना जीना क्या तमाशा है यह😊
सादर प्रणाम जी. प्रश्न तो ये भी है कि जब परमात्मा ने मारना ही है तो पैदा क्यों किया, ना जाने ऐसे लाखो प्रश्न होते है. जीते मरते, सुख दुख ये सब तो जानवर भी भोगते है. अगर आप ध्यान दोगे तो परमात्मा की प्राप्ति इस जीवन का मकसद है. सारे प्रश्नो का उत्तर उसके बाद ही मिल पाएगा ।
आप please समय निकाल कर सारी videos ध्यान से देखो, चिंतन मनन करो.
मैं कोशिश करूंगा कि इस बात पर अलग से video बनाऊँगा.
🎉❤
आप भ्रान्ति के शिकार है
सादर प्रणाम जी. परमात्मा सब जानता है जी. I am sorry अगर आपको मेरी बातें ठीक नहीं लगी लेकिन मैं scientific और logical बातें कर रहा हूं. Please see my all videos. बाकी आप समझदार है.
Dear अम्बरीष
आप ऐसा तब कह सकते हैं जब आप उनसे अच्छा एक्सप्लेन कर सकें.
मेरे अनुसार इनकी यह विस्तृत व्याख्या अत्यंत प्रशंसनीय तथा ज्ञानमय है फलस्वरूप में इनके चैनल को सब्सक्राइब कर रहा हूं.
अविद्या रूपी उपाधि के कारण एक ही चैतन तत्व अनेक रूप में भासित हो रहा है🚩🚩🚩
मुझ जैसे नादान को संस्कृत नहीं आती, इसीलिए थोड़ा सरल करके समझा देंगे तो अच्छा होगा please.
👍
Yadi aap Aatma jivatma aur Parmatma ke concept ko scintific tarike se samajhna chahte hai to Acharya Prashant ji ke video sune aur Geeta satro ko join kare.
Guru Ji ek baat samaj m Nhi aarahi h ,manushyo jo kam karti h wo Khut k marji Se karti h Ya karwati h .jotish shastra sunkar a Bichar mon M aayi.plz reply
Please wait for my next video. इसी topic पर है ये vedio.
संत रामपाल जी महाराज के सत्संग सोनलो भगजी सत साहेब जी 🙏🙏
सुप्रभात के बारे में बहुत अच्छा विचार! मेरा मतलब है आत्मा' तू परमात्मा उनका अपना दिमाग खराब अपना लेकिन निष्पाप अमरत्व आत्मा खुद कोन जो ईश्वर की पवित्रता अपना! जब धरती पर केन्द्रित जीवात्मा परिस्थिती खुद खुश तब तक आदर्श जीवात्मा संतुष्टि में खुद अनुशासन करता देखा जा सकता है वैसे जब धरती पर केन्द्रित सत्य जीवन वह मार्ग में खुद अनुशासन करता है वही ईश्वर खुद निसपaप खुद पागल जो khud ko update kiya hai aabtak jiwan Ko Aaj khud kon Jo sudh shubh sunder susajit santimay anukul gobar khana mutra Pina aachha mahsus karte hai waise sex Stories sabko bhata hai waise but nispaap duniya basana chahta hai Wah khud Kon hai waise "nath u ram god se'' khud kon aur samjho mahatma mahan Das karamchand gandi khud Kon hai? "Ahinsa parmo dharmo"! Mahatma Gandhi!
'"Hinsa dharmo parmo "" Nathu Ram god se!
Hello according you supreme soul is broken to pieces.😊 Goto brahma kumaris to get pure knowledge
Sorry sir आप ठीक से समझे ही नहीं. Please see all the videos completely and patiently and then comment.
I never said that Supreme soul is broken to pieces. Please see all the videos.
पवित्र कबीर सागर व अमर ग्रंथ, संत गरीबदास जी का अध्ययन कीजिए। । सब कुछ दे रखा है । अपना दिमाग लगाने से अभी तक परिणाम नहीं आया है। जी। नमन जी।
सादर प्रणाम जी.
सब कुछ मात्र तरंग है।न कभी कुछ हुआ है, न हो रहा है, न होगा।सब कुछ माया है।❤
कामना इच्छा रूप धारण करने से परमात्मा ने आत्मा में अंश काम, तृष्णा, कर्म ,चंचलता ,ऊर्जा उत्पन्न हो गई हैं।आप स्थिर नहीं रह सकते हैं।ऊर्जा शक्ति रूप से शरीर धारण करता हैं।कर्म करता हैं।फल भोगता है।🎉🎉
सादर प्रणाम जी.
Parnam Sir. Thank you very much.
आत्मा ईश्वर का आदेश है
श्री अरविंदो के अनुसार मनुष्य विकास क्रम में है अतः मनुष्य का पुनर्जन्म मनुष्य में ही होता है , हाँ कर्म फल भुगतना पड़ता है
brahm aur param aatmaa mein antar ,bataaye .
Khud Parmatma hi,jisne ye sab rachna ki hai,wo hi bata sakta hai asliyat,baki to sab hazaron saloon se mathapachi karte aa rahe hai,nateeza zero. Guru Nanak kahte hai teri gat mat tu hi jane,ya wo jo tujhse bada ho. Hari om.
सादर प्रणाम जी. परम पिता परमात्मा हमारे अंग संग व्याप्त है. इसमें माथापच्ची नहीं है. अपने अहंकार और अपनी हस्ती का झूठा मान छोड़ कर इस क़ा सच्चा एहसास हो सकता है . बाकी आपकी मर्ज़ी है मानो या ना मानो.
Satyarth Prakash may be studied along with vedas and darshanas ,both atma ,paramatma and prakriti are all trio different.
प्रश्न- परमात्मा साकार है या निराकार
उत्तर- दोनों नहीं, इन वाणीयों को देखो ध्यान से...
कोई निर्गुण मे रीझ रहा, कोई सर्गुण ठहराय।
अटपट चाल कबीर की, मोसे कही ना जाय।।
निर्गुण सर्गुण द्वन्द पसारा।
दोनों पड़ गये काल की धारा।।
तुम से कहु मैं नाम बिचारी।
ना वो ज्योति ना पुरुष ना नारी।।
हम हैं शब्द शब्द हम माहीं।
हमसे भिन्न और कुछ नाही।।
शब्द ना बिनसे बिनसे देही।
कहें कबीर हम शब्द सनेही।।
अतः- वह परमात्मा निर्गुण सरगुण दोनों से न्यारा
शब्द स्वरूपी राम है ,अखंड नाद
इसलिए गुरुनानक जी कहते हैं-
शब्द गुरू, सुरति धुनि चेला।।
सादर प्रणाम जी. आप पहले शांति से सारी videos देखो . जल्दी में आधी अधूरी videos देख कर आप समझ गलत रहे हो. सुख दुख में आत्मा नहीं, सूक्ष्म शरीर है. एक ही शक्ति है जो साकार और निराकार दोनों है.
नमस्कार मित्र 🙏🙏
सादर नमस्कार जी.
आप आत्मा और परमात्मा को एक ही कह रहे हैं ।
सादर प्रणाम जी ।
सतगुरु नितिन दास के सतसंग सुने कहत कबीर सुनो भाई साधो यूट्यूब पर
To iska matlab main hi jeev hai jo parmatma se alag na hote hue bhi alag hai , aur usko parmatma may ek karna hai , ya alag rehna hai aur alag reh ke parmatma ki bhakti ka anand lena hai , ya ek ho ke parmatma se sab khatam kar dena hai mukt ho jana hai
आदमी इन्सान ही होगा दुसरा जीव नहीं होगा
पहले आपको यह clear करना होगा कि आदमी किसको कहते हैं.
मैं भाव नहीं ,पूर्ण अस्तित्व है।
आत्म परमात्मा एक हैं लेकिन सर्वश्रेष्ठ आत्म को परमात्मा कहा जाता है जो सभी आत्म उत्पन्न किया हैं उसका नाम कबीर साहेब हैं सबका बीजक
IAtma Parmatma ka aunsh hai
( वेद नीति) वेद के अनुसार,त्रेता वाद अर्थात ईश्वर,आत्मा और प्रकृति तीनो अजन्मा और अनादि सनातन है, आत्मा परम
आत्मा अर्थात ईश्वर का अंश नहीं है
,ईश्वर के गुण (जीव) आत्मा में भिन्न है, सत्यार्थ प्रकाश ग्रन्थ में दोनों
की भिन्नता स्पष्ट देखी व पढ़ी जा सकती है,ईश्वर की परिभाषा, आर्य समाज के दूसरे नियम स्पष्ट है वा देखी जा सकती है,
सादर प्रणाम जी. आपका thank you और इस तरह से guide करते रहिए , पर मैं तो परमात्मा की अनुभूति के बाद ये बातें बोल रहा हूं.
Prithwi ek jel hai jha aatma ko sudharne ke liye 84 lakh yoni hai
आत्मा परमात्मा का अंश नहीं है श्री मद्भागवत गीता में कहा है कि मैं जब जब धर्म की ग्लानि होती है तब मैं किसी तन में अवतरित होता हूं कल्प के अन्त में सभी आत्माएं मेरे परमधाम में आती हैं मैं उनके गुणवत्ता के आधार पर फिर से रचना करता हूं वास्तव में वे मेरे में नहीं है ना मैं उनमें हूं। आत्मा जब परमधाम से इस भौतिक जगत में आती है तो वाया गर्भ से आती है परन्तु परमात्मा गर्भ से जन्म नहीं लेते । परमात्मा को सर्वव्यापक और कण कण में कहना बहुत बड़ी भूल है। आत्माएं अनेक हैं परन्तु परमात्मा एक है। आत्मा अच्छे बुरे कर्म करती है परन्तु परमात्मा अच्छे बुरे कर्म नहीं करते।
Shreer jlne k baad bhi ek cheez nhi jlti.btaiy vo kya h.jb ki Aag kisi ko nhi chhodti.jawaab jroor dijiyga.
सादर नमस्कार जी. पहले शरीर किसको कहते हैं ये समझना पड़ेगा. आप शरीर किसको समझ रहे हैं . तभी मैं answer दे पाउंगा.
आत्मा कैसे परमात्मा का अंश हो सकता है। जबकि ईश्वर की सत्ता अलग है आत्मा अलग है। और प्रकृति अलग है। अगर आत्मा ईश्वर का अंश होगा तो । जितने बुरे काम मनुष्य करता है तो वह ईश्वर ही करा रहा होगा। हमारे वेदो के अनुसार । ईश्वर आत्मा प्रकृति ये अलग अलग सत्ता है। ध्यान रहे।।
मेरे दोस्त मेरे भाई, शांति से और प्यार से सारी video देखो. फिर बात करतें है . बाद में मुझे गलत कह देना, कोई बात नहीं.
@@rajeshahuja4901 पर भाई साहब आत्मा ईश्वर का अंश कैसे होगा । क्योकि आत्मा तत्व अलग है ईश्वर तत्त्व अलग है। अंस कैसे होगा ।।
Ved me adwait ka bhi varnan hai
@@jaishrimahakal1955 नही गलत बोल रहे है चारो वेदो में त्रैतवाद ही कहा गया है दर्शन शास्त्र, वेदांत ब्राम्हण ग्रंथ सब मे महाऋषियो ने ईश्वर आत्मा प्रकृति ये तीनो त्रैतवाद का ही उल्लेख किया है। तीनो अलग अलग है। आप जो बोल रहे है वह अदुवेत वाद यह पौराणिक है। यह अवैदिक है।
आदरणीय यह बताने का कष्ट करें कि यह दुनिया परमात्मा ने क्यों बनाई क्या इसके बिना परमात्मा काम नहीं चल रहा था और यह भी बताने का कष्ट करें कि यह दुनिया बनाने से पहले हम कहां थे
सादर प्रणाम जी. परमात्मा और दुनिया दो अलग चीजें नहीं हैं. जिस तरह बर्फ और पानी एक ही चीज है. Please see all the videos from starting. कोशिश की है कि सब answers मिल जाएँ.
मुझे एक बात बिल्कुल समझ में नहीं आती है कि परमात्मा ने मुझे जन्म क्यों दिया क्या मैंने भगवान से कहा था कि आप मुझे जन्म दो क्या मैंने कोई प्रार्थना पत्र दिया था भगवान को कि आप मुझे जन्म दो, बेशक आप यही कहोगे कि आपने पिछले जन्म में यह किया होगा और वह किया होगा तो आप मुझे यह बताओ कि इस जन्म की तो पूरी बात याद है नहीं और बात उस जन्म की। अरे भाई साहब लोग किन्हीं कारणों से जन्म हो ही गया तो प्लीज़ वैज्ञानिक बनो और खोज करो कि दुनिया कैसे बनी बजाय इसके कि अपना समय बर्बाद करो पुराने अन्धविश्वासो में।
श्रीमान जी कृपया मजाक में ना ले क्योंकि हम दोनों की उम्र बराबर ही है कृपया आप समझ सकते हैं कि परमात्मा क्या है कौन है किसको कहते हैं क्योंकि मेरा यह मानना है कि जो आपकी और मेरी तरह पैदा हुआ और एक दिन मर जाएगा वह भगवान नहीं हो सकता❤