गीता सबके लिए नहीं है', ऐसा क्यों कहते हैं कृष्ण? || आचार्य प्रशांत, भगवद् गीता पर (2019)
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- เผยแพร่เมื่อ 17 มิ.ย. 2024
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वीडियो जानकारी: 16.11.2019, हार्दिक उल्लास शिविर, जिम कॉर्बेट, उत्तराखंड, भारत
प्रसंग:
विद्याविनयसम्पन्ने ब्राह्मणे गवि हस्तिनि ।
शुनि चैव श्वपाके च पण्डिताः समदर्शिनः ॥
भावार्थ : वे ज्ञानीजन विद्या और विनययुक्त ब्राह्मण में तथा गौ, हाथी, कुत्ते और चाण्डाल में भी समदर्शी ही होते हैं ॥
~ भगवद्गीता, अध्याय ५, श्लोक १८
इदं ते नातपस्काय नाभक्ताय कदाचन ।
न चाशुश्रूषवे वाच्यं न च मां योऽभ्यसूयति ॥
भावार्थ : तुझे यह गीत का रहस्यमय उपदेश किसी भी काल में न तो तपरहित मनुष्य से कहना चाहिए, न भक्ति-रहित से और न बिना सुनने की इच्छा वाले से ही कहना चाहिए तथा जो मुझमें दोषदृष्टि रखता है, उससे तो कभी भी नहीं कहना चाहिए ॥
~ भगवद्गीता, अध्याय १८, श्लोक ६७
~ क्या गीता सबके लिए है?
~ गीता किनके लिए नहीं है?
~ ज्ञानी कौन?
~ अज्ञानी कौन?
~ समदर्शी रहना है या भेद करना है, समझ नहीं आ रहा कहना क्या चाहते हैं कृष्ण?
संगीत: मिलिंद दाते
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जो सही जगह भेद करें वो विवेकी, और जो गलत जगह भेद करे वो अविवेकी।
जो सुख दुख में भेद करें वो अविवेकी, और जो सुखदुख और आनंद में भेद करे वो विवेकी!
नमन आचार्य जी 🌺🙏🏻
Thank god....aap muje mil gye sahab❤❤❤
ज्ञान मार्ग नेती नेति का मार्ग हैं,यही भेद हैं।🙏🙏🙏
कोटि कोटि प्रणाम आचार्य जी 🙏🙏
सादर नमन प्रभु 🙏🙏🙏🙏
आचार्यजी इतना सही ज्ञान मुझे आजतक नहीं मिला था,
मैं आपका बहुत आभारी हुं,
धन्यवाद आचार्य जी.😊
आचार्य जी को कोटि कोटि नमन 🙏🏼
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🕉️ जय श्री गणेशा ❣️❣️❣️
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शत शत नमन गुरुदेव ❤ ❤ ❤
Radhe radhe ❤❤❤❤radhe radhe 😊😊😊😊😊radhe radhe ❤❤❤❤❤❤
Thank you 🙏.
Aacharya ji parnam
Pranaam achary ji ❤😊
Nice explanation.thanks acharya ji.
Va va Sir bhaut hi saral sundar shbdome bhed bataya Vivek ज्ञान स्पष्ट किया प्रकृती मे एकसमान क्या है aour भेद कैसे करना चाहिए अप्रतिम तरीकेसे समझाया बहुत बहुत धन्यवाद सर
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