ॐ क्या है? ॐ के स्मरण का क्या अर्थ है? || आचार्य प्रशांत, भगवद् गीता पर (2020)

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  • เผยแพร่เมื่อ 5 ต.ค. 2024
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    वीडियो जानकारी: 24.01.2020, अद्वैत बोध शिविर, ग्रेटर नॉएडा, उत्तर प्रदेश, भारत
    प्रसंग:
    सर्वद्वाराणि संयम्य मनो हृदि निरुध्य च ।
    मूर्ध्न्याधायात्मनः प्राणमास्थितो योगधारणाम्‌ ॥8.12৷৷
    ओमित्येकाक्षरं ब्रह्म व्याहरन्मामनुस्मरन्‌ ।
    यः प्रयाति त्यजन्देहं स याति परमां गतिम्‌ ৷৷8.13৷৷
    भावार्थ : सब इंद्रियों के द्वारों को रोककर तथा मन को हृदय में स्थित करके, फिर उस जीते हुए मन द्वारा प्राण को मस्तक में स्थापित करके, परमात्म संबंधी योगधारणा में स्थित होकर जो पुरुष 'ॐ' इस एक अक्षर रूप ब्रह्म को उच्चारण करता हुआ और उसके अर्थस्वरूप मुझ निर्गुण ब्रह्म का चिंतन करता हुआ शरीर को त्यागकर जाता है, वह पुरुष परम गति को प्राप्त होता है॥8।12-8।13॥
    ~ श्रीमद् भगवद्गीता (अध्याय ८, श्लोक १२-१३)
    ~ सनातन धर्म में ॐ का क्या महत्व हैं?
    ~ माण्डुक्य उपनिषद के अनुसार ॐ की परिभाषा क्या हैं?
    ~ ॐ का वास्तविक अर्थ क्या हैं?
    संगीत: मिलिंद दाते
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