माया छाया एक सी, बिरला जाने कोय || आचार्य प्रशांत, गुरु कबीर पर (2018)
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- เผยแพร่เมื่อ 20 มิ.ย. 2024
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वीडियो जानकारी: शब्दयोग सत्संग, 28.04.2018, पंगोट, उत्तराखंड, भारत
प्रसंग:
माया-छाया एक सी बिरला जाने कोय।
भगता के पीछे लगे, सम्मुख भागे सोय।।
~ गुरु कबीर
~ माया क्या होती है?
~ क्या माया को समझा जाना कठिन होता है?
~ क्यों कहते हैं गुरु कबीर जी कि माया को कोई बिरला ही जान सकता है?
~ क्या माया पर बस संयम किया जा सकता है या पार भी जाया जा सकता है?
~ हम सच को कैसे पाना चाहते हैं?
संगीत: मिलिंद दाते
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माया मरी न मन मरा मर-मर गए शरीर।
आशा तृष्णा न मरी कह गए दास कबीर।
छाया माया एक सी 🙏🙏
Maya mari n mn mara, mr mr gye sasir, aasha trisna n mari, kh gaye das kabir ❤
कबीर साहब जी ❤❤❤❤❤❤
प्रणाम आचार्य जी ❤️❤️❤️❤️❤️❤️
Aacharya ji parnam
ध्यान सदा सूर्य रहे माया पर ध्यान नहीं देना सूरज की तरफ हमेशा बढ़ते रहना है🙏🪔🌱
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Very nice explanation.
Superb class😊
Great example sir ji ❤❤❤
🙏🙏🙏💕💕💕🇳🇵
🕉️🙏
❤❤❤❤❤❤🎉🎉🎉❤❤❤❤❤
🙏🙏
आपको नमन है संत श्री 🙏
🙏🙏🙏🙏🙏🌺🌺
❤❤❤❤❤
🙏🙏🙏
🙏💐✌️
That's called practical approach 👍 ❤