अगर कण कण में आत्मा हैं तो क्या कोई जगह हैं जहाँ कण नहीं?आकाश में? तो आत्मा क्या बहु वचनईय हैं? हां सभी एक waqt मुक्त नहीं होंगा. क्या सभी आत्मा मुक्त होने पर परमात्मा कहलाता हैं? बाकी सब जीवन में क्या-क्या करना और नहीं करना समझ आ गया. 🕉 tat sat.
आत्मा और परमात्मा अजन्मा है। और संसार से अलग है। रामायण में वर्णन है। सोहमंमसि इति ब्रह्म अखंडा दीप शिखा सोई परम प्रचंडा।। आत्मा और परमात्मा संसार से अलग है वह अखंड स्थान अद्वैत एक रस आनंद स्वरूप परमधाम है।
जब बहुत बोलता है कोई,समझो उसमें हैं झूठ भरे।जो ऋत व सत्य की बात करें, ज्यादा मैं मैं के प्रचार करें।।संबोधन सभा सभीं सम्मुख संभाषण सही सर्व सुख से। करते हैं श्रवण मनन उनको जो सुंदर सत्य सुमंगला से।। धन्यवाद
13.40 आत्मा हृदय देश में रहता है। हमारा शरीर में ३ हृदय है। वो १) नाभी २)दिल ३) मस्तिष्क हैं। आत्मा और अंतरात्मा दोनों मस्तिष्क में ही रहता है। छाती के नीचे नहीं रहता है। आप तो वैदिक सिद्धांत को बहुत अच्छी तरह समझाते हैं। परंतु आत्मा के निवास स्थान के बारे में आप जो बताया उस से मैं सहमत नहीं हूं।यह आप के लिए विनम्रपूर्वक सूचना है।
समाज सुधार कर रहे हो पर मुक्ति का मार्ग नहीं है आत्मा जन्म मृत्यु से परे है ना पिंड में है ना ब्रह्मांड में है परमात्मा एक अचल है अखंड है अविनाशी है उसी को शाबाद गुरु कहते हैं
सिर्फ मनुष्य में ही आत्मा नहीं होती, वनस्पति,पशु,पक्षी और कीट पतंगों में भी होती है। जब मनुष्यों की संख्या कम थी,उस समय पशु पक्षी और, वनस्पति, और कीट पतंगों की संख्या ज्यादा होती है।
क्या मैं अपनी बिल्ली को मुक्ति दिला सकता हूं बिना उसके मनुष्य शरीर प्राप्त किए ही? वो अपना बिल्ली शरीर का उचित और अनुकूल कर्म कर रहा हैं. तो उसे मनुष्य क्यूँ बनना चाहिये???
क्या आप शरीर छोड़कर वापीस आए क्या तो आपको कैसे मालूम की शरीर छोड़ने के बाद आत्मा कहा जाती या कीसी आत्मा के साथ गये और देखकर वापीस आए नही न तो आप कैसे बता सकते
वेदों में निराकार सरकार का ज्ञान है निराकार साकार माया है यजुर्वेद का मंत्र है संभूति असंभूति अर्थात साकार निराकार माया है। इसी बात को कबीर जी कह रहे हैं। नाम लिया तिन सब लिया सब वेदों का भेद। बिना नाम नरके पढा पढ पढ चारों वेद में।। वेद थके ब्रह्मा थके थक गए शेष महेश। गीता को जहां ग़म नहीं वह सद्गुरु का देश।। व्यास जी ने चार वेद छह शास्त्र 18 पुराण का गहन अध्ययन किया लेकिन दिल को शांति नहीं मिली। जब भागवत का निर्माण हुआ तब दिल को शांति मिली। पंडित लोग भागवत के द्वारा बिजनेस करते हैं वह यमराज के हाथों द्वारा मारे जाएंगे। भागवत को कलयुग बुद्ध शाखा में पूर्ण ब्रह्म सच्चिदानंद के आवेश अवतार श्री विजियाभिनंद बुद्धनिष्कलंक द्वारा जागृत बुद्धि से खोला है इसलिए कलयुग चारों युगों में श्रेष्ठ है।❤❤❤❤❤
वेदों मेंअसंभूति को मूल कारण अभिव्यक्त प्रकृति को कहते हैं और संभूति को कारण प्रकृति से उत्पन्न कार्य रूप प्रकृति को कहते हैं। 18 पुराण वामन वामपंथियों ने वेदव्यास के नाम से लिखें है। व्यास जी ने चारों वेदों का प्रचार प्रसार संसार में किया था इसलिए उनको वेदव्यास कहते हैं। गुरुओं का भी जो गुरु है इसलिए परमात्मा को सद्गुरु कहते हैं। संसारिक मनुष्य गुरु परमात्मा के पुत्र हैं वाप नहीं। ब्रह्मा विष्णु महेश परमात्मा के गोणवाचिक नाम है अलग अलग देवता नहीं हैं जो पुरुषार्थ से परिश्रम नहीं करते ऐसे आलसी वामन लोग वोवदेव द्वारा रचित भागवत से जीविका चलाते हैं। यम वायु को कहते हैं जहां पाप आत्माएं भटकती रहती है ईश्वर का अवतार नहीं होता है क्योंकि वह सर्व व्यापक सब जगह है महात्मा बुद्ध ईश्वर के अवतार नहीं थे इसलिए परमात्मा नहीं धर्मात्मा थे। युग का अर्थ समय है इसलिए युग अच्छे बुरे नहीं होते हैं।
Are pandit jo ishwar hai wah ham hai koi difensa nahi qyon ki ishwar pahla bij hai hamare jaise sarir dhari hai sari kiryaye hamari jaise hai ye bhi tow kaha jata meri aatma
Ishwar Chetna hai to fir Chetna kya hai??????? isko kuchh bhi aata pata nahin,,,,, Parmatma ke bare mein na to yah jeev ko jaanta hai na atma ko jaanta hai aur na Parmatma ko jaanta hai... kyunki Parmatma ki jankari Parmatma ke Shivaykisi Ko bhi nahin Hoti hai
परमात्मा सच्चिदानंद स्वरूपहै वेदों को उसकी जानकारी नहीं है। वेदों में केवल निराकार साकार का ज्ञान है निराकार साकार माया है यजुर्वेद का मंत्र संभूति असंभूति अर्थात साकार निराकार माया ने।🎉🎉
बाबा को कोई ज्ञान नही है।ये सभी के सभी केवल मानते आये हे। उन गपोडीयो की गाथाओं को ओर मैं तुम्हें सत्य को जानने के लिये कहता हू जानना ओर तर्क करना ज्ञानी व्यक्तयो की पहचान हे जब शरीर का निर्माण मा के गर्भ मे एख कोशिकाओं से शूरू होता है तभी से उर्जा यानी आत्मा का सन्चार हो जाता है।ओर बहु सख्या कोशिकाओं से शरीर बनता है सभी कोशिकाओं मे उर्जा अने आत्मा का संचार होता हे।
आचार्य जी ऊं शांति। आप अजर अमर अविनाशी आत्मा है और परम पिता परम आत्मा शिव की सन्तान लेकिन इस जीव/ शरीर में आने से अपने आपको और उस परम आत्मा शिव को भूल गए हैं। क्योंकि आपका यह शरीर विनाशी है जिसकी मृत्यु होती है और आत्मा एक शरीर छोड़ दूसरा लेती रहती है जिसे जन्म पुनर्जन्म कहते हैं आप इस शरीर के ड्राइवर हैं और यह शरीर आपकी गाड़ी है इस शरीर को रथ भी कहते हैं और जब आत्मा इस शरीर को छोड देती है तब यह शरीर अर्थी कहलाता है आत्मा को रथी और शरीर को रथ कहते क्योंकि रथ/गाड़ी स्वयं नहीं चलती है। आप शिव को , राम को श्रीकृष्ण और देवी देवताओं को नहीं मानते क्योंकि परमात्मा और उसकी रचना से अनजान हैं। आत्मा परमात्मा और जीवात्मा का सत्य ज्ञान नहीं। यदि आप आत्मा परमात्मा जीवात्मा/प्रकृति को जानना चाहते हैं तो पूरी दुनिया में एक ही यूनिवर्सिटी है और उसके सेवा केन्द्र हर कस्बे शहर जिला और देश में मिल जायेंगे। ज्ञान का आधार विद्यालय होता है वेद पुराण और शास्त्र नहीं शास्त्रों में दन्त कथाएं भरी पड़ी है जिस कारण आप श्री कृष्ण, श्री राम और देवी देवताओं से दूर हैं और उनका खंडन करते हैं। इसमें आपकी कोई ग़लती नही है। परमात्मा अहिंसक होता है तो उसकी रचना देवी देवता अहिंसक कैसे हो सकते हैं। एक भजन है जिसकी रचना इतनी सुन्दर वह कितना सुन्दर होगा,,, इसलिए उसे सत्यम शिवम सुंदरम कहते हैं श्री कृष्ण तो सर्व गुण संपन्न 16 कलां सम्पूर्ण, सम्पूर्ण निर्विकारी डबल ताजधारी डबल अहिंसक मर्यादा पुरुषोत्तम सतयुग के पहले महाराजा थ और राम 14 कला सम्पूर्ण,,,। अधिक जानकारी हेतु प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के किसी भी सेवा केन्द्र से सम्पर्क कर सकते हैं जहां आत्मा परमात्मा और सृष्टि के आदि मध्य और अन्त का ज्ञान मिलता है सिर्फ 7 दिन में एक घंटा रोज़ सुनने से लेकिन मैं जानता हूं अंहकार आपको जाने नहीं देगा क्योंकि आप अपने को बहुत ज्ञानी समझते हैं।
महात्मा गाँधी अब किसी ब्रह्मांड के कोने में जहां द्वापर युग चल रहा हैं वहां अकल का अंधा धृतराष्ट्र बंकर बैठा हैं. और नेहरु दुर्योधन बंकर धृतराष्ट्र से वार्तालाप कर रहा हैं. मुजे दिख रहा हैं. 😂😂😂😂😂
सत्यार्थ प्रकाश में स्वामी दयानंद सरस्वती जी अपने से कुछ नहीं लिखे हैं जीतना लिखे हैं सब वेद उपनिषद दर्शन शास्त्र विशुद्ध मनुस्मृति भगवत गीता जी से लिखे हैं और उसमें प्रमाण भी है पहले पढ़ो फिर बोले और वैसे ही मजहब रिलीजन बुद्धिष्ट सिख जैनी के विषय में उनके किताबो के प्रमाण से लिखे हैं
@@RajkishorShah-w7g पढ़ा लिखा समाज है दयानंद इसाई एजेंट था इसाईयों को पत्र लिखा था हम भी अपने पास से नहीं बना रहे ऐसी खिचड़ी घोल गया अब तुम्हारे भी समझ नहीं आती समाज के गले पड़ते हो कोई पूछता है तो
@@jogendra429 पढ़े हो मनुस्मृति और तुमको इतना ज्ञान नही है मनुस्मृति दो है एक अंग्रेजो ने लिखवाई थी और एक है विशुद्ध मनुस्मृति पहले पढ़ो अंग्रेजो के मनुस्मृति में गलत लिखा है और वो इसलिए लिखवाए की सनातनी समाज बिखरे और देश समाज के लिए खतरा दो ही है एक जन्म से बने नकली पंडित ब्राह्मण और दुसरे जन्म से बने नकली दलित शुद्र और दोनो अपने स्वार्थ के लिए बने हुए हैं
क्या संतो को अज्ञान अंधकार फैलाने का अधिकार प्राप्तहै जब एकव्यक्ति को हम गलत रास्ता बताते हैं तो हमें पाप लगता है और आप सोच कर बताओ हजारों लाखोंकी भीड़ में कोई संत अज्ञानता की बातकरें तो कितने लोगों का बुरा होता है और हमारे पाप लगने की सीमा कितनी होती है इसलिए विद्वानलोग संत को गिराने का काम नहीं अपितु संत को पाप के समुद्र में गिरने से बचा रहे हैं वह अलग बात है कि आप अपने निजी विचार से क्या समझते हैं
आचार्य जी बहुत बढ़िया प्रवचन है
बहुत सुन्दर आचार्य जी
जय हो
ॐ
सत्य सनातन की जय 🙏🙏
Arya samaj ke sabhi members ko parmatma dirghayu banyein rakhein
ओम् नमस्ते आचार्य जीं जय आर्यावर्त
जय जय हो आचार्य जी। ओ३म।।
बहुतसुंदर नमस्तेआचार्य जी
बहुत ही अच्छा प्रवचन
Anjli didi ke charno me koti koti naman
भ्राता श्री जी आपके वचन बिल्कुल सत्य है जी, ग्रेट थैंक्स जी, आपका शुभ चिंतक योगेश नामदेव राजवाड़ा काउंस फ्रॉम हरियाणा.
अच्छी जानकारी आचार्य जी
नमन वंदन आचार्य जी
बहुत ही सुन्दर व्याख्यान
Bahut hi sunder Acharyji 🙏🙏🙏🚩🔥👍
आत्मा कँही आता जाता नही है सब प्रकृति का प्रकृति में मिल जाता है।
❤❤❤❤ सभी आर्य भाई बहनों को सादर प्रणाम ❤❤
नमस्ते पूज्य आचार्य जी 🙏
Om namaste ji
Acharya ji ke charno me koti koti naman
परमात्मा केवल शुद्ध ऊर्जा है
सत्य सनातन वैदिक धर्म की जय 🚩🚩🙏🙏
ओउम् आर्चाय जी🙏 बहुत सुन्दर व्याख्या है🔥
🙏 ॐ सादर नमस्ते आचार्य जी 🙏
बहुत ही अच्छी तरह आप उदाहरण सहित समझाते है।
आपको बारंबार प्रणाम
नमेस्त आचार्य जी
जांकी रही भावना जैसी । प्रभू मुरत देखी तिन तैसी।
OM 🕉 🙏
Sadar naman
Oom
सकल विश्व में जड़ चेतन में
जब चेतन भगवान सभी जगह है तो कोई भी जड़ नहीं है।
🕉🙏🏻🙏🏻🙏🏻
Jai shree ram satya sanatan vedic dharm ki jai 🙏
ब्रह्मपुर
🕉
इंदिरा गाँधी को सूर्पनखा की शरीर मिलीं हैं. अब वो त्रेता युग में लक्ष्मीण को लाइन मार रही हैं. 😂
Namaste Acharya jee
, प्लीज धन्यवाद दिल के अंदर धड़कन धड़कन के अंदरपरमात्मा
Aatmvandan
नमस्ते
नमस्ते आचार्य जी
सत्य सनातन वैदिक धर्म की जय
अगर कण कण में आत्मा हैं तो क्या कोई जगह हैं जहाँ कण नहीं?आकाश में? तो आत्मा क्या बहु वचनईय हैं? हां सभी एक waqt मुक्त नहीं होंगा. क्या सभी आत्मा मुक्त होने पर परमात्मा कहलाता हैं?
बाकी सब जीवन में क्या-क्या करना और नहीं करना समझ आ गया. 🕉 tat sat.
आर्य समाज नया आर्य नगर गाजियाबाद का हा हां
🙏🙏🙏🙏🙏
Mahendra Kumar
Sir very well said but mujhe ek baat samaj nahi aai ki dev ke sath raksha kyo hote hai...
आचार्य जी मेरे अंदर भी यही सोने वाली कला है।
ओ३म् नमस्ते
Nice sweet inspiring. Thanks a lot Bhaiji. OM.
ज्यान क्या है?
यह शब्द ग्यान का आर्यसमाजी रूप है
Bhudha ke Abhidhamma me yahi bataya hai ❤
आत्मा और परमात्मा अजन्मा है। और संसार से अलग है। रामायण में वर्णन है।
सोहमंमसि इति ब्रह्म अखंडा दीप शिखा सोई परम प्रचंडा।।
आत्मा और परमात्मा संसार से अलग है वह अखंड स्थान अद्वैत एक रस आनंद स्वरूप परमधाम है।
जब बहुत बोलता है कोई,समझो उसमें हैं झूठ भरे।जो ऋत व सत्य की बात करें, ज्यादा मैं मैं के प्रचार करें।।संबोधन सभा सभीं सम्मुख संभाषण सही सर्व सुख से। करते हैं श्रवण मनन उनको जो सुंदर सत्य सुमंगला से।। धन्यवाद
Acharya Ji 🙏,
Is there any Ved Mantra to corroborate ur view that Soul resides at that part of body in different stages.
OM 🕉 🙏
13.40 आत्मा हृदय देश में रहता है। हमारा शरीर में ३ हृदय है। वो १) नाभी २)दिल ३) मस्तिष्क हैं।
आत्मा और अंतरात्मा दोनों मस्तिष्क में ही रहता है। छाती के नीचे नहीं रहता है।
आप तो वैदिक सिद्धांत को बहुत अच्छी तरह समझाते हैं। परंतु आत्मा के निवास स्थान के बारे में आप जो बताया उस से मैं सहमत नहीं हूं।यह आप के लिए विनम्रपूर्वक सूचना है।
हमारा शरीर की आत्मा और शरीर के बाहर की अनगिनत अनु padaarth और व्यक्ती समूह की आत्मायें connected होंगे ना?????
समाज सुधार कर रहे हो पर मुक्ति का मार्ग नहीं है आत्मा जन्म मृत्यु से परे है ना पिंड में है ना ब्रह्मांड में है परमात्मा एक अचल है अखंड है अविनाशी है उसी को शाबाद गुरु कहते हैं
यदि आत्मा जन्म मृत्यु से परे है तो तू क्यों आया जन्म मृत्यु के चक्कर में। क्या पागलपन की बात।
App ek desiya hinge hum sorv byapak hai
प्रमाण दे आत्मा का निवास स्थान कहां है ओम् ?
True.
They should also quote reference of Ved Mantra.
OM 🕉 🙏
Agale janam me aap kya the jara batayan 17:12
आचार्य जी में आप फोन कर रहा था आप से बात करना चाहता हूं
Janma se sath athma mile murath n mile
ना आत्मा मरती है और ना ही उत्तपन होती है तो पहले भारत की जनसंख्या कम थी तो अब बढ़ कैसे गई आत्मा तो उत्तपन होती ही नहीं
Jivan is dharti par hi nahi h, hamare dharti jaisi naa jane kitne dharti hai
सिर्फ मनुष्य में ही आत्मा नहीं होती, वनस्पति,पशु,पक्षी और कीट पतंगों में भी होती है। जब मनुष्यों की संख्या कम थी,उस समय पशु पक्षी और, वनस्पति, और कीट पतंगों की संख्या ज्यादा होती है।
Product ka sirf recycle hi nhi hota hai balki naya manufacture bhi hota h
@@brajeshsingh5022right
Ghare me mitti hai Surabhi me mitti hai kullar me mitti hai to mitti am desiy hai sorv byapak Nahi hai
क्या मैं अपनी बिल्ली को मुक्ति दिला सकता हूं बिना उसके मनुष्य शरीर प्राप्त किए ही? वो अपना बिल्ली शरीर का उचित और अनुकूल कर्म कर रहा हैं. तो उसे मनुष्य क्यूँ बनना चाहिये???
😂😅😅
Nikki pankha chalta hai mortar chalti hai trian chalti hai to Nikki ek desiy hai sorv byapak Nahi hai
क्या आप शरीर छोड़कर वापीस आए क्या तो आपको कैसे मालूम की शरीर छोड़ने के बाद आत्मा कहा जाती या कीसी आत्मा के साथ गये और देखकर वापीस आए नही न तो आप कैसे बता सकते
This is based on reference of Yajurved Mantra 39/6.
Moreover yogi realise the same in Samadhi Stage.
OM 🕉 🙏
Main apna jivan samarpit karna chahta hun Bharat Desh ke liye is vishay per aapse baat karni hai
Aatma kavi jatra nahi kar ta hai.
वेदों में निराकार सरकार का ज्ञान है निराकार साकार माया है यजुर्वेद का मंत्र है संभूति असंभूति अर्थात साकार निराकार माया है।
इसी बात को कबीर जी कह रहे हैं।
नाम लिया तिन सब लिया सब वेदों का भेद।
बिना नाम नरके पढा पढ पढ चारों वेद में।।
वेद थके ब्रह्मा थके थक गए शेष महेश।
गीता को जहां ग़म नहीं वह सद्गुरु का देश।।
व्यास जी ने चार वेद छह शास्त्र 18 पुराण का गहन अध्ययन किया लेकिन दिल को शांति नहीं मिली। जब भागवत का निर्माण हुआ तब दिल को शांति मिली। पंडित लोग भागवत के द्वारा बिजनेस करते हैं वह यमराज के हाथों द्वारा मारे जाएंगे।
भागवत को कलयुग बुद्ध शाखा में पूर्ण ब्रह्म सच्चिदानंद के आवेश अवतार श्री विजियाभिनंद बुद्धनिष्कलंक द्वारा जागृत बुद्धि से खोला है इसलिए कलयुग चारों युगों में श्रेष्ठ है।❤❤❤❤❤
वेदों मेंअसंभूति को मूल कारण अभिव्यक्त प्रकृति को कहते हैं और संभूति को कारण प्रकृति से उत्पन्न कार्य रूप प्रकृति को कहते हैं। 18 पुराण वामन वामपंथियों ने वेदव्यास के नाम से लिखें है। व्यास जी ने चारों वेदों का प्रचार प्रसार संसार में किया था इसलिए उनको वेदव्यास कहते हैं। गुरुओं का भी जो गुरु है इसलिए परमात्मा को सद्गुरु कहते हैं। संसारिक मनुष्य गुरु परमात्मा के पुत्र हैं वाप नहीं। ब्रह्मा विष्णु महेश परमात्मा के गोणवाचिक नाम है अलग अलग देवता नहीं हैं जो पुरुषार्थ से परिश्रम नहीं करते ऐसे आलसी वामन लोग वोवदेव द्वारा रचित भागवत से जीविका चलाते हैं। यम वायु को कहते हैं जहां पाप आत्माएं भटकती रहती है ईश्वर का अवतार नहीं होता है क्योंकि वह सर्व व्यापक सब जगह है महात्मा बुद्ध ईश्वर के अवतार नहीं थे इसलिए परमात्मा नहीं धर्मात्मा थे। युग का अर्थ समय है इसलिए युग अच्छे बुरे नहीं होते हैं।
Swelaland
ब्रह्मपुर में रहते हैं क्या रामपुर में रहते हैं इससे कोई फर्क नहीं पड़ता
Es sone wali baat ko aap galat kah rahe ho....koi bhi itna lamba nahin so sakta..jay Arya samaj ki...
Brahamopnishad main kaha hai ki jagrit awastha main sir main rehta hai
Swapn awastha main aankh main
Gehri neend main hridye kamal main rehta hai
Are pandit jo ishwar hai wah ham hai koi difensa nahi qyon ki ishwar pahla bij hai hamare jaise sarir dhari hai sari kiryaye hamari jaise hai ye bhi tow kaha jata meri aatma
आचार्य जी विषय को तो पूरा कर दिया करो ।यहां तो यहां तो समय की कमी नही है।कार्य क्रम कराओ तो समय की कमी में प्रशग पूरा नही हो पाता है।
Ishwar Chetna hai to fir Chetna kya hai??????? isko kuchh bhi aata pata nahin,,,,, Parmatma ke bare mein na to yah jeev ko jaanta hai na atma ko jaanta hai aur na Parmatma ko jaanta hai... kyunki Parmatma ki jankari Parmatma ke Shivaykisi Ko bhi nahin Hoti hai
डार्विन galapagos द्वीप पर रह रहा हैं. उदर एक पेड़ पर अपने परिवार के साथ बंदर की शरीर में निवास कर रहा हैं.....आपकों दिखाई नहीं देता????😂😂😂😂
प्रमाण बताओं
Fģèŕ
मनुष्य शरीर में आत्मा नाम की कोई चीज नहीं है केवल कपोल कल्पना है। इसलिए मृत्यु के बाद कुछ भी कहीं नहीं जाता है।
Jai neem tang uthay
Bhadh Me jao
परमात्मा सच्चिदानंद स्वरूपहै वेदों को उसकी जानकारी नहीं है। वेदों में केवल निराकार साकार का ज्ञान है निराकार साकार माया है यजुर्वेद का मंत्र संभूति असंभूति अर्थात साकार निराकार माया ने।🎉🎉
बाबा को कोई ज्ञान नही है।ये सभी के सभी केवल मानते आये हे। उन गपोडीयो की गाथाओं को ओर मैं तुम्हें सत्य को जानने के लिये कहता हू जानना ओर तर्क करना ज्ञानी व्यक्तयो की पहचान हे जब शरीर का निर्माण मा के गर्भ मे एख कोशिकाओं से शूरू होता है तभी से उर्जा यानी आत्मा का सन्चार हो जाता है।ओर बहु सख्या कोशिकाओं से शरीर बनता है सभी कोशिकाओं मे उर्जा अने आत्मा का संचार होता हे।
एक पाखंडी भी है जो जेल में ह और आपने आप को जगत गुरु कहते है जिसका नाम रामपाल ह जो हरियाणा की जेल में आपसे पूछना चाहता हु उसको जगल गुरु किसने बनाया
आचार्य जी ऊं शांति। आप अजर अमर अविनाशी आत्मा है और परम पिता परम आत्मा शिव की सन्तान लेकिन इस जीव/ शरीर में आने से अपने आपको और उस परम आत्मा शिव को भूल गए हैं। क्योंकि आपका यह शरीर विनाशी है जिसकी मृत्यु होती है और आत्मा एक शरीर छोड़ दूसरा लेती रहती है जिसे जन्म पुनर्जन्म कहते हैं आप इस शरीर के ड्राइवर हैं और यह शरीर आपकी गाड़ी है इस शरीर को रथ भी कहते हैं और जब आत्मा इस शरीर को छोड देती है तब यह शरीर अर्थी कहलाता है आत्मा को रथी और शरीर को रथ कहते क्योंकि रथ/गाड़ी स्वयं नहीं चलती है। आप शिव को , राम को श्रीकृष्ण और देवी देवताओं को नहीं मानते क्योंकि परमात्मा और उसकी रचना से अनजान हैं। आत्मा परमात्मा और जीवात्मा का सत्य ज्ञान नहीं। यदि आप आत्मा परमात्मा जीवात्मा/प्रकृति को जानना चाहते हैं तो पूरी दुनिया में एक ही यूनिवर्सिटी है और उसके सेवा केन्द्र हर कस्बे शहर जिला और देश में मिल जायेंगे। ज्ञान का आधार विद्यालय होता है वेद पुराण और शास्त्र नहीं शास्त्रों में दन्त कथाएं भरी पड़ी है जिस कारण आप श्री कृष्ण, श्री राम और देवी देवताओं से दूर हैं और उनका खंडन करते हैं। इसमें आपकी कोई ग़लती नही है। परमात्मा अहिंसक होता है तो उसकी रचना देवी देवता अहिंसक कैसे हो सकते हैं। एक भजन है जिसकी रचना इतनी सुन्दर वह कितना सुन्दर होगा,,,
इसलिए उसे सत्यम शिवम सुंदरम कहते हैं श्री कृष्ण तो सर्व गुण संपन्न 16 कलां सम्पूर्ण, सम्पूर्ण निर्विकारी डबल ताजधारी डबल अहिंसक मर्यादा पुरुषोत्तम सतयुग के पहले महाराजा थ और राम 14 कला सम्पूर्ण,,,। अधिक जानकारी हेतु प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के किसी भी सेवा केन्द्र से सम्पर्क कर सकते हैं जहां आत्मा परमात्मा और सृष्टि के आदि मध्य और अन्त का ज्ञान मिलता है सिर्फ 7 दिन में एक घंटा रोज़ सुनने से लेकिन मैं जानता हूं अंहकार आपको जाने नहीं देगा क्योंकि आप अपने को बहुत ज्ञानी समझते हैं।
आर्य समाज मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम एवं योगीराज श्री कृष्ण दोनों को मानता है समझे
ओ ज्ञानी महाराज, मैंने देखा है तुम लोगों को बहुत ही बड़ी मात्रा में 12 ज्योतिर्लिंग पर पैसे चढ़वाते हो
शरीर में आत्मा होगी तभी तो कहीं जायेगी।
में जैविक मशीन, रोबोट हु।
महात्मा गाँधी अब किसी ब्रह्मांड के कोने में जहां द्वापर युग चल रहा हैं वहां अकल का अंधा धृतराष्ट्र बंकर बैठा हैं.
और नेहरु दुर्योधन बंकर धृतराष्ट्र से वार्तालाप कर रहा हैं. मुजे दिख रहा हैं. 😂😂😂😂😂
दयानंद जी ने इसाईयों को पत्र भेजा था क्या आपको पता है कृपा जानकारी देन
Isaiyon ki band bajai thi Ghar wapsi karva ke Swami Dayanand ji ne 😂
@@Beyondthephysical98 इसाईयों का तो पता नहीं बैंड बाजा या नहीं गलत ज्ञान प्रचार कर हिंदुओं की बैंड बाजा गया
आपके अनुसार आत्मा अलग है परमात्मा अलग है 😂 आपको अद्वैत का पठन करना चाहिए
Ye to purn gadha hai samane jabab nahi deta
तू भी किसी गधे से कम नहीं है पागल है तू😂
आप सब विद्वान लोग हो ये संतो का विरोध उन्हे गिराना छोड़ो
सनातन का प्रचार करना था आर्य समाज का नाम क्यों दिया हिंदू धर्म को नष्ट करना चाहता था
हिंदू पंथो में बड़ा खिचड़ी का नाम है आर्य पुत्र श्री राम है क्यों
ओ ज्ञानी महाराज पता नहीं कितने सनातन का झंडा गाड़ कर पाखंड और ढूंढ फैला रहे हैं
दयानंद जी का समाज सुधार में क्या योगदान था वेद का कहां प्राप्त किया सत्यार्थ प्रकाश में ऐसी भाषा का प्रयोग किया गया है पढ़ने के लायक नहीं
Kyu esi kon see bhasa hai
सत्यार्थ प्रकाश में स्वामी दयानंद सरस्वती जी अपने से कुछ नहीं लिखे हैं जीतना लिखे हैं सब वेद उपनिषद दर्शन शास्त्र विशुद्ध मनुस्मृति भगवत गीता जी से लिखे हैं और उसमें प्रमाण भी है पहले पढ़ो फिर बोले और वैसे ही मजहब रिलीजन बुद्धिष्ट सिख जैनी के विषय में उनके किताबो के प्रमाण से लिखे हैं
@@RajkishorShah-w7g पढ़ा लिखा समाज है दयानंद इसाई एजेंट था इसाईयों को पत्र लिखा था हम भी अपने पास से नहीं बना रहे ऐसी खिचड़ी घोल गया अब तुम्हारे भी समझ नहीं आती समाज के गले पड़ते हो कोई पूछता है तो
@@RajkishorShah-w7g दयानंद को कहां ज्ञान था ज्ञान होता तो मनुस्मृति में लिखा है उसको बताता समाज के सामने यह गलत है
@@jogendra429 पढ़े हो मनुस्मृति और तुमको इतना ज्ञान नही है मनुस्मृति दो है एक अंग्रेजो ने लिखवाई थी और एक है विशुद्ध मनुस्मृति पहले पढ़ो अंग्रेजो के मनुस्मृति में गलत लिखा है और वो इसलिए लिखवाए की सनातनी समाज बिखरे और देश समाज के लिए खतरा दो ही है एक जन्म से बने नकली पंडित ब्राह्मण और दुसरे जन्म से बने नकली दलित शुद्र और दोनो अपने स्वार्थ के लिए बने हुए हैं
Sar ji Apne apna number dijiye mujhe aapse vartalap karna h
मुझे आचार्य योगेश जी का संपर्क नंबर चाहिए क्या कोई दे सकता है
Namaste aacharya ji
नमस्ते आचार्य जी
हमारा शरीर की आत्मा और शरीर के बाहर की अनगिनत अनु padaarth और व्यक्ती समूह की आत्मायें connected होंगे ना?????
आप सब विद्वान लोग हो ये संतो का विरोध उन्हे गिराना छोड़ो
आप सब विद्वान लोग हो ये संतो का विरोध उन्हे गिराना छोड़ो
क्या संतो को अज्ञान अंधकार फैलाने का अधिकार प्राप्तहै जब एकव्यक्ति को हम गलत रास्ता बताते हैं तो हमें पाप लगता है और आप सोच कर बताओ हजारों लाखोंकी भीड़ में कोई संत अज्ञानता की बातकरें तो कितने लोगों का बुरा होता है और हमारे पाप लगने की सीमा कितनी होती है इसलिए विद्वानलोग संत को गिराने का काम नहीं अपितु संत को पाप के समुद्र में गिरने से बचा रहे हैं वह अलग बात है कि आप अपने निजी विचार से क्या समझते हैं