ढोल गँवार शूद्र पशु नारी - अप्रसंगिकता और अनर्थ ???
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- เผยแพร่เมื่อ 27 ก.ค. 2021
- उपर्युक्त चौपाई का अनापशनाप अर्थ करते हुए आज सेंकड़ों बाबा बाबी मिल जाएँगे! मगर किसी भी संत या विद्वान ने इसकी प्रासंगिकता के औचित्य पर सवाल नहीं उठाए? सब ताड़ त शब्द के अर्थ का अनर्थ करने में और इसका मतलब यह नहीं वह करने में लग गए! एक ने भी ताड़त शब्द के अर्थ के लिए - सापत ताड़त परुष कहंता! विप्र पूज्य अस गवाही संता! अरणकांड मानस के अर्थ पर ध्यान नहीं दिया! हमारे प्रवचन में चौपाई के मूलार्थ गूडार्थ तक पहुँचने का प्रयास किया है साथ ही इसकी प्रासंगिकता पर भी सवाल उठाकर विद्वानों को झकझोर ने का प्रयास किया है आप सभी बुद्धिजीवी मेरे इस शोध / रिसर्च प्रवचन की समीक्षा अवश्य करें!
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Great
बहुत बहुत धन्यवाद
Guruji apko sat sat naman 🙏🏻🙏🏻🙏🏻
नाइस गुरुजी
जय श्री राम
great Satyanand
Namskaar swami ji
Gyan shubh kram dya. Ki
Sachcha guru
MA pita ki sewa
Thank you ❤️
Jai ho guru ji 🙏🏻 🙏🏻
Acharya jee Maharaj aap jaise dayalu Kripalu mahamanav kee jarurat hai samagra Manav ke Vikash ke liye,koti koti pranam
गुरुजी ने बहुत ही सरल तरीके से इस चौपाइ का
का अर्थ समझाया है। गुरुजी को बहुत -बहुत धन्यवाद।
आपने जो चौपाई की व्याख्या की है उसका अर्थ आज तक हमें मालूम नहीं था आपने उसका अर्थ समझाया उसके लिए आपको साधुवाद
उत्तम निष्कर्ष
नमन स्वामी जी आपको 🙏🌺
Great 👍
Shandar
महानारायण उपनिषद और नारायण उपनिषद और नारायण से संबंधित ग्रंथ ही best ग्रंथ है,,,बाकी सभी विवादित है
अद्भुत लाजवाब गुरु जी
वास्तव में गुरु जी आपने इस चौपाई को संदर्भ और प्रसंग के साथ लाजवाब तरीके से समझाया है। इस चौपाई पर मेने बहुत सारे विद्वानों को सुना है सब इसकी वास्तविकता को छुपा कर सिर्फ लिपा पोती करते हैं।
आपके अध्ययन
आपकी मेहनत
आपके संघर्ष को सलाम
💯
बेहतरीन
आप बहुत ज्ञानी तथा बुद्धिमान व्यक्ति हैं।
Bahut Sundar
जय भीम गुरु जी आपने तो राम चरित मानस का सही ।आनुवाद ।कर बहुत अच्छे से समझाया आपको ।बहुत बहुत धन्यावाद
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
बहुत ही सुन्दर अनुवाद।
गुरु जी मैं साइंस जर्नी चैनल पर आपको देखा था आप ग्रेट हो जी आज आपका कंमेंट हैरिस भाई के चैनल पर देखा तो मैं यहाँ आप के चैनल पर आया
आप लगे रहो हम आपके साथ है
जय हिंद गुरु जी
बाकी मैं पक्का नास्तिक हु जय मानवता🙏🙏🙏🙏
Sir apke videos ka humesha wait rehta hai.
बहुत ही सुन्दर व्याख्या
जय हो गुरुवर
मैं आपका पूर्ण समर्थन करता हूं। आपके हौसले को प्रणाम करता1 हूं।
Good Explanation
👍👍🙏🙏
अति उत्तम संवाद।
सत्योद्घाटन हेतु साधुवाद।
हार्दिक आभार।
Bahut sunder vyakhya
बेहद निष्पक्ष व तार्किक 👍👍👍
Sir aap regular video kiyu ni dalte plz video lao na
Hafte me ek hi dal rha hu fir live stream krunga to fir aapko vistar se sunne ko milega g
@@GOLDROGER-xt3bx next week aa rahi hai ek video.
@@satyakedarshan sir plz ramayan ki series banao
@@Arpit_Explains ok
भला हो मैकाले का। जय मैकाले।
जिसने वंचित वर्ग को शिक्षा का अधिकार दिया।
अन्यथा तो मनकाले ( मन के काले / मनुवादी ) लोग वंचित वर्ग को शिक्षा से वंचित कर रखे थे।
Aapko bahot abhot dhanyawaad ye sacche gyan ke liye 🙏💐
महाराज जी विवादित चौपाई का सही अर्थ बताने आभार
Grea intellectual work by Swamiji 👍🏻💐
👍👍
अद्भुत 🙏🙏
साधुवाद🙏🙏
So good sir
Too good sir
नमन गुरु जी👍👋👋
😇🙏👍
बहुत बढ़िया विश्लेषण
Good! 👍
क्या गवांर ब्राह्मण और गवांर क्षत्रीय को ताडन की जरूरत नही होती.....?
👍
उपदेश बेटे आप को जातिवादी लोग गलत शिक्षा दे रहे हैं। पहले तो यह समझो कि वर्ण व्यवस्था थी क्या? इसके लिए हमने प्रमाणों के साथ बहुत सारे वीडियो बनाए हैं, सबसे पहले हम लोग है क्या ?
मनुष्य मतलब सारे ही मनु की संतान अर्थात हम सबके पूर्वज कौन एक प्रथम मनुष्य मनु और सबकी माता कौन सतरूपा। इसमें कोई विवाद नहीं।
फिर जब जनसंख्या बढ़ी बहुत सारे लोग हुए, तो उनको कंट्रोल करने के लिए नियम बने कानून बने उस समय के अनुसार जो जरूरी लगे बनाए गए।
अब परिवार में अगर चार पांच भाई हैं और उनमें से कोई ज्यादा कमाता है कोई कम तो हम लोग भी ज्यादा कमाने वाले की इज्जत ज्यादा करते हैं स्वाभाविक है और जो निखट्टू होता है उसको सभी डाट देते हैं वही तब हुआ। परिवार के कुछ लोग जो शाकाहारी, कंद मूल फल खाते थे जंगलों में रहते थे किंतु शिक्षित थे बुद्धिमान थे वह समाज को मुफ्त शिक्षा देने लगे वह ब्रह्मण कहे गए।
कुछ लोग विभिन्न वस्तुओं का व्यापार करने लगे तो उसके व्यापार नाम से ही उनको पुकारा जाने लगा जैसे तेल का व्यापारी तेली, चमड़े का व्यापारी चर्मकार, आपभ्रांस चमार, लोहे का व्यापारी लोहार आदि। इस तरह सबसे ज्यादा व्यापारी हुए, जो लोग खेती में लगे और सभी लोगो के रक्षक हुए उनको क्षत्रिय कहा गया, उन्ही को सबके ऊपर शासक बनाया गया या उनकी ही बात सर्व मान्य होती थी।
अब चौथा वर्ण कौन सा था जैसे आज भी बिगड़े हुए बच्चे किसी परिवार में होते हैं कोई व्यापार नहीं खेती नहीं शिक्षा नहीं तो क्या करेगे उनको खाना तो खाना है फिर वह लोग एक निश्चित समय के लिए अपने श्रम को बेचने लगे अर्थात किसी दूसरे भाई के सेवक बन गए। सेवक को ही आदि प्राकृत भाषा में शुद्र कहा गया अर्थात परिवार के वह लोग जो अशिक्षित और अज्ञानी थे अपने ही परिवार के किसी भाई के सेवक कहे गए नौकर कहे गए आज की भाषा में employee.
कोई जाति अपने धर्म में थी ही नहीं। आज भी अगर कोई किसी बिरादरी का हो अगर बूट पॉलिश करेगा तो मोची ही कहते हो, बाल काटने का काम करता है तो नाई ही कहा जाता है अर्थात सब व्यापार के नाम हैं। समाज में अपना वर्ण बदलने की पूरी स्वतंत्रता थी जिसको वाल्मीकि, विश्वामित्र जैसे लोगो ने बदलकर बताया है। ऐसा नहीं कि आज जो नौकर है कल वह नौकरी ही करेगा।
हां जब तक वह नौकर है उसने अपना श्रम समय बेचा है तो वह शिक्षा कैसे लेगा, व्यापार कैसे करेगा या खेती कैसे करेगा वह जो कुछ करेगा अपने मालिक के लिए करेगा जिसके बदले में पारिश्रमिक लेगा। जिसको प्रचारित किया गया कि उनके साथ अन्याय होता था, पहले जमाने में ऐसा नहीं था।
मुसलमानों के आने के बाद फोड़ों राज्य करो, उन्होंने सब व्यापारो को जाति बना दिया ।
यह है सारांश में स्टोरी। कोई चाहे तो डिबेट कर सकता है तर्कों के साथ कुतरको के साथ नहीं।
आप सबका स्वागत है आप चैनल पर आइए अपने कमेंट कीजिए सबको वीडियो के या कमेंट riply के माध्यम से उचित जवाब दिया जाएगा।
प्रेम से बोलो सनातन धर्म की जय।
@@AdarshDharamपहलीबात कि मैं कोई अंधभक्त नहीँ हूँ, एक student हूँ। क्या प्रमाण है कि जाति मुसलमानो ने थोपी...? मुसलमानो के समय दलाली ब्राह्मण कर रहे थे, तानसेन, बीरबल इत्यादि ब्राह्मण थे। साफ है जाति उससे पहले भी exist करती थी।
और जाति किसी ने भी थोपा हो, उसे खत्म करने में तूम्हारे सनातन भाइयो का क्या योगदान रहा, और जातिवाद के शिकार लोगो (obc, sc, st) जो आरछण मिलना चाहिए...?
कोई बाहर से आया और तुम्हें जाति के आधार पर क्षेष्ठ कहा और तुम सनातन भाई भी अपने को उसी आधार पर श्रेष्ठ मानने लगे।
@@updeshsaroj मैंने "3 टाइम age में बड़ा होने के बावजूद बेटा और आप कहकर संबोधित किया अपने कमेंट में। परंतु कल के बच्चे "तुम" पर आ गए यह संस्कार विहीन शिक्षा का परिणाम है। दूसरी बात यहां पर सिर्फ विषय था कि जाति नहीं वर्ण व्यवस्था क्यों और कैसे शुरू हुई और आप आरक्षण की बात लेकर आ गए। इससे तो यही लगता है कि आरक्षण से ऊपर नीचे आगे पीछे की सोच डेवलप नही करना चाहते। आरक्षण से बुद्धि नही मिलती ज्ञान नही मिलता उसके लिए मेहनत, संस्कार, बड़े छोटे के दब अदब की और कठिन परिश्रम, अध्ययन की जरूरत है। स्टूडेंट हो इसीलिए यह गुण अपने अंदर लाओ, आरक्षण इस लिए नही मिला था कि उसको अपने जीवन का आधार बना लो, वह सरकारी स्कीम है आज हैं कल न हो तो, सिर्फ आरक्षण के सहारे जीवन यापन करना चाहते हो क्या, क्यों न स्वावलंबी बनो इतने बुद्धिशाली बन जाओ कि आरक्षण की जरूरत ही न पड़े। भीम राम जी अंबेडकर के जमाने में कौन सा आरक्षण था लेकिन वह इसी समाज में व्याप्त बुराइयों के बीच एक हीरे की तरह चमक कर बाहर आए। स्वतंत्रता के खिलाफ थे अंग्रेजो के साथ थे उनके मुलाजिम थे फिर भी उनकी शिक्षा ज्ञान की वजह से उनको देश का पहला कानून मंत्री बनाया गया, संविधान ड्राफ्टिंग समिति का अध्यक्ष बनाया गया। अपने अंदर से जो यह लोग कुंठा भर रहे हैं उसको निकालो, आरक्षण है या नहीं इस सोच से बाहर निकलो , जय भीम कहकर नहीं भीम के रास्ते पर चलकर दिखाओ। और सुनो मैं कोई अंध भक्त नहीं, भटके हुए लोगो को सही ज्ञान देने की कोशिश करता हूं, नफरत नही सिखाता एक दूसरे से प्यार सिखाता हूं जिस पर चलकर देश और देश के नागरिक सम्मान और उन्नति पाएंगे।
यह तथाकथित गुरुजी की तरह नफरत नहीं फैलाता।
मुफ्त का ज्ञान है मर्जी है तो लो या नहीं। ठंडे मन से कमेंट को दो तीन बार पढ़कर फिर संस्कार पूर्ण भाषा में प्रश्न या उत्तर करना हो तो कीजिएगा, संस्कार विहीन, असभ्य भाषा का प्रयोग अच्छी बात नहीं है।
Suprrrr
बहोत बढीया महाराज जी
Ham bahujan ko sahi arth batane ke lia apko koti koti pranam jay bhim
नारायण ही परमात्मा है। बाकी सभी सिर्फ विवादित है
Very good 👍
Good info.👍🙏
Jai Bhim Jai Bharat
स्वामी जी जय भीम नमो बुद्धाय भाट पचलाना से अमृत चौहान आपको तहे दिल से जय भीम करता हूं आप के हौसले को बुलंदियों को प्रणाम करता
प्रभु भल कीन्ह मोहि सिख दीन्हीं।
मरजादा पुनि तुम्हरी कीन्हीं॥
ढोल गंवार सूद्र पसु नारी।
सकल ताड़ना के अधिकारी॥ अवधि भाषा
अर्थात
प्रभु ने अच्छा किया जो मुझे शिक्षा दी (दंड दिया), किंतु मर्यादा (जीवों का स्वभाव) भी आपकी ही बनाई हुई है। ढोल, गंवार, शूद्र, पशु और स्त्री ये सभी उद्धार/उत्थान (Absolution/Liberation/Deliverance) के अधिकारी हैं।
इस चौपाई का full from
ढोल ताड़ना के अधिकारी।
ग्वार ताड़ना के अधिकारी।
शूद्र ताड़ना के अधिकारी।
पशु ताड़ना के अधिकारी।
नारी ताड़ना के अधिकारी।।
ताड़ना अवधि भाषा है जिसका हिंदी अर्थ तारना होगा, तारना का हिंदी अर्थ उद्धार/उत्थान होगा(पार लगाना, ऐसा काम करना जिससे किसी का भला हो, सद्गति देना) l
जैसे आजकल नारी सशक्तिकरण होता है।
सूद्र अवधि भाषा में लिखा है जिसका हिन्दी शूद्र होगा।
ताड़ना अवधि भाषा है जिसका हिंदी तारना होगा।
Remember यहां श्लेष अलंकार है।
जब किसी शब्द का प्रयोग एक बार ही किया जाता है पर उसके एक से अधिक संदर्भ में अर्थ होते हैं उसे श्लेष अलंकार कहते है।
श्लेष अलंकार
उदाहरण 1
सुबरन को खोजत फिरत,
कवि, व्यभिचारी, चोर।
Full From l पूरा
सुबरन को खोजत फिरत कवि
सुबरन को खोजत फिरत व्यभिचारी(बलात्कारी)
👉👉सिर्फ समझने के लिए ताड़ना (तारना)
सुबरन को खोजत फिरत चोर ।।
अर्थ
यहाँ सुबरन का प्रयोग एक बार किया गया है, किन्तु पंक्ति में सुबरन शब्द के तीन अर्थ हैं; कवि के सन्दर्भ में सुबरन का अर्थ अच्छे शब्द, व्यभिचारी के सन्दर्भ में सुबरन अर्थ सुन्दर स्त्री/पुरुष, चोर के सन्दर्भ में सुबरन का अर्थ धन/सोना है।
उदाहरण 2
पानी गये न ऊबरैँ,
मोती मानुष चून।।
इस चौपाई का Full From
पानी गये न उबारै मोती।
पानी गये न उबारै मानुष।
पानी गये न उबारै चून।
अर्थ
यहाँ पानी का प्रयोग एक बार किया गया है, किन्तु इस पंक्ति में पानी शब्द के तीन अर्थ हैं; मोती के सन्दर्भ में पानी का अर्थ चमक या कान्ति, मनुष्य के सन्दर्भ में पानी का अर्थ इज्जत (सम्मान), चूने के सन्दर्भ में पानी का अर्थ साधारण पानी(जल) है।
ठीक ईसी प्रकार यह चौपाई है।
1 ढोल के संदर्भ में उसे ठीक रस्सी कसना या बजाकर देखना की रस्सी ठीक से बंधी है क्या ?
2 ग्वार के संदर्भ में शिक्षा देना तभी उसका उद्धार/उत्थान होगा।
3 शूद्र के संदर्भ में उस समय समाज में शूद्र की हालत दयनीय स्थिति में थी दुखी, गरीब,अज्ञानी आदि इसलिए उनका उद्धार/उत्थान होना चाहिए।
4 पशु के संदर्भ में प्रशिक्षित/ट्रेनिंग करना जैसे बैल,घोड़ा आदि तभी बैल या घोड़ा ठीक मार्ग पर ले जा पायेगे।
5 स्त्री के संदर्भ में शिक्षा, सुरक्षा, सशक्तिकरण, आदि क्योंकि समय के साथ सभी उससे छीनते गए थे उसे सुरक्षित किया जा सके स्त्री की हालत गंभीर दयनीय स्थिति में थी इसलिए यहां कहा गया है की स्त्री ताड़ना/तारना के अधिकारी।
ताड़ना अवधि भाषा है जिसका हिंदी अर्थ तारना होगा जिसका अर्थ उद्धार/उत्थान करना होता है।
उदाहरण जैसे आजकल नारी सशक्तिकरण आदि।
जय श्री राम । 🚩🚩🚩🚩🚩🚩
❤❤❤
बहुत ही अच्छे तरह से समझाया है🙏💕 जी आपने हम आपसे बात करना चाहते हैं जी कैसे कर सकते हैं🙏💕 जी
🌹🌹🌹🌹🙏
Ap ka bichar manob bad paribrtan
आपने बिल्कुल सही कहा है किया दोहा बिल्कुल अप्रासंगिक है और तुलसीदास जी गधा थे आपके दृष्टिकोण का कायल हूं मैं आपका शुक्रगुजार हूं मैं जय भीम जय भारत जय विज्ञान
Sawami ji ,sahi manusmrti kin bhayskar ki he abhi market jisme koi haal hi milawat nhi ho old Hindi bhasay ki konsi he 🙏👍
कुल्लूक भट्ट का भाष्य ले लो जी!!!
ढोल गवांर पशु नारी सब ताडन के अधिकारी। यह लाइन तुलसीदास की शूद्र और नारी के प्रति दृष्टिकोण को बताती है।
Right
🙏🙏🙏👍👍👍
🌹🌹🌹👍👍👍
श्लेष अलंकार है।
ताड़ना अवधि भाषा है जिसका हिंदी तारना होगा उसका अर्थ उद्धार/उत्थान करना होगा।
उदाहरण जैसे आजकल नारी सशक्तिकरण होता है।
जय श्री राम। 🚩🚩
th-cam.com/video/05ehS6yi3GU/w-d-xo.html
इसे देखिये गंभीरता से
@@satyakedarshan इसे पढ़िए गंभीरता से किंतु श्लेष अलंकार पहले पढ़िए।
प्रभु भल कीन्ह मोहि सिख दीन्हीं।
मरजादा पुनि तुम्हरी कीन्हीं॥
ढोल गंवार सूद्र पसु नारी।
सकल ताड़ना के अधिकारी॥ अवधि भाषा
अर्थात
प्रभु ने अच्छा किया जो मुझे शिक्षा दी (दंड दिया), किंतु मर्यादा (जीवों का स्वभाव) भी आपकी ही बनाई हुई है। ढोल, गंवार, शूद्र, पशु और स्त्री ये सभी उद्धार/उत्थान (Absolution/Liberation/Deliverance) के अधिकारी हैं।
इस चौपाई का full from
ढोल ताड़ना के अधिकारी।
ग्वार ताड़ना के अधिकारी।
शूद्र ताड़ना के अधिकारी।
पशु ताड़ना के अधिकारी।
नारी ताड़ना के अधिकारी।।
ताड़ना अवधि भाषा है जिसका हिंदी अर्थ तारना होगा, तारना का हिंदी अर्थ उद्धार/उत्थान होगा(पार लगाना, ऐसा काम करना जिससे किसी का भला हो, सद्गति देना) l
जैसे आजकल नारी सशक्तिकरण होता है।
सूद्र अवधि भाषा में लिखा है जिसका हिन्दी शूद्र होगा।
ताड़ना अवधि भाषा है जिसका हिंदी तारना होगा।
Remember यहां श्लेष अलंकार है।
जब किसी शब्द का प्रयोग एक बार ही किया जाता है पर उसके एक से अधिक संदर्भ में अर्थ होते हैं उसे श्लेष अलंकार कहते है।
श्लेष अलंकार
उदाहरण 1
सुबरन को खोजत फिरत,
कवि, व्यभिचारी, चोर।
Full From l पूरा
सुबरन को खोजत फिरत कवि
सुबरन को खोजत फिरत व्यभिचारी(बलात्कारी)
👉👉सिर्फ समझने के लिए ताड़ना (तारना)
सुबरन को खोजत फिरत चोर ।।
अर्थ
यहाँ सुबरन का प्रयोग एक बार किया गया है, किन्तु पंक्ति में सुबरन शब्द के तीन अर्थ हैं; कवि के सन्दर्भ में सुबरन का अर्थ अच्छे शब्द, व्यभिचारी के सन्दर्भ में सुबरन अर्थ सुन्दर स्त्री/पुरुष, चोर के सन्दर्भ में सुबरन का अर्थ धन/सोना है।
उदाहरण 2
पानी गये न ऊबरैँ,
मोती मानुष चून।।
इस चौपाई का Full From
पानी गये न उबारै मोती।
पानी गये न उबारै मानुष।
पानी गये न उबारै चून।
अर्थ
यहाँ पानी का प्रयोग एक बार किया गया है, किन्तु इस पंक्ति में पानी शब्द के तीन अर्थ हैं; मोती के सन्दर्भ में पानी का अर्थ चमक या कान्ति, मनुष्य के सन्दर्भ में पानी का अर्थ इज्जत (सम्मान), चूने के सन्दर्भ में पानी का अर्थ साधारण पानी(जल) है।
ठीक ईसी प्रकार यह चौपाई है।
1 ढोल के संदर्भ में उसे ठीक रस्सी कसना या बजाकर देखना की रस्सी ठीक से बंधी है क्या ?
2 ग्वार के संदर्भ में शिक्षा देना तभी उसका उद्धार/उत्थान होगा।
3 शूद्र के संदर्भ में उस समय समाज में शूद्र की हालत दयनीय स्थिति में थी दुखी, गरीब,अज्ञानी आदि इसलिए उनका उद्धार/उत्थान होना चाहिए।
4 पशु के संदर्भ में प्रशिक्षित/ट्रेनिंग करना जैसे बैल,घोड़ा आदि तभी बैल या घोड़ा ठीक मार्ग पर ले जा पायेगे।
5 स्त्री के संदर्भ में शिक्षा, सुरक्षा, सशक्तिकरण, आदि क्योंकि समय के साथ सभी उससे छीनते गए थे उसे सुरक्षित किया जा सके स्त्री की हालत गंभीर दयनीय स्थिति में थी इसलिए यहां कहा गया है की स्त्री ताड़ना/तारना के अधिकारी।
ताड़ना अवधि भाषा है जिसका हिंदी अर्थ तारना होगा जिसका अर्थ उद्धार/उत्थान करना होता है।
उदाहरण जैसे आजकल नारी सशक्तिकरण आदि।
जय श्री राम । 🚩🚩🚩🚩🚩🚩
श्लेष अलंकार है इसलिए ढोल के संदर्भ में अर्थ बदल जाता है।
जैसे उदाहरण 👇
सुबरन को खोजत फिरत ।
कवि, व्यभिचारी,चोर।।
इसको ऐसे पड़ना चाहिए 👇
सुबरन को खोजत फिरत कवि (Lyrics आदि)
सुबरन को खोजत फिरत व्यभिचारी(बलात्कारी)
सुबरन को खोजत फिरत चोर।
अर्थात
इसमें कवि के संदर्भ में अच्छे शब्द तभी तो कवि कविता और गीत/Songs लिख पायेगा।
इसमें व्यभिचारी के संदर्भ में स्त्री/पुरुष
इसमें चोर के संदर्भ में धन/सोना/स्वर्ण/
Money
कहा गया है ठीक उसी प्रकार 👇
प्रभु भल किन्ही सिख दिन्ही.......
ढोल गंवार सूद्र पसु नारी।
सकल ताड़ना के अधिकारी।। अवधि भाषा
पूरी चौपाई इस तरह पढ़ना चाहिए
ढोल ताड़ना के अधिकारी।
गवार ताड़ना के अधिकारी।
सूद्र ताड़ना के अधिकारी।
पसू ताड़ना के अधिकारी।
नारी ताड़ना के अधिकारी।
ताड़ना अवधि भाषा है जिसका हिन्दी तारना होगा उसका अर्थ उद्धार/उत्थान करना होगा।
जैसे
सूद्र अवधि भाषा है जिसका हिंदी शूद्र होगा।
अर्थात
ढोल के संदर्भ में ठीक से रस्सी कसना आदि।
तभी ढोल में से ठीक आवाज आयेगी। उसी को ढोल का उद्धार/उत्थान कहेंगे।
रस्सी ठीक नहीं बंधी होगी तो ढोल फट जायेगा और ढोल अनुपयोगी हो जाएगा फिर उसे बजा नही पायेंगे तो ढोल का सत्यानाश हो जाएगा इसलिए ढोल को ठीक रखने के लिए या उद्धार के लिए उसकी रस्सी ठीक से बांधना चाहिए।
गंवार के संदर्भ में शिक्षा देना तभी समाज में उसका उद्धार/उत्यान होगा ।
ठीक उसी प्रकार जैसे आजकल नारी (स्त्री) सशक्तिकरण होता है । इसलिए यहां चौपाई में सिर्फ़ नारी (स्त्री) और शूद्र नाम लिया गया है। क्योंकि बाकी वर्ण ब्राह्मण, क्षत्रिय,वैश्य को उद्धार/उत्थान की जरूरत नहीं थी।
और पुरुष को भी उद्धार/उत्थान की जरूरत नहीं थी।
रामचरित मानस में समुद्रदेव कह रहे हैं जैसे आपने (श्रीराम) मुझे शिक्षा दी जिससे मेरा उद्धार/उत्थान हुआ वैसे ही नारी (स्त्री) और शूद्र का होना चाहिए यह भी उद्धार/उत्थान के अधिकारी है।
इस चौपाई में ताड़ना अवधि भाषा है जिसका हिंदी तारना होगा उसका अर्थ उद्धार/उत्थान होगा।
इस चौपाई में श्लेष अलंकार है
श्लेष अलंकार में एक शब्द को एक से अधिक अर्थ के संदर्भ में कहा जाता है उसे श्लेष अलंकार कहते हैं।
👉Google पर सर्च करो श्लेष अलंकार।
@@satyakedarshan गीता प्रेस गोरखपुर ने रामचरितमानस का सिर्फ अधूरा अर्थ किया है और गलत अर्थ किया है ।
दोनो दंड और शिक्षा अर्थ गलत है।
इस चौपाई में ताड़ना अवधि भाषा है जिसका हिंदी तारना होगा उसका अर्थ उद्धार/उत्थान करना होगा।
जैसे आजकल स्त्री सशक्तिकरण होता है उसे ही उद्धार/उत्थान कहते हैं।
जैसे भीमराव अंबेडकर ने शूद्र के उद्धार/उत्थान का काम किया था।
तुलसीदास जी उसी को चौपाई में कह रहे हैं सभी उद्धार/उत्थान के अधिकारी है किन्तु स्त्री और शूद्र का उद्धार/उत्थान जरूर होना चाहिए।
जय श्री राम । 🚩🚩
@@RahulSanatanDharma th-cam.com/video/rUkywxGWzLQ/w-d-xo.html
इसे गंभीरता से सुनो जी
Jab dhol aur pashu aaya tab hi saaf ho gaya ki ye kya tadan hai? Dhol ko sirf bajaya jaata hai aur pashu koi bhi ho bail ghoda gadha unse shram lene k samay maara hi jata rehta hai? Ab dhol ko kaun taadta hai?? Aur jo pashu ko taade unki mansik ilaaz zaroori hai..
Sir me apki knowledge se jada apki baat karne ke tarike ka fan hu
Aap har chiz ko inte mitte tarike se bolte hai , ki criticize karna bhi aacha lagne lagta hai
Koi kisi ki baat tabhi sunta hai jab uski bhasha me shalinta ho
Bahut badiya
Sir jera ramayan pe bhi koi series banao
Jisme aap ramayan ki kamiyo ko bataye
सर हमारे गाँव केलोग सोचने तक का भी काम नहीं करना चाहता बस जो होता है वो भगवान ने छठी के दिन सबका किशमत लिख रखा है इसके अलावा कुछ नही जानता पर धर्म का ठेका ले रखा है इसे किया कहा जाए👍👍👍👍👍👍👍1नाशतिक बिहारी मानवता जिंदावाद
Pehle mujhe laga ki aap bhi leepa pothi karke ise sahi sabit karenge
But I liked the term APRAASANGIK
🙏🙏👍👍👍👍😂😂😂😂
बीमारी उजागर हुई है ,दूरी बनाने से,ऑपरेशन व इलाज से जड़ से खत्म होगी।
स्वामी जी को प्रणाम।
स्वामी जी ने स्पष्ट कर दिया कि तुलसीदास ने अपने मन से मनगढ़न्त बाते भी रामायण में जोड़ दी।
ऐसा सुनने में आता है कि वाल्मिकी जी ने जो रामायण लिखी थी उस रामायण में केवल 4000 श्लोक एंव 6 काण्ड ही शामिल थे।
लेकिन तुलसीदास ने रामायण में 24000 श्लोक लिख दिये तथा 7 काण्ड लिखे है।
स्पष्ट है की 20000 श्लोक तुलसीदास जी ने मनगढ़न्त लिखे है तथा 7 वा काण्ड उत्तरकाण्ड भी मनगढ़न्त लिखा है।
यह हकीकत है की जो श्लोक या काण्ड बाद में जोड़े गये है इसका उद्देश्य क्षत्रियो को एंव शुद्रो को नीचा दिखाना है।
इन धार्मिक ग्रन्थो का सहारा लेकर क्षत्रिय एंव शुद्रो के मध्य जहर घोलने का कार्य किया जा रहा है।
सभी को मिलकर इस प्रकार के पाखण्ड का विरोध करना चाहिये।
स्वामी जी का बहुत बहुत आभार।
स्वामी जी एक और उदाहरण रामचरितमानस में है रावण की मृत्यु हो जाती है तो मंदोदरी विलाप करती हैं गोस्वामी तुलसीदास ने लिखा है -"उर ताड़ना करहिं विधि नाना।" अर्थात वह अनेक प्रकार से छाती पीट ती है यहां पर भी ताड़ना का अर्थ पीटना है
एक शब्द के अनेक अर्थ भी होते हैं।
ढोलक ताड़ना मतलब ढोलक को मार मार के फोड़ देना तो नहीं होता
Aap Saty kh rhe h
2 kand Tulsidas n likhe
Log addyan nhi karte Bahas karte h
Wah re kalidas ki naatiyo👌🤣🤣
महाराज जी, भारत में एक तरफ शुद्ध सात्विक-शाकाहारी भोजन करने वाली जातियां हैं, वहीं दूसरी ओर मांसाहारी भोजन करने वाली जातियां हैं । तो एक कैसे हो सकते हैं ???????
हमारे देश में कोई शुद्ध शाकाहारी नहीं है जी कश्मीर बंगाली, नेपाली असमी तांत्रिक ब्राह्मण मांसाहारी होते हैं जी देश में क्षत्रिय लोग सभी जगह मांसाहारी है obc sc st की अधिकतर जातियाँ मांसाहारी है जी! जो लोग प्रत्यक्ष मांस नहीं खाते वे अप्रत्यक्ष रूप से गोली दवाई के रूप में खाते हैं जी! जब हिंदू लड़कियाँ मुस्लिमों से प्रेम विवाह करती है फिर जमकर मांसाहार करती है चाहे यहाँ अंडे का नाम सुनकर भी नाक भौं सिकोड़ने लगती हो जी!
अंतर्जातीय विवाह का मतलब यह नहीं है कि हर किसी को लड़की दे दो या ले लो जी मूल प्रश्न है जाति वर्ण को खत्म करके अपने स्टैंडर के लोगों को समधी ( सम= समान, धी= बुद्धि, समान बौद्धिक स्तर या शिक्षा) समाधन( सम= बराबर, धन = आर्थिक स्टैंडर)
जैसे आपने देखा होगा जब कोई काला व्यक्ति या बदसूरत व्यक्ति भी धनवान या बड़ा अधिकारी होता है तो उसको भी लोग अपनी गौरी सुंदर लड़की दे देते हैं!
हमारे यहाँ समान रंग रूप नस्ल समान बौद्धिक आर्थिक स्तर और समान विचार धारा ( आर्यसमाज संघी, मार्क्स वादी, कबीर पंथी अंबेडकर वादी नास्तिक) भी जाति वर्ण भेद के कारण आपस में रिश्तेदार नहीं बन सकते हैं जी क्योंकि वे केवल जुबानी क्रांतिकारी होते हैं जी!!!!
जैसे गाँवों गांवों में एक रिवाज है दूसरी जाति की लड़की लड़के को भाई या बहन बनाना, फिर उनमें भाईचारा बड़ जाता है एक दूसरे के सुख दुख में काम आते हैं! वैसे ही सब हो जाएगा जी
न फिर आनर किलिंग होगा, न किसी प्रेमी जोड़े को घर से भागने की जरूरत होगी न जातीय द्वेष बचेगा जी!!!
@@satyakedarshan महाराज जी, जैन और महाजनों में लड़कियों की कमी के कारण यह दोनों समाज अन्य समाज ( OBC , SC,ST ) समाज की लड़कियों से विवाह करते हैं , लेकिन यह अधिकांश लड़कियां कुछ दिन ही ठहरती है । भाग जाती हैं, धोखाधड़ी करती हैं। इनमें कुछ ही रिश्ते सफल होते हैं !!!!
मैं प्रेम विवाह का समर्थक हूँ सौदेबाजी का नहीं जी!!!
सौदेबाजी में तो हर जगह झगड़े होते हैं एक जाति में होने वाली शादियों में भी दहेज अनमेल विवाह तलाक घरेलू हिंसा होती है!!! कई जातियों में लड़के कम पढ़े लिखे हैं, लड़कियों की कमी दहेज की समस्या है जी, सब समस्याओं का एक समाधान है अंतर्जातीय या स्वजतीय प्रेम विवाह न दहेज का लफड़ा न लड़का लड़की ढूँढने का झंझट न शादी में फिजूल खर्ची जी! जिंदगी छोटी सी है उसे भी यदि हम ऊँच नीच के झगड़ों में बिता देंगे तो ऐसी जिंदगी और ऐसी विचार धारा को धिक्कार है जी!!!
@@satyakedarshan प्रेम विवाह टीना डाबी ने भी तो किया था ????
@Đ_K GAMER हर प्रकार के विवाह में कोई न कोई प्रोब्लम है जी, अपनी जाति में विवाह करते हैं क्या उनमें लड़ाई झगड़े तलाक नहीं होते हैं जी, मुसलमानों और हमारे कल्चर में जमीन आसमान का अंतर है जी! जब हमारी लड़कियाँ उनसे प्रेम और विवाह करने को तैयार है गाय भैंस खाने को तैयार है फिर हिंदुओं को आपस में अपने स्तर के हिंदुओं से प्रेम और विवाह करने में क्या प्रोब्लम है जी !!!
Yah sadhana ki bat hai sadhak ko bhavsagar par karne ke liye ---apane manushy sharir( dhol )me bathe gavar (mon )tin gun rajogun tamogun satogun (Manushy ke bhitar byapt ye tin gun shuddra hai) pashunari arthat pashuvat indri Kam krodh lobh moh ahankar in sabhi ko marana jaruri hai ( jab Tak sadhak in sabhi ko mar nahi leta vah bhavsagar par nahi kar sakta hai bhawsagar jite ji hi par Kiya ja sakata hai mrityoparant nahi) yahi sadhak ka markar jina jikar marana haip
Hamare dram se dukan chalane wale sankaracharay ne bodhisit ko niuttar kiya
Ye sare hme pagal bnate hai.... God ke naam pe dhanda karte hai....
पहले तो तुम हिंदी पढ़ना सीखो, अगर चौपाई पढ़ ही नही सकते तो उसका अर्थ क्या निकलोगे। अगर आप शुद्र शब्द का अर्थ बता दो तो मान लेंगे। फ्री की पढ़ाई, फ्री की किताब, फ्री की डिग्री, फ्री की नौकरी ,फ्री का पैसा तो आरक्षण से मिल सकता है किंतु मेरे दोस्त बुद्धि और ज्ञान तो मेहनत और लगन से अध्ययन के बाद ही मिलता है वह आरक्षण से नहीं मिलता। जय भीम कहने से भीम नही बन पाओगे उनकी तरह मेहनत से अध्ययन करके ज्ञान मिल सकता है। फ्री में तो कचरा ही मिलता है और वही कचरा ज्ञान इन ज्ञानी महोदय का है, लोगो में जातिवाद को बढ़ावा देकर वैमनस्यता फैलाना इन ज्ञानी जी का उद्देश्य दिखता है।
आरक्षण का लाभ तो हजारों साल से ब्राह्मण और क्षत्रिय 100% का लाभ ले रहा था शिक्षा में ब्राह्मण और अस्त्र शास्त्र में छतरी और व्यापार में वैश्य और बाकी सब इनके से सेवक और गुलाम धर्म के और भगवान के नाम पर बनाए गए फिर भी यह लोग देश की रक्षा नहीं कर पाए भारत देश सोने की चिड़िया कहलाता था और विश्व गुरु कहलाता था अब क्या बचा है जो बचा उसको भी खाने में लगे हो
@@umeshbharty8957 vishv guru tab tha jab yaha buddh the
Us samay jate Partha nhi tha agar jate Partha tha bhe Ye mahapurush jate k jahar phila rhi hai arth k anarth kr rha hai ram bhadracharay se Jane
दर्शन से अपील है कि रामायण और रामचरितमानस पर इस वीदियो में भ्रम और गलत जानकारी दी गई है आप से अनुरोध है कि सही रामायण की किताब पढ़े
मान्यवर आप विद्वान दिखाई पड़ रहे हैं किसी ग्रंथ को बार बार पढ़ा जाए तो उसका भाव वह ग्रंथि ही बता सकता है प्रयत्न जारी रखे
Apko Kuchh Samaz Nhi Aaya
Ram ko me nhi jnta
समुंद्र नहीं बोला करता। वह एक ब्राह्मण था जिस ने श्री राम से पूछा कि गंवार, शूद्र और नारी जो ढीट हों तो उनसे कैसे पेश आना चाहिए तो उन्हों ने कहा कि जिस प्रकार ढोल और पशु को डंडे से पीटा जाता है
पक्षिय मानसिकता के साथ लिखा गया है
वैसे यहां अकबर के समय में मिलावट की गई सही चौपाई है
ढोल गंवार क्षुब्ध पशु रारी। यह सब ताड़न के अधिकारी।
Accha Akbar ki samay Mai milvat ho raho thi Tum Hindu dhram ki log chai pe rahe the Kya matalb Kuch bhi
नौटंकी बंद करो। अपना काम देखो। किसी की व्याख्या या टिप्पणी करना बंद करो। तूम्हारी टिप्पणी की वंचित वर्ग को जरूरत नहीं है।
ढोल को क्या शिक्षा दोगे भाई ? ताड़ना का अर्थ है देखना या नजर रखना। तो इन पांचों पर नजर रखनी होती है । यही बात कही गई है इस चौपाई