"ढोल गवाँर सूद्र पसु नारी" चौपाई का सही अर्थ? आचार्य अंकित प्रभाकर
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- เผยแพร่เมื่อ 6 ต.ค. 2024
- प्रभु भल कीन्ह मोहि सिख दीन्हीं। मरजादा पुनि तुम्हरी कीन्हीं॥
ढोल गवाँर सूद्र पसु नारी। सकल ताड़ना के अधिकारी॥3॥
भावार्थ:-प्रभु ने अच्छा किया जो मुझे शिक्षा (दंड) दी, किंतु मर्यादा (जीवों का स्वभाव) भी आपकी ही बनाई हुई है। ढोल, गँवार, शूद्र, पशु और स्त्री- ये सब शिक्षा के अधिकारी हैं॥3||
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बहुत सही व्याख्यान आपने किया बिल्कुल सत्य बात❤
आपने ताड़ना का सही अर्थ तर्कसंगत ढंग से अवगत कराया है आपने ढोंगी लोगो का पोल खोल कर लोगों को सही जागरूक करने का काम किया है लोगों को अंधेरे से प्रकाश मे ले जाने का बहुत अच्छा काम किया कोटि कोटि आभार के साथ धन्यवाद
😮
नीच वे सब हें जो मर्यादा का पालन नहीं करते चाहे किसी भी जाति का हो.
Samaj de dekha jata ki brahman rajputra ke alawa sab nich h.bhed vav ka shabad h
ऐक महान सत्य शोधक भारत के गर्व स्वामी दयानंद का उपहार, बहुत ही सराहनीय
🎉अती उत्तम बाते बतादिहै आप महानुभाव ने हम आपके ऋणी रहेंगे
गुजरात से वल्लभ भाई
आपने सही बताया तराना का अर्थ पीटना है बहुजन समाज के विरोध को देखते हुए अलग अलग अर्थ बताकर जनता को गुमराह करते है
आपने नारी के सम्बन्ध में:-तुलसी दास के विवादित चौपाई के संदर्भ में आपकी ब्याख्या एक सराहनीय प्रयास है।
प्रणाम आचार्य जी मुझे लगता है कि यह सटीक विश्लेषण है। हो सकता है उस समय यही प्रचलित हो. ॐ नमः शिवाय 🙏
Parnam..sir.aap..ke..bichar..se.sahamat.hun.nalanda❤❤
बहुत ही अच्छा है भाई आप सही कह रहे है ताड़ना मतलब देखना ही होता है हर हर महादेव जय श्री राम 🚩🚩🚩
नमस्ते जी 🙏 सम्पूर्ण सत्य वैदिक विचारधारा पर आधारित सन्देश उत्तम विचार प्रस्तुति
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति और समझाया आपने श्रीमान जी।❤
आपने चौपाई का बिल्कुल सही अर्थ निकाला है 🙏 ताड़ना का अर्थ पीटना ही होता है
गंवार को पीटने से सही हो जायेगा
Sir kya tulasi Das ji padhe likhe the ?
मन बुद्धि
Seekh dena ye arath hai 🕉️🙏🕉️
Parkhna bhi ho sakta hai 🕉️🙏🕉️
ज़यश्रीराम सही बात करने के लिए
नारी भारतीय समाज की महत्वपूर्ण अंग हैं
सुसंस्कृत मॉ ही अपने वच्चो को अच्छे नागरिक वनाने के लिए तैयार कर सकती है नारी का वचपन में पिता जवानी में पती
वृद्धावस्था में पुत्र असामाजिक तत्व से
ध्यान रखता है
बिलकुल सही कहा आपने श्रीमान जी
सनातनी हिन्दू जिस दिन सत्य स्वीकार करना सीख लेंगे और पूर्वाग्रह त्यागकर अध्ययन या अध्यापन करने लगेंगे, उसी दिन से सभी सनातनी एकजुट होने लगेंगे। धन्यवाद आपका इस दिव्य प्रस्तुति के लिए ।
Aap sahi hai kyo ki 1500 me nari aur sudra Inka yahi hal tha enko siksha lagu nahi thi
Yah chaupaie sarasar galat hai aur aap apna ulloo Sudha Kar Rahe hai
Yah chaupaie isliye galat hai kyoki sare shudra aur sari nariya ek Saman Nahi Hoti hai ratha sab ke sab Brahman Kshatriya vaisy jati ek Saman Nahi Hoti hai kya ve log shiksha Tanana aur dekhana ke adhikari Nahi hai? Yah chaupaie dalit shudra nari virodhi hai
Tadna ka mtlb smj kar atend karna h ye toh arya smaj murti pooja ko nahi maanta ush trust ka aadmi h ye chopai ka glut arth bta raha h
Ravan ki death per jo chopai h mandodri ur tadna krahi vidi nana, ish arya smaj ke aadmi ne kaha , ur tadna mtlb sina pitne lagi, ye gult btaya h, sahi ye h mandodri dil ko kai trh se smj rahi h ur tadna mtlb sina pitna nahi hota, ur tadna mtlb dil ko smjana hota h
कनक कनक ते सौ गुनी , मादकता अधिकायी ,व पाये बौराए नर , व खाये बौराए , सभी कहें गये प्रकरण में अलग अलग अर्थ होगा , । सूर् सूर्य तुलसी शशि उदगन केशव दास , अबके कवि खगोत सम ,जहां तह करत प्रकाश ।
देखना शब्द का प्रकरण से कोई संबंध नही, सही अर्थ डाटना उपेक्षा करना, धमकाना, वश मे रखना , पिटना , ये अर्थ ही निकलते है, अब तुलसीदास को विवाद से बचाने के लिये पुरे समर्थक सफाई दे रहे है,
Tadna ka ek hi Arth hai pitna
@@sachinpatel9110कैसे कह सकते हो हिंदी में एक शब्द के अनेक अर्थ होते है पढ़े हो कभी
Thank you sir for meaning ofTadna
Acharya ji, aapka kathan satya hai tadna ka arth peetna hi hai lekin wah dust logon ke liye hai chahe wah purush ho chahe woh naree jaise manthra.
Highly balanced interpretation.
Bhagwa shud b educated properly
JAI SRI RAM. VERY NICE ANALYSIS. THANKS PANDIT JI.BAHUT BAHUT PRANAM.
Thoda akhar Gyan hokar gyni ho gya
Usi chopyai ma arth nihita hai
आपके के द्वारा किए गए व्याख्या निश्चित रूप से सही अर्थ का अनर्थ प्रस्तुत करती है ।जो हिन्दी शब्दों को विकृत करते हैं ।
महानुभाव आप निर्जीव(समुद्र) चीज को बोलते हुए देखा है क्या ?
"ताड़ना" शब्द अवधी भाषा मे देखने,निगरानी रखने,समझने। आदि के अर्थ मे भी प्रयुक्त होता है।किन्तु आपने उक्त चौपाई मे आपने इसका अर्थ "पीटना"प्रतिपादित किया है। तुलसी दास जी अपनी पत्नी को बहुत प्रेम करते थेऔर प्रभु श्री राम के प्रति उनकी भक्ति पत्नीकी प्रताड़ना(सीख,सुझाव)सेही प्राप्त हुई थी।ऐसे मे नारी को पीटने का उनके मन मे भाव लाना अन्याय है।वैसे भी वे प्रभु श्री राम की कृपा से ही इस अमुल्य ग्रंथ की रचना कर सके हैं ।ऐसे
मे पीटने जैसे अशिष्ट शब्द का भाव उनके मन मे नारी आदि के लिए आही नही सकता।।
उक्त चौपाई समुद्र द्वारा प्रभू प्रार्थना मे कही
गयी हैजिसमे "ताड़ना"शब्द ढोल से आवाज केलिए "थाप",देने व गवार ,छुद्र बुद्धि, और पशु के लिए ठीक ढंग स कार्य करने व मर्यादा बनाए रखने हेतु प्रताडि़त(डाटने) तथा नारी के लिए मर्यादा मे रहने हेतु उसपर निगाह रखने के भाव मे प्रयुक्त हुआ है।
वैसे भी मानस मे यह भी कहा गया है "जाकी रही भावना जैसी,प्रभु मूरत देखी तिन तैसी"।
अतः चौपाई का अपनी बुद्धि और इच्छानुसार
लोग अर्थ लगाते है।
AAjkal aise ponga pandit bahut baithe hai gali gali main . in sabko ek he dharam milta hai hindu dharam aur kisi dharam main kabi bolenge nahi , kyunki inko pata wahan per pichwade main laat padegi.
आपका जवाब बिल्कुल सही है
तात्कालिक शब्द ताड़ना का अर्थ आज कोई भी इसकी व्याख्या नहीं कर सकता I उस समय मनुष्य विद्वान थे I इसलिए अच्छी शिक्षा ग्रहण करें I
jantajnardn
चौबे जी मैं आपके विचारों से सहमत हूँ, लेकिन प्रभाकर जी के व्यख्या से नहीं
आपका ज्ञान अति उत्तम है|
बहुत ही सरल और सुंदर तरिके से आप ने इस चौपाई का अर्थ समझा है
बहुत पहले समाज में ऊंच नीच का भेद था आज के समय में कुछ कम भेदभाव होता है मैं सभी मानव जाति से निवेदन करता हूं कि मानव जाति को मानव रूप में होना चाहिए
Ypo
You are totally worand
संविधान के कारण जातिवाद नहीं खत्म हो सकता
आचार्य जी जिस जिस चौपाई का विरोध होने लगा है तो उसे हटवाने में क्या बुराई है
Tumhare hatbane se nhi hategi esa ho sakta he ki tum Sri Ram charitmanas pado mat or use mt kharido hatbane ki samarth aapki nhi he
हिन्दु धर्म । सनातन। या ब्राहमण धर्म मे वर्ण व्यवस्था है
यही सबसे बडा और कलंक है
यही कलंक इस व्यवस्था को नीच व अमानवीय बनाता है
इस व्यवस्था का शुद्र वर्ण वाला समाज इसे अस्वीकार करता है
वह बामन और भंगी समान मे विश्वास करता है
अगर हो सके तो ब्राहमणो को इस कलंक के लिए समस्त समाज से माफी मांग कर समता स्थापित करने मे पहल करनी चाहिए
Ríght 👍
@@radhaballabh516 gande nich ho gande aur nich hi rahonge tulsidas ko hum fate pe rakhte chutiya gadha
बुराई तो तेरे में भी है तो तुझे भी हटा दें क्या
बहुत बहुत सुन्दर प्रस्तुति दी आप ने जारी रखें जय हो आचार्य श्री अंकित प्रभाकर जी आप को कोटि कोटि प्रणाम नमन करते हैं इतनी अच्छी तरह से समझाया लेकिन शायद कुछ मित्रो को अभी भी वाख्यां समझा में नहीं आया सत्या ki हमेशा जीत होती हैं
हिन्दु धर्म । सनातन। या ब्राहमण धर्म मे वर्ण व्यवस्था है
यही सबसे बडा और कलंक है
यही कलंक इस व्यवस्था को नीच व अमानवीय बनाता है
इस व्यवस्था का शुद्र वर्ण वाला समाज इसे अस्वीकार करता है
वह बामन और भंगी समान मे विश्वास करता है
अगर हो सके तो ब्राहमणो को इस कलंक के लिए समस्त समाज से माफी मांग कर समता स्थापित करने मे पहल करनी चाहिए
ओम आचार्य श्री
Bahut baht sukriya Acharya ji
बहुत अच्छा कहा यह क्रम जारी रहना चाहिए।
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ढोल से लेकर नारी तक चौपाई तुलसी दास जी कारेकट लिखा है,जैसा सोच वैसा विचार,,
किसी के लिखने या न लिखने से, नारियों का सम्मान होगा कि नहीं होगा,
नारियों का सम्मान तो सदैव सर्वोपरि है
Bahut sunder
अब भक्ति युग आएगा सत्य वचन मोदी सरकार में छोटे छोटे आने वाले बच्चों का भविष्य बनेगा जय महाकाल सबकी बिगड़ी बनेगी सत्य वचन सूर्य भगवान
ढोल गमार् पड़े पुजारी तुलसी दास सब है तडन के अधिकारी जय भीम जय भारत
BHIMTA SAFA ROG DAFA
जहां न पहुंचे रवि वहां पहुंचे कवि
स्त्री सदैव सम्मानीय है।
एक शब्द पुनि पुनि फिरे अर्थ और ही और सो यमक अलंकार है भेद अनेकन ठौर
वक्ता का अभिप्राय समझ कर निर्णय करना चाहिए - महर्षि दयानंद
आप की बात से ही मै आपकी योजना ताड़ गया था
Very nice explanation excellent thanks
आज से मैं सहमत हूं आपसे बहुत सुन्दर प्रस्तुति है नमस्कार है
आपने सिद्ध कर ही दिया ताडणा मतलब पिटना🙏🙏🙏🚩🚩
Nhi bhai aisa nhi h tarna k kai arth h sirf peetna nhi h hindi bhut ache se na hi ati ho to byakhya nhi krte
Ha magar yeh baat samudra na kahi thi or iske baat bhagwaan shri ram ji ne samudra pe bahut gussa kiya tha or ese vichaar rakhne waale ko sabse neech mana gaya
🎉🎉
ढोल ने सबकी पोल खोल दी। 😁 चलो इनको अधिकारी तो बनाया। नहीं तो इनके कोई अधिकार ही नहीं थे।
Tadna mtlb smj kar atend karna h
धरम गथं की बात कभी झूठ नहीं होती हमारे समझने की नजरेया अलग अलग है
अज्ञानियो सुनो इसकेहजार दलीले नही है समुदृ और भगवान श्रीराम केबीचजोयह चौपाई महषिऀतुलसी दासजी नेसहजभावसे समझायान०१ ढोल न०२गवारशूदॄऔऱन०३ पशुवतब्यवहार करने वालीनारी|जयश्रीराम|
Y
बहुत ही सुंदर गुरुजी मै शिव निषाद😢
जाकी रही भावना जैसी प्रभु मूर्ति देखी तिन तैसी। उसी प्रकार जिसकी जैसी भावना होती है उसी प्रकार का अर्थ लगाता है। हर वस्तु व्यक्ति के साथ ताड़ना का अलग अलग अर्थ हो सकता है जैसे कनक कनक ते सौ गुनी मादकता अधिकाय, वा पाए बौराय जग वा खाए बौराये।
अपने मत के अनुसार सब समझते हैं।
हर हर महादेव
हम इस तर्क से सहमत नहीं हैं कयोंकि अगर आप "ढोल गँवार शूद्र पशु नारी, सकल ताड़ना के अधिकारी" के लिये यह तर्क " जाकी रही भावना जैसी प्रभु मूर्त देखी तिन तैसी" दे रहे हैं तो फ़िर शूद्रो और महिलाओ को मनुस्मृति में शिक्षा से वंचित रखने का प्रावधान क्यों रखा गया है l समझ में न आया हो तो कभी मिलकर विचार विमर्श कर लिजियेगा l
अनर्थ कर रहे महोदय।
जिस की रही भावना जैसी,,,,
Sahi hai jaishri bhana jaki tin murart dekhi tainshi
Ab bhi dimag chl rha h kya
रामचरितमानस या तुलसीदास जी पर पीएचडी करने से अच्छा है कि खुद पर कम से कम इंटर तो जरूर कर लिया जाए। जाकी रही भावना जैसी प्रभु मूरत देखी तिन तैसी
्
@@vijujatwa4951 y 4th
वस्तुत:, कोई कुछ भी कह ले, लेकिन 'ताड़न'शब्द का अर्थ प्रसंगवश 'पीटना' ही होगा।हर साहित्य अपने समाज का दर्पण होता है।समय और सामाजिक तथा देश-काल की परिस्थितियों के अनुसार ही कोई साहित्यकार अपनी कृति की रचना करता है।
कभी नही हो सकता पीटना
ताड़ना मतलब। नजर रखना किसी चीज को ताड़ते रहो कोई उठा का न ले जाए। तादना मतलब ध्यान रखना जैसे कहते है न। देखो कैसा ताड़ रहा है मेरे भाई महान लोगो की बाते कभी गलत नही होती हम उधर तक सोच भी नही सकते
कभी नही हो सकता। ताड्ना मतलब चुपके छुपके छुपके देखते रहना ध्यान रखना दूर से किसी की परबाह करना। जैसे हम अपने बच्चों को दूर से ताड़ते है की बो अपने दोस्तों के साथ कोई गलत हरकत तो नही कर रहा समझ गये होगे चुप चाप नज़र रखो दूर से ताड्ते रहो
🙏🙏आपने बिल्कुल ठीकं-ठीक अर्थ किया है। 🙏🙏
Very good, than Q , Mahima Alekha Bramha
सादर नमन! बहुत सुन्दर व्याख्या! प्रशंसनीय!
बहुत ही अच्छा व्याख्या किया है भैया आपने👍
श्री मान सही तर्क होना अति आवश्यक है कि इस आधुनिक युग में भी मनुष्य जाति की सोच सर्वोच्च कोटी की नही हो पाई है वास्तविकता तो यह है कि मनुष्य जाति मे पुरूष किसी भी महिला चाहिये वह किसी भी देश के किसी भी कोने से हो, संबंध बनाए तो मनुष्य ही पैदा होगा कोई हाथी, घोड़ा इत्यादि जानवर नहीं। किन्तु मनुष्य जीवन भर समाज के द्वारा थोपे गए झुठा नियम कानून मे ही उलझ कर मर जाता है, एक इन्सान दुसरे इन्सान को इन्सान न समझे ये कैसी सोच कैसी भावना है। मुझे तो इस धरती पर सबसे विवेकहीन जानवर मनुष्य ही लगता है। जिस प्रकार हमे मोबाइल को समय-समय पर अपडेट करने की आवश्यकता होती है उसी तरह समय के साथ समाज को धर्म को भी समय के साथ अपडेट होने की अतिआवश्यकता है।
Absolutely right
लगता है तुम भी अपडेट हो गये हो😂मुंह से हंगना और नीचे से खाना शुरू😂
आचार्य जी आपको साधुवाद। आप ने ठीक कहा है स्वामी दयानन्द सरस्वती ने स्पष्ट कहा है कि सत्य को स्वीकार करने व असत्य अस्वीकार के लिए तत्पर रहना चाहिए। यह चौपाई समकालीन तर्क संगत नहीं है।
Very good sir
आचार्य जी आपको बहुत-बहुत धन्यवाद धनुष बाण से समुंदर सूख जाते तो यह इतनी क्यों आवश्यकता पड़ती भारत में समुद्र भी बोलता है पक्षी भी बोलते हैं पशु भी बोलते हैं लेकिन विदेशों में ऐसा क्यों नहीं क्यों नहीं बोलती आचार्य जी यह तो सब झूठ का पुलिंदा है
Very good ,,,,coment
Naushad Husain
Andho ke liye duniya andhi
तुम जैसे बेवकूफ को यह समझना चाहिये की किस काल खंड या युग की बात है तुम्हे क्या पता सब में जीव है इसीलिए तो भीम राव ने st, sc बनाया ताकि तुम्हारी दिमाग यही तक सिमित रहे
Ramayan ek kalpanik granth hai
सत्य सनातन वैदिक धर्म कि जय 🚩🚩🚩🚩
महराज जी आप ने प्रकरण का संदर्भ देकर सारा भ्रम दूर कर दिया ।
मानस के लिए गए नया अर्थ ताड़ना का अर्थ शिक्षा देना है ।
अतः अब शिक्षक को ताड़क
और शिक्षिका को ताड़का
और विद्यालय को तदनालय कहा जाएं।
नए अर्थ के अनुसार । जय हो गीता प्रेस।
Very good analyzer, Truth searcher ,Ahobhagya jo suni payable.
Nice
आचार्य जी और धर्म के ग्रन्थों पर भी प्रकाश डालिए, ।
Dhol ke pitna nhi bhi dori khichna . Dori khichne se hi dolak tn tn ki aawaj krta hai agr dori nhi khichoge to dholk ko pitne pr dhb dhb ki aawaj aati hai vhi dori tait kr do to. Aawaj surili ho jati hai kisi bhi kam ko krne ke liy vrkr pr tait sasn rkhna chahiye nhi to kam hi nhi hoga
well done, very well explained , True and relevant to current life . Women needs supervision ( under father , mother , brother , husband and son ) needs direction ( motherhood /seva to family ) , ramayan sikcha /vidya are necessary Om tat Sat
And what about son ? Is supervision not necessary for son ? .......wow what a logic bro ...hats off to you
हिन्दु धर्म । सनातन। या ब्राहमण धर्म मे वर्ण व्यवस्था है
यही सबसे बडा और कलंक है
यही कलंक इस व्यवस्था को नीच व अमानवीय बनाता है
इस व्यवस्था का शुद्र वर्ण वाला समाज इसे अस्वीकार करता है
वह बामन और भंगी समान मे विश्वास करता है
अगर हो सके तो ब्राहमणो को इस कलंक के लिए समस्त समाज से माफी मांग कर समता स्थापित करने मे पहल करनी चाहिए
Ankit prabhakar ji का व्याख्या निष्पक्ष है!
Bahut sundar hai nispaksh jabab hai bahut achchi soch hai bahut achchi shalinta se baat karte hai hum sabse pehle bharti hai aur bhart ko buddhimay banane ki aawsyakta hai
Naari also mean sea/ocean, water.
धन्यवाद आचार्य जी यही बात नेताओ को भी समझाओ तो ठीक है
भाई आप अपनी बातें ही सुना रहे हो क्या आपको मालूम है की अवधि भोजपुरी भाषा का कुछ भी ज्ञान है क्या,क्योंकि इन क्षेत्रीय भाषाओं में ताड़न का अर्थ देखना समझना परखना ही होताहै संस्कृत में मारना अनुशासन होता हैअपनी धर्म विरोधी आर्यसमाजी विचार धारा में संशोधन करें
चौबे जी छ्ब्ब बे बनने की कोशिश कर रहे हो उससे अच्छा प्रयास किया लगे रहो मुन्ना भाई देखो सुनो गौर से समझो बहुत अच्छी जानकारी दी भाई जी आप कहा से है
आपकी व्याख्या विचारनिय है, इस को कोई काट नही सकता, मै भी हिंदी का अध्यापक हू इन चोपाई को कई बार पढाया है, आपके संदर्भ
सटीक है, तुलसीदास को उनकी पत्नी ने फटकारा न होता तो ये ग्रंथ लिखं नही पाते
Bahut sahi kaha
महोदय एक शब्द के अनेकार्थ होते हैं
शुक्र मनाओ कि तुलसीदास जी इस समय नहीं हैं नहीं तो उन्हें संविधान के तहत जेल की हवा खानी पढ़ती
2:07 2:08
मेरे हिसाब से ताडना का अर्थ डाटने सेही है
बहुत सही कहा सर जी आपने
Bilkul Sahi vishleshan Jago nari
Tadna ka arth hai dhyaan se rakhna ya gour karna dhol ki rassi kasna shudr pashu nari ka dhyaan rakhna
Abe to sb ke liye kyon nhi liye shudr hi kyo
माना कि आप अच्छे वक्ता है इसका मतलब ये नहीं कि आप सब कुछ ठीक ठीक बोल रहे हैं नमस्कार
Ab bhi dimag laga pa rhe ho kya, jb pol khul gyi
पशु को भी शिक्षा देनी चाहिए यही समझा रहे हैं
सुदर्शन चौबे जी या तो आचार्यजी के व्याख्या को सुना नहीं या तो साझा नहीं या फिर पूर्वाग्रह से ग्रस्त हो। इसी को धर्मांधता कहते हैं और वर्तमान में एक विशेषण प्रचलित है "अंध भक्त"। आप के लिए यह विशेषण उपयुक्त है।
मैं इस पंक्ति से पूरी तरह संतुष्ट हूं,
आदिवासी हिन्दू नहीं हैं आदिवासीयों में धार्मिक ग्रंथो को न थोपें आदिवासीयों का धार्मिक परंम्परा संस्कृती रीति रिवाज पुजा पद्धति परब त्योहार प्राकृतिक है
😂उल्लूओ को प्रकाश में दिखना बंद हो जाता है😂
Jay bhim jay sambhidhan jay budhaya jay bigayan
Ek our baklol aa gya bhim chilate kuchh malum nhi h Lekin sambidhan yanha kaha se aa gya baklol
Achha laga
मान्यवर ढोल की तुलना नारी से पशु की तुलना नारी से की गई है इसे अनदेखी करके आगे न बड़े मानता हू बहुत बड़े ज्ञानी हो आर्य समाज और हिन्दू धर्म दोनों ही समाज में चरस बोये है
ॐ
Aapki puri vyakhya tathyapark abm satik hai. Main aapse puri tarah sahmat hun. Yahi satprasit sahi arth hai.
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मेरे प्रभु जी तरना का अर्थ है ना शिक्षा देना ना देखना ना पिटना ताड़ना का अर्थ है सिर्फ ताड़ना
गुड
Aap ko samjhane se samjh gai
Premanand ji ne bilkul shi .. Bhav btaya h... Ek shabd ke kai arth h yha... Shlesh
कबीर कहते हैं साधु ऐसा चाहिए जैसे सूप सुहाए सार सार को गहि रहे थोथा दिया उड़ाए
अच्छी अच्छी बातें ग्रहण करो जो न ठीक लगे उसे त्याग दो। कवि तुलसीदास जी ने जन मानस को आसान भाषा मे भगवान के बारे में जानने का अवसर दिया है ।
परमात्मा के बारे में बताया बिनु पद चलत सुनही बिनु काना, कर बिनु करम करिह बिधि नाना, आनन रहित सकल रस भोगी बिनु बानी बक्ता बड़ जोगी........🙏
Bahut sahi vyakhya aapane Kiya Jay Shri Ram
आचार्य जी नमस्ते
आपका समझाने का तरीका बहुत अच्छा है परंतु जो आप कह रहे है की नारी पशु और शूद्र का
जो व्यक्ति हो या
Bahut uttam!
आपके लिए शुभकामनाएं
आचार्य जी नमस्ते जी,
आपका विशलेषण उत्तम है ।
Ved Prakash Prajapati Aacharya ji apne Shi arth bataya dhanayavad
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