उत्तराखंड की अमर प्रेम गाथाएं भाग-2 (पांच कहानियां- गढ़वाली में) Uttarakhand ki amar prem gathayen
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- เผยแพร่เมื่อ 3 ต.ค. 2024
- घसेरी ने उत्तराखंड की प्रेम गाथाओं को एक सूत्र में पिरोने की कोशिश की है। इसके पहले अंक में हम आपको पांच कहानियां सुना चुके हैं। अब दूसरे अंक में सुनिए पांच अन्य कहानियां। उम्मीद है आपको यह वीडियो पसंद आएगा।
कहानियों का क्रम:
उत्तराखंड के इतिहास, संस्कृति, परंपराओं, खानपान, लोकभाषाओं से जुड़ा चैनल।
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आपको सादर प्रणाम श्रीमान आपकी आवाज में उत्तराखंड की संस्कृति की झलक सुनाई देती है...आपके महान योगदान को सलाम है ❤❤
आपका हार्दिक आभार।
बेहतरीन 🙏🏻
👍👍
Aapki aawaj me ye kahaniya sunne ka alg hi aanand H bhaiji❣️🙏😊
Sir apki awaj sunakar ganv ki yaad aati hai❤ beautiful
❤❤❤❤❤
Me apki sari video dekhta hu or like or share bhi karta hu mujhe apki videos bhut achi lagti hai
आपका तहेदिल से आभार गौेरव जी।
Jonsari me aaj bhi gajju malari ke gane bahut parchalit hai
मैं आप तक कहानी पहुंचाने की पुरी कोशिश करुंगा
अवश्य। इंतजार रहेगा।
सादर प्रणाम नमस्कार भैजी आपथे सपरिवार सहित हाथ जोड़िक प्रणाम करदु आज आपल बहुत दिन बाद सत्य उत्तराखंड कु अमर प्रेम गाथाएं कहानियां सुणांई बहुत पसंद आई भैजी हम रोज आपक कहानियां कु इंतजार करदों बहुत पसंद आंदी आपक बहुत बहुत धन्यवाद भैजी
आपका हार्दिक आभार संजय जी।
आपको मेरा बहुत बहुत dhanyabad aur❤ jugjug jiyo।😂
बहुत सुंदर
सादर प्रणाम भैजी जी आपका स्वास्थ्य ठीक है अब बहुत दिनों में आपका आज विडियो आया बहुत बहुत अच्छा लगा तहेदिल से धन्यवाद भैजी जी आपकी आवाज में कहानी सुनना बहुत अच्छा लगता है आप बहुत अच्छी तरह से कहानी सुनाते हैं ऐसे ही जल्दी जल्दी विडियो बनाया करिए किन्तु अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुए एक बार फिर से सहृदय धन्यवाद भैजी जी जय देव भूमि जय उत्तराखंड जय भारत 👍👍👌👌🙏🙏💐🌹💐🌹💐
प्रणाम। आपका हार्दिक आभार भुली।
बहुत सुन्दर भुलू 😍😍
Bahot din bad aapka video aaya hai
लेकिन वहां सड़क कि सुविधा नहीं होने के कारण वह लोकप्रिय नहीं हो सका
फिर भी वहां जो भी आता है वह उस जगह जरूर जाते हैं...
सर हमारे यहां भी खेट पवृत की तरह ही परियां रहती थी वे पुराने लोगों को शादी में बर्तन दिया करते थे लेकिन किसी गांव वालों ने वहां एक बार बिना धोए झूठे बर्तन रख दिए थे इसलिए वे वहां से विलुप्त हो गई थी.. ओर यहां डांड में पीर बाबाओ की टोली चलती थी .. ये history आज से लगभग 100 साल पहले की बात है ..
Sir me apse ek request karna chahta hu hamare utrakhand me jo pani me rehta hai jisko samena bolte hai kya app uske bare me bta sakte ho uske uper ek video banao please sir 🙏
जरूर प्रयास करूंगा।
@@ghaseri thank you so much sir ❤️
Hum gharwali nahi hai. Hindi mein write up bhi daalein🙏🙏🙏
Apki video kam ati he
ये बताइये कि क्या बंगाणी गढ़वाली होती है या नहीं?
भारतीय भाषा सर्वेक्षण विभाग के अनुसार उत्तराखंड में 13 लोकभाषाएं बोली जाती हैं जिसमें गढ़वाली और बंगाड़ी अलग अलग भाषाएं हैं। इस पर पूर्व में एक वीडियो इस चैनल पर आपको मिल जाएगा। आभार।
@@ghaseri क्या बंगाणी लोगों को स्वयं को गढ़वाली के रूप में पहचानना चाहिए, मेरे मन में यह जिज्ञासापूर्ण प्रश्न है क्योंकि मैं बंगाणी हूं ? क्या पूर्व, बाद वाले का एक उपसमुच्चय है या ये दोनों दो अलग-अलग पहचान हैं ?
गढ़वाल मंडल की लोकभाषाओं में काफी समानता देखने को मिलती है लेकिन उनकी अलग पहचान हैं। उत्तराखंड की लोकभाषाओं में सबसे अधिक संकट में है बंगाड़ी।
@@ghaseri मैं भाषाई पहचान के रूप में बंगाणी और गढ़वाली के बारे में बात नहीं कर रहा हूं बल्कि मैं क्षेत्रीय पहचान की बात कर रहा हूं इसलिए मेरा प्रश्न क्षेत्रीय पहचान के संबंध में है , क्या बंगाणी लोगों को खुद को गढ़वाली कहना चाहिए या हम गढ़वाली से अलग हैं या हम गढ़वाली के उपसमूह हैं ये सभी प्रश्न भाषाई नहीं बल्कि क्षेत्रीय पहचान को लेकर हैं, धन्यवाद l
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