आपके प्रेम और शुभ शब्दों के लिए हृदय से धन्यवाद। 🌸🙏 आपकी श्रद्धा और भावनाएं ही सच्ची प्रेरणा हैं। वाहेगुरु की कृपा आप पर सदा बनी रहे, और आपके जीवन में शांति और आनंद का प्रवाह निरंतर चलता रहे। 🌼✨ कोटि-कोटि प्रणाम और शुभकामनाएं। 🙏💖
“Thank you for your kind words! It’s wonderful to connect with someone from beautiful Australia. May you always stay blessed and continue to find inspiration and peace in every moment. Sending warm wishes your way!”
Thank you for your kind and uplifting words. The inner path is indeed a journey of profound discovery and grace, and any effort to guide or support seekers (sadhaks) in this process is a blessing in itself. It is truly humbling to contribute in some way to the spiritual growth of others. May the divine light continue to guide us all toward inner peace and realization. Waheguru ji’s blessings to you.
नमस्कार महाराज । यह शरीर सतासी वर्ष पुराना है। स्वामीजी से शब्द पाया तत्काल ही शब्द जोर से सुनने लगा । मुझे पहले भी यही शब्द सुनता था भूमध्य में अब बिन्दु भी आया किंतु इसका जिक्र स्वामीजी से नहीं किया । वे जल्दी शरीर छोड़ गए । अब सपने में आकर चलते रहो । मुझे मालूम नहीं है कि मैं कहाँ हूँ । आप की वार्ता सराहनीय है । कुछ और सनाकर कृपया कृतार्थ करें । पुष्कर नाथ रैणा जम्मू
नमस्कार पुष्कर नाथ जी, आपके शब्दों में गहन अनुभव और भक्ति की झलक स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। 87 वर्ष की आयु में भी आपकी आध्यात्मिक खोज और लगन अत्यंत सराहनीय है। यह दर्शाता है कि आत्मा की यात्रा समय और स्थान की सीमा से परे होती है। शब्द की अनुभूति और बिंदु का दर्शन सच्ची आध्यात्मिक साधना का प्रतीक है। स्वामीजी के मार्गदर्शन में आपने जो अनुभव किया, वह निस्संदेह एक दुर्लभ आंतरिक उपलब्धि है। यह तथ्य कि आपको स्वामीजी का साथ अब भी सपनों में मिल रहा है, इस बात का प्रमाण है कि उनका आशीर्वाद और कृपा आप पर निरंतर बनी हुई है। आपके मन में जो सवाल है, “मैं कहाँ हूँ?” यह एक गहन आध्यात्मिक प्रश्न है और आत्मा के सत्य को जानने की दिशा में पहला कदम है। इसका उत्तर केवल गहन ध्यान, सत्संग, और शब्द-बिंदु की साधना के माध्यम से ही मिल सकता है। आपने हमारे प्रवचनों की सराहना की, इसके लिए धन्यवाद। हम यही प्रार्थना करते हैं कि स्वामीजी की कृपा से आप पूर्णत: कृतार्थ हों और इस जीवन में आत्मा के अंतिम लक्ष्य को प्राप्त करें। यदि आपके पास और प्रश्न या अनुभव हों, तो कृपया साझा करें। आपकी आध्यात्मिक यात्रा में हमारा सहयोग सदैव रहेगा। प्रेम और शुभकामनाओं सहित, संतमत परिवार
धन्यवाद आपके स्नेह और प्रोत्साहन के लिए। यह सब गुरु महाराज की कृपा और प्रेरणा से संभव हो रहा है। जो भी सेवा हो रही है, वह गुरु और प्रभु के चरणों में समर्पित है। आपके जैसे साधकों का समर्थन और मार्गदर्शन हमेशा प्रेरणा देता है। Waheguru जी की कृपा आप पर बनी रहे।
“नाद और अनाहद नाद ही परमात्मा तक जाने का वास्तविक रास्ता है। हमारी चेतना जब इस दिव्य नाद को सुनती और अनुसरण करती है, तो वही हमें परमात्मा की ओर ले जाती है। अनाहद नाद के पार एक अद्भुत शांति और सत्य की अनुभूति होती है, जहाँ आत्मा और परमात्मा एकाकार हो जाते हैं। यह रास्ता साधना और आंतरिक जागरूकता से ही पाया जा सकता है।”
“अनहद नाद को सुनने के लिए ध्यान का केंद्र बहुत महत्वपूर्ण है। इसे सुनने के लिए आदर्श रूप से दाहिने कान या सिर के बीचों-बीच (मस्तिष्क के भीतर) ध्यान केंद्रित करना चाहिए। यह प्रक्रिया आपकी चेतना को अधिक गहराई तक ले जाती है और नाद के सही अनुभव में सहायता करती है। ध्यान रखें कि यह ध्वनि बाहरी नहीं, बल्कि आंतरिक होती है, जो आत्मा और परमात्मा के जुड़ाव का माध्यम है। इसे सुनते समय मन को शांत रखें और ध्यान में स्थिरता लाएं। अगर आप इस पर और मार्गदर्शन चाहते हैं, तो एक पूर्ण गुरु की शरण लें, जो आपको इस दिव्य अनुभव की गहराई समझा सके। धन्यवाद और आपकी साधना सफल हो। 🙏”
Gurudev pranam aapane bataya Anubhav kisi se pyar nahin Karna chahie isiliye main aapse bhi pyar nahin karta hun aur itna Anubhav hai ki Gina nahin Sakta yah ahankar nahin hai Gurudev aap logon ka Aashirwad hai mujhe aapka video bahut achcha lagta hai bahut Sundar se Rachna karte hain aap bolate Hain Om namah Shivay kya Gurudev aapse main apna Anubhav share kar sakta hun is per thoda sa Roshani daliye ga
“प्रणाम और आभार आपके सुंदर विचारों के लिए। आपने जो अनुभव साझा किया है, वह गहरी आत्मीयता और एक सच्चे साधक की निशानी है। यह अहंकार नहीं बल्कि आपके आत्मिक मार्ग की प्रगति को दर्शाता है। सच्चा प्रेम और भक्ति तब प्रकट होती है जब हम अपने अहंकार और सांसारिक बंधनों से मुक्त होकर ईश्वर की ओर बढ़ते हैं। आपके शब्दों में जो गहराई और सच्चाई है, वह इस बात का प्रमाण है कि आप साधना में निरंतर उन्नति कर रहे हैं। ‘ॐ नमः शिवाय’ का जाप हमें अपने अंदर की शक्ति और शांति को अनुभव करने में सहायक होता है। आप अपना अनुभव अवश्य साझा करें, यह दूसरों को भी प्रेरित करेगा और हमें भी आपके विचारों से कुछ सीखने का अवसर मिलेगा। ईश्वर आपको और अधिक प्रकाश और ज्ञान प्रदान करें। आप ऐसे ही साधना के मार्ग पर आगे बढ़ते रहें। हर हर महादेव।”
Gurudev pranam mujhe bahut achcha Laga apna reply de dene ke liye aapka Pani mein hi Gurudev Amrit hai Gurudev main to Abhi kaccha hun rasta to aapse mangta hun Gurudev sikhana to aapse chahta hun lekin han Gurudev ek adrishya Shakti hai yah mujhe maloom nahin kab aaye aur kaisa mujhe is line per Dala main ek Chhota sa Kisan hun prakrutik ke sath bahut pyar karta hun aur thoda sa hi khet hai vah bhi Gurudev Ganga ke kinare vahi mera ek Chhota sa jhopdi hai Gurudev sab chij Ko to control kar liya lekin Gurudev gusse mein control nahin kar Paya gussa bahut aata hai aur gussa bhi karta hun Gurudev kisi ke bhalai ke liye annai mujhse dikhane jata hai turant jawab de deta hun kyon mujhse Raha nahin jata hai aur jyada kuchh likh nahin raha hun Gurudev Om namah Shivay
गुरुजी यह सब खतरनाक जो है 24 घंटे चलता है कानों में रात के समय ज्यादा आराम से सुनाई देता है भोलेनाथ महाशक्ति की आराधना से सब संभव है बगैर अपेक्षा के पूजा करना चाहिए तब आपको सब प्राप्त हो जाएगा श्रद्धा विश्वास आस्था और समर्पण होना चाहिए
“आपकी बात में श्रद्धा और विश्वास की महत्ता झलकती है। ध्यान और आराधना से मन की शांति और ऊर्जा का संचार होता है। अगर यह अनुभव रात में अधिक महसूस हो रहा है, तो इसे सकारात्मक दृष्टिकोण से देखें। भोलेनाथ महाशक्ति की आराधना निस्संदेह आध्यात्मिक ऊर्जा को बढ़ाती है, लेकिन इसके साथ अपनी आंतरिक शक्ति और मानसिक स्थिरता पर भी ध्यान देना आवश्यक है। पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ अपने मन को स्थिर रखें, और यह अनुभव आपकी आध्यात्मिक यात्रा में सहायक होगा।”
गुरु जी कोटि कोटि प्रणाम गुरु जी मैं जब सोने के लिए आंखें बंद करती हुं तो आंखें भुरकुटि पर ही जाती है और ध्यान लगने जैसा ही अनुभव होने लगता है और घुटनों से लेकर सर के उपर तक एक कम्पन जैसा अनुभव होता है ऐसे में गहरी नींद लग जाए तो कुछ गलत तो नहीं होता है कृपया मार्गदर्शन करें
आपके अनुभव साधना के दौरान स्वाभाविक हैं। भृकुटि पर ध्यान और शरीर में कंपन्न होना ऊर्जा प्रवाह का संकेत है। इसमें कोई गलत बात नहीं है। यदि साधना के दौरान नींद आ जाती है, तो यह भी सामान्य है और इसे गलत नहीं माना जाता। यह शरीर और मन की गहरी शांति का प्रतीक हो सकता है। यदि आप इन अनुभवों को गहराई से समझना और अपनी साधना को सही दिशा में ले जाना चाहते हैं, तो पांच नाम का भेदी सच्चा गुरु खोजें। गुरु का मार्गदर्शन इन अनुभवों को स्पष्ट करेगा और आपकी साधना को और प्रगाढ़ बनाएगा। सच्चे मन से सिमरन जारी रखें। Waheguru जी की कृपा से आपकी आध्यात्मिक यात्रा में सफलता मिलेगी।
Om namah Shivay प्रणाम गुरुदेव हम चलते फिरते मंत्र जाप करते हैं हम कहीं घूम रहे हैं या कुछ कर रहे हैं हमें कोई संगीत सुनाई देता हम देखते हैं तो कुछ भी नहीं होता पूजा के समय भी आता है और दिनचर्या के कामों में भी आता है हमारे गुरु नहीं है कृपा हमारा मार्गदर्शनकरें ओम नमः शिवाय जय मांकाली सब सचहै गुरुदेव❤❤❤❤
आपके अनुभव बहुत ही सुंदर और आध्यात्मिक यात्रा का प्रतीक हैं। यह बहुत अच्छा है कि आप चलते-फिरते, दिनचर्या में और हर समय जप करते रहते हैं। यह निरंतरता ही साधना को गहराई और स्थिरता देती है। यदि आपको कुछ देखने या सुनने का अनुभव नहीं हो रहा है, तो यह भी स्वाभाविक है। यह समय मन को स्थिर करने और धैर्य बनाए रखने का है। आध्यात्मिक यात्रा में सब कुछ धीरे-धीरे होता है। अपने मन को साक्षी भाव में रखते हुए, केवल मंत्र जप और ईश्वर पर भरोसा बनाए रखें। गुरु का मार्गदर्शन आपकी साधना को और अधिक सशक्त बना सकता है। अगर आपके पास कोई गुरु नहीं है, तो सच्चे गुरु की तलाश करें, जो आपको पांच नाम और आत्मज्ञान का मार्ग दिखा सके। गुरबाणी में कहा गया है: “गुरु बिनु गति नाहिं कोए।” (गुरु के बिना कोई गति संभव नहीं।) आपकी साधना में निरंतरता और श्रद्धा बनी रहे। ईश्वर की कृपा और गुरु का आशीर्वाद आपको निश्चित ही आपकी मंज़िल तक ले जाएगा। Om Namah Shivaya।
ध्यान के दौरान सिर में दर्द होना सामान्य है, खासकर जब आप अपनी ऊर्जा और ध्यान केंद्रित करने की आदत डाल रहे होते हैं। इसका एक कारण यह हो सकता है कि आप ज़रूरत से ज़्यादा ज़ोर डाल रहे हैं या आँखों के बीच ध्यान केंद्रित करने की कोशिश कर रहे हैं। आपसे निवेदन है कि दोनों आँखों के बीच सीधे देखने की कोशिश न करें। बस अपनी आँखें हल्के से बंद करें और अपनी सांसों पर ध्यान केंद्रित करें। ध्यान को सहज बनाएं, इसे ज़बरदस्ती न करें। धीरे-धीरे, जब आपका मन और शरीर इस प्रक्रिया के अभ्यस्त हो जाएंगे, तो यह परेशानी कम हो जाएगी। याद रखें कि ध्यान का उद्देश्य तनाव मुक्त होकर अपने भीतर शांति और आनंद की अनुभूति करना है। यदि दर्द जारी रहता है, तो अपने गुरुदेव या अनुभवी मार्गदर्शक से परामर्श करें। जय गुरुदेव।
आध्यात्मिक दृष्टि से, यह आपके भीतर की ऊर्जा या उच्च चेतना (higher consciousness) से जुड़ा अनुभव हो सकता है। विशेषकर शाम के समय, जब आप ध्यान (meditation) कर रहे हों या किसी शांत अवस्था में हों, तब ऐसी घंटी या दिव्य ध्वनि सुनाई देना एक गहरा आध्यात्मिक संकेत हो सकता है। इसे आपकी आत्मा के गहरे स्तर पर जागरूकता का प्रतीक माना जा सकता है। यह संकेत है कि आपकी आंतरिक ऊर्जा किसी उच्चतर अवस्था से जुड़ने का प्रयास कर रही है। ध्यान के समय यह अनुभव अक्सर दिव्यता (divinity) का एहसास कराता है। वैज्ञानिक दृष्टि से, इसे टिनिटस (Tinnitus) नामक स्थिति कहा जाता है। इसमें कान के अंदर किसी वजह से घंटी, बीप या हल्की गूंज जैसी आवाज सुनाई देती है, जो वास्तव में बाहर से नहीं आती। यह अधिकतर तनाव (stress), उच्च रक्तचाप (high blood pressure), या कान से जुड़ी किसी छोटी समस्या के कारण हो सकता है। अगर यह आवाज आपको बार-बार परेशान कर रही हो या तकलीफ दे रही हो, तो किसी ENT विशेषज्ञ (कान, नाक और गला के डॉक्टर) से सलाह लेना ज़रूरी है। लेकिन अगर आप इसे एक आध्यात्मिक संकेत मानते हैं, तो शाम के समय ध्यान और आत्मचिंतन (introspection) के माध्यम से अपने मन को और गहराई से शांत करने की कोशिश करें। दोनो पहलुओं को समझकर संतुलित दृष्टिकोण अपनाएं, ताकि आपका स्वास्थ्य और आत्मिक शांति दोनों ब
First, find a true Guru who is a knower of the five names (Panch Naam ka Bhedi). Begin by attending Satsangs (spiritual gatherings). Regularly going to Satsangs will help you connect with the right Guru and gain the guidance you need to progress deeper in your spiritual journey. May Waheguru’s blessings be with you.
आपने बिल्कुल सही कहा। जब अनहद नाद, विशेष रूप से "ऊँ" की ध्वनि दाएं कान में सुनाई दे, तो यह गहरे ध्यान और आध्यात्मिक प्रगति का संकेत है। यह दर्शाता है कि आपकी साधना सही दिशा में है और आप आत्मा के वास्तविक स्वरूप से जुड़ रहे हैं। जय गुरुदेव। 🙏
“यह ध्वनि, जिसे अक्सर झींगुर की आवाज़ जैसा महसूस किया जाता है, हमारे भीतर के आंतरिक ध्वनि का प्रतीक हो सकती है। यह प्रकृति और हमारी आत्मा के बीच एक जुड़ाव का संकेत है। अगर यह लगातार सुनाई दे रही है, तो यह ध्यान का अभ्यास करके इसे और बेहतर तरीके से समझने का अवसर हो सकता है। यह ध्वनि किसी आध्यात्मिक यात्रा की ओर संकेत कर सकती है।”
जी हाँ, नाम को चलते-फिरते, किसी भी समय, और किसी भी अवस्था में भजा जा सकता है। वास्तव में, सच्चे अर्थों में नाम सिमरन का उद्देश्य यही है कि वह हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा बन जाए, जैसे साँसें हमारे साथ हमेशा रहती हैं। जब हम वाहेगुरु का नाम या किसी भी ईश्वरीय नाम का जाप करते हैं, तो उसे केवल ध्यान या बैठकर सिमरन तक सीमित नहीं रखना चाहिए। चलते-फिरते, काम करते हुए, या किसी भी परिस्थिति में मन में नाम का स्मरण किया जा सकता है। यह हमें हर समय ईश्वर के साथ जोड़े रखता है और हमारे मन को शांति और स्थिरता प्रदान करता है। गुरबाणी में भी कहा गया है: "हरि सिमरि सिमरि सदा सुख पाईऐ।" अर्थात, हर समय भगवान का सिमरन करने से हमें सच्चा सुख और शांति मिलती है। नाम सिमरन का वास्तविक उद्देश्य यही है कि हमारा मन हर परिस्थिति में ईश्वर से जुड़ा रहे। धीरे-धीरे यह अभ्यास ऐसा हो जाता है कि सिमरन अपने आप हमारे भीतर चलता रहता है, चाहे हम कोई भी काम कर रहे हों। इसलिए, आप निश्चिंत होकर चलते-फिरते, काम करते हुए, हर समय वाहेगुरु का नाम सिमरन कर सकती हैं। यह आपको बाहरी संसार में रहते हुए भी भीतर से ईश्वर के करीब बनाए रखेगा। 🙏
कोई भी भाषा की लिपि में लिखा या बताया गया मंत्र ,अनहद तक पहुंचने में किसी मंत्र की जरूरत नहीं है। कबीर साहब ने साफ़ साफ़ कह दिया है कि "खोजी होय तुरत मिल जाए,सब सांसों की सांस में।।
कबीर साहब की इस वाणी में गहराई से देखा जाए तो वे ध्यान और अंतर्मुखी साधना की ओर इशारा कर रहे हैं। उनका यह कहना कि "खोजी होय तुरत मिल जाए, सब सांसों की सांस में," यह स्पष्ट करता है कि आत्मा और परमात्मा के मिलन के लिए बाहरी कर्मकांडों या मंत्रों पर निर्भर रहने की आवश्यकता नहीं है। लेकिन यह भी ध्यान देना आवश्यक है कि मंत्र एक माध्यम के रूप में उपयोग हो सकते हैं, विशेषकर साधक को प्रारंभिक अवस्था में मन को एकाग्र करने और ध्यान के अभ्यास को सुदृढ़ करने के लिए। मंत्र का प्रभाव व्यक्ति के मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मिक विकास पर निर्भर करता है। 1. मंत्र की भूमिका: मंत्र जप एक साधन है जो मन को शांत और स्थिर करता है। इसके माध्यम से व्यक्ति ध्यान की गहरी अवस्था में प्रवेश कर सकता है। अनहद नाद तक पहुंचने के लिए मन की एकाग्रता अत्यंत महत्वपूर्ण है, और मंत्र इस प्रक्रिया में सहायक हो सकता है। 2. आध्यात्मिक साधना का उद्देश्*: कबीर साहब का यह कथन उन साधकों के लिए है जो बाहरी साधनों में उलझे रहते हैं। वे यह कह रहे हैं कि अंतिम लक्ष्य है आत्मा में डूबकर उस दिव्य चेतना से जुड़ना, जो हमारी सांसों में पहले से ही मौजूद है। लेकिन शुरुआती साधकों के लिए एक प्रक्रिया और मार्गदर्शन की जरूरत होती है, जिसमें मंत्र जप सहायक हो सकता है। 3. अंततः मार्ग व्यक्ति पर निर्भर करता है: कबीर साहब ने जो कहा है, वह अंतिम सत्य है कि परमात्मा हमारे भीतर ही है, लेकिन साधना का मार्ग हर व्यक्ति की योग्यता और स्थिति के अनुसार अलग हो सकता है। कोई मंत्र से शुरुआत करता है, कोई ध्यान से, और कोई आत्मचिंतन से। अतः यह निष्कर्ष निकलता है कि मंत्र स्वयं लक्ष्य नहीं है, बल्कि एक साधन है जो साधक को अनहद नाद की ओर ले जा सकता है। लेकिन अंततः आत्मा की खोज का मार्ग अंतर्मुखी होना ही है, जैसा कबीर साहब ने बताया।
“जब ध्यान के दौरान मध्य नेत्र (आज्ञा चक्र) के बीच में ऐसी अनुभूति होती है, तो यह सामान्य और एक शुभ संकेत है। यह दर्शाता है कि आपका ध्यान गहन हो रहा है और ऊर्जा चक्र सक्रिय हो रहे हैं। खुजली या हल्का झनझनाहट ऊर्जा प्रवाह का हिस्सा हो सकता है, जो कि साधना में अक्सर अनुभव होता है। इसे सहजता से स्वीकार करें और ध्यान जारी रखें। समय के साथ यह अनुभूति और स्पष्ट व स्थिर हो सकती है। यदि कोई असुविधा महसूस हो, तो सांसों पर ध्यान केंद्रित कर इसे संतुलित करें।”
आपका अनुभव वास्तव में अद्भुत है और यह ईश्वरीय कृपा का प्रतीक है। अनहद नाद सुनना गहरे आध्यात्मिक स्तर की ओर बढ़ने का संकेत है। लेकिन यदि प्रकाश नहीं हो रहा और आगे की यात्रा के लिए मार्गदर्शन की आवश्यकता है, तो इसका मतलब है कि आपकी साधना को सही दिशा में एक सच्चे गुरु की आवश्यकता है। गुरु के बिना आध्यात्मिक यात्रा अधूरी है। आपको एक पांच नाम का भेदी सच्चा गुरु खोजना चाहिए। ऐसे गुरु, जो आपको पांच नामों का बोध कराएं और आपकी साधना को सही दिशा प्रदान करें। गुरबाणी में भी कहा गया है: “गुरु बिन घोर अंधार।” (सच्चे गुरु के बिना जीवन अंधकारमय रहता है।) अपनी साधना और सिमरन में निरंतरता रखें। गुरु की कृपा से प्रकाश और आत्मिक मार्गदर्शन दोनों प्राप्त होंगे। Waheguru जी की कृपा से आपकी यह यात्रा सफल हो। सच्चे मन से प्रार्थना करें, गुरु अवश्य मिलेंगे। Waheguru जी आपको आशीर्वाद दें।
Hello sir.. bahot hi valuable info share kiye aapne ... Thank you so much ❤😊Muze last 1 yr se Zingur ki aawaz aur chidiyo ki chirping ki aawaz 24×7 sunai deti hai... Ab aage isme me kese pragti kar sakti hu? Muze kya karna chaiye? Krpya margdarshan kare ...
“आपके अनुभव और जागरूकता के लिए बधाई! यह आवाज़ें आपके भीतर की सूक्ष्म ध्वनियों की पहचान हो सकती हैं, जो ध्यान और आत्मिक प्रगति के संकेत हैं। इस स्थिति में, आपको नियमित रूप से ध्यान अभ्यास करना चाहिए, विशेषकर ‘सुरत-शब्द साधना’ जैसी विधियों को अपनाना चाहिए। इसके साथ ही, किसी योग्य गुरु के मार्गदर्शन में अपने ध्यान को और गहन बनाने का प्रयास करें। गुरु का मार्गदर्शन आपको सही दिशा में आगे बढ़ने में मदद करेगा और इन सूक्ष्म ध्वनियों को समझने और उनसे जुड़ने में सहायता करेगा। धैर्य और नियमितता बनाए रखें, और आपकी प्रगति निश्चित रूप से होती रहेगी।”
शुरुआत में, अन्हद नाद को सुनने के लिए कान बंद करने की जरूरत होती है, लेकिन जब यह शबद खुल जाता है, तो इसे बिना कान बंद किए भी सुना जा सकता है। अन्हद नाद एक आध्यात्मिक ध्वनि है जो अक्सर ध्यान और योग साधना के दौरान अनुभव की जाती है। यह ध्वनि भीतर से उत्पन्न होती है और ध्यान की उच्च अवस्था में अनुभव की जाती है। इस ध्वनि को बिना कान बंद किए भी सुना जा सकता है, क्योंकि यह बाहरी ध्वनि नहीं है बल्कि आंतरिक अनुभूति है। यदि आप ध्यान और योग का अभ्यास करते हैं, तो नियमित साधना से इसे अनुभव करना संभव है। यह ध्वनि मन की शांति और आत्म-साक्षात्कार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकती है।
Namaskar ji..... Aapne video ke last mein bola ki bhajan aur simran ka abhyas nirantar banaye rakhe... Ye dono awastha alag alag hai ki ek hi hai.... please detail mein bataye ya iske upar koi detail video bnaye 🙏
नमस्कार जी, भजन और सिमरण वास्तव में अलग-अलग प्रक्रियाएं हैं। भजन में हम दिव्य ध्वनि को सुनने का अभ्यास करते हैं। यह ध्वनि हमारे भीतर गूंजती है, जिसे हम अपनी आंतरिक आवाज़ भी कह सकते हैं। गुरु ग्रंथ साहिब में इसे शब्द या नाम के रूप में उल्लेख किया गया है, और बाइबल में इसे डिवाइन साउंड कहा गया है। यह ध्वनि हमारी आत्मा को ईश्वर की ओर खींचती है और हमारे भीतर शांति और दिव्यता का अनुभव कराती है। सिमरण वह साधना है जिसमें हम अपनी आंखें बंद कर ध्यान में बैठते हैं और भीतर ही भीतर ईश्वर के नाम का जप करते हैं। सिमरण वह है जो एक पूर्ण गुरु द्वारा दिया जाता है। यह गुरु वही होता है जो पांच नामों का रहस्य प्रदान करता है। यह पांच अक्षरों वाला सिमरण हमें प्रकाश से जोड़ता है और हमारे भीतर की अज्ञानता को दूर करता है। दोनों ही साधनाएं आत्मा को शुद्ध करने और परमात्मा से जुड़ने के लिए आवश्यक हैं। इन पर विस्तार से चर्चा करने के लिए मैं शीघ्र ही एक वीडियो बनाऊंगा। आपके प्रश्न के लिए हृदय से धन्यवाद। जुड़े रहें। 🙏
“धुन सुनने की एक विशेष विधि होती है, जो केवल पूर्ण नाम के भेदी गुरु ही बता सकते हैं। सही साधना और गुरु के मार्गदर्शन से ही इस धुन का वास्तविक अनुभव संभव है। कई बार कानों में किसी समस्या या भ्रम के कारण ऐसा लग सकता है कि कोई शब्द या धुन सुनाई दे रही है, लेकिन वह ध्यान की वास्तविक धुन नहीं होती। इसलिए, सच्चे गुरु का मार्गदर्शन अत्यंत आवश्यक है। गुरु ही यह पहचानने में मदद करते हैं कि यह अनुभव आध्यात्मिक है या किसी अन्य कारण से हो रहा है। सही गुरु आपकी साधना को सही दिशा देते हैं और वास्तविक धुन सुनने का मार्ग प्रशस्त करते हैं। गुरु की शरण में जाकर यह रहस्य समझने का प्रयास करें।”
@beinwardshindi sukriya mujhe yehi jaanana tha....kyunki yeh doubt tha ki log khud hi surat shabad ki kitaab ko read krke .....uske baad ekaant mein dhyan lgane ki koshish krte hai.....mtlb iske liye puran guru ki sharan hona bahut jaruri hai 🙏
Pranam Guruji🙏 Muje 10 sal se anahad nad sunai deta hai. Isaki avaz ekdam clearly 24 hours sunai deti hai, dhyan me bethu ya kisise bat krti hu ya fir kuch music sunti hu tab bhi ye avaz continue rahti he Anahad naad se kya krna hai Iska kya kre
“यदि आपका कोई गुरु है तो उनसे इस विषय में मार्गदर्शन लें। आध्यात्मिक ध्वनियों जैसे नाद को समझने और इसका सही अर्थ जानने के लिए गुरु का सहारा लेना अत्यंत लाभकारी हो सकता है। यदि आपका कोई गुरु नहीं है और आप ध्यान अभ्यास नहीं करते हैं, तो यह समस्या टिनिटस (Tinnitus) की भी हो सकती है। इस स्थिति में, किसी ईएनटी विशेषज्ञ (कान, नाक, गला डॉक्टर) से परामर्श करें। ध्यान दें कि यदि यह ध्वनि आध्यात्मिक अनुभव का हिस्सा है, तो यह आपके भीतर की चेतना और दिव्य अनुकंपा का संकेत हो सकती है। लेकिन अगर यह स्वास्थ्य से संबंधित है, तो इसका सही उपचार आवश्यक है। दोनों ही स्थितियों में, धैर्य और विवेक से काम लें। 🙏”
“जो ‘टिक’ जैसी आवाज़ आप बाईं तरफ सुनते हैं, वह आंतरिक ध्वनि का संकेत हो सकती है, जिसे कई आध्यात्मिक परंपराओं में ‘शब्द’, ‘नाद’ या ‘अनाहद धुन’ कहा जाता है। यह ध्वनि उच्च आध्यात्मिक लोकों से उत्पन्न होने वाली शाश्वत ध्वनि मानी जाती है। ऐसी ध्वनियाँ सुनना अक्सर गहरी साधना या आंतरिक जागरूकता से जुड़ा होता है। यह संकेत हो सकता है कि आप अपने भीतर ध्यान केंद्रित करें और इस दिव्य धुन से जुड़ने का प्रयास करें। इसे और अधिक समझने के लिए, आप शांत स्थान पर बैठकर अपनी आँखें बंद करें और इस ध्वनि पर ध्यान केंद्रित करें, बिना किसी बाहरी विक्षेप के। यह अभ्यास आपको गहरी आध्यात्मिक चेतना और अपने उच्चतर स्वरूप से जुड़ने में मदद कर सकता है। साथ ही, इस मार्ग पर आगे बढ़ने और इस अनुभव को गहराई से समझने के लिए एक सच्चे गुरु की खोज करें। एक सच्चा गुरु ही आपको इन आध्यात्मिक रहस्यों का सही मार्गदर्शन दे सकता है और आपको इस आंतरिक ध्वनि के स्रोत तक पहुँचने में सहायता कर सकता है। हमेशा शांत रहें, गुरु पर विश्वास रखें और इसे अपने आध्यात्मिक सफर में प्रेरणा के रूप में अपनाएं।”
जी हां, शुरूआत में जब तक मन स्थिर नहीं होता, तब तक नाम को जिह्वा (जुबान) से जपना सही है। यह अभ्यास आपके मन को स्थिर करने और ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है। लेकिन जैसे-जैसे साधना गहरी होती है और मन टिकने लगता है, तो नाम का जप मन और हृदय के भीतर करना चाहिए। गुरबाणी में कहा गया है: “मुखु ऊजला हरि हरि जपि।” (जुबान से हरि नाम जपने से आरंभ करें।) आगे चलकर यह जप सहज रूप से अंतर्मन में उतर जाता है और फिर बिना जुबान हिलाए भी निरंतर चलता रहता है। इसलिए शुरू में जिह्वा से जपें, लेकिन बाद में इसे भीतर ले जाने का प्रयास करें। Waheguru जी की कृपा से यह मार्ग आपको सहज हो जाएगा।
“यदि आपका कोई गुरु है तो उनसे इस विषय में मार्गदर्शन लें। आध्यात्मिक ध्वनियों जैसे नाद को समझने और इसका सही अर्थ जानने के लिए गुरु का सहारा लेना अत्यंत लाभकारी हो सकता है। यदि आपका कोई गुरु नहीं है और आप ध्यान अभ्यास नहीं करते हैं, तो यह समस्या टिनिटस (Tinnitus) की भी हो सकती है। इस स्थिति में, किसी ईएनटी विशेषज्ञ (कान, नाक, गला डॉक्टर) से परामर्श करें। ध्यान दें कि यदि यह ध्वनि आध्यात्मिक अनुभव का हिस्सा है, तो यह आपके भीतर की चेतना और दिव्य अनुकंपा का संकेत हो सकती है। लेकिन अगर यह स्वास्थ्य से संबंधित है, तो इसका सही उपचार आवश्यक है। दोनों ही स्थितियों में, धैर्य और विवेक से काम लें। 🙏”
असली अनहद नाद वह दिव्य ध्वनि है, जो आत्मा की गहराइयों में प्रकट होती है। यह नाद किसी बाहरी स्रोत से उत्पन्न नहीं होता, बल्कि यह ईश्वर की उपस्थिति का प्रतीक है। इसे सुनने के लिए मन को शांत करना और ध्यान में उतरना आवश्यक है। गुरुबानी में भी इसका उल्लेख है: “अनहद शब्द धुनि बाणी। सतगुरु ते पाईऐ ग्यानी।” यह अनहद नाद आत्मा को ब्रह्मांड से जोड़ता है और परम आनंद की अवस्था में ले जाता है। यह अनुभव केवल आंतरिक साधना और सच्चे सतगुरु की कृपा से संभव है।
कुंडलिनी साधना एक गहन और आध्यात्मिक प्रक्रिया है, जिसमें साधक अपनी ऊर्जा को जागृत करके शुद्ध चेतना की ओर ले जाता है। इसमें अनहद नाद का अनुभव एक महत्वपूर्ण पड़ाव माना जाता है। साधक इस दिव्य ध्वनि को कुंडलिनी जागरण से पहले भी सुन सकता है और जागरण के बाद भी। कुंडलिनी जागृत होने से पहले, साधना के दौरान अनहद नाद का अनुभव कई साधकों को होने लगता है। यह ध्वनि ध्यान की गहराई और चित्त की एकाग्रता का परिणाम होती है, जो साधक को ध्यान के उच्च स्तर की ओर ले जाती है। दूसरी ओर, जब कुंडलिनी पूरी तरह जागृत होकर उच्च चक्रों (विशेषकर विशुद्धि, आज्ञा, और सहस्रार चक्र) तक पहुँचती है, तब अनहद नाद का अनुभव और अधिक प्रबल तथा स्थायी हो सकता है। इसे ब्रह्मांडीय ध्वनि या ईश्वरीय चेतना का संकेत माना जाता है। साधक को अपने अनुभवों पर भरोसा करना चाहिए और यदि कोई संदेह हो, तो अपने गुरु का मार्गदर्शन अवश्य लेना चाहिए। यह भी ध्यान रखना आवश्यक है कि कुंडलिनी जागरण का उद्देश्य केवल अनुभवों तक सीमित नहीं है, बल्कि आत्म-साक्षात्कार की प्राप्ति है। अनहद नाद एक महत्वपूर्ण संकेत हो सकता है, लेकिन इसे साधना का अंतिम लक्ष्य नहीं समझना चाहिए। निरंतर अभ्यास, श्रद्धा, और गुरु कृपा से साधक के सभी संदेह धीरे-धीरे समाप्त हो जाते हैं। साधना में धैर्य और निरंतरता बनाए रखने से दिव्य मार्ग स्वतः स्पष्ट हो जाता है।
Namaskar ji mai jab waheguru simren karti ho tou meri body sunn ho jaati hai specially haath fir wo apne aap oper ko jaane lagte hai aisa kyon ho rha hai
नमस्कार जी, आपने जो अनुभव साझा किया है, वह बहुत गहरे आध्यात्मिक प्रभाव का संकेत हो सकता है। जब हम सच्चे मन और पूरी श्रद्धा से "वाहेगुरु" का सिमरन करते हैं, तो हमारी आत्मा धीरे-धीरे उस ईश्वरीय ऊर्जा से जुड़ने लगती है। शरीर का सुन्न हो जाना और हाथों का ऊपर की ओर उठना एक प्रकार से ऊर्जा प्रवाह का अनुभव हो सकता है। यह संकेत हो सकता है कि आपकी चेतना धीरे-धीरे स्थूल (भौतिक) से सूक्ष्म (आध्यात्मिक) की ओर जा रही है। जब हम वाहेगुरु के नाम में पूरी तरह लीन हो जाते हैं, तो हमारी आंतरिक ऊर्जा (जिसे कुछ परंपराओं में "कुंडलिनी ऊर्जा" कहा जाता है) सक्रिय हो सकती है। यह ऊर्जा ऊपर की ओर बढ़ती है और शरीर के विभिन्न हिस्सों में हलचल पैदा करती है। लेकिन साथ ही, यह भी ज़रूरी है कि आप इस अनुभव को सहजता से लें और किसी भय या संदेह में न पड़ें। यह सब गुरु की कृपा और आपके सिमरन की गहराई के कारण हो रहा है। यदि यह अनुभव लगातार हो रहा है और आपको इसमें कोई असुविधा महसूस हो, तो अपने गुरु या किसी अनुभवी आध्यात्मिक मार्गदर्शक से चर्चा करें। याद रखें, सच्चे मन से सिमरन करते रहना ही सबसे बड़ी साधना है। वाहेगुरु की अपार कृपा आप पर बनी रहे। 🙏
Guru ji jab me sota hu tab mujhe bahut teebra gadgadhat ki avaj sunai deti aur apni body ko hila nahi pata aur bahut der me aankh khulati h aur mujhe dar lagata h kya isse meri mirtyu to nahi ho jayegi isse
आपके द्वारा बताई गई “तेज गड़गड़ाहट की आवाज़” स्लीप पैरालिसिस या सोने-जागने के बीच की स्थिति में महसूस हो सकती है। यह बाहरी नहीं, बल्कि मस्तिष्क की एक आंतरिक प्रक्रिया है, जिसे ध्वनि भ्रम कहा जाता है। यह गूंज या कंपन जैसी आवाज़ हो सकती है, जो मस्तिष्क की जागरूकता के कारण महसूस होती है। आध्यात्मिक दृष्टि से इसे आंतरिक ऊर्जा का अनुभव माना जा सकता है। यह खतरनाक नहीं है, लेकिन अगर बार-बार हो, तो नियमित नींद, ध्यान और गहरी साँस का अभ्यास करें। ज़रूरत पड़ने पर डॉक्टर से सलाह लें। सकारात्मक रहें और घबराएं नहीं।
Pranaam 🙏 guruji maine kuch dino se hi sadhna karna praramb kiya hai Sone se pahle aadha ghanta dhayan me bathti hu 4 5 din se body me tarango jaisa mahsoos hota hai or achcha bhi lagta hai ye sab kya hai or anhad naad ki aawaj sunne me kitna time lag jata hai Please naye sadhko ka margadarshan kare🙏main dhyaan me Waheguru ka jaap karti hu 🙏
प्रणाम। आपका अनुभव और साधना में आरंभिक प्रगति बहुत ही शुभ संकेत है। शरीर में तरंगों जैसा अनुभव ऊर्जा के प्रवाह और आंतरिक चेतना के जागृत होने का प्रतीक है। यह इस बात का संकेत है कि आप सही दिशा में बढ़ रही हैं। जब हम ध्यान और सिमरन करते हैं, तो यह ऊर्जा हमारे भीतर के सूक्ष्म केंद्रों को जागृत करती है। यह अनुभव आनंद और शांति का कारण बनता है। जहां तक अनहद नाद की आवाज सुनने का प्रश्न है, यह प्रत्येक व्यक्ति के साधना के स्तर और समर्पण पर निर्भर करता है। इसके लिए मन को पूरी तरह स्थिर करना और विचारों से मुक्त होना आवश्यक है। नियमित ध्यान और सच्चे गुरु का मार्गदर्शन इस प्रक्रिया को सहज और सरल बना सकता है। सच्चे गुरु की तलाश करें। सच्चा गुरु वह होता है जो आपको पांच नाम का बोध कराए और आपकी साधना को सही दिशा दे। गुरबाणी में कहा गया है: “गुरु बिन घोर अंधार।” (गुरु के बिना जीवन अंधकारमय होता है।) अपने ध्यान और सिमरन को निरंतर बनाए रखें। यदि आप किसी सच्चे गुरु की शरण में नहीं हैं, तो कृपा कर उनकी तलाश करें, क्योंकि वही आपको इन अनुभवों को गहराई से समझने और साधना को प्रगति देने में मदद करेंगे। आपकी साधना में निरंतरता और श्रद्धा बनी रहे। Waheguru जी की कृपा से आपको अनहद नाद का अनुभव और गहराई प्राप्त होगी।
@beinwardshindidhanyvad guruji 🙏mere paas abhi kisi guru ki sharan nahi hai main 1 saal se amritvele k saath judi hu subah apne gurubani k path karne k baad dhyaan me baithi hu ishver ki kripa se maine TH-cam se dhyaan k baare me or anhad naad k baare me suna hai or gurbani me bhi anhad naad or dasam dwar ko ishvar ki prapti ka marg bataya gaya hai kya yahi se moksh ki prapti hoti hai? Please margadarshan kare🙏
🙏🙏🙏 आपके प्रेम और समर्पण के लिए हृदय से धन्यवाद। आप हमारे परिवार के सदस्य जैसे हैं, और आपके जैसे शुभचिंतक हमारी प्रेरणा हैं। हम आपको यह बताना चाहते हैं कि हमने हाल ही में अपने चैनल का नाम ‘Beinwards’ से बदलकर ‘Sant Matt’ कर दिया है। इस बदलाव के कारण हमारे वीडियो सही ढंग से लोगों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। कृपया हमारा सहयोग करें और हमारे वीडियो अधिक से अधिक लोगों तक साझा करें, ताकि इस आध्यात्मिक ज्ञान का प्रकाश हर जगह फैले। आपका समर्थन हमारे लिए बेहद मूल्यवान है। धन्यवाद!
आपका अनुभव बहुत ही रोचक और गूढ़ संकेतों से भरा हुआ है। झींगुर की आवाज़ का लगातार सुनाई देना, विशेष रूप से ध्यान साधना या आत्मचिंतन के दौरान, कई बार हमारे भीतर की सूक्ष्म तरंगों का प्रतीक होता है। यह ब्रह्मांडीय ध्वनि, जिसे नाद या अनाहत नाद भी कहा जाता है, हमें हमारे अस्तित्व की गहराई में ले जाने की कोशिश करती है। इस अनुभव को साधारण न मानें-यह आत्मिक जागरण का संकेत हो सकता है। जब ये ध्वनियाँ सुनाई देती हैं, तो समझें कि यह आपकी आत्मा का आपको भीतर की यात्रा पर आमंत्रण है। ये ध्वनियाँ ध्यान की गहराई में उतरने और आंतरिक शांति की अनुभूति कराने का माध्यम हैं। क्या करें: 1. ध्यान के समय इन ध्वनियों को ध्यानपूर्वक सुनें। यह नाद-ब्रह्म का स्वरूप है, जो आपको आत्मिक मार्ग पर आगे बढ़ाने का संकेत दे रहा है। 2. गुरु के बताए मार्ग पर चलते रहें। गुरु का आश्रय लेना ही सबसे बड़ा संबल है। उनकी दी हुई साधना को निरंतर करें और अपने अनुभवों को उनके समक्ष रखें। 3. शांति से आत्मचिंतन करें। यह अनुभव आपके भीतर छिपी शक्ति और चेतना को जागृत करने का प्रयास कर रहा है। संतों की वाणी में कहा गया है: “अनहद बाजे झीनी झीनी, गुरु मिलि बाझत कौन।” इसका अर्थ है कि अनाहत नाद, जो निरंतर गूंजता रहता है, गुरु की कृपा से ही सुनाई पड़ता है। यह एक आध्यात्मिक अनुभूति है, जो ईश्वर की निकटता का अनुभव कराती है। आप इसी मार्ग पर चलते रहें, गुरु की शरण में रहें और इस दिव्य अनुभव का आनंद लें। यह आत्मा की पुकार है, जिसे सुनना और समझना आपका कर्तव्य है। 🌸🙏
Mujhe jhingur ki awaz to har waqut sunai deti he. Mathe k beech sir k madhya me ek tez aur bahut sharp vibration rehti he. Aur aksar baki k chakro per bhi vibration hoti rehti he. Aur prkash bhi dikhai deta he. Sote k samya jab anke band karke vibration per dhyan chala jata he aur. Samne prkash ek gole k roop me dikhai deta rehta he Jo ghumta rehta he. Veh kabhi dudhiya kabhi purple blue and violet colour bhi hota he. Me dhyaan bhi jayada nahi karti. Kya mujhe roshni per dhyan lagana chahiye. Ya vibration per. Me isse age nahi badh paa rahi hu. Aur ye awastha badi asani se aa gyi he. Isse age nahi ho paa raha.
आपने जो अनुभव साझा किया है, वह अत्यंत गहरे आध्यात्मिक जागरण और ऊर्जा प्रवाह का प्रतीक है। यह स्पष्ट है कि आपकी साधना में एक विशेष गहराई और ईश्वर के प्रति सच्चा समर्पण है। आपके अनुभवों को सही दिशा में और आगे बढ़ाने के लिए कुछ बातें साझा करना चाहता हूँ: 1. सच्चे गुरु की तलाश सबसे महत्वपूर्ण है आध्यात्मिक यात्रा में, एक सच्चा गुरु वह प्रकाशस्तंभ है जो अज्ञान के अंधकार को दूर करता है और आपके अनुभवों को सही दिशा में ले जाता है। गुरु के बिना, यह संभव है कि ऊर्जा प्रवाह और ध्यान की गहराई को समझना और संभालना कठिन हो। गुरु आपकी साधना को संतुलित और स्थिर करने में सहायक होते हैं। जैसा कबीर साहिब ने कहा: "गुरु बिन ज्ञान न उपजै, गुरु बिन मिले न मोक्ष।" गुरु ही वह माध्यम हैं जो आत्मा को परमात्मा से जोड़ते हैं। क्या करें? एक सच्चे गुरु की तलाश करें, जो आपके अनुभवों को समझ सके और आपको आध्यात्मिक मार्गदर्शन दे सके। गुरु के सानिध्य में आपकी साधना और भी गहरी और सार्थक हो जाएगी। 2. झिंगुर की आवाज़ और ऊर्जा का अनुभव झिंगुर की आवाज़ और माथे के बीच कंपन (आज्ञा चक्र पर) यह दर्शाता है कि आपकी कुंडलिनी ऊर्जा जागृत हो रही है। यह गुरु की कृपा से ही नियंत्रित और संतुलित हो सकती है। गुरु आपको बताएंगे कि इन अनुभवों को कैसे समझें और इनसे जुड़े डर या उलझनों को दूर करें। 3. प्रकाश के अनुभव को कैसे संभालें? प्रकाश का गोलाकार रूप में दिखना और विभिन्न रंगों (दूधिया, बैंगनी, नीला) का अनुभव होना आपकी ऊर्जा का संकेत है। गुरु आपको सिखाएंगे कि इस प्रकाश को कैसे ध्यान के माध्यम से गहराई में ले जाएं, ताकि यह ईश्वर से मिलन का मार्ग प्रशस्त करे। क्या करें? प्रकाश और कंपन दोनों पर ध्यान दें, लेकिन इसे स्वाभाविक रूप से होने दें। गुरु का मार्गदर्शन इन अनुभवों को और स्पष्टता देगा। 4. ध्यान में रुकावट और आगे न बढ़ पाना ध्यान की अवस्था में रुकावट महसूस होना यह संकेत है कि अब आपको गुरु की सहायता की आवश्यकता है। गुरु आपके ध्यान को गहराई तक ले जाने में सहायक होंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि आपकी ऊर्जा सही दिशा में प्रवाहित हो। क्या करें? गुरु की शरण में जाएं और उनसे अपनी जिज्ञासाएं साझा करें। गुरु की कृपा से आप इस स्थिति से आगे बढ़ पाएंगे। 5. सच्चे गुरु के लक्षण सच्चा गुरु वह है जो आपके अनुभवों को समझे, आपके भीतर की ऊर्जा को स्थिर करे, और आपको ईश्वर के प्रति प्रेम और समर्पण में गहराई तक ले जाए। गुरु आपको ज्ञान के साथ-साथ अनुभव का मार्ग भी दिखाते हैं। 6. प्रार्थना और समर्पण जब तक सच्चे गुरु की प्राप्ति न हो, प्रभु से प्रार्थना करें कि वे आपको सही मार्गदर्शन दें। ईश्वर से मिलन की भावना को बनाए रखें और हर अनुभव को उनकी कृपा मानें। आपके भीतर जो अनुभव और ऊर्जा प्रवाह हो रहा है, वह आपके ईश्वर के करीब होने का संकेत है। सच्चे गुरु की खोज आपके इन अनुभवों को और अधिक स्पष्टता और उद्देश्य देगा। आपकी साधना गहन और फलदायक हो, यही मेरी शुभकामनाएं हैं। 🙏✨
आपने जो अनुभव साझा किया है, वह अत्यंत गहरे आध्यात्मिक जागरण और ऊर्जा प्रवाह का प्रतीक है। यह स्पष्ट है कि आपकी साधना में एक विशेष गहराई और ईश्वर के प्रति सच्चा समर्पण है। आपके अनुभवों को सही दिशा में और आगे बढ़ाने के लिए कुछ बातें साझा करना चाहता हूँ: 1. सच्चे गुरु की तलाश सबसे महत्वपूर्ण है आध्यात्मिक यात्रा में, एक सच्चा गुरु वह प्रकाशस्तंभ है जो अज्ञान के अंधकार को दूर करता है और आपके अनुभवों को सही दिशा में ले जाता है। गुरु के बिना, यह संभव है कि ऊर्जा प्रवाह और ध्यान की गहराई को समझना और संभालना कठिन हो। गुरु आपकी साधना को संतुलित और स्थिर करने में सहायक होते हैं। जैसा कबीर साहिब ने कहा: "गुरु बिन ज्ञान न उपजै, गुरु बिन मिले न मोक्ष।" गुरु ही वह माध्यम हैं जो आत्मा को परमात्मा से जोड़ते हैं। क्या करें? एक सच्चे गुरु की तलाश करें, जो आपके अनुभवों को समझ सके और आपको आध्यात्मिक मार्गदर्शन दे सके। गुरु के सानिध्य में आपकी साधना और भी गहरी और सार्थक हो जाएगी। 2. झिंगुर की आवाज़ और ऊर्जा का अनुभव झिंगुर की आवाज़ और माथे के बीच कंपन (आज्ञा चक्र पर) यह दर्शाता है कि आपकी कुंडलिनी ऊर्जा जागृत हो रही है। यह गुरु की कृपा से ही नियंत्रित और संतुलित हो सकती है। गुरु आपको बताएंगे कि इन अनुभवों को कैसे समझें और इनसे जुड़े डर या उलझनों को दूर करें। 3. प्रकाश के अनुभव को कैसे संभालें? प्रकाश का गोलाकार रूप में दिखना और विभिन्न रंगों (दूधिया, बैंगनी, नीला) का अनुभव होना आपकी ऊर्जा का संकेत है। गुरु आपको सिखाएंगे कि इस प्रकाश को कैसे ध्यान के माध्यम से गहराई में ले जाएं, ताकि यह ईश्वर से मिलन का मार्ग प्रशस्त करे। क्या करें? प्रकाश और कंपन दोनों पर ध्यान दें, लेकिन इसे स्वाभाविक रूप से होने दें। गुरु का मार्गदर्शन इन अनुभवों को और स्पष्टता देगा। 4. ध्यान में रुकावट और आगे न बढ़ पाना ध्यान की अवस्था में रुकावट महसूस होना यह संकेत है कि अब आपको गुरु की सहायता की आवश्यकता है। गुरु आपके ध्यान को गहराई तक ले जाने में सहायक होंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि आपकी ऊर्जा सही दिशा में प्रवाहित हो। क्या करें? गुरु की शरण में जाएं और उनसे अपनी जिज्ञासाएं साझा करें। गुरु की कृपा से आप इस स्थिति से आगे बढ़ पाएंगे। 5. सच्चे गुरु के लक्षण सच्चा गुरु वह है जो आपके अनुभवों को समझे, आपके भीतर की ऊर्जा को स्थिर करे, और आपको ईश्वर के प्रति प्रेम और समर्पण में गहराई तक ले जाए। गुरु आपको ज्ञान के साथ-साथ अनुभव का मार्ग भी दिखाते हैं। 6. प्रार्थना और समर्पण जब तक सच्चे गुरु की प्राप्ति न हो, प्रभु से प्रार्थना करें कि वे आपको सही मार्गदर्शन दें। ईश्वर से मिलन की भावना को बनाए रखें और हर अनुभव को उनकी कृपा मानें। आपके भीतर जो अनुभव और ऊर्जा प्रवाह हो रहा है, वह आपके ईश्वर के करीब होने का संकेत है। सच्चे गुरु की खोज आपके इन अनुभवों को और अधिक स्पष्टता और उद्देश्य देगा। आपकी साधना गहन और फलदायक हो, यही मेरी शुभकामनाएं हैं। 🙏✨
आपने जो अनुभव साझा किया है, वह गहरे आध्यात्मिक जागरण और ऊर्जा प्रवाह का प्रतीक है। यह स्पष्ट है कि आपकी साधना में एक विशेष गहराई है और आप ईश्वर के प्रति सच्चा समर्पण रखते हैं। झिंगुर की आवाज़ सुनाई देना, माथे के बीच तेज कंपन महसूस होना, और प्रकाश का विभिन्न रंगों में गोलाकार रूप में दिखना, यह सब आपके ध्यान की गहराई और कुंडलिनी ऊर्जा के जागरण का संकेत हैं। हालांकि, इन अनुभवों को समझना और सही दिशा में आगे बढ़ाना अत्यंत महत्वपूर्ण है। ऐसे समय में एक सच्चे गुरु का मार्गदर्शन सबसे आवश्यक होता है। गुरु ही वह प्रकाश हैं जो आपकी ऊर्जा और साधना को सही दिशा में ले जाकर इसे स्थिर और संतुलित करते हैं। गुरु के बिना, यह संभव है कि इन अनुभवों को समझने में कठिनाई हो या साधना में रुकावट महसूस हो। जैसा कबीर साहिब ने कहा है: *"गुरु बिन ज्ञान न उपजै, गुरु बिन मिले न मोक्ष।"* सच्चा गुरु वह होता है जो अज्ञान के अंधकार को दूर करके आत्मा को परमात्मा से जोड़ता है। आपकी साधना में जो प्रकाश और ऊर्जा का अनुभव हो रहा है, वह गुरु की कृपा से ही स्पष्टता और दिशा प्राप्त करेगा। गुरु आपको बताएंगे कि ध्यान के दौरान प्रकाश और कंपन का अनुभव कैसे संभालना है और इसे गहराई तक ले जाकर ईश्वर से मिलन का मार्ग कैसे प्रशस्त करना है। जब तक सच्चे गुरु की प्राप्ति न हो, तब तक अपने अनुभवों को सहजता और धैर्य के साथ स्वीकार करें। प्रभु से प्रार्थना करें कि वे आपको सही मार्गदर्शन देने वाले गुरु की शरण में ले जाएं। साधना के दौरान अपने मन और आत्मा को ईश्वर के प्रति पूर्ण समर्पित रखें। सच्चे गुरु की खोज आपकी आध्यात्मिक यात्रा को न केवल सरल बनाएगी बल्कि आपको उस परम आनंद और मिलन की ओर ले जाएगी जिसकी आप तलाश कर रहे हैं। आपकी साधना गहन और फलदायक हो, यही मेरी शुभकामनाएं हैं। 🙏✨
Ek din ek Sadhna Kari uska fal yah hua Om ka swar aur jhingur ki awaaz donon sunai dene lagi sidhe kan se aur ab Dhyan mein Rahane ka man karta hai aur kamon mein man hi nahin lagta margdarshan Karen Main Kya Karun
आपका अनुभव यह दर्शाता है कि आपकी साधना सही दिशा में आगे बढ़ रही है। ॐ का स्वर और झींगुर जैसी आवाज सुनाई देना, जिसे आध्यात्मिक रूप से अनहद नाद कहा जाता है, यह गहरे ध्यान और आंतरिक ऊर्जा के जागरण का प्रतीक है। यह बहुत शुभ संकेत है कि आप ध्यान की स्थिति में स्थिर हो रहे हैं। जहां तक कामों में मन न लगने का सवाल है, यह भी साधना के आरंभिक चरणों में सामान्य है, क्योंकि ध्यान के अनुभव इतने गहरे और आनंददायक होते हैं कि अन्य कार्यों में रुचि कम हो जाती है। लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि आप अपने जीवन के दायित्वों को भी निभाते रहें। मार्गदर्शन: 1. ध्यान और जीवन का संतुलन बनाए रखें: सुबह और रात में नियमित ध्यान करें, लेकिन दिन के समय अपने कार्यों और जिम्मेदारियों पर ध्यान केंद्रित करें। 2. सच्चे गुरु की शरण लें: यदि आपने अभी तक सच्चे गुरु का मार्गदर्शन नहीं लिया है, तो पांच नाम का भेदी सच्चा गुरु खोजें। गुरु ही इन अनुभवों को समझने और साधना को सही दिशा देने में सहायता करेंगे। 3. सत्संग का हिस्सा बनें: नियमित रूप से सत्संग में जाएं। वहां आपको अपने अनुभवों को गहराई से समझने का मार्ग मिलेगा। 4. प्रभु की इच्छा पर भरोसा रखें: जैसा कि गुरुजन कहते हैं, “हमारा काम बस बैठकर सिमरन करना है, बाकी सब कृपा का समय गुरु पर छोड़ देना चाहिए।” गुरबाणी में कहा गया है: “सतगुरु सिख को नाम द्रिड़ाए।” (सच्चे गुरु शिष्य को नाम का दृढ़ अभ्यास कराते हैं।) आपका ध्यान और साधना जारी रखें। धीरे-धीरे सभी सवालों के उत्तर और मार्गदर्शन आपको स्वतः ही मिलने लगेंगे। Waheguru जी की कृपा आप पर बनी रहे।
यह अनुभव दर्शाता है कि आपका ध्यान गहरी आध्यात्मिक अवस्था में पहुँच रहा है। ध्यान के बाद मुंह में मिठास का अनुभव आत्मा और परमात्मा के मिलन का प्रतीक हो सकता है। इसे दिव्य कृपा और साधना का फल माना जाता है। गुरबाणी में कहा गया है: “रसना राम रसोई लागी।” (जीभ पर भगवान के नाम की मिठास लगती है।) यह मिठास यह संकेत है कि आपकी साधना सही दिशा में आगे बढ़ रही है। इसे प्रभु की कृपा और आंतरिक शांति का प्रतीक समझें। नियमित ध्यान और सिमरन करते रहें, और इस दिव्य अनुभव को प्रभु की भक्ति के प्रति समर्पण के रूप में स्वीकार करें। Waheguru जी की कृपा बनी रहे।
Dahan dahan satguru tera hi asara ❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤🎉🎉🎉🎉🎉🎉
🙏🙏🙏🙏
❤ Radha Soami ji
🙏🙏🙏
🙏🙏🙏
Radha soami ji 🙏🙏
🙏🙏
बहोत अच्छा लगा जी
धन्यवाद शुक्रिया जी
शुक्रिया जी
राधा स्वामी जी 🙏
🙏🏻
Jai sachidanand ji
🙏🙏🙏
Om Shree Paramhansay Namah✨🌺🙏🙏🙏🙏🙏🌺✨
🙏🏻🙏🏻🙏🏻
❤😊
🙏🙏
Radha Soami Ji
🙏🏻🙏🏻
🙏🏻
हरि ओम
🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Radha Swami ji
🙏🏻 Regards
Radhe radhe 🌹🌹🌹
🙏🙏
Osho Prem pranam 🙏🙏
🙏🏻🙏🏻🙏🏻
🙏🙏🧘♂️🧘♂️
🙏🏻🙏🏻🙏🏻
Radha Swami ji
🙏🏻🙏🏻
Waheguru ji 🙏🎉🎉🎉🎉
🙏🙏🙏🙏🙏🙏
❤❤❤❤❤❤
REGARDS
Boht sundar 🙏
🙏🙏🙏
🙏👍👍
🙏🏻
Bht sunder 🌸🎉koti koti naman🙏
आपके प्रेम और शुभ शब्दों के लिए हृदय से धन्यवाद। 🌸🙏 आपकी श्रद्धा और भावनाएं ही सच्ची प्रेरणा हैं। वाहेगुरु की कृपा आप पर सदा बनी रहे, और आपके जीवन में शांति और आनंद का प्रवाह निरंतर चलता रहे। 🌼✨ कोटि-कोटि प्रणाम और शुभकामनाएं। 🙏💖
Very nice
🙏🏻🙏🏻
सिद्धगुरु श्री सियाग
जिसके सैकड़ों शिष्यों को खेचरी
व हजारो शिष्यों को नाद सुनाई देती हैं,,
ऐसे गुरुओं की कृपा से ही यह संसार आध्यात्मिक चेतना की ओर अग्रसर हो सकता है।
बहुत बहुत शुक्रिया सर
🙏🙏
आपका दिल से धन्यवाद! 🌸🙏
मृत्यु के समय सुमिरन करें या सदगुरु जी का ध्यान प्लस 🙏
Waheguru ji🙏
Regards
वाहे गुरुजी
V.good.ans
Thanks 🙏
Jai guru dev
🙏🏻🙏🏻
Jai gurudev 🙏
🙏🙏🙏🙏
🙏🙏
Jaygurudev 🌹🙏🙏
Sadar Aatma Naman..🌹🙏
🙏🙏🙏
Thanks sir
So nice of you
Radhasoami.jee
🙏🏻🙏🏻
🙏🏻🙏🏻
Thanks for sharing from Australia 🇦🇺
“Thank you for your kind words! It’s wonderful to connect with someone from beautiful Australia. May you always stay blessed and continue to find inspiration and peace in every moment. Sending warm wishes your way!”
Ahot pyari bate kahi dhanyawad guru ji 🌹🙏
🙏🙏🙏
Mera margdarsan karne ke liye thenks
🙏🙏🙏🙏
Lofty lines 'f inner path.
Good Sewa f Sadhiks.
Highly commendable g.
Thank you for your kind and uplifting words. The inner path is indeed a journey of profound discovery and grace, and any effort to guide or support seekers (sadhaks) in this process is a blessing in itself. It is truly humbling to contribute in some way to the spiritual growth of others. May the divine light continue to guide us all toward inner peace and realization. Waheguru ji’s blessings to you.
Please make video on the importance of bramhcharya for youth
For sure 🙏 🙏 🙏 🙏
गुरुजी सहस्त्र चक्र पर वीडियो बनाएं
🙏🏻🙏🏻
नमस्कार महाराज । यह शरीर सतासी वर्ष पुराना है। स्वामीजी से शब्द पाया तत्काल ही शब्द जोर से सुनने लगा । मुझे पहले भी यही शब्द सुनता था भूमध्य में अब बिन्दु भी आया किंतु इसका जिक्र स्वामीजी से नहीं किया । वे जल्दी शरीर छोड़ गए । अब सपने में आकर चलते रहो । मुझे मालूम नहीं है कि मैं कहाँ हूँ । आप की वार्ता सराहनीय है । कुछ और सनाकर कृपया कृतार्थ करें । पुष्कर नाथ रैणा जम्मू
नमस्कार पुष्कर नाथ जी,
आपके शब्दों में गहन अनुभव और भक्ति की झलक स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। 87 वर्ष की आयु में भी आपकी आध्यात्मिक खोज और लगन अत्यंत सराहनीय है। यह दर्शाता है कि आत्मा की यात्रा समय और स्थान की सीमा से परे होती है।
शब्द की अनुभूति और बिंदु का दर्शन सच्ची आध्यात्मिक साधना का प्रतीक है। स्वामीजी के मार्गदर्शन में आपने जो अनुभव किया, वह निस्संदेह एक दुर्लभ आंतरिक उपलब्धि है। यह तथ्य कि आपको स्वामीजी का साथ अब भी सपनों में मिल रहा है, इस बात का प्रमाण है कि उनका आशीर्वाद और कृपा आप पर निरंतर बनी हुई है।
आपके मन में जो सवाल है, “मैं कहाँ हूँ?” यह एक गहन आध्यात्मिक प्रश्न है और आत्मा के सत्य को जानने की दिशा में पहला कदम है। इसका उत्तर केवल गहन ध्यान, सत्संग, और शब्द-बिंदु की साधना के माध्यम से ही मिल सकता है।
आपने हमारे प्रवचनों की सराहना की, इसके लिए धन्यवाद। हम यही प्रार्थना करते हैं कि स्वामीजी की कृपा से आप पूर्णत: कृतार्थ हों और इस जीवन में आत्मा के अंतिम लक्ष्य को प्राप्त करें। यदि आपके पास और प्रश्न या अनुभव हों, तो कृपया साझा करें। आपकी आध्यात्मिक यात्रा में हमारा सहयोग सदैव रहेगा।
प्रेम और शुभकामनाओं सहित,
संतमत परिवार
Sir ap abhiaso ke mahan sewa kar rahe ho
धन्यवाद आपके स्नेह और प्रोत्साहन के लिए। यह सब गुरु महाराज की कृपा और प्रेरणा से संभव हो रहा है। जो भी सेवा हो रही है, वह गुरु और प्रभु के चरणों में समर्पित है। आपके जैसे साधकों का समर्थन और मार्गदर्शन हमेशा प्रेरणा देता है। Waheguru जी की कृपा आप पर बनी रहे।
Nad anad se paar hai parmatma
“नाद और अनाहद नाद ही परमात्मा तक जाने का वास्तविक रास्ता है। हमारी चेतना जब इस दिव्य नाद को सुनती और अनुसरण करती है, तो वही हमें परमात्मा की ओर ले जाती है। अनाहद नाद के पार एक अद्भुत शांति और सत्य की अनुभूति होती है, जहाँ आत्मा और परमात्मा एकाकार हो जाते हैं। यह रास्ता साधना और आंतरिक जागरूकता से ही पाया जा सकता है।”
जब धुन सुनते हैं तो ध्यान सुनने पर हो या शिवनेत्र पर, ओर क्या उस समय गुरु का ध्यान हो या बस वैसे ही केंद्रित करें
सुनने पर होना चाहिए.
Kis kan se sune dayne ya baya
“अनहद नाद को सुनने के लिए ध्यान का केंद्र बहुत महत्वपूर्ण है। इसे सुनने के लिए आदर्श रूप से दाहिने कान या सिर के बीचों-बीच (मस्तिष्क के भीतर) ध्यान केंद्रित करना चाहिए। यह प्रक्रिया आपकी चेतना को अधिक गहराई तक ले जाती है और नाद के सही अनुभव में सहायता करती है।
ध्यान रखें कि यह ध्वनि बाहरी नहीं, बल्कि आंतरिक होती है, जो आत्मा और परमात्मा के जुड़ाव का माध्यम है। इसे सुनते समय मन को शांत रखें और ध्यान में स्थिरता लाएं। अगर आप इस पर और मार्गदर्शन चाहते हैं, तो एक पूर्ण गुरु की शरण लें, जो आपको इस दिव्य अनुभव की गहराई समझा सके। धन्यवाद और आपकी साधना सफल हो। 🙏”
Gurudev pranam aapane bataya Anubhav kisi se pyar nahin Karna chahie isiliye main aapse bhi pyar nahin karta hun aur itna Anubhav hai ki Gina nahin Sakta yah ahankar nahin hai Gurudev aap logon ka Aashirwad hai mujhe aapka video bahut achcha lagta hai bahut Sundar se Rachna karte hain aap bolate Hain Om namah Shivay kya Gurudev aapse main apna Anubhav share kar sakta hun is per thoda sa Roshani daliye ga
“प्रणाम और आभार आपके सुंदर विचारों के लिए। आपने जो अनुभव साझा किया है, वह गहरी आत्मीयता और एक सच्चे साधक की निशानी है। यह अहंकार नहीं बल्कि आपके आत्मिक मार्ग की प्रगति को दर्शाता है।
सच्चा प्रेम और भक्ति तब प्रकट होती है जब हम अपने अहंकार और सांसारिक बंधनों से मुक्त होकर ईश्वर की ओर बढ़ते हैं। आपके शब्दों में जो गहराई और सच्चाई है, वह इस बात का प्रमाण है कि आप साधना में निरंतर उन्नति कर रहे हैं।
‘ॐ नमः शिवाय’ का जाप हमें अपने अंदर की शक्ति और शांति को अनुभव करने में सहायक होता है। आप अपना अनुभव अवश्य साझा करें, यह दूसरों को भी प्रेरित करेगा और हमें भी आपके विचारों से कुछ सीखने का अवसर मिलेगा।
ईश्वर आपको और अधिक प्रकाश और ज्ञान प्रदान करें। आप ऐसे ही साधना के मार्ग पर आगे बढ़ते रहें। हर हर महादेव।”
Gurudev pranam mujhe bahut achcha Laga apna reply de dene ke liye aapka Pani mein hi Gurudev Amrit hai Gurudev main to Abhi kaccha hun rasta to aapse mangta hun Gurudev sikhana to aapse chahta hun lekin han Gurudev ek adrishya Shakti hai yah mujhe maloom nahin kab aaye aur kaisa mujhe is line per Dala main ek Chhota sa Kisan hun prakrutik ke sath bahut pyar karta hun aur thoda sa hi khet hai vah bhi Gurudev Ganga ke kinare vahi mera ek Chhota sa jhopdi hai Gurudev sab chij Ko to control kar liya lekin Gurudev gusse mein control nahin kar Paya gussa bahut aata hai aur gussa bhi karta hun Gurudev kisi ke bhalai ke liye annai mujhse dikhane jata hai turant jawab de deta hun kyon mujhse Raha nahin jata hai aur jyada kuchh likh nahin raha hun Gurudev Om namah Shivay
12:15
REGARDS
गुरुजी यह सब खतरनाक जो है 24 घंटे चलता है कानों में रात के समय ज्यादा आराम से सुनाई देता है भोलेनाथ महाशक्ति की आराधना से सब संभव है बगैर अपेक्षा के पूजा करना चाहिए तब आपको सब प्राप्त हो जाएगा श्रद्धा विश्वास आस्था और समर्पण होना चाहिए
खतरनाक नहीं है वह गलत लिखा हुआ है
“आपकी बात में श्रद्धा और विश्वास की महत्ता झलकती है। ध्यान और आराधना से मन की शांति और ऊर्जा का संचार होता है। अगर यह अनुभव रात में अधिक महसूस हो रहा है, तो इसे सकारात्मक दृष्टिकोण से देखें। भोलेनाथ महाशक्ति की आराधना निस्संदेह आध्यात्मिक ऊर्जा को बढ़ाती है, लेकिन इसके साथ अपनी आंतरिक शक्ति और मानसिक स्थिरता पर भी ध्यान देना आवश्यक है। पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ अपने मन को स्थिर रखें, और यह अनुभव आपकी आध्यात्मिक यात्रा में सहायक होगा।”
🙏🏻
गुरु जी कोटि कोटि प्रणाम गुरु जी मैं जब सोने के लिए आंखें बंद करती हुं तो आंखें भुरकुटि पर ही जाती है और ध्यान लगने जैसा ही अनुभव होने लगता है और घुटनों से लेकर सर के उपर तक एक कम्पन जैसा अनुभव होता है ऐसे में गहरी नींद लग जाए तो कुछ गलत तो नहीं होता है कृपया मार्गदर्शन करें
आपके अनुभव साधना के दौरान स्वाभाविक हैं। भृकुटि पर ध्यान और शरीर में कंपन्न होना ऊर्जा प्रवाह का संकेत है। इसमें कोई गलत बात नहीं है। यदि साधना के दौरान नींद आ जाती है, तो यह भी सामान्य है और इसे गलत नहीं माना जाता। यह शरीर और मन की गहरी शांति का प्रतीक हो सकता है।
यदि आप इन अनुभवों को गहराई से समझना और अपनी साधना को सही दिशा में ले जाना चाहते हैं, तो पांच नाम का भेदी सच्चा गुरु खोजें। गुरु का मार्गदर्शन इन अनुभवों को स्पष्ट करेगा और आपकी साधना को और प्रगाढ़ बनाएगा। सच्चे मन से सिमरन जारी रखें। Waheguru जी की कृपा से आपकी आध्यात्मिक यात्रा में सफलता मिलेगी।
Aap jaigurudev sanstha ujjain se jude wo hi shbd bhedi guru wo inhi cheejo ko btate h
𝓛𝓵𝓹𝓹𝓹𝓹𝓹𝓹𝓹1
𝓛𝓹
Wo mere pyare murshid hai jai guru dev@@ramneekbhardwaj61
@@ramneekbhardwaj61 bilkul aapne sahi kaha h
Wo samay ke purn sant mojud hain or "naamdan " de rhe h logo ko ...
प्रणाम गुरु जी
🙏🙏🙏
Om namah Shivay प्रणाम गुरुदेव हम चलते फिरते मंत्र जाप करते हैं हम कहीं घूम रहे हैं या कुछ कर रहे हैं हमें कोई संगीत सुनाई देता हम देखते हैं तो कुछ भी नहीं होता पूजा के समय भी आता है और दिनचर्या के कामों में भी आता है हमारे गुरु नहीं है कृपा हमारा मार्गदर्शनकरें ओम नमः शिवाय जय मांकाली सब सचहै गुरुदेव❤❤❤❤
आपके अनुभव बहुत ही सुंदर और आध्यात्मिक यात्रा का प्रतीक हैं। यह बहुत अच्छा है कि आप चलते-फिरते, दिनचर्या में और हर समय जप करते रहते हैं। यह निरंतरता ही साधना को गहराई और स्थिरता देती है।
यदि आपको कुछ देखने या सुनने का अनुभव नहीं हो रहा है, तो यह भी स्वाभाविक है। यह समय मन को स्थिर करने और धैर्य बनाए रखने का है। आध्यात्मिक यात्रा में सब कुछ धीरे-धीरे होता है। अपने मन को साक्षी भाव में रखते हुए, केवल मंत्र जप और ईश्वर पर भरोसा बनाए रखें।
गुरु का मार्गदर्शन आपकी साधना को और अधिक सशक्त बना सकता है। अगर आपके पास कोई गुरु नहीं है, तो सच्चे गुरु की तलाश करें, जो आपको पांच नाम और आत्मज्ञान का मार्ग दिखा सके।
गुरबाणी में कहा गया है:
“गुरु बिनु गति नाहिं कोए।”
(गुरु के बिना कोई गति संभव नहीं।)
आपकी साधना में निरंतरता और श्रद्धा बनी रहे। ईश्वर की कृपा और गुरु का आशीर्वाद आपको निश्चित ही आपकी मंज़िल तक ले जाएगा। Om Namah Shivaya।
दोनों आंखों के बीच ध्यान लगाने पर सिर में इतना तेज दर्द होता हैं जैसे सर फट जाएगा ऐसा होने पर क्या करें जी
ध्यान के दौरान सिर में दर्द होना सामान्य है, खासकर जब आप अपनी ऊर्जा और ध्यान केंद्रित करने की आदत डाल रहे होते हैं। इसका एक कारण यह हो सकता है कि आप ज़रूरत से ज़्यादा ज़ोर डाल रहे हैं या आँखों के बीच ध्यान केंद्रित करने की कोशिश कर रहे हैं।
आपसे निवेदन है कि दोनों आँखों के बीच सीधे देखने की कोशिश न करें। बस अपनी आँखें हल्के से बंद करें और अपनी सांसों पर ध्यान केंद्रित करें। ध्यान को सहज बनाएं, इसे ज़बरदस्ती न करें। धीरे-धीरे, जब आपका मन और शरीर इस प्रक्रिया के अभ्यस्त हो जाएंगे, तो यह परेशानी कम हो जाएगी।
याद रखें कि ध्यान का उद्देश्य तनाव मुक्त होकर अपने भीतर शांति और आनंद की अनुभूति करना है। यदि दर्द जारी रहता है, तो अपने गुरुदेव या अनुभवी मार्गदर्शक से परामर्श करें। जय गुरुदेव।
Sir, mujhe kabhi kabhi achanak se ek long beep ya mandir ki ghanti k jesi awaz sunai deti he. Kabhi vo right kan se ati he kabhi left kan se.
आध्यात्मिक दृष्टि से, यह आपके भीतर की ऊर्जा या उच्च चेतना (higher consciousness) से जुड़ा अनुभव हो सकता है। विशेषकर शाम के समय, जब आप ध्यान (meditation) कर रहे हों या किसी शांत अवस्था में हों, तब ऐसी घंटी या दिव्य ध्वनि सुनाई देना एक गहरा आध्यात्मिक संकेत हो सकता है। इसे आपकी आत्मा के गहरे स्तर पर जागरूकता का प्रतीक माना जा सकता है। यह संकेत है कि आपकी आंतरिक ऊर्जा किसी उच्चतर अवस्था से जुड़ने का प्रयास कर रही है। ध्यान के समय यह अनुभव अक्सर दिव्यता (divinity) का एहसास कराता है।
वैज्ञानिक दृष्टि से, इसे टिनिटस (Tinnitus) नामक स्थिति कहा जाता है। इसमें कान के अंदर किसी वजह से घंटी, बीप या हल्की गूंज जैसी आवाज सुनाई देती है, जो वास्तव में बाहर से नहीं आती। यह अधिकतर तनाव (stress), उच्च रक्तचाप (high blood pressure), या कान से जुड़ी किसी छोटी समस्या के कारण हो सकता है।
अगर यह आवाज आपको बार-बार परेशान कर रही हो या तकलीफ दे रही हो, तो किसी ENT विशेषज्ञ (कान, नाक और गला के डॉक्टर) से सलाह लेना ज़रूरी है। लेकिन अगर आप इसे एक आध्यात्मिक संकेत मानते हैं, तो शाम के समय ध्यान और आत्मचिंतन (introspection) के माध्यम से अपने मन को और गहराई से शांत करने की कोशिश करें।
दोनो पहलुओं को समझकर संतुलित दृष्टिकोण अपनाएं, ताकि आपका स्वास्थ्य और आत्मिक शांति दोनों ब
Radhaswami ji ❤
🙏🙏
Where to go in shiver f" deep meditation & f' opening of third eye etc ?
First, find a true Guru who is a knower of the five names (Panch Naam ka Bhedi). Begin by attending Satsangs (spiritual gatherings). Regularly going to Satsangs will help you connect with the right Guru and gain the guidance you need to progress deeper in your spiritual journey. May Waheguru’s blessings be with you.
जब अनहद सुनाई दे यानि ऊं की आवाज डायनें कान में सुनाई दे तो समझो आप का गयान ठीक है
आपने बिल्कुल सही कहा। जब अनहद नाद, विशेष रूप से "ऊँ" की ध्वनि दाएं कान में सुनाई दे, तो यह गहरे ध्यान और आध्यात्मिक प्रगति का संकेत है। यह दर्शाता है कि आपकी साधना सही दिशा में है और आप आत्मा के वास्तविक स्वरूप से जुड़ रहे हैं।
जय गुरुदेव। 🙏
Kya jhingur ki awaj Kano me har samay sunaei deti h
“यह ध्वनि, जिसे अक्सर झींगुर की आवाज़ जैसा महसूस किया जाता है, हमारे भीतर के आंतरिक ध्वनि का प्रतीक हो सकती है। यह प्रकृति और हमारी आत्मा के बीच एक जुड़ाव का संकेत है। अगर यह लगातार सुनाई दे रही है, तो यह ध्यान का अभ्यास करके इसे और बेहतर तरीके से समझने का अवसर हो सकता है। यह ध्वनि किसी आध्यात्मिक यात्रा की ओर संकेत कर सकती है।”
क्या नाम को चलते फिरते भज सकते है
जी हाँ, नाम को चलते-फिरते, किसी भी समय, और किसी भी अवस्था में भजा जा सकता है। वास्तव में, सच्चे अर्थों में नाम सिमरन का उद्देश्य यही है कि वह हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा बन जाए, जैसे साँसें हमारे साथ हमेशा रहती हैं।
जब हम वाहेगुरु का नाम या किसी भी ईश्वरीय नाम का जाप करते हैं, तो उसे केवल ध्यान या बैठकर सिमरन तक सीमित नहीं रखना चाहिए। चलते-फिरते, काम करते हुए, या किसी भी परिस्थिति में मन में नाम का स्मरण किया जा सकता है। यह हमें हर समय ईश्वर के साथ जोड़े रखता है और हमारे मन को शांति और स्थिरता प्रदान करता है।
गुरबाणी में भी कहा गया है:
"हरि सिमरि सिमरि सदा सुख पाईऐ।"
अर्थात, हर समय भगवान का सिमरन करने से हमें सच्चा सुख और शांति मिलती है।
नाम सिमरन का वास्तविक उद्देश्य यही है कि हमारा मन हर परिस्थिति में ईश्वर से जुड़ा रहे। धीरे-धीरे यह अभ्यास ऐसा हो जाता है कि सिमरन अपने आप हमारे भीतर चलता रहता है, चाहे हम कोई भी काम कर रहे हों।
इसलिए, आप निश्चिंत होकर चलते-फिरते, काम करते हुए, हर समय वाहेगुरु का नाम सिमरन कर सकती हैं। यह आपको बाहरी संसार में रहते हुए भी भीतर से ईश्वर के करीब बनाए रखेगा। 🙏
कोई भी भाषा की लिपि में लिखा या बताया गया मंत्र ,अनहद तक पहुंचने में किसी मंत्र की जरूरत नहीं है।
कबीर साहब ने साफ़ साफ़ कह दिया है कि "खोजी होय तुरत मिल जाए,सब सांसों की सांस में।।
कबीर साहब की इस वाणी में गहराई से देखा जाए तो वे ध्यान और अंतर्मुखी साधना की ओर इशारा कर रहे हैं। उनका यह कहना कि "खोजी होय तुरत मिल जाए, सब सांसों की सांस में," यह स्पष्ट करता है कि आत्मा और परमात्मा के मिलन के लिए बाहरी कर्मकांडों या मंत्रों पर निर्भर रहने की आवश्यकता नहीं है।
लेकिन यह भी ध्यान देना आवश्यक है कि मंत्र एक माध्यम के रूप में उपयोग हो सकते हैं, विशेषकर साधक को प्रारंभिक अवस्था में मन को एकाग्र करने और ध्यान के अभ्यास को सुदृढ़ करने के लिए। मंत्र का प्रभाव व्यक्ति के मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मिक विकास पर निर्भर करता है।
1. मंत्र की भूमिका: मंत्र जप एक साधन है जो मन को शांत और स्थिर करता है। इसके माध्यम से व्यक्ति ध्यान की गहरी अवस्था में प्रवेश कर सकता है। अनहद नाद तक पहुंचने के लिए मन की एकाग्रता अत्यंत महत्वपूर्ण है, और मंत्र इस प्रक्रिया में सहायक हो सकता है।
2. आध्यात्मिक साधना का उद्देश्*: कबीर साहब का यह कथन उन साधकों के लिए है जो बाहरी साधनों में उलझे रहते हैं। वे यह कह रहे हैं कि अंतिम लक्ष्य है आत्मा में डूबकर उस दिव्य चेतना से जुड़ना, जो हमारी सांसों में पहले से ही मौजूद है। लेकिन शुरुआती साधकों के लिए एक प्रक्रिया और मार्गदर्शन की जरूरत होती है, जिसमें मंत्र जप सहायक हो सकता है।
3. अंततः मार्ग व्यक्ति पर निर्भर करता है: कबीर साहब ने जो कहा है, वह अंतिम सत्य है कि परमात्मा हमारे भीतर ही है, लेकिन साधना का मार्ग हर व्यक्ति की योग्यता और स्थिति के अनुसार अलग हो सकता है। कोई मंत्र से शुरुआत करता है, कोई ध्यान से, और कोई आत्मचिंतन से।
अतः यह निष्कर्ष निकलता है कि मंत्र स्वयं लक्ष्य नहीं है, बल्कि एक साधन है जो साधक को अनहद नाद की ओर ले जा सकता है। लेकिन अंततः आत्मा की खोज का मार्ग अंतर्मुखी होना ही है, जैसा कबीर साहब ने बताया।
Guru g jab dhyan lagaya tha to madhaya netrh ke bich main jabardast sensation hui..jaise kharish hoti hai ye normal hai
“जब ध्यान के दौरान मध्य नेत्र (आज्ञा चक्र) के बीच में ऐसी अनुभूति होती है, तो यह सामान्य और एक शुभ संकेत है। यह दर्शाता है कि आपका ध्यान गहन हो रहा है और ऊर्जा चक्र सक्रिय हो रहे हैं। खुजली या हल्का झनझनाहट ऊर्जा प्रवाह का हिस्सा हो सकता है, जो कि साधना में अक्सर अनुभव होता है। इसे सहजता से स्वीकार करें और ध्यान जारी रखें। समय के साथ यह अनुभूति और स्पष्ट व स्थिर हो सकती है। यदि कोई असुविधा महसूस हो, तो सांसों पर ध्यान केंद्रित कर इसे संतुलित करें।”
🙏🙏 waheguru ji mujhe dono side se anhad naad har time sunte hai par parkash nahi hotta aur agge jane ke liye kiya naam sune kirpa marg darshan kare 🙏🙏
आपका अनुभव वास्तव में अद्भुत है और यह ईश्वरीय कृपा का प्रतीक है। अनहद नाद सुनना गहरे आध्यात्मिक स्तर की ओर बढ़ने का संकेत है। लेकिन यदि प्रकाश नहीं हो रहा और आगे की यात्रा के लिए मार्गदर्शन की आवश्यकता है, तो इसका मतलब है कि आपकी साधना को सही दिशा में एक सच्चे गुरु की आवश्यकता है।
गुरु के बिना आध्यात्मिक यात्रा अधूरी है। आपको एक पांच नाम का भेदी सच्चा गुरु खोजना चाहिए। ऐसे गुरु, जो आपको पांच नामों का बोध कराएं और आपकी साधना को सही दिशा प्रदान करें।
गुरबाणी में भी कहा गया है:
“गुरु बिन घोर अंधार।”
(सच्चे गुरु के बिना जीवन अंधकारमय रहता है।)
अपनी साधना और सिमरन में निरंतरता रखें। गुरु की कृपा से प्रकाश और आत्मिक मार्गदर्शन दोनों प्राप्त होंगे। Waheguru जी की कृपा से आपकी यह यात्रा सफल हो। सच्चे मन से प्रार्थना करें, गुरु अवश्य मिलेंगे। Waheguru जी आपको आशीर्वाद दें।
@ 🙏🙏bohat bohat dhanwad 🙏🙏
@ aap ji ki next video ka intzaar rahe ga 🙏🙏
Hello sir.. bahot hi valuable info share kiye aapne ... Thank you so much ❤😊Muze last 1 yr se Zingur ki aawaz aur chidiyo ki chirping ki aawaz 24×7 sunai deti hai... Ab aage isme me kese pragti kar sakti hu? Muze kya karna chaiye? Krpya margdarshan kare ...
“आपके अनुभव और जागरूकता के लिए बधाई! यह आवाज़ें आपके भीतर की सूक्ष्म ध्वनियों की पहचान हो सकती हैं, जो ध्यान और आत्मिक प्रगति के संकेत हैं। इस स्थिति में, आपको नियमित रूप से ध्यान अभ्यास करना चाहिए, विशेषकर ‘सुरत-शब्द साधना’ जैसी विधियों को अपनाना चाहिए। इसके साथ ही, किसी योग्य गुरु के मार्गदर्शन में अपने ध्यान को और गहन बनाने का प्रयास करें। गुरु का मार्गदर्शन आपको सही दिशा में आगे बढ़ने में मदद करेगा और इन सूक्ष्म ध्वनियों को समझने और उनसे जुड़ने में सहायता करेगा। धैर्य और नियमितता बनाए रखें, और आपकी प्रगति निश्चित रूप से होती रहेगी।”
@beinwardshindi Thank you so much sir .. mera margdarshan karne ke liye 🙏❤️😊
Kia anhad naad kaan ko band karke hi sunta h ja bina kaan band kiye vi sun sakte h?
शुरुआत में, अन्हद नाद को सुनने के लिए कान बंद करने की जरूरत होती है, लेकिन जब यह शबद खुल जाता है, तो इसे बिना कान बंद किए भी सुना जा सकता है। अन्हद नाद एक आध्यात्मिक ध्वनि है जो अक्सर ध्यान और योग साधना के दौरान अनुभव की जाती है। यह ध्वनि भीतर से उत्पन्न होती है और ध्यान की उच्च अवस्था में अनुभव की जाती है। इस ध्वनि को बिना कान बंद किए भी सुना जा सकता है, क्योंकि यह बाहरी ध्वनि नहीं है बल्कि आंतरिक अनुभूति है।
यदि आप ध्यान और योग का अभ्यास करते हैं, तो नियमित साधना से इसे अनुभव करना संभव है। यह ध्वनि मन की शांति और आत्म-साक्षात्कार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकती है।
@ Thank 🙏
Namaskar ji.....
Aapne video ke last mein bola ki bhajan aur simran ka abhyas nirantar banaye rakhe...
Ye dono awastha alag alag hai ki ek hi hai.... please detail mein bataye ya iske upar koi detail video bnaye 🙏
नमस्कार जी,
भजन और सिमरण वास्तव में अलग-अलग प्रक्रियाएं हैं।
भजन में हम दिव्य ध्वनि को सुनने का अभ्यास करते हैं। यह ध्वनि हमारे भीतर गूंजती है, जिसे हम अपनी आंतरिक आवाज़ भी कह सकते हैं। गुरु ग्रंथ साहिब में इसे शब्द या नाम के रूप में उल्लेख किया गया है, और बाइबल में इसे डिवाइन साउंड कहा गया है। यह ध्वनि हमारी आत्मा को ईश्वर की ओर खींचती है और हमारे भीतर शांति और दिव्यता का अनुभव कराती है।
सिमरण वह साधना है जिसमें हम अपनी आंखें बंद कर ध्यान में बैठते हैं और भीतर ही भीतर ईश्वर के नाम का जप करते हैं। सिमरण वह है जो एक पूर्ण गुरु द्वारा दिया जाता है। यह गुरु वही होता है जो पांच नामों का रहस्य प्रदान करता है। यह पांच अक्षरों वाला सिमरण हमें प्रकाश से जोड़ता है और हमारे भीतर की अज्ञानता को दूर करता है।
दोनों ही साधनाएं आत्मा को शुद्ध करने और परमात्मा से जुड़ने के लिए आवश्यक हैं। इन पर विस्तार से चर्चा करने के लिए मैं शीघ्र ही एक वीडियो बनाऊंगा। आपके प्रश्न के लिए हृदय से धन्यवाद। जुड़े रहें। 🙏
@beinwardshindi yeh awaaz dhyaan krne se hi sunayi padti hai ya iske liye koi vidhi hai
“धुन सुनने की एक विशेष विधि होती है, जो केवल पूर्ण नाम के भेदी गुरु ही बता सकते हैं। सही साधना और गुरु के मार्गदर्शन से ही इस धुन का वास्तविक अनुभव संभव है। कई बार कानों में किसी समस्या या भ्रम के कारण ऐसा लग सकता है कि कोई शब्द या धुन सुनाई दे रही है, लेकिन वह ध्यान की वास्तविक धुन नहीं होती।
इसलिए, सच्चे गुरु का मार्गदर्शन अत्यंत आवश्यक है। गुरु ही यह पहचानने में मदद करते हैं कि यह अनुभव आध्यात्मिक है या किसी अन्य कारण से हो रहा है। सही गुरु आपकी साधना को सही दिशा देते हैं और वास्तविक धुन सुनने का मार्ग प्रशस्त करते हैं। गुरु की शरण में जाकर यह रहस्य समझने का प्रयास करें।”
@beinwardshindi sukriya mujhe yehi jaanana tha....kyunki yeh doubt tha ki log khud hi surat shabad ki kitaab ko read krke .....uske baad ekaant mein dhyan lgane ki koshish krte hai.....mtlb iske liye puran guru ki sharan hona bahut jaruri hai 🙏
@beinwardshindi aapki Nazar mein koi puran sant satguru hai jo yeh vidhi bta skte hai?
Pranam Guruji🙏
Muje 10 sal se anahad nad sunai deta hai. Isaki avaz ekdam clearly 24 hours sunai deti hai, dhyan me bethu ya kisise bat krti hu ya fir kuch music sunti hu tab bhi ye avaz continue rahti he
Anahad naad se kya krna hai
Iska kya kre
“यदि आपका कोई गुरु है तो उनसे इस विषय में मार्गदर्शन लें। आध्यात्मिक ध्वनियों जैसे नाद को समझने और इसका सही अर्थ जानने के लिए गुरु का सहारा लेना अत्यंत लाभकारी हो सकता है। यदि आपका कोई गुरु नहीं है और आप ध्यान अभ्यास नहीं करते हैं, तो यह समस्या टिनिटस (Tinnitus) की भी हो सकती है। इस स्थिति में, किसी ईएनटी विशेषज्ञ (कान, नाक, गला डॉक्टर) से परामर्श करें।
ध्यान दें कि यदि यह ध्वनि आध्यात्मिक अनुभव का हिस्सा है, तो यह आपके भीतर की चेतना और दिव्य अनुकंपा का संकेत हो सकती है। लेकिन अगर यह स्वास्थ्य से संबंधित है, तो इसका सही उपचार आवश्यक है। दोनों ही स्थितियों में, धैर्य और विवेक से काम लें। 🙏”
Sometimes, I listened to the left side tik like voice. Please 🙏 reply to me
“जो ‘टिक’ जैसी आवाज़ आप बाईं तरफ सुनते हैं, वह आंतरिक ध्वनि का संकेत हो सकती है, जिसे कई आध्यात्मिक परंपराओं में ‘शब्द’, ‘नाद’ या ‘अनाहद धुन’ कहा जाता है। यह ध्वनि उच्च आध्यात्मिक लोकों से उत्पन्न होने वाली शाश्वत ध्वनि मानी जाती है। ऐसी ध्वनियाँ सुनना अक्सर गहरी साधना या आंतरिक जागरूकता से जुड़ा होता है। यह संकेत हो सकता है कि आप अपने भीतर ध्यान केंद्रित करें और इस दिव्य धुन से जुड़ने का प्रयास करें।
इसे और अधिक समझने के लिए, आप शांत स्थान पर बैठकर अपनी आँखें बंद करें और इस ध्वनि पर ध्यान केंद्रित करें, बिना किसी बाहरी विक्षेप के। यह अभ्यास आपको गहरी आध्यात्मिक चेतना और अपने उच्चतर स्वरूप से जुड़ने में मदद कर सकता है। साथ ही, इस मार्ग पर आगे बढ़ने और इस अनुभव को गहराई से समझने के लिए एक सच्चे गुरु की खोज करें। एक सच्चा गुरु ही आपको इन आध्यात्मिक रहस्यों का सही मार्गदर्शन दे सकता है और आपको इस आंतरिक ध्वनि के स्रोत तक पहुँचने में सहायता कर सकता है। हमेशा शांत रहें, गुरु पर विश्वास रखें और इसे अपने आध्यात्मिक सफर में प्रेरणा के रूप में अपनाएं।”
Thanksssss
Thanksssss
Kya hum naam ko jib se jap sakte hai
जी हां, शुरूआत में जब तक मन स्थिर नहीं होता, तब तक नाम को जिह्वा (जुबान) से जपना सही है। यह अभ्यास आपके मन को स्थिर करने और ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है। लेकिन जैसे-जैसे साधना गहरी होती है और मन टिकने लगता है, तो नाम का जप मन और हृदय के भीतर करना चाहिए।
गुरबाणी में कहा गया है:
“मुखु ऊजला हरि हरि जपि।”
(जुबान से हरि नाम जपने से आरंभ करें।)
आगे चलकर यह जप सहज रूप से अंतर्मन में उतर जाता है और फिर बिना जुबान हिलाए भी निरंतर चलता रहता है। इसलिए शुरू में जिह्वा से जपें, लेकिन बाद में इसे भीतर ले जाने का प्रयास करें। Waheguru जी की कृपा से यह मार्ग आपको सहज हो जाएगा।
धन्यवाद सर
Sometimes l lisned to left side tik tik voice please reply me
Mujhe jhighur ki abaj sunai deti 24 ghante kya kare
“यदि आपका कोई गुरु है तो उनसे इस विषय में मार्गदर्शन लें। आध्यात्मिक ध्वनियों जैसे नाद को समझने और इसका सही अर्थ जानने के लिए गुरु का सहारा लेना अत्यंत लाभकारी हो सकता है। यदि आपका कोई गुरु नहीं है और आप ध्यान अभ्यास नहीं करते हैं, तो यह समस्या टिनिटस (Tinnitus) की भी हो सकती है। इस स्थिति में, किसी ईएनटी विशेषज्ञ (कान, नाक, गला डॉक्टर) से परामर्श करें।
ध्यान दें कि यदि यह ध्वनि आध्यात्मिक अनुभव का हिस्सा है, तो यह आपके भीतर की चेतना और दिव्य अनुकंपा का संकेत हो सकती है। लेकिन अगर यह स्वास्थ्य से संबंधित है, तो इसका सही उपचार आवश्यक है। दोनों ही स्थितियों में, धैर्य और विवेक से काम लें। 🙏”
Dhiyan karta hu par mera koi guru nhi hai
This is first stage of simran. this is sound of earth. Atama ki journey start ho ghai hai
असली अनहद नाद कौन सा है?
असली अनहद नाद वह दिव्य ध्वनि है, जो आत्मा की गहराइयों में प्रकट होती है। यह नाद किसी बाहरी स्रोत से उत्पन्न नहीं होता, बल्कि यह ईश्वर की उपस्थिति का प्रतीक है। इसे सुनने के लिए मन को शांत करना और ध्यान में उतरना आवश्यक है। गुरुबानी में भी इसका उल्लेख है:
“अनहद शब्द धुनि बाणी। सतगुरु ते पाईऐ ग्यानी।”
यह अनहद नाद आत्मा को ब्रह्मांड से जोड़ता है और परम आनंद की अवस्था में ले जाता है। यह अनुभव केवल आंतरिक साधना और सच्चे सतगुरु की कृपा से संभव है।
एक साधक को कुंडलिनी जागृति की बाद अनहद नाद सुनता है या पहले संदेह को दूर कीजिए प्रभु🙏🧘🙏
कुंडलिनी साधना एक गहन और आध्यात्मिक प्रक्रिया है, जिसमें साधक अपनी ऊर्जा को जागृत करके शुद्ध चेतना की ओर ले जाता है। इसमें अनहद नाद का अनुभव एक महत्वपूर्ण पड़ाव माना जाता है। साधक इस दिव्य ध्वनि को कुंडलिनी जागरण से पहले भी सुन सकता है और जागरण के बाद भी। कुंडलिनी जागृत होने से पहले, साधना के दौरान अनहद नाद का अनुभव कई साधकों को होने लगता है। यह ध्वनि ध्यान की गहराई और चित्त की एकाग्रता का परिणाम होती है, जो साधक को ध्यान के उच्च स्तर की ओर ले जाती है। दूसरी ओर, जब कुंडलिनी पूरी तरह जागृत होकर उच्च चक्रों (विशेषकर विशुद्धि, आज्ञा, और सहस्रार चक्र) तक पहुँचती है, तब अनहद नाद का अनुभव और अधिक प्रबल तथा स्थायी हो सकता है। इसे ब्रह्मांडीय ध्वनि या ईश्वरीय चेतना का संकेत माना जाता है।
साधक को अपने अनुभवों पर भरोसा करना चाहिए और यदि कोई संदेह हो, तो अपने गुरु का मार्गदर्शन अवश्य लेना चाहिए। यह भी ध्यान रखना आवश्यक है कि कुंडलिनी जागरण का उद्देश्य केवल अनुभवों तक सीमित नहीं है, बल्कि आत्म-साक्षात्कार की प्राप्ति है। अनहद नाद एक महत्वपूर्ण संकेत हो सकता है, लेकिन इसे साधना का अंतिम लक्ष्य नहीं समझना चाहिए। निरंतर अभ्यास, श्रद्धा, और गुरु कृपा से साधक के सभी संदेह धीरे-धीरे समाप्त हो जाते हैं। साधना में धैर्य और निरंतरता बनाए रखने से दिव्य मार्ग स्वतः स्पष्ट हो जाता है।
Namaskar ji mai jab waheguru simren karti ho tou meri body sunn ho jaati hai specially haath fir wo apne aap oper ko jaane lagte hai aisa kyon ho rha hai
नमस्कार जी, आपने जो अनुभव साझा किया है, वह बहुत गहरे आध्यात्मिक प्रभाव का संकेत हो सकता है। जब हम सच्चे मन और पूरी श्रद्धा से "वाहेगुरु" का सिमरन करते हैं, तो हमारी आत्मा धीरे-धीरे उस ईश्वरीय ऊर्जा से जुड़ने लगती है। शरीर का सुन्न हो जाना और हाथों का ऊपर की ओर उठना एक प्रकार से ऊर्जा प्रवाह का अनुभव हो सकता है।
यह संकेत हो सकता है कि आपकी चेतना धीरे-धीरे स्थूल (भौतिक) से सूक्ष्म (आध्यात्मिक) की ओर जा रही है। जब हम वाहेगुरु के नाम में पूरी तरह लीन हो जाते हैं, तो हमारी आंतरिक ऊर्जा (जिसे कुछ परंपराओं में "कुंडलिनी ऊर्जा" कहा जाता है) सक्रिय हो सकती है। यह ऊर्जा ऊपर की ओर बढ़ती है और शरीर के विभिन्न हिस्सों में हलचल पैदा करती है।
लेकिन साथ ही, यह भी ज़रूरी है कि आप इस अनुभव को सहजता से लें और किसी भय या संदेह में न पड़ें। यह सब गुरु की कृपा और आपके सिमरन की गहराई के कारण हो रहा है। यदि यह अनुभव लगातार हो रहा है और आपको इसमें कोई असुविधा महसूस हो, तो अपने गुरु या किसी अनुभवी आध्यात्मिक मार्गदर्शक से चर्चा करें।
याद रखें, सच्चे मन से सिमरन करते रहना ही सबसे बड़ी साधना है। वाहेगुरु की अपार कृपा आप पर बनी रहे। 🙏
Guru ji jab me sota hu tab mujhe bahut teebra gadgadhat ki avaj sunai deti aur apni body ko hila nahi pata aur bahut der me aankh khulati h aur mujhe dar lagata h kya isse meri mirtyu to nahi ho jayegi isse
आपके द्वारा बताई गई “तेज गड़गड़ाहट की आवाज़” स्लीप पैरालिसिस या सोने-जागने के बीच की स्थिति में महसूस हो सकती है। यह बाहरी नहीं, बल्कि मस्तिष्क की एक आंतरिक प्रक्रिया है, जिसे ध्वनि भ्रम कहा जाता है। यह गूंज या कंपन जैसी आवाज़ हो सकती है, जो मस्तिष्क की जागरूकता के कारण महसूस होती है। आध्यात्मिक दृष्टि से इसे आंतरिक ऊर्जा का अनुभव माना जा सकता है। यह खतरनाक नहीं है, लेकिन अगर बार-बार हो, तो नियमित नींद, ध्यान और गहरी साँस का अभ्यास करें। ज़रूरत पड़ने पर डॉक्टर से सलाह लें। सकारात्मक रहें और घबराएं नहीं।
Pranaam 🙏 guruji maine kuch dino se hi sadhna karna praramb kiya hai Sone se pahle aadha ghanta dhayan me bathti hu 4 5 din se body me tarango jaisa mahsoos hota hai or achcha bhi lagta hai ye sab kya hai or anhad naad ki aawaj sunne me kitna time lag jata hai Please naye sadhko ka margadarshan kare🙏main dhyaan me Waheguru ka jaap karti hu 🙏
प्रणाम। आपका अनुभव और साधना में आरंभिक प्रगति बहुत ही शुभ संकेत है। शरीर में तरंगों जैसा अनुभव ऊर्जा के प्रवाह और आंतरिक चेतना के जागृत होने का प्रतीक है। यह इस बात का संकेत है कि आप सही दिशा में बढ़ रही हैं। जब हम ध्यान और सिमरन करते हैं, तो यह ऊर्जा हमारे भीतर के सूक्ष्म केंद्रों को जागृत करती है। यह अनुभव आनंद और शांति का कारण बनता है।
जहां तक अनहद नाद की आवाज सुनने का प्रश्न है, यह प्रत्येक व्यक्ति के साधना के स्तर और समर्पण पर निर्भर करता है। इसके लिए मन को पूरी तरह स्थिर करना और विचारों से मुक्त होना आवश्यक है। नियमित ध्यान और सच्चे गुरु का मार्गदर्शन इस प्रक्रिया को सहज और सरल बना सकता है।
सच्चे गुरु की तलाश करें। सच्चा गुरु वह होता है जो आपको पांच नाम का बोध कराए और आपकी साधना को सही दिशा दे। गुरबाणी में कहा गया है:
“गुरु बिन घोर अंधार।”
(गुरु के बिना जीवन अंधकारमय होता है।)
अपने ध्यान और सिमरन को निरंतर बनाए रखें। यदि आप किसी सच्चे गुरु की शरण में नहीं हैं, तो कृपा कर उनकी तलाश करें, क्योंकि वही आपको इन अनुभवों को गहराई से समझने और साधना को प्रगति देने में मदद करेंगे।
आपकी साधना में निरंतरता और श्रद्धा बनी रहे। Waheguru जी की कृपा से आपको अनहद नाद का अनुभव और गहराई प्राप्त होगी।
@beinwardshindidhanyvad guruji 🙏mere paas abhi kisi guru ki sharan nahi hai main 1 saal se amritvele k saath judi hu subah apne gurubani k path karne k baad dhyaan me baithi hu ishver ki kripa se maine TH-cam se dhyaan k baare me or anhad naad k baare me suna hai or gurbani me bhi anhad naad or dasam dwar ko ishvar ki prapti ka marg bataya gaya hai kya yahi se moksh ki prapti hoti hai? Please margadarshan kare🙏
कबीर साहब फरमाते हैं कि शरीर से की गई भगति काल की है
🙏🙏🙏
आपके प्रेम और समर्पण के लिए हृदय से धन्यवाद। आप हमारे परिवार के सदस्य जैसे हैं, और आपके जैसे शुभचिंतक हमारी प्रेरणा हैं। हम आपको यह बताना चाहते हैं कि हमने हाल ही में अपने चैनल का नाम ‘Beinwards’ से बदलकर ‘Sant Matt’ कर दिया है। इस बदलाव के कारण हमारे वीडियो सही ढंग से लोगों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। कृपया हमारा सहयोग करें और हमारे वीडियो अधिक से अधिक लोगों तक साझा करें, ताकि इस आध्यात्मिक ज्ञान का प्रकाश हर जगह फैले। आपका समर्थन हमारे लिए बेहद मूल्यवान है। धन्यवाद!
जी सहमत है
कबीर साहब फरमाते है ना शरीर से नाही इन्द्र ओ से (आंख,कान, मूंह) कि गई भगति काल की है
Jhungur ki awaz 3-4 month se sun rehe ha . Next awaz nahi aa rehi
आपका अनुभव बहुत ही रोचक और गूढ़ संकेतों से भरा हुआ है। झींगुर की आवाज़ का लगातार सुनाई देना, विशेष रूप से ध्यान साधना या आत्मचिंतन के दौरान, कई बार हमारे भीतर की सूक्ष्म तरंगों का प्रतीक होता है। यह ब्रह्मांडीय ध्वनि, जिसे नाद या अनाहत नाद भी कहा जाता है, हमें हमारे अस्तित्व की गहराई में ले जाने की कोशिश करती है।
इस अनुभव को साधारण न मानें-यह आत्मिक जागरण का संकेत हो सकता है। जब ये ध्वनियाँ सुनाई देती हैं, तो समझें कि यह आपकी आत्मा का आपको भीतर की यात्रा पर आमंत्रण है। ये ध्वनियाँ ध्यान की गहराई में उतरने और आंतरिक शांति की अनुभूति कराने का माध्यम हैं।
क्या करें:
1. ध्यान के समय इन ध्वनियों को ध्यानपूर्वक सुनें। यह नाद-ब्रह्म का स्वरूप है, जो आपको आत्मिक मार्ग पर आगे बढ़ाने का संकेत दे रहा है।
2. गुरु के बताए मार्ग पर चलते रहें। गुरु का आश्रय लेना ही सबसे बड़ा संबल है। उनकी दी हुई साधना को निरंतर करें और अपने अनुभवों को उनके समक्ष रखें।
3. शांति से आत्मचिंतन करें। यह अनुभव आपके भीतर छिपी शक्ति और चेतना को जागृत करने का प्रयास कर रहा है।
संतों की वाणी में कहा गया है:
“अनहद बाजे झीनी झीनी, गुरु मिलि बाझत कौन।”
इसका अर्थ है कि अनाहत नाद, जो निरंतर गूंजता रहता है, गुरु की कृपा से ही सुनाई पड़ता है। यह एक आध्यात्मिक अनुभूति है, जो ईश्वर की निकटता का अनुभव कराती है।
आप इसी मार्ग पर चलते रहें, गुरु की शरण में रहें और इस दिव्य अनुभव का आनंद लें। यह आत्मा की पुकार है, जिसे सुनना और समझना आपका कर्तव्य है। 🌸🙏
4G kajamana ha
???
Mujhe jhingur ki awaz to har waqut sunai deti he. Mathe k beech sir k madhya me ek tez aur bahut sharp vibration rehti he. Aur aksar baki k chakro per bhi vibration hoti rehti he. Aur prkash bhi dikhai deta he. Sote k samya jab anke band karke vibration per dhyan chala jata he aur. Samne prkash ek gole k roop me dikhai deta rehta he Jo ghumta rehta he. Veh kabhi dudhiya kabhi purple blue and violet colour bhi hota he. Me dhyaan bhi jayada nahi karti. Kya mujhe roshni per dhyan lagana chahiye. Ya vibration per. Me isse age nahi badh paa rahi hu. Aur ye awastha badi asani se aa gyi he. Isse age nahi ho paa raha.
आपने जो अनुभव साझा किया है, वह अत्यंत गहरे आध्यात्मिक जागरण और ऊर्जा प्रवाह का प्रतीक है। यह स्पष्ट है कि आपकी साधना में एक विशेष गहराई और ईश्वर के प्रति सच्चा समर्पण है। आपके अनुभवों को सही दिशा में और आगे बढ़ाने के लिए कुछ बातें साझा करना चाहता हूँ:
1. सच्चे गुरु की तलाश सबसे महत्वपूर्ण है
आध्यात्मिक यात्रा में, एक सच्चा गुरु वह प्रकाशस्तंभ है जो अज्ञान के अंधकार को दूर करता है और आपके अनुभवों को सही दिशा में ले जाता है।
गुरु के बिना, यह संभव है कि ऊर्जा प्रवाह और ध्यान की गहराई को समझना और संभालना कठिन हो। गुरु आपकी साधना को संतुलित और स्थिर करने में सहायक होते हैं।
जैसा कबीर साहिब ने कहा:
"गुरु बिन ज्ञान न उपजै, गुरु बिन मिले न मोक्ष।"
गुरु ही वह माध्यम हैं जो आत्मा को परमात्मा से जोड़ते हैं।
क्या करें?
एक सच्चे गुरु की तलाश करें, जो आपके अनुभवों को समझ सके और आपको आध्यात्मिक मार्गदर्शन दे सके।
गुरु के सानिध्य में आपकी साधना और भी गहरी और सार्थक हो जाएगी।
2. झिंगुर की आवाज़ और ऊर्जा का अनुभव
झिंगुर की आवाज़ और माथे के बीच कंपन (आज्ञा चक्र पर) यह दर्शाता है कि आपकी कुंडलिनी ऊर्जा जागृत हो रही है। यह गुरु की कृपा से ही नियंत्रित और संतुलित हो सकती है।
गुरु आपको बताएंगे कि इन अनुभवों को कैसे समझें और इनसे जुड़े डर या उलझनों को दूर करें।
3. प्रकाश के अनुभव को कैसे संभालें?
प्रकाश का गोलाकार रूप में दिखना और विभिन्न रंगों (दूधिया, बैंगनी, नीला) का अनुभव होना आपकी ऊर्जा का संकेत है।
गुरु आपको सिखाएंगे कि इस प्रकाश को कैसे ध्यान के माध्यम से गहराई में ले जाएं, ताकि यह ईश्वर से मिलन का मार्ग प्रशस्त करे।
क्या करें?
प्रकाश और कंपन दोनों पर ध्यान दें, लेकिन इसे स्वाभाविक रूप से होने दें।
गुरु का मार्गदर्शन इन अनुभवों को और स्पष्टता देगा।
4. ध्यान में रुकावट और आगे न बढ़ पाना
ध्यान की अवस्था में रुकावट महसूस होना यह संकेत है कि अब आपको गुरु की सहायता की आवश्यकता है।
गुरु आपके ध्यान को गहराई तक ले जाने में सहायक होंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि आपकी ऊर्जा सही दिशा में प्रवाहित हो।
क्या करें?
गुरु की शरण में जाएं और उनसे अपनी जिज्ञासाएं साझा करें।
गुरु की कृपा से आप इस स्थिति से आगे बढ़ पाएंगे।
5. सच्चे गुरु के लक्षण
सच्चा गुरु वह है जो आपके अनुभवों को समझे, आपके भीतर की ऊर्जा को स्थिर करे, और आपको ईश्वर के प्रति प्रेम और समर्पण में गहराई तक ले जाए।
गुरु आपको ज्ञान के साथ-साथ अनुभव का मार्ग भी दिखाते हैं।
6. प्रार्थना और समर्पण
जब तक सच्चे गुरु की प्राप्ति न हो, प्रभु से प्रार्थना करें कि वे आपको सही मार्गदर्शन दें।
ईश्वर से मिलन की भावना को बनाए रखें और हर अनुभव को उनकी कृपा मानें।
आपके भीतर जो अनुभव और ऊर्जा प्रवाह हो रहा है, वह आपके ईश्वर के करीब होने का संकेत है। सच्चे गुरु की खोज आपके इन अनुभवों को और अधिक स्पष्टता और उद्देश्य देगा। आपकी साधना गहन और फलदायक हो, यही मेरी शुभकामनाएं हैं। 🙏✨
आपने जो अनुभव साझा किया है, वह अत्यंत गहरे आध्यात्मिक जागरण और ऊर्जा प्रवाह का प्रतीक है। यह स्पष्ट है कि आपकी साधना में एक विशेष गहराई और ईश्वर के प्रति सच्चा समर्पण है। आपके अनुभवों को सही दिशा में और आगे बढ़ाने के लिए कुछ बातें साझा करना चाहता हूँ:
1. सच्चे गुरु की तलाश सबसे महत्वपूर्ण है
आध्यात्मिक यात्रा में, एक सच्चा गुरु वह प्रकाशस्तंभ है जो अज्ञान के अंधकार को दूर करता है और आपके अनुभवों को सही दिशा में ले जाता है।
गुरु के बिना, यह संभव है कि ऊर्जा प्रवाह और ध्यान की गहराई को समझना और संभालना कठिन हो। गुरु आपकी साधना को संतुलित और स्थिर करने में सहायक होते हैं।
जैसा कबीर साहिब ने कहा:
"गुरु बिन ज्ञान न उपजै, गुरु बिन मिले न मोक्ष।"
गुरु ही वह माध्यम हैं जो आत्मा को परमात्मा से जोड़ते हैं।
क्या करें?
एक सच्चे गुरु की तलाश करें, जो आपके अनुभवों को समझ सके और आपको आध्यात्मिक मार्गदर्शन दे सके।
गुरु के सानिध्य में आपकी साधना और भी गहरी और सार्थक हो जाएगी।
2. झिंगुर की आवाज़ और ऊर्जा का अनुभव
झिंगुर की आवाज़ और माथे के बीच कंपन (आज्ञा चक्र पर) यह दर्शाता है कि आपकी कुंडलिनी ऊर्जा जागृत हो रही है। यह गुरु की कृपा से ही नियंत्रित और संतुलित हो सकती है।
गुरु आपको बताएंगे कि इन अनुभवों को कैसे समझें और इनसे जुड़े डर या उलझनों को दूर करें।
3. प्रकाश के अनुभव को कैसे संभालें?
प्रकाश का गोलाकार रूप में दिखना और विभिन्न रंगों (दूधिया, बैंगनी, नीला) का अनुभव होना आपकी ऊर्जा का संकेत है।
गुरु आपको सिखाएंगे कि इस प्रकाश को कैसे ध्यान के माध्यम से गहराई में ले जाएं, ताकि यह ईश्वर से मिलन का मार्ग प्रशस्त करे।
क्या करें?
प्रकाश और कंपन दोनों पर ध्यान दें, लेकिन इसे स्वाभाविक रूप से होने दें।
गुरु का मार्गदर्शन इन अनुभवों को और स्पष्टता देगा।
4. ध्यान में रुकावट और आगे न बढ़ पाना
ध्यान की अवस्था में रुकावट महसूस होना यह संकेत है कि अब आपको गुरु की सहायता की आवश्यकता है।
गुरु आपके ध्यान को गहराई तक ले जाने में सहायक होंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि आपकी ऊर्जा सही दिशा में प्रवाहित हो।
क्या करें?
गुरु की शरण में जाएं और उनसे अपनी जिज्ञासाएं साझा करें।
गुरु की कृपा से आप इस स्थिति से आगे बढ़ पाएंगे।
5. सच्चे गुरु के लक्षण
सच्चा गुरु वह है जो आपके अनुभवों को समझे, आपके भीतर की ऊर्जा को स्थिर करे, और आपको ईश्वर के प्रति प्रेम और समर्पण में गहराई तक ले जाए।
गुरु आपको ज्ञान के साथ-साथ अनुभव का मार्ग भी दिखाते हैं।
6. प्रार्थना और समर्पण
जब तक सच्चे गुरु की प्राप्ति न हो, प्रभु से प्रार्थना करें कि वे आपको सही मार्गदर्शन दें।
ईश्वर से मिलन की भावना को बनाए रखें और हर अनुभव को उनकी कृपा मानें।
आपके भीतर जो अनुभव और ऊर्जा प्रवाह हो रहा है, वह आपके ईश्वर के करीब होने का संकेत है। सच्चे गुरु की खोज आपके इन अनुभवों को और अधिक स्पष्टता और उद्देश्य देगा। आपकी साधना गहन और फलदायक हो, यही मेरी शुभकामनाएं हैं। 🙏✨
आपने जो अनुभव साझा किया है, वह गहरे आध्यात्मिक जागरण और ऊर्जा प्रवाह का प्रतीक है। यह स्पष्ट है कि आपकी साधना में एक विशेष गहराई है और आप ईश्वर के प्रति सच्चा समर्पण रखते हैं। झिंगुर की आवाज़ सुनाई देना, माथे के बीच तेज कंपन महसूस होना, और प्रकाश का विभिन्न रंगों में गोलाकार रूप में दिखना, यह सब आपके ध्यान की गहराई और कुंडलिनी ऊर्जा के जागरण का संकेत हैं। हालांकि, इन अनुभवों को समझना और सही दिशा में आगे बढ़ाना अत्यंत महत्वपूर्ण है। ऐसे समय में एक सच्चे गुरु का मार्गदर्शन सबसे आवश्यक होता है। गुरु ही वह प्रकाश हैं जो आपकी ऊर्जा और साधना को सही दिशा में ले जाकर इसे स्थिर और संतुलित करते हैं।
गुरु के बिना, यह संभव है कि इन अनुभवों को समझने में कठिनाई हो या साधना में रुकावट महसूस हो। जैसा कबीर साहिब ने कहा है: *"गुरु बिन ज्ञान न उपजै, गुरु बिन मिले न मोक्ष।"* सच्चा गुरु वह होता है जो अज्ञान के अंधकार को दूर करके आत्मा को परमात्मा से जोड़ता है। आपकी साधना में जो प्रकाश और ऊर्जा का अनुभव हो रहा है, वह गुरु की कृपा से ही स्पष्टता और दिशा प्राप्त करेगा। गुरु आपको बताएंगे कि ध्यान के दौरान प्रकाश और कंपन का अनुभव कैसे संभालना है और इसे गहराई तक ले जाकर ईश्वर से मिलन का मार्ग कैसे प्रशस्त करना है।
जब तक सच्चे गुरु की प्राप्ति न हो, तब तक अपने अनुभवों को सहजता और धैर्य के साथ स्वीकार करें। प्रभु से प्रार्थना करें कि वे आपको सही मार्गदर्शन देने वाले गुरु की शरण में ले जाएं। साधना के दौरान अपने मन और आत्मा को ईश्वर के प्रति पूर्ण समर्पित रखें। सच्चे गुरु की खोज आपकी आध्यात्मिक यात्रा को न केवल सरल बनाएगी बल्कि आपको उस परम आनंद और मिलन की ओर ले जाएगी जिसकी आप तलाश कर रहे हैं। आपकी साधना गहन और फलदायक हो, यही मेरी शुभकामनाएं हैं। 🙏✨
महात्मा बुद्ध बिना गुरु के सिद्ध हुए थे क्या?
Ek din ek Sadhna Kari uska fal yah hua Om ka swar aur jhingur ki awaaz donon sunai dene lagi sidhe kan se aur ab Dhyan mein Rahane ka man karta hai aur kamon mein man hi nahin lagta margdarshan Karen Main Kya Karun
आपका अनुभव यह दर्शाता है कि आपकी साधना सही दिशा में आगे बढ़ रही है। ॐ का स्वर और झींगुर जैसी आवाज सुनाई देना, जिसे आध्यात्मिक रूप से अनहद नाद कहा जाता है, यह गहरे ध्यान और आंतरिक ऊर्जा के जागरण का प्रतीक है। यह बहुत शुभ संकेत है कि आप ध्यान की स्थिति में स्थिर हो रहे हैं।
जहां तक कामों में मन न लगने का सवाल है, यह भी साधना के आरंभिक चरणों में सामान्य है, क्योंकि ध्यान के अनुभव इतने गहरे और आनंददायक होते हैं कि अन्य कार्यों में रुचि कम हो जाती है। लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि आप अपने जीवन के दायित्वों को भी निभाते रहें।
मार्गदर्शन:
1. ध्यान और जीवन का संतुलन बनाए रखें: सुबह और रात में नियमित ध्यान करें, लेकिन दिन के समय अपने कार्यों और जिम्मेदारियों पर ध्यान केंद्रित करें।
2. सच्चे गुरु की शरण लें: यदि आपने अभी तक सच्चे गुरु का मार्गदर्शन नहीं लिया है, तो पांच नाम का भेदी सच्चा गुरु खोजें। गुरु ही इन अनुभवों को समझने और साधना को सही दिशा देने में सहायता करेंगे।
3. सत्संग का हिस्सा बनें: नियमित रूप से सत्संग में जाएं। वहां आपको अपने अनुभवों को गहराई से समझने का मार्ग मिलेगा।
4. प्रभु की इच्छा पर भरोसा रखें: जैसा कि गुरुजन कहते हैं, “हमारा काम बस बैठकर सिमरन करना है, बाकी सब कृपा का समय गुरु पर छोड़ देना चाहिए।”
गुरबाणी में कहा गया है:
“सतगुरु सिख को नाम द्रिड़ाए।”
(सच्चे गुरु शिष्य को नाम का दृढ़ अभ्यास कराते हैं।)
आपका ध्यान और साधना जारी रखें। धीरे-धीरे सभी सवालों के उत्तर और मार्गदर्शन आपको स्वतः ही मिलने लगेंगे। Waheguru जी की कृपा आप पर बनी रहे।
Ab munh mein mitash Gul jaati Hai Dhyan se uthne ke bad
यह अनुभव दर्शाता है कि आपका ध्यान गहरी आध्यात्मिक अवस्था में पहुँच रहा है। ध्यान के बाद मुंह में मिठास का अनुभव आत्मा और परमात्मा के मिलन का प्रतीक हो सकता है। इसे दिव्य कृपा और साधना का फल माना जाता है।
गुरबाणी में कहा गया है:
“रसना राम रसोई लागी।”
(जीभ पर भगवान के नाम की मिठास लगती है।)
यह मिठास यह संकेत है कि आपकी साधना सही दिशा में आगे बढ़ रही है। इसे प्रभु की कृपा और आंतरिक शांति का प्रतीक समझें। नियमित ध्यान और सिमरन करते रहें, और इस दिव्य अनुभव को प्रभु की भक्ति के प्रति समर्पण के रूप में स्वीकार करें। Waheguru जी की कृपा बनी रहे।
Radha soami ji 🙏
🙏🙏
Radha Swami ji
🙏🙏🙏🙏🙏🙏