"आप सभी को मेरा स्नेह और धन्यवाद। आप हमारे परिवार के सदस्य की तरह हैं, और आपकी सहायता से ही हमारा यह प्रयास सफल हो सकता है। हमने हाल ही में अपने चैनल का नाम ‘Beinwards’ से बदलकर ‘Sant Matt’ कर दिया है। इस बदलाव के कारण हमारे वीडियो अभी लोगों तक पूरी तरह से नहीं पहुंच पा रहे हैं। हम आपसे निवेदन करते हैं कि कृपया हमारे वीडियो को अधिक से अधिक साझा करें ताकि इस आध्यात्मिक ज्ञान को हर किसी तक पहुंचाया जा सके। आपका समर्थन और सहयोग हमारे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। आपका समय और साथ के लिए हृदय से धन्यवाद!"
“आपके इस स्नेह और सराहना भरे शब्दों के लिए हृदय से धन्यवाद। यह आप सभी का प्रेम और समर्थन है जो हमें आगे बढ़ने और और भी ज्ञानवर्धक सामग्री आप तक पहुँचाने के लिए प्रेरित करता है। कृपया ऐसे ही जुड़े रहें और हमारे वीडियो को साझा करें ताकि यह संदेश अधिक से अधिक लोगों तक पहुँच सके। आपका आभार और आशीर्वाद।
“अगर दाहिना कान बंद हो जाए, तो यह कोई चिंता की बात नहीं है। असल में, अनहद नाद को सुनने का संबंध बाहरी कान या किसी बाहरी ध्वनि से नहीं है। यह नाद पूरी तरह से भीतर की अनुभूति है, जो आत्मा के गहन स्तर पर अनुभव की जाती है। इसे सुनने के लिए हमें ध्यान को अपने माथे के बीचों-बीच केंद्रित करना चाहिए और इसे अपने अंदर सुनने का प्रयास करना चाहिए। सच्चे भाव और सिमरन के साथ यह दिव्य ध्वनि धीरे-धीरे प्रकट होती है और आत्मा को गहराई से जोड़ती है। बाहरी ध्वनियों की ओर ध्यान न देकर, अपने भीतर की ओर मुड़ें और इस अनुभव को आत्मसात करें।”
“सिमरन करने के कई तरीके होते हैं, लेकिन सांस-सांस सिमरन एक श्रेष्ठ और प्रभावी विधि है। इसमें आप अपनी सांसों पर ध्यान केंद्रित करते हुए, मंत्र या प्रभु के नाम का जाप करते हैं। जब आप सांस अंदर लेते हैं, तो ‘वाहेगुरु’ या अपने इष्ट का नाम लें, और जब सांस बाहर छोड़ते हैं, तब भी नाम का जाप करें। यह तरीका मन और तन दोनों को शांति प्रदान करता है। इसके अलावा, आप अपनी सुविधा के अनुसार सिमरन का कोई और सरल तरीका भी अपना सकते हैं, जैसे कि कीर्तन, मूल मंत्र, या मन में नाम जपना। हर तरीका एक ही उद्देश्य के लिए होता है - आपको परमात्मा से जोड़ने की अनुभूति कराना।”
आपके अनुभवों का वर्णन बहुत महत्वपूर्ण है। ध्यान या साधना के दौरान कानों में ध्वनियाँ सुनाई देना, जिसे “अनाहद नाद” कहा जाता है, एक आध्यात्मिक संकेत हो सकता है। यह दर्शाता है कि आप अपनी आंतरिक ऊर्जा से जुड़ रहे हैं। यह अनुभव सुखद है और ध्यान को गहराई में ले जाने में सहायक हो सकता है। यदि आपके पास पहले से कोई गुरु हैं, तो उनसे संपर्क करें और अपने अनुभव साझा करें। एक पूर्ण गुरु आपके इन अनुभवों का सही मार्गदर्शन कर सकते हैं और यह भी समझा सकते हैं कि इसे साधना में कैसे उपयोग किया जाए। यदि आपके पास गुरु नहीं हैं, तो एक पूर्ण गुरु खोजने का प्रयास करें, क्योंकि सही गुरु आपको आध्यात्मिक यात्रा पर सही दिशा और ज्ञान प्रदान कर सकते हैं। ध्यान में सहज रहें, किसी भी प्रकार की असुविधा महसूस होने पर तुरंत गुरु या चिकित्सकीय सलाह लें। आपकी साधना आपके भीतर की शांति और परमात्मा से जुड़ने का माध्यम बनेगी। जय गुरुदेव।
आरंभ में इसे नजरअंदाज करना एक विकल्प हो सकता है, लेकिन यह दीर्घकालिक समाधान नहीं है। हां, यह सच है कि यह पूरी तरह हमारे हाथ में नहीं है। इसी वजह से पूर्ण गुरु का मार्गदर्शन अत्यंत आवश्यक होता है। गुरु के बिना साधना के मार्ग पर बढ़ना कठिन हो सकता है। कृपया अपने गुरु से परामर्श करें और उनके दिखाए मार्ग पर चलें। उनका आशीर्वाद और दिशा-निर्देश आपको इस स्थिति से बाहर निकलने में सहायक होंगे।
GURU dwara diye gye naam ka jaap kre jo glt awaj hongi vo gayab ho jayegi or agr sachi awaj hongi to sunai deti rhegi... isliye hi guru ka hona is marg me bhot aavshak hai🙏
ये youtubers केवल अपने channel के लिए vedio बनाते है और लोगों को भटकाते हैं।।। इनको अनहद नाद का कोई experience ही नहीं है,, अगर है तो ये मुझसे बात करे,, मैं बताती हूँ क्या होता है अनहद नाद l इसे सुनने की कोशिश क्यों करनी है,, ये तो आप चाहो या ना चाहो,, खुद ही सुनाई देता है.. जैसे जैसे मनुष्य ध्यान में गहरा उतरता जाता है l केवल समर्पित भाव से ध्यान करते रहो l अपनी आँखे बंद करके,,,, बंद आँखों से सामने देखना है बस l कोई अच्छी सी धुन ..या 🕉 धुन लगा ले starting में, धीरे-धीरे जैसे जैसे level बढ़ेगा,, आपका ध्यान स्वत: ही लग जाएगा l मैं तो वो कुछ भी नहीं हूँ,, जिसका जिक्र आपने अपनी video में किया है फिर भी भीतर से भी और बाहर बाहर से भी अनहद नाद सुनाई देता है ll इसके बाद एक स्थिति ऐसी भी आएगी,, जब ये सब सुनना बंद हो जाएगा..ll
पहले तो भीतर से अनहद नाद सुनाई देगा, बाहर का तो बाद की बात है,, जब भीतर से सुनाई देगा, आप में काफी कुछ बदल जाएगा l पहले आप करिए तो निस्वार्थ भाव से..lll
प्रणाम प्रभु परमात्मा स्वरूप कोटि कोटि नमन 🙏🙏🙏 माया के प्रभाव में इस तरह उलझे है ये लोग (मन) और उसको ही परम सत्य मान कर बेश कीमती अमूल्य जीवन की धारा को बेहोशी मैं बर्बाद कर रहे हैं I इस भ्रम को तोड़ना बहुत कठिन है I हर कोई ज्ञानी है और फिर भी सुख दुख की नैया मैं गोते खा रहे हैं I यहा दूसरा कोई है ही नहीं सिवाय भ्रम (माया) के और माया भी माया पति की ही है वह भी एक ही अस्तित्व है दो नहीं है I हर पल सब घटित हो रहा है I ध्यान मैं ही है सब बस अभी ये राग द्वेष मोह छल कपट ईर्ष्या वैमनस्य मैं घटित हो रहा है I और सब ध्यान करने के लिए भटक रहे हैं कि ध्यान कैसे करे I अरे ध्यान करने की कोई क्रिया नहीं है I पता इसलिए नहीं पडता क्यूं की सब स्व सम्मोहित है अपनी-अपनी रचित माया के जाल में और जीव जंजाल मैं दुखी हैं I फिर क्या उपाय है I ये दुनिया संसार मुर्ख मन है ये कभी ना समझा है चाहे कितने बुद्ध पुरुष आए और प्रेम करुणा वस ग्यान बांटा पर ये मुर्ख मन हमेशा माया मैं ही भ्रमित ही रहेगा उनको माया ही सत्य दिखाई पड़ती हैं माया पति नहीं I फिर भी बुद्ध करुणा वस अपना प्रेम बांटते है समग्र अस्तित्व इकत्व बटवाता है I एक परम अज्ञानी जिसने यही जाना कि कुछ भी नहीं जाना जा सकता है सिर्फ और सिर्फ लीन और विलीन हुआ जा सकता है I अस्तित्व यही है यही योग है I यही समग्रतः एक ही है I
आपके इस गहन और विचारशील टिप्पणी के लिए हृदय से धन्यवाद। आपने “माया” और सत्य के बीच के जटिल संबंध को इतनी सुंदरता और स्पष्टता से व्यक्त किया है कि पढ़ते ही मन में एक गहरा प्रभाव पड़ा। यह सच है कि माया का प्रभाव हमें अपने वास्तविक स्वरूप से दूर कर देता है, और इसी सत्य को समझने और अनुभव करने का प्रयास हमारी यह यात्रा है। आपने जो बात कही कि अस्तित्व में विलीन होना ही अंतिम सत्य है, वह मेरे भी हृदय के बहुत करीब है। आपके इस दृष्टिकोण और गहराई ने मेरे इस प्रयास को सार्थक बना दिया। ऐसी ही प्रेरणा और विचार हमारे इस यात्रा को और सशक्त बनाते हैं। आपकी इस भावना के लिए मैं आपका आभार व्यक्त करता हूं और प्रार्थना करता हूं कि हम सभी इस सत्य को समझने और अनुभव करने की दिशा में आगे बढ़ें। धन्यवाद।
ओम नमःशिवाय प्रणाम गुरुदेव किसी भी सिंधिया शक्ति को पहचानने के लिए गुरु आशीर्वाद नहीं है तो क्या हमारी पूजा सफल नहीं होगी हमारी सीडीओ के बराबर ही गुरु हमें चाहिए किसी को भी गुरु कैसे बनाएं❤
“आपकी बात सत्य है। गुरु का आशीर्वाद और उनकी मार्गदर्शना हमारे आध्यात्मिक मार्ग में अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। केवल सिध्दियां प्राप्त करना ही उद्देश्य नहीं है, बल्कि उनके सही उपयोग और आत्मा की उन्नति के लिए सही गुरु का होना आवश्यक है। सच्चे गुरु के बिना, पूजा और साधना अधूरी रह सकती है। गुरु को चुनने से पहले उनके ज्ञान, अनुभव और उनके जीवन के उदाहरणों को समझना चाहिए। शिव को समर्पण और गुरु की कृपा से ही आत्मिक प्रगति संभव है। आप हमारे अगले वीडियो को ज़रूर देखें, उसमें हमने विस्तार से बताया है कि गुरु की पहचान कैसे करें।”
यदि आप पैरों के पार बैठने में असमर्थ हैं, तो आप किसी भी आरामदायक आसन में बैठ सकती हैं, जैसे कुर्सी या सोफे पर। शरीर के लचीलेपन को धीरे-धीरे बढ़ाने के लिए हल्के योग अभ्यास जैसे सुखासन या वज्रासन का प्रयास करें, जब तक कि आप अधिक सहज महसूस न करें। कानों से सांसों की आवाज़ सुनाई देना ध्यान की प्रक्रिया का एक सामान्य हिस्सा हो सकता है, जिसे लेकर घबराने की आवश्यकता नहीं है। इसे सहजता से स्वीकारें और इसे ध्यान का एक प्राकृतिक अनुभव मानें। यदि यह समस्या आपको असहज महसूस कराती है या लगातार बनी रहती है, तो किसी योग्य योग शिक्षक या चिकित्सक से परामर्श अवश्य लें। इसके अलावा, ध्यान करते समय शरीर और मन को तनावमुक्त रखना बेहद जरूरी है। गहरी सांसें लें, मन को शांत करें और धीरे-धीरे इस प्रक्रिया का आनंद लें। आपकी स्थिति में सुधार लाने के लिए यह मार्गदर्शन सहायक होगा।
“Absolutely true! The right hemisphere’s role as the antenna connected to the cosmos is not just an idea but a profound reality. It’s through this connection that we can transcend the mundane and align with the universal flow, leading to the ultimate union. A truly powerful truth!”
Gurudev pranam aapane likha hai ki humne Naam badalkar sant Mantra kar diya hai aapka channel chalu hai Gurudev Kumbh mele ke Karan kuchh kam ho gaye hain aur jab tak Kumbh Mela rahega tab tak thoda sa down hi chalega channel Om namah Shivay
जब सच्ची सुन्न समाधि की अवस्था प्राप्त होती है, तो कान बंद करने की आवश्यकता नहीं रहती। सुन्न समाधि वह स्थिति है, जब साधक की आत्मा स्थिर होकर बाहरी इंद्रियों और संसार से परे हो जाती है। इस अवस्था में मन, वाणी और बाहरी ध्वनियों का कोई प्रभाव नहीं रहता। यह आत्मा का पूर्णतः नाद के साथ एकरस हो जाना है। कान बंद करना या किसी विशेष क्रिया का उपयोग प्रारंभिक साधना के लिए सहायक हो सकता है, लेकिन जब साधक सुन्न समाधि तक पहुंच जाता है, तो यह क्रियाएं अनावश्यक हो जाती हैं। उस समय, नाद अपने आप भीतर स्पष्ट सुनाई देने लगता है, चाहे आपकी स्थिति कोई भी हो। सुन्न समाधि में आत्मा अपनी गहराई में परमात्मा के शुद्ध स्वरूप से जुड़ जाती है, और यह अनुभव शारीरिक क्रियाओं से परे हो जाता है। इसलिए, अगर आप सुन्न समाधि का अनुभव कर रहे हैं, तो सहजता से इस स्थिति का आनंद लें। गुरु कृपा और सुमिरन के माध्यम से इस अनुभव को और गहराई दें। यह आपके आत्मिक उत्थान और प्रभु से मिलन का मार्ग है। जय गुरुदेव। 🙏
आपको अगर बांये कान की तरफ से आवाज आती सुनाई दे तो उस पर ध्यान न दें तथा आप दृढ़ निश्चय करें कि मुझे दांई तरफ से आ रही आवाज सुननी है। तथा अंतर में अपने गुरु से प्रार्थना करें। मार्ग दर्शन वहीं करेंगे।
Gurudev pranam jiska anath na jagrit hona hai yah to Gurudev kudarti hai Kan mein ungali rakhne ki jarurat nahin hai Amarnath bahut kamyab chij hai turant thand lag jaate Hain iske dhani dhani se kuchh galat bol Gaya to Gurudev maaf kar dijiyega
आपकी बात को बहुत आदरपूर्वक स्वीकार करता हूँ। यह सत्य है कि अमरनाथ और नाद जैसी दिव्य अवस्थाएँ अत्यंत दुर्लभ और अद्भुत होती हैं, और जो साधक सहज रूप से इस अवस्था में पहुंचते हैं, वे वास्तव में भाग्यशाली होते हैं। लेकिन साथ ही, हमें यह भी समझना चाहिए कि सभी साधकों की यात्रा अलग होती है। कई साधक ऐसे होते हैं जिनका नाद प्राकृतिक रूप से जाग्रत नहीं होता। उनके लिए प्रारंभिक साधना के दौरान गुरु दीक्षा और विधि का पालन करना आवश्यक हो जाता है। जब कोई साधक गुरु के निर्देशानुसार अभ्यास करता है और समर्पण के साथ साधना करता है, तो धीरे-धीरे नाद का जागरण होता है। जब एक बार नाद जाग्रत हो जाता है, तब कान में उंगली रखने की आवश्यकता समाप्त हो जाती है, क्योंकि साधक उस अवस्था में पहुंच जाता है जहां उसे बाहरी क्रियाओं की आवश्यकता नहीं होती। गुरु का मार्गदर्शन और साधक की निष्ठा, दोनों मिलकर उसे इस दिव्य स्थिति तक पहुंचाते हैं। आपके विचारों में जो गहराई और श्रद्धा है, वह अत्यंत प्रेरणादायक है। यदि मेरे शब्दों में कोई त्रुटि रह गई हो, तो कृपया उसे गुरु कृपा समझकर क्षमा करें। प्रेम और प्रकाश के साथ, सादर।
Aapka question acha hai. Is baat se kya farak padta hai ki hum RSSB se hain ya nahi? Sab guru ek hi jot hain, aur sabka maqsad ek hi hai-atma ko us asal roop mein pahunchana. Haan, yeh sach hai ki RSSB mein Baba Ji ek pooran guru hain, jo humein spirituality ka sahi marg dikhate hain aur humein andar ki sachchai se jodte hain. Bas apne dil aur shraddha ko saaf rakhein, kyunki asli spiritual growth toh guru ke sikhaye hue marg par chalne mein hai.
@beinwardshindi okay but aap openly aaye abhi kuch baat aise hai ke aap ko uska sahi se gyan nhi hai so aap ji apne aap ko us kabil bnaye phir kuch bhi na btaye that's it
@@aamnakhan4945 Aap pehle bolne ka tareeka sahi kar lijiye, gyan baad mein baantiyega. yeh kya way hai bolne ka TU RSSB HAI KYA. Aapke bolne ka way hi aapka asli gyan dikhata hai.
"आप सभी को मेरा स्नेह और धन्यवाद। आप हमारे परिवार के सदस्य की तरह हैं, और आपकी सहायता से ही हमारा यह प्रयास सफल हो सकता है। हमने हाल ही में अपने चैनल का नाम ‘Beinwards’ से बदलकर ‘Sant Matt’ कर दिया है। इस बदलाव के कारण हमारे वीडियो अभी लोगों तक पूरी तरह से नहीं पहुंच पा रहे हैं।
हम आपसे निवेदन करते हैं कि कृपया हमारे वीडियो को अधिक से अधिक साझा करें ताकि इस आध्यात्मिक ज्ञान को हर किसी तक पहुंचाया जा सके। आपका समर्थन और सहयोग हमारे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
आपका समय और साथ के लिए हृदय से धन्यवाद!"
बहुत अच्छा पर आप हमें कोई उत्तर नहीं देते हैं। क्या आपसे जो ज्वाइन किया है उसे ही उत्तर देते हैं क्या
Bahut badhiya gayaan thanks ji 14:13 n
🙏🙏🙏🙏
Radha swami ji
🙏🙏
Waheguru ji 🙏🙏
🙏🙏🙏🙏
🙏🙏🙏🙏
Dhan satguru ji
🙏🙏
Dhan dhan satguru ji
Radha Soami ji
Radha Soami ji
Radhasoamiji
Regards
Radha swami ji
very nice
Regards
Radha swamiji
🙏🙏🙏🙏
❤❤
Regards
Adbhut ❤
Regards
ati sundar guru ,जि
🙏🏻🙏🏻
Radha Soami Ji 🙏🙏🙏
Radha soami ji
Radha swami ji
Apki video sabhi video bahut gyanvardhak h
Thanks
Apko TH-cam pe aane k lie🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
“आपके इस स्नेह और सराहना भरे शब्दों के लिए हृदय से धन्यवाद। यह आप सभी का प्रेम और समर्थन है जो हमें आगे बढ़ने और और भी ज्ञानवर्धक सामग्री आप तक पहुँचाने के लिए प्रेरित करता है। कृपया ऐसे ही जुड़े रहें और हमारे वीडियो को साझा करें ताकि यह संदेश अधिक से अधिक लोगों तक पहुँच सके। आपका आभार और आशीर्वाद।
@beinwardshindi thanks 🙏🙏🙏🙏🙏🙏
बहुत अच्छा स्पीच है जी ❤
Regards
Haji
🙏
बहुत ही अच्छी तरह से समझाया है आपने,
शुक्रिया जी
🙏🏻
Wonderful ❤
🙏
Boht khoob 🙏
Regards
Jay ho
🙏
Thank you so much
Regards
Jai guru dev
🙏
जयगुरुदेव साहेब जी
राधा स्वामी जी 🙏
🙏🙏
Mind blowing as your all videos...
Regards🙏🙏🙏
Atisunder तरह से समझाया है ,dhanyavad
Regards
Jai.bhakti ram sandesh
🙏🙏
Bht bht shukriya ji ❤❤
Regards
Jai shree Ram ji
Jai Sia Ram Ji 🙏🏻
अवधु, गगन मंडल घर कीजै।
अमृत झर सदा सुख उपजै, बंकनालि रस पीजै।
मूल बांधि सर गगन समाना, सुखमनि यों तन लागी।
काम क्रोध दोऊ भया पलीता, तहां जोगणी जागी।
मनवा आइ दरीबै बैठा, मगन भया रासि लागा।
कहै कबीर जिस संसा नाही, सबद अनाहद बागा।।
🙏
@beinwardshindi 🕉 🕉 🕉
Bahut khoob sir ji. Radha Soami Ji🙏🙏🙏
🙏🏻🙏🏻
Radha Swami ji Rajinder Kumar Jammu
🙏🙏🙏
Jai sachidanand g🙏
JaiSachidaNand ji 🙏
Thank youuuuu jii ♥️
🙏
कभी कभी किसी का दाहिना कान वन्द हो तो क्या करें ॽ
“अगर दाहिना कान बंद हो जाए, तो यह कोई चिंता की बात नहीं है। असल में, अनहद नाद को सुनने का संबंध बाहरी कान या किसी बाहरी ध्वनि से नहीं है। यह नाद पूरी तरह से भीतर की अनुभूति है, जो आत्मा के गहन स्तर पर अनुभव की जाती है। इसे सुनने के लिए हमें ध्यान को अपने माथे के बीचों-बीच केंद्रित करना चाहिए और इसे अपने अंदर सुनने का प्रयास करना चाहिए। सच्चे भाव और सिमरन के साथ यह दिव्य ध्वनि धीरे-धीरे प्रकट होती है और आत्मा को गहराई से जोड़ती है। बाहरी ध्वनियों की ओर ध्यान न देकर, अपने भीतर की ओर मुड़ें और इस अनुभव को आत्मसात करें।”
🙏🙏🙏🙏🙏🙏💐💐💐💐🙏🙏🙏🙏
🙏🏻🙏🏻 Regards
Ha
🙏
Adbhut 👌👌👌👌👌
Regards
..bahut zaroori aur anter ki baat g.
Regards
Simaran kese kare sans sans ya or koi tarike se ..
“सिमरन करने के कई तरीके होते हैं, लेकिन सांस-सांस सिमरन एक श्रेष्ठ और प्रभावी विधि है। इसमें आप अपनी सांसों पर ध्यान केंद्रित करते हुए, मंत्र या प्रभु के नाम का जाप करते हैं। जब आप सांस अंदर लेते हैं, तो ‘वाहेगुरु’ या अपने इष्ट का नाम लें, और जब सांस बाहर छोड़ते हैं, तब भी नाम का जाप करें। यह तरीका मन और तन दोनों को शांति प्रदान करता है। इसके अलावा, आप अपनी सुविधा के अनुसार सिमरन का कोई और सरल तरीका भी अपना सकते हैं, जैसे कि कीर्तन, मूल मंत्र, या मन में नाम जपना। हर तरीका एक ही उद्देश्य के लिए होता है - आपको परमात्मा से जोड़ने की अनुभूति कराना।”
🙏🙏
Regards🙏
Anhad naad is a inner sound..Does it matter which ear one can listen?
Yes, it does matter. However, in the initial stage, it doesn’t matter which ear we are listening with. It’s okay; we don’t have to worry.
Jai shree gurudev ji 🙏
🙏🏻🙏🏻
Anaht Kanda agya chkra k jagrit hone pr swt hi nad sunayi deta h us prm ki kripa se🎉
🙏🙏
Mere right kaan se binde jaisi avasj sunaai deti hai
आपके अनुभवों का वर्णन बहुत महत्वपूर्ण है। ध्यान या साधना के दौरान कानों में ध्वनियाँ सुनाई देना, जिसे “अनाहद नाद” कहा जाता है, एक आध्यात्मिक संकेत हो सकता है। यह दर्शाता है कि आप अपनी आंतरिक ऊर्जा से जुड़ रहे हैं। यह अनुभव सुखद है और ध्यान को गहराई में ले जाने में सहायक हो सकता है।
यदि आपके पास पहले से कोई गुरु हैं, तो उनसे संपर्क करें और अपने अनुभव साझा करें। एक पूर्ण गुरु आपके इन अनुभवों का सही मार्गदर्शन कर सकते हैं और यह भी समझा सकते हैं कि इसे साधना में कैसे उपयोग किया जाए। यदि आपके पास गुरु नहीं हैं, तो एक पूर्ण गुरु खोजने का प्रयास करें, क्योंकि सही गुरु आपको आध्यात्मिक यात्रा पर सही दिशा और ज्ञान प्रदान कर सकते हैं।
ध्यान में सहज रहें, किसी भी प्रकार की असुविधा महसूस होने पर तुरंत गुरु या चिकित्सकीय सलाह लें। आपकी साधना आपके भीतर की शांति और परमात्मा से जुड़ने का माध्यम बनेगी। जय गुरुदेव।
Sir very nice 🙏🙏 please mai aap se baat kar sakta hu kya sir please sir
Aap hume apne contact details. Email karo hum aap ko contact karege. Beinwardshindi@gmail.com
अगर किसी को बाएं कान से सुनाई देने लगे तो साधक क्या करे इसमें तो साधक निजी मन से तो कुछ कर भी नहीं सकता है कृपया मार्गदर्शन करें
आरंभ में इसे नजरअंदाज करना एक विकल्प हो सकता है, लेकिन यह दीर्घकालिक समाधान नहीं है। हां, यह सच है कि यह पूरी तरह हमारे हाथ में नहीं है। इसी वजह से पूर्ण गुरु का मार्गदर्शन अत्यंत आवश्यक होता है। गुरु के बिना साधना के मार्ग पर बढ़ना कठिन हो सकता है। कृपया अपने गुरु से परामर्श करें और उनके दिखाए मार्ग पर चलें। उनका आशीर्वाद और दिशा-निर्देश आपको इस स्थिति से बाहर निकलने में सहायक होंगे।
GURU dwara diye gye naam ka jaap kre jo glt awaj hongi vo gayab ho jayegi or agr sachi awaj hongi to sunai deti rhegi... isliye hi guru ka hona is marg me bhot aavshak hai🙏
❤🎉jai sat Guru...
ये youtubers केवल अपने channel के लिए vedio बनाते है और लोगों को भटकाते हैं।।।
इनको अनहद नाद का कोई experience ही नहीं है,, अगर है तो ये मुझसे बात करे,, मैं बताती हूँ क्या होता है अनहद नाद l
इसे सुनने की कोशिश क्यों करनी है,, ये तो आप चाहो या ना चाहो,, खुद ही सुनाई देता है.. जैसे जैसे मनुष्य ध्यान में गहरा उतरता जाता है l
केवल समर्पित भाव से ध्यान करते रहो l
अपनी आँखे बंद करके,,,,
बंद आँखों से सामने देखना है बस l कोई अच्छी सी धुन ..या 🕉 धुन लगा ले starting में, धीरे-धीरे जैसे जैसे level बढ़ेगा,, आपका ध्यान स्वत: ही लग जाएगा l
मैं तो वो कुछ भी नहीं हूँ,, जिसका जिक्र आपने अपनी video में किया है फिर भी भीतर से भी और बाहर बाहर से भी अनहद नाद सुनाई देता है ll
इसके बाद एक स्थिति ऐसी भी आएगी,, जब ये सब सुनना बंद हो जाएगा..ll
पहले तो भीतर से अनहद नाद सुनाई देगा, बाहर का तो बाद की बात है,, जब भीतर से सुनाई देगा, आप में काफी कुछ बदल जाएगा l
पहले आप करिए तो निस्वार्थ भाव से..lll
kya app radha soami ji ko mante ho 🥰🥰
🙏🙏
Ha
...ek hi baat ki majboori, bus anhad hi bahut zaroori.
Wah.. 🙏🏻🙏🏻
Jo binde vrgi avaaj nu naad kehde hn
ਅਸਲ ਵਿੱਚ, ਬਿੰਦਿਆਂ ਵਰਗੀਆਂ ਧੁਨਾਂ ਨੂੰ ਆਧਿਆਤਮਿਕ ਭਾਸ਼ਾ ਵਿੱਚ “ਅਨਹਦ ਨਾਦ” ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਇਹ ਧੁਨਾਂ ਸਾਨੂੰ ਆਪਣੇ ਅੰਦਰਲੇ ਸੱਚ ਅਤੇ ਪਰਮਾਤਮਾ ਨਾਲ ਜੁੜਨ ਦੀ ਪ੍ਰੇਰਣਾ ਦਿੰਦੀ ਹਨ। ਅਨਹਦ ਨਾਦ ਉਹ ਅਵਾਜ਼ਾਂ ਹਨ ਜੋ ਸਾਡੇ ਮਨ ਅਤੇ ਆਤਮਾ ਦੀ ਸ਼ਾਂਤੀ ਨੂੰ ਦਰਸਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ। ਇਹ ਸਿਰਫ ਅੰਦਰਲੀ ਧਿਆਨ ਦੀ ਅਵਸਥਾ ਵਿੱਚ ਹੀ ਸੁਣਾਈ ਦਿੰਦੀਆਂ ਹਨ।
ਜੇਕਰ ਤੁਸੀਂ ਇਹ ਅਨੁਭਵ ਕਰ ਰਹੇ ਹੋ, ਤਾਂ ਇਹ ਸਪਸ਼ਟ ਹੈ ਕਿ ਤੁਹਾਡੀ ਸਾਧਨਾ ਠੀਕ ਦਿਸ਼ਾ ਵਿੱਚ ਹੈ। ਜੇ ਤੁਸੀਂ ਪੂਰਨ ਗੁਰੂ ਦੇ ਚਰਨਾਂ ਵਿੱਚ ਹੋ, ਤਾਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨਾਲ ਇਸ ਬਾਰੇ ਗੱਲ ਕਰੋ। ਗੁਰੂ ਜੀ ਤੁਹਾਨੂੰ ਇਸ ਅਨੁਭਵ ਦੀ ਮਹੱਤਤਾ ਅਤੇ ਇਸ ਨੂੰ ਸਹੀ ਤਰੀਕੇ ਨਾਲ ਕਿਵੇਂ ਸਮਝਣਾ ਹੈ, ਉਸ ਦਾ ਗਿਆਨ ਦੇਣਗੇ।
ਯਾਦ ਰੱਖੋ, ਅਨਹਦ ਨਾਦ ਸਿਰਫ ਸ਼ੁਰੂਆਤ ਹੈ। ਇਹ ਤੁਹਾਡੇ ਅੰਦਰਲੇ ਸੱਚ ਨਾਲ ਜੁੜਨ ਦਾ ਇਕ ਸੰਦ ਹੈ। ਸ਼ਾਂਤੀ ਨਾਲ ਅੱਗੇ ਵਧੋ ਅਤੇ ਆਪਣੇ ਅਨੁਭਵਾਂ ਨੂੰ ਗੁਰੂ ਦੀ ਰਹਿਮਤ ਵਿੱਚ ਰੱਖੋ। ਵਾਹਿਗੁਰੂ ਜੀ ਦਾ ਖਾਲਸਾ ਵਾਹਿਗੁਰੂ ਜੀ ਦੀ ਫਤਹਿ।
प्रणाम प्रभु परमात्मा स्वरूप कोटि कोटि नमन 🙏🙏🙏
माया के प्रभाव में इस तरह उलझे है ये लोग (मन) और उसको ही परम सत्य मान कर बेश कीमती अमूल्य जीवन की धारा को बेहोशी मैं बर्बाद कर रहे हैं I इस भ्रम को तोड़ना बहुत कठिन है I हर कोई ज्ञानी है और फिर भी सुख दुख की नैया मैं गोते खा रहे हैं I यहा दूसरा कोई है ही नहीं सिवाय भ्रम (माया) के और माया भी माया पति की ही है वह भी एक ही अस्तित्व है दो नहीं है I हर पल सब घटित हो रहा है I ध्यान मैं ही है सब बस अभी ये राग द्वेष मोह छल कपट ईर्ष्या वैमनस्य मैं घटित हो रहा है I और सब ध्यान करने के लिए भटक रहे हैं कि ध्यान कैसे करे I अरे ध्यान करने की कोई क्रिया नहीं है I पता इसलिए नहीं पडता क्यूं की सब स्व सम्मोहित है अपनी-अपनी रचित माया के जाल में और जीव जंजाल मैं दुखी हैं I फिर क्या उपाय है I
ये दुनिया संसार मुर्ख मन है ये कभी ना समझा है चाहे कितने बुद्ध पुरुष आए और प्रेम करुणा वस ग्यान बांटा पर ये मुर्ख मन हमेशा माया मैं ही भ्रमित ही रहेगा उनको माया ही सत्य दिखाई पड़ती हैं माया पति नहीं I फिर भी बुद्ध करुणा वस अपना प्रेम बांटते है समग्र अस्तित्व इकत्व बटवाता है I
एक परम अज्ञानी
जिसने यही जाना कि कुछ भी नहीं जाना जा सकता है सिर्फ और सिर्फ लीन और विलीन हुआ जा सकता है I अस्तित्व यही है यही योग है I यही समग्रतः एक ही है I
आपके इस गहन और विचारशील टिप्पणी के लिए हृदय से धन्यवाद। आपने “माया” और सत्य के बीच के जटिल संबंध को इतनी सुंदरता और स्पष्टता से व्यक्त किया है कि पढ़ते ही मन में एक गहरा प्रभाव पड़ा।
यह सच है कि माया का प्रभाव हमें अपने वास्तविक स्वरूप से दूर कर देता है, और इसी सत्य को समझने और अनुभव करने का प्रयास हमारी यह यात्रा है। आपने जो बात कही कि अस्तित्व में विलीन होना ही अंतिम सत्य है, वह मेरे भी हृदय के बहुत करीब है।
आपके इस दृष्टिकोण और गहराई ने मेरे इस प्रयास को सार्थक बना दिया। ऐसी ही प्रेरणा और विचार हमारे इस यात्रा को और सशक्त बनाते हैं। आपकी इस भावना के लिए मैं आपका आभार व्यक्त करता हूं और प्रार्थना करता हूं कि हम सभी इस सत्य को समझने और अनुभव करने की दिशा में आगे बढ़ें। धन्यवाद।
@beinwardshindi प्रणाम परमात्मा स्वरूप आपको कोटि कोटि नमन वंदन 🕉 🙏 🕉 🕉
ओम नमःशिवाय प्रणाम गुरुदेव किसी भी सिंधिया शक्ति को पहचानने के लिए गुरु आशीर्वाद नहीं है तो क्या हमारी पूजा सफल नहीं होगी हमारी सीडीओ के बराबर ही गुरु हमें चाहिए किसी को भी गुरु कैसे बनाएं❤
“आपकी बात सत्य है। गुरु का आशीर्वाद और उनकी मार्गदर्शना हमारे आध्यात्मिक मार्ग में अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। केवल सिध्दियां प्राप्त करना ही उद्देश्य नहीं है, बल्कि उनके सही उपयोग और आत्मा की उन्नति के लिए सही गुरु का होना आवश्यक है। सच्चे गुरु के बिना, पूजा और साधना अधूरी रह सकती है। गुरु को चुनने से पहले उनके ज्ञान, अनुभव और उनके जीवन के उदाहरणों को समझना चाहिए। शिव को समर्पण और गुरु की कृपा से ही आत्मिक प्रगति संभव है।
आप हमारे अगले वीडियो को ज़रूर देखें, उसमें हमने विस्तार से बताया है कि गुरु की पहचान कैसे करें।”
Main Pairon Ke Paar baith Nahin sakti aur kanon se Sanson Ki Awaaz sunti hai please margdarshan kijiye
यदि आप पैरों के पार बैठने में असमर्थ हैं, तो आप किसी भी आरामदायक आसन में बैठ सकती हैं, जैसे कुर्सी या सोफे पर। शरीर के लचीलेपन को धीरे-धीरे बढ़ाने के लिए हल्के योग अभ्यास जैसे सुखासन या वज्रासन का प्रयास करें, जब तक कि आप अधिक सहज महसूस न करें। कानों से सांसों की आवाज़ सुनाई देना ध्यान की प्रक्रिया का एक सामान्य हिस्सा हो सकता है, जिसे लेकर घबराने की आवश्यकता नहीं है। इसे सहजता से स्वीकारें और इसे ध्यान का एक प्राकृतिक अनुभव मानें। यदि यह समस्या आपको असहज महसूस कराती है या लगातार बनी रहती है, तो किसी योग्य योग शिक्षक या चिकित्सक से परामर्श अवश्य लें। इसके अलावा, ध्यान करते समय शरीर और मन को तनावमुक्त रखना बेहद जरूरी है। गहरी सांसें लें, मन को शांत करें और धीरे-धीरे इस प्रक्रिया का आनंद लें। आपकी स्थिति में सुधार लाने के लिए यह मार्गदर्शन सहायक होगा।
Only right hemisphere is associated with cosmos and has the antenna is the secret of attaining the union !
“Absolutely true! The right hemisphere’s role as the antenna connected to the cosmos is not just an idea but a profound reality. It’s through this connection that we can transcend the mundane and align with the universal flow, leading to the ultimate union. A truly powerful truth!”
Anhdnaad kihde honde hn
ਅਸਲ ਵਿੱਚ, ਬਿੰਦਿਆਂ ਵਰਗੀਆਂ ਧੁਨਾਂ ਨੂੰ ਆਧਿਆਤਮਿਕ ਭਾਸ਼ਾ ਵਿੱਚ “ਅਨਹਦ ਨਾਦ” ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਇਹ ਧੁਨਾਂ ਸਾਨੂੰ ਆਪਣੇ ਅੰਦਰਲੇ ਸੱਚ ਅਤੇ ਪਰਮਾਤਮਾ ਨਾਲ ਜੁੜਨ ਦੀ ਪ੍ਰੇਰਣਾ ਦਿੰਦੀ ਹਨ। ਅਨਹਦ ਨਾਦ ਉਹ ਅਵਾਜ਼ਾਂ ਹਨ ਜੋ ਸਾਡੇ ਮਨ ਅਤੇ ਆਤਮਾ ਦੀ ਸ਼ਾਂਤੀ ਨੂੰ ਦਰਸਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ। ਇਹ ਸਿਰਫ ਅੰਦਰਲੀ ਧਿਆਨ ਦੀ ਅਵਸਥਾ ਵਿੱਚ ਹੀ ਸੁਣਾਈ ਦਿੰਦੀਆਂ ਹਨ।
ਜੇਕਰ ਤੁਸੀਂ ਇਹ ਅਨੁਭਵ ਕਰ ਰਹੇ ਹੋ, ਤਾਂ ਇਹ ਸਪਸ਼ਟ ਹੈ ਕਿ ਤੁਹਾਡੀ ਸਾਧਨਾ ਠੀਕ ਦਿਸ਼ਾ ਵਿੱਚ ਹੈ। ਜੇ ਤੁਸੀਂ ਪੂਰਨ ਗੁਰੂ ਦੇ ਚਰਨਾਂ ਵਿੱਚ ਹੋ, ਤਾਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨਾਲ ਇਸ ਬਾਰੇ ਗੱਲ ਕਰੋ। ਗੁਰੂ ਜੀ ਤੁਹਾਨੂੰ ਇਸ ਅਨੁਭਵ ਦੀ ਮਹੱਤਤਾ ਅਤੇ ਇਸ ਨੂੰ ਸਹੀ ਤਰੀਕੇ ਨਾਲ ਕਿਵੇਂ ਸਮਝਣਾ ਹੈ, ਉਸ ਦਾ ਗਿਆਨ ਦੇਣਗੇ।
ਯਾਦ ਰੱਖੋ, ਅਨਹਦ ਨਾਦ ਸਿਰਫ ਸ਼ੁਰੂਆਤ ਹੈ। ਇਹ ਤੁਹਾਡੇ ਅੰਦਰਲੇ ਸੱਚ ਨਾਲ ਜੁੜਨ ਦਾ ਇਕ ਸੰਦ ਹੈ। ਸ਼ਾਂਤੀ ਨਾਲ ਅੱਗੇ ਵਧੋ ਅਤੇ ਆਪਣੇ ਅਨੁਭਵਾਂ ਨੂੰ ਗੁਰੂ ਦੀ ਰਹਿਮਤ ਵਿੱਚ ਰੱਖੋ। ਵਾਹਿਗੁਰੂ ਜੀ ਦਾ ਖਾਲਸਾ ਵਾਹਿਗੁਰੂ ਜੀ ਦੀ ਫਤਹਿ।
RA Dha Sva Aah Mi
🙏
Gurudev pranam aapane likha hai ki humne Naam badalkar sant Mantra kar diya hai aapka channel chalu hai Gurudev Kumbh mele ke Karan kuchh kam ho gaye hain aur jab tak Kumbh Mela rahega tab tak thoda sa down hi chalega channel Om namah Shivay
आपका मार्गदर्शन वचन मेरे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। Thanks a lot.संपूर्ण आदर के साथ, जानकारी के लिए हृदय से धन्यवाद।
ओम नमः शिवाय।
Radha swami ji❤❤
🙏🙏
Jb suun smhadi lagjati hai kaan band krne kii jrurat hai
जब सच्ची सुन्न समाधि की अवस्था प्राप्त होती है, तो कान बंद करने की आवश्यकता नहीं रहती। सुन्न समाधि वह स्थिति है, जब साधक की आत्मा स्थिर होकर बाहरी इंद्रियों और संसार से परे हो जाती है। इस अवस्था में मन, वाणी और बाहरी ध्वनियों का कोई प्रभाव नहीं रहता। यह आत्मा का पूर्णतः नाद के साथ एकरस हो जाना है।
कान बंद करना या किसी विशेष क्रिया का उपयोग प्रारंभिक साधना के लिए सहायक हो सकता है, लेकिन जब साधक सुन्न समाधि तक पहुंच जाता है, तो यह क्रियाएं अनावश्यक हो जाती हैं। उस समय, नाद अपने आप भीतर स्पष्ट सुनाई देने लगता है, चाहे आपकी स्थिति कोई भी हो। सुन्न समाधि में आत्मा अपनी गहराई में परमात्मा के शुद्ध स्वरूप से जुड़ जाती है, और यह अनुभव शारीरिक क्रियाओं से परे हो जाता है।
इसलिए, अगर आप सुन्न समाधि का अनुभव कर रहे हैं, तो सहजता से इस स्थिति का आनंद लें। गुरु कृपा और सुमिरन के माध्यम से इस अनुभव को और गहराई दें। यह आपके आत्मिक उत्थान और प्रभु से मिलन का मार्ग है।
जय गुरुदेव। 🙏
मुझे बाएं कान से आवाजसुनाईदेरहीहैमैकयाकरुबताओ❤
अपने गुरु पर भरोसा करें और उनके द्वारा बताए गए मार्ग पर चलते रहें। गुरु की कृपा और मार्गदर्शन ही हमें सच्चाई और शांति का अनुभव कराएंगे।
आपको अगर बांये कान की तरफ से आवाज आती सुनाई दे तो उस पर ध्यान न दें तथा आप दृढ़ निश्चय करें कि मुझे दांई तरफ से आ रही आवाज सुननी है।
तथा अंतर में अपने गुरु से प्रार्थना करें।
मार्ग दर्शन वहीं करेंगे।
Ap Atamgyani ho gaya
Gurudev pranam jiska anath na jagrit hona hai yah to Gurudev kudarti hai Kan mein ungali rakhne ki jarurat nahin hai Amarnath bahut kamyab chij hai turant thand lag jaate Hain iske dhani dhani se kuchh galat bol Gaya to Gurudev maaf kar dijiyega
आपकी बात को बहुत आदरपूर्वक स्वीकार करता हूँ। यह सत्य है कि अमरनाथ और नाद जैसी दिव्य अवस्थाएँ अत्यंत दुर्लभ और अद्भुत होती हैं, और जो साधक सहज रूप से इस अवस्था में पहुंचते हैं, वे वास्तव में भाग्यशाली होते हैं।
लेकिन साथ ही, हमें यह भी समझना चाहिए कि सभी साधकों की यात्रा अलग होती है। कई साधक ऐसे होते हैं जिनका नाद प्राकृतिक रूप से जाग्रत नहीं होता। उनके लिए प्रारंभिक साधना के दौरान गुरु दीक्षा और विधि का पालन करना आवश्यक हो जाता है। जब कोई साधक गुरु के निर्देशानुसार अभ्यास करता है और समर्पण के साथ साधना करता है, तो धीरे-धीरे नाद का जागरण होता है।
जब एक बार नाद जाग्रत हो जाता है, तब कान में उंगली रखने की आवश्यकता समाप्त हो जाती है, क्योंकि साधक उस अवस्था में पहुंच जाता है जहां उसे बाहरी क्रियाओं की आवश्यकता नहीं होती। गुरु का मार्गदर्शन और साधक की निष्ठा, दोनों मिलकर उसे इस दिव्य स्थिति तक पहुंचाते हैं।
आपके विचारों में जो गहराई और श्रद्धा है, वह अत्यंत प्रेरणादायक है। यदि मेरे शब्दों में कोई त्रुटि रह गई हो, तो कृपया उसे गुरु कृपा समझकर क्षमा करें।
प्रेम और प्रकाश के साथ,
सादर।
Shreer peeche ko kio jhukta hai
Aap peeth ko Sahara De kar baitha karo
Mujko to sunaye hi nahi deti
App apne guru ke bataye marg par chalet rahe. Guru ki kripa jaroor hogi. Apne guru pe vishwaas or Prem banaye rakhen.
Bina ANHAD kaj na koi !
Anter maarg issi se hoi !
🙏🏻🙏🏻
Purnata ki pahchan kisi Ko nahin hai yah Khali Shabd hai
🙏
Tu rssb h kya?
Aapka question acha hai. Is baat se kya farak padta hai ki hum RSSB se hain ya nahi? Sab guru ek hi jot hain, aur sabka maqsad ek hi hai-atma ko us asal roop mein pahunchana. Haan, yeh sach hai ki RSSB mein Baba Ji ek pooran guru hain, jo humein spirituality ka sahi marg dikhate hain aur humein andar ki sachchai se jodte hain. Bas apne dil aur shraddha ko saaf rakhein, kyunki asli spiritual growth toh guru ke sikhaye hue marg par chalne mein hai.
@beinwardshindi okay but aap openly aaye abhi kuch baat aise hai ke aap ko uska sahi se gyan nhi hai so aap ji apne aap ko us kabil bnaye phir kuch bhi na btaye that's it
@@aamnakhan4945 Aap pehle bolne ka tareeka sahi kar lijiye, gyan baad mein baantiyega. yeh kya way hai bolne ka TU RSSB HAI KYA. Aapke bolne ka way hi aapka asli gyan dikhata hai.
Ryt brother
🙏🙏🙏
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