सच्च बात तो यह है । कि ईश्वर का ज्ञान कौन दे सकता है ? क्या इन्सान उस ईश्वर के गुणों को, ईश्वर की शक्तियों को, ईश्वर के प्रेक्तीक्ल ज्ञान को, कोई इन्सान एसा पेदा नही हुआ है । जो ईश्वर जेसा हो। इन्सान तो कोई उसके बारे मे पुर्ण रुप से जान नही पाया है । ये कर्म योगी कहाँ से आए। कोई इन्सान कुछ नही होता। जो होता है उसकी इच्छा से होता है । अब ईश्वर की इच्छा है कि अब मैं धरा पर ज्ञान दूँ। शिव और ब्रह्म परम शक्ति के साकार रुप हैं । जिस रुप को आप निराकार मानते है वह भी पुर्ण नही हैं । जिसे देखा नही जा सकता इन्सान उस की बात केसे कर सकता है । उसे पुर्ण बनने के लिए , अपने गुणों , नियमों और शक्तियों को प्रदर्शन करने के लिए अपना एक रुप बनाना पढ़ता है ।
जौ इच्छा करिहहु जग माहीं, पृभु पृताप कछु दुर्लभ नाहीं,,,। ईश्वर से बड़ी सत्ता एक है जिसे कर्म कहते है, जिसका न कोई आरम्भ है न कोई अंत है,,,। पृलह कार्य मे भी वह मौजूद रहता है जो पूर्नः शृष्टी का संचालन एवं रचना करता है,,,। ❤❤❤❤❤ दर्शन कर सको तो कर लो,,,। कलिकाॅल में, शक्तियाँ दैत्यो के वश मे हो जाती है और ज्ञान देवताओ के पास होता है, धर्म को अधर्म दिखता है लेकिन अधर्म को धर्म नही दिखाई देता,,,। मैंने शाक्क्षात नारायण को देखा है 11/11/1998 उसके पश्चात् अनेक दिव्य पृष्नो का उत्तर मेरे मे भी पृकट हो जाता है फिर भी मै पृभु श्री हरि का एक तुक्ष दास हूँ,,,।। भगवान धरती पर पृकट होने के पहले हनुमान जी को भेजा है जैसे पहले लंका भेजा था, और वो अब हैं यूपी के सीएम बाबा योगी आदित्यनाथ जी के रूप में,,,। जो न0 वन झूठे होते है, वो बड़े ही लुभावन होते है बाद मे बहुत दुख देते हैं,,,। जो सच्चे होते हैं वो काली मिर्च के जैसे कडू होते हैं जो बाद मे आनन्द देते है,,,। कर्म का फल मस्तक मे प्रकट होता है जो मरने और जीने के मार्ग पर चलने के लिऐ प्राणी को विवश कर देता है उसे ही इस युग मे कल्कि अवतार अथवा भगवान का प्रकटी करण कहते है ईश्वर अजन्मा है,,,। खाकर हजम हो जाये। स्वास्थ निरोग हो जाये,,,। तो समझ लेना अच्छे कर्म का फल है। खाकर हजम न हो। रोग सताये उलटी डकार आये,,,। तो समझ लेना ईश्वर नाखुश है। भगवान धरती पर पृकट होने के पहले हनुमान जी को भेजा है जैसे पहले लंका भेजा था, और वो अब हैं यूपी के सीएम बाबा योगी आदित्यनाथ जी के रूप में,,,। जो न0 वन झूठे होते है, वो बड़े ही लुभावन होते है बाद मे बहुत दुख देते हैं,,,। जो सच्चे होते हैं वो काली मिर्च के जैसे कडू होते हैं जो बाद मे आनन्द देते है,,,। कर्म का फल मस्तक मे प्रकट होता है जो मरने और जीने के मार्ग पर चलने के लिऐ प्राणी को विवश कर देता है उसे ही इस युग मे कल्कि अवतार अथवा भगवान का प्रकटी करण कहते है ईश्वर अजन्मा है,,,। खाकर हजम हो जाये। स्वास्थ निरोग हो जाये,,,। तो समझ लेना अच्छे कर्म का फल है। खाकर हजम न हो। रोग सताये उलटी डकार आये,,,। तो समझ लेना ईश्वर नाखुश है।
सावधान।। कल्कि अवतार का आविष्कार विधान संविधान धर्म विज्ञान चेतना योग विज्ञान तकनीक का आविष्कार ही है कल्कि अवतार श्री 13 हंस योग दर्शन जो कि भारत सरकार से पेटेंट संस्तुति है और रचनात्मक भारत में कार्य कर रहे हैं ❤ जय हिन्द विश्व गुरु भारत जय कल्कि देव श्री निस्कलंक अवतार ❤
Radhe radhe hari Bol aagye hai parbhu2018 pe hamne darsan hochuka 2027 bad hoga sab ye 3 saal maha vinash manwav dekhega sab bedhrmi v adhrmi jo vednpuran nahi mante tamsik hai hoga mahaviansh
Hari om narayan❤❤
स्लोगन ग्रेट
सच्च बात तो यह है । कि ईश्वर का ज्ञान कौन दे सकता है ? क्या इन्सान उस ईश्वर के गुणों को, ईश्वर की शक्तियों को, ईश्वर के प्रेक्तीक्ल ज्ञान को, कोई इन्सान एसा पेदा नही हुआ है । जो ईश्वर जेसा हो। इन्सान तो कोई उसके बारे मे पुर्ण रुप से जान नही पाया है । ये कर्म योगी कहाँ से आए। कोई इन्सान कुछ नही होता। जो होता है उसकी इच्छा से होता है । अब ईश्वर की इच्छा है कि अब मैं धरा पर ज्ञान दूँ। शिव और ब्रह्म परम शक्ति के साकार रुप हैं । जिस रुप को आप निराकार मानते है वह भी पुर्ण नही हैं । जिसे देखा नही जा सकता इन्सान उस की बात केसे कर सकता है । उसे पुर्ण बनने के लिए , अपने गुणों , नियमों और शक्तियों को प्रदर्शन करने के लिए अपना एक रुप बनाना पढ़ता है ।
जौ इच्छा करिहहु जग माहीं, पृभु पृताप कछु दुर्लभ नाहीं,,,।
ईश्वर से बड़ी सत्ता एक है जिसे कर्म कहते है, जिसका न कोई आरम्भ है न कोई अंत है,,,। पृलह कार्य मे भी वह मौजूद रहता है जो पूर्नः शृष्टी का संचालन एवं रचना करता है,,,।
❤❤❤❤❤ दर्शन कर सको तो कर लो,,,।
कलिकाॅल में, शक्तियाँ दैत्यो के वश मे हो जाती है और ज्ञान देवताओ के पास होता है, धर्म को अधर्म दिखता है लेकिन अधर्म को धर्म नही दिखाई देता,,,।
मैंने शाक्क्षात नारायण को देखा है 11/11/1998 उसके पश्चात् अनेक दिव्य पृष्नो का उत्तर मेरे मे भी पृकट हो जाता है फिर भी मै पृभु श्री हरि का एक तुक्ष दास हूँ,,,।।
भगवान धरती पर पृकट होने के पहले हनुमान जी को भेजा है जैसे पहले लंका भेजा था, और वो अब हैं यूपी के सीएम बाबा योगी आदित्यनाथ जी के रूप में,,,।
जो न0 वन झूठे होते है,
वो बड़े ही लुभावन होते है बाद मे बहुत दुख देते हैं,,,।
जो सच्चे होते हैं वो काली मिर्च के जैसे कडू होते हैं जो बाद मे आनन्द देते है,,,।
कर्म का फल मस्तक मे प्रकट होता है जो मरने और जीने के मार्ग पर चलने के लिऐ प्राणी को विवश कर देता है उसे ही इस युग मे कल्कि अवतार अथवा भगवान का प्रकटी करण कहते है ईश्वर अजन्मा है,,,।
खाकर हजम हो जाये।
स्वास्थ निरोग हो जाये,,,। तो समझ लेना अच्छे कर्म का फल है।
खाकर हजम न हो।
रोग सताये उलटी डकार आये,,,। तो समझ लेना ईश्वर नाखुश है।
भगवान धरती पर पृकट होने के पहले हनुमान जी को भेजा है जैसे पहले लंका भेजा था, और वो अब हैं यूपी के सीएम बाबा योगी आदित्यनाथ जी के रूप में,,,।
जो न0 वन झूठे होते है,
वो बड़े ही लुभावन होते है बाद मे बहुत दुख देते हैं,,,।
जो सच्चे होते हैं वो काली मिर्च के जैसे कडू होते हैं जो बाद मे आनन्द देते है,,,।
कर्म का फल मस्तक मे प्रकट होता है जो मरने और जीने के मार्ग पर चलने के लिऐ प्राणी को विवश कर देता है उसे ही इस युग मे कल्कि अवतार अथवा भगवान का प्रकटी करण कहते है ईश्वर अजन्मा है,,,।
खाकर हजम हो जाये।
स्वास्थ निरोग हो जाये,,,। तो समझ लेना अच्छे कर्म का फल है।
खाकर हजम न हो।
रोग सताये उलटी डकार आये,,,। तो समझ लेना ईश्वर नाखुश है।
सावधान।। कल्कि अवतार का आविष्कार विधान संविधान धर्म विज्ञान चेतना योग विज्ञान तकनीक का आविष्कार ही है कल्कि अवतार श्री 13 हंस योग दर्शन जो कि भारत सरकार से पेटेंट संस्तुति है और रचनात्मक भारत में कार्य कर रहे हैं ❤ जय हिन्द विश्व गुरु भारत जय कल्कि देव श्री निस्कलंक अवतार ❤
Radhe radhe hari Bol aagye hai parbhu2018 pe hamne darsan hochuka 2027 bad hoga sab ye 3 saal maha vinash manwav dekhega sab bedhrmi v adhrmi jo vednpuran nahi mante tamsik hai hoga mahaviansh
Hame man or pet hi pap karwata h.