सद्भावना,,, मैत्री,,, करुणा,,, चेतना विज्ञान योग तकनीक का आविष्कार ही है कल्कि अवतार श्री 13 हंस योग दर्शन जो कि भारत सरकार से पेटेंट सस्तुति है और रचनात्मक भारत में कार्य कर रहे हैं जय हिन्द जय विश्व गुरु भारत।। सत्यमेव जयते।।
संपूर्ण विश्व, के नागरिकों, अथवा जनता को कल्कि ज्ञान संदेश यह है कि विश्व शांति और मानवता के मानवाधिकारों,, की , रक्ष्या के लिए सनातन मानव धर्म संस्कृति को जागृत,, करना वर्तमान, समय की अति आवश्यकता है। जिससे कि विश्व में एक आत्मा एक परमात्मा एक राष्ट्र एक धवज की अभिव्यक्ति हो।। जय विश्व गुरु भारत।।
आज संत,, महात्माओं, ओर भगवानों की भरमार है। लेकिन मानव, देखने को नहीं मिल रहा है। इसी कारण आज, मानवता और मानवाधिकारों,, की अवहेलना,, पूरे विश्व,, में, हो रही हैं।। जय विश्व गुरु भारत।। जय कल्कि देव श्री निष्कलंक अवतार।।
विषय यह नहीं है कि निराकार को हम किस रूप में स्वीकार करेंगे विषय यह है कि निराकार हमें किस रूप में स्वीकार करेंगे संपूर्ण मानव जाति को चिंता तो यही सताती है
सार्थक होना दुनिया में एक पहेली के रूप से देखा जाता है
दुनिया में जब तक कोई अनोखा नहीं देखेगा इंसान सार्थक नहीं हो सकता आज दीक्षा की जरूरत सभी को है शिक्षा की जरूरत किसी कोनहीं
सद्भावना,,, मैत्री,,, करुणा,,, चेतना विज्ञान योग तकनीक का आविष्कार ही है कल्कि अवतार श्री 13 हंस योग दर्शन जो कि भारत सरकार से पेटेंट सस्तुति है और रचनात्मक भारत में कार्य कर रहे हैं जय हिन्द जय विश्व गुरु भारत।। सत्यमेव जयते।।
निराकार को देखा नहीं जाता यह बात अज्ञानी के मुख से शोभा देती हैज्ञानियों के नहीं जब कोई अनजाना है धरती पर तो जाने वाला भी धरती पर मौजूद हीरहता है
संपूर्ण विश्व, के नागरिकों, अथवा जनता को कल्कि ज्ञान संदेश यह है कि विश्व शांति और मानवता के मानवाधिकारों,, की , रक्ष्या के लिए सनातन मानव धर्म संस्कृति को जागृत,, करना वर्तमान, समय की अति आवश्यकता है। जिससे कि विश्व में एक आत्मा एक परमात्मा एक राष्ट्र एक धवज की अभिव्यक्ति हो।। जय विश्व गुरु भारत।।
आज संत,, महात्माओं, ओर भगवानों की भरमार है। लेकिन मानव, देखने को नहीं मिल रहा है। इसी कारण आज, मानवता और मानवाधिकारों,, की अवहेलना,, पूरे विश्व,, में, हो रही हैं।। जय विश्व गुरु भारत।। जय कल्कि देव श्री निष्कलंक अवतार।।
विषय यह नहीं है कि निराकार को हम किस रूप में स्वीकार करेंगे विषय यह है कि निराकार हमें किस रूप में स्वीकार करेंगे संपूर्ण मानव जाति को चिंता तो यही सताती है
जब आप अपने मुंह से बोलते हैं कि निराकार को किसी ने देखा ही नहीं
आप ऐसा क्यों बोलते हो निराकार को किसी ने नहीं देखा आप यह बोलो कि हमने आज तक नहीं देखा केवल अपने विषय में बात करो