From last 2 weeks I am experiencing these symptoms these sexual thoughts and dreams even though i dont have feelings toward sex and emotions I don't understand that time why I am getting these dreams now because of u guruji i understood thank u so much guruji..
Kundalini jaagran k liye sabse important h sarir ko jitna hosake sudh rakhe or yoga kre joh inhone comment me jawab diye h taaki jab shakti upr uthegi toh sarir takatwar hoga tabhi jhel paayega warna shakti kisi kamjor sthan pr aakar dikkat bhi khadi krdegi haa agar apke koi bhramagyani guru h jinse apne diksha li hui h mantra wegera tab toh koi tension nhi h wo apne ap adjust krdenge baaki agr khud se krte ho toh inke videos dekho saare gyaan milega khub. osho ki btai sadhana kro nabhi dhyan, dynamic meditation, kyoki mene ek nhi doh nhi kaafi logo ko bichme atke hue dekha h joh kuch samay pagal hojate h or fir pran tyaag dete h kyoki ye shakti hi esi h kundalini awakening jyada acha yahi h ki dekh rekh me hi krna.
Mai daily 45 minutes pranayam karata hu guruji ne bataya hai ravi ruhani ji ne waise mere kram is prakar hai bhastrika 1)5 mintues 2) nadi shaodhan 20 mintues 3) kapalbhati 15-20 mintues without any gap har roj karta hu aur dhyan mai mujhe acche anubhav bhi aa rahe hai meri har sans aagya chakra ko hit karti hai aage dekhte hai kya hota hai.
Kundalini use jala degi. Jo iska adhikary nahi. Adhikary ka matlab guru ka hona. Guru vi sidh sant hona chahiye. Nahi pagal ho sakta hai. Maine in chijo ko. Bahut karib se dekha hai.
Hamara des sadhu santo ka des hai. Unhone kavi vi adhyatmik kriya samaj me nahi bataya. Bahut gupt rup se karte th. Parantu kuch uddand adyatmik kriya ko social media me. Faila ker dhan urjan ker rahe hai. In uddado ko inki kriya ke liye iswar jarur dand dega
May ek sadharan insan. Bachpan se hanuman ji ki upasna ketta. Parantu. 2019 me maine sirf ek mahine nad yog kiya maine 10 din me jhingur ki awaj suni uske bad sankh ghanta. Aur mridang ki. Mridang ki awaj sunte hi mere sariri me urjs ka pravah itna bad gaya ki may paglo jayesa kerne laga hath pair me jhan jhanahat chalne firne me dikkat. Mayne channel ko bataya to koi responce nahi kiya. Fir may Art of living se cintact kiya. To unhone mujhe thik kiya.
Kundalini jagran se sariri me energy ka flow itna bad jata hai ki safharab insan ise bardast nahi ker sakta. Hath pair sarir me jhan jhanahat chalne firne me dikkat hota hai.
Pranam guruji🙏 kundalini jagran sahaj bina prayas bhi ho sakta hai? Kyonki aapne jo lakshan bataya inme se kai ke muje experience hua hai ...anulom vilom kar rahi hoo. thoda depresson anderse rahta hai mantrjap puja kar rahi hoo . Dhyan bhi karti hoo. Long meditation nahi hota hai....pl. muje sugetion dena.....
ध्यान साधना के दौरान, या जाप के समय, हमे अक्सर ध्यान मे बैठे बैठे कई बार नींद आने लग जाती है, ऐसा इसलिये होता है की थोडा सा ध्यान लगते ही हमारा मन शांत होने लगता है, श्वास व हृदय गति मंद पडने लगती है, और जब यह लक्षण शरीर मे होने लगते है तो मस्तिष्क को सन्देश जाने लगता है की अब व्यक्ति को सुला दो, क्युकी मस्तिष्क को लगता है की आप सोना चाहते है, क्युकी यही सारे लक्षण तब भी होते है जब हम रात को सोने लगते है तब भी यही शांत शरीर की स्थिति बनती है जो ध्यान के दौरान बनती है । इसलिये पारस्परिक साहचर्य नियम के अंतर्गत मस्तिष्क हमे सुलाने की कोशिश करने लगता है । ध्यान के दौरान नींद मे चले जाना कोई बुरी अवस्था नही है किन्तु यह कोई उच्च अवस्था भी नही है । यहा तक की शुरुवाती कदम मे नींद मे चले जाना लाभ भी करता है क्युकी जो नींद हमे ध्यान के दौरान लगती है वह कोई साधरण नींद नही होती, यह नींद हमारे गहरे विश्राम से निकल कर आती है, योग मे इस नींद को "तांदरी" बोला जाता है, इस नींद की महता साधरण नींद से बहुत अधिक होती है, इस नींद की दस मिनट की झपकी घंटो की साधरण नींद के बराबर होती है । इसलिये जहा तक साधरण स्वास्थ की बात है तो यह समोहित अवस्था की अर्ध चेतन निद्रा जिसमे आप आधे जागे होते है और आधे सोये होते है, बहुत अच्छी है, यह हमारे शरीर को गहरा विश्राम देकर तनाव को दूर करती है, लेकिन अगर हम अपना अध्यात्मिक विकास करना चाहते है तो फिर यह नींद एक बडी बाधा ओर रुकावट है । तब हमे अपनी कुछ आदतों मे सुधार करके इस नींद से बचना चाहिये, जैसे अपने शरीर मे एकत्रित हुए विषाक्त पदार्थो को शरीर से बाहर निकालकर शरीर शुद्ध करे, ध्यान के समय खाली पेट बैठे, अपनी अति विश्राम प्रियता को थोडा संयमित करे, आदि । ध्यान के दौरान नींद से बचने के लिये इन बातो का ख्याल रखे : - 1) लेटकर ध्यान ना करे, हमेशा बैठकर रीढ़ को सीधा रखते हुए ध्यान मे बैठे । 2) खाना खाने के बाद ध्यान मे ना बैठे, हमेशा खाली पेट या खाना खाने के 3 या 4 घन्टे के बाद ध्यान मे बैठे । 3) निश्चिंत करे की आप रात्रि की 8 घंटे की अपनी पुरी नींद ले रहे है या नही । 4) जब बैठे बैठे नींद आने लगे तो थोडी देर खड़े होकर टहल ले और फिर बैठ जाये 5) ध्यान मे बैठने से पहले कुछ देर के लिये योग के स्ट्रेचिंग के कुछ आसन अथवा धीमी व्यायाम की क्रियाए कर के शरीर को वार्म अप कर ले । F 6) ध्यान के दौरान पूरी तरह से अपनी चेतना को जागरुक व पैना रखे की कही से भी नींद आक्रमण ना कर पाये । 7) ध्यान मे बैठने से पहले नहा धो कर या मूह हाथ पैर आदि धो कर बैठे, आँखो मे पानी के छींटे मारे । 8) यदि आप चाहे तो बैठने से पहले दो घूँट चाय, कॉफी आदि के ले ले । 9) शुरुवात मे एकदम, जबकि आपको अभी आदत नही है तो सुबह-सुबह 3 या 4 बजे ध्यान मे ना बैठकर शाम के समय पहले बैठे ओर जब आदत हो जाये तो ब्रहम मूहर्त मे बैठे । 10) ध्यान मे बैठने से पहले कुछ देर के लिये प्राणायाम करे, ऐसा करने से मस्तिष्क मे आक्सीजन की मात्रा बढेगी और जागरुकता आयेगी ।
🙏🙏🙏🙏🙏🌹 ध्यान में उल्टी ,का मन हो जाता है, कभी ऐसा लगता है जैसे बोहोत भुख लगी हो, ह्रदय में तेज रोशनी सफेद रंग कि दिखाई दी, मस्तक में खिंचाव काफी रहता था, और कहीं भी आंखें बन्द कर दु तो ध्यान तुरंत लग जाता था,अब ऐसा कम हो गया है, शरीर में बुखार सा बन गया है पिछले 3,4, दिनों से,दवाई भी ले रहा हूं, गुरु जी आप अपना आशीर्वाद बनाए रखना,
जो लक्षण आपने बताये हैं इसके कई कारण हो सकते हैं, अगर ध्यान के समय आपका पेट खाली नहीं है अथवा आप खाना खाने के बाद यदि ध्यान मे बैठते हैं तो ऐसा हो सकता है, दूसरा यदि आप ध्यान के दौरान किसी विशेष ढंग से अपनी साँस को नियंत्रित करने की कोशिश करते हैं या किसी प्राणायाम का अभ्यास करने से भी ऐसा हो सकता है । इसके अलावा ध्यान हमारे भीतर के तनावों को शिथिल करता है, जिस कारण जब कोई muscles relax होता है तो उसके अंदर का तनाव कई बार इसी प्रकार से शरीर से बाहर निकलता है। अगर आपको anxiety या कोई भी मानसिक समस्या हो तो भी ऐसा हो सकता है। यदि आपने ध्यान मे बैठने से पहले कुछ भारी शारीरिक व्यायाम किया हो तो भी ऐसी स्थिति बन सकती है। अगर आपको ध्यान मे बैठे होने के दौरान शरीर दर्द करता हो तो उस कारण से भी ऐसा हो सकता है। यदि जो भी ध्यान की विधि आप कर रहे हैं उस विधि को यदि आप कहीं ग़लत ढंग से कर रहे हैं तो भी इस प्रकार की समस्या हो जाती है। और जब हमारे अवचेतन मन मे दबे हुए भाव बाहर निकलते हैं तब भी ऐसे लक्षण होते हैं जिनकी आप बात कर रहे हैं। या जब शरीर के अंदर प्राण ऊर्जा जरूरत से ज्यादा बढ़ जाये तब भी ऐसा होता है। इसलिए उपरोक्त कारणों मे यदि कोई कारण आपमे मौजूद हैं तो उसे दुरुस्त करे फिर सब ठीक हो जायेगा।
आप इतना घबराए मत, ऐसा कई बार समान्य रूप से हो जाता है। नींद नहीं आना और डरावने सपने कई कारण से आ सकते हैं, यदि पेट मे वायु बनती हो तो वहीं गैस या वायु रात को मस्तिष्क मे पहुंचकर डरावने सपने दिखने का कारण बन सकती है, और यदि आज्ञा चक्र ठीक ना हो तो भी ऐसे स्वप्न आ सकते हैं, इसके इलावा कई बार ध्यान के प्रभाव से जब हमारा अवचेतन मन खुलता है तो उस कारण से भी मन के अंदर दबी हुई स्मृतियाँ डरावने सपने के रूप में बाहर आ सकती है अथवा किसी मनोविकार या नकरात्मक विचारों के कारण भी ऐसा हो सकता है। आप इस स्थिति से उबरने के लिए शुद्ध व सात्विक आहार ले और शुद्धि के लिए अनुलोम विलोम प्राणायाम का अभ्यास करे।
Sirji. Kya kundali jagrit hone pe hum guru saran mai rahe aur shaj bhav se usse jagrit hone de tho kya uchit hai?. Mera matlab dyan ,mantra jaap karte rahe. Kyon ki mai tho grahast jevan mai hun tho niyam sayam mujh se follow nahi hota. Thoda bahut niyam ka palan kar leti hun. . Bas mujhe pochana tha kya saral shaj roop se banker bhi hum apne kundali k param lakshya ko paa sakte hai?
इसका मतलब है की आप के शरीर मे पित्त बढ़ा हुआ है और आपकी पिंगला नाड़ी तेज चल रहीं हैं, कहीं आपके आहार विहार मे आप ग़लती कर रहे है, बेहतर होगा की आप कुछ समय के लिए चाय कॉफ़ी, तला भुना व वायु कारक खाना और गर्मी पैदा करने वाली वस्तुएं बिल्कुल छोड दे और केवल सादा व पोष्टिक आहार ले, पानी खूब पीए। खाना खाने के बाद हल्का टहलने की आदत बनाए, स्ट्रेस व तनाव से बच के रहे, भोजन अल्प मात्र मे ले और भोजन करते समय बोले बिल्कुल मत, भोजन करने के बाद वज्र आसन मे भी बैठा करे और अंगूठे के साथ वाली अंगुलि को अंगूठे से नीचे दबा कर रखे। इसके अलावा पित्त के संतुलन के लिए अनुलोम विलोम प्राणायाम का नित्य अभ्यास करे, इससे आपकी नाड़ी शुद्धि होगी और विकार खत्म होगा।
Guruji apne kaha tha ashwini mudra ka istemal krke me kundalini jagruk kr sakta hu , mene kiya apne shurwat me kam bhav lane ko kaha but usme meri sari dhyan kiyi hue shakti khatam ho gyi iccha hi nh ata dhyan ki
Iska matlab ki aap vidhi ko sahi parkar se nahi kar paaye hai, behtr hoga ki aap apne nazdik mojood kisi meditation teacher se mile or unse face to face is kriya ko sikhe or fir practice kare, aapko jarur laabh hoga
Pranam guruji...guruji maine aapke video dekh kar hi dhyan karna shuru kiya hai..guruji jab mai dhyan karti hu to mujhe sawari aane jaisi lagti hai...mere baal bhi khul jaate hai. body tej tej hilne lagti ha..mai pooja karti hu to body gol gol ghumti hai.jab bhi koi mata ka gana sunti hu to hilne lagti hu.aur shant bhi baithi hu tab bhi hilne dulne l lagta hai ..guide kren guruji .🙏🙏
सर जी, प्रणाम। मैं शादीशुदा हूँ और मेरे तीन बच्चे हैं। मैंनें पहले कभी भी किसी तरह का ध्यान नहीं किया। आपकी विडीयो ने मेरे मन पर बहुत गहरा प्रभाव डाला है। अब मैंनें ध्यान की शुरूआत बिन्दू त्राटक से शुरु की है। क्या त्राटक से शुरुआत करना सही है या ध्यान की शुरुआत किसी और विधी से करनी चाहिए।
करने को तो बिंदु त्राटक से भी ध्यान की शुरुआत की जा सकती हैं लेकिन बेहतर होगा की आप एक पूरे सिस्टम से शुरुआत करे। अगर आप ध्यान शुरु करना चाहते है तो सब से पहले अपने शरीर को शुद्ध करने से शुरुआत करे । आप योग व प्राणायाम की विभिन क्रियाओं द्वारा अपने तन व मन की शुद्धि करे । शरीर को तैयार करने के लिये आप अपना कोई भी अच्छा लगने वाला वयायाम, कसरत,दौड़ आदि या आसन आदि या सुर्य नमस्कार का अभ्यास कर सकते है । उसके बाद फिर कपालभाति व अनुलोम विलोम प्राणायाम का अभ्यास आवश्यक व अति उतम है । धीर धीर कुछ दिनो मे जब आपका शरीर स्वस्थ व शुद्ध हो जाये तो ओर आगे बढ़ने के लिये महामंत्र औम का उचारण नित्यप्रति आंरभ कर दे । फिर उचारण के बाद नित्यप्रति विपश्यना ध्यान जिसमे अपनी आती जाती श्वास पर ध्यान को केंद्रित किया जाता है, हर रोज 30 से 40 मिनट तक इसका अभ्यास करे । आप इस प्रकार अपना एक घंटे का साधना का क्रम बना सकते है सर्वप्रथम 10 मिनट के लिये शारिरिक व्यायाम फिर 10 मिनट के लिये प्राणायाम फिर 10 मिनट के लिये ओम का उच्चारण फिर 30 मिनट के लिये विपश्यना ध्यान । अपने खान पान को शुद्ध व सात्विक रखे । अपने मन मे संकल्प करके व्यर्थ की सभी क्रियाए जैसे मनोरंजन, बातचीत, गप शप आदि बंद करके अपना पुरा ध्यान अपने लक्ष्य पर केंद्रित करने की आदत बनाये । कुछ दिन इतना करने भर से ही आप के अंदर बदलाव आने शुरु हो जायेगे, और आगे क्या करना है उसका रास्ता दिखना शुरु हो जायेगा ।
प्रणाम गुरुदेव गुरुजी जब ध्यान करते हैं तो दिल की धड़कन कभी गुदा द्वार में,,,कभी घुटनों में और कभी सिर के सबसे ऊपरी भाग पर महसूस होती है।, प्राइवेट पार्ट्स में कभी कभी झनझनाहट महसूस होती है।,, मेरुदंड में और कभी कभी पेट के हिस्से और भुजाओं के पास बहुत तेज़ गर्मी निकलती महसूस होती है । चाहे ध्यान न भी करू तब भी ये सब शरीर में महसूस होता है। जब बिस्तर पर लेटते है तब पैर के पंजों से नाभि तक वाइब्रेशन होता रहता है। परंतु मेरा ध्यान आज्ञा चक्र पर कभी नही जाता और न ही आज्ञा चक्र पर कोई भी स्पंदन महसूस होता है। इन सब का क्या कारण है? क्या मेरा ध्यान सही दिशा में है कृपया बताइए।
जो धड़कन आपको विभिन्न जगह पर महसूस होती हैं वह वास्तव मे आपकी प्राण ऊर्जा का स्पन्दन है, आपके सूक्ष्म शरीर मे जहा कहीं भी रिपेयर की या उपचार की जरूरत होती है आपकी प्राण ऊर्जा अतिरिक्त मात्रा मे वही पहुँच जाती हैं और उस स्थान को हील करती हैं, अतः आपको जो धड़कन महसूस होती है वह एक अच्छा लक्षण है। प्राइवेट पार्ट्स मे झनझनाहट अथवा शरीर के अन्य अंगों मे गर्मी महसूस होना भी एनर्जी सर्कुलेट होने के लक्षण है जोकि बहुत अच्छी बात है। पैर के पंजों से नाभि तक वाइब्रेशन होना भी प्राण ऊर्जा के गति करने का एक शुभ संकेत है। अतः आप निश्चित रहे, आपके सब लक्षण ठीक है और आप सही रास्ते पर जा रहे हैं।
@@hashmi9887 यदि आप अपने आज्ञा चक्र पर ध्यान विकसित करना चाहते हैं तो पहले नासिकग्र दृष्टि, अगोचरी मुद्रा, शाम्भवी मुद्रा, बिंदु त्राटक, अश्वनी मुद्रा : इन सब क्रियाओं मे से किसी एक क्रिया का कुछ समय तक अभ्यास करे, ऐसा करने से आपका आज्ञा चक्र सम्वेदनशील हो जाएगा और फिर आपका ध्यान आसानी से य़हा लगने लगेगा।
बेहतर होगा की शुरुआत में आप एकदम से कुंडलिनी साधना ना करे, यदि अभी आपको कोई ऐसा व्यक्ती या गुरु मौजूद नहीं है जो कुंडलिनी साधना मे आपको गाइड कर सके तो कोई बात नहीं, फिर आप अभी केवल ऐसी साधना करे जिससे कोई नुकसान होने का डर ना हो, आप फिलहाल योग, प्राणायाम व सहज ध्यान की किसी बिधि का अभ्यास करे जिसे बिना गुरु के भी किया जा सकता हो। जैसे की आप समान्य प्राणयाम, मंत्र जाप, विपश्यना ध्यान, भजन कीर्तन आदि कर सकते हैं। बाद मे आप सही विधी के साथ, धैर्य के साथ और उतम जानकारी के साथ ध्यान साधना मे आगे बढे तो इसमे कोई दिक्कत नहीं होगी। आजकल पहले के समय की तरह किसी के पास इतनी फुर्सत नही है की वो महिनों सालों तक अपना घर परिवार काम छोडकर आश्रम मे रहकर गुरु से ज्ञान ले सके । अब समय बदल चुका है । अब दूरभाष संवाद द्वारा या अन्य समाजिक चैनल के द्वारा इस विषय पर ज्ञान लेकर भी आगे बढ़ा जा सकता है । आपको जहा से भी ज्ञान मिल जाये वही आपके गुरु है फिर हम सब का सब से बड़ा गुरु तो हमारे ही अंदर है जो हमे हर तरह का दिशा निर्देश हमेशा अन्तर प्रज्ञा के रूप मे हमे देता रहता है । हमे उसका अनुसरण करना चाहिये । अगर आपको आपकी ध्यान साधना के लिये किसी गुरु का सानिध्य मिल जाता है तो यह बहुत उतम बात है, लेकिन अगर नही भी मिल पाते है तो किसी भी अनुभवी, ज्ञानी, जानकार, विद्वान या शिक्षक से भी आप मार्ग दर्शन ले सकते है । अगर वो भी नही मिल पाते है तो अपनी अंतरात्मा को अपना गुरु मानकर भी आप आगे बढ़ सकते है, अन्यथा आप अपने इष्ट देवता को अपना गुरु मानकर भी आगे बढ़ सकते है ।
Guru ji mera dhyan karne ka man karta h koch dino se mene 4 ya 5 bar dhyan kiya tha ki yak din 4am. Ko jab m so rhi to mujhe yesa laga ki kisi ne mere sir par hath rakha or meri aankho me tej parkash huaa mhjhe sankh ki aawaj sunai di or yesa suna ki ghar me rhkar mat kro ab m dhyan kru ya nhi plz leply me
किसी शुभ ऊर्जा का आपके सिर पर हाथ रखना और आपको प्रकाश दिखाई देना बहुत सुन्दर अनुभव है। मुझे नहीं मालूम की घर पर ध्यान ना करने को आपको क्यूँ कहा गया, लेकिन मेरी राय य़ह है की घर ही एक ऐसी जगह है जहा पर सबसे अच्छे ढंग से ध्यान किया जा सकता है, अतः आपको ध्यान जारी रखना चाहिए ।
संत कबीर का एक वचन है : हीरा पायो गांठ गठियायो, बार बार बाको क्यों खोले ! अथार्त यदि आपको कोई अध्यात्मिक अनुभूति होती है तो उसको भीतर सहेज कर छिपा कर रखना चाहिए और हर किसी को बताना नही चाहिए । ना बताने के कुछ कारण है :- पहला कारण की आप यदि अपनी किसी भी अध्यात्मिक अनुभूति को बहुत ज्यादा महत्व देगे या उसका मोह करेगे तो आपको पुनः वैसी अनुभूति फिर नही होगी क्युकी अब आप जब भी ध्यान मे बैठेगे तो आपके अंदर उस अनुभव को फ़िर से देखने की इच्छा मन मे बैठ जायेगी, लेकिन आप ये भूल जायेगे की पहले पहल जब अनुभव हुआ था वो बिना आपकी आकांक्षा के परमात्मा के आशीर्वाद से हुआ था, लेकिन अब आपका मन आकांक्षा से भर गया की फिर से वह अनुभव होना चाहिए, लेकिन अब नही होगा क्युकि ध्यान का मतलब है की जहा मन ना रहे लेकिन अब ये अनुभूति की आकाँक्षा लिये बार बार मन बीच मे आता रहेगा और आपको वास्तविक ध्यान के घटित होने मे और अनुभुति के प्रकट होने मे रूकावट पैदा करता रहेगा । दूसरा कारण की जब साधक अपनी अनुभूतियों का वर्णन दूसरों के आगे करता है तो इससे उसका अहंकार विकसित हो सकता है की देखो मेरे को दिव्य अनुभव हो रहे है । तीसरा कारण की ध्यान साधना के दौरान अधिकतर ऐसे अनुभव भी होते है जो मन के द्वारा ही साधक को माया जाल मे भटकाने के लिये पैदा किये जाते है ताकि साधक इन प्रकाश की रंगो की उतेजनाओ की दुनिया मे खोया रहे और अपने मूल लक्ष्य को भूल जाये । स्मरण रखे सभी आरंभिक अनुभव मन के ही होते है और हमे इनसे भी आगे जाना होता है । लेकिन ऐसा भी नही है की आप अपने अनुभव किसी को भी ना बताये, जब हम बाल मन से नए नए साधना मे उतरते है तो उस समय जो हमे विभिन्न प्रकार के अनुभव होते है उससे हम आनंदित, आश्चर्यचकित, भौंचक व भयभीत भी हो जाते है तो ऐसे मे हम चाहते है की कोई हमे आश्वस्त करे की क्या हम सही जा रहे है या नही । तो ऐसे मे सर्वप्रथम आपको अपने गुरु के सम्मुख अपनी बात करनी चाहिए यदि गुरु उपलब्ध ना हो तो किसी अनुभवी या ज्ञानी से अथवा अपने समकक्ष के साधक या साधको के समूह से आप अपने अध्यात्मिक अनुभवों की बात कर सकते है ताकि आपसी मंत्रणा करके अपने अनुभव को समझ के आप फिर से अपनी साधना मे आगे बढ़ सके और फिर जब धीरे-धीरे आपकी साधना प्रगाढ़ हो जाये, जब आपको अपने प्रश्नों के उतर मिल जाये और आप को ज्ञान हो जाये तब आप निश्चिंत होकर हर जरुरतमंद को अपना अनुभव या अपनी ज्ञान की बात दूसरो को बता सकते है ताकी आपके साथ साथ दूसरो का भी कल्याण हो जाये । लेकिन इसके अलावा हर किसी से अपनी ध्यान साधना की गुप्त बातें ना बोले, केवल जरूरत पड़ने पर ही बोले अन्यथा अपने अनुभव गुप्त रखे।
Gurudev pranam and charansparash, i was feeling heat in palms when rubbed my palms. But suddenly,today when I rubbed my palm,heat not experienced but palms seems dry, after appx.30 minutes a small amount of heat i feel, it it due to any wrong meditation process.however when i starts meditation, i always have deep nreathing,anulomvilom, all bij mantras( Lam, vam,rum,yam,hum,om,aum,kalike ).and then focus on crown/ on nose point.kindly advise whether, i am going in wrong direction.please guide me. With regards Mahabir
It is not a matter of concern if you did not feel heat between palms as you used to feel always because sometimes it may happen normally as our body energy fluctuate time to time And the pranayamas and beej mantra chanting is also good for meditation practice, so i do not see anything wrong in it
नहीं कोई रिस्क नहीं होता, क्युकी कुंडलिनी साधना एक दिव्य साधना है और शिव की यानि परमात्मा की साधना है, तो परमात्मा के मार्ग पर कैसा भय और कैसा रिस्क ? अतः हमे निश्चित होकर ध्यान साधना करनी चाहिए, य़ह मार्ग कल्याण का मार्ग है इसमे कल्याण ही कल्याण होगा और कोई नुकसान नहीं होता। लेकिन हमे बस इतना ध्यान रखना चाहिए और वही बात इस विडियो मे भी बताई गई हैं की क्युकी य़ह एक शक्ति के जागरण की साधना है तो जैसे यदि हम इलेक्ट्रिकल तार के साथ कोई खेल नहीं कर सकते, ठीक ऐसे ही हमे कुंडलिनी शक्ति के साथ कोई लापरवाही या असावधानी नहीं करनी चाहिए।
आप जैसा समझ रहीं हैं ऐसा नहीं है, हर अच्छी से अच्छी चीज के भी थोड़े ना बहुत साइड इफेक्ट तो होते ही हैं लेकिन इसका यह अर्थ नही की वह चीज गलत है या बेकार है, जिस कुंडलिनी साधना के साइड इफेक्ट की बात इस विडियो में बताई गई है वे साईड इफेक्ट या नकरात्मक प्रभाव केवल अस्थायी तौर पर होते हैं और हर किसी को नहीं होते, केवल जब आप लापरवाही से या गलत ढंग से कुंडलिनी साधना करते हैं केवल तभी आपको इसके कुछ नकरात्मक प्रभाव आते हैं अन्यथा नहीं आते, कहने का तात्पर्य यह है की यदि कोई गलत ढंग से साधना करता है और उसके कुछ गलत परिणाम यदि आते हैं तो इसमे गलती साधक की है नाकी कुंडलिनी शक्ति की। कुंडलिनी की साधना अपने आप मे ही शिव और शक्ति की एक पवित्र साधना है जो भी साधक इस साधना को सफ़लता पूर्वक कर लेता है वह परमात्मा के ज्ञान व पूर्णता को प्राप्त कर लेता है। अतः आप इस साधना के प्रति अपने मन मे कोई नकरात्मक दृष्टिकोण ना बनाए।
Kundalini jagran se sadhak ko bahut dikkat hota hai. Mera kundalini 2020 me jaga th. Mayne nad yog ek mahine kiya th. May nad sunta hu. Mera koi guru nahi.
Kundalini jagne se energy ka flow bahut bad jata hai. Jisse hath pair sarir me jhanjhanahat. Chalne firne me dikkat. Koi kam ka nahi hota. Mere ko din me teen bar prayanam kerna padta hai. Tab energy control me rahty hai.
यदि ध्यान के दौरान सिर या गर्दन गोल गोल घूमने लगे तो इसका मतलब है की ध्यान के अभ्यास के प्रभाव की वजह से सिर में ऊर्जा की मात्रा बढ़ गई हैं, उस दौरान सिर नहीं गोल गोल घूमता है, वास्तव मे सिर के भीतर उर्जा घूमती है। इसका य़ह भी मतलब है की आपकी एकाग्रता के कारण ऊर्जा मस्तिष्क में आ तो गई लेकिन अभी वह स्थाई रूप से ज़ज्ब नहीं हो पाई है, इसी कारण से वह वर्तुलाकार गति करने लगती है, लेकिन समयानुसार धीरे-धीरे जब ऊर्जा समाहित होने लग जायेगी तो ऐसा होना बंद हो जाएगा। य़ह एक सकरात्मक लक्ष्ण है अतः आप चिंता ना करे और अभ्यास जारी रखे। किन्तु यदि आपको लगे की आप सम्भाल नहीं पा रहे है तो ऊर्जा के अतिरेक को संतुलित करने के लिए कुछ दिन अनुलोम विलोम प्राणायाम का अभ्यास करे ।
हमें ध्यान कितनी देर करना चाहिए, इस बात को कोई एक निश्चित उतर नहीं हो सकता क्यूंकि य़ह विभिन्न ध्यान विधियों के प्रारुप और विभिन्न साधकों के अभ्यास करने के प्रयोजन पर निर्भर करता है। लेकिन अगर कोई अभी ध्यान की शुरुआत कर रहा है तो शुरु शुरू मे 5 से 10 मिनट अभ्यास कर सकते है फिर जैसे जैसे रूचि बढ़ेगी तो 20 मिनट फिर 30 मिनट और फिर एक औसत समय यानि 40 मिनट की एक बैठक कर सकते है। और जब ध्यान गहरा होने लगे तो कुछ महिनों के बाद ध्यान के समय को 2 घण्टे या उस से भी ज्यादा बढाया जा सकता है। और ध्यान को दिन मे जैसी सुविधा हो, उसके अनुसार दिन मे दो बार सुबह और शाम को किया जा सकता है अथवा केवल एक बार यानि सुबह सुबह भी यदि कर लेते है तो पर्याप्त है।
Pranam gurudev Gurudev mera dimag bhatakta rehta hai hamesha dar lagta rahta hai lakshya ko lekar baar baar apne lakshya ko badalta rehta hoon kabhi kisi ek cheej ko prapti nahi kar paata hoon baar baar man bhatakta rehta hai Apne man ko asthir kaise karein iska sahi solution baatein Please please
मन की भटकन शांत होने मे और मन के स्थिर होने मे समय लगता है, जब तक व्यक्ती मानसिक रूप से प्रौढ और अनुभवी नहीं हो जाता तब तक मन ऐसे ही हर किसी को भरमाता रहता है। अधिकतर व्यक्ती इसलिए मन के बहकावे मे आता रहता है क्योंकि व्यक्ती के अंदर बहुत सारी इच्छायें, महत्वकांक्षाए और वासनाएं होती है जिनको पूरा करने के उद्देश्य से व्यक्ती निरन्तर भटकता रहता है। लेकिन मन की भटकन से मुक्त होने के लिए भटकना भी जरूरी है क्युकी निरन्तर भटक कर ही आपको समझ मे आएगा की भटकने से कुछ प्राप्त नहीं होता, और इतना ज्ञान प्राप्त होने मे व्यक्ती का पूरा जीवन लग जाता है, अतः मन का शांत होना इतना आसान नहीं है। इसलिए आप धैर्य रखे, जागरुकता के साथ जीवन जिये, मन के हर कृत्य का अवलोकन करते रहे, खुद से सवाल करते रहे की जो आप कर रहे हैं वो क्यूँ कर रहे हैं, किसलिए कर रहे हैं, कब तक करते रहेगे, आदि। धीरे-धीरे आपको सब समझ आने लगेगा और आपके मन की भटकन खत्म होने लगेगी और आप शांत होने लगेंगे।
GURUJI Pranam 🙏 Guruji mai dinbhar deep breathing karta hu .aur jaha mai deep breathing nahi kr pata waha mai sanso pr dhyan deta hu . isse mujhe acha feel hota hai vichar kam ate hai . Aur halka mahsus krta hu . Aur shwas dhyan baithkar ankhe band kar kar krta hu 5 7 min ke lia . Kya mai ye sahi kar raha hu ?
Bahot bahot dhanyawad Guruji apke margdarshan ke lia . TH-cam ke madhyam se aap hamse jude rahiaga . Taki aapka margdarshan hame milta rahe.Yahi req hai apke charno me . Dhanyawad Pranam 🙏
Guru ji 15 days ago i have been pursed by alien like creature in body and intimate but felt like my partner.i chanted mantra and make it out of my body..i was trying to escape from my body but I couldnot as it was trying to stay in mybody.I am married to soul partner and separated ..help plz..I feel peaceful alone but sometime body act like my soul partner sings songs too .
guru nahi hai koi, aur vaise bhi aaj ke samay me sahi guru ki pehchan kaise kare , aur jo milte bhi vo bahut bahut jyada charge karte hai. Kya ist dev jaise Mahadev ya Bajrangbali ko guru bana sakte hai , par vo marg darshan kaise denge
अगर आपको कदम दर कदम गाइड करने के लिए गुरु की उपलब्धता हो जाती है तो य़ह बहुत अच्छी बात है, लेकिन हर किसी को ऐसा सौभाग्य मिले य़ह सम्भव भी नहीं है। समय व नई परिस्थितयों के साथ सब बदलता है तो इसमे अध्यात्म का स्वरूप भी थोडा बदला है । अगर हम सही विधी के साथ, धैर्य के साथ और उतम जानकारी के साथ ध्यान साधना मे आगे बढे तो इसमे कोई दिक्कत नहीं है। आजकल पहले के समय की तरह किसी के पास इतनी फुर्सत नही है की वो महिनों सालों तक अपना घर परिवार काम छोडकर आश्रम मे रहकर गुरु से ज्ञान ले सके । अब समय बदल चुका है । अब दूरभाष संवाद द्वारा या अन्य समाजिक चैनल के द्वारा इस विषय पर ज्ञान लेकर आगे बढ़ा जा सकता है । आपको जहा से भी ज्ञान मिल जाये वही आपके गुरु है फिर वो ज्ञान आपको राम से मिले या रहीम से, पुस्तक से मिले या फ़ेसबुक से, कही से भी मिले आप ले सकते है, और बिना बन्धन बनाये ले सकते है । और हम सब का सब से बड़ा गुरु तो हमारे ही अंदर है जो हमे हर तरह का दिशा निर्देश हमेशा अन्तर प्रज्ञा के रूप मे हमे देता रहता है । हमे उसका अनुसरण करना चाहिये । अगर आपको आपकी ध्यान साधना के लिये किसी गुरु का सानिध्य मिल जाता है तो यह बहुत उतम बात है, लेकिन अगर नही भी मिल पाते है तो किसी भी अनुभवी, ज्ञानी, जानकार, विद्वान या शिक्षक से भी आप मार्ग दर्शन ले सकते है । अगर वो भी नही मिल पाते है तो अपनी अंतरात्मा को अपना गुरु मानकर भी आप आगे बढ़ सकते है, अन्यथा आप अपने इष्ट देवता को अपना गुरु मानकर भी आगे बढ़ सकते है ।
Thank You for sharing your knowledge Sir🙂🙏🏻 But sometimes yeh Kundalini shakti khud hi jagrit ho jaye or phir energy drain rehna lage, tab kya krna chahiye Sir because I contacted few Services, they said they will send it back to root, jo mujhe sahi nahi lgg raha h. I have becoming so much sensitive towards energies and there is a lot of light coming from my eyes, which gives me headache a lot. I can't sit into light. Dim light peace deti hai Sir. Please suggest Sir🙂🙏🏻Thank You.
आपने जो लक्षण बताए है उससे य़ह स्पस्ट होता है की आपकी कुछ मात्रा में इनर्जी एक्टिवेट तो हुई है पर वो सही तरीके से बॉडी में सर्कुलेशन में नहीं आ पाई है जिस वजह से आपको उसके कुछ साइड इफेक्ट आ रहे हैं। आपको अपनी इनर्जी को बैलेन्स करने की जरूरत है, इसके लिए आप यदि अभी कोई मेडिटेशन आदि की प्रेक्टिस कर रहे हैं तो कुछ दिनों के लिए उसकी ड्यूरेशन कम कर दे, थोड़ा बहुत फिजिकल वर्क आउट जरूर करे, क्रिएटिव बने रहे, थोड़ा सॉफ्ट डांस किया करे, और लगभग 2 सप्ताह तक हर रोज 10 मिनट के लिए altrnate nostril breathing exercise करे। ऐसा करने से आप better फिल करेगे।
इसका मतलब है की आपका नाभि चक्र कमजोर है, यदि आप अपने इस चक्र को स्ट्रॉन्ग कर लेते है तो आपकी य़ह समस्या हमेशा के लिए खत्म हो जायेगी :- नाभि चक्र जो हमारे सूक्ष्म शरीर मे सात चक्रों के क्रम मे तीसरे स्थान पर स्थित है जिसको मणिपुर चक्र कहा जाता है । इस चक्र को बलवान करने के विभिन उपाय है आप अपनी सुविधा अनुसार कुछ उपायों को चुन कर उनका अभ्यास कर सकते है । योग के वह सभी आसन जो हमारे पेट पर खिचाव उत्पन करते है उनका अभ्यास करे जैसे भुजंग आसन, धनुर आसन, उश्ट्र आसन, सुर्य नमस्कार आदि । इसके इलावा ऐसे त्रिव व्यायाम व कसरत जिसका अभ्यास करने से हमारी नाभि तेजी से धडकने लगती है उनका अभ्यास करे जैसे दौड़ लगाना, तैरना, नाचना, खेलना, एरोबिक्स व्यायाम करना, ट्रेकिंग करना, पहाड़ चड़ना, मेहनत वाले काम करना, पर्यटन करना, जोखिम के कार्य करना व जीवन मे जोखिम उठाना, हिम्मत भरे काम करना आदि सब ऐसे कार्य है जो हमारे नाभि चक्र को मजबूत बनाते है । हमेशा अपने पेट से लंबी ओर गहरी सांस लेने की आदत डाले, उथली सांस ना ले । जब भी आपकी सांस अंदर आये तो आपका पेट फूलना चाहिए । ध्यान के आसन मे बैठकर, नाभि चक्र के स्थान पर, जोकी नाभि से 3 अंगुल ऊपर स्थित है, वहा पर अपना ध्यान एकाग्र करते हुए " रं " बीज मंत्र का नित्य उचारण करे । इन उपायों को अपनाकर आप अपनी नाभि से जुड़ी सभी प्रकार की समस्याओं से छुटकारा पा सकते है।
Guruji pranam Jo lakshan aapne bataye hai, mujhe unme se kuch ke experience hue hai. Achanak meditation karte-2 aise experiences hue to mene darke medition hi chod di. Mere body me kabhi bahut thand lagti thi kabhi bahut garmi. Abhi bhi mere sharir me garmi jyada ho gayi hai. Ye sab apne aap hi ho gaya. Kya ab mujhe phir se continue karna chahiye? Mujhe aankh band karne per hamesha saap dikhta tha. So mujhe bahut dar lagta hai. Please mujhe guide kijiye. Please
ध्यान के दिनों मे शरीर में गर्मी सर्दी का एहसास होना समान्य है, इसका कोई नुकसान नहीं है, गर्मी इसलिए पैदा होती हैं ताकि शरीर की शुद्धि हो सके। लेकिन यदि आपको गर्मी ज्यादा परेशान करे तो कुछ बातों का ध्यान रखे और अपना मेडिटेशन जारी रखे। आपको शीतलता प्रदान करने वाले प्राणायाम जैसे चंद्र भेदी, सीतकारी, शीतली व अनुलोम विलोम प्राणायाम का अभ्यास करना चाहिए । तामसिक और उत्तेजक आहार व गर्म प्रकृति का आहार नहीं लेना चाहिए और सात्विक व ठण्डी तासीर का आहार लेना चाहिए। जब भी लेटे तो अपनी दाई करवट लेटे ताकि बाया नथुना ऊपर आ जाये, ऐसा करने से पिंगला नीचे दबकर बंद हो जायेगी और बाई यानि इडा चल पड़ेगी जिससे शरीर की गर्मी कंट्रोल हो जायेगी। इसके अलावा जब आप ध्यान मे बैठे तो आप जल मुद्रा यानि अपनी सबसे छोटी अंगुली को अपने अंगूठे से नीचे दबा कर रखे, इससे आपका क्रोध शांत होगा।
Sir mera koi guru nahi h bagvan se parathna krke dhyan krta hu kya ye sahi h dusra saval sir mere sapne mai meri ichha na hote hue bi sex ho jata h or virya nass ho jata h ase me kya kru guru ji marg darshan kre plz
Bhai god ko guru banane ka kya fayda . Guru isliye bnate hai .taki agr koi side effect aye ya koi presani ho ya hum kuch glt kr rhe ho to guru hamara marg drshn kre . Prmatma ko guru bnakr ye labh le skte ho kya . God ki respect kro worship kro . Lekin guru keval ko people ko hi bnao . Taki musibat me motivate kre .
Dear agr ass pass koi guru nhi hai to apni jaan ko khatre me kyu daal rhe ho. Sbr kro time aane pr sb mil jayega . Talash jari rkho . Or ye me koi guru nhi hu . Me bhi ek simple boy hu . Apki tr ha .
@@CHAHAL-dr5sy sir dhyan meri krna meri zindagi ban gya h mai ise kase chhod du mai cha kr bi chod ni sakta dhyan ke bina mujhe achha fill nahi hota guru ki wait mai mai dhyan bi nahi kru kya
सर,मैं सिर्फ़ ध्यान करतीं थीं बहुत समय पहले से,मुझे कुंडलिनी जागर्ति करने में कोई दिलचस्पी नहीं थी,मेरी कुंडलिनी स्वत: जागर्त हो रही है,हमारे आसपास कोई भी गुरू बीस किलोमीटर दूर उपलब्ध हैं,जिनसे सम्पर्क करना मुश्किल है,मैं ध्यान नहीं छोड़ना चाहती ! पर अब तो ध्यान में,शरीर में गर्मी बहुत ज़्यादा महसूस कर रही हूँ ! और कोई अप्रिय घटना नहीं महसूस किया है !क्या करें ! कुछ मार्ग दर्शन करें ! क्या मुझे ध्यान में नहीं बैठना चाहिए ? मैं पुरे दिन में मात्र आधे घंटे ध्यान करती हूँ !! 🙏
आप निश्चित रहे और अपना ध्यान जारी रखे। अक्सर जब साधक अपनी साधना के दौरान योग, प्राणायाम व ध्यान आदि की विभिन्न क्रियाओं का अभ्यास करता है तो कुछ दिनो मे इन क्रियाओं के प्रभाव से शरीर मे गर्मी बढ़ने लग जाती है, ताकि शरीर मे ताप को बढ़ा कर अशुद्धियों को जलाया जा सके । इसका अर्थ है की जागृत हुई कुंडलिनि हमारे शरीर की अशुद्धियों व अनावश्यक पदार्थों वसा, फैट, विष, हानिकारक पदार्थों आदि को खत्म करती है ताकी उसका मार्ग साफ व प्रशस्त हो सके, और यह जागृत ऊर्जा अपने मार्ग की सफाई शरीर मे ताप को बढ़ा कर करती है ताकी उतप्त हुए शरीर मे सभी अशुद्धिया जल जाये । किंतु फिर भी यदि आपको ज्यादा तकलिफ हो तो आप ज्यादा से ज्यादा इतना कर सकते है की खुब पानी पिये, अपने आहार मे ठण्डी तासिर के खाध पदार्थो तथा सुपाच्य भोजन व फल आदि का सेवन करे । अनुलोम-विलोम, शीतली, सित्कारि, चंद्र भेदी प्राणायाम का नित्य अभ्यास करे । अधिकतर जब आप सोते या लेटते है तो बाई नासिका को ऊपर की और रख कर सोये यानि दाई करवट लेकर सोये इससे आपकी चंद्र नाडि जो शरीर को शीतलता देती है, वह चलेगी और शरीर की अति की गर्मी शान्त होगी ।
Social media me kuch logo ka kundalini jaga hai. Ye sab ardh gyani hai. Ye khud to apna energy control nahi ker pa rahe dusro ko fasa ker unka jivan barbad ker rahe hai. In uddando ko iswar uski saja jarur degi.ye paisa kamane ka ek jariya ban gaya hai.
May ek sadhak. May alp ayu se hanuman ji ki upasna kerta. Parantu 2019 me maine nad yog sirf ek mahine kiya. May agya chakra per dhyan lagata th. Mey sirf 10 din me jhingu uske bad sankh ghanta ka awaj sunne laga. Uske bad mridang ki. Mridang ki awaj sunte hi mere sarir me urja ka pravab itna bad gaya ki may pagal jaise ho gaya. Mayne channel ko bola. Usne uttar nahi diya. Kyoki vo thik nahi ker sakta. May art of living se sampark kiya uske bad thik hua.
ध्यान मे डर लगने के कुछ कारण होते हैं जैसे की :- यह आपका अपना मन ही है जो डरा रहा है, वह आपको ध्यान के मार्ग से हटाना चाहता है। क्योंकि ध्यान से मन की ताकत आपके ऊपर से कम हो जायेगी और वह आपके नियंत्रण में आने लगेगा इसलिए अपनी सत्ता बचाने के लिए वह इस प्रकार की तरकीबे निकालता है ताकि आप डर कर ध्यान का अभ्यास छोड़ दे। लेकिन आप डरे मत और अपना ध्यान जारी रखे। कुछ नहीं होगा । क्यूंकि जैसे जैसे आपमे ध्यान की गहराई बढेगी वैसे वैसे आपमे सुख, शन्ति, स्थिरता, निर्भयता, आनन्द जैसे दिव्य सकरात्मक गुण बढेगे और ड़र, असुरक्षा, निराशा, दुख, बैचैनी जैसे नकरात्मक गुण घटेगे । ध्यान का मार्ग एक सुरक्षित, सात्विक व आत्म रूपांतरण व परमात्मा का मार्ग है । इस मार्ग पर चलने से जो भी होगा वो आत्म सुधार के लिये होगा और जो भी होगा अच्छा ही होगा । और दूसरी बात य़ह भी है की ध्यान के प्रभाव से हमारे अवचेतन मन मे दबे हुए डर ऊपर आने लगते है और हमे भिन्न भिन्न रूपों मे डराने लगते है, लेकिन ऐसे में आप को ध्यान रखना है की तब आप डरे मत और समझे की य़ह डर मन पैदा कर रहा है, तब आप थोड़ा और जागृत हो जाये, अपना होश सम्भाले, अपने इष्ट देव अथवा गुरु का स्मरण करे, चाहें तो एक दो गहरी साँस ले, और साक्षी भाव से उस अवस्था को बिना उसमे लिप्त हुए उसे देखते रहे, अगर आपने 2-4 मिनट स्थिति सम्भाल ली तो डर खत्म हो जायेगा।
1) vomiting karne se pran urja West hoti hai 2) aagya chakra (third eye ) kitne Dinon bad jagrut hota hai 3) guruji my age is 15 year and I don't have any Guru or any person who guide me . can i open my kundalinee myself ? i experienced kundalinee awakening symtams like vibration ,etc please guide me sir Please reply me
1) कुंडलिनी जागरण के दौरान हमारी प्राण ऊर्जा पूरे शरीर को डेटॉकस यानि विष रहित करती हैं जिससे कई बार दस्त अथवा उल्टियां लग सकती है, इन उल्टियों से प्राण ऊर्जा वेस्ट नहीं होती बल्कि पेट की सफाई होती हैं। 2 ) आज्ञा चक्र कितने दिन में जागृत होगा य़ह इस बात पर निर्भर करता है की आप कितनी लगन से, नियम से और गहराई से ध्यान करते हैं, अगर सही तरीके से नियमित साधना की जाये तो तीन माह के भीतर भीतर आज्ञा चक्र मे स्थाई जागृति आने लगती है जबकि अस्थायी रूप से वाइब्रेशन आदि तो तीसरे दिन से ही शुरू होने लगती हैं। 3) क्योंकि अभी आपकी आयु कम है और आप अभी परिपक्व नहीं है इसलिए मैं आपको सुझाव दूंगा की आप बिना गाईड या गुरु के कुंडलिनी जागरण ना करे, ब्लकि अभी आप शुरुआत केवल प्राणयाम और समान्य ध्यान के साथ करे, जब कुछ माह तक आपकी प्राणयाम और ध्यान मे गहराई बढ़ जायेगी तो उसके बाद आप कुंडलिनी साधना भी कर सकते हैं, लेकिन अभी शुरुआत उससे ना करे।
🙏🏻🙏🏻aap ne jitna gyaan diya he muje n hi lagta koi gru de sakte he .Bhot kuch aap ki video se sikhne ko mila dhanyavad aap ka
❤ great sharing 👏❤️👏😁😊😁
Bahut hi acchi jankari 🙏
Hari Om guru ji ap etna acha batati ho jo moshkil nhi hoti thanks
Pranam guruji aour dhanyavad . 😊 Pahele se jyada abb mai shant rahane lagi hun.
धन्यवाद जी, मेने ये सब दर्शन दृष्टाभाव से किए है, जिस के लिए शिव बाबा को कोटी कोटी धन्यवाद जी।
Maine bhi same, om shanti
💯
From last 2 weeks I am experiencing these symptoms these sexual thoughts and dreams even though i dont have feelings toward sex and emotions I don't understand that time why I am getting these dreams now because of u guruji i understood thank u so much guruji..
❤Jay shree krishna radhe shyam super RADHE ❤❤❤❤❤shyam shyam shyam shyam shyam shyam ❤❤❤❤❤❤❤❤shyam shyam shyam shyam shyam shyam ❤❤❤❤❤❤❤❤❤🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉❤❤❤❤❤❤❤❤shyam shyam shyam shyam shyam shyam ❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤😂shyam ❤❤❤❤❤❤
Apke margdarshan k liye padam sukriya🙏🙏
धन्यवाद जी
Kundalini jaagran k liye sabse important h sarir ko jitna hosake sudh rakhe or yoga kre joh inhone comment me jawab diye h taaki jab shakti upr uthegi toh sarir takatwar hoga tabhi jhel paayega warna shakti kisi kamjor sthan pr aakar dikkat bhi khadi krdegi haa agar apke koi bhramagyani guru h jinse apne diksha li hui h mantra wegera tab toh koi tension nhi h wo apne ap adjust krdenge baaki agr khud se krte ho toh inke videos dekho saare gyaan milega khub. osho ki btai sadhana kro nabhi dhyan, dynamic meditation, kyoki mene ek nhi doh nhi kaafi logo ko bichme atke hue dekha h joh kuch samay pagal hojate h or fir pran tyaag dete h kyoki ye shakti hi esi h kundalini awakening jyada acha yahi h ki dekh rekh me hi krna.
Mai daily 45 minutes pranayam karata hu guruji ne bataya hai ravi ruhani ji ne waise mere kram is prakar hai bhastrika 1)5 mintues
2) nadi shaodhan 20 mintues
3) kapalbhati 15-20 mintues without any gap har roj karta hu aur dhyan mai mujhe acche anubhav bhi aa rahe hai meri har sans aagya chakra ko hit karti hai aage dekhte hai kya hota hai.
@@Rudraye mai sirf apni saso pe dhyan deta hu bus
Kundalini use jala degi. Jo iska adhikary nahi. Adhikary ka matlab guru ka hona. Guru vi sidh sant hona chahiye. Nahi pagal ho sakta hai. Maine in chijo ko. Bahut karib se dekha hai.
Hamara des sadhu santo ka des hai. Unhone kavi vi adhyatmik kriya samaj me nahi bataya. Bahut gupt rup se karte th. Parantu kuch uddand adyatmik kriya ko social media me. Faila ker dhan urjan ker rahe hai. In uddado ko inki kriya ke liye iswar jarur dand dega
May ek sadharan insan. Bachpan se hanuman ji ki upasna ketta. Parantu. 2019 me maine sirf ek mahine nad yog kiya maine 10 din me jhingur ki awaj suni uske bad sankh ghanta. Aur mridang ki. Mridang ki awaj sunte hi mere sariri me urjs ka pravah itna bad gaya ki may paglo jayesa kerne laga hath pair me jhan jhanahat chalne firne me dikkat. Mayne channel ko bataya to koi responce nahi kiya. Fir may Art of living se cintact kiya. To unhone mujhe thik kiya.
Bhai main bhi yeh sadhna kar reha hoon mujhe yog bhi hote hai automatic yog bahut hi achi sadhna hai..
Many many thanks 🙏🙏
Great information 🙏🙏🙏
Jai sachidanand ji
Kundalini use jala degi jo uska adhikary nahi. Adhikary yani guru ka hona. Kundalini ek khatarnak yog. Sadharan insan ise na kare.
Kundalini jagran se sariri me energy ka flow itna bad jata hai ki safharab insan ise bardast nahi ker sakta. Hath pair sarir me jhan jhanahat chalne firne me dikkat hota hai.
Kundalini jagaran se kano me kuch awaj sunai dets hai. Jaise jhingur sankh ghanta mridang ise nad kahte hai
Jiska kundakini jagrat hai. Uske gale ke niche se tap tap pani girne ka awaj sunai deta hai. Ye nad hai. Jo agya chakra se chitt me girta hai.
Ye sab mere saath uhua hai, app jesa koi guru batane wala mila hi nahi
Radhe radhe Jai shree krishna
Pranam guruji🙏 kundalini jagran sahaj bina prayas bhi ho sakta hai? Kyonki aapne jo lakshan bataya inme se kai ke muje experience hua hai ...anulom vilom kar rahi hoo. thoda depresson anderse rahta hai mantrjap puja kar rahi hoo . Dhyan bhi karti hoo. Long meditation nahi hota hai....pl. muje sugetion dena.....
Super osm video 🌹❤️
Dhyan ke dauran Neend Kyon Aati Hai kripya karke mujhe bataen video bahut acchi Thi iske liye aap ko Koti Koti dhanyavad
ध्यान साधना के दौरान, या जाप के समय, हमे अक्सर ध्यान मे बैठे बैठे कई बार नींद आने लग जाती है, ऐसा इसलिये होता है की थोडा सा ध्यान लगते ही हमारा मन शांत होने लगता है, श्वास व हृदय गति मंद पडने लगती है, और जब यह लक्षण शरीर मे होने लगते है तो मस्तिष्क को सन्देश जाने लगता है की अब व्यक्ति को सुला दो, क्युकी मस्तिष्क को लगता है की आप सोना चाहते है, क्युकी यही सारे लक्षण तब भी होते है जब हम रात को सोने लगते है तब भी यही शांत शरीर की स्थिति बनती है जो ध्यान के दौरान बनती है । इसलिये पारस्परिक साहचर्य नियम के अंतर्गत मस्तिष्क हमे सुलाने की कोशिश करने लगता है ।
ध्यान के दौरान नींद मे चले जाना कोई बुरी अवस्था नही है किन्तु यह कोई उच्च अवस्था भी नही है । यहा तक की शुरुवाती कदम मे नींद मे चले जाना लाभ भी करता है क्युकी जो नींद हमे ध्यान के दौरान लगती है वह कोई साधरण नींद नही होती, यह नींद हमारे गहरे विश्राम से निकल कर आती है, योग मे इस नींद को "तांदरी" बोला जाता है, इस नींद की महता साधरण नींद से बहुत अधिक होती है, इस नींद की दस मिनट की झपकी घंटो की साधरण नींद के बराबर होती है । इसलिये जहा तक साधरण स्वास्थ की बात है तो यह समोहित अवस्था की अर्ध चेतन निद्रा जिसमे आप आधे जागे होते है और आधे सोये होते है, बहुत अच्छी है, यह हमारे शरीर को गहरा विश्राम देकर तनाव को दूर करती है, लेकिन अगर हम अपना अध्यात्मिक विकास करना चाहते है तो फिर यह नींद एक बडी बाधा ओर रुकावट है ।
तब हमे अपनी कुछ आदतों मे सुधार करके इस नींद से बचना चाहिये, जैसे अपने शरीर मे एकत्रित हुए विषाक्त पदार्थो को शरीर से बाहर निकालकर शरीर शुद्ध करे, ध्यान के समय खाली पेट बैठे,
अपनी अति विश्राम प्रियता को थोडा संयमित करे, आदि ।
ध्यान के दौरान नींद से बचने के लिये इन बातो का ख्याल रखे : -
1) लेटकर ध्यान ना करे, हमेशा बैठकर रीढ़ को सीधा रखते हुए ध्यान मे बैठे ।
2) खाना खाने के बाद ध्यान मे ना बैठे, हमेशा खाली पेट या खाना खाने के 3 या 4 घन्टे के बाद ध्यान मे बैठे ।
3) निश्चिंत करे की आप रात्रि की 8 घंटे की अपनी पुरी नींद ले रहे है या नही ।
4) जब बैठे बैठे नींद आने लगे तो थोडी देर खड़े होकर टहल ले और फिर बैठ जाये
5) ध्यान मे बैठने से पहले कुछ देर के लिये योग के स्ट्रेचिंग के कुछ आसन अथवा धीमी व्यायाम की क्रियाए कर के शरीर को वार्म अप कर ले ।
F
6) ध्यान के दौरान पूरी तरह से अपनी चेतना को जागरुक व पैना रखे की कही से भी नींद आक्रमण ना कर पाये ।
7) ध्यान मे बैठने से पहले नहा धो कर या मूह हाथ पैर आदि धो कर बैठे, आँखो मे पानी के छींटे मारे ।
8) यदि आप चाहे तो बैठने से पहले दो घूँट चाय, कॉफी आदि के ले ले ।
9) शुरुवात मे एकदम, जबकि आपको अभी आदत नही है तो सुबह-सुबह 3 या 4 बजे ध्यान मे ना बैठकर शाम के समय पहले बैठे ओर जब आदत हो जाये तो ब्रहम मूहर्त मे बैठे ।
10) ध्यान मे बैठने से पहले कुछ देर के लिये प्राणायाम करे, ऐसा करने से मस्तिष्क मे आक्सीजन की मात्रा बढेगी और जागरुकता आयेगी ।
Pranam guruji🙏🙏
Namaste sir ji
🙏🙏 very nice
🙏🙏🙏🙏🙏🌹 ध्यान में उल्टी ,का मन हो जाता है, कभी ऐसा लगता है जैसे बोहोत भुख लगी हो, ह्रदय में तेज रोशनी सफेद रंग कि दिखाई दी, मस्तक में खिंचाव काफी रहता था, और कहीं भी आंखें बन्द कर दु तो ध्यान तुरंत लग जाता था,अब ऐसा कम हो गया है, शरीर में बुखार सा बन गया है पिछले 3,4, दिनों से,दवाई भी ले रहा हूं, गुरु जी आप अपना आशीर्वाद बनाए रखना,
जो लक्षण आपने बताये हैं इसके कई कारण हो सकते हैं, अगर ध्यान के समय आपका पेट खाली नहीं है अथवा आप खाना खाने के बाद यदि ध्यान मे बैठते हैं तो ऐसा हो सकता है, दूसरा यदि आप ध्यान के दौरान किसी विशेष ढंग से अपनी साँस को नियंत्रित करने की कोशिश करते हैं या किसी प्राणायाम का अभ्यास करने से भी ऐसा हो सकता है ।
इसके अलावा ध्यान हमारे भीतर के तनावों को शिथिल करता है, जिस कारण जब कोई muscles relax होता है तो उसके अंदर का तनाव कई बार इसी प्रकार से शरीर से बाहर निकलता है।
अगर आपको anxiety या कोई भी मानसिक समस्या हो तो भी ऐसा हो सकता है।
यदि आपने ध्यान मे बैठने से पहले कुछ भारी शारीरिक व्यायाम किया हो तो भी ऐसी स्थिति बन सकती है।
अगर आपको ध्यान मे बैठे होने के दौरान शरीर दर्द करता हो तो उस कारण से भी ऐसा हो सकता है।
यदि जो भी ध्यान की विधि आप कर रहे हैं उस विधि को यदि आप कहीं ग़लत ढंग से कर रहे हैं तो भी इस प्रकार की समस्या हो जाती है।
और जब हमारे अवचेतन मन मे दबे हुए भाव बाहर निकलते हैं तब भी ऐसे लक्षण होते हैं जिनकी आप बात कर रहे हैं।
या जब शरीर के अंदर प्राण ऊर्जा जरूरत से ज्यादा बढ़ जाये तब भी ऐसा होता है।
इसलिए उपरोक्त कारणों मे यदि कोई कारण आपमे मौजूद हैं तो उसे दुरुस्त करे फिर सब ठीक हो जायेगा।
धन्यवाद गुरु जी आपके सहायता से बहुत मार्गदर्शन हो है ।।
Doing our worldly duties keeps Root Chakra N Solar Plexus balanced .
500% true
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Guru ji mei 1sal se meditation karta hun par avi mujhe nid na aana darabana sapna araha hai please mujhe bacha lo
आप इतना घबराए मत, ऐसा कई बार समान्य रूप से हो जाता है।
नींद नहीं आना और डरावने सपने कई कारण से आ सकते हैं, यदि पेट मे वायु बनती हो तो वहीं गैस या वायु रात को मस्तिष्क मे पहुंचकर डरावने सपने दिखने का कारण बन सकती है, और यदि आज्ञा चक्र ठीक ना हो तो भी ऐसे स्वप्न आ सकते हैं, इसके इलावा कई बार ध्यान के प्रभाव से जब हमारा अवचेतन मन खुलता है तो उस कारण से भी मन के अंदर दबी हुई स्मृतियाँ डरावने सपने के रूप में बाहर आ सकती है अथवा किसी मनोविकार या नकरात्मक विचारों के कारण भी ऐसा हो सकता है।
आप इस स्थिति से उबरने के लिए शुद्ध व सात्विक आहार ले और शुद्धि के लिए अनुलोम विलोम प्राणायाम का अभ्यास करे।
Sirji.
Kya kundali jagrit hone pe hum guru saran mai rahe aur shaj bhav se usse jagrit hone de tho kya uchit hai?. Mera matlab dyan ,mantra jaap karte rahe. Kyon ki mai tho grahast jevan mai hun tho niyam sayam mujh se follow nahi hota. Thoda bahut niyam ka palan kar leti hun. . Bas mujhe pochana tha kya saral shaj roop se banker bhi hum apne kundali k param lakshya ko paa sakte hai?
Meri saas fulti h
Pet me gas banti h
Or chhati me pain hota h
Kabhi kabhi chakker ane jesa lgta h
Or esa lgta h chhati me kuchh atka hua h
इसका मतलब है की आप के शरीर मे पित्त बढ़ा हुआ है और आपकी पिंगला नाड़ी तेज चल रहीं हैं, कहीं आपके आहार विहार मे आप ग़लती कर रहे है, बेहतर होगा की आप कुछ समय के लिए चाय कॉफ़ी, तला भुना व वायु कारक खाना और गर्मी पैदा करने वाली वस्तुएं बिल्कुल छोड दे और केवल सादा व पोष्टिक आहार ले, पानी खूब पीए। खाना खाने के बाद हल्का टहलने की आदत बनाए, स्ट्रेस व तनाव से बच के रहे, भोजन अल्प मात्र मे ले और भोजन करते समय बोले बिल्कुल मत, भोजन करने के बाद वज्र आसन मे भी बैठा करे और अंगूठे के साथ वाली अंगुलि को अंगूठे से नीचे दबा कर रखे।
इसके अलावा पित्त के संतुलन के लिए अनुलोम विलोम प्राणायाम का नित्य अभ्यास करे, इससे आपकी नाड़ी शुद्धि होगी और विकार खत्म होगा।
Guruji apne kaha tha ashwini mudra ka istemal krke me kundalini jagruk kr sakta hu , mene kiya apne shurwat me kam bhav lane ko kaha but usme meri sari dhyan kiyi hue shakti khatam ho gyi iccha hi nh ata dhyan ki
Iska matlab ki aap vidhi ko sahi parkar se nahi kar paaye hai, behtr hoga ki aap apne nazdik mojood kisi meditation teacher se mile or unse face to face is kriya ko sikhe or fir practice kare, aapko jarur laabh hoga
Pranam guruji...guruji maine aapke video dekh kar hi dhyan karna shuru kiya hai..guruji jab mai dhyan karti hu to mujhe sawari aane jaisi lagti hai...mere baal bhi khul jaate hai. body tej tej hilne lagti ha..mai pooja karti hu to body gol gol ghumti hai.jab bhi koi mata ka gana sunti hu to hilne lagti hu.aur shant bhi baithi hu tab bhi hilne dulne l lagta hai ..guide kren guruji .🙏🙏
सर जी, प्रणाम। मैं शादीशुदा हूँ और मेरे तीन बच्चे हैं। मैंनें पहले कभी भी किसी तरह का ध्यान नहीं किया। आपकी विडीयो ने मेरे मन पर बहुत गहरा प्रभाव डाला है। अब मैंनें ध्यान की शुरूआत बिन्दू त्राटक से शुरु की है। क्या त्राटक से शुरुआत करना सही है या ध्यान की शुरुआत किसी और विधी से करनी चाहिए।
करने को तो बिंदु त्राटक से भी ध्यान की शुरुआत की जा सकती हैं लेकिन बेहतर होगा की आप एक पूरे सिस्टम से शुरुआत करे।
अगर आप ध्यान शुरु करना चाहते है तो सब से पहले अपने शरीर को शुद्ध करने से शुरुआत करे । आप योग व प्राणायाम की विभिन क्रियाओं द्वारा अपने तन व मन की शुद्धि करे । शरीर को तैयार करने के लिये आप अपना कोई भी अच्छा लगने वाला वयायाम, कसरत,दौड़ आदि या आसन आदि या सुर्य नमस्कार का अभ्यास कर सकते है । उसके बाद फिर कपालभाति व अनुलोम विलोम प्राणायाम का अभ्यास आवश्यक व अति उतम है ।
धीर धीर कुछ दिनो मे जब आपका शरीर स्वस्थ व शुद्ध हो जाये तो ओर आगे बढ़ने के लिये महामंत्र औम का उचारण नित्यप्रति आंरभ कर दे । फिर उचारण के बाद नित्यप्रति विपश्यना ध्यान जिसमे अपनी आती जाती श्वास पर ध्यान को केंद्रित किया जाता है, हर रोज 30 से 40 मिनट तक इसका अभ्यास करे ।
आप इस प्रकार अपना एक घंटे का साधना का क्रम बना सकते है सर्वप्रथम 10 मिनट के लिये शारिरिक व्यायाम फिर 10 मिनट के लिये प्राणायाम फिर 10 मिनट के लिये ओम का उच्चारण फिर 30 मिनट के लिये विपश्यना ध्यान ।
अपने खान पान को शुद्ध व सात्विक रखे । अपने मन मे संकल्प करके व्यर्थ की सभी क्रियाए जैसे मनोरंजन, बातचीत, गप शप आदि बंद करके अपना पुरा ध्यान अपने लक्ष्य पर केंद्रित करने की आदत बनाये ।
कुछ दिन इतना करने भर से ही आप के अंदर बदलाव आने शुरु हो जायेगे, और आगे क्या करना है उसका रास्ता दिखना शुरु हो जायेगा ।
@@Dhyankagyan777 धन्यावाद सर जी।
Guru ji shivir ya aapka koi satr mai aana chate hai 💐🙌
जी जरूर, जैसे ही शिविर आरंभ होगे तो सभी को सूचित करेगे।
ऐसे साईड इफेक्ट्स को समता भाव को साथ साथ मे अपग्रेड करते रहने पर ही (विकृतियो या इच्छाओ) काबू मे रख सकते है।
प्रणाम गुरुदेव
गुरुजी जब ध्यान करते हैं तो दिल की धड़कन कभी गुदा द्वार में,,,कभी घुटनों में और कभी सिर के सबसे ऊपरी भाग पर महसूस होती है।,
प्राइवेट पार्ट्स में कभी कभी झनझनाहट महसूस होती है।,,
मेरुदंड में और कभी कभी पेट के हिस्से और भुजाओं के पास बहुत तेज़ गर्मी निकलती महसूस होती है ।
चाहे ध्यान न भी करू तब भी ये सब शरीर में महसूस होता है।
जब बिस्तर पर लेटते है तब पैर के पंजों से नाभि तक वाइब्रेशन होता रहता है।
परंतु मेरा ध्यान आज्ञा चक्र पर कभी नही जाता और न ही आज्ञा चक्र पर कोई भी स्पंदन महसूस होता है।
इन सब का क्या कारण है?
क्या मेरा ध्यान सही दिशा में है कृपया बताइए।
जो धड़कन आपको विभिन्न जगह पर महसूस होती हैं वह वास्तव मे आपकी प्राण ऊर्जा का स्पन्दन है, आपके सूक्ष्म शरीर मे जहा कहीं भी रिपेयर की या उपचार की जरूरत होती है आपकी प्राण ऊर्जा अतिरिक्त मात्रा मे वही पहुँच जाती हैं और उस स्थान को हील करती हैं, अतः आपको जो धड़कन महसूस होती है वह एक अच्छा लक्षण है।
प्राइवेट पार्ट्स मे झनझनाहट अथवा शरीर के अन्य अंगों मे गर्मी महसूस होना भी एनर्जी सर्कुलेट होने के लक्षण है जोकि बहुत अच्छी बात है। पैर के पंजों से नाभि तक वाइब्रेशन होना भी प्राण ऊर्जा के गति करने का एक शुभ संकेत है।
अतः आप निश्चित रहे, आपके सब लक्षण ठीक है और आप सही रास्ते पर जा रहे हैं।
@@Dhyankagyan777 आज्ञा चक्र पर कोई ध्यान नहीं लगता
ऐसा क्या करे गुरु जी की ध्यान आज्ञा चक्र पर स्वयं टिक जाए और वहां वाइब्रेशन होने लगे
कृपया बताएं
@@hashmi9887 यदि आप अपने आज्ञा चक्र पर ध्यान विकसित करना चाहते हैं तो पहले नासिकग्र दृष्टि, अगोचरी मुद्रा, शाम्भवी मुद्रा, बिंदु त्राटक, अश्वनी मुद्रा : इन सब क्रियाओं मे से किसी एक क्रिया का कुछ समय तक अभ्यास करे, ऐसा करने से आपका आज्ञा चक्र सम्वेदनशील हो जाएगा और फिर आपका ध्यान आसानी से य़हा लगने लगेगा।
स्वामी जी पंचकर्म चिकित्सा कहा से लेनी उचित होगी
Aap kisi bhi acche aryuvedic centre me jakar panch karma le sakte hai
Sir is there any way i can contact you ?
मैं श्रमा चाहता हूं किंतु मैं किसी भी अन्य प्रकार से बात करने मे फिलहाल असमर्थ हू, आप यदि चाहे तो कमेन्ट के माध्यम से ही अपनी बात पूछ सकते हैं।
@@Dhyankagyan777 its urgent sir
Mujhe aap se milna hai
I am sorry to say but main abhi milne ki condition me nahi hu, aap ka yadi koi question hai toh aap yahi comment section me puch sakte hai
Kya bina guru ke kundalini jagrit nhii kar sakte??
बेहतर होगा की शुरुआत में आप एकदम से कुंडलिनी साधना ना करे, यदि अभी आपको कोई ऐसा व्यक्ती या गुरु मौजूद नहीं है जो कुंडलिनी साधना मे आपको गाइड कर सके तो कोई बात नहीं, फिर आप अभी केवल ऐसी साधना करे जिससे कोई नुकसान होने का डर ना हो, आप फिलहाल योग, प्राणायाम व सहज ध्यान की किसी बिधि का अभ्यास करे जिसे बिना गुरु के भी किया जा सकता हो।
जैसे की आप समान्य प्राणयाम, मंत्र जाप, विपश्यना ध्यान, भजन कीर्तन आदि कर सकते हैं।
बाद मे आप सही विधी के साथ, धैर्य के साथ और उतम जानकारी के साथ ध्यान साधना मे आगे बढे तो इसमे कोई दिक्कत नहीं होगी।
आजकल पहले के समय की तरह किसी के पास इतनी फुर्सत नही है की वो महिनों सालों तक अपना घर परिवार काम छोडकर आश्रम मे रहकर गुरु से ज्ञान ले सके । अब समय बदल चुका है । अब दूरभाष संवाद द्वारा या अन्य समाजिक चैनल के द्वारा इस विषय पर ज्ञान लेकर भी आगे बढ़ा जा सकता है ।
आपको जहा से भी ज्ञान मिल जाये वही आपके गुरु है फिर हम सब का सब से बड़ा गुरु तो हमारे ही अंदर है जो हमे हर तरह का दिशा निर्देश हमेशा अन्तर प्रज्ञा के रूप मे हमे देता रहता है । हमे उसका अनुसरण करना चाहिये ।
अगर आपको आपकी ध्यान साधना के लिये किसी गुरु का सानिध्य मिल जाता है तो यह बहुत उतम बात है, लेकिन अगर नही भी मिल पाते है तो किसी भी अनुभवी, ज्ञानी, जानकार, विद्वान या शिक्षक से भी आप मार्ग दर्शन ले सकते है । अगर वो भी नही मिल पाते है तो अपनी अंतरात्मा को अपना गुरु मानकर भी आप आगे बढ़ सकते है, अन्यथा आप अपने इष्ट देवता को अपना गुरु मानकर भी आगे बढ़ सकते है ।
Dhanyawaad guru Ji🙏🙏
Guru ji mera dhyan karne ka man karta h koch dino se mene 4 ya 5 bar dhyan kiya tha ki yak din 4am. Ko jab m so rhi to mujhe yesa laga ki kisi ne mere sir par hath rakha or meri aankho me tej parkash huaa mhjhe sankh ki aawaj sunai di or yesa suna ki ghar me rhkar mat kro ab m dhyan kru ya nhi plz leply me
किसी शुभ ऊर्जा का आपके सिर पर हाथ रखना और आपको प्रकाश दिखाई देना बहुत सुन्दर अनुभव है।
मुझे नहीं मालूम की घर पर ध्यान ना करने को आपको क्यूँ कहा गया, लेकिन मेरी राय य़ह है की घर ही एक ऐसी जगह है जहा पर सबसे अच्छे ढंग से ध्यान किया जा सकता है, अतः आपको ध्यान जारी रखना चाहिए ।
*Question*
Guru g agr kundlini skti jagrit ho jaye to kya hm ye baat logo ko bta skte hai. Ye ye experience share kr skte ha people ke sath
संत कबीर का एक वचन है : हीरा पायो गांठ गठियायो,
बार बार बाको क्यों खोले ! अथार्त यदि आपको कोई अध्यात्मिक अनुभूति होती है तो उसको भीतर सहेज कर छिपा कर रखना चाहिए और हर किसी को बताना नही चाहिए ।
ना बताने के कुछ कारण है :-
पहला कारण की आप यदि अपनी किसी भी अध्यात्मिक अनुभूति को बहुत ज्यादा महत्व देगे या उसका मोह करेगे तो आपको पुनः वैसी अनुभूति फिर नही होगी क्युकी अब आप जब भी ध्यान मे बैठेगे तो आपके अंदर उस अनुभव को फ़िर से देखने की इच्छा मन मे बैठ जायेगी, लेकिन आप ये भूल जायेगे की पहले पहल जब अनुभव हुआ था वो बिना आपकी आकांक्षा के परमात्मा के आशीर्वाद से हुआ था, लेकिन अब आपका मन आकांक्षा से भर गया की फिर से वह अनुभव होना चाहिए, लेकिन अब नही होगा क्युकि ध्यान का मतलब है की जहा मन ना रहे लेकिन अब ये अनुभूति की आकाँक्षा लिये बार बार मन बीच मे आता रहेगा और आपको वास्तविक ध्यान के घटित होने मे और अनुभुति के प्रकट होने मे रूकावट पैदा करता रहेगा ।
दूसरा कारण की जब साधक अपनी अनुभूतियों का वर्णन दूसरों के आगे करता है तो इससे उसका अहंकार विकसित हो सकता है की देखो मेरे को दिव्य अनुभव हो रहे है ।
तीसरा कारण की ध्यान साधना के दौरान अधिकतर ऐसे अनुभव भी होते है जो मन के द्वारा ही साधक को माया जाल मे भटकाने के लिये पैदा किये जाते है ताकि साधक इन प्रकाश की रंगो की उतेजनाओ की दुनिया मे खोया रहे और अपने मूल लक्ष्य को भूल जाये । स्मरण रखे सभी आरंभिक अनुभव मन के ही होते है और हमे इनसे भी आगे जाना होता है ।
लेकिन ऐसा भी नही है की आप अपने अनुभव किसी को भी ना बताये, जब हम बाल मन से नए नए साधना मे उतरते है तो उस समय जो हमे विभिन्न प्रकार के अनुभव होते है उससे हम आनंदित, आश्चर्यचकित, भौंचक व भयभीत भी हो जाते है तो ऐसे मे हम चाहते है की कोई हमे आश्वस्त करे की क्या हम सही जा रहे है या नही । तो ऐसे मे सर्वप्रथम आपको अपने गुरु के सम्मुख अपनी बात करनी चाहिए यदि गुरु उपलब्ध ना हो तो किसी अनुभवी या ज्ञानी से अथवा अपने समकक्ष के साधक या साधको के समूह से आप अपने अध्यात्मिक अनुभवों की बात कर सकते है ताकि आपसी मंत्रणा करके अपने अनुभव को समझ के आप फिर से अपनी साधना मे आगे बढ़ सके और फिर जब धीरे-धीरे आपकी साधना प्रगाढ़ हो जाये, जब आपको अपने प्रश्नों के उतर मिल जाये और आप को ज्ञान हो जाये तब आप निश्चिंत होकर हर जरुरतमंद को अपना अनुभव या अपनी ज्ञान की बात दूसरो को बता सकते है ताकी आपके साथ साथ दूसरो का भी कल्याण हो जाये ।
लेकिन इसके अलावा हर किसी से अपनी ध्यान साधना की गुप्त बातें ना बोले, केवल जरूरत पड़ने पर ही बोले अन्यथा अपने अनुभव गुप्त रखे।
@@Dhyankagyan777 humein to hamare gurudev ka aadesh hai ki apne anubhav bta sakte hain..
मेरा मुख्य धेय पूर्ण रूप से मोक्ष प्राप्ती करना है।
Gurudev pranam and charansparash, i was feeling heat in palms when rubbed my palms. But suddenly,today when I rubbed my palm,heat not experienced but palms seems dry, after appx.30 minutes a small amount of heat i feel, it it due to any wrong meditation process.however when i starts meditation, i always have deep nreathing,anulomvilom, all bij mantras( Lam, vam,rum,yam,hum,om,aum,kalike ).and then focus on crown/ on nose point.kindly advise whether, i am going in wrong direction.please guide me.
With regards
Mahabir
It is not a matter of concern if you did not feel heat between palms as you used to feel always because sometimes it may happen normally as our body energy fluctuate time to time
And the pranayamas and beej mantra chanting is also good for meditation practice, so i do not see anything wrong in it
@@Dhyankagyan777 Pranam and charan sparash gurudev,thanks for your valuable guidance .
विनम्र हार्दिक आभार । कुण्डलिनी जागरण के समय जब शिव सामरस्य होता है तो क्या उसके बाद वापस होने मै कोई रिस्क होता है । अवगत कराने की कृपा करें ।
नहीं कोई रिस्क नहीं होता, क्युकी कुंडलिनी साधना एक दिव्य साधना है और शिव की यानि परमात्मा की साधना है, तो परमात्मा के मार्ग पर कैसा भय और कैसा रिस्क ? अतः हमे निश्चित होकर ध्यान साधना करनी चाहिए, य़ह मार्ग कल्याण का मार्ग है इसमे कल्याण ही कल्याण होगा और कोई नुकसान नहीं होता।
लेकिन हमे बस इतना ध्यान रखना चाहिए और वही बात इस विडियो मे भी बताई गई हैं की क्युकी य़ह एक शक्ति के जागरण की साधना है तो जैसे यदि हम इलेक्ट्रिकल तार के साथ कोई खेल नहीं कर सकते, ठीक ऐसे ही हमे कुंडलिनी शक्ति के साथ कोई लापरवाही या असावधानी नहीं करनी चाहिए।
Suraj
काम की जब तो करना नही चाहिए क्या garath को भी
Kitana daravana hain atama sharirik sambadh rakhati hain bahut अजिबसा hain कुंडलिनी जागृत karake upyog kya?
आप जैसा समझ रहीं हैं ऐसा नहीं है, हर अच्छी से अच्छी चीज के भी थोड़े ना बहुत साइड इफेक्ट तो होते ही हैं लेकिन इसका यह अर्थ नही की वह चीज गलत है या बेकार है, जिस कुंडलिनी साधना के साइड इफेक्ट की बात इस विडियो में बताई गई है वे साईड इफेक्ट या नकरात्मक प्रभाव केवल अस्थायी तौर पर होते हैं और हर किसी को नहीं होते, केवल जब आप लापरवाही से या गलत ढंग से कुंडलिनी साधना करते हैं केवल तभी आपको इसके कुछ नकरात्मक प्रभाव आते हैं अन्यथा नहीं आते, कहने का तात्पर्य यह है की यदि कोई गलत ढंग से साधना करता है और उसके कुछ गलत परिणाम यदि आते हैं तो इसमे गलती साधक की है नाकी कुंडलिनी शक्ति की।
कुंडलिनी की साधना अपने आप मे ही शिव और शक्ति की एक पवित्र साधना है जो भी साधक इस साधना को सफ़लता पूर्वक कर लेता है वह परमात्मा के ज्ञान व पूर्णता को प्राप्त कर लेता है।
अतः आप इस साधना के प्रति अपने मन मे कोई नकरात्मक दृष्टिकोण ना बनाए।
@@Dhyankagyan777 Ok Guruji Thank You 🙏
Kundalini jagran se sadhak ko bahut dikkat hota hai. Mera kundalini 2020 me jaga th. Mayne nad yog ek mahine kiya th. May nad sunta hu. Mera koi guru nahi.
Kundalini jagne se energy ka flow bahut bad jata hai. Jisse hath pair sarir me jhanjhanahat. Chalne firne me dikkat. Koi kam ka nahi hota. Mere ko din me teen bar prayanam kerna padta hai. Tab energy control me rahty hai.
Sansarik insan ye kriya na kare.
Guru ji me jab dhyan karta hu to mujhe mata aati hai aesa sir hilta he
यदि ध्यान के दौरान सिर या गर्दन गोल गोल घूमने लगे तो इसका मतलब है की ध्यान के अभ्यास के प्रभाव की वजह से सिर में ऊर्जा की मात्रा बढ़ गई हैं, उस दौरान सिर नहीं गोल गोल घूमता है, वास्तव मे सिर के भीतर उर्जा घूमती है। इसका य़ह भी मतलब है की आपकी एकाग्रता के कारण ऊर्जा मस्तिष्क में आ तो गई लेकिन अभी वह स्थाई रूप से ज़ज्ब नहीं हो पाई है, इसी कारण से वह वर्तुलाकार गति करने लगती है, लेकिन समयानुसार धीरे-धीरे जब ऊर्जा समाहित होने लग जायेगी तो ऐसा होना बंद हो जाएगा। य़ह एक सकरात्मक लक्ष्ण है अतः आप चिंता ना करे और अभ्यास जारी रखे।
किन्तु यदि आपको लगे की आप सम्भाल नहीं पा रहे है तो ऊर्जा के अतिरेक को संतुलित करने के लिए कुछ दिन अनुलोम विलोम प्राणायाम का अभ्यास करे ।
नमस्कार| ध्यान कितना करना चाइये गुरु जी एक दिन मे आपके अनुसार
हमें ध्यान कितनी देर करना चाहिए, इस बात को कोई एक निश्चित उतर नहीं हो सकता क्यूंकि य़ह विभिन्न ध्यान विधियों के प्रारुप और विभिन्न साधकों के अभ्यास करने के प्रयोजन पर निर्भर करता है।
लेकिन अगर कोई अभी ध्यान की शुरुआत कर रहा है तो शुरु शुरू मे 5 से 10 मिनट अभ्यास कर सकते है फिर जैसे जैसे रूचि बढ़ेगी तो 20 मिनट फिर 30 मिनट और फिर एक औसत समय यानि 40 मिनट की एक बैठक कर सकते है।
और जब ध्यान गहरा होने लगे तो कुछ महिनों के बाद ध्यान के समय को 2 घण्टे या उस से भी ज्यादा बढाया जा सकता है।
और ध्यान को दिन मे जैसी सुविधा हो, उसके अनुसार दिन मे दो बार सुबह और शाम को किया जा सकता है अथवा केवल एक बार यानि सुबह सुबह भी यदि कर लेते है तो पर्याप्त है।
@@Dhyankagyan777 आपका बहुत बहुत आभार गुरुदेव 🙏
Sab toh thik h advertisement walo ka kuch karlo yr
Pranam gurudev
Gurudev mera dimag bhatakta rehta hai hamesha dar lagta rahta hai lakshya ko lekar baar baar apne lakshya ko badalta rehta hoon kabhi kisi ek cheej ko prapti nahi kar paata hoon baar baar man bhatakta rehta hai
Apne man ko asthir kaise karein iska sahi solution baatein
Please please
मन की भटकन शांत होने मे और मन के स्थिर होने मे समय लगता है, जब तक व्यक्ती मानसिक रूप से प्रौढ और अनुभवी नहीं हो जाता तब तक मन ऐसे ही हर किसी को भरमाता रहता है।
अधिकतर व्यक्ती इसलिए मन के बहकावे मे आता रहता है क्योंकि व्यक्ती के अंदर बहुत सारी इच्छायें, महत्वकांक्षाए और वासनाएं होती है जिनको पूरा करने के उद्देश्य से व्यक्ती निरन्तर भटकता रहता है।
लेकिन मन की भटकन से मुक्त होने के लिए भटकना भी जरूरी है क्युकी निरन्तर भटक कर ही आपको समझ मे आएगा की भटकने से कुछ प्राप्त नहीं होता, और इतना ज्ञान प्राप्त होने मे व्यक्ती का पूरा जीवन लग जाता है, अतः मन का शांत होना इतना आसान नहीं है।
इसलिए आप धैर्य रखे, जागरुकता के साथ जीवन जिये, मन के हर कृत्य का अवलोकन करते रहे, खुद से सवाल करते रहे की जो आप कर रहे हैं वो क्यूँ कर रहे हैं, किसलिए कर रहे हैं, कब तक करते रहेगे, आदि।
धीरे-धीरे आपको सब समझ आने लगेगा और आपके मन की भटकन खत्म होने लगेगी और आप शांत होने लगेंगे।
Aapka bahut bahut dhanyavad gurudev
GURUJI Pranam 🙏
Guruji mai dinbhar deep breathing karta hu .aur jaha mai deep breathing nahi kr pata waha mai sanso pr dhyan deta hu . isse mujhe acha feel hota hai vichar kam ate hai . Aur halka mahsus krta hu . Aur shwas dhyan baithkar ankhe band kar kar krta hu 5 7 min ke lia .
Kya mai ye sahi kar raha hu ?
Yes, aap bilkul thik kar rahe hai or ekdam sahi teqnic se kar rahe hai, aise hi karna chahiye।
Bahot bahot dhanyawad Guruji apke margdarshan ke lia .
TH-cam ke madhyam se aap hamse jude rahiaga . Taki aapka margdarshan hame milta rahe.Yahi req hai apke charno me . Dhanyawad
Pranam 🙏
Guru ji 15 days ago i have been pursed by alien like creature in body and intimate but felt like my partner.i chanted mantra and make it out of my body..i was trying to escape from my body but I couldnot as it was trying to stay in mybody.I am married to soul partner and separated ..help plz..I feel peaceful alone but sometime body act like my soul partner sings songs too .
Whenever you experience this thing again then start to exhale your breath as strongly as you can, doing this within seconds that energy will run away
guru nahi hai koi, aur vaise bhi aaj ke samay me sahi guru ki pehchan kaise kare , aur jo milte bhi vo bahut bahut jyada charge karte hai. Kya ist dev jaise Mahadev ya Bajrangbali ko guru bana sakte hai , par vo marg darshan kaise denge
अगर आपको कदम दर कदम गाइड करने के लिए गुरु की उपलब्धता हो जाती है तो य़ह बहुत अच्छी बात है, लेकिन हर किसी को ऐसा सौभाग्य मिले य़ह सम्भव भी नहीं है।
समय व नई परिस्थितयों के साथ सब बदलता है तो इसमे अध्यात्म का स्वरूप भी थोडा बदला है ।
अगर हम सही विधी के साथ, धैर्य के साथ और उतम जानकारी के साथ ध्यान साधना मे आगे बढे तो इसमे कोई दिक्कत नहीं है।
आजकल पहले के समय की तरह किसी के पास इतनी फुर्सत नही है की वो महिनों सालों तक अपना घर परिवार काम छोडकर आश्रम मे रहकर गुरु से ज्ञान ले सके । अब समय बदल चुका है । अब दूरभाष संवाद द्वारा या अन्य समाजिक चैनल के द्वारा इस विषय पर ज्ञान लेकर आगे बढ़ा जा सकता है ।
आपको जहा से भी ज्ञान मिल जाये वही आपके गुरु है फिर वो ज्ञान आपको राम से मिले या रहीम से, पुस्तक से मिले या फ़ेसबुक से, कही से भी मिले आप ले सकते है, और बिना बन्धन बनाये ले सकते है । और हम सब का सब से बड़ा गुरु तो हमारे ही अंदर है जो हमे हर तरह का दिशा निर्देश हमेशा अन्तर प्रज्ञा के रूप मे हमे देता रहता है । हमे उसका अनुसरण करना चाहिये ।
अगर आपको आपकी ध्यान साधना के लिये किसी गुरु का सानिध्य मिल जाता है तो यह बहुत उतम बात है, लेकिन अगर नही भी मिल पाते है तो किसी भी अनुभवी, ज्ञानी, जानकार, विद्वान या शिक्षक से भी आप मार्ग दर्शन ले सकते है । अगर वो भी नही मिल पाते है तो अपनी अंतरात्मा को अपना गुरु मानकर भी आप आगे बढ़ सकते है, अन्यथा आप अपने इष्ट देवता को अपना गुरु मानकर भी आगे बढ़ सकते है ।
Thank You for sharing your knowledge Sir🙂🙏🏻 But sometimes yeh Kundalini shakti khud hi jagrit ho jaye or phir energy drain rehna lage, tab kya krna chahiye Sir because I contacted few Services, they said they will send it back to root, jo mujhe sahi nahi lgg raha h. I have becoming so much sensitive towards energies and there is a lot of light coming from my eyes, which gives me headache a lot. I can't sit into light. Dim light peace deti hai Sir. Please suggest Sir🙂🙏🏻Thank You.
आपने जो लक्षण बताए है उससे य़ह स्पस्ट होता है की आपकी कुछ मात्रा में इनर्जी एक्टिवेट तो हुई है पर वो सही तरीके से बॉडी में सर्कुलेशन में नहीं आ पाई है जिस वजह से आपको उसके कुछ साइड इफेक्ट आ रहे हैं।
आपको अपनी इनर्जी को बैलेन्स करने की जरूरत है, इसके लिए आप यदि अभी कोई मेडिटेशन आदि की प्रेक्टिस कर रहे हैं तो कुछ दिनों के लिए उसकी ड्यूरेशन कम कर दे, थोड़ा बहुत फिजिकल वर्क आउट जरूर करे, क्रिएटिव बने रहे, थोड़ा सॉफ्ट डांस किया करे, और लगभग 2 सप्ताह तक हर रोज 10 मिनट के लिए altrnate nostril breathing exercise करे।
ऐसा करने से आप better फिल करेगे।
Mere sath vi apke tarah hua. Swamy Vivekananda dwara bataya gaya prayanam kare. Enegy balance ho jayega. Nam jap kere. Mere vi koi guru nahi.
@@Mayekyogi Thank You Disha🙂
@@Ms.Sharma14639 dhyan mat kerna dikkat hoga. Sirf anulom bilom aur swamy Vivekananda dwara bataya gaya prayanan kerna. Aur nam jap.
@@Ms.Sharma14639 swamy Vivekananda ka prayanam you tube me mil jayega. Ek. Video question wold ka hai use kaerna.
नमस्कार। मै ध्यान के अभ्यास में हूं और इस दौरान मेरी नाभी बार बार टल जाती हैं और पाचन की समस्या हो जाती है
इसका मतलब है की आपका नाभि चक्र कमजोर है, यदि आप अपने इस चक्र को स्ट्रॉन्ग कर लेते है तो आपकी य़ह समस्या हमेशा के लिए खत्म हो जायेगी :-
नाभि चक्र जो हमारे सूक्ष्म शरीर मे सात चक्रों के क्रम मे तीसरे स्थान पर स्थित है जिसको मणिपुर चक्र कहा जाता है । इस चक्र को बलवान करने के विभिन उपाय है आप अपनी सुविधा अनुसार कुछ उपायों को चुन कर उनका अभ्यास कर सकते है ।
योग के वह सभी आसन जो हमारे पेट पर खिचाव उत्पन करते है उनका अभ्यास करे जैसे भुजंग आसन, धनुर आसन, उश्ट्र आसन, सुर्य नमस्कार आदि । इसके इलावा ऐसे त्रिव व्यायाम व कसरत जिसका अभ्यास करने से हमारी नाभि तेजी से धडकने लगती है उनका अभ्यास करे जैसे दौड़ लगाना, तैरना, नाचना, खेलना, एरोबिक्स व्यायाम करना, ट्रेकिंग करना, पहाड़ चड़ना, मेहनत वाले काम करना, पर्यटन करना, जोखिम के कार्य करना व जीवन मे जोखिम उठाना, हिम्मत भरे काम करना आदि सब ऐसे कार्य है जो हमारे नाभि चक्र को मजबूत बनाते है ।
हमेशा अपने पेट से लंबी ओर गहरी सांस लेने की आदत डाले, उथली सांस ना ले । जब भी आपकी सांस अंदर आये तो आपका पेट फूलना चाहिए ।
ध्यान के आसन मे बैठकर, नाभि चक्र के स्थान पर, जोकी नाभि से 3 अंगुल ऊपर स्थित है, वहा पर अपना ध्यान एकाग्र करते हुए " रं " बीज मंत्र का नित्य उचारण करे ।
इन उपायों को अपनाकर आप अपनी नाभि से जुड़ी सभी प्रकार की समस्याओं से छुटकारा पा सकते है।
@@Dhyankagyan777 जी बहुत बहुत आभार आपका। लम्बी और नाभी से स्वांस लेने का अभ्यास लंबे समय से चालू है आपके बताएं बाकी उपाय भी शूरू कर दूगी
Guruji pranam
Jo lakshan aapne bataye hai, mujhe unme se kuch ke experience hue hai. Achanak meditation karte-2 aise experiences hue to mene darke medition hi chod di. Mere body me kabhi bahut thand lagti thi kabhi bahut garmi. Abhi bhi mere sharir me garmi jyada ho gayi hai. Ye sab apne aap hi ho gaya. Kya ab mujhe phir se continue karna chahiye? Mujhe aankh band karne per hamesha saap dikhta tha. So mujhe bahut dar lagta hai.
Please mujhe guide kijiye. Please
ध्यान के दिनों मे शरीर में गर्मी सर्दी का एहसास होना समान्य है, इसका कोई नुकसान नहीं है, गर्मी इसलिए पैदा होती हैं ताकि शरीर की शुद्धि हो सके।
लेकिन यदि आपको गर्मी ज्यादा परेशान करे तो कुछ बातों का ध्यान रखे और अपना मेडिटेशन जारी रखे।
आपको शीतलता प्रदान करने वाले प्राणायाम जैसे चंद्र भेदी, सीतकारी, शीतली व अनुलोम विलोम प्राणायाम का अभ्यास करना चाहिए । तामसिक और उत्तेजक आहार व गर्म प्रकृति का आहार नहीं लेना चाहिए और सात्विक व ठण्डी तासीर का आहार लेना चाहिए।
जब भी लेटे तो अपनी दाई करवट लेटे ताकि बाया नथुना ऊपर आ जाये, ऐसा करने से पिंगला नीचे दबकर बंद हो जायेगी और बाई यानि इडा चल पड़ेगी जिससे शरीर की गर्मी कंट्रोल हो जायेगी।
इसके अलावा जब आप ध्यान मे बैठे तो आप जल मुद्रा यानि अपनी सबसे छोटी अंगुली को अपने अंगूठे से नीचे दबा कर रखे, इससे आपका क्रोध शांत होगा।
Sir mera koi guru nahi h bagvan se parathna krke dhyan krta hu kya ye sahi h dusra saval sir mere sapne mai meri ichha na hote hue bi sex ho jata h or virya nass ho jata h ase me kya kru guru ji marg darshan kre plz
Bhai god ko guru banane ka kya fayda . Guru isliye bnate hai .taki agr koi side effect aye ya koi presani ho ya hum kuch glt kr rhe ho to guru hamara marg drshn kre . Prmatma ko guru bnakr ye labh le skte ho kya . God ki respect kro worship kro . Lekin guru keval ko people ko hi bnao . Taki musibat me motivate kre .
@@CHAHAL-dr5sy phir kise guru bnau koi hai hi nahi mere ass pass ke areye mai aap hi bn jaye or online marg darshan kreye guru ji plz
Dear agr ass pass koi guru nhi hai to apni jaan ko khatre me kyu daal rhe ho. Sbr kro time aane pr sb mil jayega . Talash jari rkho . Or ye me koi guru nhi hu . Me bhi ek simple boy hu . Apki tr ha .
@@CHAHAL-dr5sy sir dhyan meri krna meri zindagi ban gya h mai ise kase chhod du mai cha kr bi chod ni sakta dhyan ke bina mujhe achha fill nahi hota guru ki wait mai mai dhyan bi nahi kru kya
@@CHAHAL-dr5sy mai dhyan kiye bina ni rah sakta koi guru mil jaye to bahut kirpa hogi sir apki
सर,मैं सिर्फ़ ध्यान करतीं थीं बहुत समय पहले से,मुझे कुंडलिनी जागर्ति करने में कोई दिलचस्पी नहीं थी,मेरी कुंडलिनी स्वत: जागर्त हो रही है,हमारे आसपास कोई भी गुरू बीस किलोमीटर दूर उपलब्ध हैं,जिनसे सम्पर्क करना मुश्किल है,मैं ध्यान नहीं छोड़ना चाहती ! पर अब तो ध्यान में,शरीर में गर्मी बहुत ज़्यादा महसूस कर रही हूँ ! और कोई अप्रिय घटना नहीं महसूस किया है !क्या करें ! कुछ मार्ग दर्शन करें ! क्या मुझे ध्यान में नहीं बैठना चाहिए ? मैं पुरे दिन में मात्र आधे घंटे ध्यान करती हूँ !! 🙏
मेरी ध्यान स्वत: शुरू से ही आज्ञा चक्र पर ही रही है !
आप निश्चित रहे और अपना ध्यान जारी रखे।
अक्सर जब साधक अपनी साधना के दौरान योग, प्राणायाम व ध्यान आदि की विभिन्न क्रियाओं का अभ्यास करता है तो कुछ दिनो मे इन क्रियाओं के प्रभाव से शरीर मे गर्मी बढ़ने लग जाती है, ताकि शरीर मे ताप को बढ़ा कर अशुद्धियों को जलाया जा सके ।
इसका अर्थ है की जागृत हुई कुंडलिनि हमारे शरीर की अशुद्धियों व अनावश्यक पदार्थों वसा, फैट, विष, हानिकारक पदार्थों आदि को खत्म करती है ताकी उसका मार्ग साफ व प्रशस्त हो सके, और यह जागृत ऊर्जा अपने मार्ग की सफाई शरीर मे ताप को बढ़ा कर करती है ताकी उतप्त हुए शरीर मे सभी अशुद्धिया जल जाये ।
किंतु फिर भी यदि आपको ज्यादा तकलिफ हो तो आप ज्यादा से ज्यादा इतना कर सकते है की खुब पानी पिये, अपने आहार मे ठण्डी तासिर के खाध पदार्थो तथा सुपाच्य भोजन व फल आदि का सेवन करे । अनुलोम-विलोम, शीतली, सित्कारि, चंद्र भेदी प्राणायाम का नित्य अभ्यास करे । अधिकतर जब आप सोते या लेटते है तो बाई नासिका को ऊपर की और रख कर सोये यानि दाई करवट लेकर सोये इससे आपकी चंद्र नाडि जो शरीर को शीतलता देती है, वह चलेगी और शरीर की अति की गर्मी शान्त होगी ।
Kundalini use jala degi jo iska adhikary nahi. Adhikary yani guru ka hona. Guru vi sidh sant hona chahiye. Sadhak pagal ho sakta hai.
Social media me kuch logo ka kundalini jaga hai. Ye sab ardh gyani hai. Ye khud to apna energy control nahi ker pa rahe dusro ko fasa ker unka jivan barbad ker rahe hai. In uddando ko iswar uski saja jarur degi.ye paisa kamane ka ek jariya ban gaya hai.
May ek sadhak. May alp ayu se hanuman ji ki upasna kerta. Parantu 2019 me maine nad yog sirf ek mahine kiya. May agya chakra per dhyan lagata th. Mey sirf 10 din me jhingu uske bad sankh ghanta ka awaj sunne laga. Uske bad mridang ki. Mridang ki awaj sunte hi mere sarir me urja ka pravab itna bad gaya ki may pagal jaise ho gaya. Mayne channel ko bola. Usne uttar nahi diya. Kyoki vo thik nahi ker sakta. May art of living se sampark kiya uske bad thik hua.
Guru ji kal ma bahut dar gaya tha
ध्यान मे डर लगने के कुछ कारण होते हैं जैसे की :-
यह आपका अपना मन ही है जो डरा रहा है, वह आपको ध्यान के मार्ग से हटाना चाहता है। क्योंकि ध्यान से मन की ताकत आपके ऊपर से कम हो जायेगी और वह आपके नियंत्रण में आने लगेगा इसलिए अपनी सत्ता बचाने के लिए वह इस प्रकार की तरकीबे निकालता है ताकि आप डर कर ध्यान का अभ्यास छोड़ दे। लेकिन आप डरे मत और अपना ध्यान जारी रखे। कुछ नहीं होगा ।
क्यूंकि जैसे जैसे आपमे ध्यान की गहराई बढेगी वैसे वैसे आपमे सुख, शन्ति, स्थिरता, निर्भयता, आनन्द जैसे दिव्य सकरात्मक गुण बढेगे और ड़र, असुरक्षा, निराशा, दुख, बैचैनी जैसे नकरात्मक गुण घटेगे । ध्यान का मार्ग एक सुरक्षित, सात्विक व आत्म रूपांतरण व परमात्मा का मार्ग है । इस मार्ग पर चलने से जो भी होगा वो आत्म सुधार के लिये होगा और जो भी होगा अच्छा ही होगा ।
और दूसरी बात य़ह भी है की ध्यान के प्रभाव से हमारे अवचेतन मन मे दबे हुए डर ऊपर आने लगते है और हमे भिन्न भिन्न रूपों मे डराने लगते है, लेकिन ऐसे में आप को ध्यान रखना है की तब आप डरे मत और समझे की य़ह डर मन पैदा कर रहा है, तब आप थोड़ा और जागृत हो जाये, अपना होश सम्भाले, अपने इष्ट देव अथवा गुरु का स्मरण करे, चाहें तो एक दो गहरी साँस ले, और साक्षी भाव से उस अवस्था को बिना उसमे लिप्त हुए उसे देखते रहे, अगर आपने 2-4 मिनट स्थिति सम्भाल ली तो डर खत्म हो जायेगा।
1) vomiting karne se pran urja West hoti hai
2) aagya chakra (third eye )
kitne Dinon bad jagrut hota hai
3) guruji my age is 15 year and I don't have any Guru or any person who guide me . can i open my kundalinee myself ?
i experienced kundalinee awakening symtams like vibration ,etc please guide me sir
Please reply me
1) कुंडलिनी जागरण के दौरान हमारी प्राण ऊर्जा पूरे शरीर को डेटॉकस यानि विष रहित करती हैं जिससे कई बार दस्त अथवा उल्टियां लग सकती है, इन उल्टियों से प्राण ऊर्जा वेस्ट नहीं होती बल्कि पेट की सफाई होती हैं।
2 ) आज्ञा चक्र कितने दिन में जागृत होगा य़ह इस बात पर निर्भर करता है की आप कितनी लगन से, नियम से और गहराई से ध्यान करते हैं, अगर सही तरीके से नियमित साधना की जाये तो तीन माह के भीतर भीतर आज्ञा चक्र मे स्थाई जागृति आने लगती है जबकि अस्थायी रूप से वाइब्रेशन आदि तो तीसरे दिन से ही शुरू होने लगती हैं।
3) क्योंकि अभी आपकी आयु कम है और आप अभी परिपक्व नहीं है इसलिए मैं आपको सुझाव दूंगा की आप बिना गाईड या गुरु के कुंडलिनी जागरण ना करे, ब्लकि अभी आप शुरुआत केवल प्राणयाम और समान्य ध्यान के साथ करे, जब कुछ माह तक आपकी प्राणयाम और ध्यान मे गहराई बढ़ जायेगी तो उसके बाद आप कुंडलिनी साधना भी कर सकते हैं, लेकिन अभी शुरुआत उससे ना करे।
@@Dhyankagyan777 thank you so much sir for your valuable reply can you guide me sir in my spiritual journey ♥️
@@someone5038 yes, sure, you can comment here, if you face any problem
@@Dhyankagyan777 thank you so much sir