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आधुनिक युग के बुद्ध पुरुष को मेरा प्रणाम आपकी वक्तव्य से जीवन बेहतर बनता जा रहा है गुरुजी🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏👌👌🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
सादर प्रेम इसका मतलब की सांस तो अपने आप चलती है और सब सारी क्रिया लेकिन चलाना परेगा तब ध्यान चलेगा नही तो ध्यान नहीं तो हम केवल शरीर है और बाकी सब सूक्ष्म किया ही मात्र है हम है नही हम तब है जब ध्यान चलेगा मार्ग दर्शन के लिए भगवन बहुत बहुत धन्यवाद।
वाह! वाह आचार्य जी.. शत शत नमन🙏🙏 एकदम स्पष्ट हो गया ध्यान क्या, क्यों, कब , कैसे और किसका करना है.. और कौन करता है ध्यान. अपूर्ण और अशांत चेतना पूर्ण और शांत होने के लिए आध्यात्म का सहारा लेती है ध्यान और साधना इसे पाने के साधन या उपकरण ह कोटि कोटि साधुवाद आप महान व्यक्तित्व को🙏🙏🙏 💐💐
अध्यात्म की सारी प्रक्रियाएं पूजन, भजन, कीर्तन, नाम जप, यज्ञ, हवन, मंत्र, तंत्र, यंत्र सब कुछ न कुछ चेतना का विकास करती हैं। लेकिन अंतिम लक्ष्य वही है-चौबीसों घंटे ध्यानपूर्ण जीवन जीना। सत्संग, सद्प्रयास और सद्गुरु की कृपा से यह काम जल्दी संभव है, अन्यथा कितना भी समय लग सकता है। आचार्य जी तक पहुंच गए तो समझो लक्ष्य मिलने वाला है या मिल ही गया।
चेतना शरीर से परे है। शरीर और चेतना एक दूसरे के विपरीत होते हुए भी इस प्रकार एक दूसरे से मिले हुए हैं कि एक ही प्रतीत होते हैं। चेतना को इस मिश्रण से अलग समझ कर लगातार सोचने का अभ्यास करना ध्यान है।
Pranam aacharya jii...aaj k iss vdo se chetna ko bhut bdi jagrukta mili...aankhon m aanshu aa gye...aisa lga jaise shri Krishan ji k mukh se shrimad bhagwat geeta sun rhi hu🙏🙏sat sat naman h apko.
हमें बंद आंखों वाला ध्यान नहीं 🧘 खुली आंखों वाला ध्यान चाहिए 👀 आचार्य जी आपका ये वाला video दिखने के बाद ध्यान का असली अर्थ क्या है वो पता चला 😌 सत सत नमन गुरुजी 🙏❤️
धन्यवाद सर... मकड़ जाल बन गया है ध्यान आपसे आज जाना असल मे क्या ध्यान है.. बहुत बहुत धन्यवाद...अब ध्यान को समझने की जरूरत नहीं है।अब आपसे एकदम साफ हो गया क्या है ध्यान
Superb. Yes breathe happens due to naam karma which is there because of the bodyily attachment. Dhyaan is staying in a gap between the body and watching the game happening in your being. This watching if watched choicelessly,itself illuminates and breakes bondages illusions. Yes a true awarenessing doesn't need to sit in padmasana, it just needed in starting phase to have a glimpse. This has been practiced long by arihants ,last was mahavira to attain highest peak of dhyaan and kaivalya ,then beyond the beyond ..mokshaa. Naman .
आचार्य जी प्रणाम, वासनाएं तो मन यानी सुक्ष्म शरीर भोगता है, स्थुल शरीर तो माध्यम है, जैसे किसी को सुख या दुख का अनुभव स्थुल शरीर के किसी अंग में नहीं मन (चीत्त) में होता है
आचार्य जी प्रणाम 🙏 आचार्य जी मैं जब भी ध्यान करती हूँ मुझे गुस्सा और चिड़चिड़ा पन बड़ जाता हैं। एसा क्यूँ हैं ?? अंदर से एक तड़प घुटन सी होती हैं जैसे कुछ शरीर को फाड़ कर बाहर आना चाहता हैं। बहुत बेचैनी। जब काम काज में लग जाती हूँ तब normal हो जाती हूँ .....एसा क्यूँ ? जीवन व्यर्थ गया अभी तक लेकिन नहीँ चाहती की बाकी बचा हुआ जीवन भी व्यर्थ जाए। किसी चीज़ की इच्छा नहीँ ।बस कुछ एसा पाना हैं जो कुछ अलग हैं जिसकी तड़प हैं अंदर से...जो इस शरीर से आगे हो। क्या ये नहीँ पता Plz मेरा मार्ग दर्शन कीजिए 🙏😭
आचार्य जी प्रणाम 🙏 जहाँ तक मुझे याद है.. आपकी किसी वीडियो में सुना है कि प्रकृति मुक्ति की प्यासी है और वो जीव के माध्यम से मुक्ति चाहती है...इसलिए वो उत्पत्ति करती है... कृपया स्पष्ट करें l
आशा है कि आचार्य जी कभी स्पष्ट करेंगे आपके प्रश्न को। जहाँ तक मैं समझा उस संदर्भ में चेतना के भौतिकअभिव्यक्ति को प्रकृति कहा गया है जैसे कि देह। अद्वैत में हर एक चीज़ का अन्तिम रूप चेतना ही है और हर एक चीज़ चेतना की ही भौतिकअभिव्यक्ति है।
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जीवन के महत्वपूर्ण प्रश्नों के समाधान हेतु: solutions.acharyaprashant.org
जय गुरुदेव। आचार्यजी गुरुजी साष्टांग दंडवत प्रणाम। सत सत नमन दंडवत नमस्कार।
આચાર્યજી.કી.જય હો
.એસા.આધ્યાત્મ ગુરુ.બડે ભાગ્ય.સે.મિલે.હે
કૃષ્ણ.કે રૂપ મેં.આયે હો..કૃષ્ણ.કૃષ્ણ.નહી.કર ના
કૃષ્ણ ને.ગીતમે.જો.બતાયા હે.વો.કરના હૈ.
ગુરુ.આપકે.સાનિધ્ય. મેં. હમ. ધર્મ..કો. બચાને કી. મહેનત. કારેંગે 🌹🙏🏽🌹🙏🏽🌹
आचार्य जी को कोटि कोटि प्रणाम🙏🙏
खुली आंखों वाला ध्यान🎉
बहुत अच्छी सीख मिली। धन्यवाद आचार्य जी।
Satya ki sthapna ke liye Acharya ji aaye h...
प्रणाम गुरु आचार्य 🙏🙏🙏🙏🙏💐💐💐
Bahut Bahut sundar Sr ji 🙏🙏
भला आपका धन्यवाद कैसे करे!!
शब्द ही नही बचे बताने को।।।
आचार्यजी आंखें खोलने के लिए आपका हजारोबार शुक्रिया।।
सब धरती कागज करूँ, लेखनी सब वनराय ।
सात समुद्र की मसि करूँ, गुरुगुन लिखा न जाय ।।
-संत कबीर दास
खुली आंखों वाला ध्यान । जीवन में असली शांति लाने वाला ध्यान । शत् शत् नमन गुरु जी।
आधुनिक युग के बुद्ध पुरुष को मेरा प्रणाम
आपकी वक्तव्य से जीवन बेहतर बनता जा रहा है गुरुजी🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏👌👌🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
खुली आंखों से आंखें खोल देने वाला ध्यान धन्यवाद आचार्य जी, प्रणाम आचार्य जी ❤
सादर प्रेम
इसका मतलब की सांस तो अपने आप चलती है और सब सारी क्रिया
लेकिन चलाना परेगा तब ध्यान चलेगा
नही तो ध्यान नहीं तो हम केवल शरीर है और बाकी सब सूक्ष्म किया ही मात्र है
हम है नही
हम तब है जब ध्यान चलेगा
मार्ग दर्शन के लिए भगवन बहुत बहुत धन्यवाद।
वाह! वाह आचार्य जी.. शत शत नमन🙏🙏
एकदम स्पष्ट हो गया ध्यान क्या, क्यों, कब , कैसे और किसका करना है.. और कौन करता है ध्यान. अपूर्ण और अशांत चेतना पूर्ण और शांत होने के लिए आध्यात्म का सहारा लेती है ध्यान और साधना इसे पाने के साधन या उपकरण ह
कोटि कोटि साधुवाद आप महान व्यक्तित्व को🙏🙏🙏 💐💐
अध्यात्म की सारी प्रक्रियाएं पूजन, भजन, कीर्तन, नाम जप, यज्ञ, हवन, मंत्र, तंत्र, यंत्र सब कुछ न कुछ चेतना का विकास करती हैं। लेकिन अंतिम लक्ष्य वही है-चौबीसों घंटे ध्यानपूर्ण जीवन जीना। सत्संग, सद्प्रयास और सद्गुरु की कृपा से यह काम जल्दी संभव है, अन्यथा कितना भी समय लग सकता है। आचार्य जी तक पहुंच गए तो समझो लक्ष्य मिलने वाला है या मिल ही गया।
प्रकृति किसी तरह की नैतिकता में यकीन नहीं रखती।
-आचार्य प्रशांत
चेतना शरीर से परे है। शरीर और चेतना एक दूसरे के विपरीत होते हुए भी इस प्रकार एक दूसरे से मिले हुए हैं कि एक ही प्रतीत होते हैं। चेतना को इस मिश्रण से अलग समझ कर लगातार सोचने का अभ्यास करना ध्यान है।
बहुत अच्छा स्पष्टीकरण किया आचार्य जी ने ध्यान जैसे अत्ति shookshm विषय का सारी भ्रांतियां दूर कर देने के लिए आचार्य जी को हिर्दय से नमन वंदन.. 💐💐🙏🙏
हे गुरुदेव🙏🙏🙏🙏
Right 🙏 Aacharya ji 🙏💯❤
Pranam aacharya jii...aaj k iss vdo se chetna ko bhut bdi jagrukta mili...aankhon m aanshu aa gye...aisa lga jaise shri Krishan ji k mukh se shrimad bhagwat geeta sun rhi hu🙏🙏sat sat naman h apko.
चेतना के ज्ञान के विकास में इस vdo को एकाग्र होकर सुनने के बाद निश्चित रूप से बृद्धि हुई। इस निम्मित आपका अति आभार।
जय सिया राम 🙏🥰🕉️🇮🇳
मैं सदा आपका आभारी रहूंगा।
हर किसी मुक्ति के चाहवान को एकाग्रचित्त होकर यह वीडियो सुनना चाहिए |बहुत सी गलतफहमियाँ दूर होंगी।
Satyaa ke liye aap ho na Aacharya ji 🥺🥺🙏🙏🙏🙏🙏
Naman bhagwan 🙏🙏🙏🙏🙏♥️
हमें बंद आंखों वाला ध्यान नहीं 🧘
खुली आंखों वाला ध्यान चाहिए 👀
आचार्य जी आपका ये वाला video दिखने के बाद ध्यान का असली अर्थ क्या है वो पता चला 😌
सत सत नमन गुरुजी 🙏❤️
After listening these i felt like I m blessed inside loudness turn into peace Thankyou so much❤️
Jai shree krishan
🙏🙏धन्यवाद 🙏🙏
देह(प्रकृति) के आगे जाना है सच का राज लाना है।।
आपके चरणों में सत सत नमन आचार्य जी🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
चुनाव हम करना है देह की गुलामी या चेतना की आजादी
Like बटन के साथ उस Thanks बटन को भी इस्तेमाल करें, ताकि आप आचार्य जी के कार्य को और संस्था को योगदान दे सकें।🙏
अद्भुत 🌹🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Vari jaaun main Satguru ke Kiya Mera Bharam sab Dur Aacharya Ji ko pranam कोटि-कोटि Naman🙏🙏🙏❤❤❤
Very well explained. Thank you very much
🙏Highly inspiring talk👍
Dhyan to prem ke batt ha jab satya say prem ho ga to hamesa dyan he ho ga tq sir🙏👌🌞
धन्यवाद सर... मकड़ जाल बन गया है ध्यान आपसे आज जाना असल मे क्या ध्यान है.. बहुत बहुत धन्यवाद...अब ध्यान को समझने की जरूरत नहीं है।अब आपसे एकदम साफ हो गया क्या है ध्यान
देख लो... अपना समय कहां लगा रहे हो??
देह की गुलामी में या चेतना की आजादी में ~ आचार्य प्रशांत
Superb. Yes breathe happens due to naam karma which is there because of the bodyily attachment. Dhyaan is staying in a gap between the body and watching the game happening in your being. This watching if watched choicelessly,itself illuminates and breakes bondages illusions. Yes a true awarenessing doesn't need to sit in padmasana, it just needed in starting phase to have a glimpse. This has been practiced long by arihants ,last was mahavira to attain highest peak of dhyaan and kaivalya ,then beyond the beyond ..mokshaa. Naman .
वाह, बहुत ही सुन्दर विवरण 👌🙏🙏
आचार्य जी प्रणाम, वासनाएं तो मन यानी सुक्ष्म शरीर भोगता है, स्थुल शरीर तो माध्यम है, जैसे किसी को सुख या दुख का अनुभव स्थुल शरीर के किसी अंग में नहीं मन (चीत्त) में होता है
आपके निष्काम कर्म को देख मैं बहुत आनन्दित महसूस कर रहा हुं।
चरण स्पर्श गुरु जी।।🙏
🙏🙏🙏🙏, धन्यवाद आचार्य जी सही मार्ग दर्शन के लिए
Wah Aachary jii 🙏🏻kya sch bola aapne 👌👌👌
Khuli aakho walla dhayan diwas peryant dhayan chaaye humsab jivo ko 🙏🙏naman 🕉️🕉️🙏🙏 acharya ji pernaam 🙏🙏bhut sunder smajhayea aapne 🙏🙏
Acharya ji aaj ka satsang bahut kuch alag hai
बहुत अदभुत समझाया । दिवस पर्यन्त ध्यान। 🙏🙏
अमरूद और बंदरिया का वाक्य अच्छा है स्कूल में ही सिखा रहे हैं यह बात सच है
Sat Sat Naman Acharya ji
🙏
ऐसा ध्यान हमारे लिए किसी गुरु ने नहीं बताया, सब यही सिखाते हैं मेडिटेशन करो, पर कोई और गुरु ये नहीं कहता कि असली ध्यान कब रखना है
Lagta hai prabhu jaise aap khichad se uthaker hame patri per LA diye jai
Somehow this video came up in my feed, an eye opener.
गुरु जी प्रणाम 🙏🏻
Ramo'ham Ramo'ham 🙏🕉️♥️
अद्भुत 🙇🏻♀️🙏🏻🙏🏻
गुरु जी प्रणाम जय श्री राम
सुस्पष्ट ,सुविचारित व्याख्यान
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏👌👌👌👌👌👌👌👏👏👏👏👏👏👏om gurudev ji koti koti naman aapko.jai ho.
Well differentiated between body and Chetna (sajagta).
⚘⚘🌷🌷🙏🙏ram.ramji
Pranam gurudev very nice satsang I like a very much dhanyvad
❤❤❤
Pranam Acharya ji
शिविर में आने में प्रकृति रुकावट डालती है पर दिली इच्छा हो आने की तो कृष्ण इंतजाम खुद करते हैं।मेरा अपना अनुभव। शत् शत् नमन गुरु जी।
Beautiful
Great clarity
Bahut hi badhiya video hain🙏🙏
prakarty chahti h tum bas karo...humari chetna chahti h ki hum jane hum kya krr rhe h ...prakarty ka gyan se koi mehatav nahi h (AACHARYA JI 🙏)
Shukriya acharya ji Naman 🙏🙏
❤❤❤❤,
प्रणाम गुरुजी 🙏🏾🙏🏾🙏🏾
प्रणाम आपको🙏💯❤️🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏❤️❤️❤️
👌👌👌🙏🏻🙏🏻🙏🏻
Really wonderful
Oh,sabkuch bhut hi saaf hai.isse man ki gaanth khul gaie ho jaise.pranam acharyaji.♥️🌹🙏
विकास जी,
अभी आप जैसे है बस वैसे ही उपलब्ध रहिये धीरे धीरे सारी गांठे खुल जाएगी।
🙏🏻🙏🏻🙏🏻💐💐💐
ਪ੍ਰਕ੍ਰਿਤੀ ਚ ਧਿਆਨ ਦੀ ਕੋਈ ਮਹੱਤਤਾ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੀ।
Wisdom wisdom wisdom om
Satya vachan mai Apko Pranam karta hu
Sahi hai
Is video se apne muje puri Duniya. .insaan ..ka sare khel ka saar bta diya
Thank you so much for your teachings.
🤗🤗🤗
Bilkul sahi baat
Paranam acharya ji .🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏.
Wah.wah.Aha.aha.bahut.bahut.grtitude.Acharya.ji.thanks.
प्रणाम आचार्य श्री।
❤
Special thanks Naman acharya Shree
🙏 नमन आचार्य जी।
True explanation on dyaan
आचार्य जी प्रणाम 🙏
आचार्य जी मैं जब भी ध्यान करती हूँ मुझे गुस्सा और चिड़चिड़ा पन बड़ जाता हैं। एसा क्यूँ हैं ??
अंदर से एक तड़प घुटन सी होती हैं जैसे कुछ शरीर को फाड़ कर बाहर आना चाहता हैं। बहुत बेचैनी। जब काम काज में लग जाती हूँ तब normal हो जाती हूँ .....एसा क्यूँ ?
जीवन व्यर्थ गया अभी तक लेकिन नहीँ चाहती की बाकी बचा हुआ जीवन भी व्यर्थ जाए। किसी चीज़ की इच्छा नहीँ ।बस कुछ एसा पाना हैं जो कुछ अलग हैं जिसकी तड़प हैं अंदर से...जो इस शरीर से आगे हो। क्या ये नहीँ पता
Plz मेरा मार्ग दर्शन कीजिए 🙏😭
🙏
आचार्य जी के कैम्प जरूर जाएं।
Guru ji charno. Me. Sadar. Nàmam
Satya
प्रकृति बस तुमसे यही चाहती है कि खूब खाओ, खूब पियो और खूब सारी संतानें पैदा करो।
-आचार्य प्रशांत
Dhanyavaad acharyaji...☺️
Naman Gurudev 🙏
आचार्य जी प्रणाम 🙏
जहाँ तक मुझे याद है.. आपकी किसी वीडियो में सुना है कि प्रकृति मुक्ति की प्यासी है और वो जीव के माध्यम से मुक्ति चाहती है...इसलिए वो उत्पत्ति करती है... कृपया स्पष्ट करें l
आशा है कि आचार्य जी कभी स्पष्ट करेंगे आपके प्रश्न को। जहाँ तक मैं समझा उस संदर्भ में चेतना के भौतिकअभिव्यक्ति को प्रकृति कहा गया है जैसे कि देह। अद्वैत में हर एक चीज़ का अन्तिम रूप चेतना ही है और हर एक चीज़ चेतना की ही भौतिकअभिव्यक्ति है।