आचार्य प्रशांत से समझें गीता, लाइव सत्रों का हिस्सा बनें: acharyaprashant.org/hi/enquiry-gita-course?cmId=m00022 ✨ हर महीने 30 लाइव सत्र ✨ 35,000+ गीता छात्रों की कम्युनिटी ✨ पिछले 200+ घंटों के सत्रों की रिकॉर्डिंग - निशुल्क ✨ आचार्य प्रशांत से पूछें अपने सवाल
चेतना हर जगह है सबमें है कहीं वो अपने पूर्ण प्रस्फुटन में है कहीं वो प्रसुप्ति में है मृत्यु का अर्थ यही होता है चेतना जो पूर्णतः अभिव्यक्त हो रही थी, वो अपने दूसरी अवस्था में चली गई, जैसे स्वप्न,और सुषुप्ति चेतना की सोई हुई अवस्था होती है ऐसे समझ लो की और गहरी निंद को मृत्यु कहते हैं। वो भी एक अवस्था मात्र है।
मेरे भाई और भतीजेके की भी अभी गये माह कार ॲक्सिडंड मे मृत्यू हुई,और यही सब कर्मकांड सारे परीवार द्वारा करवाये गये,सबने जोर देके कई पुजा पाठ करवाये, पुरोहित ने काफी धन हमसे लिया,हम सचमे डरे हुये लोग है जो सत्य ना जानके समाज के दबाव मे कर्मकांड मे जी रहे हैं,मै सच में बहोत दुःखी हु😢😢आपके विचार सुनके मैं अब मैं काफी प्रश्नोसे मुक्त हुआ हु😢
जड़ और चेतन मे जीवित और मृत मे कोई आयामगत भेद नहीं है मृत्यु जीवन की दूसरी अवस्था मात्र है। हाँ वो ऐसी अवस्था नहीं है जैसी हम आमतौर पर हम देखते हैं, वो ऐसी अवस्था नहीं जो हमारे उपयोग की हो, जो मरा हुआ है वो ज़िंदा है, जो ज़िंदा है वो मरा हुआ है, अन्नं ब्रह्म
आचार्य जी प्रतिदिन कह रहे हैं कि सच्चा ज्ञान वेद, वेदान्त और उपनिषद में बताया गया है लेकिन हम इनको नहीं पढ़ते बल्कि बेकार की अन्य किताबें पढ़कर अज्ञानी बने रहते हैं।
चेतना छोटू बेबी उसको अपनी माँ से चिपकना ज़्यादा प्रिये होता है,अपनी विशालता के अपेक्षा इस भाव को जीव कहतें हैं, चेतना अपने आप को अपनी माँ से माने """देह""" से ही जो जोड़ कर देख ले तो जीव कहलाती है, चेतना जो देहाभिमानी हो जाए तो जीव कहलाती है। जैसे छोटे बच्चें मम्मी के पास रहेंगे चिपकते हैं हम स्कूल नहीं जाएंगे, जबकि स्कूल मे ही उसकी बेहतरी है।
संस्कृति का धर्म से सम्बन्ध हो ये बिलकुल आवश्यक नहीं है क्योंकि संस्कृति मे परंपराओ की बड़ी केंद्रीय जगह होती है,हम चूक कर जाते हैं संस्कृति को ही धर्म समझने लगते हैं माने परंपराओ को ही हम धर्म समझने लगते हैं।
84 लाख का जो आकड़ा है वो प्रतीक है। 84 लाख योनियां माने चेतना के अनंत रंग रूप हैं। मन के बहुतक रंग हैं, छिन छिन बदले सोय। मतलब ये नहीं के हम खरगोश बन गए खरगोश की मूल वृत्ती है डर।
दोहां सिरिआं का आप सुआमी खेलै बिगसै अंतरजामी He himself is the Master of both the words He plays and He enjoys, He is the inner-knower, the searcher of hearts When qe begin to live in ever-now, when there is no past, no future. The Guru plays the game from both the sides, and the jeev is the only beneficiary
यह शरीर अपने में ही सबसे बड़ा ग्रंथ है , औऱ बुद्धि ( मस्तिष्क) इस प्रथ्वी एवं इसके आवरण को समझने एवं चरम सीमा तक पहुंचने की चाबी lll बाकि किस्से कहानी , यह पृथ्वी ही जनक भी , पालनकर्ता भी भक्षण भी, और आत्मा , शरीर ही नहीं रहा तो आत्मा कहाँ ? अब !!! यह प्रश्न कौन कर रहा है ??? "मैं " यह है कौन , मैं का बोध कब अथवा जन्म किसने दिया इस "मस्तिष्क" ने , अभी इतना ही......न हिन्दू न मुस्लिम न कोई अन्य संप्रदाय सिर्फ मानव एवं मानवता...... निरंतर
बल्कि समय आ गया है कि नई पारंपराये विकसित की जाए क्योंकि परंपराये समय सापेक्ष होती हैं, सत्य कालातीत होता है काल निरपेक्ष परंपरा विश्वास ये सब संस्कृति के साथ बदलते रहते हैं काल बध्य होते हैं।
Waah... Sir g... Waah.. I love you so. Much... Bahut bade base jvaab chote lafzo me de gaye... Hmara vajood hi rooh Or aatma hai,, Ye vajood kl mitti tha aaj b badli hui mitti hai, kl fir badal jayegi,, or fir hame jo khayega vo hmara agla janam hoga,,,,
Aaj se 550 year pehle Yeah seb GURU Nanak Dev je ne kaha , pure hindustan me jakar kaha Kuch logo ne kewal mana. From this point Sikh dharm ke stapna huai, Hope Aaj logo ko baat samaj me aye , You are doing really good job Kick out all the things which are not needed Stick on Vedas Veda main naam uttam So suneye nahi Phireye Jo betaya Jaago hindu jago
मेरे पिता जी का अभी सितंबर में देहांत हो गया था मैने अपने बाल नहीं कटवाए , सभी ने बड़ा बुरा माना हालांकि में लगातार कई वर्षों से उनकी सेवा कर रहा था दिन रात, यह तक में अपना काम भी नहीं कर पाया।
It may be that like air inside a room the atma which is part of entire ubiquitous brahma propels the body to work.After the body is dissipated the atma which is with the body merged with the ubiquitous brahma. About punarjam later.
क्या आत्मा का अस्तित्व शरीर में सही नहीं है या वो जीवित बनाने के लिए है शरीर में , कर्म से उसका कोई लेना देना नहीं है । बेईमान व भ्रष्टाचारी व्यक्ति में वो है या क्या समझे हम?
आचार्य प्रशांत से समझें गीता,
लाइव सत्रों का हिस्सा बनें: acharyaprashant.org/hi/enquiry-gita-course?cmId=m00022
✨ हर महीने 30 लाइव सत्र
✨ 35,000+ गीता छात्रों की कम्युनिटी
✨ पिछले 200+ घंटों के सत्रों की रिकॉर्डिंग - निशुल्क
✨ आचार्य प्रशांत से पूछें अपने सवाल
दस प्रश्न मूर्ख लोगों से हैं और अंतिम प्रश्न एक बुद्धिमान व्यक्ति से है, और वह हमारे श्री प्रशांत हैं।🙏🏻🗣️🙏🏻
हम डरे हुए होते हैं कर्मकाण्ड एक परम्परा बन गया है अज्ञानता में किये गये कार्य है
""""चेतना """""आत्मा अंतिम लक्ष्य है और पहला आधार है
भारत के पतन का कारण बस एक शब्द में मैं कहूं तो वो हैआत्मा शब्द का दुरुपयोग।
आचार्य प्रशांत
Right....
आचार्य जी प्रणाम अपने उन सभी मान्यताओं को आग लगना शुरू कर दिया है जिसके बल पर पाखंड फल फूल रहा था
Satya vachan prnam
शरीर प्रकृति है, प्रकृति माँ है
चेतना उसका शिशु है, चेतना शरीर से भिन्न नहीं है।
"चेतना की अनन्तता ही 'आत्मा' है।
आत्मा अन्तिम लक्ष्य और पहला आधार है।"🕉
श्री आचार्य जैसा बहादुर चाहिए सुधारने संवारने के लिए 🏹👍💯🌺💪🙏 जय जय श्री राम
बहुत ही ज़बरदस्त समझाया है शरीर मिटी है मिटी शरीर है
Namaste Aacharya ji aap world may one piece Diamond hai aapko sat sat sat sat sat Naman❤🎉❤
आचार्य जी को कोर्ट कोर्ट प्रणाम आप जो कहते हैं वह बिल्कुल सत्य कहते हैं कर्म कंडी लोग आपको बुरा ही कहेंगे क्योंकि उनका धर्म धंधाबंद हुआ
ਹਰਿ ਹੈ ਖਾਂਡ ਰੇਤ ਮਹਿ ਬਿਖਰੀ .....
आप असली गुरु हैं। में आपको नमन करता हूं।
Acharya ji ko koti koti naman ❤❤❤❤❤❤❤
हम प्रतिपल बदल रहें हैं
चेतना हर जगह है सबमें है कहीं वो अपने पूर्ण प्रस्फुटन में है कहीं वो प्रसुप्ति में है मृत्यु का अर्थ यही होता है चेतना जो पूर्णतः अभिव्यक्त हो रही थी, वो अपने दूसरी अवस्था में चली गई, जैसे स्वप्न,और सुषुप्ति चेतना की सोई हुई अवस्था होती है ऐसे समझ लो की और गहरी निंद को मृत्यु कहते हैं। वो भी एक अवस्था मात्र है।
आचार्य जी 🙏 धर्म को समझाने और गलत मान्यताओं को दूर करने वाले आप जैसा इस युग में कोई नहीं है 🙏🙏🙏
EK dam Sahi Baat...
सब योनियां मन के लिए हैं
मेरे भाई और भतीजेके की भी अभी गये माह कार ॲक्सिडंड मे मृत्यू हुई,और यही सब कर्मकांड सारे परीवार द्वारा करवाये गये,सबने जोर देके कई पुजा पाठ करवाये, पुरोहित ने काफी धन हमसे लिया,हम सचमे डरे हुये लोग है जो सत्य ना जानके समाज के दबाव मे कर्मकांड मे जी रहे हैं,मै सच में बहोत दुःखी हु😢😢आपके विचार सुनके मैं अब मैं काफी प्रश्नोसे मुक्त हुआ हु😢
जड़ और चेतन मे
जीवित और मृत मे कोई आयामगत भेद नहीं है
मृत्यु जीवन की दूसरी अवस्था मात्र है।
हाँ वो ऐसी अवस्था नहीं है जैसी हम आमतौर पर हम देखते हैं, वो ऐसी अवस्था नहीं जो हमारे उपयोग की हो,
जो मरा हुआ है वो ज़िंदा है, जो ज़िंदा है वो मरा हुआ है,
अन्नं ब्रह्म
Achariya ji,there will be many one but no one gives wisdom, like you,this is the way how knowledge should be given
आचार्य जी प्रतिदिन कह रहे हैं कि सच्चा ज्ञान वेद, वेदान्त और उपनिषद में बताया गया है लेकिन हम इनको नहीं पढ़ते बल्कि बेकार की अन्य किताबें पढ़कर अज्ञानी बने रहते हैं।
चेतना छोटू बेबी उसको अपनी माँ से चिपकना ज़्यादा प्रिये होता है,अपनी विशालता के अपेक्षा इस भाव को जीव कहतें हैं, चेतना अपने आप को अपनी माँ से माने """देह""" से ही जो जोड़ कर देख ले तो जीव कहलाती है, चेतना जो देहाभिमानी हो जाए तो जीव कहलाती है।
जैसे छोटे बच्चें मम्मी के पास रहेंगे चिपकते हैं हम स्कूल नहीं जाएंगे, जबकि स्कूल मे ही उसकी बेहतरी है।
संस्कृति का धर्म से सम्बन्ध हो ये बिलकुल आवश्यक नहीं है क्योंकि संस्कृति मे परंपराओ की बड़ी केंद्रीय जगह होती है,हम चूक कर जाते हैं संस्कृति को ही धर्म समझने लगते हैं माने परंपराओ को ही हम धर्म समझने लगते हैं।
चेतना की अंनतता को आत्मा कहतें हैं, शरीर को ही आत्मस्थ होना होता है
अपने बच्चे की माध्यम से बच्चा कौन (चेतना )।
84 लाख का जो आकड़ा है वो प्रतीक है।
84 लाख योनियां माने चेतना के अनंत रंग रूप हैं।
मन के बहुतक रंग हैं, छिन छिन बदले सोय। मतलब ये नहीं के हम खरगोश बन गए खरगोश की मूल वृत्ती है डर।
मृत्यु चेतना का विपरीत नहीं है जिसको हम मृत्यु बोलते हैं वो भी चेतना की स्थिति मात्र है ।
अचेतन होना भी चेतना की एक अवस्था है
दोहां सिरिआं का आप सुआमी
खेलै बिगसै अंतरजामी
He himself is the Master of both the words
He plays and He enjoys, He is the inner-knower, the searcher of hearts
When qe begin to live in ever-now, when there is no past, no future.
The Guru plays the game from both the sides, and the jeev is the only beneficiary
सर्वधर्मान त्यज्यते विज्ञानम शरणम् व्रज, अंतहीन आध्यात्मिक बहस में ना पड़ें।
We are blessed to have you🙏🏼
धर्म का सही वास्तविक अर्थ समझा दिया आचार्य जी ने ।
धर्म के नाम पर दुनिया में जो कुछ हो रहा है सब बकवास है ।
शुभ कर्म अपने अतीत के लिए नहींशुभ कर्म अपनी वर्तमान हालात देखकर करिए ❤
Sadar Naman Aacharya ji ke Pavan Charanon mein🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🌺🌺🌺
ॐ
अहांकर के पास चुनाव होता अपनी बढ़ोतरी की ओर
Desh kaal paristhi ke anusar nirnay lena hi shayad aatma hai
यह शरीर अपने में ही सबसे बड़ा ग्रंथ है , औऱ बुद्धि ( मस्तिष्क) इस प्रथ्वी एवं इसके आवरण को समझने एवं चरम सीमा तक पहुंचने की चाबी lll बाकि किस्से कहानी , यह पृथ्वी ही जनक भी , पालनकर्ता भी भक्षण भी, और आत्मा , शरीर ही नहीं रहा तो आत्मा कहाँ ? अब !!! यह प्रश्न कौन कर रहा है ??? "मैं "
यह है कौन , मैं का बोध कब अथवा जन्म किसने दिया इस "मस्तिष्क" ने , अभी इतना ही......न हिन्दू न मुस्लिम न कोई अन्य संप्रदाय सिर्फ मानव एवं मानवता...... निरंतर
बल्कि समय आ गया है कि नई पारंपराये विकसित की जाए क्योंकि परंपराये समय सापेक्ष होती हैं, सत्य कालातीत होता है काल निरपेक्ष परंपरा विश्वास ये सब संस्कृति के साथ बदलते रहते हैं काल बध्य होते हैं।
Waah... Sir g... Waah..
I love you so. Much...
Bahut bade base jvaab chote lafzo me de gaye...
Hmara vajood hi rooh Or aatma hai,,
Ye vajood kl mitti tha aaj b badli hui mitti hai, kl fir badal jayegi,, or fir hame jo khayega vo hmara agla janam hoga,,,,
Nsman aachary ji❤
Achrya ji aap hi Krishan ho, aap hi unke avtaaar ho. Mera naman sweekar karein.
Sach me aapki bat bahut achha se samjhate ho Jay Siri Krishna
34 saal ka ho gya hn aaj tk koi punarjanam wala nhi mila
Sach Ek hi hota h
Jhooth me variety hoti h
अपनी वर्तमान हालत को ध्यान मे रख कर शुभ कर्म करिये
Ram Ram Aacharya ji
आत्मा असीम ananat अचल जिस पर
फरक नहीं पड़ता न पर्वतनशील नहीं o aatma शरीर में क्या करती हैं ,और शरीर में क्यों रहती है
Vedanta in its unfalsified form is the strongest support of pure moralty is the greatest consolations suffering of life and death.Hindus keep to it.
What a deep knowledge. Thank you so much Acharya ji
Love you so much acharya ji ❤❤❤❤❤❤❤❤❤
Questions of the saadhaks are really of very high level. Sir your deciples are great.❤❤❤
प्रणाम गुरुजी आपको बहुत बहुतधन्यवाद भारत का दलित, समाज अंधकार अखंड भारत में फंसा हुआ है एक को नहीं पहचानता है करोड़ोंको पहचानता
Aaj se 550 year pehle
Yeah seb GURU Nanak Dev je ne kaha , pure hindustan me jakar kaha Kuch logo ne kewal mana. From this point Sikh dharm ke stapna huai,
Hope Aaj logo ko baat samaj me aye ,
You are doing really good job
Kick out all the things which are not needed
Stick on Vedas
Veda main naam uttam
So suneye nahi
Phireye Jo betaya
Jaago hindu jago
जय श्री कृष्णा आचार्य गुरु देव 🙏🏻
Absolutely truth
बहुत बढिया गुरूदेव🙏
Radhe
Radhe
Ahankar--Akashwat ho jao
Chetna apni potential sakar karke dekhao
Shareer tumara Yatharth nahi .
Aham hi Chaitany hota hai.drishy Drishta.
Ahankar prakrai ka tatv matr hai
Aham -- Tum chuno oopar uthna ,Aage badhna
Shubh karm karoyo ,Apni Vartman halat ko sudharo. Vartman mei Jeevan mukt jiyo.Tatkal bediya katni hai.
Namaskar aacharya ji 🙏🙏💐💐🌺🌺❤️
Nark kyasa hota hai? Swarg kya hota hai? Kya mar Jane ke bad atma bhatakta rehta hai? Ya Marne ke bad sab kuch khatam ho jata hai?
बहुत बहुत धन्यवाद गुरुवर
So satisfactory , convincing .
मेरे पिता जी का अभी सितंबर में देहांत हो गया था मैने अपने बाल नहीं कटवाए , सभी ने बड़ा बुरा माना हालांकि में लगातार कई वर्षों से उनकी सेवा कर रहा था दिन रात, यह तक में अपना काम भी नहीं कर पाया।
Parnam achary ji
Naman
Excellent
Pranam achary ji
मेरे बाबा का भी 13 को इंतकाल हुआ है और आज मैं ये सब सुन रही हूं 🙏🙏🙏
🎉
Sir
Har
Har
Mahadev Jay hi
Pranam,
प्रणाम आचार्य जी 🙏
Bahot bahot sukriya 🙏🙏🙏
Sahab ji,
Namaskar!!
ਸੰਤੇ ਮਾਖਨ ਖਾਇਆ ਛਾਂਛ ਪੀਏ ਸੰਸਾਰ.
Ram Naam hi Satya hai
Pranaam sir
Great acharya🙏🙏
Atma ,jivatma, param Atma me anter,,,,,,,
अष्टावक्र गीता।
Eye opening
बिटिया में खुद परेशान हूं इन डकैतों से,आप क्यों आचार्य से ही ये सब कुछ कहलाना चाहती हो जबकि सब कुछ जानती हो।
Mere ghar m hi h
V nice
RIGHT
कृष्ण कोई पुरुष कोई वव्यक्तित्व या अवतार भर नहीं है ब्रह्म को ही कृष्ण जो ब्रह्म मे स्थापित है उसे मृत्यु का सामना प्रतिपल नहीं करना पड़ेगा।
5:00
👌👌👌🙏🙏🙏
जो भी कोई मिठास की तरफ़ भागता है वो अभी चींटी ही है
कोई चीज़ सिर्फ़ संस्कृति मे लिख देने से वो धार्मिक नहीं हो जाता
🙏🙏🙏
❤ ❤ ❤
🙏🏼 🙏🏼 🙏🏼
मृत्यु का अर्थ है बदलना
Naman aachary ji .
It may be that like air inside a room the atma which is part of entire ubiquitous brahma propels the body to work.After the body is dissipated the atma which is with the body merged with the ubiquitous brahma.
About punarjam later.
❤
क्या आत्मा का अस्तित्व शरीर में सही नहीं है
या वो जीवित बनाने के लिए है शरीर में , कर्म से उसका कोई लेना देना नहीं है । बेईमान व भ्रष्टाचारी व्यक्ति में वो है या क्या समझे हम?
🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉
Aatma se ham kaise kuchh ker sakte hai?
दुरुपयोग किया है परमात्मा का,,
कि बोला कि परमात्मा हर चीज में है,?