“हिंदी में किसी भी चीज़ को स्वीकारने में बहुत समय लगता है।”-अल्पना मैम। बहुत सुंदर, सहज भाषा में विचारों से परिपूर्ण साक्षात्कार। आपने सच कहा ‘दर्द बहुत कीमती होता है।’ हम सब को इस खजाने के लिखने का इंतजार है…🙏
संगत के मैने सभी भाग देखें है और इन सभी भागों में अंजुम जी का असहज सवालों को भी सहजता से पूछने की कला अद्भुत है। धन्यवाद हिंदवी का और अंजुम जी का आप सभी के प्रयास से हमारी चेतना समृद्ध हुई है। इसके साथ एक गुज़ारिश भी है की विनोद कुमार शुक्ल जी को संगत में आमंत्रित कीजिए।❤
अंजुम जी जिस तरह आप सवाल पूछते हैं वह साहस बहुत कम लोग कर पाते हैं, जानना सभी चाहते हैं परंतु इसका साहस आप ही कर पाते हैं और उम्मीद है की सदैव आप इसे बनाएं रखेंगे।🙏🙏
Grateful to Sangat for such an interesting interview 👍👍हिन्दी के प्रिय लेखकों को यों ही लाया कीजिए। इंटरव्यू करने वाले अंजुम भी लाजवाब हैं । He asked genuine questions. Congrats to both❤
listening to Alpana Mishra makes me realise how and why Apala Mishra (her daughter) was able to score soo good in CSE exam, why she was able to get the rank she got.
हर बार वार्तालाप को सुरुचिपूर्ण प्रस्तुत करना और वह भी प्रवाह पूर्ण रखना, ये जब तक आपने उसे पढ़ा न हो, हो ही नहीं सकता? ये कैसे होता है, हर उपन्यास के पात्रों के नामों और रंगों को याद रखना, वाकई में काबिले तारीफ़ है। आभार एवं धन्यवाद
पंकज बिष्ट, चित्रा मुद्गल, उषा प्रियम्वदा, सूर्यबाला, प्रतिभा राय, कृष्ण कल्पित, देवेंद्र मेवाड़ी, गुणाकर मुळे, अशोक पाण्डे (हल्द्वानी शहर के निवासी), रमेश कुंतल मेघ, अमित गुप्ता, प्रोफ़ेसर जयंत नारिलकर आदि लेखकों की प्रतीक्षा में
कॉलेजों एवं यूनिवर्सिटीज़ के प्रोफेसरों के बारे में शत प्रतिशत सही कहा है अल्पना जी ने । सिलेबस के अलावा साहित्यिक रचनाओं के प्रति रुचि बहुत कम देखा जाता है । A teacher has to regularly read more and more . Myself being associated with various colleges for the past 28 years as a teacher i know the truth . MA ,PhD ,NET वगैरह हासिल करने के बाद जब कॉलेजों में नौकरी लग जाती है तब मानो साहित्य से नाता तोड़ देते हैं । यही अक्सर देखने में आता है । Regular updation very few of them do.
कथाकार अल्पना मिश्र जी का साक्षात्कार बहुत ही सारगर्भित और ज्ञानवर्धक है। इस साक्षात्कार को सुनने के उपरांत मन में उठने वाले लगभग सभी प्रश्नों के उत्तर मिल गए। संगत के मंच पर पहली बार मैंने अनुभव किया कि कोई लेखक इस प्रकार अपनी बात बेबाकी तरीके से कह गया। कोई घाल-मेल नहीं, बिलकुल स्पष्ट और एकदम सटीक।
अल्पना मिश्र जी साहित्य और जीवन से जुड़े जटिल पहलुओं को बड़ी सहजता से परत दर परत खोलती हैं। उनका इतनी स्पष्टता और बेबाकी से अपनी बात कहना आकर्षित करता है। बहुत ही अच्छी और रोचक बातचीत। सुनकर अच्छा लगा।
आशुतोष भारद्वाज , कहानीकार और आलोचक को यहां होना चाहिए. उदय प्रकाश जी का इंटरव्यू काफी अच्छा लगा. देश दुनिया के बारे में एक ईमानदार राय. मुझे लगता है कि उदय प्रकाश हमारे कालखंड के विश्व साहित्य पर सबसे गहरी पैठरखने वाले रचनाकार हैं.
अल्पना जी ने कितनी बेबाकी से हिन्दी साहित्य जगत की सच्चाई को हमारे सामने रखा । खासकर आलोचना जगत के बारे में जो कहा है एकदम सच है । Hindi Literature lacks proper critiqes.
इस इंटर व्यू के ट्रेलर और अब पूरे एपिसोड को देखकर ये सीखने की कोशिश कर रहा हूँ कि कोई बोलते हुए स्वाभाविक और अस्वभाविक कैसे लगता है,बहरहाल अल्पना जी मे एक समीक्षक ज्यादा दिखता है ।
प्रेम कहानी फिल्मों में तो अच्छी लग सकती है, लेकिन हकीकत में यह मूर्खतापूर्ण कदम है। मां-बाप की सलाह से जो शादी होती है, उसमें सुधार की गुंजाइश हमेशा बनी रहती है, लेकिन भागकर शादी करने वाले हमेशा भागते ही रहते हैं, उनके लिए ठहरकर जीना मुश्किल हो जाता है
“हिंदी में किसी भी चीज़ को स्वीकारने में बहुत समय लगता है।”-अल्पना मैम। बहुत सुंदर, सहज भाषा में विचारों से परिपूर्ण साक्षात्कार।
आपने सच कहा ‘दर्द बहुत कीमती होता है।’ हम सब को इस खजाने के लिखने का इंतजार है…🙏
आपके चैनल पर आमंत्रित तमाम महिला लेखिकाओं में सर्वाधिक सूक्ष्म चिंतनशील, सम्वेदनशील लेखिका अल्पना मिश्रा जी को मेरा सादर नमन 🙏
संगत के मैने सभी भाग देखें है और इन सभी भागों में अंजुम जी का असहज सवालों को भी सहजता से पूछने की कला अद्भुत है। धन्यवाद हिंदवी का और अंजुम जी का आप सभी के प्रयास से हमारी चेतना समृद्ध हुई है।
इसके साथ एक गुज़ारिश भी है की विनोद कुमार शुक्ल जी को संगत में आमंत्रित कीजिए।❤
अंजुम जी जिस तरह आप सवाल पूछते हैं वह साहस बहुत कम लोग कर पाते हैं, जानना सभी चाहते हैं परंतु इसका साहस आप ही कर पाते हैं और उम्मीद है की सदैव आप इसे बनाएं रखेंगे।🙏🙏
अल्पना जी आपको बहोत बहोत प्यार।आपकी भाषा और आपका बात को कहने का ढंग बड़ा अच्छा लगा।आप और बेहतर लिखती रहे यही आशा...💙
Grateful to Sangat for such an interesting interview 👍👍हिन्दी के प्रिय लेखकों को यों ही लाया कीजिए। इंटरव्यू करने वाले अंजुम भी लाजवाब हैं । He asked genuine questions. Congrats to both❤
listening to Alpana Mishra makes me realise how and why Apala Mishra (her daughter) was able to score soo good in CSE exam, why she was able to get the rank she got.
ग़ज़ब! बहुत ही अच्छा इंटरव्यू है। अल्पना मिश्र जी की शैली में काव्यात्मकता तो स्पष्ट झलकती है।
हर बार वार्तालाप को सुरुचिपूर्ण प्रस्तुत करना और वह भी प्रवाह पूर्ण रखना, ये जब तक आपने उसे पढ़ा न हो, हो ही नहीं सकता? ये कैसे होता है, हर उपन्यास के पात्रों के नामों और रंगों को याद रखना, वाकई में काबिले तारीफ़ है। आभार एवं धन्यवाद
पंकज बिष्ट, चित्रा मुद्गल, उषा प्रियम्वदा, सूर्यबाला, प्रतिभा राय, कृष्ण कल्पित, देवेंद्र मेवाड़ी, गुणाकर मुळे, अशोक पाण्डे (हल्द्वानी शहर के निवासी), रमेश कुंतल मेघ, अमित गुप्ता, प्रोफ़ेसर जयंत नारिलकर आदि लेखकों की प्रतीक्षा में
रमेश कुंतल मेघ जी अब इस दुनिया में नहीं हैं।
कॉलेजों एवं यूनिवर्सिटीज़ के प्रोफेसरों के बारे में शत प्रतिशत सही कहा है अल्पना जी ने । सिलेबस के अलावा साहित्यिक रचनाओं के प्रति रुचि बहुत कम देखा जाता है । A teacher has to regularly read more and more . Myself being associated with various colleges for the past 28 years as a teacher i know the truth . MA ,PhD ,NET वगैरह हासिल करने के बाद जब कॉलेजों में नौकरी लग जाती है तब मानो साहित्य से नाता तोड़ देते हैं । यही अक्सर देखने में आता है । Regular updation very few of them do.
Alpna ji ko sunkar achha laga bahut hi arthpurn sakshatkar.
Anjum❤❤❤
सहजता सरलता और सारगर्भिता है इनके वक्तव्य में
कथाकार अल्पना मिश्र जी का साक्षात्कार बहुत ही सारगर्भित और ज्ञानवर्धक है। इस साक्षात्कार को सुनने के उपरांत मन में उठने वाले लगभग सभी प्रश्नों के उत्तर मिल गए। संगत के मंच पर पहली बार मैंने अनुभव किया कि कोई लेखक इस प्रकार अपनी बात बेबाकी तरीके से कह गया। कोई घाल-मेल नहीं, बिलकुल स्पष्ट और एकदम सटीक।
अल्पना मिश्र जी साहित्य और जीवन से जुड़े जटिल पहलुओं को बड़ी सहजता से परत दर परत खोलती हैं। उनका इतनी स्पष्टता और बेबाकी से अपनी बात कहना आकर्षित करता है। बहुत ही अच्छी और रोचक बातचीत। सुनकर अच्छा लगा।
My favourite writer Alpana Mishra - The bold and the beautiful 😍
बहुत बढ़िया संवाद
बहुत सुंदर साक्षात्कार
आशुतोष भारद्वाज , कहानीकार और आलोचक को यहां होना चाहिए. उदय प्रकाश जी का इंटरव्यू काफी अच्छा लगा. देश दुनिया के बारे में एक ईमानदार राय. मुझे लगता है कि उदय प्रकाश हमारे कालखंड के विश्व साहित्य पर सबसे गहरी पैठरखने वाले रचनाकार हैं.
बहुत सुन्दर ❤❤
Excellent
है दुनिया में और भी बहुत अच्छे सुखनवर
सादर प्रणाम मेम।
❤❤
अल्पना जी ने कितनी बेबाकी से हिन्दी साहित्य जगत की सच्चाई को हमारे सामने रखा । खासकर आलोचना जगत के बारे में जो कहा है एकदम सच है । Hindi Literature lacks proper critiqes.
बहुत सुन्दर
भाषा इंसान को इंसान से मिलाता है
यथार्थ और तथ्य पर तो मैंने भी अस्थि फूल पर बोलते हुए अल्पना दी के सामने इसे उठाया था।
Gajaba ka sambad,
She is mother of 9th rank upsc apala mishra❤
Niymit roop se sabhi program dekhti hun
धन्यवाद
इस इंटर व्यू के ट्रेलर और अब पूरे एपिसोड को देखकर ये सीखने की कोशिश कर रहा हूँ कि कोई बोलते हुए स्वाभाविक और अस्वभाविक कैसे लगता है,बहरहाल अल्पना जी मे एक समीक्षक ज्यादा दिखता है ।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रो.प्रणयकृष्ण सर को बुलाइये ❤
जी।
वो मेरे साथ क्यूँ बर्बाद होती,
अगर होती तो वो अपवाद होती!
वो मुझको छोड़ जाएगी ये तय था,
मगर ये बात बरसों बाद होती!
लेखिका चंद्रकांता एवं गीतांजलि श्री की भी प्रतीक्षा है।
👏👏👏
आप प्लिज़ BHU के प्रोफेसर आशीष त्रिपाठी को बुलाईये
जी।
Mrinal pandey se Shuraat hui. Phir udayprakash ko Suna. In do ke baad yeh interview bahut nirasha janak laga. Sorry to say that
प्रेम कहानी फिल्मों में तो अच्छी लग सकती है, लेकिन हकीकत में यह मूर्खतापूर्ण कदम है। मां-बाप की सलाह से जो शादी होती है, उसमें सुधार की गुंजाइश हमेशा बनी रहती है, लेकिन भागकर शादी करने वाले हमेशा भागते ही रहते हैं, उनके लिए ठहरकर जीना मुश्किल हो जाता है
बहुत बोरिंग है
❤❤❤