Meaning and essence of RCM verse “ढोल गँवार शूद्र पशु नारी, यह सब ताड़न के अधिकारी”। Hin
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- เผยแพร่เมื่อ 14 ต.ค. 2024
- ढोल गँवार शूद्र पशु नारी।
यह सब ताड़न के अधिकारी॥
-रामचरितमानस, ५.५९.६॥
लालने बहवो दोषास्ताडने बहवो गुणाः।
तस्माच्छिष्यं च पुत्रं च ताडयेन्न तु लालयेत्॥
-गरुडपुराण, १.११५.९
न निन्दाताडने कुर्यात्सुतं शिष्यं च ताडयेत्॥
-गरुडपुराण, १.९६.५७
भार्या पुत्रश्च दासश्च प्रेष्यो भ्राता च सोदरः।
प्राप्तापराधास्ताड्याः स्यू रज्ज्वा वेणुदलेन वा॥
पृष्ठतस्तु शरीरस्य नोत्तमाङ्गे कथञ्चन।
अतोऽन्यथा तु प्रहरन् प्राप्तः स्याच्चौरकिल्बिषम्॥
-मनुस्मृति, ८.२९९-३००
मार्गस्थापनोपायविधिः परश्चायं न ताडनविधिरेव वाग्दण्डाद्यपि कर्तव्यं, अपराधानुरूपेण कदाचित्ताडनम् ... वेणुदलं वंशत्वक् एतदप्युपलक्षणं तथाविधानां मृदुपीडासाधनानाम् ... अन्येन प्रकारेण घ्नन्नक्षादिषु लगुडादिभिर्वा चौरदण्डं स प्राप्नोति ... योऽन्यत्र हिंसाया दण्डः सोऽत्र भवतीत्युक्तं भवति।
-मनुस्मृति, ८.२९९-३००, पर मेधातिथि का भाष्य
शिष्यशिष्टिरवधेन।
अशक्तौ रज्जुवेणुविदलाभ्यां तनुभ्याम्।
अन्येन घ्नन् राज्ञा शास्यः।
-गौतम धर्मसूत्र, १.२.४८-५०
दुष्टाचारे समारब्धे त्वन्यभावसमुत्थिते।
दण्डः पातयितव्यस्तु मृदुताडनबन्धनैः॥
-नाट्यशास्त्र, २३.७०
हम हिन्दू अपने ग्रन्थो की गहराई में जाने के बजाय तुरन्त उस पर उंगली उठाई देते है ,खासकर युवा।हमें इससे बचना चाहिए और अपने ग्रन्थों और देवी देवताओ पर पूर्ण आस्था रखते हुए अपनी खोज करना चाहिए।
'Devi' aur 'Devtaaon' ne jard maar dee Hindu maansikta kee. Mann hee jard (crude) kar diye. Parambraham kee taraf mann ko chalne hee nahin dete. Mann par Devi aur Devta chhaa gaye jabki unse aasheervaad koi nahin milta. Bhagvaan ke astitvau ke alaava doosre Devi Devtaaon ka astitvau kahin mann ka chhalaava to nahin???
@@s.d.r.kharaal825 आपकी भाषा से पता चलता है कि आप कितने ब्रह्मज्ञानी है।जो गरीब बिना पढ़ा लिखा है और ब्रह्मज्ञान नही समझ सकता वो भगवान की लगन से मुक्त हो जाता है और ब्रह्म ज्ञानी जिन्दगी भर लगे रहते है और अन्त की बुढ़ापे के रोगो की तकलीफ मे विचलित हो जाते है।मैने स्वयं कई लोगो को देखा है।
लालयेत् पंच वर्षाणि 👨🏼🦲
दशवर्षाणि ताडयेत् 🧒🏻
प्राप्ते तु षोडषे वर्षे 🙍♂️
पुत्रे मित्रवत् आचरेत् 🧑🤝🧑 🤝🏻
चाणक्य नीति
आपके द्वारा शुद्ध साहित्यिक शब्दों का चयन कर बात करना मुझे बहुत अच्छा लगता है।बार-बार सुनने मन करता है।आप बहुत प्यारी शैली में बोलते हैं।वाह!
आचार्य जी सादर नमस्ते !!! सत्य के अन्वेषण के लिये साधुवाद । राजनीति से हटकर आचार्यों, विद्वानों, पण्डितों के द्वारा शुद्ध शास्त्रार्थ होने चाहिए । राजा जनक की राज्यसभा में भी सत्य की स्थापना के लिये शुद्ध संवाद होते थे । शास्त्रार्थ तो हमारी परम्परा है ।
बहुत अच्छा स्पष्टीकरण आपने प्रस्तुत किया है। धन्यवाद आपको।
I must express my admiration for your intelligence and insight. Even those who may disagree with your views cannot help but appreciate your intellect and reasoning. Your ability to think critically and articulate your thoughts with eloquence is truly remarkable.
It is a pleasure to listen to you, for your intellect and perspective add much value to any conversation. I am greatly impressed by your ability to remain steadfast in your beliefs, while also being open to the ideas of others. Such a balance is not easily attained, and I must say, you possess it in abundance.
Aapko sadar pranam.
Aapko bahut bahut sadhubad
बहुत सुन्दर विश्लेषण मिश्रा जी आप विद्वान को बहुत-बहुत साधुवाद 🙏
बहुत आभार आपका इस ज्ञान वर्धन के लिए 🙏
उत्कृष्ट विद्वता पूर्ण व्याख्या।
आज के समय में आप की बहुत जरूरत है 🙏🙏
🙏 najariya sanatani sanskar se st pranam sir ji 🙏🏽🎉🎉🎉✌🏽
नित्यानंद जी को सादर प्रणाम। हमारे उत्तर प्रदेश में ताड़ना का एक यह भी मतलब है किसी को असाधारण घटना होने कि उम्मीद के साथ देखना। किसी को ध्यान से देखने पर या घूर कर देखने या छिप कर देखने पर भी आम बोलचाल में ताड़ना कह दिया जाता है। तुलसीदास जी ने रामचरित मानस अवधी भाषा में लिखी है जो अवध क्षेत्र की उस समय की आम बोलचाल की भाषा थी।
U r right. Awadhi me tadna ka mtlab dekhna and samjhna hota hai. Jaise koi kahe ki mai aapki baat ko yaad gya means mai aapki baat ko samjh gya.
लालयेत् पंच वर्षाणि दश वर्षाणि ताडयेत् ।
प्राप्ते तु षोडशे वर्षे पुत्रे मित्रवदाचरेत् ।।
पाञ्च वर्ष तक पुत्र को लालन करें/प्यार करें, दश वर्ष तक पुत्र क ताडन कर सकते हैं, 16 प्राप्त होते ही पुत्र को मित्र के समान व्यवहार करें
Aaj k time human rights issue ho jayega aisa kiya to ...
आपके द्वारा विवेचना की प्रतीक्षा थी। धन्यवाद। 🙏🙏
Nityananda ji NAMAN 🙏 for a masterly Explaination , so pleasing . I don't have adequate words to fully appreciate your narrative. Your deep knowledge is aided by your unassuming and humble character which enables you to produce outstanding discourse
उत्तम कार्य...उत्कृष्ठ प्रस्तुति
नमस्ते आदरणीय मिश्रा जी! जिस विषय को आपने चुना हैं , उसपर न तो मुझे विशेष जानकारी है न रूचि परन्तु मैं केवल आपकी शुद्ध और मधुर हिंदी सुनने के लिये आपके वीडियो देखता हूँ। आजकल अंग्रेजी का मिश्रण किये बिना लोग हिंदी बोल ही नहीं पाते हैं ! इतनी शुद्ध और प्यारी हिंदी मुझे सीखने के आपका बहुत बहुत आभार। आपसे प्रेरित होकर अब मैं अधिक से अधिक शुद्ध हिंदी मैं वार्तालाप करने का प्रयास करता हूँ.
सुपरपावर चाईना जपान कोरिया जिंदाबाद नमो बुद्धाय जय भीम जय रवीदास जी
Namaste Nityanand ji, can you please make a course to learn Sanskrit (with no prerequisites) may be on TH-cam or on any other site (with or without any charge), so that we people who want to learn Sanskrit can learn it from you. Dhanyawad 🙏
Bilkul, Hmko bhi Sanskrit sikhni hai
The sanskrit channel hai
Only person who go through upnayan have right on Sanskrit. Sudra are not eligible for Sanskrit .
@@divyanshuyadav9834 शूद्र कौन हैं पहले यह पता करो , आपकी मानसिकता से पता लगता है कि शूद्रता आपकी बुद्धि में है अर्थात आपकी शुद्रबुद्धि है।
@@atyagi77 आप के वक्तव्य से बता चलता है आप हिंदू शास्त्र नही पढ़े है , आप बीजेपी द्वारा बनाए गए नए नए हिंदू है । खैर शुद्र वो होता है जो शुद्र के घर में पैदा होता है , वो द्विज जिसके यहा उपनयन की परंपरा 7 पीढ़ी से अधिक खतम हो गए है वो शुद्र है ।
एक किताब है " SUDRACHARA SHIROMANI " यह pdf के रूप में मिल जाएगी। पढ़े शुद्र के बारे में सब पता चल जाएगा ।
Nityanand ji ko mera pranam. Aap ke bol ne ka tarika hame bahut achch lagta hain
आपकी व्याख्या पर्याप्त अच्छी होती है
आपका धन्यवाद 🙏🙏🚩
Thank you Nityananda Ji, Your insightful talks actually expanding our horizon to see and understand the thing. We are very grateful to you.
It's very clear sir ... Ye jaisa likha hai sir vaisa hee iska matlab nikal kar aata hai
प्रभु जी आपका संस्कृत ज्ञान सागर जैसा है, क्या आप सामान्य हिन्दी भाषियों के हेतु एक संस्कृत का ऑनलाइन कोर्स आरम्भ करेंगे जिससे हम अपने साहित्य और संस्कृति को समझ सकें ?
Ek juth ko chipao ge 100 bolna padega
I commend your knowledge and please start a series on chapterwise explanation on Manusmriti and clear the controversy around it
दिक्कत यही है Sir कि लोग सिर्फ शब्द देखते हैं और पकड़कर बकवास करते रहते हैं
सन्दर्भ और प्रसंग से उन्हें कोई मतलब नही।
सन्दर्भ और प्रसंग की गहराई तो केवल विद्वान ही नाप सकते है जैसे कि आप!
बहुत ही उत्कृष्ट व्याख्या
Keep it up
You deserve for a grand salute.
सादर नमन आपको।
Many social media personals have wrongly translated the word "tadan" as "seeing". Thanks for clearing it.
bhut subder sir। sabhi latest vishyon per aapki video ka wait karte h ham
दुबे मिश्रा शुक्ल तिवारी ये सब ताड़न के अधिकारी
Ha mayank ji ye bahut achhi baat kahi hai aapne😊😊😊
😂😂😂😂
धन्यवाद आपकी वार्तालाप के लिए।
Dhanyawad Niyanand ji!
तुलसीदास जी का भाव वही है जो आजकल समझा जा रहा है क्योंकि मानस में एक जगह नही कई जगह स्त्री और शूद्र विरोधी बातें हैं।चलो हमने मान लिया कि ताडन शब्द का अर्थ वह है जो अपने समझाया।परंतु अन्य चौपाइयां जैसे "शापत ताड़त परुष कहंता।विप्र पूज्य अस गावंही संता।पूजिये विप्र सकल गुण हीना।शुद्र न गण गुण ज्ञान प्रवीना।
यदि कोई निरा गुण रहित है तो ब्राह्मण कैसे और यदि कोई शूद्र वेद प्रवीण है तो वह शुद्र कैसे
तुमने वह श्लोक तो सुना ही होगा मुर्खानाम पयं पानं केवलं विष वर्धनम्
मुर्खो को शिक्षा देने ज्ञान की बात करने से उनमे विष क्रोध बढता है
क्युकी ज्ञान उनके हृदय में आता नही और शस्त्रो में श्रद्धा नही ईश्वर में भक्ती नही कुतर्क करना है बस
भाई अर्थ का अनर्थ मत कर
पुजिय विप्र सकल गुण हीना विप्र न गुण गन ज्ञान प्रवीणा लिखा है वेद प्रवीणा नही
जन्मना जायते शूद्रो संस्कारात भवेद द्विज वेद पाठात भवेद विप्र ब्रह्म जानाति ब्रह्मणा
संस्कार रहित मनुष्य सेवा करने वाला शुद्र होता है
वेद पाठ करने वाला विप्र होता है
भावार्थ यह है की वेद पाठ करने वाले का सदा सम्मान करना चाहिये चाहे उसमे कोई अच्छा गुण न तो
ये भी नही कहा की अवगुनी तो तब भी पूजा करो
और जीवन यापन के लिये लघु कार्य करने वाले शुद्र की पूजा नही होती चाहे गुणो की खान तो ज्ञान का भण्डार तो
इसको ऐसे समझो
एक छात्र के लिये गुण हीन शिक्षक पूज्य है उनको वह प्रणाम करेगा
चपरासी उस शिक्षक से ज्यादा शिक्षित हो गुणवान हो फ़िर भी छात्रो के लिये पूज्य नही हो सकता
अगर हम धर्म मार्ग पर चलते है वेदिक धर्म को मानते है जो हम लोग शिष्य है और वेद वेदज्ञ लोग हमारे गुरु है
श्राप देते हुये डाट डपड करते हुये बुरे वचन बोलते हुये भी माता पिता और गुरुजनो का अपमान न करना ऐसा वेद की शिक्षा है
माता पिता गुरुजन पूज्य है
ये हमारी संस्कृती है धर्म है
यहा किसी जाती वाले ब्राह्मण की बात नही हो रही है
न ही शुद्र से किसी दलित की
शास्त्रो को श्रद्धा भक्ती के साथ गुरुजनो के सानिध्य में पढना चाहिये सन्तो से सिखना चाहिये
गुण कर्म स्वभाव इन तीनो में कर्म महान है
इसलिये गुणहीन विप्र पूज्य है और गुणवान होकर भी शुद्र पूज्य नही है
Waaah kya baat kahi aapne 🙏
Hare Krishn Radhe krishn 🙏
आप लोगो को मुरख ना बनाये, सबको सत्य ग्यात है, कोई आपके झुटे बातो पर भरोसा नहीं करेगा.
सभी सुनने वालों से विनती है कि अवधि की डिक्शनरी से ताड़न के अर्थ देख लें। गूगल पर चैक कर लें।
Boddh ग्रंथ, Tipitak saar , के 5 वे सम्पसादनीयसुत मे , page 57 पर भगवान बुद्ध भी अपने शिष्य को भूतकाल के बुद्ध का ज्ञान नहीं होने पर ✨️ताड़ना दे रहे है ..जब उनका शिष्य उन्हें सबसे महान बताता है....
यहाँ tadna का अर्थ शिक्षा देना हों सकता हैं और पीटना भी...
एक ही शब्द भिन्न परस्थितियों में अलग अलग अर्थ मे लिया गया हैं..
पर कुछ मूर्खों को ये बात समझ नहीं आती है.
🎉Nityanand ji बिल्कुल sahi हैं. ✅️
🙏
आपका विश्लेषण अतिउत्तम है।परन्तु यहां पर स्त्री की ताढना का प्रश्न है ,जिसे इस्लाम मे औरत को पीटने के औचित्य से तुलना करने का प्रयास है।आर्य समाज वामपंथी विचारधारा तो इसी प्रयास मे रहते है,कि किस तरह से सनातन को नीचा दिखाया जाए।That is why they have taken the face value of the word ताड़न ।
very informative sir thanks for sharing sirr
Sare Shudra Aa idhar hi aa gye hai.. .. 😊😊
धन्यवाद 🙏🙏🙏🙏🙏
अति सुंदर विश्लेषण 🙏🕉🚩🚩🚩
very good work sir thanks
Vagjal rach rahe hain aap.
❤❤❤❤❤❤❤
Well studied well analysed Thanks 🙏
साधुवाद
निसंदेह आप कट्टर व्राह्मणलगतेहैं
Ha kattar brahman, like Ramanujan, the great mathematician.
Main bhi kattar brahman hu, I meditate, eat satvik food, strict routine like army, study lot.
Jai 🚩🚩🚩🚩
Guys original valmiki Ramayana me ye nhi hai... Ye Tulsidas ki Manas me hai , original ko hi prefer Krna chahiye.
आप जो भी कहे, यह स्त्रियों के प्रति श्रद्धा दर्शाता है । आपका मतलब है सिर्फ शूद्र और नारी नहिं समझ पाते थे । बाकी सबको समझ में आ जाता था ? पता नहीं क्या उद्देश्य है, पर यह दुःख देता है ।
Buddhism is the religion of Atheists.
Please read book-The "The Buddha and his Dhamma"
www.columbia.edu/itc/mealac/pritchett/00ambedkar/ambedkar_buddha/
Siddhartha Gautama Mahabhinishkarman
th-cam.com/video/B37MXvsB_Vc/w-d-xo.html
बौद्ध धम्म की 22 प्रतिज्ञा
youtu.be/vurJa
Hindu to buddhist
th-cam.com/video/vCB-Sn1iJNw/w-d-xo.html
नरक में जायेंगें 22 प्रतिज्ञा वाले
th-cam.com/video/eniuRtW8Gq0/w-d-xo.html
आजादी की लड़ाई में योगदान
th-cam.com/video/wZcKHuCpzbI/w-d-xo.html
हिन्दू राष्ट्र मतलब बराहम्ण राष्ट्र
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बौद्ध धम्म से पहले कौन सा धर्म था-
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यादव,पटेल, गुर्जर
शूद्र है
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मनुवादी सरकार या EVM सरकार
लोकतंत्र खत्म
th-cam.com/video/7GT1Y5_09LA/w-d-xo.html
नीरज भाई पटेल और 22 प्रतिज्ञा
th-cam.com/video/R3KoAz6k1fo/w-d-xo.html
अपने बच्चों कोIAS-IPS स्कैम से बचायें
th-cam.com/video/ggflLZxfAJ8/w-d-xo.html
नीरज भाई पटेल की मिसाल न बराहम्ण भोज न अस्थि विसर्जन
th-cam.com/video/UkMt9tL8m2A/w-d-xo.html
हिन्दू धर्म हिन्दू धर्म नहीं है
ये एक बराहम्ण धरम है और जो ये बराहम्ण धरम है ये धर्म नहीं है बल्कि भारत की मूलनिवासी जनता को विदेशी आर्य बराहम्ण द्वारा परमानेंट गुलाम बनाये रखने का षडयंत्र है।
इंसान को नीच और गाय के मूत को अमृत मानने वाला सिस्टम धर्म नहीं हो सकता।
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अमेरिका में सवर्ण उतरे जातिवाद के समर्थन में -th-cam.com/video/kdLIeCGfUzA/w-d-xo.html
हिन्दू शब्द और सुप्रीम कोर्ट
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हिन्दू शब्द आया कहां से
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सवर्ण मीडिया की हकीकत
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ब्राह्मणवाद क्या है और इसका हिन्दू धर्म से क्या संबंध है
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ब्राहाम्णों का काला सच
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घाल मेल हिन्दू धर्म का
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Bahut sundar samadhan. Aapse aagrah hai ki manusmriti se sambandhit bhrantiyo ka samyak samadhan karen. Aapke channel me is visay par mujhe kuch prapt nhi hua.
मुण्डक में भी ताडन शब्द लिखा हुआ है वहां इसका अर्थ मेधन,समाहित लिखा हुआ है।
Very nice interpretation 🙏👌🤔
ताडना का एक अर्थ ध्यान रखना या देखना भी होता है। नारि का ध्यान रखने से अभिप्राय है तुलसीदास जी महाराज का।
Acha... Teri ma tadan ki adhikari, teri behen tadan ki adhikari, Tera poora khaandan tadan ka adhikari. Nalle!!
Woke ...
When a woman say to her father that i love u papa ...it doesn't mean she had any physical relationship with her father .
And when she says to her boyfriend/husband that she love him , people can take the understanding that you must be having physical relationship with him .
Like wise word tadna is misused by Marxists and britishers to create divide .
Still they are saying same and because entire system of education was in their control they could able to sow the seed in big mass and they are successful.
Tu apni Maa ko Pyaar karta hai ...iska kya matlab nikale
Jaise tu apni Biwi aur Gf ko Pyaar k naam pe Ch00dne Jata h wohi Maa k sath. Bhi arth Lene lagna chahiye sabhi ko
Dhol ko konsa khusi mei dhyan rakhna thaa bataiye jara,,, dhol k kam kyaaa thaaa
Great. Really thankful to you for this.
Sir I don't understand one thing why people confuse this word of avadhi language with that of Sanskrit. *Ramcharitmanas was written in avadhi not in Sanskrit or hindi* . This translation mistake is one of the good one for you to make a new video like you made one on some Mahabharata verse wrong translation. In avadhi, bagheli, bundeli , bhojpuri, tadna means "देखना" या "देखभाल करना" . Like there is saying in bhojpuri "ka taad ra be", or in bagheli "मोर बगिया ताड़ रहा" means "take care of my garden".
And this actually makes sense with the context, since mother sita was not under protection.
This dialogue was delivered by samundra dev when shri Ram was on his journey to “protect mother sita" , become angery on sumundradev for not providing the way to lanka.
Here samundradev suggesting to "angry" lord ram(who, btw, can erase out samundradev's entire existence anytime if “way to lanka"/“way to protect sita" is not provided ) that women should be beaten makes no sense at all.
चोपाई का अर्थ है,
ढोल, गवार, शूद्र, पशु और नारी देखभाल के अधिकारी है। ढोल क्योंकी वो भगवान के कीर्तन का अटूट अंग है; गवार क्योंकी वो अशिक्षित है; शूद्र (service providers/employees) क्योंकी उनके बिन समाज लंगड़ा है; पशु क्योंकी वो कृषि आदि कार्यो में सहायक है; नारी क्योंकी नारी जननी/माता है अत: पूजनीय है |
Sahi kh rhe ho kyoki jaise hm UP me khaaskr Prayagraj ke rural areas me hamesha use krte hai "uu aadmi ke tade ahi khet me jaise ghusi tb batayaa" just like that
शूद्रं शब्द का मतलब तपस्वी है ।
यजुर्वेद मंत्र - तपसे शूद्रं ।
शूद्रं शब्द में बडे श पर बडे ऊ की मात्रा लगाकर अंक की बिंदी लगी है। यह बिंदी अवश्य लगानी चाहिए। अंक की बिंदी लगने से शूद्रन/ शूद्रण/ शूद्रम भी लिख बोल सकते हैं।
चारवर्ण चारकर्म चारविभाग जीविका विषय अनुसार उत्पादक निर्माता उद्योगण शिल्पकार ही शूद्रण है।
कर्म चार = = वर्ण चार = शिक्षण-ब्रह्म + सुरक्षण-क्षत्रम + उत्पादन-शूद्रम + वितरण-वैशम।
पांचवेजन जनसेवक दासजन नौकरजन सेवकजन भी इन्ही चतुरवर्ण चतुर कर्म विभाग में वेतनमान पर कार्यरत हैं। वेदमंत्र दर्शनशास्त्र ज्ञान विज्ञान विधान अनुसार और प्रत्यक्ष कर्म अनुसार प्रमाण हैं।
कुछ किताबो में शूद्रन का मतलब तपस्वी उत्पादक निर्माता उद्योगण ना लिखकर सिर्फ सेवक लिख कर गलती कर रहे हैं । शिक्षित द्विजन ( स्त्री-पुरुष) को सुधार कर बोलना लिखना चाहिए और सुधार कर प्रिंट करना चाहिए। अनुचित लेखन कर्म अनुचित बोलना लिखना वेद विरूद्ध करते रहते हैं आजकल अज्ञजन । लेखक प्रकाशक जन अज्ञानता में सुधार नहीं करते हैं।
द्विज और द्विजोत्तम भी अलग अलग हैं। चारो वर्ण कर्म विभाग वाले सवर्ण और असवर्ण होते हैं।
शूद्रण भी द्विज और पवित्र होता और चार वर्ण कर्म विभाग अनुसार उत्पादक निर्माता उद्योगण शिल्पकार तपस्वी होता है। जो द्विज तपश्रम उद्योग उत्पादन निर्माण कार्य करते हैं वे शूद्रण हो जाते हैं।
अशूद्र अब्राहण अछूत व्यभीचारी जुआरी नपुंसक चाटुकार होता है।
क्षुद्र पाशविक सोच रखकर जीने वाला होता है।
इस पोस्ट को कापी कर अन्य सबजन को लेखक प्रकाशक को भेजकर कर प्रिंट सुधार करवाएं।
राम राम 🙏🙏🚩
बरनाधम तेली कुम्हारा, स्वपच किरात कोल कलवा is par margdarshan kijiye
नमोऽहं🙏
महानुभाव! आप विद्वान हैं
रावण रचित शिव तांडव स्त्रोतम् का हिन्दी अनुवाद आप कर दें बड़ी कृपा होगी 🙏
Geeta Press ki ek stotra ki book aati hai usme bahut saare stotra diye gaye hai usi me shiv tandav stotram bhi hai with hindi lyrics
very good work sirrr
"ढोल गंवार सूद्र पसु नारी" के मूल स्मृतिप्रमाण और मारने में ही ताड़ना के तात्पर्य की सिद्धि
■ गरुड़पुराण आचारकाण्ड अध्याय १०९
दुर्जनाः शिल्पिनो दासा दुष्टाश्च पटहाः स्त्रियः।
ताड़िता मार्दवं यान्ति न ते सत्कारभाजनम्॥ ३१ ॥
नद्यश्च नार्यश्च समस्वभावाः
स्वतन्त्रभावे गमनादिके च।
तोयैश्च दोषैश्च निपातयन्ति
नद्यो हि कूलानि कुलानि नार्यः॥ ३८ ॥
नदी पातयते कूलं नारी पातयते कुलम्।
नारीणाञ्च नदीनाञ्च स्वच्छन्दा ललिता गतिः॥ ३९ ॥
जो शिल्पी और दास दुर्जन हैं, ढोल आदि वाद्ययन्त्र हैं और दुष्टा स्त्रियाँ हैं, ये ताड़ना से मृदुता को प्राप्त करते हैं, अतः ये सत्कार के अधिकारी नहीं हैं।
यदि बिल्कुल स्वतन्त्र छोड़ दिया जाये तो गमन के सन्दर्भ में नदी और नारी का स्वभाव एक ही होता है। अनियन्त्रित स्वभाव वाली नदी अपने जल से किनारों को डुबा देती है तो अनियन्त्रित स्त्री अपने दोषों से कुल को डुबा देती है।
■ बृहद्विष्णुस्मृति अध्याय ७१
शास्यं शासनार्थं ताड़येत्॥ ८१ ॥
तं वेणुदलेन रज्ज्वा वा पृष्ठे॥ ८२ ॥
जो शासन करने योग्य हैं (आपके अधीनस्थ लोग), उनपर शासन करने हेतु उनकी ताड़ना करें। कैसे करें? पीठ पर बांस की छड़ी अथवा रस्सी से ताड़ित करें।
■ बृहत्कात्यायनस्मृति
कर्मारम्भं तु यः कृत्वा सिद्धं नैव तु कारयेत्।
बलात्कारयितव्योऽसौ अकुर्वन्दण्डमर्हति॥ ६५७ ॥
ताड़नं बन्धनञ्चैव तथैव च विडम्बनम्।
एष दण्डो हि दासस्य नार्थदण्डो विधीयते॥ ९६३ ॥
जो कारीगर एक बार कार्य प्रारम्भ करके उसे बिना पूरा किए छोड़ देता है, उससे वह कार्य बलपूर्वक पूरा करवाना चाहिए, न करने पर उसे दण्डित करना चाहिए।
उसे ताड़ित करे अर्थात् मारे, बन्धन में अर्थात् कैद में डाल दे, उसे व्याकुल कर दे। दासों का यही सब दण्ड बताया गया है, उसके लिए अर्थदण्ड नहीं है।
■ निष्कर्ष
इस प्रकार से निष्पक्षता एवं निर्भयता से पूरे प्रकरण का अध्ययन करने पर सिद्ध होता है कि चाहे कोई वामपंथी, नारीवादी, डरपोक पाखण्डाचार्य कुछ भी कहे, "ढोल गंवार सूद्र पसु नारी। सकल ताड़ना के अधिकारी॥" यह चौपाई शुद्ध है, प्रामाणिक है, यहाँ नारी का अर्थ स्त्री एवं ताड़ना का अर्थ मारना ही है, किन्तु यह मर्यादा की रक्षा हेतु केवल दुष्ट आचरण करने वालों के सन्दर्भ में है, जो कि धर्म के लिए नितान्त आवश्यक है। इस चौपाई में सामान्य और सरल शासनधर्म का उपदेश है, इसकी अनावश्यक रूप से अनर्थकारिणी व्याख्या मूल शास्त्रीय आलोक को नष्ट करती है।
(श्रीनिग्रहाचार्य कृत "मूरख हृदय न चेत" से लेकर कुछ परिवर्तनों के साथ पोष्ट किया।) क्षितिज सोमानीजी के द्वारा संकलित।
॥ जय श्री राम ॥🚩
🙏नारायण🙏
Apni Mata aur bahano pr itna Shak hai....? Khud pe nahi ....o bhai sahab kuch Sharm kr lo tilak lgane se ache insan ni ho jate kya bhagwan shiv ke bina mata parvati ya ram ke bina maa Sita ya dasharath ke bina tino raniyan ya pandavo ke bina draupadi ya Arjun ke bina subhdra Nadi ke saman kul ko dubi deti......man se nikalo ye sb ....tumhe kisi jivan me bhi nirvan ka anubhav ni ho sakega.....apne kamukata pr bhi niyantran ni hai tumhe ....dub maro
वाह बेटा बहुत आगे जाओगे😂😂😂😂
I don't like your this explanation but instead i like the explanation from the TH-cam channel THE QUEST thanks
Ok! We do not have to be apologetic. Please note that we are talking about hundreds of years ago.
समुद्र वो समाज थे जो रावण के समर्थक राक्षस जैसे ही थे l जो इस बाजू पर अपना हक्क जमाये थे l
Ati uttam
Literacy rate was 12% at independence time, 1947.
People will understand as their mentality is sattvick , rajsick or tamsik.
कृपया हमारे गौरवान्वित इतिहास को दर्शाए
यह विवादास्पद है। इसे विलोपित कर देना चाहिए।
ज्ञानी बनकर ज्ञान नहीं बघारना चाहिए।
Mansik yatna - vaak tadan, physically injured karna Astra - shastra koi bhi ho, arthik yatana - kisi ki Krishi, sampatti Ya dhan ki Kshati se bache .🙏
जय श्री राम 🙏🚩
Jago obc sc st Thanks jay arjak sangh jay bhim namo budday jay samvidhan jay vigyan thank you jay shudraj kranti jay mandal
शिक्षित द्विजनो ( स्त्री-पुरुषो ) !
जाति वर्ण में ऊच नीच करने वालो को वर्णजाति और वंशज्ञाति को जानना समझना चाहिए।
पदवी /विभाग ( जाति/ वर्ण ) वाले शब्दों का प्रयोग पेशेवर कार्य करने वालों को पुकारने के लिए किया जाता है और जीविकोपार्जन विषय प्रबन्धन के लिए किया जाता है।
वंश ज्ञाति गोत्र शब्दों का प्रयोग विवाह सम्बन्ध रिश्ते नाते करने के लिए किया जाता है।
विज्ञान सम्मत बेहतर समाज प्रबंधन के लिए द्विजन ( स्त्री पुरष ) के लिए आश्रम व्यवस्था के लिए चार आश्रम प्रबंधन निर्मित किया गया है वैदिक ऋषि राजर्षि संसद द्वारा l
चारवर्ण और चार आश्रम को मिलकर वर्णाश्रम शब्द का निर्माण कर समाज को बेहतर बनाने के लिए विधा की गई है
चार वर्ण विभाग =
1 - ब्रह्म वर्ण = ज्ञान विभाग = Education
2 - क्षत्रम वर्ण =सुरक्षा विभाग = Protection
3 - शूद्रम वर्ण =उत्पादन विभाग = Production
4 - वैशम वर्ण = वितरण विभाग = Distribution
वेतन भोगी जनसेवक (दास) नौकर भी इन्ही चारवर्ण में कार्यरत हैं ।
शिक्षित द्विज़न ( स्त्री पुरुष ) विचार अवश्य जानें कि जलाने से या मिटाने से चार वर्ण (विभाग) कभी खत्म नहीं होते हैं l
जब यजुर्वेद में शूद्रन को तपसे होना लिखा है तो लेखकजन तप छोड़कर सेवा ही क्यों लिखते रहते हैं और द्विजन ( स्त्री-पुरुष ) भी बोलते रहते हैं ? शूद्रन को तपस्वी क्यों नहीं लिखते बोलते हैं? द्विजन ( स्त्री पुरष) शिक्षित होकर भी प्रिंट सुधार कार्य क्यों नहीं करते हैं ? प्रिंट सुधार करना करवाना शिक्षित विद्वान मानव द्विज़न ( स्त्री-पुरुष ) का काम है।
चार वर्ण = चार विभाग = कर्म चार l
1 - ब्रह्म वर्ण = ज्ञान शिक्षा विभाग
2 - क्षत्रम वर्ण = ध्यान रक्षा विभाग
3 - शूद्रम वर्ण = उत्पादन विभाग
4 - वैशम वार्न = वितरण विभाग l
पांचवे वेतन भोगी दास ज़न सेवक वर्ग भी इन्हीं चारों वर्ण विभाग कर्म को करते हैं l यही चारवर्ण पांचज़न सनातन वेद दर्शन व्यवस्था है l
हरएक द्विज़न ( स्त्री पुरष ) मुख समान ब्राह्मण हैं, बांह समान क्षत्रिय हैं, पेट समान शूद्रन है और चरण समान वैश्य है l चरण चलने से व्यापार वितरण होता है इसलिए चरण समान वैश्य होता है l
चार वर्ण (विभाग) जीविका सुरक्षा के लिए सदा बने रहते हैं l इसलिए सनातन हैं l चार आश्रम उम्र के सदा बने रहते हैं इसलिए सनातन हैं l
जैसे उम्र बदलने से आश्रम बदल जाते हैं वैसे ही कार्य बदलने से वर्ण विभाग बदल जाते हैं। यही सत्य सनातन है l
जिसको यह अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत पोस्ट समझ नहीं आती है तो बताएं अगर चरण नहीं चलेंगे तो कोई भी समान एक स्थान से उठाकर दूसरे स्थान पर कैसे जाएगा अर्थात वैश्य वर्ण कार्य व्यापार वितरण कैसे होगा ? जय विश्व राष्ट्र सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म सनातनम् । जय अखण्ड भारत जय वसुधैव कुटुम्बकम् ।। ॐ ।।
शिक्षित विद्वान मित्रो ! जन्म से हरएक मानव जन दस इन्द्रिय समान लेकर जन्म लेते हैं इसलिए जन्म से सबजन बराबर होते हैं। हरएक मानव जन को जानना चाहिए कि वे जन्म से मुख समान ब्रह्मण, बांह समान क्षत्रिय,
पेटउदर समान शूद्रण और चरण समान वैश्य हैं । इसलिए हरएक मानव जन खुद को ब्रह्मण, क्षत्रिय, शूद्रण और वैश्य कुछ भी मानकर बताकर नामधारी वर्ण वाला मानकर बताकर जी सकते हैं।
हरएक महिला मुख समान ब्राह्मणी, बांह समान क्षत्राणी, पेट समान शूद्राणी और चरण समान वैशाणी हैं।
चरण पांव चलाकर ही व्यापार वितरण वाणिज्य क्रय विक्रय वैशम वर्ण कर्म होता है।
हरएक मानव जन कोई भी वर्ण करके किसी भी वर्ण को मानकर नामधारी वर्ण वाला होकर जीवन निर्वाह कर सकते हैं। सबजन को समान अवसर उपलब्ध है।
इसके साथ ही चार वर्ण में ब्रह्म वर्ण कर्म जैसे कि शिक्षण वैद्यन पुरोहित संगीत कर्मी जन हैं वे कर्मधारी ब्रह्मण हैं ,
क्षत्रम वर्ण में सुरक्षक चौकीदार न्यायाधीश गार्ड कर्मी जन क्षत्रिय हैं,
शूद्रम वर्ण में तपस्वी उत्पादक निर्माता उद्योगण शिल्पकार कर्मिक जन शूद्रण हैं और
वैशम वर्ण में वितरक वणिक व्यापारी ट्रांसपोर्टर जन वैश्य हैं।
पांचवेजन वेतनमान पर कार्यरत जनसेवक नौकरजन दासजन सेवकजन चारो वर्ण कर्म विभाग मे कार्यरत हैं।
पौराणिक वैदिक सनातन दक्षधर्म शास्त्र के साथ साथ प्रत्यक्ष प्रमाण उपलब्ध है।
बुद्ध प्रकाश प्रजापत की इस पोस्ट को पढ़कर समझकर ज्ञान बढ़ाना उचित सोच कदम है।
इस अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत ज्ञान वाली पोस्ट पढ़कर समझकर ज्ञान प्राप्त कर अन्य सबजन को भेजकर ज्ञानवर्धन करवाना चाहिए और आवश्यक प्रिंट सुधार करवाना चाहिए।
सबजन को खुद की अपनी सोच सुधार कर किसी भी वर्ण को मानकर बताकर जीवन निर्वाह करने का समान अवसर सबजन को उपलब्ध है।
एक वर्ण विभाग शिक्षण प्रशिक्षण आदान-प्रदान कर्म करना होता है ।
दूसरे वर्ण में सुरक्षा न्याय चौकीदारी कर्म करना होता है।
तीसरे कर्म में क्रय-विक्रय वाणिज्य आढ़त वित्त व्यापार ट्रांसपोर्ट कर्म करना होता है?
चोथे वर्ण में उत्पादन निर्माण उद्योग कर्म नहीं आयेगा तो किसमे आयेगा?
ब्रह्मा के पांच मुख का मतलब हैं
एक अध्यापक ब्राह्मण, दूसरा सुरक्षक क्षत्रिय, तीसरा उत्पादक शूद्राण और चौथा वितरक वैश्य। पांचवे मुख का मतलब है दासजन जनसेवक नौकरजन सेवकजन चारो वर्ण कर्म विभाग में सहयोग करने वाला।
ब्रह्म = ज्ञान । मुख से ।
ब्रह्म वर्ण = ज्ञान विभाग।
ब्राह्मण = ज्ञानदाता/ अध्यापक/ गुरूजन/ विप्रजन/ पुरोहित/ आचार्य/ अनुदेशक/ चिकित्सक/ संगीतज्ञ।
क्षत्रम = ध्यान न्याय। बांह से ।
क्षत्रम वर्ण = ध्यान न्याय रक्षण विभाग।
क्षत्रिय = सुरक्षक बल चौकीदार न्यायाधीश ।
शूद्रम = तपसे उत्पादन निर्माण = पेटऊरू से ।
शूद्रम वर्ण = उत्पादन निर्माण उद्योग विभाग।
शूद्राण = उत्पादक निर्माता उद्योगण तपस्वी
वैशम = वितरन वाणिज्य व्यापार = चरण से ।
वैशम वर्ण = वितरण विभाग।
वैश्य = वितरक वणिक व्यापारी ट्रांसपोर्टर।
चरण पांव चलाकर ही व्यापार ट्रांसपोर्ट वाणिज्य क्रय विक्रय वैशम वर्ण कर्म होता है ।
दासजन/ जनसेवक = वेतनभोगी /नौकरजन।सेवकजन/भृत्यजन। चारो वर्ण कर्म विभाग में कार्यरतजन।
जय विश्व राष्ट्र प्रजापत्य दक्ष धर्म सनातनम वर्णाश्रम संस्कार ।ॐ।
वर्णजाति और वंशज्ञाति -
दोनो का मतलब समझना चाहिए।
विभाग/ पदवी ( वर्ण/जाति ) वाले शब्दों का प्रयोग जीविका पेशेवर कार्य करने वालों को पुकारने के लिए किया जाता है। जिविका विभाग पदवि वर्ग में कार्यरत जनों की सुरक्षा प्रबंधन के लिए विधि वर्णाश्रम संस्कार व्यवस्था प्रबंधन किया गया है । वैदिक सनातन ऋषि राजर्षि संसद जनों द्वारा निर्मित वर्णाश्रम प्रबन्धन संस्कार विधि-विधान नियम ज्ञान सबजन को प्राप्त करना चाहिए।
वंशज्ञाति गोत्र कुल शब्दों का प्रयोग विवाह सम्बन्ध रिश्ते नाते करने के लिए किया जाता है। विज्ञान सम्मत बेहतर समाज प्रबंधन के लिए द्विजन ( स्त्री पुरष ) के लिए चार आश्रम व्यवस्था के लिए नीति विधि को निर्मित किया गया है चार आश्रम परिवार कल्याण विधि-विधान नियम वैदिक ऋषि राजर्षि संसद द्वारा किया गया है।
चारवर्ण शब्द और चार आश्रम शब्द को मिलकर वर्णाश्रम शब्द का निर्माण किया गया है । मानव समाज को बेहतर बनाने के लिए वर्णाश्रम संस्कार विधान की की गई है
चार वर्ण कर्म विभाग =
1 - ब्रह्म वर्ण = ज्ञान विभाग = Education
2 - क्षत्रम वर्ण =सुरक्षा विभाग = Protection
3 - शूद्रम वर्ण =उत्पादन विभाग = Production
4 - वैशम वर्ण = वितरण विभाग = Distribution
पांचवेजन वेतनमान पर कार्यरत ऋषिजन जनसेवक ( दासजन ) नौकरजन सेवकजन भी इन्ही चतुरवर्ण में कार्यरत हैं ।
चार वर्ण = चार विभाग = कर्म चार l
1 - ब्रह्म वर्ण = ज्ञान शिक्षा चिकित्सा विभाग
2 - क्षत्रम वर्ण = ध्यान सुरक्षा न्याय विभाग
3 - शूद्रम वर्ण = उत्पादन निर्माण उद्योग विभाग
4 - वैशम वार्न = वितरण वाणिज्य व्यापार विभाग l
पांचवे वेतन भोगी दासज़न जनसेवक वर्ग भी इन्हीं चारों वर्ण विभाग कर्म को करते हैं l यही चारवर्ण पांचजन सनातन वेद दर्शनशास्त्र ज्ञान विज्ञान विधान व्यवस्था है l
हरएक द्विज़न ( स्त्री पुरष ) मुख समान ब्राह्मण हैं, बांह समान क्षत्रिय हैं, पेट समान शूद्रन है और चरण समान वैश्य है l चरण चलने से व्यापार वितरण क्रय विक्रय वाणिज्य वैशम वर्ण कर्म होता है इसलिए चरण समान वैश्य होता है l
चार वर्ण (विभाग) जीविका सुरक्षा के लिए सदा बने रहते हैं l इसलिए सनातन हैं l चार आश्रम उम्र आयु के सदा बने रहते हैं इसलिए सनातन हैं l
जैसे उम्र बदलने से आश्रम बदल जाते हैं वैसे ही कार्य को बदलने से वर्ण विभाग बदल जाते हैं। यही सत्य सनातन शाश्वत दक्ष धर्म संस्कार ज्ञान विज्ञान विधान है l
जिसको यह अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत पोस्ट समझ नहीं आती है तो वे बताएं अगर चरण नहीं चलेंगे तो कोई प्रोडक्ट समान एक स्थान से उठाकर क्रय कर दूसरे स्थान पर ट्रांसपोर्ट कर विक्रय वितरण कैसे होगा अर्थात वैश्य वर्ण कार्य व्यापार वितरण वाणिज्य क्रय विक्रय वित्त आढ़त कैसे होगा ?
पोस्ट निर्मिता बुद्ध प्रकाश प्रजापत।
जय विश्व राष्ट्र सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म। जय अखण्ड भारत। जय वसुधैव कुटुम्बकम। ॐ।
हे मानव जनो इस पोस्ट को कापी कर अन्य सबजन को उनकी सोच सुधार के लिए भेजते रहें ।
जय विश्व राष्ट्र दक्षराज वर्णाश्रम सनातन संस्कार।
Sir, would love if you would explore the meaning, defination and derivation of hindi word 'avgun'. Similarly have another question, "Can 'Daan' be returned or the action of 'Daan' be reverted? Answer to these would benefit scores of people.
Bahut dukhad hai ki
Jise kugch gyan nahi
Wo bhi ulahna deta fir raha
Jabki aap jaise gyani ko samjhana pad raha.
maanyavar , saashtaang pranaam aap ko.. moorkh logon ko kyaa samjhaaye ....jo granth se sab kuch seekh ne ko miltaa hai.. aur moorkh raajneeti ke liye kuch bhee baat kar rahe hai ....
Jai Ram Ji Ki
If Samudr is Jad and his views are not worthy, how was his advice of building the Setu taken & implemented!
That also comes in the same conversation
Are you suggesting that all the verses coming through any vulnerable person are worth ignoring!
If it is only meant for scolding, as per the situation, why was Naari mentioned specifically?
This particular verse is actually so much out of context that even if you read the scene without this one, you don't feel that anything is missing
Beautifully explained 💯👏
Very nice 👌
From this video one can learn how to shift blame from one person to another. Need of rectification can be ignored. If you get knowledge of being ignorant then you will become knowledgeable here. Now sumudra is also speechless because Nari and Shudra have proved that they're better than what he imagined. By the way on whom did sumudra shifted his own punishment.
शूद्रं शब्द का मतलब तपस्वी है ।
यजुर्वेद मंत्र - तपसे शूद्रं ।
शूद्रं शब्द में बडे श पर बडे ऊ की मात्रा लगाकर अंक की बिंदी लगी है। यह बिंदी अवश्य लगानी चाहिए। अंक की बिंदी लगने से शूद्रन/ शूद्रण/ शूद्रम भी लिख बोल सकते हैं।
चारवर्ण चारकर्म चारविभाग जीविका विषय अनुसार उत्पादक निर्माता उद्योगण शिल्पकार ही शूद्रण है।
कर्म चार = = वर्ण चार = शिक्षण-ब्रह्म + सुरक्षण-क्षत्रम + उत्पादन-शूद्रम + वितरण-वैशम।
पांचवेजन जनसेवक दासजन नौकरजन सेवकजन भी इन्ही चतुरवर्ण चतुर कर्म विभाग में वेतनमान पर कार्यरत हैं। वेदमंत्र दर्शनशास्त्र ज्ञान विज्ञान विधान अनुसार और प्रत्यक्ष कर्म अनुसार प्रमाण हैं।
कुछ किताबो में शूद्रन का मतलब तपस्वी उत्पादक निर्माता उद्योगण ना लिखकर सिर्फ सेवक लिख कर गलती कर रहे हैं । शिक्षित द्विजन ( स्त्री-पुरुष) को सुधार कर बोलना लिखना चाहिए और सुधार कर प्रिंट करना चाहिए। अनुचित लेखन कर्म अनुचित बोलना लिखना वेद विरूद्ध करते रहते हैं आजकल अज्ञजन । लेखक प्रकाशक जन अज्ञानता में सुधार नहीं करते हैं।
द्विज और द्विजोत्तम भी अलग अलग हैं। चारो वर्ण कर्म विभाग वाले सवर्ण और असवर्ण होते हैं।
शूद्रण भी द्विज और पवित्र होता और चार वर्ण कर्म विभाग अनुसार उत्पादक निर्माता उद्योगण शिल्पकार तपस्वी होता है। जो द्विज तपश्रम उद्योग उत्पादन निर्माण कार्य करते हैं वे शूद्रण हो जाते हैं।
अशूद्र अब्राहण अछूत व्यभीचारी जुआरी नपुंसक चाटुकार होता है।
क्षुद्र पाशविक सोच रखकर जीने वाला होता है।
इस पोस्ट को कापी कर अन्य सबजन को लेखक प्रकाशक को भेजकर कर प्रिंट सुधार करवाएं।
Tadna Yani majboot Karna.. Pratadna ka matlub pareshan Karna...
Please show your books and library, it will inspire us .
Yeh vaakya padhiye Maine isko dur se he taad liya tha yeh kaisa admi hai, taadna shabd ke bohat matlab nikalte hai,iss vakya me tadna shabd ka matalab hai ke mai iss aadmi ko dur se he dekh kar samajh gaya tha yeh kaisa aadmi hai
Sir
Pls note it can be interpreted in to mean " gaovaar ( jaisa unruly) shudra and pashu (jaisaa) naari" also.
श्रीमान ताड़न कौन करने की आधिकारि है
Why not written brahman thakur andbani with shudra.
🎯 Key Takeaways for quick navigation:
00:16 *🤔 Some debate surrounds the interpretation of the verse "ढोल गँवार शूद्र पशु नारी, यह सब ताड़न के अधिकारी" from the Ramcharitmanas due to differing views on its meaning.*
01:07 *💡 Understanding the innate nature of women is crucial in resolving marital conflicts, as women are believed to possess eight negative traits in their hearts according to ancient beliefs.*
02:52 *🌊 In the Ramayana, Lord Rama's prowess and righteousness are demonstrated when he compels the ocean to yield by just his bow, symbolizing his divine authority.*
03:59 *🔍 "ढोल गँवार शूद्र पशु नारी" implies that these entities have the right to reprimand, indicating that those who understand this should be treated accordingly.*
05:10 *⚖️ The phrase "ढोल ग्वार शुद्र पशु स्त्री ये सब ताड़ना करने के योग्य हैं" suggests that even if one doesn't recognize someone's worth, they still have the authority to reprimand, and if not acknowledged, one should seek guidance.*
06:56 *📜 Cultural references often use metaphors and idioms to convey messages, such as the poem "Love Him and Leave Him" by a poet called Vidai Butler, which employs metaphors like "rod and spoil the child" to emphasize discipline.*
07:24 *📖 Ancient texts like Chanakya Neeti and Garuda Purana emphasize the importance of discipline and gentle correction for children and disciples to ensure their proper upbringing and education.*
08:01 *📚 The verse "निंदा तारिणी को रियाल पुत्र" from Mahabharata underscores the duty of a teacher or parent to correct and guide their children or disciples without resorting to harsh criticism or physical punishment.*
10:51 *💡 Cultural norms and practices evolve over time, with some ancient customs now considered unacceptable. Understanding historical context helps in evaluating the appropriateness of traditional teachings in modern society.*
12:39 *📜 Understanding the concept of punishment (tadhan) involves considering both the literal and metaphorical interpretations, emphasizing discipline without necessarily resorting to physical punishment.*
13:28 *🔄 It's essential to establish the correct method or path (marga) for discipline, which may not always involve punishment (tadhan).*
15:10 *💡 Discipline should be focused on guiding behavior rather than resorting to physical punishment, as seen in the interpretation of the term "tadhan."*
17:22 *🤔 Understanding the context and interpretations of ancient texts like the Gautam Dharmasutra helps grasp the nuances of concepts like discipline (tadhan).*
18:09 *⚖️ The Gautam Dharmasutra outlines that punishment (tadhan) can include non-physical measures like social ostracism or verbal reprimand.*
19:52 *🎭 While discipline is emphasized in ancient texts like Natyashastra, it's essential to differentiate between its application in religious versus practical contexts.*
20:51 *🕵️♂️ In Hindu scriptures, the concept of punishment (tadhan) is broad, encompassing verbal admonishment (vakadan), withholding benefits (laguttaaran), and other non-physical measures.*
21:39 *🔨 Metaphorically, discipline (tadhan) is likened to tuning a musical instrument, requiring precision and careful adjustment.*
22:22 *⚖️ In ancient societies, even physical punishment (tadhan) adhered to principles outlined in religious texts, emphasizing severity relative to the offense.*
23:12 *🚸 The role of discipline (tadhan) extends beyond punishment to imparting values and guiding behavior, as elucidated by Jatashankar Dikshit in his commentary.*
24:08 *📚 Understanding the essence of education (shiksha) involves recognizing that it encompasses more than just academic learning, extending to imparting values and discipline.*
24:21 *🎵 Interpreting the phrase "dhol gawar shudra pashu nari" involves understanding the broader context and metaphorical meanings, beyond a literal interpretation of caste or gender.*
Made with HARPA AI
शूद्रं शब्द का मतलब तपस्वी है ।
यजुर्वेद मंत्र - तपसे शूद्रं ।
शूद्रं शब्द में बडे श पर बडे ऊ की मात्रा लगाकर अंक की बिंदी लगी है। यह बिंदी अवश्य लगानी चाहिए। अंक की बिंदी लगने से शूद्रन/ शूद्रण/ शूद्रम भी लिख बोल सकते हैं।
चारवर्ण चारकर्म चारविभाग जीविका विषय अनुसार उत्पादक निर्माता उद्योगण शिल्पकार ही शूद्रण है।
कर्म चार = = वर्ण चार = शिक्षण-ब्रह्म + सुरक्षण-क्षत्रम + उत्पादन-शूद्रम + वितरण-वैशम।
पांचवेजन जनसेवक दासजन नौकरजन सेवकजन भी इन्ही चतुरवर्ण चतुर कर्म विभाग में वेतनमान पर कार्यरत हैं। वेदमंत्र दर्शनशास्त्र ज्ञान विज्ञान विधान अनुसार और प्रत्यक्ष कर्म अनुसार प्रमाण हैं।
कुछ किताबो में शूद्रन का मतलब तपस्वी उत्पादक निर्माता उद्योगण ना लिखकर सिर्फ सेवक लिख कर गलती कर रहे हैं । शिक्षित द्विजन ( स्त्री-पुरुष) को सुधार कर बोलना लिखना चाहिए और सुधार कर प्रिंट करना चाहिए। अनुचित लेखन कर्म अनुचित बोलना लिखना वेद विरूद्ध करते रहते हैं आजकल अज्ञजन । लेखक प्रकाशक जन अज्ञानता में सुधार नहीं करते हैं।
द्विज और द्विजोत्तम भी अलग अलग हैं। चारो वर्ण कर्म विभाग वाले सवर्ण और असवर्ण होते हैं।
शूद्रण भी द्विज और पवित्र होता और चार वर्ण कर्म विभाग अनुसार उत्पादक निर्माता उद्योगण शिल्पकार तपस्वी होता है। जो द्विज तपश्रम उद्योग उत्पादन निर्माण कार्य करते हैं वे शूद्रण हो जाते हैं।
अशूद्र अब्राहण अछूत व्यभीचारी जुआरी नपुंसक चाटुकार होता है।
क्षुद्र पाशविक सोच रखकर जीने वाला होता है।
इस पोस्ट को कापी कर अन्य सबजन को लेखक प्रकाशक को भेजकर कर प्रिंट सुधार करवाएं।
महोदय,,, यहां नीच का अर्थ है कम ज्ञानी, काम अनुभवी आदि,,, जबकि आपने नीच चरित्र कहा।।। जो अनुचित जन पड़ता है🙏
शूद्रं शब्द का मतलब तपस्वी है ।
यजुर्वेद मंत्र - तपसे शूद्रं ।
शूद्रं शब्द में बडे श पर बडे ऊ की मात्रा लगाकर अंक की बिंदी लगी है। यह बिंदी अवश्य लगानी चाहिए। अंक की बिंदी लगने से शूद्रन/ शूद्रण/ शूद्रम भी लिख बोल सकते हैं।
चारवर्ण चारकर्म चारविभाग जीविका विषय अनुसार उत्पादक निर्माता उद्योगण शिल्पकार ही शूद्रण है।
कर्म चार = = वर्ण चार = शिक्षण-ब्रह्म + सुरक्षण-क्षत्रम + उत्पादन-शूद्रम + वितरण-वैशम।
पांचवेजन जनसेवक दासजन नौकरजन सेवकजन भी इन्ही चतुरवर्ण चतुर कर्म विभाग में वेतनमान पर कार्यरत हैं। वेदमंत्र दर्शनशास्त्र ज्ञान विज्ञान विधान अनुसार और प्रत्यक्ष कर्म अनुसार प्रमाण हैं।
कुछ किताबो में शूद्रन का मतलब तपस्वी उत्पादक निर्माता उद्योगण ना लिखकर सिर्फ सेवक लिख कर गलती कर रहे हैं । शिक्षित द्विजन ( स्त्री-पुरुष) को सुधार कर बोलना लिखना चाहिए और सुधार कर प्रिंट करना चाहिए। अनुचित लेखन कर्म अनुचित बोलना लिखना वेद विरूद्ध करते रहते हैं आजकल अज्ञजन । लेखक प्रकाशक जन अज्ञानता में सुधार नहीं करते हैं।
द्विज और द्विजोत्तम भी अलग अलग हैं। चारो वर्ण कर्म विभाग वाले सवर्ण और असवर्ण होते हैं।
शूद्रण भी द्विज और पवित्र होता और चार वर्ण कर्म विभाग अनुसार उत्पादक निर्माता उद्योगण शिल्पकार तपस्वी होता है। जो द्विज तपश्रम उद्योग उत्पादन निर्माण कार्य करते हैं वे शूद्रण हो जाते हैं।
अशूद्र अब्राहण अछूत व्यभीचारी जुआरी नपुंसक चाटुकार होता है।
क्षुद्र पाशविक सोच रखकर जीने वाला होता है।
इस पोस्ट को कापी कर अन्य सबजन को लेखक प्रकाशक को भेजकर कर प्रिंट सुधार करवाएं।
Wait till the end of the decade
Lair lair lair lair lair lair lair lair
Sir, हिंदी साहित्य में हमारे Sir ने बताया था कि चुकि पहले हस्त लिखित प्रतिलिपियां तैयार होती थी तो रचना में कई क्षेपक भी देखने को मिलते थे, कुछ लेखकों का कहना है कि ढोल, गवां र,क्षुद्रपशु, raari (कलह करने वाला)ऐसा लिखा था, पर लेखन त्रुटि के कारण शूद्र पशु नारी हो गया।मेरे विचार से हिन्दू समाज में वैमनस्य का प्रसार करने के लिए ही इस त्रुटि को जानकर ठीक नहीं किया गया
सनातन धर्म रक्षाबंधन त्योहार - भाई-बहन का प्यार।
भाई-बहन का प्यार है भैया।
रक्षा बंधन प्रेम त्यौहार है भैया।
बाँधूं तुम्हे प्रीत की डोर भैया।
बहन का ये प्रेम का शोर भैया।
कच्चे धागे में छिपा भाव भैया।
अलंकृत बहन का ख्वाब भैया।
भाई का फ़र्ज निभाना भैया।
बहन की लाज़ बचाना भैया।
वक्त पड़े तो काम आना भैया।
बंधन ना,कर्तव्य निभाना भैया।
जीवन में हमेशा खुश रहे भैया।
दोषों से यूं बचकर चलें भैया।
परिवार का मान रखना भैया।
जीवन में उदास न रहना भैया।
कर्तव्य पथ पर आगे रहो भैया।
परिवार में प्रेम भाव रखो भैया।
दिलीरिश्तों की क़दर करो भैया।
सबको अपनी बहन मानो भैया।
सुरक्षा न्याय बंधन दिवस की शुभकामनाएं भैया।वर्णजाति और वंशज्ञाति -
दोनो का मतलब समझना चाहिए।
विभाग/ पदवी ( वर्ण/जाति ) वाले शब्दों का प्रयोग जीविका पेशेवर कार्य करने वालों को पुकारने के लिए किया जाता है। जिविका विभाग पदवि वर्ग में कार्यरत जनों की सुरक्षा प्रबंधन के लिए विधि वर्णाश्रम संस्कार व्यवस्था प्रबंधन किया गया है । वैदिक सनातन ऋषि राजर्षि संसद जनों द्वारा निर्मित वर्णाश्रम प्रबन्धन संस्कार विधि-विधान नियम ज्ञान सबजन को प्राप्त करना चाहिए।
वंशज्ञाति गोत्र कुल शब्दों का प्रयोग विवाह सम्बन्ध रिश्ते नाते करने के लिए किया जाता है। विज्ञान सम्मत बेहतर समाज प्रबंधन के लिए द्विजन ( स्त्री पुरष ) के लिए चार आश्रम व्यवस्था के लिए नीति विधि को निर्मित किया गया है चार आश्रम परिवार कल्याण विधि-विधान नियम वैदिक ऋषि राजर्षि संसद द्वारा किया गया है।
चारवर्ण शब्द और चार आश्रम शब्द को मिलकर वर्णाश्रम शब्द का निर्माण किया गया है । मानव समाज को बेहतर बनाने के लिए वर्णाश्रम संस्कार विधान की की गई है
चार वर्ण कर्म विभाग =
1 - ब्रह्म वर्ण = ज्ञान विभाग = Education
2 - क्षत्रम वर्ण =सुरक्षा विभाग = Protection
3 - शूद्रम वर्ण =उत्पादन विभाग = Production
4 - वैशम वर्ण = वितरण विभाग = Distribution
पांचवेजन वेतनमान पर कार्यरत ऋषिजन जनसेवक ( दासजन ) नौकरजन सेवकजन भी इन्ही चतुरवर्ण में कार्यरत हैं ।
चार वर्ण = चार विभाग = कर्म चार l
1 - ब्रह्म वर्ण = ज्ञान शिक्षा चिकित्सा विभाग
2 - क्षत्रम वर्ण = ध्यान सुरक्षा न्याय विभाग
3 - शूद्रम वर्ण = उत्पादन निर्माण उद्योग विभाग
4 - वैशम वार्न = वितरण वाणिज्य व्यापार विभाग l
पांचवे वेतन भोगी दासज़न जनसेवक वर्ग भी इन्हीं चारों वर्ण विभाग कर्म को करते हैं l यही चारवर्ण पांचजन सनातन वेद दर्शनशास्त्र ज्ञान विज्ञान विधान व्यवस्था है l
हरएक द्विज़न ( स्त्री पुरष ) मुख समान ब्राह्मण हैं, बांह समान क्षत्रिय हैं, पेट समान शूद्रन है और चरण समान वैश्य है l चरण चलने से व्यापार वितरण क्रय विक्रय वाणिज्य वैशम वर्ण कर्म होता है इसलिए चरण समान वैश्य होता है l
चार वर्ण (विभाग) जीविका सुरक्षा के लिए सदा बने रहते हैं l इसलिए सनातन हैं l चार आश्रम उम्र आयु के सदा बने रहते हैं इसलिए सनातन हैं l
जैसे उम्र बदलने से आश्रम बदल जाते हैं वैसे ही कार्य को बदलने से वर्ण विभाग बदल जाते हैं। यही सत्य सनातन शाश्वत दक्ष धर्म संस्कार ज्ञान विज्ञान विधान है l
जिसको यह अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत पोस्ट समझ नहीं आती है तो वे बताएं अगर चरण नहीं चलेंगे तो कोई प्रोडक्ट समान एक स्थान से उठाकर क्रय कर दूसरे स्थान पर ट्रांसपोर्ट कर विक्रय वितरण कैसे होगा अर्थात वैश्य वर्ण कार्य व्यापार वितरण वाणिज्य क्रय विक्रय वित्त आढ़त कैसे होगा ?
पोस्ट निर्मिता बुद्ध प्रकाश प्रजापत।
जय विश्व राष्ट्र सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म। जय अखण्ड भारत। जय वसुधैव कुटुम्बकम। ॐ।
हे मानव जनो इस पोस्ट को कापी कर अन्य सबजन को उनकी सोच सुधार के लिए भेजते रहें ।
जय विश्व राष्ट्र दक्षराज वर्णाश्रम सनातन संस्कार।
बताओ चार वर्ण कर्म जैसे कि शिक्षण-ब्रह्म, सुरक्षण-क्षत्रम, उत्पादन-शूद्रम और वितरण-वैशम वर्ण कर्म किए बिना जीविकोपार्जन प्रबन्धन और समाज सुरक्षा प्रबंधन कैसे होगा?
बताओ किस राष्ट्र राज्य देश प्रदेश में चार वर्ण कर्म विभाग का प्रबंधन विधान किये बिना समाज संचालन हो रहा है?
बताओ चार वर्ण कर्म जैसे कि शिक्षण-ब्रह्म, सुरक्षण-क्षत्रम, उत्पादन-शूद्रम और वितरण-वैशम वर्ण कर्म किए बिना जीविकोपार्जन प्रबन्धन और समाज सुरक्षा प्रबंधन कैसे होगा?
बताओ किस राष्ट्र राज्य देश प्रदेश में चार वर्ण कर्म विभाग का प्रबंधन विधान किये बिना समाज संचालन हो रहा है?
असभ्य बकवास करना क्षुद्रक पाशविक सोच उजागर करना सवाल का जवाब नहीं होता है?
असभ्य बकवास करना दण्डनीय अपराध होता है।
Pranam sir , I have an doubt related to Varna vyavastha is shudra aur women's are allowed to study Vedas and the Varna vyavastha is based on karma or janam if shudra were not allowed to study Vedas then why , according to sanatan dharma karma is superior to decide your future then how Varna vyavastha decides one is Brahman is superior and shudra is not . So please this topic 🙏🏻.
Please provide English version for international audience.
सकल ताड़ना के अधिकारी
ढोल को ताड़िए तो धुन अच्छा।
गंवार को ताड़िये तो गुण में बढ़ोतरी।
पशु को ताड़िए तो उपयोगिता उसका बढ़ जाएगा।
शुद्र को ताड़िए गुणवान हो जायेगा।
नारी को ताड़िए गुणवती हो जायेगी।
Tujhe tadane pr tere dimag ka gobar nikalega ......jb gawar likha hi hai to fir stree aur shudra kyu hai be...bata jara
@@sindhuyadav8890 ढोल , पशु और नारी जातिवाचक , गंवार (उज्जड़/मूढ) और शूद्र (गुणहीन) गुणवाचक है।
आप न तो गंवार हो न ही शुद्र। आप नारायण श्री कृष्ण जी के धरोहर हो, फिर ये अब्राह्मीक भाषा क्यों?
@@santoshjha920 brahmin ko bhi tadne ki zarurat thi kam se jativad doorth to na bante lekin kya kar unko todne ki nahi pratdana ki zarurat hai tabhi ye doorth sudrenge
@@Patr600 आ गए न झांसे में।
ब्राह्मण जो सदैव दूसरे के लिए त्याग और बलिदान देते रहे,उसे भी ताड़ने की बात जातिवाद के नाम पर दे रहे हैं।
यही तो वे चाहते हैं,।
यानी जातिवाद का आधिकारिक रूप 1881 के बाद शुरू हुआ ब्रिटिश द्वारा, शोध पत्र, इतिहास लेखन में जाति घुसेड़ना शुरू हो गया।
@@Patr600
Tu jab ye bolega jaker ki tu apni Maa ko Pyaar karta hai ....
Toh uska kya karth lena chahiye ki tu apni Maa ko bistar pe ch00dne Jata h.
Lekin yahi arth teri gf k saath lagau ki tu teri gf se Pyaar karta hai ...Iss Pyaar me Ch00dne wala arth laga saktey h ...
Bus Pyaar Ka bhi arth alag alag lagta hai waise hi tadna ka arth lagega hope it clarifies your doubt
Aaj ke iss scientific yug mein profession kee kaun kaun see categories ko 'Shoodr' maane? Yah baat kaun decide karega ya kaun certify karega ki kaun kaun kaunse 'Varnrn' mein rakhe jaayein? Aaj Hindu hain, Muslim hain. Christian hain. Buddhist hain. Sikh hain. Koi Jain. Koi Zoroastrian. Koi Cathedral to koi Orthodox. Koi Shia. Koi Sunni. Koi Jews. Tulsidaas Jee kee yah chaupaayi kahaan kahaan fit kee jaaye, yah bhee bataao. Hinduo ke alaava 'Shoodron' ko kaese identify karvaaoge?
I would say that those chaupais are problematic even after what RCM has said about Purohits
These writings in Shastras and even RCM somewhat give a sense of how patriarchal our society was in those times
I agree we shouldn't be comparing or analysing the previous age societies based on today's standards but we also shouldn't be talking about 'Hindu Shastro mai yeh likha hai toh uss tarah vyahvar karo"
I feel Hinduism is dynamic and we should take from the Shastras whatever is relevant and rational in today's society
Not outright rejection of the Shastras and not complete acceptance as well
Somewhat felt that the video was apologia for what was written in RCM
Kya RCM padha bhi hai,,,angrezi mein kuch bhi baak diya !!!
Much appreciation