किसी भी रचियेता के कथन को उस समय की सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक परिस्थितियों के आधार पर आंकना चहिए, फिर चाहे वो कबीर हो या तुलसी दास जी। आपकी प्रस्तुति बहुत अच्छी है। धन्यवाद 🙏🙏🙏🙏🙏
अच्छा विश्लेषित किया है आपने,वास्तव में यह तत्कालीन परिस्थितियों पर आधारित लेख और साहित्य हैं,कबीर की रचनाओं में कुछ नारी के विपक्ष में उल्लेख है किन्तु तुलसी की रामचरित मानस में गँवार,शूद्रों,पिछड़ी जाति के लोगों और नारी के बारे में उल्लेख मिलता है,अब प्रश्न उठता है कि तुलसी का ही विरोध क्यों?कबीर का विरोध क्यों नहीं? तुलसी ने अपनी रचना में राम को भगवान घोषित कर दिया,अन्तर्यामी घोषित कर दिया जिस कारण उनका लिखा ग्रंथ भगवान से सम्बन्धित ग्रंथ प्रचारित किया गया लोगों ने इसे भगवान से सम्बन्धित ग्रंथ माना और अधिसंख्य लोगों ने पढ़ा जबकि कबीर के दोहे कम लोगों की पहुँच में रहे,कबीर के दोहे नारियों तक कम या न के बराबर पहुँच पाये जिस कारण कबीर का विरोध नहीं हुआ,यदि रामचरित मानस की तरह आम इंसान भी कबीर के दोहे पढ़ता तो जो दोहे स्त्रियों के विरोध में थे उनके लिये उच्च शिक्षित नारियाँ उनका विरोध अवश्य करतीं यदि नारी के विपक्ष में कबीर के द्वारा कुछ दोहों को छोड़ दिया जाये तो कबीर काफी प्रासंगिक हैं और उन्होंने अंधविश्वास,ढोंग और पाखण्ड को अपनी रचनाओं में स्थान नहीं दिया बल्कि उनके रचित दोहे आज भी इतने प्रासंगिक हैं वे वास्तविकता पर खरे उतरते हैं,तुलसी के द्वारा रचित रचनाओं में उनका विरोध इसलिये भी सहसा हो जाता है कि कुछ पुरुष प्रधान मानसिकता वाले लोग जब नारी को नीचा दिखाना चाहते हैं या जातिवादी मानसिकता के लोग शूद्र और पिछड़ी जातियों के लोगों को आज भी इस वैज्ञानिक युग में नीचा दिखाने का प्रयास करते हैं तो वे यह कहते सुने जाते हैं/सुने जा सकते हैं कि तुम्हारे बारे राम चरित मानस में तुलसीदास जी ने स्पष्ट लिखा हुआ है फिर तुम श्रेष्ठ कैसे हो सकते हो? आज तमाम धर्म गुरुओं,उच्च शिक्षित लोगों,अध्यापन के कार्य को करने वाले जनरल समाज के लोगों द्वारा इस प्रकार जन सामान्य को जागरूक किया जाना चाहिए कि कबीर और तुलसी ने देश काल परिस्थितियों के अनुसार तत्कालीन परम्पराओं के अनुसार अपनी रचनाओं को लिखा या रचा था,वे कवि थे उनकी कल्पनायें अनन्त हो सकती हैं,कवियों के बारे में यह कहावत तो सारे भारत में प्रचलित है कि "जहाँ न पहुँचे रवि,वहाँ पहुँचे कवि" सूरज पृथ्वी से व्यास के हिसाब से लगभग 109 गुना बड़ा है और पूरे क्षेत्रफल की दृष्टि से 13 लाख बयानबे हजार गुना बड़ा है यह वैज्ञानिक दृष्टिकोण है,इतने बड़े सूरज को जो आग और गैस का गोला है और पृथ्वी से इतना बड़ा है और उसका तापमान लगभग 5250 डिग्री सेल्सियस से भी अधिक है लेकिन कवि की कल्पना है कि उसका पात्र हनुमान उस सूरज को वर्तमान में निगल जाता है यह काव्यात्मक दृष्टिकोण है,कवि को उसकी कल्पना से कोई भी नहीं रोक सकता,वर्तमान में ऐसा बिल्कुल भी नहीं है,काल और परिस्थितियों में परिवर्तन हो चुका है,सब जन्म लेने के एक मार्ग से जन्म लेते हैं,एक ही पद्धति के अनुसार सबका जन्म होता है,जिसका जन्म हुआ है उसकी मृत्यु निश्चित है,प्रत्येक के जन्म की,गर्भधारण की एक ही विधि है,सभी एक ही परमपिता ईश्वर की संतान हैं,सभी समान हैं लिहाजा कबीर की और तुलसी की जिन रचनाओं के कारण विवाद होता है उन्हें वर्तमान के परिप्रेक्ष्य में न देखें और आपसी प्यार,प्रेम,सौहार्द और भाईचारा बनाकर रहें।
त्रुटि सुधार:-मेरी प्रतिक्रिया के द्वितीय प्रस्तर की तेरहवीं पंक्ति में सूरज को वर्तमान में निगल जाता है टंकित हो गया है वहाँ "वर्तमान" के स्थान पर "बचपन" पढ़ें जाने की कृपा करें।
जगद्गुरु श्री रामभद्राचार्य जी के प्रकाण्ड शिष्य श्री नित्यानन्द मिश्र जी को मेरा वारंवार नमन, आभार तथा साधुवाद! 🙏 आप ऐसे ही सनातनियों का मार्गदर्शन नित्य करते रहिये।🚩🙏🚩🙏
सत्य नाम जो मनुष्य नारी की निंदा या नीच या ग़लत शब्द बोलता है उन सभी पुरूषों से मेरी बस इतनी सी प्रार्थना है कि वह संसार में एक भी पुरूष चाहे इस संसार में आकर संत बने या फिर राम कृष्ण महावीर बुद्ध नानक तुलसी कोई बने एक भी बिना नारी के एक भी पुत्र पैदा करके दिखा दे तो मैं उस पुरूष को ही इस संसार का भगवान होगा ।नारी से निकलकर पुरूष नारी को ही कलंकित करता है । नर नारी सभी समान है। उसके स्वंय के अंदर भी एक नारी विराजमान हैं जिसे सुरति कहते हैं । और हर औरत के अंदर उसका पिता परमेशवर बैठा है जिसे वह बाहर कि दुनिया में भगवान के रूप में दर दर मंदिर मंदिर ढूंढते फिर रहे हैं । सत्य नाम
पुरातन सनातन दक्षधर्म संस्कार ज्ञान- हे मनुष्य ! बलपूर्वक जो दिया जाए, बलपूर्वक भोग किया जाए, बलपूर्वक लिखवाया जाए और जो जो बलपूर्वक कर्म किये जाए वे नहीं करने चाहिए। एसा विधिनियम मनु महाराज ने कहा है। संस्कृत श्लोक विधिनियम- ॐ बलाद्दतं बलाद् भुक्तं बलाद्याच्चापि लेखितम् l सर्वान्बलकृतानर्थानकृतान्मनुरब्रवीत् ।। वैदिक मनुस्मृति धर्मशास्त्र। । जय विश्व राष्ट्र पुरातन सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म वर्णाश्रम संस्कार।। ॐ।।
Bilkul anuj vadhu bhagni shut naari sun sath kanya Sam ye chari inhe kudrishti viloke jinahi tahe badhe kachu paap na hoi tulsi das ji to nari par kudrishti karne wale ko mritu dand dene ki baat kar rahe hai
अरे भैया ! आजकल के लोग तुलसीदास और कबीर जी की गहराई अपने limited दिमाग के तराज़ू में देखते हैं। उनकी गहराई तक जाना इतना आसान थोड़ी है साहब। दोनों महापुरुषों ने इस संदर्भ में बात की थी कि : "अगर पुरुष के दिमाग में केवल नारी हो, और नारी के दिमाग में जब गलत कामना हो ।" हमेशा एक ही संदर्भ में बात नहीं लेनी चाहिए क्योंकि दोनों महापुरुषों ने पतिव्रता नारी, मां, बहन, आदर्शवादी नारी की बड़ाई भी की है जब नारी अपने अच्छे चरित्र में ढली हुई होती है। आज का इंसान बिना आध्यात्मिक अनुभव के, दुनियावी ज्ञान के ज़रिए गहरे अध्यात्म को judge करता है। ये तो वही बात हुई कि singing के reality show में करण जौहर judge । ख़ैर, ज्यादा लंबा क्या लिखना। समझदार को इशारा काफ़ी । पढ़ने का नज़रिया और गहराई मायने रखती है। धन्यवाद । 🙏
यदि शुद्ध ज्ञान प्राप्त करना चाहते हैं तो हमें वेदों की शरण में जाना चाहिए। महर्षि दयानंद सरस्वती कृत सत्यार्थ प्रकाश पढ़ें और श्रेष्ठ अर्थात् आर्य बने ।। ओ३म् ।।
शरीर के अंदर पति होता है मन । जोरू होती हैं आसक्ति । जो लोग आसक्ति में पड़े हुए रहते हैं वो लोग धर्म और अधर्म न विचार करते हुए लालच में पड़े रहते हैं ।
Nari ninda is not for the sake of censuring women. All Sadhaks in order to enjoin celibacy during sadhana period have stressed this one. Everywhere here, the text should be meant only for Sadhaks not for ordinary people. Na hi ninda nyaya applies here. Tatparya is not in ninda but enjoining celibacy only. Kabir' s mentioning one should not to be even in the company of one's mother and sister when one is in solitude is from Manu Smriti. In the section dealing with Brahmacharins' conduct it is instructed. So we have to understand the context first, before jumping into conclusions. Nowadays many people without knowing the rules of interpretation, take out meanings from their dull brains. Society is going in a very wrong direction.
Misogyny has been common to all these so called saints.... Hope they are reaping the fruit ... Sanatan dharma treats everyone as soul..no discrimination 🙏
Sir, we can still ask- what type of women, are these two saints talking about? They may not be talking about householder women in normal society, but about women who work as courtesans and temptresses. In liberal countries like US, women willingly take up jobs as strippers, where men go and splurge money, and spoil themselves. People have no issues with that.
निवण प्रणाम सा। उसे समय यथार्थ बोलने व सुनने वाले थे। आज हर व्यक्ति अपने मन के अनुकूल करना व सुनना चाहता है। आजकल के शास्त्रों ज्ञान अनुसार गुरुमुखी नहीं है सभी मनमुखी है और अपने अपने मन के क्रिया कर्म ही धर्म मानते हैं। कल्याण कैसे होगा भगवान ही जाने। ओउम् विष्णु नमः। हरि ॐ विष्णु शरणम्। जय गुरु जंभेश्वर
Dhanyawad, ek Bhajan ka bhaav bhahut achha hai ,jisne bhi likha hai, prabhooji more avgun chit na dharo,,iss poore Bhajan me Jo kaha gaya hai,bahut uttam wa pavitra hai,, nar wa nari kisne srajan Kiya, ye wo hi Jaane, Kaun Kitna shubh ya ashubh hai ,aur kyon hai ,,
नारी बुराई की खान कभी नहीं, तुलसीदास जी सीता माता, की इतनी प्रशंसा करते हैं, माता कौशल्या और सभी माता की इतनी वात्सल्य की बातें हैं, फिर नारी की निन्दा कैसे तुलसीदास जी ने की, यह तो ग़लत है।
आप जो व्याख्या दे रहे हैं वह अपनी ओर से सुंदर व्याख्या दे रहे हैं परंतु साहेब कबीर ने जो नारी की जो चर्चा की वह आध्यात्मिकता मैं को वह आध्यात्मिक मत में पुरुष के लिए नारी और नारी के लिए पुरुष दोनों ही इस रास्ते में अडचन अर्चना है लेकिन तुलसीदास जी ने जो ढोललिया है वह बिना पीटेआवाज नहीं कर सकता उसके साथ जोड़ा है इसलिए यह निदनीये है
- यदपि मैं कबीर के बारे में बहुत अधिक नहीं जनता था/हु, तथापि ऐसे विचार सुनने के बाद मेरी दृष्टि में वे गिर गए है। - जो भी मुर्ख, इन नारी गृह्णा वचनों का समर्थन कर रहे है, सनातन में प्रकृति (पार्वती जी) के बिना पुरुष (शिव जी) की प्राप्ति नहीं होती।
अरे ये दोहे ब्रह्मचारी लोगों को नारी से दूर रखने के लिये हैं। कोई घृणा-वृना नही करते थे। वैसे तो आदि शंकराचार्य जी ने भी कहा भज गोविंदम में- का ते कान्ता कस्ते पुत्र, तो क्या पत्नी और पुत्र कोई काम के नहीं। वो तो बस मोह छूराने के लिए ऐसा बोलते हैं।
Many thanks for this knowledge. I lost all the respect for Kabir. So much hate...i was disappointed by Tulsi das but now i feel that era was bent on only diminishing women...i feel very thankful to our ancestors who survived these hatemongers. Inspite of all this our sanatan did not stop worshipping Devi....huge gratitudes to our ancestors.
@Aman Jha"are bhai ji 🙏Wahan par Tadna ka arth Dekhna nahi liya hai apke kisi bhi vidvaan ne woh Pehle bhi yeh baat bata chuke hain aur apne man se arth mat ghuseda Karo Ek Dictionary dikhao jahan par Tulsi Shabdawali- Tulsi Shabdsagar, Tulsi Shabd Kosh mein "Tadan" ka Arth "Dekhna"ho aise kahin bhi apne man se kuch bhi arth Ghused doge kya aur iss traha ki batein Sabhi sahitya mein milti hain kyonki inn baton ka Sankalan karne wale Ek hi mat ke hain🙏"
मौर्य जी और आप दोनों ही समान हैं एक संत तुलसीदास जी को नहीं समझा और एक संत कबीर को . अज्ञान . आप कबीर की बात कर रहें है तो जहां जहाँ नारी, कामिनी शब्द आया है वहाँ पर कामना या इच्छा मे परिवर्तित कर लीजिए . अर्थ स्पष्ट हो जाएगा 🙏
Quran 4:34 : " Beat Your women if they dont listen to you " Men are the caretakers of women, as men have been provisioned by Allah OVER women and tasked with supporting them financially. And righteous women are devoutly obedient and, when alone, protective of what Allah has entrusted them with.1 And if you sense ill-conduct from your women, advise them ˹first˺, ˹if they persist,˺ do not share their beds, ˹but if they still persist,˺ then discipline ( beat )them . Surely Allah is Most High, All-Great.
Tau jab samudra bol raha tha ram chup kyu tha bola kyu nhi,ram ki nari bhi toh agayi na usme ? Yehe apke ram😂🤣wahi kabir ji ka bole toh kabir ladkiyo ka satkar bhi Kiye hai bijak padho samaj aayega
@@digersen6648 हंसने से पूर्व अपने जीवन में कभी पवित्रता और सत्य के प्रति ज्ञिज्ञासा तो उत्पन्न कर के देखो तभी आध्यात्मिक रहस्य और भाव समझ में आते हैं अन्यथा पूरा जीवन दोषों खोजने में ही नष्ट हो जाता है।
Toh phir dohe me bhraman,kshatriya aur waisya kyu nhi hai phir sirf shudra aur nari hi tadna ka adhikari hai wa Bhai aap toh brainless najar ateho wa rational Bano andbhakti chodo🙏
@@digersen6648 rational वनने का अर्थ यह नहीं होता है कि धर्म और धार्मिक आदमी का हमेशा विरोध किया जाये और तुम को बहुत सारे धार्मिक ग्रन्थों में से बस यही एक चौपाई मिली जिस से तुम धर्म में गलतियाँ निकाल रहे हो ? इतने अधिक धार्मिक ग्रन्थ हैं तुम उन से भी तो कुछ ऊँची शिक्षा ले सकते हो। धर्म ही आदमी का सब कुछ होता है। धर्म है तो आदमी सही है वरना धर्म से दूर होते ही आदमी अज्ञानी होकर पापी और राक्षस वन जाता है। धर्म ही वह होता है जो केवल सच कहता है, इस दुनिया में यदि तुम को किसी पर पूरा विश्वास करना है तो धर्म पर ही करो क्योंकि धर्म से अधिक सच्चा और इमानदार कोई है ही नहीं। मनुष्य झूठ कहता है, धर्म तो हमेशा सच्चा और सही ही होता है। धर्म को समझो। धर्म को नकार के धर्म से दूर मत हो जाओ। तुम को लगता है कि जो कुछ तुम सोचते हो, करते हो वह सब सही है या नहीं ? आदमी झूठ कहता है, लापरवाही करता है, भटकता है, बुरा काम भी करता है, आदमी को कौन वतायेगा कि क्या सही है और क्या सही नहीं है ? धर्म ही तो वतायेगा। अभी तुम धर्म को छोटा समझ रहे हो क्योंकि अभी तुम जिन्दा हो लेकिन मौत एक दिन सब कुछ छीन लेगी तब तुम क्या करोगे ? तब तुम्हारे क्या काम आयेगा ? मौत तो शरीर छीनती है, घर - पैसा - नौकरी - भोजन - कपड़े - बच्चे - गाड़ी छीनती है, मौत सब कुछ हम से और तुम से छीन लेगी, तब तुम क्या करोगे ? कैसे मौत को हराओगे ? क्या काम आयेगा मौत के पहले ? धर्म ही काम आयेगा और कोई काम नहीं आयेगा। आज जो तुम्हारे साथ लोग हैं, वो तुम्हारे काम नहीं आयेंगे बल्कि धर्म ही काम आयेगा। धर्म को जानने की लालसा तो जगा कर देखो। आदमी का सबसे वड़ा दोस्त धर्म ही है और कोई नहीं है। धर्म को समझने के लिये आचार्य प्रशान्त यूट्यूब चैनल को देखो, तुम को धर्म का सही स्वरूप समझ में आयेगा।
@@धर्म्मभक्त kaal niranjan ke lok me koi dharm nhi hai kooch bhi karlo kaal niranjan key mu mehi jaogay jara acharya Prashant ji se pucho wau toh kabir ji ko adarsh Mante hai wahi kabir ji ne yahi gyan diya hai jise atamgyan kahete hai jab tak satnaam nhi milega Kaal niranjan kisiko nhi chodta aap jara Nitin das ji ke satsang suno samaj mein ayega sab try kijiye ek bar acharya Prashant ji ko bhi sunta hu mein Kaal niranjan wauhi bhrahm hai jiski baat acharya Prashant karte hai jo ki tume hi khata hai jara satsang suno phir conclusion pata lagao kya hai Vivek lagao 1-50 tak aap satsang suniye wichar wiwarsh kijiye kya sahi aur kyaa galat
Sir कबीर जी के दोहो का अर्थ निकालना आसान काम नहीं है, कहाँ से उठाया, किस सन्दर्भ मे ये दोहे कहे गए है, ये जानना जरूरी है,उनके ग्रन्थ को कबीर सागर कहा गया है, सागर को समझना इतना आसान नहीं है.
Yaha rari se matlab prakriti(tamo gun,rajo gud aur sato gud)Maya se hai.mystic way of expression. Kabir shareer se nar aur naree se bahut upar.aesa Mera interpretation hai.
जितने दोहे आपने बतायें है उनमें से कुछ कबीर साहेब के कहे हुए हैं बाकी आप कहाँ से लाये हैं हमें नहीं पता पहली बात तो ये हैकि आपने इनका अर्थ सही नहीं लगा पाये कबीर साहेब के ग्रंथों को पढ़ो तब उनके शब्द साखी रमैनी हिंडोला के अर्थ बिना गुरु के ज्ञान नहीं मिलता कबीर साहेब ने कहा है पोथी पढ़ पढ़ जग मुआ पंडित भयौ न कोय ।ढाई आखर प्रेम का पढ़े सो पंडित होय ।। महंत सुन्दर दासपनकाआश्रम कानपुर नगर पोस्ट भौती थाना पनकी कानपुर नगर का रहने वाला हूं अपना कबीरपंथ आश्रम है साहेब बंदगी साहेब राम राम राम जी आप को परमात्मा सलामत रखें धन्यवाद सरजी ।
Nice effort to show the mirror to this hypocritical society. People with an agenda obviously won't be swayed by any logic or discussion. Expect to see more similar issues being brought up to firm up vote banks and privileges while targeting specific groups. Soon, sabko milegi aazadi "patriarchy" se, just like our liberal and feminist neighbours.
संत कबीर अपने जैसे ही हर पुरुष का मन समझते हैं, हर पुरुष कबीर नहीं है, अच्छा बुरा गुण अवगुण दोनों में ही होते हैं, पुरुष और नारी दोनों को ही अवगुणों से दूर होने की जरूरत है, ना कि पुरुष या महिला से दूर रहने की.
Maine "Bodh Dharm mei jaativad" pe ek detailed video banaya hai, jisme maine Bodh samaaj aur Bodh granth se examples diyen hain... Ye Keshav Prasad kabhi bhi
नारी निंदा ना करे, नारी रतन की खान।
नारी से नर होत है, ध्रुव प्रहलाद समान ।।
मेरे lvde jaisa
❤
कबीर दासजी के नारी के प्रति ऐसे वचन को सुनकर स्तब्ध हूं
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति। अनेको साधुवाद।।
पूरा साहित्य कबीर जी का अपने अनुभव पर आधारित है कहीं से लिया नहीं गया
Bhai anubhav se hi log apne vichar rakhate hai
Yes kyoki stree ko max log vasana ki drasti se dekhate jissse bhakti mukti me badha ho sakti hai per sabhi ke liye sahi nahi hai
बहुत सुंदर आदरणीय मिश्र जी
कबीर साहब के सभी दोहे और सारा ही साहित्य आध्यात्मिक है उसे आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखने और समझने की आवश्कता है ।
श्री राम चरित मानस भी तो अध्यात्मिक है
Achaa baaki adhyatmik nhi hai wahh hypocrisy
ये लोग शब्दों से खेलने वाले हैं। अध्यात्म का इन्हें कुछ पता नहीं है।
अति सुन्दर, सटीक , दुर्लभ ज्ञान। व्याख्यान दिया।🙏🙏 धन्यवाद।
किसी भी रचियेता के कथन को उस समय की सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक परिस्थितियों के आधार पर आंकना चहिए,
फिर चाहे वो कबीर हो या तुलसी दास जी।
आपकी प्रस्तुति बहुत अच्छी है।
धन्यवाद 🙏🙏🙏🙏🙏
Pinki tuje kase lgie ye couples
अच्छा विश्लेषित किया है आपने,वास्तव में यह तत्कालीन परिस्थितियों पर आधारित लेख और साहित्य हैं,कबीर की रचनाओं में कुछ नारी के विपक्ष में उल्लेख है किन्तु तुलसी की रामचरित मानस में गँवार,शूद्रों,पिछड़ी जाति के लोगों और नारी के बारे में उल्लेख मिलता है,अब प्रश्न उठता है कि तुलसी का ही विरोध क्यों?कबीर का विरोध क्यों नहीं? तुलसी ने अपनी रचना में राम को भगवान घोषित कर दिया,अन्तर्यामी घोषित कर दिया जिस कारण उनका लिखा ग्रंथ भगवान से सम्बन्धित ग्रंथ प्रचारित किया गया लोगों ने इसे भगवान से सम्बन्धित ग्रंथ माना और अधिसंख्य लोगों ने पढ़ा जबकि कबीर के दोहे कम लोगों की पहुँच में रहे,कबीर के दोहे नारियों तक कम या न के बराबर पहुँच पाये जिस कारण कबीर का विरोध नहीं हुआ,यदि रामचरित मानस की तरह आम इंसान भी कबीर के दोहे पढ़ता तो जो दोहे स्त्रियों के विरोध में थे उनके लिये उच्च शिक्षित नारियाँ उनका विरोध अवश्य करतीं यदि नारी के विपक्ष में कबीर के द्वारा कुछ दोहों को छोड़ दिया जाये तो कबीर काफी प्रासंगिक हैं और उन्होंने अंधविश्वास,ढोंग और पाखण्ड को अपनी रचनाओं में स्थान नहीं दिया बल्कि उनके रचित दोहे आज भी इतने प्रासंगिक हैं वे वास्तविकता पर खरे उतरते हैं,तुलसी के द्वारा रचित रचनाओं में उनका विरोध इसलिये भी सहसा हो जाता है कि कुछ पुरुष प्रधान मानसिकता वाले लोग जब नारी को नीचा दिखाना चाहते हैं या जातिवादी मानसिकता के लोग शूद्र और पिछड़ी जातियों के लोगों को आज भी इस वैज्ञानिक युग में नीचा दिखाने का प्रयास करते हैं तो वे यह कहते सुने जाते हैं/सुने जा सकते हैं कि तुम्हारे बारे राम चरित मानस में तुलसीदास जी ने स्पष्ट लिखा हुआ है फिर तुम श्रेष्ठ कैसे हो सकते हो?
आज तमाम धर्म गुरुओं,उच्च शिक्षित लोगों,अध्यापन के कार्य को करने वाले जनरल समाज के लोगों द्वारा इस प्रकार जन सामान्य को जागरूक किया जाना चाहिए कि कबीर और तुलसी ने देश काल परिस्थितियों के अनुसार तत्कालीन परम्पराओं के अनुसार अपनी रचनाओं को लिखा या रचा था,वे कवि थे उनकी कल्पनायें अनन्त हो सकती हैं,कवियों के बारे में यह कहावत तो सारे भारत में प्रचलित है कि "जहाँ न पहुँचे रवि,वहाँ पहुँचे कवि" सूरज पृथ्वी से व्यास के हिसाब से लगभग 109 गुना बड़ा है और पूरे क्षेत्रफल की दृष्टि से 13 लाख बयानबे हजार गुना बड़ा है यह वैज्ञानिक दृष्टिकोण है,इतने बड़े सूरज को जो आग और गैस का गोला है और पृथ्वी से इतना बड़ा है और उसका तापमान लगभग 5250 डिग्री सेल्सियस से भी अधिक है लेकिन कवि की कल्पना है कि उसका पात्र हनुमान उस सूरज को वर्तमान में निगल जाता है यह काव्यात्मक दृष्टिकोण है,कवि को उसकी कल्पना से कोई भी नहीं रोक सकता,वर्तमान में ऐसा बिल्कुल भी नहीं है,काल और परिस्थितियों में परिवर्तन हो चुका है,सब जन्म लेने के एक मार्ग से जन्म लेते हैं,एक ही पद्धति के अनुसार सबका जन्म होता है,जिसका जन्म हुआ है उसकी मृत्यु निश्चित है,प्रत्येक के जन्म की,गर्भधारण की एक ही विधि है,सभी एक ही परमपिता ईश्वर की संतान हैं,सभी समान हैं लिहाजा कबीर की और तुलसी की जिन रचनाओं के कारण विवाद होता है उन्हें वर्तमान के परिप्रेक्ष्य में न देखें और आपसी प्यार,प्रेम,सौहार्द और भाईचारा बनाकर रहें।
त्रुटि सुधार:-मेरी प्रतिक्रिया के द्वितीय प्रस्तर की तेरहवीं पंक्ति में सूरज को वर्तमान में निगल जाता है टंकित हो गया है वहाँ "वर्तमान" के स्थान पर "बचपन" पढ़ें जाने की कृपा करें।
Bahut Sundar jawab
ऐसी विचार-गोष्ठी, चर्चा, और विश्लेषण की आज के समाज में नितांत आवश्यकता है
धन्यवाद गुरू जी
Guru ji aapki aawaz bahut madhur h aapne bari aachi shiksha di dhanyawad 🙏🙏
सादर अभिवादन,आप पर हम भारतीयों को गर्व है।
जगद्गुरु श्री रामभद्राचार्य जी के प्रकाण्ड शिष्य श्री नित्यानन्द मिश्र जी को मेरा वारंवार नमन, आभार तथा साधुवाद! 🙏
आप ऐसे ही सनातनियों का मार्गदर्शन नित्य करते रहिये।🚩🙏🚩🙏
आपने बड़ी सुंदर ढंग से कबीर जी के दोहे का विश्लेषण करते हुए सभी तुलनात्मक रूप से प्रस्तुति की है धन्यवाद
बहुत अच्छी प्रस्तुति। इसी प्रकार आप ज्ञान वर्धन करते रहने की कृपा करें।
Vikash divKirti jaise log inn par kuchh nahi bolte
Doglapan 😂😂
आपने सनातन द्रोहियों को मुंहतोड उत्तर दिया है। साधुवाद
सत्य नाम
जो मनुष्य नारी की निंदा या नीच या ग़लत शब्द बोलता है उन सभी पुरूषों से मेरी बस इतनी सी प्रार्थना है कि
वह संसार में एक भी पुरूष चाहे इस संसार में आकर संत बने या फिर राम कृष्ण महावीर बुद्ध नानक तुलसी कोई बने एक भी बिना नारी के एक भी पुत्र पैदा करके दिखा दे तो मैं उस पुरूष को ही इस संसार का
भगवान होगा ।नारी से निकलकर पुरूष नारी को ही कलंकित करता है । नर नारी सभी समान है। उसके स्वंय के अंदर भी एक नारी विराजमान हैं जिसे सुरति कहते हैं । और हर औरत के अंदर उसका पिता परमेशवर बैठा है जिसे वह बाहर कि दुनिया में भगवान के रूप में दर दर मंदिर मंदिर ढूंढते फिर रहे हैं ।
सत्य नाम
जी आप बहुत अच्छा ग्यान दे रहे हों..धन्य हो गए हम
पुरातन सनातन दक्षधर्म संस्कार ज्ञान-
हे मनुष्य !
बलपूर्वक जो दिया जाए, बलपूर्वक भोग किया जाए, बलपूर्वक लिखवाया जाए और जो जो बलपूर्वक कर्म किये जाए वे नहीं करने चाहिए। एसा विधिनियम मनु महाराज ने कहा है।
संस्कृत श्लोक विधिनियम-
ॐ बलाद्दतं बलाद् भुक्तं बलाद्याच्चापि लेखितम् l सर्वान्बलकृतानर्थानकृतान्मनुरब्रवीत् ।। वैदिक मनुस्मृति धर्मशास्त्र। ।
जय विश्व राष्ट्र पुरातन सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म वर्णाश्रम संस्कार।। ॐ।।
Kabir das to CHAD nikle . 🤣🤣😂
Tulsidas ji to bohot samman karte hai nari ka .
Bilkul anuj vadhu bhagni shut naari sun sath kanya Sam ye chari inhe kudrishti viloke jinahi tahe badhe kachu paap na hoi tulsi das ji to nari par kudrishti karne wale ko mritu dand dene ki baat kar rahe hai
अरे भैया ! आजकल के लोग तुलसीदास और कबीर जी की गहराई अपने limited दिमाग के तराज़ू में देखते हैं। उनकी गहराई तक जाना इतना आसान थोड़ी है साहब। दोनों महापुरुषों ने इस संदर्भ में बात की थी कि :
"अगर पुरुष के दिमाग में केवल नारी हो, और नारी के दिमाग में जब गलत कामना हो ।"
हमेशा एक ही संदर्भ में बात नहीं लेनी चाहिए क्योंकि दोनों महापुरुषों ने पतिव्रता नारी, मां, बहन, आदर्शवादी नारी की बड़ाई भी की है जब नारी अपने अच्छे चरित्र में ढली हुई होती है। आज का इंसान बिना आध्यात्मिक अनुभव के, दुनियावी ज्ञान के ज़रिए गहरे अध्यात्म को judge करता है। ये तो वही बात हुई कि singing के reality show में करण जौहर judge ।
ख़ैर, ज्यादा लंबा क्या लिखना। समझदार को इशारा काफ़ी ।
पढ़ने का नज़रिया और गहराई मायने रखती है। धन्यवाद । 🙏
❤❤❤
यदि शुद्ध ज्ञान प्राप्त करना चाहते हैं तो हमें वेदों की शरण में जाना चाहिए। महर्षि दयानंद सरस्वती कृत सत्यार्थ प्रकाश पढ़ें और श्रेष्ठ अर्थात् आर्य बने ।। ओ३म् ।।
अद्भुत ।।
can you pls make a video or series of videos on Vedanta (Advaita, Dvaitadvaita, Vishishtadvaita, Tattvavada, Suddhadvaita)
Bahut badhiya 🙏😊
You are best sir. You show real history sir. Make some more video on Buddha
sanatan samiksha channel dekho
@@manujip right
Yes buddha supporters never want to talk about buddhas dark side but they want to criticize loud on sanatan
@@manujip ku tu dekh tu hai na sanatan virodhi
@@thevinayak1866Buddha never said anything like that, the book mentioned in this video is not taken seriously by Buddhist themselves.
Apka bahut bahut dhanyvad
Just Love Your Voice And Ways You Explain The Topics ❤❤❤
यहाँ विषय भोग में आसक्त हैं उसकी निन्दा की गईं हैं, न की नारी के स्वरूप की।
ये ढोंगी ये नहीं बताएगा कि कबीर साहेब ने किस ग्रन्थ या पुस्तक में यह लिखा है
कबीर साहेब जी सरिर में नौ नारी के बारे मे कहा है
शरीर के अंदर पति होता है मन ।
जोरू होती हैं आसक्ति ।
जो लोग आसक्ति में पड़े हुए रहते हैं वो लोग धर्म और अधर्म न विचार करते हुए लालच में पड़े रहते हैं ।
गुण तीनों की भक्ति में ,भूल पड़ा संसार । कहे कबीर निज नाम बिना, कैसे उतरू पार ।।
Nari ninda is not for the sake of censuring women. All Sadhaks in order to enjoin celibacy during sadhana period have stressed this one. Everywhere here, the text should be meant only for Sadhaks not for ordinary people. Na hi ninda nyaya applies here. Tatparya is not in ninda but enjoining celibacy only. Kabir' s mentioning one should not to be even in the company of one's mother and sister when one is in solitude is from Manu Smriti. In the section dealing with Brahmacharins' conduct it is instructed. So we have to understand the context first, before jumping into conclusions. Nowadays many people without knowing the rules of interpretation, take out meanings from their dull brains. Society is going in a very wrong direction.
बहुत सुन्दर।
Can somebody give me the reference of the Buddhist reference Nityanand ji mentioned? Which sukta or chapter of Majjhima Nikaya?
Misogyny has been common to all these so called saints.... Hope they are reaping the fruit ... Sanatan dharma treats everyone as soul..no discrimination 🙏
Adi shankaracharya pe bhi kuch aese fool barsawo to jasne😂 aya wadda misogyny ka choda
Very Balanced interpretation! Jai Hind
Jab Tak stree hatha na aaye.
Kachhu na samjha aaye.
Wah stree durlabha.
Upar gupt chupi.
❤.
अति सुन्दर और सारगर्भित विश्लेषण ।बहुत बहुत साधुवाद
Jay ho Brahmandevta 1. Nore request shirdi sai per bhi bbolo please please p😢
महोदय पुरुष पर भी दोहे सुनाइए। नारी पर तो बहुत सुना दिए हम सुन चुके
आप का बिशलेषण सही है🙏💕
अनंत कोटि ब्रह्मांड के, एक रत्ती नहीं भार ।
सतगुरु पुरुष कबीर हैं ,कुल के सिरजन हार।।
कबीर वाणी अटपटी झटपट लखी नहीं जाय झटपट लखले तो खट-पट मिट जाय
सनातन जैसा ज्ञान किसी धर्म मे नही है 🙏🌷
Yes Kabir Das ji was follower of Islam.
@@gooddayok Then why his poems mentions Hari Krishna Ram ?
Thank you ji
Real truth first time on TH-cam.
Good work Dada Ji
Keep it up.
यह कबीर साहब के चरणों की धूल भी नहीं है
केवल ब्राह्मणवादी विचारधारा को बढ़ाना चाहता है
बहुत सुन्दर,
शोधपरक सटीक विश्लेषण
पर नारी को देखिए, बहन बेटी के भाव । कहे कबीर काम नाश का, यही सहज उपाय ।।
बहुत-बहुत धन्यवाद
मुझे ऐसा लगता है कि संत रविदास तुलसी से तो लाख गुना बेहतर है ही, कबीर से भी बेहतर है।
अज्ञानी लोगो की बात सुन कर हसीं आती हैं।अभी बच्चे हो बेटा ।
Sir, we can still ask- what type of women, are these two saints talking about? They may not be talking about householder women in normal society, but about women who work as courtesans and temptresses.
In liberal countries like US, women willingly take up jobs as strippers, where men go and splurge money, and spoil themselves. People have no issues with that.
Right
Can you share pdf with video
निवण प्रणाम सा। उसे समय यथार्थ बोलने व सुनने वाले थे। आज हर व्यक्ति अपने मन के अनुकूल करना व सुनना चाहता है। आजकल के शास्त्रों ज्ञान अनुसार गुरुमुखी नहीं है सभी मनमुखी है और अपने अपने मन के क्रिया कर्म ही धर्म मानते हैं। कल्याण कैसे होगा भगवान ही जाने। ओउम् विष्णु नमः। हरि ॐ विष्णु शरणम्। जय गुरु जंभेश्वर
Dhanyawad, ek Bhajan ka bhaav bhahut achha hai ,jisne bhi likha hai, prabhooji more avgun chit na dharo,,iss poore Bhajan me Jo kaha gaya hai,bahut uttam wa pavitra hai,, nar wa nari kisne srajan Kiya, ye wo hi Jaane, Kaun Kitna shubh ya ashubh hai ,aur kyon hai ,,
नारी बुराई की खान कभी नहीं, तुलसीदास जी सीता माता, की इतनी प्रशंसा करते हैं, माता कौशल्या और सभी माता की इतनी वात्सल्य की बातें हैं, फिर नारी की निन्दा कैसे
तुलसीदास जी ने की, यह तो ग़लत है।
और कबीर का ये दोहा पढ़ो और फिर ये सब दोबारा पढ़ो 😂
कबीर दास की उल्टी बानी, बरसे कम्बल भीगे पानी 😂😂
जय हो ब्राह्मण देवता
जय हो इन शिक्षक महोदय की
😅
Jai ho pandit ji
आप जो व्याख्या दे रहे हैं वह अपनी ओर से सुंदर व्याख्या दे रहे हैं परंतु साहेब कबीर ने जो नारी की जो चर्चा की वह आध्यात्मिकता मैं को वह आध्यात्मिक मत में पुरुष के लिए नारी और नारी के लिए पुरुष दोनों ही इस रास्ते में अडचन अर्चना है लेकिन तुलसीदास जी ने जो ढोललिया है वह बिना पीटेआवाज नहीं कर सकता उसके साथ जोड़ा है इसलिए यह निदनीये है
- यदपि मैं कबीर के बारे में बहुत अधिक नहीं जनता था/हु, तथापि ऐसे विचार सुनने के बाद मेरी दृष्टि में वे गिर गए है।
- जो भी मुर्ख, इन नारी गृह्णा वचनों का समर्थन कर रहे है, सनातन में प्रकृति (पार्वती जी) के बिना पुरुष (शिव जी) की प्राप्ति नहीं होती।
अरे ये दोहे ब्रह्मचारी लोगों को नारी से दूर रखने के लिये हैं। कोई घृणा-वृना नही करते थे।
वैसे तो आदि शंकराचार्य जी ने भी कहा भज गोविंदम में- का ते कान्ता कस्ते पुत्र, तो क्या पत्नी और पुत्र कोई काम के नहीं। वो तो बस मोह छूराने के लिए ऐसा बोलते हैं।
@@धर्म्मभक्त na tulsi das ji ki burai aur na kabir ki burai hame dono ki burai nahi karna chahiye
यद्यपि *
Many thanks for this knowledge. I lost all the respect for Kabir. So much hate...i was disappointed by Tulsi das but now i feel that era was bent on only diminishing women...i feel very thankful to our ancestors who survived these hatemongers.
Inspite of all this our sanatan did not stop worshipping Devi....huge gratitudes to our ancestors.
Just like today Brahmins are classified as evil.... everything based on time.
@Aman Jha"are bhai ji 🙏Wahan par Tadna ka arth Dekhna nahi liya hai apke kisi bhi vidvaan ne woh Pehle bhi yeh baat bata chuke hain aur apne man se arth mat ghuseda Karo
Ek Dictionary dikhao jahan par Tulsi Shabdawali- Tulsi Shabdsagar, Tulsi Shabd Kosh mein "Tadan" ka Arth "Dekhna"ho aise kahin bhi apne man se kuch bhi arth Ghused doge kya aur iss traha ki batein Sabhi sahitya mein milti hain kyonki inn baton ka Sankalan karne wale Ek hi mat ke hain🙏"
It's a word play here nari refers to lust
He does not know the actual meaning of dohas...and you are stupid to beleive him.
@@steelcross628 अवधी भाषा में ताड़ना का अर्थ देखना होता है. तुलसी दास जी ने अवधी भाषा में ही गंन्थ लिखा है
पति वृता मैली भली काली कुचल कुरुप। पति वृता के रुप पै वारौह कोटि सरुप
क्या आपने वास्तविक तथ्य देखे हैं जो वास्तव में बहुत सही हैं?
पति व्रता मतलब आत्मा जिसके पति परमात्मा हैं
में ब्राह्मण तो नहिं पर हमारे श्रुति ओर स्मृति दोनो को मानता हुं
मौर्य जी और आप दोनों ही समान हैं एक संत तुलसीदास जी को नहीं समझा और एक संत कबीर को . अज्ञान . आप कबीर की बात कर रहें है तो जहां जहाँ नारी, कामिनी शब्द आया है वहाँ पर कामना या इच्छा मे परिवर्तित कर लीजिए . अर्थ स्पष्ट हो जाएगा 🙏
तुम उल्लू हो, तुलसी पर प्रश्न उठाया तो उसका प्रतिउत्तर है यह वीडियो, ये नही बोले कि वह कबीर को गलत बोल रहे
Jai ho pandit ji❤
Quran 4:34 : " Beat Your women if they dont listen to you "
Men are the caretakers of women, as men have been provisioned by Allah OVER women and tasked with supporting them financially. And righteous women are devoutly obedient and, when alone,
protective of what Allah has entrusted them with.1 And if you sense ill-conduct from your women,
advise them ˹first˺, ˹if they persist,˺ do not share their beds, ˹but if they still persist,˺ then discipline ( beat )them .
Surely Allah is Most High, All-Great.
Ok so what
Muhagmad in Q-33:50 said @llah asked to R#pe women captured . So what ?? @@Pain53924
👌 bahut acchi prastuti
सादर नमन 🙏🏻🙏🏻
जानबूझकर आपने से जोड़ा गया है कबीर को बदनाम करने के लिए।क्योकि नारी का अति सम्मान करनेवाले कबीर ऐसा कभी कह ही नही सकते है
Tulsidas ka jo doha hai, woh samudra ka vachan hai, Tulsidas ka nahi. Lekin kabir ke ye nari virodhi dohe, kabir ne hi kahe hai.
Tau jab samudra bol raha tha ram chup kyu tha bola kyu nhi,ram ki nari bhi toh agayi na usme ? Yehe apke ram😂🤣wahi kabir ji ka bole toh kabir ladkiyo ka satkar bhi Kiye hai bijak padho samaj aayega
@@digersen6648 हंसने से पूर्व अपने जीवन में कभी पवित्रता और सत्य के प्रति ज्ञिज्ञासा तो उत्पन्न कर के देखो तभी आध्यात्मिक रहस्य और भाव समझ में आते हैं अन्यथा पूरा जीवन दोषों खोजने में ही नष्ट हो जाता है।
Toh phir dohe me bhraman,kshatriya aur waisya kyu nhi hai phir sirf shudra aur nari hi tadna ka adhikari hai wa Bhai aap toh brainless najar ateho wa rational Bano andbhakti chodo🙏
@@digersen6648 rational वनने का अर्थ यह नहीं होता है कि धर्म और धार्मिक आदमी का हमेशा विरोध किया जाये और तुम को बहुत सारे धार्मिक ग्रन्थों में से बस यही एक चौपाई मिली जिस से तुम धर्म में गलतियाँ निकाल रहे हो ?
इतने अधिक धार्मिक ग्रन्थ हैं तुम उन से भी तो कुछ ऊँची शिक्षा ले सकते हो। धर्म ही आदमी का सब कुछ होता है। धर्म है तो आदमी सही है वरना धर्म से दूर होते ही आदमी अज्ञानी होकर पापी और राक्षस वन जाता है।
धर्म ही वह होता है जो केवल सच कहता है, इस दुनिया में यदि तुम को किसी पर पूरा विश्वास करना है तो धर्म पर ही करो क्योंकि धर्म से अधिक सच्चा और इमानदार कोई है ही नहीं। मनुष्य झूठ कहता है, धर्म तो हमेशा सच्चा और सही ही होता है। धर्म को समझो। धर्म को नकार के धर्म से दूर मत हो जाओ। तुम को लगता है कि जो कुछ तुम सोचते हो, करते हो वह सब सही है या नहीं ? आदमी झूठ कहता है, लापरवाही करता है, भटकता है, बुरा काम भी करता है, आदमी को कौन वतायेगा कि क्या सही है और क्या सही नहीं है ?
धर्म ही तो वतायेगा।
अभी तुम धर्म को छोटा समझ रहे हो क्योंकि अभी तुम जिन्दा हो लेकिन मौत एक दिन सब कुछ छीन लेगी तब तुम क्या करोगे ? तब तुम्हारे क्या काम आयेगा ?
मौत तो शरीर छीनती है, घर - पैसा - नौकरी - भोजन - कपड़े - बच्चे - गाड़ी छीनती है, मौत सब कुछ हम से और तुम से छीन लेगी, तब तुम क्या करोगे ?
कैसे मौत को हराओगे ? क्या काम आयेगा मौत के पहले ?
धर्म ही काम आयेगा और कोई काम नहीं आयेगा। आज जो तुम्हारे साथ लोग हैं, वो तुम्हारे काम नहीं आयेंगे बल्कि धर्म ही काम आयेगा। धर्म को जानने की लालसा तो जगा कर देखो।
आदमी का सबसे वड़ा दोस्त धर्म ही है और कोई नहीं है।
धर्म को समझने के लिये आचार्य प्रशान्त यूट्यूब चैनल को देखो, तुम को धर्म का सही स्वरूप समझ में आयेगा।
@@धर्म्मभक्त kaal niranjan ke lok me koi dharm nhi hai kooch bhi karlo kaal niranjan key mu mehi jaogay jara acharya Prashant ji se pucho wau toh kabir ji ko adarsh Mante hai wahi kabir ji ne yahi gyan diya hai jise atamgyan kahete hai jab tak satnaam nhi milega Kaal niranjan kisiko nhi chodta aap jara Nitin das ji ke satsang suno samaj mein ayega sab try kijiye ek bar acharya Prashant ji ko bhi sunta hu mein
Kaal niranjan wauhi bhrahm hai jiski baat acharya Prashant karte hai jo ki tume hi khata hai jara satsang suno phir conclusion pata lagao kya hai Vivek lagao 1-50 tak aap satsang suniye wichar wiwarsh kijiye kya sahi aur kyaa galat
Jay Mahadev Jay shree Krishna jay siya Ram deva
Sir कबीर जी के दोहो का अर्थ निकालना आसान काम नहीं है, कहाँ से उठाया, किस सन्दर्भ मे ये दोहे कहे गए है, ये जानना जरूरी है,उनके ग्रन्थ को कबीर सागर कहा गया है, सागर को समझना इतना आसान नहीं है.
Kabir sahb ko samjhna sab ke bas ki bat nahi hai
Yaha rari se matlab prakriti(tamo gun,rajo gud aur sato gud)Maya se hai.mystic way of expression.
Kabir shareer se nar aur naree se bahut upar.aesa Mera interpretation hai.
Kabir man ki maya ko nari kaha hai
जितने दोहे आपने बतायें है उनमें से कुछ कबीर साहेब के कहे हुए हैं बाकी आप कहाँ से लाये हैं हमें नहीं पता पहली बात तो ये हैकि आपने इनका अर्थ सही नहीं लगा पाये कबीर साहेब के ग्रंथों को पढ़ो तब उनके शब्द साखी रमैनी हिंडोला के अर्थ बिना गुरु के ज्ञान नहीं मिलता कबीर साहेब ने कहा है पोथी पढ़ पढ़ जग मुआ पंडित भयौ न कोय ।ढाई आखर प्रेम का पढ़े सो पंडित होय ।। महंत सुन्दर दासपनकाआश्रम कानपुर नगर पोस्ट भौती थाना पनकी कानपुर नगर का रहने वाला हूं अपना कबीरपंथ आश्रम है साहेब बंदगी साहेब राम राम राम जी आप को परमात्मा सलामत रखें धन्यवाद सरजी ।
साहेब बंदगी साहेब राम राम राम जी
Kaha se laaye ye dohe? Please reference do?
Nice effort to show the mirror to this hypocritical society. People with an agenda obviously won't be swayed by any logic or discussion. Expect to see more similar issues being brought up to firm up vote banks and privileges while targeting specific groups. Soon, sabko milegi aazadi "patriarchy" se, just like our liberal and feminist neighbours.
जीव हमारी जाती हैं मानव धर्म हमारा हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई धर्म नहीं कोई न्यारा कबीर परमेश्वर है उनकी वाणी मधुर है सत साहेब जी
नित्यानंद जी,आप सभी दोहे का गलत अनुवाद किया है। बिना तत्वनिष्ठ गुरु के सत्संग के कबीर साहेब के दोहे का अर्थ आप नही कर सकते।
श्रीमान, कबीर दास जी सबकी समान रूप से निंदा किया है उन्होंने कहीं किसी से भी पक्षपात नहीं किया है।
Sir which book these write. Where I get these
संत कबीर अपने जैसे ही हर पुरुष का मन समझते हैं, हर पुरुष कबीर नहीं है, अच्छा बुरा गुण अवगुण दोनों में ही होते हैं, पुरुष और नारी दोनों को ही अवगुणों से दूर होने की जरूरत है, ना कि पुरुष या महिला से दूर रहने की.
nityanand je yah sB kAbir ne nahi likha hai.yaha sB kahan se dhundh kar laye ho
Maine "Bodh Dharm mei jaativad" pe ek detailed video banaya hai, jisme maine Bodh samaaj aur Bodh granth se examples diyen hain...
Ye Keshav Prasad kabhi bhi
link
@@TheVidyaprakash Mere DP pei click kariye aapko video mil jayega...
How about banning the holy book which writes horrible things about idol worshippers?
jis ki murti nahi vo puja ke yogya nahi
Horrible things not only against Idol worshipers but also those who do believe in One God but do not subscribe to Islam, Quran & Muhammad.
The Islamic antecedents of kabirdasji comes out
saty bole mharaj...dhnyavad
Kabir ji sahi bol rahe hai
सादर प्रणाम मिश्रा जी
One video on hipocracy of Ambedkar,
Please
You have not understand the Vani of sant kaabir
Ram Ram sa you are not vidya van naari min,s maya vaasna kamnaa etc you now?😢😢😢😢
सनातन संस्कृति की रक्षा करो हिंदुओ वर्ना आप हम खतम हो जायेंगे ❤❤
🙏😊
Inki bhi aalochana hoti hai sahitya me