प्रणाम आचार्य जी एक विवाह करने में मेरा विचार यह कहता है आज के परिपेक्ष में विवाह बहुत सिंपल तरीके से करना चाहिए पैसे की ज्यादा बर्बादी नहीं करनी चाहिए चाहे पहली शादी हो चाहे दूसरी शादी हो
आचार्य जी! ऐसा हो सकता है कि नियोग इसलिए टेस्ट ट्यूब बेबी से अच्छा है क्योंकि उसमे वीर्य दाता भी उत्तम चुन सकते होंगे जबकि आज तो पता नहीं चल पाता। और वैसे भी ऋषि लोगो जैसी आधुनिक प्रज्ञा साधारण मनुष्यों की नही होती क्योंकि बुद्धि ज्ञान से खुलती है। मुझे लगाता है ये परंपरा आज की व्यवस्था से अधिक प्राकृतिक होगी और आधुनिक भी ... कपड़ों और वस्तु आदि से आधुनिकता नही आती , बुद्धि कितनी शुद्ध है और समाज कितना अच्छा है, कुरीतियां और अंधविश्वास कितना कम हो रहा है उससे पता चलता है विकास का ।
3 साल के बाद कोई बच्चा किसी पिता को दे दिया जाता है...बच्चों के मानोभावना या उसपर होने वाले अन्याय को अनसुना या अनदेखा नहीं किया जा सकता... क्या उसे अबोध बच्चे का न्याय के प्रति कोई अधिकार नहीं... 🙏 स्त्री पुरुष के मनभाव का ख्याल रखा गया है लेकिन उस बच्चे का क्या... 3 साल के बाद वह बच्चा क्या अपने मां से अलग होना चाहेगा इस पर विचार करना अति आवश्यक है... ऐसी स्त्री जो 4 पुरुषों से अपना संबंध बना रही है... 8 बच्चों का दान कर रही है... यह समाज या उन बच्चों के लिए कितना हित कारक है... यह अधिकार आज के स्त्री को मिल जाए तो... विवाह के कुछ दिन पश्चात उसे पुरुष की मृत्यु निश्चित है... क्योंकि पाप करने वाले को यह नहीं पता होता है कि वह पाप कर रहा है... उसके विचार में हर पाप सत्य होता है...🙏🌱
आचार्य श्री नमस्ते आयुष्मान भव: ओ३म् ।
Bhut sundr vyakhyan 🙏🏻
आचार्य जी! बहुत ही श्रेष्ठता से आपने इतने विवादित मुद्दे को बड़ी ही सटीकता से समझाया है। आपको बहुत बहुत धन्यवाद।
ओम् परनाम आचार्य जीं
प्रणाम आचार्य जी एक विवाह करने में मेरा विचार यह कहता है आज के परिपेक्ष में विवाह बहुत सिंपल तरीके से करना चाहिए पैसे की ज्यादा बर्बादी नहीं करनी चाहिए चाहे पहली शादी हो चाहे दूसरी शादी हो
आचार्य जी! ऐसा हो सकता है कि नियोग इसलिए टेस्ट ट्यूब बेबी से अच्छा है क्योंकि उसमे वीर्य दाता भी उत्तम चुन सकते होंगे जबकि आज तो पता नहीं चल पाता। और वैसे भी ऋषि लोगो जैसी आधुनिक प्रज्ञा साधारण मनुष्यों की नही होती क्योंकि बुद्धि ज्ञान से खुलती है। मुझे लगाता है ये परंपरा आज की व्यवस्था से अधिक प्राकृतिक होगी और आधुनिक भी ... कपड़ों और वस्तु आदि से आधुनिकता नही आती , बुद्धि कितनी शुद्ध है और समाज कितना अच्छा है, कुरीतियां और अंधविश्वास कितना कम हो रहा है उससे पता चलता है विकास का ।
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3 साल के बाद कोई बच्चा किसी पिता को दे दिया जाता है...बच्चों के मानोभावना या उसपर होने वाले अन्याय को अनसुना या अनदेखा नहीं किया जा सकता... क्या उसे अबोध बच्चे का न्याय के प्रति कोई अधिकार नहीं... 🙏
स्त्री पुरुष के मनभाव का ख्याल रखा गया है लेकिन उस बच्चे का क्या...
3 साल के बाद वह बच्चा क्या अपने मां से अलग होना चाहेगा इस पर विचार करना अति आवश्यक है...
ऐसी स्त्री जो 4 पुरुषों से अपना संबंध बना रही है...
8 बच्चों का दान कर रही है... यह समाज या उन बच्चों के लिए कितना हित कारक है...
यह अधिकार आज के स्त्री को मिल जाए तो...
विवाह के कुछ दिन पश्चात उसे पुरुष की मृत्यु निश्चित है...
क्योंकि पाप करने वाले को यह नहीं पता होता है कि वह पाप कर रहा है... उसके विचार में हर पाप सत्य होता है...🙏🌱
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Satyarth prkash padho