भाग - 25 l खण्डन ही नहीं‚ अपितु मण्डन भी l गीता (व्याख्यान माला) l आचार्य अग्निव्रत
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- เผยแพร่เมื่อ 20 เม.ย. 2024
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ऋषि अग्निव्रत श्री, आप ठीक और सत्य कह रहे हो। इन विषयों पर विद्वानों और आर्य संस्थाओ को अति उचित है ध्यानपूर्वक और गम्भीर होकर शिक्षा, उपदेश आदि से सभी को वेद विज्ञान की और आकर्षित करे। धन्यवाद नमस्ते। जय माँ वेद भारती!
दूसरे श्लोक में प्रकृति और जीव के कर्ता, अकर्ता, करने वाला, करवाने वाला में अंतर समझाने के लिए धन्यवाद 🙏🏻
पहले श्लोक की बात सुनने में सरल लगती है पर है बहुत गहरी और सुंदर बात। प्रायः हम देखते हैं संसार में हर कोई दूसरों की बातों में, उनके आचरण में गलतियां निकालने पर, उनका खंडन करने पर अधिक बल देते हैं।
सच्चा विद्वान वह है जो अधिक बल अपना आचरण सुधारने में लगाए। हमारे बोलने से अधिक, हमारा सदाचार, परोपकार देखकर लोग स्वयं सुधर जाएंगे।
❤ ॐ सादर नमस्ते महऋषि जी जय मां वेद भारती 🎉
जय श्री कृष्ण की
नमस्ते आचार्य जी, सबको सादर नमस्ते जी 🕉️ 🚩 😊 🙏🏻 ओम् शांति ओ३म् शम्।
प्रणाम स्वामी जी 🙏🙏
ओउम् नमस्ते आचार्य ऋषीवर जी, महाराष्ट्र बोईसर नवापूर, बहुत बहुत सुंदर व्याख्यान
ओम प्रणाम अचार्य जी
ओ३म् नमस्ते आचार्य जी
जय मां वेद भारती।
❤❤❤❤❤
आचार्य जी को सादर प्रणाम
योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण।
बहुत बहुत धन्यवाद गुरु जी।
प्रणाम आचार्य जी 🙏
नमस्ते गुरूजी
ओ३म् नमस्ते आचार्य जी।
नमस्ते गुरु जि
नमस्ते आचार्य जी।
🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🙏
🙏🕉️
Om guruji, gurukul ka Kam chalu huva?