भाग - 26 l स्वभाव के अनुकूल कर्तव्य की श्रेष्ठता l गीता (व्याख्यान माला) l आचार्य अग्निव्रत
ฝัง
- เผยแพร่เมื่อ 4 พ.ค. 2024
- Support us:
1. PhonePe - 9829148400
2. UPI - 9829148400@upi
(Donations made to the trust is non-taxable under the Indian Income Tax Act, section 80G)
☎️ For more information contact us on 02969 222103, 9829148400
🌍 www.vaidicphysics.org
📧 E-mail: info@vaidicphysics.org - แนวปฏิบัติและการใช้ชีวิต
अत्यंत महत्त्वपूर्ण श्लोक। विशेषकर उन परिजनों के लिए जिनके बच्चे बड़े हो रहे हैं और विचार रहे कि भविष्य में क्या कार्य/व्यवसाय करें, बड़े होकर क्या बनें।
भ्रांति निवारण करने के लिए धन्यवाद आचार्य जी। 🙏🏻
धर्म जन्म से नहीं, अपितु गुण, कर्म, स्वभाव से होता है। जो आजकल के religion, मत, पंथ, संप्रदाय, कथित जाति, आदि हैं, वो धर्म नहीं।
धर्म मानवता है, जाति मनुष्य है।
धर्म की heirarchy/levels समझाने के लिए धन्यवाद 🙏🏻
जय श्री कृष्ण की
Koti koti pranam ji ❤❤
यही श्लोक के विषय में आज मैं चिंतन कर रहा था।
❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
Om
ओउम् नमस्ते आचार्य ऋषीवर जी, महाराष्ट्र बोईसर नवापूर, बहुत बहुत सुंदर व्याख्यान,
ऋषि श्री अग्निव्रत नमस्ते,
आपने ऋषियों की वाणी को ठीक प्रकार से समझकर हम सभी के समक्ष प्रकाशित कर समझाए व उपदेश किए की जिसका रूचि जिसमें हो उसको उसी क्षेत्र पर स्थित होकर कर्म करने और आगे विद्वान् आदि बनना चाहिए। यह ठीक है। जय श्री कृष्ण।
भुरिशह धन्यवाद
आचार्य जी, प्रणाम
आचार्य जी , आपसे निवेदन है कि
गीता माला को पुस्तक रूप में भी प्रकाशित अवश्य करना
जय मां वेद भारती।
ओउम्
आचार्य जी को शत-शत नमन
Namaste swami ji
🙏🙏🙏 pranam aachary ji
🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🙏
आचार्य जी को प्रणाम🙏
योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण जी।
प्रणाम गुरुजी
आचार्य जी प्रणाम 🙏🚩
Namaste acharya g
Guru ji Student ka swabhab kesa hona chahiye
द+य+रम =धर्म मतलब जो देने में रम जाए या जिसकी रूचि हमेशा देने में हो वो धर्म वाला कहलाता है
नमस्ते
श्री मान् जी, नम्र निवेदन है, ग्रंथों से
समाज नहीं बनता , अपितु आचरण से। यहां स्वधर्म की व्याख्या कीजिए। ब्राह्मण आदि वर्ण विभाजन स्वाभाविक गुण और कर्म के आधार पर है
भगवान क्यूं एक गुन हीन जीव को ब्राह्मण शरीर देते हैँ?? एक धर्म पालन करने वाले शूद्र ब्रष्ट और गुनहीन ब्राह्मण से अधिक पूजाणीय है महाभारत के अनुसार किस मे जाती वाद बताया गया ||
Namaste acharya ji