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Acharya Agnivrat
India
เข้าร่วมเมื่อ 5 พ.ย. 2022
भाग - 29 l काम को कैसे जीतें ? l गीता (व्याख्यान माला) l आचार्य अग्निव्रत
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วีดีโอ
भाग - 28 l काम ही मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु l गीता (व्याख्यान माला) l आचार्य अग्निव्रत
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भाग - 27 l मनुष्य पाप क्यों करता है? l गीता (व्याख्यान माला) l आचार्य अग्निव्रत
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भाग - 26 l स्वभाव के अनुकूल कर्तव्य की श्रेष्ठता l गीता (व्याख्यान माला) l आचार्य अग्निव्रत
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भाग - 25 l खण्डन ही नहीं‚ अपितु मण्डन भी l गीता (व्याख्यान माला) l आचार्य अग्निव्रत
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भाग - 24 l जीवन्मुक्त पुरुष-भगवान् श्रीकृष्ण l गीता (व्याख्यान माला) l आचार्य अग्निव्रत
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भाग - 23 l महापुरुषों का अनुसरण करें l गीता (व्याख्यान माला) l आचार्य अग्निव्रत
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भाग - 22 l वेद बिना जीवन व्यर्थ l गीता (व्याख्यान माला) l आचार्य अग्निव्रत
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भाग - 21 l मन की शुद्धता और जलवायु परिवर्तन l गीता (व्याख्यान माला) l आचार्य अग्निव्रत
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भाग - 20 l त्याग भावना के साथ उपभोग l गीता (व्याख्यान माला) l आचार्य अग्निव्रत
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भाग - 19 l यज्ञ से मोक्ष की प्राप्ति l गीता (व्याख्यान माला) l आचार्य अग्निव्रत
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भाग - 18 l निष्काम कर्म ही मोक्ष का साधन l गीता (व्याख्यान माला) l आचार्य अग्निव्रत
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भाग - 17 l ज्ञानयोग एवं कर्मयोग l गीता (व्याख्यान माला) l आचार्य अग्निव्रत
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भाग - 16 l शाश्वत शान्ति का अधिकारी कौन ? l गीता (व्याख्यान माला) l आचार्य अग्निव्रत
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भाग - 15 l विषयों के चिन्तन से सर्वनाश l गीता (व्याख्यान माला) l आचार्य अग्निव्रत
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भाग - 14 l इन्द्रियों का विजेता ही योगी l गीता (व्याख्यान माला) l आचार्य अग्निव्रत
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भाग - 14 l इन्द्रियों का विजेता ही योगी l गीता (व्याख्यान माला) l आचार्य अग्निव्रत
भाग - 13 l स्थितप्रज्ञ (योगी) के लक्षण l गीता (व्याख्यान माला) l आचार्य अग्निव्रत
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भाग - 13 l स्थितप्रज्ञ (योगी) के लक्षण l गीता (व्याख्यान माला) l आचार्य अग्निव्रत
भाग - 12 l मोक्ष का अधिकारी कौन? l गीता (व्याख्यान माला) l आचार्य अग्निव्रत
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भाग - 12 l मोक्ष का अधिकारी कौन? l गीता (व्याख्यान माला) l आचार्य अग्निव्रत
भाग - 11 l योग में स्थित होकर कर्म करो l गीता (व्याख्यान माला) l आचार्य अग्निव्रत
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भाग - 11 l योग में स्थित होकर कर्म करो l गीता (व्याख्यान माला) l आचार्य अग्निव्रत
भाग - 10 l फल की आसक्ति रहित कर्म करें l गीता (व्याख्यान माला) l आचार्य अग्निव्रत
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भाग - 10 l फल की आसक्ति रहित कर्म करें l गीता (व्याख्यान माला) l आचार्य अग्निव्रत
भाग - 9 l वेद असाधारण ग्रन्थ है l गीता (व्याख्यान माला) l आचार्य अग्निव्रत
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भाग - 9 l वेद असाधारण ग्रन्थ है l गीता (व्याख्यान माला) l आचार्य अग्निव्रत
भाग - 8 l जन्म है, तो मृत्यु भी निश्चित है l गीता (व्याख्यान माला) l आचार्य अग्निव्रत
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भाग - 7 l आत्मा का स्वरूप l गीता (व्याख्यान माला) l आचार्य अग्निव्रत
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भाग - 7 l आत्मा का स्वरूप l गीता (व्याख्यान माला) l आचार्य अग्निव्रत
भाग - 6 l क्या आत्मा कभी ब्रह्म में लीन हो सकता है? l गीता (व्याख्यान माला) l आचार्य अग्निव्रत
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भाग - 6 l क्या आत्मा कभी ब्रह्म में लीन हो सकता है? l गीता (व्याख्यान माला) l आचार्य अग्निव्रत
भाग - 5 l क्या आत्मा कभी मरता है? l गीता (व्याख्यान माला) l आचार्य अग्निव्रत
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भाग - 5 l क्या आत्मा कभी मरता है? l गीता (व्याख्यान माला) l आचार्य अग्निव्रत
भाग - 4 l तीन अनादि सत्ताएँ l गीता (व्याख्यान माला) l आचार्य अग्निव्रत
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भाग - 4 l तीन अनादि सत्ताएँ l गीता (व्याख्यान माला) l आचार्य अग्निव्रत
भाग - 3 l अभाव से भाव की उत्पत्ति l गीता (व्याख्यान माला) l आचार्य अग्निव्रत
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भाग - 3 l अभाव से भाव की उत्पत्ति l गीता (व्याख्यान माला) l आचार्य अग्निव्रत
भाग - 2 l भगवान् श्रीकृष्ण की महिमा l गीता (व्याख्यान माला) l आचार्य अग्निव्रत
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भाग - 2 l भगवान् श्रीकृष्ण की महिमा l गीता (व्याख्यान माला) l आचार्य अग्निव्रत
भाग - 1 l भूमिका l गीता (व्याख्यान माला) l आचार्य अग्निव्रत
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भाग - 1 l भूमिका l गीता (व्याख्यान माला) l आचार्य अग्निव्रत
नमस्ते आपने काम को जित ने का सरल मार्ग दिखाया आचार्य जी
Om jyaan vijaan k Bina koi man or buddhi ko shuddh nahi ker sakta hai.
अग्निव्रत जी नमस्कार, आपने आत्मा को प्रबल करके उसके सत शक्ति द्वारा बुद्धि, बुद्धि के सत्य निर्णय से मन को नियंत्रित करने के लिए साधना और मंत्र का अच्छा ज्ञान आपने दिया है। काम ऐसा कंकड़ है जो जीवन रूपी भोजन को किरकिरा कर देता है। आपने जो गायत्री मंत्र के विषय में कहा है वह बात विज्ञान द्वारा भी प्रमाणित हुआ है।इसके ऊपर दिल्ली एम्स भी शोध हुआ है। Dr.शिवप्रसाद कोष्ठा जो आर्यभट प्रछेपन के समय इसरो के उपाध्यक्ष थे,जिनके अंतर्गत अब्दुल कलाम आजाद और टी यन शेषन ने काम किया था,ने मंत्र के विज्ञान से ही रोगी को ठीक करने का कार्य जबलपुर में बने त्रिगभ कुटी में करते थे। आप भारतीय शास्त्रों को एक वैज्ञानिक दिशा दे रहे है।इसके लिए आपको धन्यवाद।
आभार एवं धन्यवाद एवं सादर प्रणाम आचार्य जी
नमस्ते विषय से थोड़ा अलग प्रश्न है? क्या हनुमान जी युद्ध में अर्जुन जी के रथ पर विराजमान थे ? मेंने देखा आपके पिछे जो चलचित्र है, उसमें।
|| योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण ||
अति उत्तम गुरुवर 🙏
ओम्।। सादर नमस्ते आचार्य जी 🙏
Aap Ramana maharishi jaise dikhte ho
नमस्ते ।
Namste Guruji ❤
राम ॥
अभ्यास ही सफलता की मार्ग हैं
😮
Kuch to aisa boltey hai ki rishi ved vyaas ji ne purano ki bh rachna ki hai. Kripya ispar kuch prakash daale..
Pranam gurudev
जय मां वेद भारती।
प्रणाम आचार्य जी ❤❤❤
नमस्ते जी🙏 कैथल हरियाणा
महर्षि नमस्ते, आप बहुत ही सुंदर और विस्तार रूप से प्रत्येक पद को समझाते हो जिससे हम सभी का अंधकार दूर हो उज्ज्वल सत्ता भावादि होता है। भुरिशह धन्यवाद।
सादर प्रणाम एवं आभार स्वामी जी
12:57 100% true.
7:04 great!!!❤❤❤
|| योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण ||
आपने जिस प्रकार काम और वासना की बात की है।वह पूर्ण रूप से आज के वातावरण पर छाया हुआ है। जिस प्रकार का बीज लगाया जाएगा फल भी उसी प्रकार का होगा। आज काम से उत्तपन विभिन्न प्रकार की प्रबृत्या पूरे संस्कृति को निगलने के लिए तैयार है। आज स्वतंत्रा में अनुशासन न होने के कारण समाज और परिवार जैसी संस्था को खत्म कर रही है। अग्निव्रत जी एंग्लो क्रिश्चियन ला के गर्भ से निकले विचार ने भारतीय संस्कृति को और समाज को बहुत अधिक छती पहुंचाई है। आपका विश्लेषण अद्वितीय है।
ऋषिवर अग्निव्रत को प्रणाम 🙏
आचार्य जी आपको सादर प्रणाम मेरा निवेदन आपसे यह था कि आप यह बताने का कष्ट करें कि यदि कोई व्यक्ति महाभारत या गीता पढ़ना चाहे तो किस लेखक का सबसे उत्तम होगा।
वर्तमान में गीता एवं महाभारत का कोई भी संस्करण विशुद्ध नहीं कहा जा सकता, इस कारण गीताप्रेस या किसी भी संस्करण में स्वयं विवेकपूर्वक पढ़ना होगा और स्वयं ही पहचानने का प्रयास करना होगा कि कौन से श्लोक मूल हैं और कौन से मिलावटी।
🎧🎉
जय श्री कृष्ण की
आज भारत के लोग सोशल मीडिया के कारण एकदम भोगी बनते जा रहे है, लोन पर लग्जरी कार और आईफोन लेना मूर्खो में एक ट्रेंड बन गया है। यह एकदीन विनाश की और ले जायेगा।
Aapki bate sabhi satya he koi nahi batata 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
नमस्ते गुरूजी
गुरुदेव चरण स्पर्श
प्रणाम आचार्य जी 🙏
सादर प्रणाम आचार्य जी
Acharya ji modi sarkar per ek video banaye modi sarkar acchi h ya bahut kharab
Acharya ji namaste ji
आचार्य जी, प्रणाम
ओम् नमस्ते
Om namaste Guruji
बहुत बहुत धन्यवाद आचार्य जी, योगेश्वर श्री कृष्ण जी कि बातो को, इतने सरल रूप में प्रस्तुत करने के लिए नमस्ते जी 🚩🚩🙏🙏🙏
अग्निव्रत जी आपने बहुत ही सुंदर व्याख्या की है।और हर बुराइयों का आश्रय स्थल काम और क्रोध को बताया है। आपका अनुसंधान मानव चित्त के ऊपर बहुत ही सराहनीय है।जितना सूक्ष्म विश्लेषण आप करते हैं दूसरे के द्वारा यह कार्य असंभव है। और मेरा यह चिंतन है कि इस काम और क्रोध का बीज मोह और मद में रहता है। यह मोहमद व्यक्ति,समाज,राष्ट्र और विश्व के लिए खतरा बना हुआ है। इस मोहमद ने अपने जो कुछ सिद्धांत स्थापित कर रखे हैं, उस सिद्धांत ने धर्म को खत्म करके यह कहीं तानाशाह और कहीं धर्मनिरपेक्ष के आड़ में फल फूल रहा है।
द+य+रम =धर्म मतलब जो देने में रम जाए या जिसकी रूचि हमेशा देने में हो वो धर्म वाला कहलाता है
आचार्य जी गलत कामों को तो छोड़ा जा सकता है लेकिन मन पर पड़े बुरे संस्कारों को कैसे नष्ट किया जाता है? बुरे संस्कार सही मार्गदर्शन के अभाव में किसी न किसी जन्म में या किन्हीं परिस्थितियों में पापों में फंसा ही देते हैं दुर्योधन इसका अच्छा उदाहरण है जो धर्म अधर्म जानते हुए भी उसकी प्रवृत्ति पाप में होती थी।
ओउम् नमस्ते आचार्य ऋषीवर जी, महाराष्ट्र बोईसर नवापूर बहुत सुंदर व्याख्यान, कोटी कोटी प्रणाम
💯ऋषि श्री अग्निव्रत, मुझे आपके इन महत्वपूर्ण बातों को सुनकर बहुत प्रसन्ना हुई चूँकि मेरा भी सोचना यह है जिस प्रकार आपने इस वीडियो में विस्तार कर बताए हैं उससे मेरी बुद्धि और भी सत्यार्थ को समजा है। वेद विरुद्ध मत मतांतर वाले काम में ही फंसे हुए हैं यह तो राक्षसों का स्वभाव है। और जो वेद को मानते हैं वे सदैव धर्म को प्रथम रख विचार आदि करते हैं। ऋषियों ने चतुष्टय की व्याख्यान क्रमशः किए और राक्षस लोग धर्म और मोक्ष से परे होकर अर्थ और काम पर ही फसकर अपना जीवन निर्वाह करते हैं इस हेतु संसार को शीघ्रता से घोर नरक की ओर धकेल कर ले जा रहे हैं जो लगभग दो हजार वर्षों से ये दो मत मजहब वाले पशु भक्षी महा राक्षस लोग हैं जो धर्म और धरती की सबसे बडी बीमारी है।
Mere bhagwan ji ke charno mein koti koti naman
🙏
आचार्य जी! आपकी जय हो आपके चरणों में शत-शत नमन