सर जी में एक आदिवासी मीना कबीला से आता हो जिस गण चिन्ह के नाम मछ यानी मछली है जिस के नाम से पूर्वी राजस्थान की अरावली पर्वतमाला को मत्स्य जनपत का नाम आदिकाल में मिला था जिस की राजधानी विराट नगर थी मेरा गण चिन्ह मछ यानी मछली है इसी प्रकार पूरे देश मे मूल लोगो के अलग अलग कबीलों के अलग अलग गण चिन्ह है जिन को इन वैदिक गपोड़ी लोगो भगवान बना रखे हैं आप से मुझे यह जानना है कि इस जम्भूदीप मे मूलनिवासियों की गण वेवस्था सुरु प्रथम कब बनी थी और कुल कितने कबीले थे जय जौहर जय विश्वगुरु बुद्ध की
सर हिंदू धर्म के ग्रंथो के अनुसार मूर्ति पूजा, मंदिर बनाना ये सब हिंदु धर्म का हिस्सा नहि है तो हिंदु लोग मूर्ति कबसे पूजने लगे मंदिर कबसे बनाने लगे, क्या ये सब इन्होंने बौद्ध धम्म को कब्ज़ा किया है उनकी मूर्ति, मंदिर विहार आदि पर????
सर एक प्रश्न है दिमाग में, क्या जो कुछ पुस्तक हैं जैसे ''बौद्ध भिक्षु चीनी यात्री इतसिंग की भारत यात्रा '' और " अलबरूनी का भारत " । क्या ये पुस्तक भारत सरकार के द्वारा मान्यता प्राप्त हैं?
कृपया क्या आप हमे अजंठा ओर एलोरा ( वेरूळ) के शिल्पगूफा के बारे मे विस्रुत जाणकारी दे सकते हैं , बुद्ध धर्म के विस्तार से पतन तक और हिंदु धर्म के जन्म से विस्तार तक .
Bharat me buddha ka dhamm hi sanatan hai satya hai Babasaheb ji 14 oct 1956 ko buddha dhamm ki diksha diye Nmo Buddha🙏 jai bhim🙏 jai samrat Ashok 🙏 jai buddhist nagvanshi mulnivasi🙏
हम सब मनुष्य प्राणी है l पर्यावरण का एक छोटासा कण है l यह एक बात सत्य है l धर्म आयेंगे और, और भी नये बनेंगे l अच्छा है कि नया कुछ सिखे l पुराणे विचार सिर्फ मार्गदर्शक है l सभी धर्म हमे कुछ अच्छी बाते सिखाते है l यह बाते हमारे शाश्वत विकास के लिए काम आयेंगी l तो कौन पहले और कौन बादमें इससे अच्छा इनके अच्छे विचार मिलाकार उनपे चर्चा हो तो सबसे अच्छा है.. धन्यवाद
जय भीम नमो बुद्धय सर, आप की वीडियो से मुझे बहुत अधिक जानकारी मिलती है| आप की वीडियो देख कर जब में अपनी university के प्रोफेसर के सामने प्रश्न करता हूं तो वो मुझे जवाब नहीं देते मुझ पर गुस्सा हो जाते हैं| सभी प्रोफेसरों की जाति ब्राह्मण हैं
Sir आप कितना महान काम कर रहे हैं शायद आपको भी नहीं पता। 🙏🙏🙏 आपसे निवेदन है की आप तिरुपति बाला जी के मंदिर के बारे में एक वीडियो बनाएं। मेरे रिसर्च के अनुसार यह जैन मंदिर है। 🙏🙏❤️❤️❤️❤️
धर्म एक दिन , एक माह या एक वर्ष में नहीं बनता है । यह संस्कृति का अंग है । प्रत्येक समाज अपने सदस्यों के सार्वजनिक हित के लिए नियम बनाता है और कहता है कि ये नियम देवों द्वारा बनाए गए हैं । आदिम अवस्था में कुछ नियम प्रत्येक समूह ने बनाया और कहा कि ये नियम ईश्वर द्वारा बनाए गए हैं । ईश्वर की पूजा करो और उनके द्वारा बनाए गए नियमों का पालन करो । चूंकि धर्म सत्ता पर आरूढ़ व्यक्तियों द्वारा बनाया जाता है इसका रूप बदलता रहता है। । उदाहरणार्थ वैदिक धर्म और आज का सनातन धर्म । दोनों ने बहुत अंतर है । ऋग्वेद में इंद्र सर्वश्रेष्ठ देवता हैं और आज उन्हें विलासी और पापाचारी देवता माना जाता है । उदाहरणार्थ अहल्या का शील हरण ।
मैने बाबा साहब की बुद्ध और उनका धम्म पढ़ी है, उसमे उन्होंने बुद्ध को सांख्य दर्शन के प्रवर्तक आलार कलाम से मिलने की घटना को दर्शाया है तो मेरा प्रश्न यह है की सांख्य वैदिक काल के षष्ट दर्शनों में गिना जाता है तो क्या उनसे वैदिक काल की प्रामाणिकता साबित नही होती?
Sir Vedo ka India or India k bahar Archeological Historical evidence kitna Purana or Kaha milta hai?Zoorastrian Religion text Zendavestha se konse Ved ko Copy kiya or Kitna Percent copy kiya,Thanks😊✊🇮🇳
उपाध्याय, महायपाध्याय, चटोपाध्याय , पंडित आदि क्या ये सब ब्राह्मण के सरनेम है या नालंदा में बौद्ध भिक्षु गुरु को मिलने वाली उपाधि, क्या ब्राह्मणों ने ये सब चोरी किया है,,, प्राचीन भारत में ब्रह्मण कोनसा सरनेम लगाते थे???
Chitpavan Brahman Kou hai jaane जानिये किस देश के है संघ संचालक और संस्थापक चितपावन ब्राह्मण आरएसएस की स्थापना चितपावन ब्राह्मणों ने की और इसके ज्यादातर सरसंघचलक अर्थात् मुखिया अब तक सिर्फ चितपावन ब्राह्मण होते आए हैं. क्या आप जानते हैं ये चितपावन ब्राह्मण कौन होते हैं ? चितपावन ब्राह्मण भारत के पश्चिमी किनारे स्थित कोंकण के निवासी हैं. 18वीं शताब्दी तक चितपावन ब्राह्मणों को देशस्थ ब्राह्मणों द्वारा निम्न स्तर का समझा जाता था. यहां तक कि देशस्थ ब्राह्मण नासिक और गोदावरी स्थित घाटों को भी पेशवा समेत समस्त चितपावन ब्राह्मणों को उपयोग नहीं करने देते थे. दरअसल कोंकण वह इलाका है जिसे मध्यकाल में विदशों से आने वाले तमाम समूहों ने अपना निवास बनाया जिनमें पारसी, बेने इज़राइली, कुडालदेशकर गौड़ ब्राह्मण, कोंकणी सारस्वत ब्राह्मण और चितपावन ब्राह्मण, जो सबसे अंत में भारत आए, प्रमुख हैं. आज भी भारत की महानगरी मुंबई के कोलाबा में रहने वाले बेन इज़राइली लोगों की लोककथाओं में इस बात का जिक्र आता है कि चितपावन ब्राह्मण उन्हीं 14 इज़राइली यहूदियों के खानदान से हैं जो किसी समय कोंकण के तट पर आए थे. चितपावन ब्राह्मणों के बारे में 1707 से पहले बहुत कम जानकारी मिलती है. इसी समय के आसपास चितपावन ब्राह्मणों में से एक बालाजी विश्वनाथ भट्ट रत्नागिरी से चलकर पुणे सतारा क्षेत्र में पहुँचा. उसने किसी तरह छत्रपति शाहूजी का दिल जीत लिया और शाहूजी ने प्रसन्न होकर बालाजी विश्वनाथ भट्ट को अपना पेशवा यानी कि प्रधानमंत्री नियुक्त कर दिया. यहीं से चितपावन ब्राह्मणों ने सत्ता पर पकड़ बनानी शुरू कर दी क्योंकि वह समझ गए थे कि सत्ता पर पकड़ बनाए रखना बहुत जरुरी है. मराठा साम्राज्य का अंत होने तक पेशवा का पद इसी चितपावन ब्राह्मण बालाजी विश्वनाथ भट्ट के परिवार के पास रहा. एक चितपावन ब्राह्मण के मराठा साम्राज्य का पेशवा बन जाने का असर यह हुआ कि कोंकण से चितपावन ब्राह्मणों ने बड़ी संख्या में पुणे आना शुरू कर दिया जहाँ उन्हें महत्वपूर्ण पदों पर बैठाया जाने लगा. चितपावन ब्राह्मणों को न सिर्फ मुफ़्त में जमीनें आबंटित की गईं बल्कि उन्हें तमाम करों से भी मुक्ति प्राप्त थी. चितपावन ब्राह्मणों ने अपनी जाति को सामाजिक और आर्थिक रूप से ऊपर उठाने के इस अभियान में जबरदस्त भ्रष्टाचार किया. इतिहासकारों के अनुसार 1818 में मराठा साम्राज्य के पतन का यह प्रमुख कारण था. रिचर्ड मैक्सवेल ने लिखा है कि राजनीतिक अवसर मिलने पर सामाजिक स्तर में ऊपर उठने का यह बेजोड़ उदाहरण है. (Richard Maxwell Eaton. A social history of the Deccan, 1300-1761: eight Indian lives, Volume 1. p. 192) चितपावन ब्राह्मणों की भाषा भी इस देश के भाषा परिवार से नहीं मिलती थी. 1940 तक ज्यादातर कोंकणी चितपावन ब्राह्मण अपने घरों में चितपावनी कोंकणी बोली बोलते थे जो उस समय तेजी से विलुप्त होती बोलियों में शुमार थी. आश्चर्यजनक रूप से चितपावन ब्राह्मणों ने इस बोली को बचाने का कोई प्रयास नहीं किया. उद्देश्य उनका सिर्फ एक ही था कि खुद को मुख्यधारा में स्थापित कर उच्च स्थान पर काबिज़ हुआ जाए. खुद को बदलने में चितपावन ब्राह्मण कितने माहिर हैं इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अंग्रेजों ने जब देश में इंग्लिश एजुकेशन की शुरुआत की तो इंग्लिश मीडियम स्कूलों में अपने बच्चों का दाखिला कराने वालों में चितपावन ब्राह्मण सबसे आगे थे. इस तरह अत्यंत कम जनसंख्या वाले चितपावन ब्राह्मणों ने, जो मूलरूप से इज़राइली यहूदी थे, न सिर्फ इस देश में खुद को स्थापित किया बल्कि आरएसएस नाम का संगठन बना कर वर्तमान में देश के नीति नियंत्रण करने की स्थिति तक खुद को पहुँचाया,
आपक आभार । में कइ बार सोच रहा था की आपको गणेश जी के बारे में, विडियो बनाने के लिए विनती करना है। लेकिन आज इस विडियो में थोड़ा बहुत इसका उल्लेख हो गया है। पर फिरभी मेरे मन में ये सवाल है कि गणेश जी/ गणपति जी/ अष्टविनायक/ और अलग अलग दुसरे कइ नाम से जो हम एक ही देव को जानते हैं, वो शायद अलग अलग और अमुक प्रदेश के प्रादेशिक देवताओं है। और जो दक्षिण भारत में पूजन किया जाता है सुब्रह्मण्यम स्वामी, अयप्पन, कार्तिकेय उन देवताओं के बारे मैं भी ओरिजिनल इतिहास जानना चाहता हूँ, और ये सब देवताओं महादेव या शिव के साथ कैसे जुड़ें हुए है। 🙏🙏🙏🙏
सर मैं SC समाज से चमा.. हूं , मेरी माता नाग पंचमी के दिन दीवारों पर कोयले से सांप जैसी आकृति बनाती हैं मैंने अपनी मां से पूछा कि यह सांप क्यों बनाती हो तो उन्होंने बताया कि ऐसी आकृतियां तुम्हारी दादी भी बनाती थी यह हमारे पूर्वजों की परंपरा है शायद आप सही कहते हैं हमारे पूर्वज नागवंशी राजा थे इसीलिए यह प्रथा चली आ रही और मेरा एक सवाल भी आपसे है हम लोगों की हालत सम्राट हर्षवर्धन के पहले भी खराब थी या बाद में खराब की गई??🙏
Sir please ek prashn mere man Mai hai ki buddh kaise dikte honge uska kuch praman hai gandaar kala se phele buddh ki upasna kis roop Mai hoti ti ? Kya shiv ki Jo murti hai dyan mudra hai bete hpte hai jata dari vagere bagva chola vagere ye sab kya ye buddh ke bare Mai varnan hai ya shiv ke ???🙏🙏🙏🌼🌼🌼🙏🌼🌼
Sir ji! मेरे प्रश्न का उत्तर देने के लिए धन्यवाद। एक रिसर्चर हैं Pratap K Chatse वो refrence के साथ यहूदियों को नागवंशी बता रहे हैं जो मुझे भी अजीब लगा इसलिए आपसे पूछा?
जानिये किस देश के है संघ संचालक और संस्थापक चितपावन ब्राह्मण आरएसएस की स्थापना चितपावन ब्राह्मणों ने की और इसके ज्यादातर सरसंघचलक अर्थात् मुखिया अब तक सिर्फ चितपावन ब्राह्मण होते आए हैं. क्या आप जानते हैं ये चितपावन ब्राह्मण कौन होते हैं ? चितपावन ब्राह्मण भारत के पश्चिमी किनारे स्थित कोंकण के निवासी हैं. 18वीं शताब्दी तक चितपावन ब्राह्मणों को देशस्थ ब्राह्मणों द्वारा निम्न स्तर का समझा जाता था. यहां तक कि देशस्थ ब्राह्मण नासिक और गोदावरी स्थित घाटों को भी पेशवा समेत समस्त चितपावन ब्राह्मणों को उपयोग नहीं करने देते थे. दरअसल कोंकण वह इलाका है जिसे मध्यकाल में विदशों से आने वाले तमाम समूहों ने अपना निवास बनाया जिनमें पारसी, बेने इज़राइली, कुडालदेशकर गौड़ ब्राह्मण, कोंकणी सारस्वत ब्राह्मण और चितपावन ब्राह्मण, जो सबसे अंत में भारत आए, प्रमुख हैं. आज भी भारत की महानगरी मुंबई के कोलाबा में रहने वाले बेन इज़राइली लोगों की लोककथाओं में इस बात का जिक्र आता है कि चितपावन ब्राह्मण उन्हीं 14 इज़राइली यहूदियों के खानदान से हैं जो किसी समय कोंकण के तट पर आए थे. चितपावन ब्राह्मणों के बारे में 1707 से पहले बहुत कम जानकारी मिलती है. इसी समय के आसपास चितपावन ब्राह्मणों में से एक बालाजी विश्वनाथ भट्ट रत्नागिरी से चलकर पुणे सतारा क्षेत्र में पहुँचा. उसने किसी तरह छत्रपति शाहूजी का दिल जीत लिया और शाहूजी ने प्रसन्न होकर बालाजी विश्वनाथ भट्ट को अपना पेशवा यानी कि प्रधानमंत्री नियुक्त कर दिया. यहीं से चितपावन ब्राह्मणों ने सत्ता पर पकड़ बनानी शुरू कर दी क्योंकि वह समझ गए थे कि सत्ता पर पकड़ बनाए रखना बहुत जरुरी है. मराठा साम्राज्य का अंत होने तक पेशवा का पद इसी चितपावन ब्राह्मण बालाजी विश्वनाथ भट्ट के परिवार के पास रहा. एक चितपावन ब्राह्मण के मराठा साम्राज्य का पेशवा बन जाने का असर यह हुआ कि कोंकण से चितपावन ब्राह्मणों ने बड़ी संख्या में पुणे आना शुरू कर दिया जहाँ उन्हें महत्वपूर्ण पदों पर बैठाया जाने लगा. चितपावन ब्राह्मणों को न सिर्फ मुफ़्त में जमीनें आबंटित की गईं बल्कि उन्हें तमाम करों से भी मुक्ति प्राप्त थी. चितपावन ब्राह्मणों ने अपनी जाति को सामाजिक और आर्थिक रूप से ऊपर उठाने के इस अभियान में जबरदस्त भ्रष्टाचार किया. इतिहासकारों के अनुसार 1818 में मराठा साम्राज्य के पतन का यह प्रमुख कारण था. रिचर्ड मैक्सवेल ने लिखा है कि राजनीतिक अवसर मिलने पर सामाजिक स्तर में ऊपर उठने का यह बेजोड़ उदाहरण है. (Richard Maxwell Eaton. A social history of the Deccan, 1300-1761: eight Indian lives, Volume 1. p. 192) चितपावन ब्राह्मणों की भाषा भी इस देश के भाषा परिवार से नहीं मिलती थी. 1940 तक ज्यादातर कोंकणी चितपावन ब्राह्मण अपने घरों में चितपावनी कोंकणी बोली बोलते थे जो उस समय तेजी से विलुप्त होती बोलियों में शुमार थी. आश्चर्यजनक रूप से चितपावन ब्राह्मणों ने इस बोली को बचाने का कोई प्रयास नहीं किया. उद्देश्य उनका सिर्फ एक ही था कि खुद को मुख्यधारा में स्थापित कर उच्च स्थान पर काबिज़ हुआ जाए. खुद को बदलने में चितपावन ब्राह्मण कितने माहिर हैं इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अंग्रेजों ने जब देश में इंग्लिश एजुकेशन की शुरुआत की तो इंग्लिश मीडियम स्कूलों में अपने बच्चों का दाखिला कराने वालों में चितपावन ब्राह्मण सबसे आगे थे. इस तरह अत्यंत कम जनसंख्या वाले चितपावन ब्राह्मणों ने, जो मूलरूप से इज़राइली यहूदी थे, न सिर्फ इस देश में खुद को स्थापित किया बल्कि आरएसएस नाम का संगठन बना कर वर्तमान में देश के नीति नियंत्रण करने की स्थिति तक खुद को पहुँचाया,
sir bodh dharm ke rebirth ko explain kriye plzzz ye bda confusing hia or bhot alag bhi or kya ye rebirth after life wala hi hai ya iska mtlb alag hai ... plzzz ispr ek video
lgta h tune sir ji purani video nhi dekhi, usme bta rkha h sir ne. boudhh dharam me rebirth nhi agla birth mante h or ye sb esi life me mana jata h nirwan bhi koi nya janam nhi hota
फिर तो वेद , जो कि संस्कृत में लिखे गए थे उनकी रचना अशोक के बाद हुई होगी । इससे वो सारे तर्क गलत मान लेना चाहिए जो संस्कृत विश्व की प्राचीनतम भाषा बताते हैं । जैसे - ऋग्वेद की जिंद ए अवेस्ता से समानता ।
श्रमण परम्परा जैन एवं बौद्ध दोनोंका शाश्वत आधार है श्रमण परम्परा को समझ ने के लिए जैन दर्शन भी पढना आवश्यक है।
चलो धम्म की ओर 🙏🙏बाबासाहेब का यही सन्देश 😍😍😍14oct 1956🙏
जय भीम, नमो बुधाय 🙏🙏🙏
Namo budhay❤
नमो बुद्धाय जय भीम भाई 😍😍
@@nareshganwre6603जय भीम नमो बुद्धाय चलो बुद्ध की ओर 🌹🌹
@@sushmashinkar2535नमो बुद्धाय 😍😍
नमाे बुद्धाय 🙏🙏🙏 जय भिम 🌷जय शंबिधान ।
पूरे विश्व में बौद्ध धम्म ही वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित है जो कि मानवता पर आधारित है
आदिवासी मे बुढा देव को प्रमुख देव माना जाता है क्या ये budhdha ही है जो बाद मे बुढा देव नाम परिवर्तित हो गए..sir plz reply
vedeoसुनकर बहत अच्छा लगा ! सच्चे इतिहास के लिए धन्यवाद !
नमस्कार Hamara Atit Sir हमारा ग्यान वर्धन के लिए ह्रदय से आभारी हूँ अपने परिवार के साथ!
Dhammachakra pravartan din ki hardik shubhkamnaye ☸️🙏🌷
Jay bhim Namo budhhay from madhya pradesh 🙏
सर जी
में एक आदिवासी मीना कबीला से आता हो
जिस गण चिन्ह के नाम मछ यानी मछली है
जिस के नाम से पूर्वी राजस्थान की अरावली पर्वतमाला को मत्स्य जनपत का नाम आदिकाल में मिला था
जिस की राजधानी विराट नगर थी
मेरा गण चिन्ह मछ यानी मछली है
इसी प्रकार पूरे देश मे मूल लोगो के अलग अलग कबीलों के अलग अलग गण चिन्ह है
जिन को इन वैदिक गपोड़ी लोगो भगवान बना रखे हैं
आप से मुझे यह जानना है कि
इस जम्भूदीप मे मूलनिवासियों की गण वेवस्था सुरु प्रथम कब बनी थी और कुल कितने कबीले थे
जय जौहर
जय विश्वगुरु बुद्ध की
सर हिंदू धर्म के ग्रंथो के अनुसार मूर्ति पूजा, मंदिर बनाना ये सब हिंदु धर्म का हिस्सा नहि है तो हिंदु लोग मूर्ति कबसे पूजने लगे मंदिर कबसे बनाने लगे, क्या ये सब इन्होंने बौद्ध धम्म को कब्ज़ा किया है उनकी मूर्ति, मंदिर विहार आदि पर????
बोहत ही अच्छी जानकारी
अलग मान्यता की मिली ।
मैने पहली बार सुना। अब हमेशा सुनूगा।
बोहत बोहत धन्यवाद
☸️👌💯%✔️संशोधित ऐतिहासिक सत्य है ! बुध्द ही मुलनिवासी भारतीयो की असली ऐतिहासिक विरासत है ! जयभीम ! नमो बुध्दाय !🇮🇳❤🙏
Nice information sir ji.
सर प्राचीन भारत का विदेशो में व्यापार होता था तो वो उनके पुराने किताबो या ग्रंथो में भारत का उल्लेख तो होगा की वो कैसा और कौन था
आपने सारे प्रश्नों के जवाब बहुत अच्छे से दिए , धन्यवाद।
Awesome question answer.😊
सर एक प्रश्न है दिमाग में, क्या जो कुछ पुस्तक हैं जैसे ''बौद्ध भिक्षु चीनी यात्री इतसिंग की भारत यात्रा '' और " अलबरूनी का भारत " । क्या ये पुस्तक भारत सरकार के द्वारा मान्यता प्राप्त हैं?
कृपया क्या आप हमे अजंठा ओर एलोरा ( वेरूळ) के शिल्पगूफा के बारे मे विस्रुत जाणकारी दे सकते हैं , बुद्ध धर्म के विस्तार से पतन तक और हिंदु धर्म के जन्म से विस्तार तक .
Bharat me buddha ka dhamm hi sanatan hai satya hai Babasaheb ji 14 oct 1956 ko buddha dhamm ki diksha diye Nmo Buddha🙏 jai bhim🙏 jai samrat Ashok 🙏 jai buddhist nagvanshi mulnivasi🙏
❤❤❤❤❤Namo Buddhay Buddhamay Bharatvarsh JAI Samvidhan JAI Bhim JAI vigyan JAI Kisan JAI Jawan sadhu sadhu sadhu bhavatu Sabba Mangalang ❤❤❤❤❤
हम सब मनुष्य प्राणी है l पर्यावरण का एक छोटासा कण है l यह एक बात सत्य है l धर्म आयेंगे और, और भी नये बनेंगे l अच्छा है कि नया कुछ सिखे l पुराणे विचार सिर्फ मार्गदर्शक है l सभी धर्म हमे कुछ अच्छी बाते सिखाते है l यह बाते हमारे शाश्वत विकास के लिए काम आयेंगी l तो कौन पहले और कौन बादमें इससे अच्छा इनके अच्छे विचार मिलाकार उनपे चर्चा हो तो सबसे अच्छा है.. धन्यवाद
ज्ञान वर्धन करने के लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद
जय भीम नमो बुद्धय सर, आप की वीडियो से मुझे बहुत अधिक जानकारी मिलती है| आप की वीडियो देख कर जब में अपनी university के प्रोफेसर के सामने प्रश्न करता हूं तो वो मुझे जवाब नहीं देते मुझ पर गुस्सा हो जाते हैं| सभी प्रोफेसरों की जाति ब्राह्मण हैं
Right
Sir long video chahiye 40 minutes ki 😅😊
लम्बी वीडियो मंगलवार को मिलेगी | ये प्रश्न उत्तर वाली वीडियो है |
जब से आपके वीडियो को देखना शुरू किया हूं तब से मैं आपके कोई भी वीडियो मिस नहीं करता हूं।
धन्यवाद! इसी तरह नए नए जानकारी बनाते रहिए 🙏🙏🙏
Sir
आप कितना महान काम कर रहे हैं शायद आपको भी नहीं पता। 🙏🙏🙏
आपसे निवेदन है की आप तिरुपति बाला जी के मंदिर के बारे में एक वीडियो बनाएं। मेरे रिसर्च के अनुसार यह जैन मंदिर है। 🙏🙏❤️❤️❤️❤️
Thank sir..for your. Old imformetion.this is helde to India.
Sir mujha Jana h ki Greek Indian or iran bharma ka bharma toh kaise pta karu khuch advice please
Thank you sir for great video
आपको नमस्कार सर 🙏🙏 इतनी सच्चाई दिखाने के लिए अपेक्षित अहर्ताएं आपके पास पर्याप्त है और विश्वास के साथ आप दिखाते भी हैं।
धर्म एक दिन , एक माह या एक वर्ष में नहीं बनता है । यह संस्कृति का अंग है । प्रत्येक समाज अपने सदस्यों के सार्वजनिक हित के लिए नियम बनाता है और कहता है कि ये नियम देवों द्वारा बनाए गए हैं । आदिम अवस्था में कुछ नियम प्रत्येक समूह ने बनाया और कहा कि ये नियम ईश्वर द्वारा बनाए गए हैं । ईश्वर की पूजा करो और उनके द्वारा बनाए गए नियमों का पालन करो ।
चूंकि धर्म सत्ता पर आरूढ़ व्यक्तियों द्वारा बनाया जाता है इसका रूप बदलता रहता है। । उदाहरणार्थ वैदिक धर्म और आज का सनातन धर्म । दोनों ने बहुत अंतर है । ऋग्वेद में इंद्र सर्वश्रेष्ठ देवता हैं और आज उन्हें विलासी और पापाचारी देवता माना जाता है । उदाहरणार्थ अहल्या का शील हरण ।
Excellent Explanation, Best Wishes. Jai Bhim 🙏🙏💐💐
बहुत सुंदर जानकारी दी गई है ❤
Ved kitna purana hai 196 0843000 ya ,3500 ya1464ad ka
धन्य है वह जीवन जो सत्य को समर्पित है।
इण्डिका के अनुसार सिन्धु नदी के पश्चिमी भाग को आर्यावर्त कहते थे l क्या इसका अर्थ यह हुआ कि उस भाग में वैदिक सभ्यता थी?
Ancient history aur medival history ke liye kaun si book padhe
Sir plz elebroate a bit about tirupati balaji mandir tirupati
Kripya Devraha baba par video banayen wo bhi nagna hi Raha karte the aur umra bhi bahut thi Kripya uttar dijiye🙏
क्या syllabus में कभी भारत का सही इतिहास आ पाएगा ??
मैने बाबा साहब की बुद्ध और उनका धम्म पढ़ी है, उसमे उन्होंने बुद्ध को सांख्य दर्शन के प्रवर्तक आलार कलाम से मिलने की घटना को दर्शाया है तो मेरा प्रश्न यह है की सांख्य वैदिक काल के षष्ट दर्शनों में गिना जाता है तो क्या उनसे वैदिक काल की प्रामाणिकता साबित नही होती?
सर ये ब्राह्मणवाद इतना बलशाली क्यो हुवा ? और लोग उसिको क्यो मानणे लगे ?
नमो बुद्ध l नमो नमः ll 🙏
सर,
क्या यह सत्य है की जैनियों के सारे ग्रंथ ८वीं सताब्दी के बाद ही लिखे गए हैं और क्या उनके सारे ग्रंथ कागज पर ही लिखे गए
Sir , Ashvghosh ka kalkhand btadijiye .
संस्कृत भाषा तो बहुत प्राचीन है।
Hinduism = mahayan buddhism .
सर,, आपने पाहिले सवाल का जवाब बहुत ही सुंदर दिया है और इस पर एक पुरी किताब ही लिखी जा सकती है सर इस पर एक किताब जरूर लिखीये 🙏
सर आपकी जानकारी से बहोत अंगार लगती है लोगों को। ये लोग आपकी जानकारी को हजम नहीं कर सकते।आपका बहुत बहुत धन्यवाद सर।
Sabse prachin Dharm hai Gautam Buddha ka dharm jai bhim jai savidhan jai budhay
सर सती प्रथा भारत में कब स्थाई हुई होगी?
Sir , history ko kese likha ja sakta hi, kirpa bataye
Mulnivasiyo ka Dhamm hi Bharat ka vastvik dharm h🙏🙏🙏🙏🙏Jai Bheem Namo Budhay
Sir Vedo ka India or India k bahar Archeological Historical evidence kitna Purana or Kaha milta hai?Zoorastrian Religion text Zendavestha se konse Ved ko Copy kiya or Kitna Percent copy kiya,Thanks😊✊🇮🇳
Pantheism समन संस्कृती से पुराना धर्म है? कया इसके कुछ सबुत मिलते? शंकराचार्य और pantheism कुछ संबंध है सर जरूर बताइऐ
Sar ramayan Mahabharat ka sahi samay kya he ?🙏🙏
बौद्ध , जैन और वैदिक - ये तीनों ही धर्म अनादि हैं अनन्त हैं और एक ही हैं।
ये भगवान् बुद्ध , भगवान् महावीर और भगवान् शंकराचार्य का मानना है ।
उपाध्याय, महायपाध्याय, चटोपाध्याय , पंडित आदि क्या ये सब ब्राह्मण के सरनेम है या नालंदा में बौद्ध भिक्षु गुरु को मिलने वाली उपाधि, क्या ब्राह्मणों ने ये सब चोरी किया है,,, प्राचीन भारत में ब्रह्मण कोनसा सरनेम लगाते थे???
मेरा प्रश्न लेने के लिए कोटि कोटि धन्यवाद गुरुजी।।। ❤❤❤
जैन धर्म में तिलक सिर्फ चंदन का ही लगाय जाता ये चित यानी मन को शांत करता है
Sir
Budha Mokchh ya Atma ki mukti ke sidhant ke jagah Bodh Nirman ki sthapna ki
Wo Nirman kya hai?
जानकारी तार्किक है धार्मिक इतिहास को और अधिक विस्तृत रूप से समझना होगा
एएसआई के सभी लोग पूर्वाग्रह से ग्रसित होते हैं तो वे कैसे सच्ची इतिहास और सबूत पेश करेंगे?
very good
Buddhist Tibetan scriptures sanskriti sai translate kri gyi hai ki pali sai... ?? Kripya jawab dai.🙏
सर, क्या जितिया बौद्ध त्यौहार है और क्या इसका संबंध आठवीं सताब्दी के विदेशी संघर्ष से है?
Mahayan ..vrajrayan ... online book lene ke liye Gujarati ya Hindi me milega...sir ji....
Sir kya buddha aur us ke kal ko padne ke liye kon kitab se suru karna chahiye please book ka nam bataiye.
सर क्या पारसी के अलावा यहूदी भी भारत में आए कृपया बताए🙏।
Chitpavan Brahman Kou hai jaane
जानिये किस देश के है संघ संचालक और संस्थापक चितपावन ब्राह्मण
आरएसएस की स्थापना चितपावन ब्राह्मणों ने की और इसके ज्यादातर सरसंघचलक अर्थात् मुखिया अब तक सिर्फ चितपावन ब्राह्मण होते आए हैं. क्या आप जानते हैं ये चितपावन ब्राह्मण कौन होते हैं ?
चितपावन ब्राह्मण भारत के पश्चिमी किनारे स्थित कोंकण के निवासी हैं. 18वीं शताब्दी तक चितपावन ब्राह्मणों को देशस्थ ब्राह्मणों द्वारा निम्न स्तर का समझा जाता था. यहां तक कि देशस्थ ब्राह्मण नासिक और गोदावरी स्थित घाटों को भी पेशवा समेत समस्त चितपावन ब्राह्मणों को उपयोग नहीं करने देते थे.
दरअसल कोंकण वह इलाका है जिसे मध्यकाल में विदशों से आने वाले तमाम समूहों ने अपना निवास बनाया जिनमें पारसी, बेने इज़राइली, कुडालदेशकर गौड़ ब्राह्मण, कोंकणी सारस्वत ब्राह्मण और चितपावन ब्राह्मण, जो सबसे अंत में भारत आए, प्रमुख हैं. आज भी भारत की महानगरी मुंबई के कोलाबा में रहने वाले बेन इज़राइली लोगों की लोककथाओं में इस बात का जिक्र आता है कि चितपावन ब्राह्मण उन्हीं 14 इज़राइली यहूदियों के खानदान से हैं जो किसी समय कोंकण के तट पर आए थे.
चितपावन ब्राह्मणों के बारे में 1707 से पहले बहुत कम जानकारी मिलती है. इसी समय के आसपास चितपावन ब्राह्मणों में से एक बालाजी विश्वनाथ भट्ट रत्नागिरी से चलकर पुणे सतारा क्षेत्र में पहुँचा. उसने किसी तरह छत्रपति शाहूजी का दिल जीत लिया और शाहूजी ने प्रसन्न होकर बालाजी विश्वनाथ भट्ट को अपना पेशवा यानी कि प्रधानमंत्री नियुक्त कर दिया. यहीं से चितपावन ब्राह्मणों ने सत्ता पर पकड़ बनानी शुरू कर दी क्योंकि वह समझ गए थे कि सत्ता पर पकड़ बनाए रखना बहुत जरुरी है. मराठा साम्राज्य का अंत होने तक पेशवा का पद इसी चितपावन ब्राह्मण बालाजी विश्वनाथ भट्ट के परिवार के पास रहा.
एक चितपावन ब्राह्मण के मराठा साम्राज्य का पेशवा बन जाने का असर यह हुआ कि कोंकण से चितपावन ब्राह्मणों ने बड़ी संख्या में पुणे आना शुरू कर दिया जहाँ उन्हें महत्वपूर्ण पदों पर बैठाया जाने लगा. चितपावन ब्राह्मणों को न सिर्फ मुफ़्त में जमीनें आबंटित की गईं बल्कि उन्हें तमाम करों से भी मुक्ति प्राप्त थी. चितपावन ब्राह्मणों ने अपनी जाति को सामाजिक और आर्थिक रूप से ऊपर उठाने के इस अभियान में जबरदस्त भ्रष्टाचार किया. इतिहासकारों के अनुसार 1818 में मराठा साम्राज्य के पतन का यह प्रमुख कारण था. रिचर्ड मैक्सवेल ने लिखा है कि राजनीतिक अवसर मिलने पर सामाजिक स्तर में ऊपर उठने का यह बेजोड़ उदाहरण है. (Richard Maxwell Eaton. A social history of the Deccan, 1300-1761: eight Indian lives, Volume 1. p. 192)
चितपावन ब्राह्मणों की भाषा भी इस देश के भाषा परिवार से नहीं मिलती थी. 1940 तक ज्यादातर कोंकणी चितपावन ब्राह्मण अपने घरों में चितपावनी कोंकणी बोली बोलते थे जो उस समय तेजी से विलुप्त होती बोलियों में शुमार थी. आश्चर्यजनक रूप से चितपावन ब्राह्मणों ने इस बोली को बचाने का कोई प्रयास नहीं किया. उद्देश्य उनका सिर्फ एक ही था कि खुद को मुख्यधारा में स्थापित कर उच्च स्थान पर काबिज़ हुआ जाए. खुद को बदलने में चितपावन ब्राह्मण कितने माहिर हैं इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अंग्रेजों ने जब देश में इंग्लिश एजुकेशन की शुरुआत की तो इंग्लिश मीडियम स्कूलों में अपने बच्चों का दाखिला कराने वालों में चितपावन ब्राह्मण सबसे आगे थे.
इस तरह अत्यंत कम जनसंख्या वाले चितपावन ब्राह्मणों ने, जो मूलरूप से इज़राइली यहूदी थे, न सिर्फ इस देश में खुद को स्थापित किया बल्कि आरएसएस नाम का संगठन बना कर वर्तमान में देश के नीति नियंत्रण करने की स्थिति तक खुद को पहुँचाया,
आपक आभार ।
में कइ बार सोच रहा था की आपको गणेश जी के बारे में, विडियो बनाने के लिए विनती करना है।
लेकिन आज इस विडियो में थोड़ा बहुत इसका उल्लेख हो गया है।
पर फिरभी मेरे मन में ये सवाल है कि गणेश जी/ गणपति जी/ अष्टविनायक/ और अलग अलग दुसरे कइ नाम से जो हम एक ही देव को जानते हैं, वो शायद अलग अलग और अमुक प्रदेश के प्रादेशिक देवताओं है।
और जो दक्षिण भारत में पूजन किया जाता है सुब्रह्मण्यम स्वामी, अयप्पन, कार्तिकेय उन देवताओं के बारे मैं भी ओरिजिनल इतिहास जानना चाहता हूँ, और ये सब देवताओं महादेव या शिव के साथ कैसे जुड़ें हुए है।
🙏🙏🙏🙏
सर मैं SC समाज से चमा.. हूं , मेरी माता नाग पंचमी के दिन दीवारों पर कोयले से सांप जैसी आकृति बनाती हैं मैंने अपनी मां से पूछा कि यह सांप क्यों बनाती हो तो उन्होंने बताया कि ऐसी आकृतियां तुम्हारी दादी भी बनाती थी यह हमारे पूर्वजों की परंपरा है शायद आप सही कहते हैं हमारे पूर्वज नागवंशी राजा थे इसीलिए यह प्रथा चली आ रही और मेरा एक सवाल भी आपसे है हम लोगों की हालत सम्राट हर्षवर्धन के पहले भी खराब थी या बाद में खराब की गई??🙏
Aapne ye kha ki hindu dharm budh ki shakha but i think budh hi sanatan ki shakha h
सर, श्री गुरु दत्तात्रय भी महायान शाखा से आते है क्या ???
Bharat ke brahmono par ek video banaiye 🙏🏼
Bharat k mulnivasi Brahman or Kshatriya kya SC St k sath rahenge
सर 🙏 नमस्कार मेरा एक सवाल हे
शाक्य मुनि महाकरुनी तथागत सिध्दार्थ गौतम जी का (surname)सरनेम क्या है
आपने बहुत अच्छे जवाब दिए हैं ।
Sir mujhse koeri jati ka itihas janna hai pls aap bataye
सर ,
भारत में ८वीं शताब्दी के बाद धर्मो के उदय,
वेदांत के निराकार ब्रह्म व अल्लाह की निराकार अवधारणा के बीच क्या संबंध है?
Sir kya aap emrs pgt ka syllabus history wala kara dijiyega apki bahut meharbani hogi 😢😢
Sir please ek prashn mere man Mai hai ki buddh kaise dikte honge uska kuch praman hai gandaar kala se phele buddh ki upasna kis roop Mai hoti ti ? Kya shiv ki Jo murti hai dyan mudra hai bete hpte hai jata dari vagere bagva chola vagere ye sab kya ye buddh ke bare Mai varnan hai ya shiv ke ???🙏🙏🙏🌼🌼🌼🙏🌼🌼
hadappa sabhyata me kon sa sampraday tha.
Sir nag vansh ki history ke bare me bata ye
१४ अक्टूबर १९५६... ६७वे घर-वापसी #धम्म_क्रांती दिन की आप सभी को हार्दिक मंगलकामनाएं...☸️🙏
Vishv ki sabse prachin bhasha kon si hai
Sir ji! मेरे प्रश्न का उत्तर देने के लिए धन्यवाद।
एक रिसर्चर हैं Pratap K Chatse वो refrence के साथ यहूदियों को नागवंशी बता रहे हैं जो मुझे भी अजीब लगा इसलिए आपसे पूछा?
जानिये किस देश के है संघ संचालक और संस्थापक चितपावन ब्राह्मण
आरएसएस की स्थापना चितपावन ब्राह्मणों ने की और इसके ज्यादातर सरसंघचलक अर्थात् मुखिया अब तक सिर्फ चितपावन ब्राह्मण होते आए हैं. क्या आप जानते हैं ये चितपावन ब्राह्मण कौन होते हैं ?
चितपावन ब्राह्मण भारत के पश्चिमी किनारे स्थित कोंकण के निवासी हैं. 18वीं शताब्दी तक चितपावन ब्राह्मणों को देशस्थ ब्राह्मणों द्वारा निम्न स्तर का समझा जाता था. यहां तक कि देशस्थ ब्राह्मण नासिक और गोदावरी स्थित घाटों को भी पेशवा समेत समस्त चितपावन ब्राह्मणों को उपयोग नहीं करने देते थे.
दरअसल कोंकण वह इलाका है जिसे मध्यकाल में विदशों से आने वाले तमाम समूहों ने अपना निवास बनाया जिनमें पारसी, बेने इज़राइली, कुडालदेशकर गौड़ ब्राह्मण, कोंकणी सारस्वत ब्राह्मण और चितपावन ब्राह्मण, जो सबसे अंत में भारत आए, प्रमुख हैं. आज भी भारत की महानगरी मुंबई के कोलाबा में रहने वाले बेन इज़राइली लोगों की लोककथाओं में इस बात का जिक्र आता है कि चितपावन ब्राह्मण उन्हीं 14 इज़राइली यहूदियों के खानदान से हैं जो किसी समय कोंकण के तट पर आए थे.
चितपावन ब्राह्मणों के बारे में 1707 से पहले बहुत कम जानकारी मिलती है. इसी समय के आसपास चितपावन ब्राह्मणों में से एक बालाजी विश्वनाथ भट्ट रत्नागिरी से चलकर पुणे सतारा क्षेत्र में पहुँचा. उसने किसी तरह छत्रपति शाहूजी का दिल जीत लिया और शाहूजी ने प्रसन्न होकर बालाजी विश्वनाथ भट्ट को अपना पेशवा यानी कि प्रधानमंत्री नियुक्त कर दिया. यहीं से चितपावन ब्राह्मणों ने सत्ता पर पकड़ बनानी शुरू कर दी क्योंकि वह समझ गए थे कि सत्ता पर पकड़ बनाए रखना बहुत जरुरी है. मराठा साम्राज्य का अंत होने तक पेशवा का पद इसी चितपावन ब्राह्मण बालाजी विश्वनाथ भट्ट के परिवार के पास रहा.
एक चितपावन ब्राह्मण के मराठा साम्राज्य का पेशवा बन जाने का असर यह हुआ कि कोंकण से चितपावन ब्राह्मणों ने बड़ी संख्या में पुणे आना शुरू कर दिया जहाँ उन्हें महत्वपूर्ण पदों पर बैठाया जाने लगा. चितपावन ब्राह्मणों को न सिर्फ मुफ़्त में जमीनें आबंटित की गईं बल्कि उन्हें तमाम करों से भी मुक्ति प्राप्त थी. चितपावन ब्राह्मणों ने अपनी जाति को सामाजिक और आर्थिक रूप से ऊपर उठाने के इस अभियान में जबरदस्त भ्रष्टाचार किया. इतिहासकारों के अनुसार 1818 में मराठा साम्राज्य के पतन का यह प्रमुख कारण था. रिचर्ड मैक्सवेल ने लिखा है कि राजनीतिक अवसर मिलने पर सामाजिक स्तर में ऊपर उठने का यह बेजोड़ उदाहरण है. (Richard Maxwell Eaton. A social history of the Deccan, 1300-1761: eight Indian lives, Volume 1. p. 192)
चितपावन ब्राह्मणों की भाषा भी इस देश के भाषा परिवार से नहीं मिलती थी. 1940 तक ज्यादातर कोंकणी चितपावन ब्राह्मण अपने घरों में चितपावनी कोंकणी बोली बोलते थे जो उस समय तेजी से विलुप्त होती बोलियों में शुमार थी. आश्चर्यजनक रूप से चितपावन ब्राह्मणों ने इस बोली को बचाने का कोई प्रयास नहीं किया. उद्देश्य उनका सिर्फ एक ही था कि खुद को मुख्यधारा में स्थापित कर उच्च स्थान पर काबिज़ हुआ जाए. खुद को बदलने में चितपावन ब्राह्मण कितने माहिर हैं इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अंग्रेजों ने जब देश में इंग्लिश एजुकेशन की शुरुआत की तो इंग्लिश मीडियम स्कूलों में अपने बच्चों का दाखिला कराने वालों में चितपावन ब्राह्मण सबसे आगे थे.
इस तरह अत्यंत कम जनसंख्या वाले चितपावन ब्राह्मणों ने, जो मूलरूप से इज़राइली यहूदी थे, न सिर्फ इस देश में खुद को स्थापित किया बल्कि आरएसएस नाम का संगठन बना कर वर्तमान में देश के नीति नियंत्रण करने की स्थिति तक खुद को पहुँचाया,
sir bodh dharm ke rebirth ko explain kriye plzzz ye bda confusing hia or bhot alag bhi or kya ye rebirth after life wala hi hai ya iska mtlb alag hai ... plzzz ispr ek video
lgta h tune sir ji purani video nhi dekhi, usme bta rkha h sir ne. boudhh dharam me rebirth nhi agla birth mante h or ye sb esi life me mana jata h nirwan bhi koi nya janam nhi hota
Jarur video banaye
28 बुद्ध के समकालीन प्रमाण क्या है?
Bahut sunder
Sir ese jarur dekhen
Sir aaryo pr video banayie
Hat's off to your enthusiastic work
Namaste sir bahut achhi jankari di aapne
बाबासाहेब आंबेडकर के बहोत उपकार है दिल❤से सेल्युट ❤
कॄपया तिरूपति बालाजी के इतिहास पर विडीयो बनाए 🙏🙏🙏
Tirupati balaji asalme jain mandir tha esake praman mile hai
Please provide information of kumaril Bhat
भारत के छह दर्शन कितने पुराने है
Thank you very mach.
फिर तो वेद , जो कि संस्कृत में लिखे गए थे उनकी रचना अशोक के बाद हुई होगी ।
इससे वो सारे तर्क गलत मान लेना चाहिए जो संस्कृत विश्व की प्राचीनतम भाषा बताते हैं । जैसे - ऋग्वेद की जिंद ए अवेस्ता से समानता ।