🚩महाराज, आपलें किर्तन ऐकताना देहभान हरपुन जाते, आणि आम्हीं ज्ञानेश्वरीमय होऊंन जातो. असेंच आपले ज्ञानामृत आम्हांला कायम मिळावं हिंच राष्ट्रसंत भगवान बाबांच्या चरणी प्रार्थना. 🚩जय भगवान 🙏🏻.
तुमचे शब्द ऐकल्यामुळे ज्ञानेश्वरी वाचनाची आवड लागली शिक्षक शिकवतात त्या पद्धतीने तुम्ही आम्हाला समजून सांगतात आम्हाला माऊलीच्या जवळ आल्यासारखे वाटते जय जय राम कृष्ण हरी🙏🙏💐💐
राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी
🚩महाराज, आपलें किर्तन ऐकताना देहभान हरपुन जाते, आणि आम्हीं ज्ञानेश्वरीमय होऊंन जातो. असेंच आपले ज्ञानामृत आम्हांला कायम मिळावं हिंच राष्ट्रसंत भगवान बाबांच्या चरणी प्रार्थना.
🚩जय भगवान 🙏🏻.
RAM KRUSHNA HARI MAHARAJ 🙏👌💐⛱🙏🙏🙏🙏
Ram krishna Hari🙏🙏
Khupch sunder chintan .
Ram Krishna Hari maharaj 🙏🙏🙏🙏❤❤
Jay Hari vidhal ❤
राम कृष्ण हरी 🙏🏼🙇🏼🚩🛕
रामकृष्ण हरी. जय जय राम कृष्ण गोविंद हरी.🙏🕉🔱🚩🙏🕉🔱🚩
Vitthal Vitthal Vitthal Vitthal Vitthal Vitthal Vitthal Vitthal Vitthal Vitthal Vitthal Vitthal Vitthal Vitthal Vitthal 🙏🙏🙏🌹🌹🌹🚩🚩🚩
राम कृष्णा हारी🙏🙏🙏
राम कृष्ण हरि.🙏🙏🙏
राम कृष्ण हरी 🌹🙏🙏🌹👏
खुप खुप छान छान महाराजांनी चिंतन
विषय मांडला.... जय हरी राम कृष्ण हरी 🌹🙏🙏🙏🙏🙏🌹👏👌👌
जय हरी - जय गगनगिरी
जय हरी
कीर्तन चिंतन उत्कृष्ट. हार एक अतिशय स्तुत्य
राम कृष्ण हरी
महाराष्ट्रातील एकमेव न्यायाचार्य डॉ महंत श्री नामदेव जी महाराज शास्त्रीजी (भगवानगड मठाधिपती) खूप छान किर्तन झाले शास्त्री बाबांचे !!!!
¹😊
जय हरी
रामकृष्ण हरी🙏🙏🙏🙏🙏
**श्री हरी **
किर्तन ऐकतांना .. . भान हरपत .. . यापेक्षा मोठ सुख व समाधान या भौतिक विश्वात अन्यत्र नाही.
राम कृष्ण हरि .. . बाबा.
राम कृष्ण हरी🙏🙏🙏 धन्य वाद बाबा
Shastribabancya charni koti dandvat pranam chhan kirtan 🙏🚩
तुमचे शब्द ऐकल्यामुळे ज्ञानेश्वरी वाचनाची आवड लागली शिक्षक शिकवतात त्या पद्धतीने तुम्ही आम्हाला समजून सांगतात आम्हाला माऊलीच्या जवळ आल्यासारखे वाटते जय जय राम कृष्ण हरी🙏🙏💐💐
"शास्त्री "असा शब्द आहे
राम कृष्ण हरी
🙏🏻
Mauli
🙏🙏
रामकृष्ण हरी महाराज
शास्त्री बाबांच किर्तन म्हणजे एक आमच्यासाठी पर्वणीच असते.
प्रत्यक्ष ज्ञानेश्वरी चा अनुभव आला
राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी राम कृष्ण हरी
शास्त्री महाराज यांचे कीर्तन माझ्या गावी व्हावी अशी अपेक्षा आहे त्यांच्याशी सम्पर्क कसा होईल
तृप्ती होते काना मनाची ऐकून.
एक एक शब्द साठवून ठेवावेत
शतशा दंडवत
अमृत वाणी ऐकतच रहावी वाटते
राम कृष्ण हरी.👏👏👏