अथ चाणक का अंग | Ath Chanak Ka Ang | Amargranth Sahib by Sant Rampal Ji Maharaj
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- เผยแพร่เมื่อ 15 ส.ค. 2023
- अथ चाणक का अंग | Ath Chanak Ka Ang | Amargranth Sahib by Sant Rampal Ji Maharaj
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कबीर, जीव बिलंब्या जीव सौं, अलख न लखिया जाय। गोविन्द मिलै न झल बूझे, रही बुझाय बुझाय।।1।।
कबीर, इस उदर के कारनै, जगत जाँच्यो निश याम। स्वामी पणौं जु सिर चढ्यौ, सर्यौ न एको काम।।2।।
कबीर, स्वामी होंणां सोहरा, दोहरा होंणां दास। गाडर आनी ऊंन कूं, बांधी चरै कपास।।3।।
कबीर, स्वामी हूवा सीत का, पैसे कार पचास। राम नाम कांठै रह्या, करे शिष्यां की आश।।4।।
कबीर, तृष्णा टोकणी, लिया फिरै सुभाय। राम नाम चीन्हैं नहीं, पीतल ही कै चाय।।5।।
कबीर, कलि का स्वामी लोभीया, मनसा रहे बधाय। देहीं पैसा ब्याज कूँ, लेखा करता जाय।।6।।
कबीर, कलि का स्वामी लोभीया, पीतल धरै खटाय। राज द्वारै यौं फिरै, ज्यौं हरियाई गाय।।7।।
कबीर, कलियुग आईया, मुनिवर मिलै न कोय। लोभी लालची मसकरा, तिनको आदर होय।।8।।
कबीर, चार बेद पण्डित पढ्या, हरि सौं किया न हेत। बाल कबीरा ले गया, पण्डित ढूंढै खेत।।9।।
कबीर, ब्राह्यण गुरु जगत का, कर्म धर्म का खाय। उलझ पुलझ कर मर गया, च्यारौं बेदां माहीं।।10।।
कबीर, कलि का ब्राह्यण मसकरा, ताहि न दीजै दान। कुटुंब सहित नरके चला, साथ लिया यजमान।।11।।
कबीर, ब्राह्यण बूड़ा बापुड़ा, जनेऊ कै जोर। लख चौरासी मांग लई, पारब्रह्म से तोर।।12।।
कबीर, साकट सण का जेवड़ा, भीग्यां तैं करड़ाय। राम नाम से खिज मरै, बांध्या जमपुर जाय।।13।।
कबीर, साकट की सभा, तूं ना बैठै जाय। एकहि बाड़ै ठीक नहीं, रोझ गदहड़ा गाय।।14।।
कबीर, साकट से शूकर भला, सूचा राखैं गांव। बूड़ा साकट बापड़ा, बैठकर फूटी नांव।।15।।
कबीर, साकट ब्राह्मण ना मिलै, मिलै सतगुरू दीन दयाल। अंक माल दे भेटिये, मांनौं मिले गोपाल।।16।।
कबीर, पाड़ोसी से रूसणां, तिल तिल सुख की हान। आधीनी राह गहै, यही संत की पिछान।।17।।
कबीर, ब्यास कथा कहैं, भीतर भेदैं नाहीं। औरौं कूँ प्रमोधता, गये नरक के माहीं।।18।।
कबीर, चतुराई सूवै पढी, सोई पंजर माहीं। फिर प्रमोधै आन कूं, आपन समझै नाहीं।।19।।
कबीर, रास पराई राखतां, खाया घर का खेत। औरौं कूँ प्रमोधतां, मुंहड़ै पड़ गया रेत।।20।।
कबीर, कहै पीर कूं, तूं समझावैं सब कोय। संसा पढेगा आप कूं, तौ और कहें क्या होय।।21।।
कबीर, तारा मंडल बैठ के, चाँद बड़ाई खाय। उदय भया जब सूरज का, स्यौं तारौं छिप जाय।।22।।
कबीर, देखन के सबको भले, जैसे सीत के कोट। रवि कै उदय न दीस हीं, बंधै न जल की पोट।।23।।
कबीर, सुनत सुनावत दिन गये, उलझ न सुलझ्या मन। कहै कबीर चेत्या नहीं, अजहूं पहला दिन।।24।।
कबीर, तीर्थ कर कर जग मुवा, ऊड़ै पानी न्हाय। रामहि राम ना जपा, काल घसीटें जाय।।25।।
कबीर, गंगा कांठै घर करैं, पीवै निर्मल नीर। मुक्ति नहीं हरि नाम बिन, यौं कहै रहे साच कबीर।।26।।
कबीर, इस संसार को, समझाऊँ कै बार। पूंछ जो पकड़ैं भेड़ की, उतर्या चाहैं दरिया पार।।27।।
कबीर, पद गाया मन हर्षिया, साखी कह्या आनंद। सो तत नाम न जांनिया, गल में पड़ गया फंध।।28।।
कबीर, मन फूल्या फिरै, करता हूंर धर्म। कोटि कर्म ले चल्या, चेत न देखै भ्रम।।29।।
कबीर, कथनी कथी तो क्या भया, जे करणी ना ठहराय। बालू के कोट ज्यों, देखत ही ढह जाय।।30।।
कबीर, करता दीसै कीर्तन, ऊँचा कर कै तूंड़। जानै बूझैं कुछ नहीं, यौंहीं अंधा रूण्ढ।।31।।
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जय जय जय हो बंदी छोङ सद्गुरु रामपाल जी भगवान जी की जय हो 🙏 🙏 🙏 🙏
🏳विश्व प्रसिद्ध समाज सुधारक संत रामपाल जी महाराज के प्रयास से समाज को नशे से मिल रही है आज़ादी, जिससे भारत बन रहा है नशा मुक्त।
जय हो बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी भगवान जी की
बन्दी छोड सतगुरु राम पाल जी भगवान की जय हो 🙏🏼🙏
शरण पड़े को गुरु सम्हाले , जान के बालक भोला रे।
कहे कबीर चरण चित राखो , ज्यों सुई में डोरा रे।।
संत रामपाल जी महाराज ने अपने शिष्यों को परमात्मा की अमर वाणी के माध्यम से माया की दौड़ से आज़ादी दिलवाई।
साईं इतना दीजिये, जा में कुटुम्ब समाय।
हम भी भूखे न रहे, अतिथि न भूखा जाय।।
संत रामपाल जी महाराज जी पूरे विश्व में एकमात्र ऐसे संत हैं जो शास्त्रों के अनुकूल भक्ति बताते हैं।
कबीर, राम नाम को सुमरतां, अधम तरे अपार।
अजामेल गणिका स्वपच, सदना सबरी नारी
राम नाम रस चाखिया हरि नामा हरि तारि॥
कहु कबीर कंचन भया भ्रम गया समुद्रै पारि
सतगुरु की वाणी (सत्संग) हमारे मन के विकारों को दूर करके सद्विचारों का आलोक प्रसारित करती है।
जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी
कबीर, ऊंची कोठी सुंदर नारी, सतनाम बिना बाजी हारी।
कहे कबीर अंत की बारी, जैसे हाथ झाड़ कर चला जुआरी।।
जय हो बंदी छोड़ कबीर परमेश्वर जी की
ऐसा निर्मल ज्ञान है जो निर्मल करे शरीर।
और ज्ञान मंडलीक है, चकवे ज्ञान कबीर।।
सत्संग से ही मानव को उसके जीवन का वास्तविक उद्देश्य का ज्ञान होता है।
जीव हमारी जाति है, मानव धर्म हमारा।
हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई धर्म नहीं कोई न्यारा।कबीरा साधु दर्शन राम के, मुख पर बसे सुहाग।
दर्श उन्हीं के होते हैं, जिनके पूर्ण भाग।
Anmol vani 🙏🙇🏻♀️koti koti dandwat pranam parmatma ji 🙏🙇🏾♀️
सत साहेब गुरु जी
जय हो बन्दिछोद परमपिता 🌹🙇♀️🌹
सत् साहेब जी
सत्संग की आधी घड़ी,तप के वर्ष हजार।
तो भी बराबर है नही,कहे कबीर विचार।।🙇♂️🙇♂️🙇♂️
सर्व शक्तिमान परमेश्वर कबीर"
पूर्ण परमात्मा आयु बढ़ा सकता है और कोई भी रोग को नष्ट कर सकता है। - ऋग्वेद मण्डल 10 सुक्त 161 मंत्र 2, 5, सुक्त 162 मंत्र 5, सुक्त 163 मंत्र 1 - 3
🙇♀️🌻परमात्मा कबीर महाराज जी पर क़ुर्बान जाऊँ 🙇♀️🌻मालिक सत भक्ति प्रदान कर मानवीय बन्धनों के काल से हमें छुड़ा कर 🙇♀️🌻ज्ञान तत्व दे कर शब्द रूपी नाम की कमाई कर के सतलोक ले जाने के लिये इस काल लोक में आये हैं महबूब के चरणों में कोटि कोटि नमन मालिक जी अपनी कृपा बनाए रखना आपकी शुक्रगुज़ार हूँ 💖💖
कबीर,,, जीव विलब्या जीव सौ, अलख न लखिया जाय।
गोविन्द मिले न झल बूझे,रही बुझाए, बुझाये।।
Sat Saheb
Jai Ho Bandichhod Sadguru Rampal Ji Bhagwan Ki jai Ho
Kabir, jeevna to thoda hi bhala, jae Sat sumran hoye |
Laakh varsh ka jeevna, lekhe dharey na koye ||
ANMOL VACHAN PARMATMA KE BANDI CHHOD SATGURU RAMPAL JI BHAGWAN JI KI JAY HO 💐
Nice satsang
Very nice satsang
Bandi Chhod Satguru Rampal Ji Bhagavan Ji Ki Jay Ho 🙏🌹🌹
Jay ho bandi chhod sant Rampalji mara ji ki jay ho 🙏🏼👨👩👧👦🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏👨👩👧👧🌺💗❤🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼
सत्य भक्ति संदेश,तीन देवा कमल दल बसें, ब्रह्मा विष्णु महेश।
प्रथम इनकी वन्दना ,फिर सुनो सत गुरु उपदेश।🙏
🪕श्री नानक देव जी ने श्री गुरु ग्रन्थ साहेब जी के पृष्ठ 946 पर कहा है:-
‘‘बिन सतगुरु भेंटे मुक्ति न कोई, बिन सतगुरु भेंटे महादुःख पाई।’’
सत्य ज्ञान
काल लोक/पृथ्वी लोक में अपना किया ही जीव भोगता है।
सतलोक में कोई अभाव नहीं है। सब परमात्मा के कोटे से मिलता है और इसी वजह से वहाँ राग-द्वेष नहीं है। सब मिलकर प्रेम से रहते हैं और परमात्मा का गुणगान करते हैं।
Spiritual knowledge satsang
सत साहेब जी
"धरती ऊपर स्वर्ग" पुस्तक के माध्यम से संत रामपाल जी महाराज ने दहेज कुप्रथा के समूल नाश का मूल मंत्र दिया है।
Sant rampal ji maharaj ji ki jai ho
prmanit tatv gyan ka saccha satsang
काल हमें कुत्ते, गधे जैसी 84 लाख योनियों का कष्ट देता है, लेकिन संत रामपाल जी महाराज सतभक्ति प्रदान कर मानव को काल के बंधनों से आज़ादी दिला रहे हैं।
Very nice
Very nice Vani ❤❤❤❤
बहुत ही अनमोल ज्ञान है।
पल एक नाम कबीर का, दादू मन चित लाय।
हस्ती के सवार को, स्वान काल नही खाय।।
अन्मोल ज्ञान
सत्संग!
Very nice Satsang
Anmol Gyan 🙏🏽🙏🏽
Kabir is God 👌
JAI BOLO BANDI CHHOR KI🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Sat Sahib ji
Kabir
सत्संग की आधी घड़ी तपके वर्ष हजार
तो भी बराबर है नहीं कहे कबीर विचार
Bahut anmol vani
Sat Sahib Ji 🙏🙏🙏🙏🙏🙏❤❤
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सुन्दर रचना है
धरती ऊपर स्वर्ग पुस्तक को पढ़ने से स्पष्ट होता है कि पूर्ण परमात्मा अपने साधक द्वारा किए गए घोर से घोर पापों का भी नाश कर देते हैं।
प्रमाण - पवित्र यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13
Bahut anmol vachan
Anmol vachan 🙏🙏🙏🙏🙏
बहुत अच्छा सत्संग 🙏🙏
Anmol gyan
Anmol Gyan
Real way of worship
True knowledge🙏📚🙏📚🙏📚🙏📚🙏📚🙏📚❤🙇🙇🙇🙇🙇
Very very nice satsng
गरीब अंधे गूंगे गुरु घने, लंगड़े लोभी लाख । साहिब से परचे नहीं, कौन बनावे साख ।।
Very important Satsang
अनमोल वचन
अमृत वाणी
Jai bandi chod ki
अजब गजब वाणी है जी 🙏
भक्ति करना क्यों आवश्यक है? और किसकी भक्ति करनी चाहिए? जानने के लिए अवश्य पढ़ें पुस्तक ज्ञान गंगा।
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कृपया संत रामपाल जी महाराज द्वारा लिखित प्रसिद्ध आध्यात्मिक पुस्तक ज्ञान गंगा जरूर पढ़ें
तत्व ज्ञान
परमात्मा तो सुख का सागर है।
फिर हमको दुख देने वाला कौन है?
पढ़ें अनमोल पुस्तक ज्ञान गंगा और जानें कई गहरे राज़।
Kabir is God
Agam gyaan.
Oh my God 😲
Anmol वाणी
Wonderful spiritual knowledge ❤❤❤❤❤❤❤❤❤
satya vAchan
Nyc ❤❤❤❤❤❤❤
कबीर परमेश्वर जी कहते हैं "कबीर गुरू दयाल तो पुरूष दयाल। जेहि गुरू व्रत छुए नहीं काल।।" अर्थात हे धर्मदास! यदि गुरू शिष्य के प्रति दयाल है यानि गुरू के दिल में शिष्य की अच्छी छवि है, मर्यादा में रहता है तो परमात्मा भी उस भक्त के ऊपर प्रसन्न है। अन्यथा कष्ट शिष्य को भोगने पड़ेंगे। इस लेख में जानिए परमात्मा प्राप्ति के लिए भक्त में कौन-कौन से 16 लक्षण होने चाहिए?
ब्रह्मा, विष्णु, महेश भी भक्ति में लगे रहते हैं। आओ ज्ञान गंगा पुस्तक पढ़कर जानें ये तीनों भगवान किस परमात्मा की भक्ति करते हैं।
Very nice 👌
पितृ पूजा से अधिक लाभकारी भक्तिविधि
विष्णु पुराण, तृतीय अंश के अध्याय 15 में श्लोक 55-56, पृष्ठ 213 पर लिखा है कि एक योगी (शास्त्रानुकूल सत्य साधक) अकेला ही पित्तरों तथा एक हजार ब्राह्मणों तथा यजमान सहित सर्व का उद्धार कर देगा। शास्त्रानुकूल सत्य साधना केवल संत रामपाल जी महाराज करवाते हैं इसलिए उनके शिष्य ही वह योगी हैं जिसका उपरोक्त शास्त्र में जिक्र किया है। अर्थात सतगुरु के निमित्त होकर धर्म भंडारे के लिए दान करना सर्वाधिक लाभकारी है।
Nirmal Gyan hai
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Supreme God is Kabir
श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 8 के श्लोक 16 में बताया है कि ब्रह्मलोक तक सभी लोक पुनरावृत्ति में हैं। वह कौन सा लोक है जहां जाने पर पुनरावृत्ति नहीं होती, जहां जाकर सब अमर हो जाते हैं, जानने के लिए अवश्य पढ़ें अनमोल पुस्तक ज्ञान गंगा।
सभी प्रभु की भक्ति करते हैं
फिर भी संसार में दुख और रोग क्यों हैं?
जानने के लिए अवश्य पढ़ें पुस्तक ज्ञान गंगा।
Bandi chod sat guru rampalji ki jay ho
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Very nice satsang ❤❤❤❤❤❤❤❤❤
भगवान राम व भगवान कृष्ण जी सतयुग में नहीं थे। तब किस राम की भक्ति होती थी?जानने के लिए अवश्य पढ़ें पुस्तक ज्ञान गंगा।
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Agam nigam ko khoj le buddhi vivek vichaar |
Uday ast ka raaj mile to bin naam begaar ||
SantRampalJi Maharaj ji ki pustak
Andh Shardha Bhakti , Khatra -E-Jaan
me likha gyan shaster pramanit hai ,jisko aap kahin bhi galat sahit nahi kar sakte .