Aaj mool vaasi ka pahchan khatam ho raha hai acha laga aap jaise log insab ko sambhal rahen hain our aam logon tak pahucha rahen hai kitna sahi hai ki mulvaasi apna gotra purntaya prakirti se jode hue the ❤🙏🙏
बहुत अच्छा अपने आदिवासी समाज को जगाने की काम कर रहे है ,हैम आदिवासी यो में हर गोत्र में एक जानवर ,एक पौधा होता है जिनका रक्छा करना रहता है उदाहरण के लिये मैं कछुवा हु हमारे घर मे कछुवा को नही खाते है साजुवन पैड है उसे भी नही काटते है लेकिन आज के चका चोन्द की दुनिया मे हम लोग अपना भासा रीति रिवाजों हर चीज को भूल जा रहे है यदि हम आदिवासी को देश मे राज्य करना है तो गोंड़,उरांव नागेसिया,भील ,कोरवा , चेरवा यानी कि जितने भी आदिवासी है । जय जोहर सागा मेरे से लिखने में कोई भूल हुवा होगा तो माफी चाहूंगा ।
उरांवो की गोत्र- प्रथा पड़हा - राज्य के पहले जोरों से थी| यह उसी समय के व्यवस्था है जब उराँव लोग आखेट, संग्राम, खले- तमाशे, नाच-गान- त्योहारों आदि का शौक रखते थे| मुंडा पुरूष के अनुसार हुई थी| इनके अविष्कार और स्थापना का उद्देश्य शादी-ब्याह के सामाजिक गड़बड़ी से जात को वंचित और शुद्ध रखना था| लोग गोत्र- बाहर, पर जात - भीतर विवाह करते थे| गोत्र प्रथा उन्नत अवस्था में होकर, आखेट - युग के समाज की नींव बनी थी| पर उत्तरकाल में, समय के फेर से, उस पर कुछ धक्का - सा लग गया जिसका उद्धार अब तक नहीं हूआ है| इसके विशेष कारण, गृहस्थी का सुप्रबंध, पड़हा - राज्य और आधुनिक समाज- व्यवस्था हैं, जिन्होंने उराँव समाज की बनावट को एक नया रूप दे दिया है| पड़हा - प्रथा का वर्णन अगले लेखों में होगा| आज के गोत्र, टोटेम और टबू के नियम उराँव शादी-सगाई पर गहरी छाप; लगाए हुए हैं| उराँव अपने कूल टोटेम को सखा- साथी- सा मानता है और उसके साथ मिताई का व्यवहार करता है| व्यक्तिगत गोत्र नहीं होते; हैं बिरादरियों के| अपने इस कूल संज्ञा को लोग जीवनदाता तो नहीं मानते पर उसकी विशेष याद तथा आदर करते हैं| मुंडा गोत्रों जैसी उराँव कुल- संज्ञा की भी कई कथाएँ चलती हैं जिनमें कभी लोग अपने टोटेम की मदद मांगते या कभी टोटेम ही की मदद पहुंचाते हैं| कहते हैं कि किसी कुजूर पौधे नई एक समय, एक सूशूप्त उराँव को अपने लता - आभरण से घेर कर मुसीबत से बचाया था| इसी से उस जन के वंशज कुजूर कहलाने लगे| कोई कहानी तो इसकी उल्टी चलती हिया “ कोई उराँव एक कछूए को पकड़ने पर था| तब कछूए ने विनती की, “भाई, मै तो तुम्हारी ही जात का हूँ” आदमी ने यह सुनकर उस जानवर को छोड़ दिया| इसी घटना की याद में उस मनुष्य के परिवार ने “कच्छप’ गोत्र ग्रहण किया| किसपोट्टा गोत्र की किस्सा तो ऐसी है| किसी उराँव ने एक सुअर का वधकर उसका गोश्त तो खाया पर अंतड़ियाँ फेंक दीं| परंतु सूअर - जीव जो था उन्हीं अंतड़ियों में भाग खड़ा हुआ| बाद में लोग क्या देखते हैं कि वहीं सूअर जीता- जागता चक्कर मार रहा है| इस पर सूअर - घातक की संतान ने किसपोट्टा गोत्र लिया| अपने को एक मूल पुरखे संतान जानकर उराँव लोग, अपने ही गोत्र के भीतर बहु- बेटियां नहीं देते, न वर ही खोजते| यदि अनजान ही ऐसी शादी हो गई, तो भेद खुल जाने पर, हेय दम्पति जात से बहिष्कृत कर दिया जाता है और बिरादरी पड़हा- सदस्यों को जुर्माना और बढ़िया दावत (भोजन) देकर ही, जात में सम्मिलित होता है| टोटेम को बहुतेरे वर्जित मानते हैं, अथार्त यदि वह प्राणी हो तो उसे हानि न करते या कराते; अप्राणी हो तो उसका प्रयोग सिर्फ मजबूर होकर करते हैं, सो भी विचित्र रीति से जैसे “बेक” (निमक) का समझदार प्रयोग| कभी कारणवश अपने गोत्र को बदल लेते हैं, या नाममात्र या निशान से संतुष्ट रहते हैं, जैसे किसपोट्टा गोत्र के नामलेवों ने उसे “कसाई” (एक गाछ का नाम) में बदल किया है| ये लोग इस गाछ का भी आदर करते हैं| कभी- कभी “जातराओं” में कूल- निशानों के पुतले- पुतलियाँ बनाकर लोग लेते फिरते हैं| ये निशान कुछ धार्मिक, कुछ गोत्र एक में समझे जाते हैं| अब गोत्रों की नामावली दी जाती है| पाठक याद करें कि कुछ- कुछ गोत्रों के अर्थ इनसे भिन्न भी हो सकते हैं| (क) पशु- गोत्र- अड्डो- बैल| अल्ला- कुत्ता| बंडो - जंगली बिल्ली| बरवा- जंगली कुत्ता| चिडरा (चिड़रा) - गिलहरी| चिगालो (सिकटा) - गीदड़| एड्गो - चूहा| गाड़ी - मामूली बंदर| हलमान - हनुमान| खोया- जंगली कुत्ता| लकड़ा- बाघ | ओस्गा- खेत- मूसा| रूंडा- लोमड़ी| ति(तिग्गा) - एक प्रकार का बन्दर| तिर्की- छोटा चूहा| (ख) पक्षी- गोत्र - बकुला- बगला| ढेचूआ- ढेचूवा| गड़वा- सारस| गेड़े - बतख| गिधि| खाखा- कौवा| केरकेट्टा- एक पक्षी विशेष| कोकरो- मुर्गा| ओरगोड़ा - बाज| तिरकुवार - तिथियों पक्षी| टोप्पो या लंग टोप्पो - पक्षी विशेष| (ग) मछली अथवा जलचर- गोत्र- आईंद- एक लम्बी मछली, एक्का (कच्छप)- कछूवा | गोडो- मंगर| खलको- एक मछली- विशेष| किन्दूवर- एक मछली विशेष| लिंडा - एक लंबी मछली| मिंज- एक मछली विशेष| साल- एक मछली विशेष| तिड़ो- एक मछली विशेष| (घ) रेंगने वालों में - खेत्ता- नाग सांप| (ड.) वनस्पति - गोत्र - बखला - एक प्रकार की घास, बल्कल| बाड़ा(बरला)- बरगद| बासा - एक गाछ| कंदा- सक्करकंदा| कैथी- एक तरकारी पौधा| कैंडी - एक गाछ| खेस - धान| किन्दो- खजूर| कुजूर- एक फल;लता| कून्दरी - तरकारी पौधा| मूंजनी- एक लता| पूतरी - एक गाछ| केओंद - एक फल| पुसर- कूसूम| (च) धातु- गोत्र- पन्ना- लोहा| बेक- निमक| (छ) स्थान- गोत्र - बांध- बांध| जूब्बी- दलदल भूमि| (ज) खंडित - गोत्र- अंमडी - चावल शोखा| किसपोट्टा- सूअर की अंतड़ी |
This title ppl all live in assam I had many friends n classmates basically Christians... They basically got free education by missionaries, they are known as tea tribes... In Assam.. The British bought for tea cultivation during british era... They now all stayed in Assam n are permanent resident of Assam...
खोया नहीं कोया होगा,ओसगा नहीं चिरमाको होगा,खलखो को उराँव भाषा में ख़ख़लो जो जंगल एक झाड़ीदार पौधा ,तिर्की एक पेड़ है जिसे उराँव भाषा में सोनरखी/बंदर बंदरलौरी कहते हैं।ये संक्षिप्त सुधार रह।धन्यवाद!
भाई अपने बड़ी महत्वपूर्ण जानकारी दी पर दुख इस बात का है अपने आदिवासी भाई बहन ईसाई धर्म परिवर्तन कर लिया है और इन लोगो ने अपने सरनेम बदल नही है ये हम सब आदिवासी यो की भावना से ईसाई लोग खिलवाड़ कर रहे है जिस जिसने ईसाई धर्म अपना लिया है उनको कोई हक नही है इन नाम का इस्तेमाल करने का जो मूलनिवासी है वे ही इन नाम का इस्तेमाल करे न की ये ईसाई लोग
कुंड़ुख़ भख़ा में ख़ आवाज, यूनानी (ग्रीक) भख़ा के वर्णमाला, X (ख़ाई) आवाज के बिल्कुल ही समान है। तोलोंग सिकी में भी, अंग्रेजी भख़ा में लिखना है, तो ऐसा लिखना है - ख़लख़ो - Xalxo, ख़ाख़ा Xaxa, बडा Bara
सर मैं Chhattisgarh से हूँ. सर मैं अपना कुङूख जनजाति के बारे में और जानना चाहता हूं. सर कुड़ुख जनजाति का और जानकारी है तो उसके बारे में प्लीज़ वीडियो बना कर शेयर कर दीजिए ना.......?
एक संस्कृति की जानकारी के लिए बहुत धन्यवाद। इन टाईटल के साथ मेरे भी अनेक मित्र हैं। नामों के अर्थ जानकर बहुत अच्छा लगा। एक बात से बहुत निराशा भी हुई कि अभी तक सभी आदिवासी को हम सब एक ही समझते थे। लेकिन यहां भी समाज उसी तरह बंटा हुआ है जैसे पूरे देश में और यह एक सामाजिक विकृति है जो पूरे देश में फैली है और विभाजनकारी है, उच्च नीच के भाव में। उससे भी अधिक इस बात का दुख है कि जब आपको शिक्षा और सामाजिक स्तर पर उठाया जाता है, तब भी अज्ञानतावश संस्कृति के नाम पर अच्छी बातों का विरोध किया जाता है।
जानकारी का अभाव है मित्र, आज जो बाते DNA से पता करते हो वही बाते अपने पूर्वजो की संख्या बढ़ने पर भी आसानी से पहचान हो जाता है. यह जानकारी बहुत ही गूढ सूक्ष्म है, इसे समझने की जरूरत है. उच निच कुछ नहीं होता यह समाज का मानसिक विकृति है उससे ज्यादा कुछ नहीं.
जातियां अस्पृश्यता वैदिक नहीं उपनिवेश षड्यंत्र । शांत प्रकाश जाटव । तथ्यों के आलोक में डाक्टर अम्बेडकर शुद्र कौन थे अवलोकन और समिक्षा डाक्टर त्रिभुवन सिंह
Ranchi School m mere v kaafi aadiwaasi dost the lekin unke surname ka matlab aaj pata chala mujhe. Dhanyawaad🙏
गोत्रों के जानकारी के लिए धन्यवाद
Welcome 🙏
अच्छी जानकारी है। ऐसे ही जानकारी देते रहिए भाई।
Aaj mool vaasi ka pahchan khatam ho raha hai acha laga aap jaise log insab ko sambhal rahen hain our aam logon tak pahucha rahen hai kitna sahi hai ki mulvaasi apna gotra purntaya prakirti se jode hue the ❤🙏🙏
Super news Brather ji
Thank you sir 💚😍🥰🇮🇳🙏
Very informative. Bahut sundar video☺️☺️👍
Thank you
Thanks sir very good sir thanks
Jankari k liye dhanyabad.
Welcome 🙏
Thank you very much sir jankari dene ke liye
बहुत अच्छा अपने आदिवासी समाज को जगाने की काम कर रहे है ,हैम आदिवासी यो में हर गोत्र में एक जानवर ,एक पौधा होता है जिनका रक्छा करना रहता है उदाहरण के लिये मैं कछुवा हु हमारे घर मे कछुवा को नही खाते है साजुवन पैड है उसे भी नही काटते है लेकिन आज के चका चोन्द की दुनिया मे हम लोग अपना भासा रीति रिवाजों हर चीज को भूल जा रहे है यदि हम आदिवासी को देश मे राज्य करना है तो गोंड़,उरांव नागेसिया,भील ,कोरवा , चेरवा यानी कि जितने भी आदिवासी है ।
जय जोहर सागा मेरे से लिखने में कोई भूल हुवा होगा तो माफी चाहूंगा ।
बहुत-बहुत धन्यवाद 🙏जय जोहार
So much my elder brother
मैं खेस्स -धान हुं चावल नहीं खाता हुं 😆😆😆🙏🙏🙏
Sahi jankari Bhai
Aise hi batate rahe
धन्यवाद 🙏
मुंडा जनजाति के 59 गोत्र (किली) और हिंदी में उनके अर्थ th-cam.com/video/sTYWDNlKGfo/w-d-xo.html
Johar गोत्र धनवर्
धान
Ok
Gotra Dhanwar matlab
Very good information
Thank you 🙏
Thank you bhai jai dharmesh 🙏🙏🇦🇹🇦🇹
Welcome Jai dharmesh 🙏
मुंडा जाति के 55 गोत्र और उनके अर्थ
👉th-cam.com/video/sTYWDNlKGfo/w-d-xo.html
Good keep it up kruuk oraon language n Culture in all over India basis Mai 👌🙏👌👌🙏 JoHaR 🙏👌👌🙏👌
Johar
Sahi jankari ke lea thankyou brother
Welcome 🙏
दीदी
Nice and thank you for the details of our title or identies.
Sunder ati sunder
Thank you 🙏
Aapke jaise ..jruri wala Gyan dene wale bhai v kam hi milenge...dil se dhanyawad Bro
Bahut sudar dada more vidieo
Thank you Dada 🙏
Good keep it up our kuruk language dai 👌💕👌
Namaskar video dekha achchha hai
Thank you 🙏
धन्यवाद सही जानकारी के लिए
खड़िया जाति के गोत्र और उनके अर्थ 👇
th-cam.com/video/VgMkiNfD2lw/w-d-xo.html
Bahut achchi jankari mili .thanks
अधूरा ज्ञान रखकर वीडियो नहीं बनाएं अगर बनाना हो तो पूरा जानकारी
उरांवो की गोत्र- प्रथा पड़हा - राज्य के पहले जोरों से थी| यह उसी समय के व्यवस्था है जब उराँव लोग आखेट, संग्राम, खले- तमाशे, नाच-गान- त्योहारों आदि का शौक रखते थे| मुंडा पुरूष के अनुसार हुई थी| इनके अविष्कार और स्थापना का उद्देश्य शादी-ब्याह के सामाजिक गड़बड़ी से जात को वंचित और शुद्ध रखना था| लोग गोत्र- बाहर, पर जात - भीतर विवाह करते थे| गोत्र प्रथा उन्नत अवस्था में होकर, आखेट - युग के समाज की नींव बनी थी| पर उत्तरकाल में, समय के फेर से, उस पर कुछ धक्का - सा लग गया जिसका उद्धार अब तक नहीं हूआ है| इसके विशेष कारण, गृहस्थी का सुप्रबंध, पड़हा - राज्य और आधुनिक समाज- व्यवस्था हैं, जिन्होंने उराँव समाज की बनावट को एक नया रूप दे दिया है| पड़हा - प्रथा का वर्णन अगले लेखों में होगा| आज के गोत्र, टोटेम और टबू के नियम उराँव शादी-सगाई पर गहरी छाप; लगाए हुए हैं|
उराँव अपने कूल टोटेम को सखा- साथी- सा मानता है और उसके साथ मिताई का व्यवहार करता है| व्यक्तिगत गोत्र नहीं होते; हैं बिरादरियों के| अपने इस कूल संज्ञा को लोग जीवनदाता तो नहीं मानते पर उसकी विशेष याद तथा आदर करते हैं|
मुंडा गोत्रों जैसी उराँव कुल- संज्ञा की भी कई कथाएँ चलती हैं जिनमें कभी लोग अपने टोटेम की मदद मांगते या कभी टोटेम ही की मदद पहुंचाते हैं| कहते हैं कि किसी कुजूर पौधे नई एक समय, एक सूशूप्त उराँव को अपने लता - आभरण से घेर कर मुसीबत से बचाया था| इसी से उस जन के वंशज कुजूर कहलाने लगे| कोई कहानी तो इसकी उल्टी चलती हिया “ कोई उराँव एक कछूए को पकड़ने पर था| तब कछूए ने विनती की, “भाई, मै तो तुम्हारी ही जात का हूँ” आदमी ने यह सुनकर उस जानवर को छोड़ दिया| इसी घटना की याद में उस मनुष्य के परिवार ने “कच्छप’ गोत्र ग्रहण किया| किसपोट्टा गोत्र की किस्सा तो ऐसी है| किसी उराँव ने एक सुअर का वधकर उसका गोश्त तो खाया पर अंतड़ियाँ फेंक दीं| परंतु सूअर - जीव जो था उन्हीं अंतड़ियों में भाग खड़ा हुआ| बाद में लोग क्या देखते हैं कि वहीं सूअर जीता- जागता चक्कर मार रहा है| इस पर सूअर - घातक की संतान ने किसपोट्टा गोत्र लिया|
अपने को एक मूल पुरखे संतान जानकर उराँव लोग, अपने ही गोत्र के भीतर बहु- बेटियां नहीं देते, न वर ही खोजते| यदि अनजान ही ऐसी शादी हो गई, तो भेद खुल जाने पर, हेय दम्पति जात से बहिष्कृत कर दिया जाता है और बिरादरी पड़हा- सदस्यों को जुर्माना और बढ़िया दावत (भोजन) देकर ही, जात में सम्मिलित होता है| टोटेम को बहुतेरे वर्जित मानते हैं, अथार्त यदि वह प्राणी हो तो उसे हानि न करते या कराते; अप्राणी हो तो उसका प्रयोग सिर्फ मजबूर होकर करते हैं, सो भी विचित्र रीति से जैसे “बेक” (निमक) का समझदार प्रयोग| कभी कारणवश अपने गोत्र को बदल लेते हैं, या नाममात्र या निशान से संतुष्ट रहते हैं, जैसे किसपोट्टा गोत्र के नामलेवों ने उसे “कसाई” (एक गाछ का नाम) में बदल किया है| ये लोग इस गाछ का भी आदर करते हैं| कभी- कभी “जातराओं” में कूल- निशानों के पुतले- पुतलियाँ बनाकर लोग लेते फिरते हैं| ये निशान कुछ धार्मिक, कुछ गोत्र एक में समझे जाते हैं|
अब गोत्रों की नामावली दी जाती है| पाठक याद करें कि कुछ- कुछ गोत्रों के अर्थ इनसे भिन्न भी हो सकते हैं|
(क) पशु- गोत्र- अड्डो- बैल| अल्ला- कुत्ता| बंडो - जंगली बिल्ली| बरवा- जंगली कुत्ता| चिडरा (चिड़रा) - गिलहरी| चिगालो (सिकटा) - गीदड़| एड्गो - चूहा| गाड़ी - मामूली बंदर| हलमान - हनुमान| खोया- जंगली कुत्ता| लकड़ा- बाघ | ओस्गा- खेत- मूसा| रूंडा- लोमड़ी| ति(तिग्गा) - एक प्रकार का बन्दर| तिर्की- छोटा चूहा|
(ख) पक्षी- गोत्र - बकुला- बगला| ढेचूआ- ढेचूवा| गड़वा- सारस| गेड़े - बतख| गिधि| खाखा- कौवा| केरकेट्टा- एक पक्षी विशेष| कोकरो- मुर्गा| ओरगोड़ा - बाज| तिरकुवार - तिथियों पक्षी| टोप्पो या लंग टोप्पो - पक्षी विशेष|
(ग) मछली अथवा जलचर- गोत्र- आईंद- एक लम्बी मछली, एक्का (कच्छप)- कछूवा | गोडो- मंगर| खलको- एक मछली- विशेष| किन्दूवर- एक मछली विशेष| लिंडा - एक लंबी मछली| मिंज- एक मछली विशेष| साल- एक मछली विशेष| तिड़ो- एक मछली विशेष|
(घ) रेंगने वालों में - खेत्ता- नाग सांप|
(ड.) वनस्पति - गोत्र - बखला - एक प्रकार की घास, बल्कल| बाड़ा(बरला)- बरगद| बासा - एक गाछ| कंदा- सक्करकंदा| कैथी- एक तरकारी पौधा| कैंडी - एक गाछ| खेस - धान| किन्दो- खजूर| कुजूर- एक फल;लता| कून्दरी - तरकारी पौधा| मूंजनी- एक लता| पूतरी - एक गाछ| केओंद - एक फल| पुसर- कूसूम|
(च) धातु- गोत्र- पन्ना- लोहा| बेक- निमक|
(छ) स्थान- गोत्र - बांध- बांध| जूब्बी- दलदल भूमि|
(ज) खंडित - गोत्र- अंमडी - चावल शोखा| किसपोट्टा- सूअर की अंतड़ी |
बहुत ही अच्छा बात बताये आपने जय आदिवासी🙏🙏🙏🇦🇹🇦🇹🇦🇹 जय सरना माँ जय चाला जय धर्मेश 🇦🇹🇦🇹🇮🇩🇮🇩🇮🇩🇧🇭🇧🇭🇧🇭🙏🙏🙏👌👌👌👌बहुत ही अच्छा लगा देख के
जय चाला अयङ्ग
Mujhe to bahut se gotra k bare me aaj pta chala thanku so much
तिलगाम गोत्र है हमारा ।
नाम सरवन
गोत्र तिलगाम
पेन संख्या 3
गढ़ लांझी (बालाघाट मप्र)
टोटम -कछुआ ,महुआ, गिध्द
Thanks sir apni sanskriti aur pahchan btanne ke liye 🥰🥰🥰🥰
कहाँ बची है आदिवासी संस्कृति।। ज्यादातर आदिवासी ईसाई धर्म अपना चुके हैं।।
Hamko Pata Hi Nahi Tha itna Gotra Hota Hai
. Thanks Bro......
Bahut achha jankari hai
Vary good information sir 👌👌
Thank you 🙏
Main Assam se hoon aur Uraon family se hoon aur mera गोत्र hai Lakra lekin school mein Bhagat likhta tha.
Thankyou for sharing this information 🎉🎉🎉
Language bhuut important hai
Bahut badiha👍👍
बहुत-बहुत धन्यवाद 🙏
Johaar bhai
Johar 🙏
Nice information.
Thanks bro. continue to give information,God bless you.
Jai kruk oraon language is very important thnnn
Very nice 👌👌
Thank you 🙏
Batane ke liye bahut bahut dhanyawad mujhe pata nahi tha itna sara gotra🙏
कमेन्ट करने के लिए आप को भी बहुत-बहुत धन्यावाद 🙏
Very nice 😀😀🙏🙏
बहुत-बहुत धन्यवाद 🙏जोहार
बताने के लिए धन्यवाद
Bahut acchi knowledge
Bahut aacharahi
धन्यवाद 🙏
I want to learn oraon language .this is our identity.
Must watch .. ORAON TV JH ..
ORAON TV channel for KURUKH , Langauge //
Appreciation for the toil you did, but it is half. Please tell us more about our surnames. Hoping for next detailed video.
जय जोहार 🙏🙏🙏
जय जोहार 🙏🙏🙏
Achcha Laga
Great
Thank you 🙏
Thanks for
Superb
Thanks 😊
Sahi baat bhaiya
बहुत बढ़िया
Thank you sir, for these types of videos.
Welcome 🙏
Bahut badhiya JIS JIS KO जातिवादी KO NHI pta tha . Unko bhi pta lg gya ki AUR KIN KIN SE दूरी बनानी है
Good knowledge you have given. Thanks.
Nice information 👌
This title ppl all live in assam I had many friends n classmates basically Christians... They basically got free education by missionaries, they are known as tea tribes... In Assam.. The British bought for tea cultivation during british era... They now all stayed in Assam n are permanent resident of Assam...
St category government nahi Diya inko Assam State 😔😔😔😔😔
What is that fee education
Sir ji
बेहतरीन जानकारी
Thank you
खोया नहीं कोया होगा,ओसगा नहीं चिरमाको होगा,खलखो को उराँव भाषा में ख़ख़लो जो जंगल एक झाड़ीदार पौधा ,तिर्की एक पेड़ है जिसे उराँव भाषा में सोनरखी/बंदर बंदरलौरी कहते हैं।ये संक्षिप्त सुधार रह।धन्यवाद!
tirki matlab to chidiya hota h n
Khalkho मछली hota hain
@पहले जानो, फिर मानो utna nhi pta,pr jo tirki hai wo bolte hai chidiya hota h bs isiliye bol di
U right da
@ Birsai Oraon sahi surname khalkho hi hota hai
Sir ji yane ki sabhi prakriti se liya gya hai.Thanks❤❤❤
भाई अपने बड़ी महत्वपूर्ण जानकारी दी पर दुख इस बात का है अपने आदिवासी भाई बहन ईसाई धर्म परिवर्तन कर लिया है और इन लोगो ने अपने सरनेम बदल नही है ये हम सब आदिवासी यो की भावना से ईसाई लोग खिलवाड़ कर रहे है जिस जिसने ईसाई धर्म अपना लिया है उनको कोई हक नही है इन नाम का इस्तेमाल करने का जो मूलनिवासी है वे ही इन नाम का इस्तेमाल करे न की ये ईसाई लोग
Bohut badhia sir 👍
Thank you
कुंड़ुख़ भख़ा में ख़ आवाज, यूनानी (ग्रीक) भख़ा के वर्णमाला, X (ख़ाई) आवाज के बिल्कुल ही समान है। तोलोंग सिकी में भी, अंग्रेजी भख़ा में लिखना है, तो ऐसा लिखना है -
ख़लख़ो - Xalxo, ख़ाख़ा Xaxa,
बडा Bara
Very informative
jai johar jai bheem
Jai Johar 🙏
Thanx for information
जानकारी देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद क्या कुड़ुख से हिन्दी अनुवाद आप app मिलेगा?
App to nhi hai bro
Munjni bhi ek goter hai sir. Jankari ke liye dhanyabad.
Enghay ga minj heke 😇
Very nice information Thanks
सर मैं Chhattisgarh से हूँ. सर मैं अपना कुङूख जनजाति के बारे में और जानना चाहता हूं. सर कुड़ुख जनजाति का और जानकारी है तो उसके बारे में प्लीज़ वीडियो बना कर शेयर कर दीजिए ना.......?
ठीक है भाई 🙏
Tumhre side Oraon log h
@@alka906North Chhatisgarh is area of our ORAON..and also some south area of ORAON .//
@@ORAONCHHONDACREATER the are hindu and Christian ....I know koi bacha thodi h wahan k Oraon log
Bahutachhapruashbhaidhanysbad.
Really great 💙
Barla chhut gai
मुंडा जनजाति के 55 गोत्र और अर्थ
th-cam.com/video/sTYWDNlKGfo/w-d-xo.html
Liza? Oraon sab Christian ban gye kia?
Naam toh na badalte apne. Liza English hote hn. Hum Indian hn sab.
@@yoyofreefiregaming9326 barla Christian✝ hy bhai
Ebda Hurmi kurukh Gotar❤🎉 dhanayvad
सर आपने ये नही बताया कि उराँव जनजाति ये गोत्र क्यों रखते थे।इसका भी वीडियो बना दीजिये।
ओके
Ye kya bataye ga ese uranw bhasha bhi nhi ati hai bas sab se puchh ke video bana diya hai
@@justfun6233 hn to aap v video bana k daliye
Jannati me Gotra nahi hota hai ye sab totem hai jo hinduon ke sangat me aane ke karan ab bol chal ki bhasha me Gotra kaha jaraha hai.
@@ASHOKKUMAR-xs6ep गोत्र को कुरुख भाषा में किल्ली और संथाली भाषा में परिस कहते है। टोटेम इंग्लिश शब्द है
Thank you ,iam kispotta
जय धर्मेश 🙏🇱🇻
जय धर्मेश 🙏
@@kurukhbhashatv939.
Kisan. B.
M.
Very nice 👍👍👍
Correction:
Kujur : Malkangni
Linda: kenchua
Kindo: seul machli
अजम दौ कत्था तिंगकय । धईन बअदन ।
बहुत सुन्दर
Thank you 😊
I am Lakra 🐯🦁
Good job
🙏🙏
Thank you sir🙏
Welcome 🙏
Meaning of Toppo is kathkoli pakchi and Kerketta is dhechuwa pakchi, correct please.
Dhrchuwa nhi kerketta ak alag pachhi h bhai
Sahi jankari ,converted christian
Very good
Thank you 🙏
👏👏👍🏼
भाई मिंज मतलब मछली नहीं बल्कि वह भी एक प्रकार की मछली का नाम है
Machali hi hota h main v minz hun
बहूत सुंदर
Thank you bhaiya
Bhagat gotra
Bhaght gotra nhi hai
Majhi
एक संस्कृति की जानकारी के लिए बहुत धन्यवाद। इन टाईटल के साथ मेरे भी अनेक मित्र हैं। नामों के अर्थ जानकर बहुत अच्छा लगा।
एक बात से बहुत निराशा भी हुई कि अभी तक सभी आदिवासी को हम सब एक ही समझते थे। लेकिन यहां भी समाज उसी तरह बंटा हुआ है जैसे पूरे देश में और यह एक सामाजिक विकृति है जो पूरे देश में फैली है और विभाजनकारी है, उच्च नीच के भाव में।
उससे भी अधिक इस बात का दुख है कि जब आपको शिक्षा और सामाजिक स्तर पर उठाया जाता है, तब भी अज्ञानतावश संस्कृति के नाम पर अच्छी बातों का विरोध किया जाता है।
आजाम दव कत्था तिंगकाय। निंगन धईन बअदन। और पुना पुना कत्थन तेंगके।
जानकारी का अभाव है मित्र, आज जो बाते DNA से पता करते हो वही बाते अपने पूर्वजो की संख्या बढ़ने पर भी आसानी से पहचान हो जाता है. यह जानकारी बहुत ही गूढ सूक्ष्म है, इसे समझने की जरूरत है. उच निच कुछ नहीं होता यह समाज का मानसिक विकृति है उससे ज्यादा कुछ नहीं.
जातियां अस्पृश्यता वैदिक नहीं उपनिवेश षड्यंत्र । शांत प्रकाश जाटव । तथ्यों के आलोक में डाक्टर अम्बेडकर शुद्र कौन थे अवलोकन और समिक्षा डाक्टर त्रिभुवन सिंह
shantprakash.blogspot.com/2021/12/blog-post_30.html?m=1&s=08
Jankari dene ke liye
मुंडा जनजाति के 59 गोत्र और अर्थ th-cam.com/video/sTYWDNlKGfo/w-d-xo.html
उराँव ज्यादातर तो ईसाई बन गए हैं , आदिवासी धर्म -संस्कृति त्यागकर ।और कुछ हिन्दू बन रहे हैं । उनको गोत्र से क्या लेना -देना?
उराँव भर नही। हो, मुंडा और संथाल भी बना है और गोत्र से बहुत लेना देना है क्यो कि एक ही गोत्र में शादी नही होता है
Aghar ek hi gottar me saadi ho to kya hota hai
Isliye to dharm code ke mang ho rahe h itne varso se
Quin bahi jabar jasti hai kya unka choice Gale me Talwar thodi na latk kya hai koi😅😂
Kol aadivasi ek hi गोत्र में शादी karte hai
Great information
Thank you
गोड़ समाज कर बारे में भी दादा
Thank you sir
Welcome 🙏
उंराव जाति लगभग ईसाई संस्कृति अपना लिया है उसे गोत्र और जाति से क्या लेना देना
Agree