बेवाण यात्रा गिरधरपुरा || Jai Shri Krishna

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  • เผยแพร่เมื่อ 5 ก.ย. 2022
  • नमस्कार दोस्तों, स्वागत हैं आप सभी का, आपके अपने TH-cam channel पर.......
    मै राहुल धाकड़ आप सभी का इस वीडियो मे स्वागत करता हु
    ओर नम्र निवेदन करता हु की वीडियो को पुरा देख और वीडियो को like and channel को subscribe जरुर करे... धन्यवाद
    सनातन धर्म में बहुत सारे त्योहार मनाए जाते हैं। इसके साथ ही कुछ तिथियों का बहुत महत्व रहता है। इन्हीं तिथियों में से एक एकादशी तिथि भी होती है। शास्त्रों में एकादशी तिथि और इस दिन किए जाने वाले त्योहारों को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। एकादशी का दिन मुख्य रूप से भगवान विष्णु को समर्पित होता है। एकादशी हर महीने में दो बार आती है। जलझूलनी ग्यारस यानी कि एकादशी को डोल ग्यारस के नाम से भी जाना जाता है। माना गया है कि इस दिन माता यशोदा ने घाट पूजन किया था।
    व्रत करने का महत्व
    जलझूलनी एकादशी का व्रत करने से जीवन में धन-धान्य और मान प्रतिष्ठा में समृद्धि आती है।
    जलझूलनी एकादशी के दिन व्रत और दान पुण्य करने से सौभाग्य में वृद्धि होती है।
    माना जाता है कि इस दिन व्रत करने से वाजपेय यज्ञ के समान फल प्राप्त होता है।
    जलझूलनी एकादशी का व्रत करने से जीवन के सभी कष्टों और संकटों का नाश होता है।
    जलझूलनी एकादशी का महत्व
    शास्त्रों के अनुसार बताया गया है कि जलझूलनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु जो कि चातुर्मास के कारण योग निद्रा में होते हैं। वे विश्राम के दौरान करवट लेते हैं। स्कंद पुराण के वैष्णव खंड में एकादशी महात्म्य नाम के अध्याय में भी इस एकादशी के महत्व का वर्णन किया गया है। कहा जाता है कि इस एकादशी के व्रत को करने से वाजपेय यज्ञ के समान ही फल की प्राप्ति होती है। शास्त्रों के अनुसार जिस व्यक्ति ने भाद्रपद शुक्ल एकादशी का पूजन कर लिया उसने ब्रह्मा, विष्णु सहित तीनों लोकों का पूजन कर लिया है।
    डिसक्लेमर
    'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।'
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