बैंक ने बिना कारण बताए ऋण आवेदन किया निरस्त, हर्जाना देने के निर्देश

แชร์
ฝัง
  • เผยแพร่เมื่อ 22 ก.ย. 2024
  • इलाहाबाद निवासी सरिता डिमरी के होम लोन आवेदन को विना कारण वताए निरस्त करने पर बैंक आफ बड़ौदा को हर्जाना भरना पड़ेगा। राज्य उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति अशोक कुमार ने दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद फैसला सुनाया कि इस संबंध में जिला आयोग का आदेश सही है। इस आदेश के आधार पर बैंक को इकरारनामा पर खर्च रकम के साथ आठ साल का आठ फीसदी सालाना की दर से व्याज भरना होगा।
    इलाहाबाद निवासी सरिता डिमरी निजी स्कूल में शिक्षिका हैं। पिता रिटायर शिक्षक हैं और भाई जयपुर में नौकरी करता है। वर्ष 2017 में सरिता ने इलाहावाद में 48 लाख रुपये में एक निजी मकान खरीदने का सौदा किया। वेतन कम होने की वजह से इतना लोन देने से बैंक ने इनकार कर दिया। इस पर सरिता ने अपने भाई के साथ संयुक्त लोन का आवेदन किया, जिसे बैंक ने स्वीकार कर लिया।
    बैंक ने रजिस्टर्ड इकरारनामा की मांग की। इस पर वादी ने कहा कि पहले बैंक प्रापर्टी का निरीक्षण कर ले कि लोन मिलेगा या नहीं। बैंक ने निरीक्षण के बाद हामी भर दी। तब सरिता डिमरी ने रजिस्टर्ड
    इकरारनामा किया। इस पर 1.38 लाख रुपये खर्च हो गए। इकरारनामे के बाद बैंक ने बिना कारण वताए लोन आवेदन को निरस्त कर दिया। लाखों रुपये डूबने पर सरिता डिमरी ने जिला आयोग में शरण ली। जहां आयोग ने बैंक को 1.23 लाख रुपये रकम जमा करने की तारीख से वादी को देने के आदेश दिए। साथ ही 7 हजार रुपये वाद व्यय के देने के भी आदेश दिए।
    इस आदेश के विरुद्ध सरिता डिमरी ने राज्य उपभोक्ता आयोग में अपील की थी। वहां दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद अध्यक्ष न्यायमूर्ति अशोक कुमार ने जिला आयोग के आदेश को बरकरार रखा।

ความคิดเห็น •