क्या भगवान श्री कृष्ण यज्ञ में 'पशुबलि' देते थे ?
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- เผยแพร่เมื่อ 31 ส.ค. 2021
- क्या भगवान श्री कृष्ण यज्ञ में 'पशुबलि' देते थे ?
'पशुबलि' प्रथा को लेकर हमारे देश में बड़ा विवाद है! शब्दों के अर्थ बदलना श्लोकों को वाम मार्गियों की मिलावट बताना! बचाव पक्ष की चालाकियाँ हैं, मगर शास्त्र और इतिहास कुछ अलग ही कहानी कहते हैं! 'पशुबलि प्रथा' सारी मानव जाति में रही है! इससे इंकार नहीं किया जा सकता है,मगर बुद्ध महावीर के जीव दयावादी आंदोलन और आधुनिक युग के शाकाहारी आंदोलन की वजह से जब हम शास्त्रों में 'पशुबलि यज्ञ ' के उल्लेख पढ़ते हैं तो हमारे पैरों तले की जमीन खिसक जाती है!!! श्रीमद् भागवत् महापुराण तो इससे पूरा भरा पड़ा है! प्रवचन अपने पूर्वजों के सच्चे इतिहास से अवगत करवाने के लिये है न कि किसी की भावना को ठेस पहुंचाने के लिये! धन्यवाद!!!
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Satya Kaha aapne
गुरुजी द्वारा बहुत ही बढ़िया जानकारी दी गई।
गुरुदेव को नमन।
सुपर ऐसी ज्ञानवर्धक बातें ढूंढने पर भी नहीं मिलती..
Wonderful scholar
❤❤❤
महत्वपूर्ण जानकारी
अति उत्तम एकालाप।
बहुत बहुत धन्यवाद।
Eye opener
Waiting next one.
Excellent
Bahut etihasik jankari mili.
Thanks aacharya ji
स्वामी जी प्रणाम
jai ho gurudev aapne pasu bali par mahabharatkal se ab tak ka satik vishleshan kar diya mujhe asha hai jo bhi aapke sun rahe vo uska pura labh athayenge or jo bhi dimag me bharantinya pale hai usko apne jivan me utarkar uska labh lenge aisi me sabhi logo se asha karta hu isi ke sath guruji ko bahut bahut sadhuvad🙏🙏🙏🙏
बहुत बड़िया 👌👌
जय गुरु देव आपने भगवत पुराण के बारे मैं जो समझया तारीफ लाईक है समाज मे अधविशवास बहुत ज्यादा फैला है आपके समझाने से वो दिन दुर नही पूरे भारत मैं आप का सभी समर्थन करें गे अभी भी आपको लाखो लोगो का समर्थन मिल रहा है
Akhir me aapne bahut badhiya kaha.
Thanks aacharya ji
बहुत शानदार
Namo Buddhaay
साधुवाद🙏🙏
Me khud 1 hafte pahele kattar hindu tha.. per 1 week se research ker rha hu..esi bate samne aa rhi he jo leepa pothi kerke juth bol ker chupa di gai he..App ka khub khub dhanyavad guru ji aap ne sach hamare samne rakha..
Ham ishwar ki pooja jarur krege.. per ese purane niti niyam ka tyag kerte he.
Ye to apne bahut bda ujagar kiya h swami ji
👏🏻👏🏻👏🏻
Bahut bahut dhanyawad
🙏🙏👍
जीव हत्या करने वाला ईश्वर कैसे हो सकता है
सत्य संस्कार सत्य की दर्शन
जय श्री कृष्णा
👍🏻👍🏻👍🏻👍🏻👍🏻👌👌👌
Saswatsaty.
साधु साधु साधु 🌹🌹🌹
सही किया आप ने ।
Like
स्वामी जी बाबा साहेब अम्बेडकर की बुक Riddle of Hinduism में काली पुराण के रुधिर अध्याय का वर्णन है , जिसमे बलि का विस्तृत वर्णन है , लेकिन वर्तमान समय मे जो काली पुराण उपलब्ध है उसमें रुधिर अध्याय नाम का कोई अध्याय ही नही , क्या बाबा ने बुक में गलत जानकारी प्रदान की ।
👍💐👍👌💐👌
2:16 गुरु जी यह नहीं मिल पा रहा कृपया स्पष्ट बताएं कहां लिखा है ।
दसम स्कंद अध्याय 69 भागवत पुराण
🇪🇺👍🙏✍️🇪🇺
Sare naastiko ko jai bhim
सत्यानंदजी क्या आप बता सकते कि क्या पुराने ज़माने में यानी वैदिक परंपरा में गाय की बलिदान/होम की जाति थी?
Ji aap to sb jante honge g d n jha ki kitab - pavitr gaay ka mithk to aapne pdhai hi hogi g!!!!
th-cam.com/video/g9Q-7FtEGoE/w-d-xo.html
इसे jarur dekhe d sahb
गुरुजी शंकर जी का भी अध्यन करे।शंकर जी भी यज्ञ विरोधी है।
Jab gyan virodhi thhe toh ji kyo bol rahe ho
Sirf sankar bolo
Guru ji aap ka Whatts app number mill skta hai ?
Please reply karen
चर्चा पर ही तो प्रतिबंध है। कैसे कोई ब्राह्मण वाद संवाद कर ले। कोई भी किसी भी प्रकार की गोष्टी या मंथन या वार्तालाप हो ही नही सकता।
अब आप भेद भाव को ले लो इस पर बात करता है क्या कोई ब्राह्मण क्षत्रीय वैश्य ? नही करता । कैसे करेगा अगर करेगा भी तो क्या कहेगा यही की अब कहां है जातिवाद। और फिर क्या कहेगा की आरक्षण ही जातिवाद फैला रहा है। यदि आरक्षण छोड़ दो तो जातिवाद खतम हो जाएगा। कहने का मतलब यह है की आप बात कर ही नहीं सकते क्योंकि हर बात में सच्चाई सामने आएगी और वो सच्चाई को नकारेंगे। तो आप जो कह रहे हैं बदलाव लाने के लिए ब्राह्मणों क्षत्रीय वैश्य शूद्र में वो कैसे संभव होगा।
मुझे उम्मीद है आप मेरे प्रश्न में छुपे सवर्ण और शुद्र के असमंजस के और इशारे को समझ गए होंगे। स्वामी जी पथ प्रदर्शित करें ऐसा मेरा निवेदन है।🙏
क्या आपको इस घटना पर पूर्ण विश्वास है कि भगवान शिकारी थे और यज्ञ में मांस से आहुति देते थे??
क्या ऐसा नहीं लगता कि सब बातें प्रक्षिप्त हो सकती।
सारा भागवत पुराण, वाल्मीकि रामायण रामचरित मानस वेद मनुस्मृति आदि हमारे सारे पवित्र धार्मिक ग्रंथ पशुबलि यज्ञ मांसाहार से भरे पड़े हैं जी! जैन बौद्धों के प्रभाव से जीव दया आंदोलन के प्रभाव से हमें शाकाहारी होना पड़ा जी! इस कारण कहीं कहीं पशुबलि का विरोध भी है जी! प्रक्षिप्त वाद आर्य समाजियों की देन है! सनातन धर्म के सबसे बड़े विद्वान चारों पीठ के शंकराचार्यो ने कभी इन्हें प्रक्षिप्त नहीं मानते हैं जी!!!!
@@satyakedarshan यज्ञों में मांस मदिरा का प्रचलन धूर्तो की देन है। वेदों में इसकी कल्पना तक नहीं है ।
महाभारत, शांति पर्व 265/9 एवं 263/6
जब जनसाधारण लोगों की रूचि यज्ञ आदि में बढ़ने लगी तो लोभ आदि के वशीभूत होकर याज्ञिक लोगों ने यज्ञ की रोचकता बढ़ाने के लिए उसमें उत्तरोत्तर बाह्य आडंबर की वृद्धि करते गए तथा शुभ या अशुभ प्रत्येक अवसर पर करने योग्य नए-नए यज्ञ होम आदि की सृष्टि की। इस प्रकार यज्ञों में उत्तरोत्तर सादगी और सात्विकता की हानि तथा आडंबर की वृद्धि हुई।
महा०, शांति० अ० 337, अनु 6/34, एवं
116/56-58 एवं वायु पुराण, अ० 57 इश्लोक 91-125
@@satyakedarshan यज्ञों में बीजों की आहुति देनी चाहिए ऐसा श्रुति मत है। बीजों का नाम ही अज है। किंतु इसका दूसरा अर्थ बकरा होने से लोग बकरे की भी बलि देते हैं जो सत्पुरुषों पुरुषों का धर्म नहीं।
शांति पर्व 337 /4-5
जो लोग यज्ञ में पशुओं को मारते हैं वह मूर्ख है। क्योंकि वह यथार्थ रीति से श्रुति का अर्थ नहीं जानते। श्रुति में कहा है अजो से यज्ञ करना चाहिए। अज नाम सप्तवर्षीय ब्रीहि धान्य का है ना की किसी पशु विशेष का।
काकोलिकीय (तृतीय मंत्र)
@@satyakedarshan जो लोग सद्धर्म पालन की अभिलाषा रखते हैं उनके लिए इससे बढ़कर कोई धर्म नहीं कि किसी भी प्राणी की मन शरीर और वाणी से किसी प्रकार का कष्ट ना दिया जाए।
श्रीमद् भागवत सप्तम स्कंध, अध्याय 15 श्लोक 8
इसी तरह ब्राह्मण धम्मिय सूक्त 18,19 में भोगों से लुब्ध ब्राह्मणों द्वारा झूठे मंत्रों को बनाकर इक्ष्वाकु के पास जाकर यज्ञ कराने का उल्लेख है। इसी सुत्त के भाष्य अट्ठकथा में भी झूठे मंत्र बनाकर पशु यज्ञ कराने का उल्लेख है।
@@satyakedarshan वैसे बौद्ध धर्म में तो खुद मांसाहार जायज है तो वह भला दूसरों को कैसे प्रेरणा दे सकते हैं??
साथ ही श्रीमद्भागवत सहित महाभारत वह भागवत में अनेक प्रक्षिप्त अंश है जिसे आप नीर क्षीर विवेक से समझने की चेष्टा करें।
*वेद तथा महापुरुषों के नाम से प्रचारित भाष्यो में अनेक प्रक्षिप्तांश है। अत: उन आदरणीय पूर्वजों का नाम उछालने के स्थान पर उनके सार उपदेश लेकर अपनी और समाज की उन्नति करते हुए आगे बढ़ने का प्रयास ही श्रेयतर हैं । जो जाति आत्म चिंतन छोड़ ग्रंथों से चिपक बैठ जाती है उस पर मुर्दे शासन करते हैं वह जीवंत नहीं रह सकती।*
इसलिए आदरणीय जनों से निवेदन है कि वेद एवं स्मृति इत्यादि के नाम पर आतंक फैलाकर घृणित स्वार्थ साधन बंद करिए।🙏🙏
Kya bakwas कर रहे हो sanatan धर्म के कौन से sastra मे ये लिखा है बताना जरा, sanatan को बदनाम करना बंद करो, आज कल जिस गधे को देखो मुह उठा के लोगो को sanatan धर्म सिखाने चला है, चाहे वेदो , गीता, की सकल भी ना देखी हो कभी
Bhraman dharam mai bali dena ek sampraday hai bhai stop living in imagination and see in kali temples still now also they sacrifice goat ,sheep in some place buffalo 🐃
Śrīla Prabhupāda comments: “According to Vedic regulations, the kṣatriyas were allowed to kill prescribed animals on certain occasions, either to maintain peace in the forests or to offer the animals in the sacrificial fire. Kṣatriyas are allowed to practice this killing art because they have to kill their enemies mercilessly to maintain peace in society.”
But after the yajna ritual the killed animanls were bring back to life by chanting the spells.
And they don't eat the animals .
Read the gomedh yagya dharmapedia page .
Stop telling you magic 🎩 imagination once its killed no animal can be brought to life its dead. Im mythology it happens in reality not.
Allah ki ami ka bhodsa
Good morning
Allah is a frictional character created by mohammed.
Comment me no de sodha saf hojayega ki kitna sach bolta h tu thik h