𝗦𝘄𝗮𝗺𝗶 𝗩𝗶𝘃𝗲𝗸𝗮𝗻𝗮𝗻𝗱 𝗧𝗵𝗮𝗶 𝗔𝗿𝗯𝗮𝗻 𝗡𝗮𝘅𝗮𝗹 !? Satya Ke Darshan
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- เผยแพร่เมื่อ 6 ต.ค. 2024
- स्वामी विवेकानंद थे अर्बन नक्सल वामपंथी ?
क्रांतिकारी प्रवचन : रात्रि 7 बजे शुक्रवार 5 जुलाई 2024
सज्जनों 4 जुलाई स्वामी विवेकानंद जी का परिनिर्वाण दिवस या पुण्यतिथि है ! विवेकानंद का जो लोग सिलेक्टिव अध्ययन करते हैं, वे उन्हें हिन्दूवादी या ब्राह्मणवादी की तरह पेश करते हैं , किंतु जब हम उनके साहित्य का गहन अध्ययन करते हैं तब पता चलता है कि वे लिबरल, वामपंथी, समाजवादी , सब धर्मों का सम्मान करने वाले थे ? शूद्र होने के कायस्थ होने के कारण कई बार उन्हें ब्राह्मणवाद के हाथों अपमानित होना पड़ा आइये उनकी पुण्यतिथि पर उनके वामपंथी या समाजवादी विचारों का मूल्यांकन करते हैं !
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जयभीम जयसंविधान नमो बुद्धाय
आओ मिलकर सत्यानंदजी संग मनुवाद भगाय
Jai Guruji.Thanks parwachan
Wah
👌👌👌👌👌👌👌
Nice knowledge dene wali stream rahi thanks a lot to teach us
Hon'able Guru Ji
This is a wonderful presentation and eye opening for our beloved citizens of the country.
You are doing an exemplary work for the mankind Vivekananda ji has presented revolutionary thoughts to the country, particular to SC, ST, OBC to learn and earn to uplift their respective lives.
Salute to you.
Kbhi live akr apne vichar vyakt kre g
धन्यवाद स्वामी जी आपका
Swami ji vivekanand ji ka sahitya suggest kijiye
GURU JI💙🙏💙 PARNAAM AAP KO😊😊
स्वामी जी नमो बुद्धाय 🙏🙏...विवेकानंद रामकृष्ण परमहंस ब्रह्मण को अपना गुरु बनाने के बाद अपने किताब "भगवान बुद्ध तथा उनके संदेश" में लिखा हैं बुद्ध के प्रत्येक शिक्षा का आधार वेदांत हैं, और खुद वहीं आत्मा परमात्मा के चक्र को अलग तरिके से स्थापित करते हैं, स्वामी जी बहुत कम लोग हैं जो अम्बेडकर, और आप जैसे सत्य का स्वामी है, आज कल अम्वेडकर के नाम का माला जप कर सांसद बन रहे हैं, और वही समाज में सड़क से निकलने वाले कावर यात्रा का विरोध और सड़क पर नमाज पढ़ने का समर्थन कर रहे हैं, यहीं तो असली ब्राह्मणवाद हैं की समस्या को बनाये रखो, जबकि सब जानते हैं मुस्लिम लीग की सहायता से सांसद पहुँचने वाले अम्वेडकर ने ईस्लाम को न केवल ठुकराया बल्कि उसे हिन्दू धर्म से भी अधिक घातक बताया और उसकी कुरीतियों की खुली आलोचना की| आज के अधिकतर अम्वेडकर वादी असल में ब्राह्मण वाद के दूसरे स्वरूप बन कर सामने आ रहे हैं | अगर भारत को इस कुचक्र से निकलना हैं तो बुद्ध, अम्वेडकर और आप जैसे संतों जैसा दृढ़ विचार के साथ आगे बढ़ना होगा| जिस दिन भारत से मुस्लिम का डर खत्म, ब्राह्मणवाद खत्म, ब्राह्मणों ने ही मुस्लिमों को बुलाया और भारत के राजाओं और इसके सैनिकों के बीच झूठी भविष्यवाणी कर हार का डर दिखाया, लड़ने से पहले ही हार जाते थे, अपने भ्रम के जाल में इसे बढ़ने ही नहीं दिया, फिर सारे बौद्ध मठो पर कब्जा और सामने एक मस्जिद बनवा कर उसका डर हिन्दुओ के बीच भर दिया, आज तक सत्ता का सुख|
Vivekanand Bahut Mahan the , Unko धूम्रपान का आदत था तो जब भारत यात्रा पर थे , वो रास्ते में एक इंसान को देखें धूम्रपान करते तो उससे मांगे , तो वो बोला की साहब हम तो मेहतर जाति के है , ये सुन कर विवेकानंद आगे बढ़ गए , लेकिन थोड़ा आगे चलते ही उनको एहसास हुआ अरे मैं तो सन्यासी हूं मेरे अंदर ये भाव आया भी कैसे , फिर वो वापिस गए उसी का झूठा धूम्रपान का Pipe से Smoking किया
उन्होंने सिर्फ हिंदू धर्म की आलोचना किया है, जबकी बुराई हर एक धर्म में है, वो भी हिंदू के मुंह पर, ऐसा नहीं विदेश में, विदेश जब जाते थे तब उनके सामने कोई हिंदू धर्म की आलोचना करता था तो वो इतने हाज़िर जबाबी थे की मुँह बंद कर देते थे
विवेकानन्द सिर्फ आपके गौतम बुद्ध ही नहीं हर एक धर्म का तारिफ किये हैं उनमें दयानंद सरस्वती या आर्य समाज जैसा कट्टरता नहीं था, पर उन्होंने ये कभी नहीं कहा कि गौतम बुद्ध ने जातिवाद खत्म किया, जातिवाद के खिलाफ जो सबसे पहला इंसान जो खरा हुआ वो श्रेय उनहोने मुहम्मद को दिया है गौतम बुद्ध जातिवादी के विरोध नहीं है, गौतम बुद्ध सबसे ज्यादा अंतर जाति विवाह का विरोध किये हैं, वो तो ब्राह्मण को 5 भाग में बांटते हैं और जो ब्राह्मण अंतर जाति विवाह करता है उसको कुत्ता, चांडाल तक कहे है, बुद्ध ने एक भी जगः वर्ण व्यवस्था का विरोध नहीं किया गया है गौतम बुद्ध दयालु थे, पर क्या वो वर्ण व्यवस्था के विरोधी थे तो ये बिल्कुल असत्य बात है, यहां तक कि बुद्ध भी वर्ण देख कर ही जन्म लेते हैं, अगले मैत्री बुद्ध ब्राह्मण कुल में जन्म लेंगे और जातिवादी हर एक बौद्ध देश में है, हर एक बौद्ध देश में ऐसी बहुत सी जाति है जो अछूत है और उनको शहर से बाहर बसना परता है, जापान जैसा विकसित देश में भी है, जापान में बुराकामिन जाति कौन है आप पढ़िये उसके बारे में विवेकानन्द बहुत महान थे क्योंकि वो अपने धर्म की आलोचना करते थे, और मुँह पर करते थे वो तुम्हारे तरह गिरगिट और दोगला नहीं थे बौद्ध धर्म की बात आये तो मुँह पर ताला लगा लो
अपनी तो साफ नही हो रही..चले जापान की धुलने...
@@namitaganvir4018 Jatiwad sab me tha , Buddhism Ka kitab me to hai , har संप्रदाय ke kitab me , Aur Har ek Buddhist Country me Untouchables exist karta hai
Kutta manuvadi hi hota he!