कहानी शत् प्रतिशत शत् उन परिवारों पर सही उतरती है, जहां विधवा होकर बहन भाई के घर याने पीहर में लौट आती है। अनेकों परिवार में ऐसे दृश्य देखे जाते थे। वर्तमान में में यह दृश्य कम हुआ है।विधवा बुआ इतनी चालाक कैसे हो जाती है।इस कहानी में मालती जी ने ऐसी बुआजी का कोई इलाज नहीं बताया। अधूरी रह गई। आपने अपनी आवाज से कहानी को जीवंत कर दिया।हर श्रोता बुआजी को अपने आसपास महसूस करने लगा होगा । यही वाचन की सबसे बड़ी सफलता है। बहुत बहुत शुभकामनाएं।
जुता कहाँ काटता है ,वह पहनने वाले को पता चलता है।देखने वाले को पता नही चलता। यह कहानी की बुआ जिसकी जिंदगी मे होती है,वह सिर्फ जिंदा लाश ही होती है। बहुत रुला गई।
कहानी शत् प्रतिशत शत् उन परिवारों पर सही उतरती है, जहां विधवा होकर बहन भाई के घर याने पीहर में लौट आती है। अनेकों परिवार में ऐसे दृश्य देखे जाते थे। वर्तमान में में यह दृश्य कम हुआ है।विधवा बुआ इतनी चालाक कैसे हो जाती है।इस कहानी में मालती जी ने ऐसी बुआजी का कोई इलाज नहीं बताया। अधूरी रह गई।
आपने अपनी आवाज से कहानी को जीवंत कर दिया।हर श्रोता बुआजी को अपने आसपास महसूस करने लगा होगा । यही वाचन की सबसे बड़ी सफलता है। बहुत बहुत शुभकामनाएं।
Nice
Toxic people are really dangerous.. as soon you identify them.. Just straight way away.. Nice story and nice narration.. Thank you for sharing
One of the best lekhika. Malti ji
रिश्तों की असली झलक इस कहानी में दिखाई देती है । और उस पर आपका सुनाने का अंदाज लाजवाब । 👍🙏
सदैव की भांति लेखिका की मर्मस्पर्शी कहानी
जुता कहाँ काटता है ,वह पहनने वाले को पता चलता है।देखने वाले को पता नही चलता।
यह कहानी की बुआ जिसकी जिंदगी मे होती है,वह सिर्फ जिंदा लाश ही होती है।
बहुत रुला गई।
बुआ कभी भाई का घर न बरबाद करे ईश्वर सदबुधदि दे बुवा नाम के जीव को
Ias.kahaniko.sunkar.sachyae.yada.aati.hay.
मेरी भी वधवा ननद ऐसे ही निरंकुश हो कर हमारा जीवन हराम हराम कर रखी थी।अब देवर, देवरानी कि जीवन हराम कर रखी है।
कहानी अच्छी पर बिना किसी अंत पर पहुंचे बेकार होक रह गयी😢