ये भी एक स्वार्थी रिश्तों का सच है पर मन स्वीकारना नहीं चाहता के ऐसा भी हो सकता है ,लेकिन कहानि के साथ साथ ये सच्चाई भी रही है हमारे समाज की You are good at reading thanks
यह कहानी है तो बहुत मार्मिक।इस कहानी में कुछ शिक्षा भी निहित है।रबर को इतना मत खीचों की वह टूट जाए । सभी को बी प्रेक्टिकल होना चाहिए । कहानी में अनेक चरीत्र है। लेकिन मां भी इतनी स्वार्थी हो सकती है और वह भी उस बेटी के साथ जिसने लगातार दस वर्षों तक उनकी गृहस्थी में अपने आप को ईंधन की तरह झोंक दिया हो । आपने निष्ठा पूर्वक कहानी का वाचन किया तथा श्रोताओं को एक बहुत अच्छी कहानी से लाभान्वित किया। धन्यवाद।
यह कहानी नहीं कटु यथार्थ है।स्वार्थ के आगे मातृत्व, भाई-बहन के रिश्ते,प्यार,ममता, प्रेम, सम्बन्ध और स्नेह की डोर कैसे क्षण भर में टुकड़े-टुकड़े हो जाती है, यह स्थिति आज बहुत से परिवारों में दिखायी देती है।चलो यही क्या कम है कि उस त्यागमयी युवती की शादी हो गयी!कहानी सुखान्त है और दु:खान्त भी।यही तो जीवन है। आदरणीया मालती जोशीजी को बधाई।उन्होंने जीवन का कैसा अद्भुत यथार्थ चित्र उकेरा है,सीधा-सादा चित्र;महीयसी महादेवी वर्मा जी की अनुभूतियों की तरह।कथा वाचिका की पठन शैली विलक्षण है,शब्दों का उच्चारण सुस्पष्ट है और प्रसंगानुकूल शब्दों पर बलाघात, आरोह-अवरोह पर विशेष ध्यान दिया गया है जिससे श्रोता को कथा-सूत्र समझने में सुगमता होती है।शुभाशंसायें।
सही मायनों में देखा जाए तो रिश्तों के सामने पैसे छोटी चीज़ है । परंतु आजकल समय इतना बदल चुका है कि लोग स्वार्थ में अंधे हो रहे हैं । और पैसों के लिए रिश्तों को ख़त्म करते जा रहे हैं ।☹️☹️
एक छोटी-सी त्रुटि की ओर आपका ध्यान आकर्षित कर रही हूँ। बुरा न मानियेगा । एक जगह आपने कहा ,दूसरी 'और' भी वही पसोपेश था ,जबकि सही उच्चारण 'ओर' है। यदि सम्भव है तो भूल सुधार लें । धन्यवाद ! 43:11
मीना जी हार्दिक आभारी हूँ जो कि आपने त्रुटि की ओर ध्यान दिया । मुझे अंतर मालूम है शायद रिर्काडिंग करते समय प्राब्लम हुई है । आगे से ख़ास ध्यान रखूंगी 🙏❤️
बहुत ही संवेदना युक्त कथा वाचन सुस्पष्ट हृदय स्पर्शी धन्यवाद
मालती जोशी जी कहानियां सुनना एक सुन्दर अनुभव है.. बहुत सुन्दर प्रस्तुति 🌹🙏
जी .. बिल्कुल 🙏
Bohot sundar...or satya jeevan par adharit story h❤❤
बहुत ही हृदयस्पर्शी,मार्मिक.
❤️
बहुत ही बढि़या👍
🙏😊❤️
बहुत सुन्दर कहानी।वाचन के कारण दिलचस्पी बनी रही।सुम्मी,शब्द स्पष्ट और धाराप्रवाह बोलती हैं।❤❤
Rekha ji कहानी तथा वाचन पसंद करने के लिए आभार तथा धन्यवाद जी 😊🙏🌹❤️
ये भी एक स्वार्थी रिश्तों का सच है पर मन स्वीकारना नहीं चाहता के ऐसा भी हो सकता है ,लेकिन कहानि के साथ साथ ये सच्चाई भी रही है हमारे समाज की
You are good at reading thanks
I think she is one of the best story writer.
यह कहानी है तो बहुत मार्मिक।इस कहानी में कुछ शिक्षा भी निहित है।रबर को इतना मत खीचों की वह टूट जाए । सभी को बी प्रेक्टिकल होना चाहिए । कहानी में अनेक चरीत्र है। लेकिन मां भी इतनी स्वार्थी हो सकती है और वह भी उस बेटी के साथ जिसने लगातार दस वर्षों तक उनकी गृहस्थी में अपने आप को ईंधन की तरह झोंक दिया हो ।
आपने निष्ठा पूर्वक कहानी का वाचन किया तथा श्रोताओं को एक बहुत अच्छी कहानी से लाभान्वित किया। धन्यवाद।
नमस्कार Brijkishor ji 🙏🌞
आप हमारे नियमित श्रोता हैं आप कहानियाँ तथा वाचन दोनों पसंद करते हैं इसके लिए हार्दिक धन्यवाद जी 💐💐😊🙏
अत्यंत मार्मिक और हृदयस्पर्शी कहानी है।आपकी मखमली आवाज और सहज प्रस्तुतिकरण के कारण आंखों में चलचित्र की सी तैरती रही और मन पर अमिट प्रभाव डाल गई।
😊🙏🌹
Bahut marmik kahani he
❤️
Very touching story.
Voice n style of speaking is also matching with d story
Thanx a lot.
सप्रेम धन्यवाद जी 🙏🌺🙏
Nice story namaste
Namaskar Yasmeen ji 😊🙏🌹
Real story of middle class families. Very nice n true story.
🙏❤️🌹
Bilkul. Katu. Satya
Aapki awaaz bahut achhi hai
Exllent
❤️
Bahut hi sundar kahani thi🙏🙏
❣️
यह कहानी नहीं कटु यथार्थ है।स्वार्थ के आगे मातृत्व, भाई-बहन के रिश्ते,प्यार,ममता, प्रेम, सम्बन्ध और स्नेह की डोर कैसे क्षण भर में टुकड़े-टुकड़े हो जाती है, यह स्थिति आज बहुत से परिवारों में दिखायी देती है।चलो यही क्या कम है कि उस त्यागमयी युवती की शादी हो गयी!कहानी सुखान्त है और दु:खान्त भी।यही तो जीवन है। आदरणीया मालती जोशीजी को बधाई।उन्होंने जीवन का कैसा अद्भुत यथार्थ चित्र उकेरा है,सीधा-सादा चित्र;महीयसी महादेवी वर्मा जी की अनुभूतियों की तरह।कथा वाचिका की पठन शैली विलक्षण है,शब्दों का उच्चारण सुस्पष्ट है और प्रसंगानुकूल शब्दों पर बलाघात, आरोह-अवरोह पर विशेष ध्यान दिया गया है जिससे श्रोता को कथा-सूत्र समझने में सुगमता होती है।शुभाशंसायें।
हार्दिक आभार तथा धन्यवाद जी 🙏😊❤️
बहुत मार्मिक व्यथा से भरी हुई कहानी है, सुमन की प्यारी-सी बुआ भी यदि परिवार के सदस्यों जैसी स्वार्थी होती तो उसका जीवन कैसा होता
जी .. बहुत मार्मिक कहानी है ♥️
Apni aapbiti yaad aa gayi. Sach, Paisa rishto se bada hi hota hai. 💔
सही मायनों में देखा जाए तो रिश्तों के सामने पैसे छोटी चीज़ है । परंतु आजकल समय इतना बदल चुका है कि लोग स्वार्थ में अंधे हो रहे हैं । और पैसों के लिए रिश्तों को ख़त्म करते जा रहे हैं ।☹️☹️
Very nice story.
Very imotional story.
Very heart touching story and your explanation
Thanks a lot❤️🙏
Very beautiful story.
💕
Ooooo
Bahut sundar kahani hai..
कहानी सुनने और पसंद करने के लिए बहुत आभार तथा धन्यवाद जी 😊🙏
True story of many
🙏🌹
Hriday Sparshi kahani .
🙏❤️
मेरी मम्मी भी ऐसी ही है
❤️
बहुत अच्छी कहानी।वाचन शैली तो बहुत ही अच्छी है।धन्यवाद।
🙏😊💕
Ktu. Satya
Hamare ek munhboli didi. K saath bilkul yahi huwa ths
Please tell when the story was written or published
एक छोटी-सी त्रुटि की ओर आपका ध्यान आकर्षित कर रही हूँ। बुरा न मानियेगा । एक जगह आपने कहा ,दूसरी 'और' भी वही पसोपेश था ,जबकि सही उच्चारण 'ओर' है। यदि सम्भव है तो भूल सुधार लें । धन्यवाद ! 43:11
मीना जी हार्दिक आभारी हूँ जो कि आपने त्रुटि की ओर ध्यान दिया । मुझे अंतर मालूम है शायद रिर्काडिंग करते समय प्राब्लम हुई है । आगे से ख़ास ध्यान रखूंगी 🙏❤️
Isko padhai ke paise de deti shadi to kar le Suman