श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 6 श्लोक 29 उच्चारण | Bhagavad Geeta Chapter 6 Verse 29

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  • เผยแพร่เมื่อ 30 ก.ย. 2024
  • 🌹ॐ श्रीपरमात्मने नमः🌹
    अथ षष्ठोऽध्यायः
    सर्वभूतस्थमात्मानं सर्वभूतानि चात्मनि।
    ईक्षते योगयुक्तात्मा सर्वत्र समदर्शनः॥29॥
    सर्वभूतस्थम्=सम्पूर्ण प्राणियों में स्थित, आत्मानम्=अपने स्वरूप को, सर्वभूतानि=सम्पूर्ण प्राणियों को, च= और, आत्मनि=अपने स्वरूप में, ईक्षते=देखता है, योगयुक्तात्मा=योग से युक्त अन्तःकरण वाला,सर्वत्र=सब जगह, समदर्शनः=समभाव से देखने वाला।
    भावार्थ- सब जगह समभाव से देखने वाला,योग से युक्त अन्तःकरण वाला (सांख्ययोगी) अपने स्वरूप को सम्पूर्ण प्राणियों में स्थित देखता है और सम्पूर्ण प्राणियों को अपने स्वरूप में देखता है।
    व्याख्या--
    "सर्वभूतस्थमात्मानम् सर्वभूतानि चात्मनि ईक्षते"-
    भगवान् कहते हैं कि अब यह योगी सम्पूर्ण प्राणियों में अपनी आत्मा को स्थित देखता है। जिस प्रकार साधारण प्राणी शरीर के सभी अवयवों में अपने आप को देखता है, 'मैं' को ही पूर्ण रूप से देखता है; ऐसे ही समदर्शी पुरुष सब प्राणियों में अपने स्वरूप को ही स्थित देखते हैं। स्थित देखने का तात्पर्य यह है कि संपूर्ण प्राणियों में सत्ता रूप से अपना ही स्वरूप है, एक ही आत्म तत्त्व है।
    और संपूर्ण प्राणियों को अपने अंतर्गत देखता है। स्वयं में सबके अस्तित्व को महसूस करता है।
    सारे प्राणियों में आत्मा को देखना अपेक्षाकृत सरल लगता है लेकिन स्वयं में सारे प्राणियों को देखना यह कुछ कठिन सा लगता है। स्वयं में सारे हैं यदि यह भावना मन में आ गई तो इसे "आत्मौपम्य बुद्धि" कहा है।
    "ईक्षते योगयुक्तात्मा सर्वत्र समदर्शनः"-
    योगी अपने स्वरूप में तल्लीन हो गया,जिसकी आत्मा योग से जुड़ गई वह योगी सर्वत्र एक सच्चिदानंदघन परमात्मा ही परिपूर्ण है,सभी में उसको समानता ही दीखती है। जो भी सामने है वह ब्रह्ममय है। जो भी व्यक्ति,वस्तु,अणु-अणु, कण-कण में सब जगह ब्रह्म को ही देखता है। सबमें वही परमात्मा का अंश है।
    विशेष-
    जिस प्रकार मनुष्य स्वर्ण से बने हुए अलग-अलग आभूषणों के नाम,आकृति आदि भिन्न-भिन्न होने पर भी उनमें समान रूप से एक स्वर्ण को ही देखता है उसी तरह ध्यानयोगी समरूप से सब में एक परमात्मतत्त्व को ही देखता है। व्यवहार में तो प्राणियों के साथ अलग-अलग बर्ताव होता है परंतु अलग-अलग बर्ताव होने पर भी उस समदर्शी योगी की स्थिति में कोई फर्क नहीं पड़ता।
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ความคิดเห็น • 3

  • @satishkgoyal
    @satishkgoyal 3 หลายเดือนก่อน

    जय श्री कृष्ण।

  • @bankatlslvaishnav3904
    @bankatlslvaishnav3904 4 หลายเดือนก่อน

    जय श्री कृष्ण।।

    • @kusum_maru
      @kusum_maru  3 หลายเดือนก่อน

      जय श्री कृष्ण